Guru Ayurveda

शनिवार, 6 मई 2023

लस्सी पीने के फायदे और नुकसान,

 

#लस्सी पीने के फायदे और नुकसान,


इस लेख में “लस्सी पीने के फायदे”और “लस्सी पीने के नुकसान” के बारे मे बताने वाले है, “किन लोगों को लस्सी नही पीनी चाहिए” “लस्सी बनाने का आसान तरीका” जाने के लिए इस लेख को पुरा पढें,

Dr.VirenderMadhan,

लस्सी क्या है?

लस्सी एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई पेय है जो खासतौर पर उत्तर एवं पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है। 

- इसे दही को मथ कर एवं पानी मिलाकर बनाया जाता है तथा इसमें ईच्छा अनुसार तरह तरह के मसाले एवं चीनी या नमक डालकर तैयार किया जाता है। 

- लस्सी, छाछ एवम् मठ्ठा का जिक्र बहुत से पुरानी पुस्तकों में आता है।

#लस्सी पीने के फायदे:-

लस्सी का सेवन त्वचा के लिए, बालों के लिए, बवासीर,कब्ज दूर करने, वजन कम करने और हड्डियां मजबूत करने आदि में फायदेमंद होती है। ताजे दही से बनी लस्सी शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व देती है। दही में कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन पाया जाता है। लेकिन लस्सी पीने के फायदों के साथ ही नुकसान भी है।

लस्सी भारतीय रसोई का एक प्रसिद्ध शरबत है जिसे दूध, दही और मिठा एक साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। लस्सी को सम्मिश्रित चाशनी, नमक और भुना जीरा के साथ डाला जाता है। यह एक पौष्टिक विकल्प है जिसे गर्मियों में ठंडा पीने के लिए बड़ी संख्या में लोगों द्वारा तरीके से पसंद किया जाता है।



#लस्सी के कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं:

पाचन क्रिया को सुधारता है:–

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 लस्सी में दही का प्रयोग होता है जो पाचन क्रिया को सुधारता है। यह वसा को घटाने में मदद करता है और आपके शरीर को ऊर्जा देता है।

दिल के स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद होता है:–

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 लस्सी का सेवन हृदय संबंधी बीमारियों को कम करने में मदद करता है। 

- इसमें पाए जाने वाले प्रोबायोटिक भी हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।

शरीर के तापमान को कम करता है:–

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 गर्मियों में लस्सी का सेवन करने से शरीर का तापमान कम होता है। इससे शरीर को ठंडा लगता है और गर्मी से राहत मिलती है।

वजन घटाने में मदद करता है:–

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 लस्सी वजन घटाने में मदद कर सकती है। यह वसा को घटाने में मदद करता है और भूख को कम करता है।

हड्डियों को मजबूत बनाता है:– 

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लस्सी में विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स होते हैं जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं।

अवसाद को कम करता है:–

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लस्सी में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो मनोवैज्ञानिक स्थितियों को सुधारने में मदद करते हैं। यह अवसाद को कम कर सकता है और मानसिक स्थिति को सुधारता है।



** लस्सी बनाने का आसान तरीका:-

#लस्सी बनाने की विधि:–

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लस्सी बनाना बहुत ही सरल होता है और इसे आसानी से बनाया जा सकता है। निम्नलिखित हैं लस्सी बनाने की विधि:

सामग्री:

दही (2 कप)

ठंडा पानी (1 कप)

चीनी (2-3 टेबल स्पून)

काला नमक (स्वादानुसार)

जीरा पाउडर (1 छोटा चम्मच)

कस्तूरी मेथी पाउडर (1 छोटा चम्मच)

धनिया पत्ती (बारीक कटी हुई, गार्निश के लिए)

पुदीना पत्ती (बारीक कटी हुई, गार्निश के लिए)

विधि:–

दही को एक बड़ी कटोरी में डालें और उसे फेंटें ताकि दही को चिकना बनाएं।

अब उसमें ठंडा पानी डालें और फिर से अच्छी तरह से फेंटें।

अब इसमें चीनी, काला नमक, जीरा पाउडर, और कस्तूरी मेथी पाउडर डालें और फिर से अच्छी तरह से मिलाएं।

लस्सी को ठंडा करने के लिए इसे फ्रिज में रखें या बर्फ के साथ मिलाएं।

लस्सी को सर्व करने से पहले उसमें कुछ धनिया पत्ती और पुदीना पत्ती डालें,

आप चाहें तो लस्सी को ब्लेंडर में भी ब्लेंड कर सकते हैं 

अगर आप लस्सी को थोड़ा चटपटा पसंद करते हैं, तो इसमें थोड़ी ताजी लाल मिर्ची का पेस्ट भी मिला सकते हैं।

लस्सी को ठंडा करने के लिए इसे बर्फ के साथ मिला सकते हैं।

अब लस्सी को गिलास में निकालें और उसे धनिया पत्ती और पुदीना पत्ती से सजाएं। लस्सी तैयार है।

#लस्सी के नुकसान:–

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>>लस्सी पीने से क्या नुकसान हो सकते है?

लस्सी पीने के बहुत कम नुकसान होते हैं और इसे स्वस्थ कै लिये अच्छे तरीके से पीने से फायदे होते हैं। हालांकि, कुछ लोगों के लिए लस्सी का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

वजन बढ़ना:–

 अधिक मात्रा में लस्सी पीने से आपका वजन बढ़ सकता है, क्योंकि इसमें शक्कर या चीनी का उपयोग किया जाता है।

एलर्जी:–

 कुछ लोगों को दूध से एलर्जी हो सकती है और उन्हें लस्सी पीने से एलर्जी की समस्या हो सकती है।

बीमारी:–

 कुछ लोगों को लक्टोज इंटॉलरेंस होती है और उन्हें लस्सी पीने से पाचन तंत्र में समस्या हो सकती है।

अशुद्ध लस्सी:–

 अशुद्ध लस्सी पीने से आपको खुशक खांसी, खुजली या त्वचा के विकार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

लेकिन सामान्यतः, स्वस्थ व्यक्ति लस्सी को स्वस्थ तरीके से पी सकते हैं 

#किन लोगों को लस्सी नही पीनी चाहिए

लस्सी को पीने से पहले, आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए क्योंकि लस्सी को पीने से पहले अपने स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक है। लस्सी को पीने से निम्नलिखित लोगों को बचना चाहिए:

लक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित लोग:–

 जो लोग लक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित होते हैं उन्हें लस्सी नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि लस्सी में लैक्टोज होता है। लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोगों को लस्सी की जगह अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दही, पनीर आदि का सेवन करना चाहिए।

एलर्जी से पीड़ित लोग:–

 लस्सी एक दूध के उत्पाद होती है, इसलिए दूध से एलर्जी वाले लोगों को लस्सी का सेवन नहीं करना चाहिए।

 एसिडिटी से पीड़ित लोग:–

जो लोग अपच, गैस और एसिडिटी से पीड़ित होते हैं, उन्हें लस्सी के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि लस्सी उन्हें अधिक बीमारी कर सकती है,

अधिक वजन वाले लोग:– लस्सी में चीनी की मात्रा अधिक होती है जो वजन बढ़ाने का कारण बन सकती है। इसलिए अधिक वजन वाले लोगों को लस्सी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

 बड़ी आंत में समस्या हो:– लस्सी में उच्च मात्रा में एसिड होता है, जो जिनकी बड़ी आंत में समस्या होने से पीड़ित हो सकते हैं। इसलिए जिनकी बड़ी आंत में समस्या हो, उन्हें लस्सी का सेवन नहीं करना चाहिए।

[दादी माँ के घरेलू नुस्खों को फॉलो करने वाले लोग: दादी माँ के घरेलू नुस्खों को फॉलो करने वाले लोगों को लस्सी का सेवन से पहले भी डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।]

People ask:-

Q:-छाछ और लस्सी एक ही है?

Ans:-नही,

दूध से मक्खन को मथ कर छाछ बनाई जाती है दूसरी ओर दही को पानी में मिलाकर और स्वादानुसार चीनी या नमक मिलाकर लस्सी बनाई जाती है।

Q:-लस्सी कैसे बनाया जाता है?

Ans:-

Lassi Recipe

लस्सी बनाने के लिए सबसे पहले हम 750 ग्राम दही लेंगे और उसमें आधा लीटर पानी डाल देंगे।

पानी डालने के बाद हम इसे बिलो लेंगे। 

इसलिए हम इसे किसी झार से अच्छे से 2 मिनट तक बिलो लेंगे। 

चीनी डालने के बाद हम इसे फिर से बिलो लेंगे।

अब इतने दही से हम 7 गिलास लस्सी बिल्कुल आराम से बना सकते है।

Q:-लस्सी कब पीना चाहिए?

Ans:-

लस्सी का आमतौर पर शीतलक के रूप में सेवन किया जाता है जो बदले में पाचन में मदद करता है। यह पेय दही से बना है जिसे स्वस्थ बैक्टीरिया के लिए जाना जाता है। बताए गए कारण से, भोजन के बाद आदर्श रूप से इसका सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यदि आपने बहुत अधिक मसालेदार भोजन किया है तो लस्सी पाचन तंत्र को शांत करने में मदद कर सकती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

गुरुवार, 4 मई 2023

#इमली खाना अच्छा है ना|क्या पुरुषों के लिए इमली खाना अच्छा है?”

 #इमली खाना अच्छा है ना|क्या पुरुषों के लिए इमली खाना अच्छा है?”

#गर्मी में इमली खाने के फायदे,

#इमली खाने के नुकसान,

इस लेख मे बतायेगे कि “इमली खाना अच्छा है ना” “क्या पुरूषों के लिए इमली खाना अच्छा है” “गर्मी में इमली खाने के फायदे,” “इमली खाने के नुकसान” इसलिए इस लेख को अंत तक पढे,

Dr.VirenderMadhan.

#इमली क्या है?

- इमली पेड़ में नरम, गहरे भुरे रंग की फल्ली के रुप में उत्पन्न होती है, जिसके अंदर काले रंग के बीज होते हैं। इसका नरम, चिपचिपा और खट्टा भाग होता है, जिसका प्रयोग खाने में किया जाता है।

#क्या पुरुषों को इमली नहीं खाना चाहिए?

#Should men not eat tamarind?

इमली विटामिन सी से भरपूर होती है, जो पुरुषों में वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणुओं के जीवन काल को बेहतर बनाने में मदद करती है। कई अध्ययनों के अनुसार, आहार में विटामिन सी शामिल करने से अंडकोष के अंदर शुक्राणुओं की मृत्यु को रोकने में मदद मिलती है और पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। पुरुषों को कई लाभ होते हैं।  एंटीऑक्सिडेंट, और फाइबर से भरपूर होती है।

#क्या इमली खाना पुरुषों के लिए अच्छा है?

Is eating tamarind good for men?

पुरुषों के ल‍िए इमली का इस्‍तेमाल फायदेमंद माना जाता है। इम्‍यून‍िटी बूस्‍ट करने के ल‍िए, लो-स्‍पर्म काउंट की समस्‍या को दूर करने के ल‍िए इमली का सेवन फायदेमंद माना जाता है। 

#इमली खाने के फायदे

benefits of eating tamarind

 बीमारियों से बचाव:-

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 इमली में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है जो आपके शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो कैंसर, दिल के रोग और अन्य बीमारियों से बचाव करते हैं।

सेहतमंद वजन:-

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 इमली फाइबर से भरपूर होती है, जो आपको भोजन के बाद भी भरपूर महसूस करवाती है। इससे आप ज्यादा खाने से बच सकते हैं और वजन नियंत्रण कर सकते हैं।

स्वस्थ त्वचा:-

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 इमली में विटामिन सी की मात्रा विटामिन ई की तुलना में ज्यादा होती है जो आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है।


डायबिटीज के लिए फायदेमंद:-

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 इमली में पाए जाने वाले फाइबर आपके खाने को पचाने में मदद कर सकते है,

[तो यह आपके रक्त शर्करा को संतुलित रखने में मदद करता है जिससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।]

नेत्रों के लिए फायदेमंद:-

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 इमली में पाया जाने वाला विटामिन ए कैटरैक्ट नामक बीमारी से बचाने के लिए फायदेमंद होता है।

लिवर के लिए फायदेमंद:-

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 इमली में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और इससे लिवर से संबंधित बीमारियों से बचाव में मदद मिलती है।

[ध्यान रखें कि ज्यादातर लोग ईमली को कच्चा खाना अच्छा मानते हैं, लेकिन इसे पका हुआ भी खाया जा सकता है। इसका सेवन अधिकतम मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है।]



#आयुर्वेद के अनुसार इमली के गुण

Properties of tamarind according to Ayurveda

आयुर्वेद में इमली को एक औषधीय पौधा माना जाता है जो अनेक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व और विटामिन की मात्रा के कारण इमली के कई औषधीय गुण होते हैं।


#आयुर्वेद के अनुसार इमली के गुणों :-

विटामिन सी का संचय:-

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 इमली में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है, जो शरीर के रोगों से लड़ाई करने में सहायता करता है। विटामिन-सी मसूढ़ों की समस्याओं, स्किन समस्याओं और श्वसन तंत्र समस्याओं को भी दूर करने में सहायक है।

पाचन को सुधारने वाले गुण:-

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 इमली में फाइबर की अधिक मात्रा होती है जो पाचन को सुधारती है। इसके अलावा इमली में पाए जाने वाले खनिज एसिड भी पाचन को सुधारते हैं जो अपच को दूर करते हैं।

रोगों के खिलाफ रक्षा:-

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 इमली में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट पाये जाते हैं, जो रोगों से शरीर की रक्षा करते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट, फ्री रेडिकल्स के नुकसान को कम करते हैं,

बलगम को दूर करने वाले गुण:-

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 इमली में खास तरह के खनिज एसिड पाए जाते हैं जो श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करते हैं। ये एसिड बलगम को निकालने में मदद करते हैं जो सांस लेने में कठिनाई का कारण बनती है।

शरीर को संतुलित रखने वाले गुण:-

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 इमली में पाया जाने वाला विटामिन सी, खनिज एसिड, और अन्य पोषक तत्व शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इससे शरीर में शक्ति का स्तर बढ़ता है 

आंत्र को स्वस्थ रखने वाले गुण:-

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 इमली आंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह अपच, कब्ज और बदहजमी जैसी समस्याओं को भी दूर करती है।

रक्तचाप को नियंत्रित करने वाले गुण:-

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 इमली में पाया जाने वाला पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे आपके शरीर में उच्च रक्तचाप से होने वाली समस्याएं कम होती हैं।

इमली के प्रश्न उत्तर:-

Queries:-

Q:- रोजाना इमली खाने से क्या होगा?

इमली में टैनिन और अन्य योगिक होते हैं जो पाचन को मुश्किल बना सकते हैं. जब इसे खाते हैं तो पेट में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में एसिड का स्तर बढ़ जाता है. पेट फूलने लगता है. एसिड रिफ्लेक्स जैसी पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती है इसलिए बेहतर होगा कि कम ही प्रयोग की जाये.

Q;- इमली सेहत के लिए अच्छी क्यों नहीं है?

एक भोजन के रूप में, इमली फली परिवार के भीतर होती है और इसलिए कुछ लोगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया पैदा करने की क्षमता होती है। इमली रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकती है और यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो सावधानी के साथ इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बड़ी मात्रा में सेवन करने पर इसका रेचक प्रभाव भी हो सकता है।

Q:-इमली किसे नहीं खाना चाहिए?

– एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं के साथ-साथ इमली लेने से बचें । –इमली एंटीप्लेटलेट दवा एस्पिरिन की जैव उपलब्धता को बढ़ाने के लिए भी पाया जाता है, जिससे रक्त में एस्पिरिन का अवशोषण बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप एस्पिरिन जैसी एंटीप्लेटलेट दवाएं ले रहे हैं तो इमली के सेवन से बचें।

Q:- क्या इमली पुरुषों के लिए खराब है?

इमली विटामिन सी से भरपूर होती है, जो पुरुषों में वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणुओं के जीवन काल को बेहतर बनाने में मदद करती है।

Q:- लड़कियां इमली का इस्तेमाल क्यों करती हैं?

 यह खनिजों और विटामिन सी में उच्च है, इमली का उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इमली के एंटी-ऑक्सीडेंट गुण महिला उर्वरता को बढ़ाकर यौन लाभ देते हैं।

Q:- इमली के बीज खाने से क्या फायदा?

इमली के बीज के फायदे – Benefits of Tamarind Seed in Hindi

- दस्त की समस्या को कम करने के लिए लाभदायक है,

- इम्यूनिटी सुधारने के लिए इमली के बीज के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है

-कुछ लोग गठिया की समस्या में इमली के बीज का उपयोग करते है।

Q:- ईमली के बीज और मिश्री खाने से क्या होता है?

इमली के बीज के चूर्ण से बहुत सी हेल्थ प्रॉब्लम दूर हो सकती हैं। इमली के बीज के छिलके को हटा कर उसका चूर्ण बना कर मिश्री के साथ मिलाकर रख लिया जाए और इसे रोजाना एक चम्मच सुबह- शाम गर्म दूध से ले लें तो यह कई रोगों को ठीक कर सकता है।

Q:- इमली के बीज का चूर्ण क्या काम आता है?

इमली के बीज में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण अर्थराइटिस के दर्द में भी राहत देते हैं. इसके लिए आप आधा चम्मच भुने हुए इमली के बीज का चूर्ण एक गिलास पानी के साथ दिन में दो बार ले सकते हैं. इमली के बीज पैंक्रियाज से दबाव हटाकर मधुमेह की समस्या में भी राहत प्रदान कर सकते हैं.

Q:- इमली के बीजों का सेवन कैसे करें?

200 ग्राम बीजों को तीन चार दिन पानी में भिगोकर रखें और फिर छिलके उतार कर छाया में सुखाएं। सूखने पर पीसकर 200 ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें। इस पाउडर में से एक चम्मच डेली गर्म दूध से लें। यह कैल्शियम और मिनरल से भरपूर होता है इसलिए हड्डियों को मजबूत करता है और जोड़ों की समस्या को भी ठीक करता है।

Q:- इमली का नुकसान क्या है?

 अधिक इमली खाने से दाद, खुजली, सूजन,उल्टी सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती है. 

पाचन संबंधी समस्या-

 इमली खट्टी यानी के एक एसिडिक फल है. इमली में टैनिन और अन्य योगिक होते हैं जो पाचन को मुश्किल बना सकते हैं. जब इसे खाते हैं तो पेट में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में एसिड का स्तर बढ़ जाता है.

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

मंगलवार, 2 मई 2023

भीगे हुए अखरोट खाने के फायदे? In hindi.

 भीगे हुए अखरोट खाने के फायदे? In hindi.



इस लेख में भीगे हुए अखरोट खाने के फायदों और नुकसान के बारे मे बताते है,

Dr.VirenderMadhan,

“भीगे हुए अखरोट खाने के फायदे”

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भीगे हुए अखरोट खाने के कई फायदे होते हैं। नीचे कुछ मुख्य फायदों की सूची दी गई है:

#मधुमेह नियंत्रण|Diabetes control:-

 भीगे हुए अखरोट में उपस्थित एल-अर्जिनाइन नामक एक आमिनो एसिड मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभदायक है।

#हृदय स्वास्थ्य|cardiovascular health:-

 अखरोट में- अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एक ओमेगा-3 फैटी एसिड) मौजूद होता है जो हृदय स्वास्थ्य को उत्तम बनाता है।

#वजन कम करने में सहायता:-

 भीगे हुए अखरोट में फाइबऱ की मात्रा अधिक होती है जो आपको भोजन के बाद भी लंबे समय तक भोजन का अनुभव करने में मदद करता है और आपको भोजन के बीच में भूख का अनुभव नहीं होता है।

#त्वचा स्वास्थ्य |skin health:- 

भीगे हुए अखरोट में विटामिन ई मौजूद होता है जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है

 जो दिमागी कार्य को सुधारता है और याददाश्त को बढ़ाता है।



#ऑक्सीडेशन से बचाव|protection against oxidation:- 

अखरोट में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स जो ऑक्सीडेशन से बचाव करते हैं। ऑक्सीडेशन कई बीमारियों का कारण बनता है, जिसमें कैंसर और हृदय रोग शामिल हैं।

#शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाना|increasing the body's energy level :-

 भीगे हुए अखरोट में विटामिन बी-6, फोस्फोरस, मैग्नीशियम और कई अन्य खनिज पदार्थ होते हैं जो शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं।

#लंबी उम्र का सहारा|support of longevity:-

 अखरोट में उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन ई आपके शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं जो लंबी उम्र के रोगों का कारण बन सकते हैं। इसलिए, भीगे हुए अखरोट खाने से आपके शरीर के लिए कई फायदे होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में खाने से उम्रदराज लोग



#अखरोट खाने के नुकसान|disadvantages of eating walnuts:-

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अखरोट खाने के कुछ नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:

अलर्जी|#allergies :-

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 कुछ लोगों में अखरोट खाने से एलर्जी उत्पन्न हो सकती है, जिससे त्वचा खुजली, चकत्ते, सांस लेने में तकलीफ आदि हो सकती हैं।

#वजन बढ़ना|gaining weight:-

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 अखरोट में उच्च मात्रा में फैट और कैलोरी होती हैं, जो वजन बढ़ाने का कारण बन सकती है।

#ख़राब पाचन|poor digestion:-

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 अधिक मात्रा में अखरोट खाने से अधिक गैस, पेट दर्द, उलटी, एसिडिटी आदि हो सकती हैं।

ऑक्सलेट्स|#kidney stone:-

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 अखरोट में ऑक्सलेट्स मौजूद होते हैं, जो उच्च मात्रा में खाए जाने पर किडनी स्टोन  का कारण बन सकते हैं।

Queries|प्रश्नों के उत्तर

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Q:- अखरोट क्या होता है?

- अखरोट का दूसरा नाम क्या है?

Ans :- 

अखरोट (के वृक्ष) का वानस्पतिक नाम जग्लान्स निग्रा (Juglans Nigra) है। आधी मुट्ठी अखरोट में 392 कैलोरी ऊर्जा होती हैं, 9 ग्राम प्रोटीन होता है, 39 ग्राम वसा होती है और 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें विटामिन ई और बी6, कैल्शियम और मिनेरल भी पर्याप्तं मात्रा में होते हैं।

#अखरोट अमृत है लेकिन 99 प्रतिशत लोग नहीं जानते इसे खाने का सही तरीका

Q :- अखरोट खाने की सही विधि क्या है?

#अखरोट कैसे खायें|अखरोट कैसे खाना चाहिए?

Ans :- अखरोट खाने की सही विधि – 1

20 ग्राम अखरोट को एक गिलास दूध में डालकर उबाल लें, उबलने के बाद इसमें मिश्री डालकर अच्छी तरह से मिला लें। 

- अखरोट के सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। 

- अखरोट के सेवन से हमारा हृदय स्वस्थ रहता है।

विधि :–2

#अखरोट कैसे खाना चाहिये?

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बादाम की तरह ही अखरोट को भी रात में भिगोकर रखना और फिर खाना ज्यादा फायदेमंद होता है. अखरोट को कच्चा खाने की बजाय इसे रात में भिगोकर रखें और फिर खाएं. बहुत ज्यादा मात्रा में अखरोट ना खाएं, रोजाना सुबह दो भीगे हुए अखरोट खाने के भी चमत्कारिक फायदे होते हैं. इससे कई बीमारियों से निजात मिलती है.

Q:-अखरोट किसे नहीं खाना चाहिए?

#अखरोट के फायदे इन प्रीग्नेंसी,

Ans:- गर्भवती महिलाओं को अखरोट नहीं खाना चाहिए।

Q:-अखरोट से गैस बनती है क्या?

Ans:- अखरोट का ज्यादा सेवन पाचन का कारण बन सकता है. अगर आपको पाचन संबंधी समस्या हैं तो अखरोट का सेवन न करें. क्योंकि अखरोट में पाया जाने वाला फाइबर आपके पेट में गैस का कारण भी बन सकता है.

Q:- पुरुषों के लिए अखरोट लाभ?

#पुरुषों के अखरोट खाने से क्या फायदा होता है,

Ans:-पुरुषों के लिए अखरोट के सेवन से गंजेपन की समस्या को दूर किया जा सकता है. -साथ ही ये बालों की ग्रोथ को अच्छा करने में भी उपयोगी है. -अखरोट के सेवन से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी कम हो सकता है. ऐसे में पुरुष अपनी डाइट में अखरोट को जोड़ सकते है,

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

रविवार, 30 अप्रैल 2023

Ayurvedic tea|हर्बल टी: फिटनेस के लिए एक बेहतरीन विकल्प,

 Ayurvedic tea|हर्बल टी: फिटनेस के लिए एक बेहतरीन विकल्प,

Ayurvedic tea|हर्बल टी,


#Dr.ViernderMadhan.

इस लेख मे बताने वाले हैं कि “हर्बल टी फिटनेस के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।” यह एक स्वस्थ विकल्प होता है जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद होता है और साथ ही आपकी मनोदशा पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन जड़ी बूटियों, पत्तियों और फलों से बनाया जाता है।

हर्बल टी एक पौष्टिक पेय है जो उबली हुई पानी में फल, पत्तियों और जड़ी बूटियों से बनता है। यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाले अनेक उपयोगों के लिए लोकप्रिय है, जिनमें शामिल हैं शांति बढाना और तनाव को कम करना, शरीर को तरोताजा और स्वस्थ रखना 

- हर्बल टी की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें कोई कैफीन नहीं होता है, जिससे लोग उन्हें दिन के किसी भी समय पी सकते हैं। इसलिए, हर्बल टी स्वस्थ जीवन के लिए एक शानदार विकल्प है।

#आयुर्वेदिक चाय के फायदे

- हर्बल टी में अनेक प्रकार के फायदे होते हैं जैसे कि 

– वजन घटाने,

–  मधुमेह कंट्रोल करना,

 – एंटी-एजिंग लाभ प्रदान करना,

– दिल के रोगों के खतरों को कम करने आदि। 

इन टी के फायदों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्बल टी शरीर के लिए फायदेमंद होता है और सेहत को स्थिर रखने में मदद करता है।

कुछ स्वस्थ विकल्पों में शामिल होने वाली हर्बल टी हैं:


हर्बल टी लिस्ट-

– तुलसी टी

– काली मिर्च वाली चाय

– ग्रीन टी

– जिंजर टी

– जीरा वाली चाय

– एलोवेरा टी

– सौंफ टी

ये सभी टी हैं जो स्वस्थ जीवन शैली के लिए फायदेमंद होती हैं। 

#हर्बल टी के फायदे क्या है?

हर्बल टी के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह एक प्रकार का पेय होता है जो तनाव को कम करता है, सुधारता है आंतरिक ऊर्जा, और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। नीचे हमने हर्बल टी के कुछ लाभों के बारे में विस्तार से बताया है:

– तनाव को कम करने में मददगार, 

हर्बल टी में विशेष गुण होते हैं जो तनाव को कम करने में मददगार होते हैं। इससे मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है।

– पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक - 

हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होते हैं।

– वजन कम करने में मददगार,

 कुछ हर्बल टी जैसे ग्रीन टी, जिंजर टी, गुग्गुल टी आदि वजन कम करने में मददगार होते हैं। इनमें मौजूद एक्सपेक्टोरंट गुण वजन कम करने में मदद करते हैं।

– शरीर को शुद्ध करने में सहायक -

 हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को शुद्ध करने में मददगार होते हैं। यह विषाक्त पदार्थों से शरीर को मुक्त करते हैं और उसे स्वस्थ बनाए रखते हैं।


–इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक, 

  हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मददगार होते हैं।

–दिल के लिए फायदेमंद

 - कुछ हर्बल टी जैसे ग्रीन टी, हिबिस्कस टी आदि दिल के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण दिल के स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।

– स्लीप डिसऑर्डर्स को कम करने में मददगार 

  कुछ हर्बल टी जैसे चमोमाइल टी, ब्राह्मी टी, लावेंडर टी आदि स्लीप डिसऑर्डर्स को कम करने में मददगार होते हैं।


[इनके अलावा भी हर्बल टी में कई और फायदे होते हैं, लेकिन इन फायदों के लिए आपको अपने विशेषज्ञ सलाह लेनी चाहिए। आपको बाजार में विभिन्न प्रकार की हर्बल टी उपलब्ध होगी, जिसमें आप अपनी रुचि के अनुसार चयन कर सकते हैं।]

#हर्बल टी पर कुछ प्रश्न उत्तर,

Q:-हर्बल टी कैसे बनायें?

–हर्बल टी बनाने की विधि:-

Ans:-1

घर का बना हर्बल चाय बनाने के लिए, तुलसी, पुदिना और अदरक को मिक्सर में मिलाकर, बहुत ही कम पानी का, मिक्सर मे डालकर प्रयोग कर दरदरा पीस लें। इस पेस्ट को एक नॉन-स्टिक सॉस-पॅन में निकालें, १-१/२ कप पानी डालकर अच्छी तरह मिला लें और ५ से ७ मिनट तक, बीच-बीच में हिलाते हुए उबाल लें।

Ans:- 2 (सर्दी के लिए)

हर्बल टी बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

सामग्री:

- जायफल (फेनेल सीड्स)

- काली मिर्च

- टी पत्ती

- तुलसी पत्ती 

- जीरा

- इलायची

- लौंग

- अदरक 

- नींबू  (अगर आवश्यक हो)


विधि:-

सभी सामग्री को एक साथ मिश्रित करें। 

एक बर्तन मे पानी उबालें। जब पानी उबालने लगे, तो गैस धीमी करें और मिश्रण डालें।

मिश्रण को ढककर धीमी आंच पर उबालें। उबालने के लिए करीब 5-7 मिनट लगेंगे।

अब गैस बंद कर दें और चाय को कुछ मिनटों तक ठंडा होने दें।

चाय को छान लें और नींबू  डालकर परोसें।

यह हर्बल टी एक स्वादिष्ट और सुगंधित विकल्प है जो आपको ठंड और सर्दी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

Q:-घर पर हेल्दी चाय कैसे बनाएं?

Ans:-

हेल्दी चाय बनाने के लिए आप इस तरह से कुछ सामग्री का उपयोग कर सकते हैं:-

सामग्री:

-पानी

-चायपत्ती

-अदरक (ताजा या सूखा)

-तुलसी की पत्तियाँ (ताजी या सूखी)

- लौंग

- इलायची

- दूध (वैकल्पिक)

- शहद या चीनी (स्वादानुसार)

चाय बनाने की विधि:-

एक कड़ाही में पानी उबालें।

जब पानी उबलने लगे, उसमें चायपत्ती डालें।

चाय को 2-3 मिनट तक उबालें। उबालने के दौरान, चाय के अन्दर अदरक, तुलसी की पत्तियाँ, लौंग और इलायची भी डाल दें।

चाय को छलनी में छान लें।

अगर आप चाय में दूध डालना चाहते हैं, तो उबलते हुए चाय में दूध डालें।

चीनी या शहद को चाय में मिलाकर मजेदार हेल्दी चाय का आनंद लें।

इस तरह से बनाएं, आप एक स्वस्थ और मजेदार चाय का आनंद ले सकते हैं।

Q:-हर्बल टी और ग्रीन टी मे क्या अंतर है?

Ans:-

हर्बल टी और ग्रीन टी दोनों अलग-अलग तरह के चाय होते हैं।

हर्बल टी,

- जो अक्सर औषधीय पौधों से बनती है, अनेक फायदों के साथ सेवन की जाती है। इसमें कैफीन की कोई मात्रा नहीं होती है इसलिए यह सोने से पहले भी पी सकते हैं। इसमें विभिन्न खनिज तत्व, विटामिन और पौष्टिक घटक पाए जाते हैं, जो आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

 ग्रीन टी:-

 अपने गुणों के लिए जानी जाती है। इसमें कैफीन की मात्रा मौजूद होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। इसमें एन्टीऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो आपको बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। ग्रीन टी को बनाने के लिए चाय के पत्तों को सुखाकर उन्हें फिर से उबाला जाता है जिससे इसमें कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है।

इसलिए, दोनों टी में अंतर होता है, हर्बल टी में कैफीन की कोई मात्रा नहीं होती है जबकि ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा होती है। 

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

शनिवार, 29 अप्रैल 2023

Skin की सभी रोगों से सुरक्षा 100% कैसे करें,in hindi

 Skin की सभी रोगों से सुरक्षा 100% कैसे करें,in hindi

Skin के लिए आयुर्वेदिक उपाय



#Skin की देखभाल कैसे करें?In hindi

 कुछ आयुर्वेदिक उपाय हैं जो आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद कर सकते हैं:

#नीम (Neem):-

 नीम, त्वचा के लिए एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपाय है। नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे एक्ने, खुजली, सोराइसिस आदि के इलाज में मदद करते हैं। आप नीम के पत्तों को पीसकर उनका पेस्ट बना सकते हैं और इसे त्वचा पर लगा सकते हैं।

#जीरा (Cumin): 

 जीरा एक अन्य आयुर्वेदिक उपाय है जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जीरा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप जीरे का पाउडर या उनके बीजों को पीसकर इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।

#हल्दी (Turmeric):-

 हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद करते हैं। आप हल्दी का पाउडर शहद या दूध में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

#एलोवेरा (Aloe Vera):-

 एलोवेरा त्वचा को शुद्ध और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। आप एलोवेरा जूस को सीधे त्वचा पर लगा सकते हैं या इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।

#तुलसी (Holy Basil):-

 तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप तुलसी के पत्तों को पीसकर इसे त्वचा पर लगा सकते हैं।

#मुलेठी (Licorice):-

 मुलेठी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप मुलेठी के जड़ का पाउडर शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

#चंदन की लकडी (Sandalwood):- 

चंदन त्वचा को कमजोर नहीं होने देता है और त्वचा को ठंडा और शांत बनाता है। आप चंदन पाउडर को घी के साथ मिलाकर त्वचा पर लगा सकते हैं।

[आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले अपनी त्वचा के लिए सही उत्पादों को चुनना भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ आयुर्वेदिक उत्पादों को उनकी ताकत के कारण केवल डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही उपयोग किया जाना चाहिए।]


कुछ द्रव्य का अतिरिक्त उपयोग त्वचा पर असामान्य अधिक प्रतिक्रिया और अलर्जी के कारण त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, आपको त्वचा की समस्या के बारे में जानकारी हासिल करने और एक प्रशिक्षित वैद्य से सलाह लेना चाहिए।


इन सभी आयुर्वेदिक उपायों को सही ढंग से उपयोग करने के साथ-साथ आपको अपनी त्वचा की स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, और अधिक दूध और पानी का सेवन करना चाहिए।

#skin की कुछ सामान्य समस्याओं के उपचार :-

#एक्जिमा (Eczema):-

 एक्जिमा को ठीक करने के लिए आपको एक्जिमा से संबंधित एक समान और महत्वपूर्ण उपचार शुरू करना होगा। इसके लिए, बेस कोट में उपयुक्त तरह के मॉइस्चराइज़र और कोर्टिकोस्टेरॉइड लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, धूप एवं प्रदूषण से बचना भी फायदेमंद होता है।

#खुजली (Itching): 

खुजली से निजात पाने के लिए, उत्तम तरीके से इस वजह का पता लगाएं और उसे दूर करने के लिए उचित उपचार करें। आमतौर पर, एंटीहिस्टामीन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जो खुजली को कम करते हैं।

#एक्ने (Acne):

 एक्ने को रोकने के लिए, आप अपनी खान-पान और त्वचा की सफाई पर ध्यान देने की कोशिश कर सकते हैं। अलग-अलग उत्पादों का उपयोग भी किया जा सकता है, जैसे कि बेंजोइल पेरॉक्साइड या सैलिसिलिक एसिड। आप अपने डॉक्टर से इन उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें उपयोग करने से पहले उनसे सलाह लेना भी उचित होगा।

#खुरदुरी त्वचा (Dry skin):

 खुरदुरी त्वचा को ठीक करने के लिए आप अपनी त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए एक अच्छा मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने त्वचा को ठंडे पानी से नहलाना और अत्यधिक गर्म नहाने से बचना भी फायदेमंद होता है।

सन बर्न (Sunburn):

 सनबर्न को ठीक करने के लिए आप शीतल पानी से अपनी त्वचा को धोएं और एक शीघ्र क्रिम या लोशन का इस्तेमाल करें। अलोवेरा जैसी घरेलू चीजें भी फायदेमंद हो सकती हैं। सूर्य से बचने के लिए अपने त्वचा को संरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है। आप सूर्य से बचने के लिए सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं और खुले समय में टोपी या छतरी पहन सकते हैं।

इन उपायों से ठीक नहीं होती है, तो आपको एक त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।

कुछ अन्य उपाय;-

#आमला:-

 आमला शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। आमला में विटामिन सी शामिल होता है जो त्वचा की रक्षा करता है और उसे नरम बनाए रखता है।

#हरितिकी:-  

हरितिकी एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा,हरितिकी में विटामिन सी और विटामिन ई के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#सरसों का तेल:-

 सरसों के तेल में विटामिन ई और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, सरसों के तेल में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#घी:-

 घी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है। घी में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#गुलाब जल:-

 गुलाब जल में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते है

#त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी बातें;-

– स्वस्थ खानपान होगा

– तला हुआ खाने से बचेंगे

– फल, दूध जैसी चीजें खाएंगे

– रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीएंगे

– रोजाना चेहरे की सफाई करेंगे

– रोजाना योग और मेडीटेशन करें

– रोजाना भरपूर नींद लेंगे और चिंता-तनाव से दूर रहेंगे

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

गर्मियों में सेहत कैसे बनायें?In hindi.

 ग्रीष्मऋतुचर्या कैसी होती है?In hindi.

गर्मियों में सेहत कैसे बनायें?In hindi.

गर्मियों में क्या खायें क्या न खायें?



#ग्रीष्मऋतु में #स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय कैसे करें?

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[गर्मियों में जीवनशैली]

Dr.VirenderMadhan.

summer lifestyle

गर्मियों के दिनों में क्या खायें क्या न खायें?

1 #भोजन- 

मधुर रस युक्त ओर स्निग्ध आहार लेना चाहिए । खटाई, तीखे मिर्च- मसाले, नमकीन ओर अधिक गर्म भोजन न लें।

-छाछ, दही का प्रयोग करें,



-नींबू लीवर के लिए लाभदायक है,

-सब्जियों में तौरी,लौकी, टिंडा, सीताफल, ब्रोकली, करेला खायें,

-मूली,प्याज, पुदीना का प्रयोग गर्मियों में हितकारी है,



-ज्यादा तेल,मसाले खाने से बचें,

- गर्मी मे

-मछली,चिकन,मांस,अधिक ग्रेवी वाले भोजन न खायें,

2 #अल्पाहार- 

- गर्मियों में पानी खुब पीयें.

- जलजीरा, नारियल पानी,

- ताजे फल, फलों का जूस, शीतल पानक,शीतल जल के साथ मिश्री ओर घी मिला हुआ सत्तू लेना चाहिए।

फलों में-

तरबूज, खरबूजा, ककडी, संतरा, मौसमी खाने चाहिए,

3 #पानी-



 मिट्टी के नए बर्तनों में रखे हुए शीतल जल का सेवन करना चाहिए ।

 मिश्री ओर सुगन्धित शीतल पानक जैसे गुलाब जल का सेवन करना चाहिए।

4 #व्यायाम-  

व्यायाम न करें अथवा लघु व्यायाम बहुत कम समय के लिए ही करें। 


5 #मद्यपान-

 मद्यपान न करें अथवा अत्यल्प मात्रा में ओर बहुत सारा पानी मिलाकर ही मद्यपान करें। अन्यथा गर्मी में पिया गया मद्य शरीर मे कमजोरी लाता है, पूरे शरीर मे जलन उतपन्न करता है और वजन कम कर देता है।

6 #निवास- 

 ठंडे ओर हवादार भवन में निवास करें। आदान काल होने से सूर्य की तीव्र किरणे शरीर के स्नेह का अधिक मात्रा में शोषण कर लेता है अतः अधिक तीखी धूप में न जाएं।

-कोटन के कपडे पहने,

-धूप में जाने से पहले कच्चा प्याज खायें पेट ठीक रहता है

-घर से बाहर जाते समय सिर,गरदन,और पूरे शरीर को ढक लेना चाहिए,

आँखों पर घूप का चश्मा लगाना चाहिए, शरीर पर सनस्क्रीन लगायें,

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

#सिरदर्द क्यों होता है?

 सिरदर्द क्यो होता है?In hindi,

Dr.VirenderMadhan,


सिरदर्द की  your queries:-

Q-सिरदर्द क्यो होता है?

Q-सिरदर्द के कारण|

Q-सिर दर्द कौन सी कमी से होता है?

Q-रोज रोज सिर दर्द क्यों होता है?

Q-प्रेगनेंसी के दौरान सिर में दर्द क्यों होता है?

Q-सिर में गैस चढ़ने के क्या लक्षण है?

Q-सिर दर्द कब खतरनाक होता है?

Q-दिमाग में हमेशा सिर दर्द होता है उसके लिए क्या करें?

Q-सिर दर्द तुरंत ठीक कैसे करें?

Q-2 मिनट में सिरदर्द से कैसे छुटकारा मिलता है?

Q-क्या सिरदर्द की कोई आयुर्वेदिक दवा है?

जवाब लेख मे देखें–

Headche reasons/सिरदर्द का कारण,

सिरदर्द, 



बीमारी के अलावा दूसरे कारणों से भी हो सकता है. - –नींद की कमी,

 – चश्मे का गलत नंबर,

– तनाव,

 –तेज़ शोर वाली जगह में समय बिताना या

 – सिर को कसकर दबाने वाली तंग चीज़ें पहनना इसकी कुछ वजह हो सकती हैं.

–तनाव से जुड़ा सिरदर्द, कंधों, गर्दन, जबड़े, मांसपेशियों और खोपड़ी में तनाव के चलते होता है. बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, समय पर खाना न खाने और शराब का सेवन करने की वजह से ऐसा सिरदर्द होता है.

* जीवनशैली में बदलाव करने, पर्याप्त मात्रा में आराम करने या दर्द निवारक दवा लेने से इस दर्द में राहत मिलती है.



#सिर दर्द कौन सी कमी से होता है?

विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी की वजह से सिर दर्द की परेशानी हो सकती है. अगर शरीर में विटामिन बी1, बी 2, बी 3, बी 5, बी 6 और विटामिन बी12 की कमी है तो आपको माइग्रेन का सामना करना पड़ सकता है. माइग्रेन की दिक्कत है तो डाइट में इन विटामिन्स से भरपूर चीजें खानी चाहिए.

विटामिन D की अधिकता:-

- अधिक विटामिन डी होने से भी सिरदर्द के लक्षण मिलते है-जी मिचलाना। उल्टी करना। कमज़ोरी। सिर दर्द।

– जब शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है तो व्यक्ति को तनाव और सिर दर्द से परेशान होना पड़ता है. 

#रोज रोज सिर दर्द क्यों होता है?

प्रतिदिन होने वाले सिर दर्द के कारण-

- भूखे रहना,

-ज्यादा शराब पीना,

 -कैफीन का सेवन,

-तनाव होना,

 -नींद की कमी,

-डिहाइड्रेशन होना, 

-तेज रोशनी, आवाज से भी सिर में दर्द हो सकती है.

#सिर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 1–प्राथमिक दर्द (Primary Headache):-

 दवाइयों के सेवन, 

मांसपेशियों में तनाव, 

हार्मोन में बदलाव या फिर पानी की कमी के कारण दर्द की उपस्थिति होती है। 

कुछ जगह पर मानसिक तनाव, गलत ढंग से उठने-बैठने की आदत,की वजह से भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है।

2–अधकपारी -migrain

इस नाम से भी जाना जाता है: माइग्रेन कम-ज्यादा होते रहने वाला सिरदर्द, जिसके साथ अक्सर प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता और मतली भी हो सकती है.

माइग्रेन सिर दर्द में कभी कभी लक्षणों की चेतावनी देखी जा सकती है.

 इन ट्रिगर में हार्मोनल परिवर्तन, कुछ खाद्य पदार्थ और पेय, तनाव, और व्यायाम शामिल हैं.

3–क्लस्टर सिरदर्द;-

सिरदर्द जो निश्चित तरीके या कुछ दिनों तक बार-बार होता है.

बार-बार होने वाला सिरदर्द हफ़्तों से लेकर महीनों तक हो सकता है. इस समय को क्‍लस्‍टर पीरियड कहा जाता है. उसके बाद आमतौर पर लंबे समय तक राहत (रेमिशन) रहती है. हो सकता है कि राहत के समय में सिरदर्द महीनों या सालों तक न हो.

4–तनाव सिरदर्द:-

हल्का या माध्यम सिरदर्द जिसे अक्सर सिर के चारों तरफ़ एक तंग बैंड की तरह बयान किया जाता है.

तनाव से होने वाला सिरदर्द के कारणों में तनाव, नींद पूरी ना होना, और गलत तरीके से खड़ा होना या बैठना जैसे कई कारक शामिल हैं.

#प्रेगनेंसी के दौरान सिर में दर्द क्यों होता है?

गर्भावस्‍था की पहले 3महिने में सिरदर्द के प्रमुख कारणों में पानी की कमी, उल्‍टी और मतली, स्‍ट्रेस, नींद की कमी, कैफीन ज्‍यादा लेने, सही पोषण न लेने, लो ब्‍लड शुगर लेवल, शारीरिक गतिविधियां कम करने, रोशनी से आंखें चुंधियाने और आंखों की रोशनी में बदलाव आने की वजह सिरदर्द हो सकता है।

#सिर में गैस चढ़ने के क्या लक्षण है?

सिर मे गैस चढने पर सिर में तेज दर्द, माइग्रेन, पेट में दर्द, कब्‍ज, कभी कभी जी मचलना या उल्‍टी आदि होता हैं. अगर आप भी इस तरह की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आप कुछ घरेलू उपायों (Home Remedies) की मदद से गैस से होने वाले इस सिर दर्द में आराम पा सकते हैं.

#सिर दर्द कब खतरनाक होता है?

अगर सिर में दर्द के साथ ही आपको धुंधला दिखना या जी मिचलाना जैसे लक्षण नजर आते हैं तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को एक ओर अचानक से बहुत तेज सिरदर्द और कमजोरी होती है तो उसे तुरंत इमरजेंसी केयर की जरूरत होती है.

#दिमाग में हमेशा सिर दर्द होता है उसके लिए क्या करें?

सिरदर्द के कुछ उपाय:-

1 खूब सारा पानी पिएं यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, तो भी आप को सिर में दर्द हो सकता है। 

2 आहार में मैग्नीशियम को शामिल करें मैग्नीशियम आप के शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। 

3 रोज अच्छी नींद लें.

4 खुशबूदार ऑयल का प्रयोग करें 

5 किसी हर्बल टी का प्रयोग करें 

6 कॉफी पिएं,

#सिर दर्द तुरंत ठीक कैसे करें?

- अकसर आपके सिर में दर्द हो जाता है, तो आपके सिर दर्द से आराम के लिए एक्यूप्रेशर का प्रयोग कर सकते हैं.

- गर्म पानी नींबू का रस मिलाकर पीएं,

- सेब पर नमक डाल कर खाएं,

- तुलसी और अदरक का रस पीने से राहत मिल जाती है।

- सिर की लौंग के तेल से मालिश करें,

- नींबू चाय पिएं

- नींबू और गर्म पानी पिएं 

- एप्पल विनेगर का पानी पीयें,

#2 मिनट में सिरदर्द से कैसे छुटकारा मिलता है?

- एक्यूप्रेशर का प्रयोग करें

*सिरदर्द होने की स्थिति में आप अपनी दोनों हथेलियों को सामने ले आइए। इसके बाद एक हाथ से दूसरे हाथ के अंगूठे और इंडेक्स फिंगर के बीच की जगह पर हल्के हाथ से मसाज कीजिए। ये प्रक्रिया दोनों हाथों में दो से चार मिनट तक दोहराइए। ऐसा करने से  सिरदर्द में आराम मिलता है।


#क्या सिरदर्द की कोई आयुर्वेदिक दवा है?

- सिरदर्द के उपचार में 

-गोदन्ती भस्म,

- चंद्रकला रस,

- कामदुघा रस (मुक्तिका युक्त), -भूनिम्बादि काढा,

- शिरशूलादि वज्र रस,

- पथ्यादि काढा का उपयोग किया जाता है।

-रसोनबटी

-लक्ष्मी विलासरस

-ब्रह्मादिबटी भी यथास्थान प्रयोग किया जाता है।

धन्यवाद!