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मंगलवार, 9 नवंबर 2021

नजला|छिंकें|जुकाम|प्रतिश्याय है तो क्या करोगे?

 

#नजला,। एलर्जी,। प्रतिश्याम (छिंके आना), ।नाक बंद होना, ।नाशास्त्राव.

#Dr_Virender_Madhan

जुकाम को नजला (Rhinitis या Nasopharyngitis) भी कहते हैं। यह श्वसन तंत्र का संक्रमण के कारण होने वाला रोग है। इसमें व्यक्ति की नाक प्रभावित होती है। सामान्य जुकाम वायरस के संक्रमण के कारण होता है।

अधिक छिंकें आने से कष्ट होता है। अधिक संक्रमण से किसी भी सुगंध या दुर्गंध से भी छिंकें शुरू हो जाती है।कई बार धूल या बाल के नाक मे जाने से छिंकें आती है।

*प्रतिश्याम रोग का निदान व सम्प्राप्ति -

सन्धारणाजीर्वर जोडति भाष्य क्रे द्यर्तुवैषम्यशिरोऽपितापैः।

प्रजागरातिस्वपनाम्बुशीतैरवश्यया मैथुनबाष्पधूमैः।।

संस्व्यादोषे शिरणि प्रवृद्धौ वायुः प्रतिश्याममुदीरयेतु।।

अर्थात:-

मल-मूत्र एवं छींक आदि के वेगों को रोकने से, अजीर्ण होने से, धूल के नाक में जाने से, अधिक बोलने से, अधिक क्रोध करने से, ऋतुओं की विषमता से, शिरःशुल होने से, रात्री जागरण से, अधिक सोने से, ठन्डे जल का उपयोग करने से, ओस के प्रभाव से,अधिक आँसु गिराने से और धुआँ लगने से जब शिर में कफ अधिक संचित हो जाता है तब बढ़कर प्रतिश्याम रोग को उत्पन्न होता हैं।

*प्रतिश्याय के दोषानुसार लक्षण ।

वातज प्रतिश्याम का लक्षण -

वात के कारण होने वाले प्रतिश्याम में नाक में दर्द और सुई चुभाने जैसी पीड़ा, छींक आना, पानी जैसा नाक से स्त्राव होना, शिरःशूल और स्वरभेद होना।


पित्तज प्रतिश्याय का लक्षण -

पित्तज प्रतिश्याय में नासिका का अग्रभाग पक जाता है, ज्वर होता है, मुख सुखता है, प्यास लती है और गरम-गरम पीला द्रव निकलाता हैं।


कफज प्रतिश्याय का लक्षण -

कफज प्रतिश्याय में कास, भोजन में अरूची, गाढे कफ का स्त्रावल होना और नाक में खुजली होना।


सन्निपातजं प्रतिश्याय के लक्षण -

त्रिदोषज प्रतिश्याय या पीनस में तीनों दोषों के जो लक्षण कहे गये हैं, वे सब होते है और इसमें तीव्र पीड़ा होती हैं।


दुष्ट प्रतिश्याम और उसके उपद्रव -

जब प्रतिश्याम रोग की ठीक समय पर उचित चिकित्सा नहीं की जाती है और आहितकर आहार किया जाता है, तब वह उपेक्षित हुआ प्रतिश्याय का रूप धारण कर लेता हैं। उसके बाद उपद्रवस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है। जैसे-छिंके आना, नाक का सुख जाना, प्रतिनाह (नाक का बंद हो जाना), नाक से बहुत पानी निकलते रहना, नाक से सड़न जैसी दुर्गन्ध आना, अपीनस होना (सदैव सर्दी जुकाम बना रहना) नाक का पकना, नाक में सुजन आना, नाक में ग्रन्थि बनना, नाक में पूय जमा होना, नाक से रक्त आना, नाक में छोटी फुन्सियाँ होना, शिर, कान और आँख के रोगों का होना, शिर के बालों का झड़ना (खालित्य), पालित्य(शिर के बालों का सफेद होना, प्यास लगना, दम फूलाना, खाँसी आना, ज्वर होना, रक्तपित्त रोग होना, स्वर भेद होना और राज्यक्षमा होना-ये उपद्रव होते हैं।


दृष्ट प्रतिश्याम के प्रकार -

1. यवथू 2. नाशाशोथ 3. प्रतिनाह 4. परिस्ताव 5. पूतिनस्य 6. अपीनस्य 7. नाशापक 8. नाशाशोथ 9. नाशार्बुद 10. पूयरस 11. अंरूषिका 12. दीप्त


#पुराना जुकाम और नजला के लक्षण

 - बार बार छीके आना । 

 - नाक में से पानी बहना , नाक बंद रहना , नाक में मास बढ़ना 

- गले में रेशा रहना । 

 - सर दर्द रहना । 

 - गला भी खराब हो जाता है और एक - दो दिन तक लगातार नाक से निकलने वाले बलगम गले के नीचे उतर कर कफ बन जाता है जो खांसी का कारण बनता है ।

#आयुर्वेदिक चिकित्सा कैसे करें?

* बेनसीप सीरप (गुरु फार्मास्युटिकल) या

*बेनकफ सीरप - 1से 2 चम्मच दिन में 2-3 बार लें।

*लक्ष्मी विलासरस नारदीय 1से 2 दिन में 3बार ले।

* संजीवनी वटी 1-2 गोली दिन में 2-3 बार लें।

*गोदंती मिश्रण का प्रयोग करें।

* रोजाना एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करे। ... 

* दूध में हल्दी और शिलाजीत डालकर रोजाना पिएं।

* गुरु आयुर्वेदिक चाय पीयें।


#घरेलू ईलाज क्या है ?

- सबसे पहले रोग को उत्पन्न करने वाले कारणों को दूर करें। कफवर्द्धक, मधुर, शीतल, पचने में भारी पदार्थ न खाएं। दिन में सोने, ठंडी हवा का झोंका सीधे शरीर पर आने देने आदि से दूर रहें। पचने में हल्का, गर्म और रूखा आहार लें। सौंठ, तुलसी, अदरक, बैंगन, दूध, तोरई, हल्दी, मेथी दाना, लहसुन, प्याज आदि सेवनीय चीजें हैं। सोंठ के एक चम्मच को चार कप पानी में पका कर बनाया गया काढ़ा दिन में 3 -4 बार पीना लाभदायक है।

- सामावस्था में लंघन कराये,

- सहने योग्य अधिकतम उष्ण जल अधिकतम मात्रा में बारम्बार पिलायें। 

- अधिकतम उष्ण जल का सेवन करें। 

- अदरक का सेवन करें। -

- सिर की पीड़ा में दालचीनी व लंवण में से किसी एक का या दोनों का लेप करें। 

-पक्व प्रतिश्याय में छींक लाये।  - सिर पर तेल रखें। 

- पसीना लाये। 

- कटु पदार्थ आदि, सोंठ, हिंगु आदि से युक्त लघु भोजन करें।

- सुखे चने व कलौंजी को रगड कर कपडें मे बांधकर बार बार सुंघाने से.आराम मिलता है।

- सुहागे को तवे पर फुला कर चूर्ण बना लें। नजला-जुकाम होने पर गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से पहले ही दिन, या ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों में जुकाम ठीक हो जाएगा।

- काली मिर्च और बताशे पाव भर जल में पकावें। चौथाई रहने पर इसे गरमागरम पी लें। प्रातः खाली पेट और रात को सोते समय तीन दिन उपयोग करें। नजला-जुकाम से राहत मिलेगी।

- 5 ग्राम अदरक के रस में 5 ग्राम तुलसी का रस मिला कर 10 ग्राम शहद से लें।

- काली मिर्च को दूध में पका कर सुबह-शाम पीएं।

 अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल कर पीएं।

- षडबिंदु तेल की 4-4 बूंदे दोनों नथुनों में टपकाने से शीघ्र ही सिर के विकार नष्ट हो जाते हैं।

- गर्म दूध के साथ सौंठ का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें।

- दिन में 2 बार अनार, या संतरे के छिलकों को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- चूने के पानी में गुड़ घोल कर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- दो ग्राम मुलहठी चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 बार चाटने से जुकाम ठीक होता है।

#नजले मे जीवनशैली कैसी हो?

* कभी सर्द गर्म न होने दे ठंड से गर्म और गर्म से ठंड मे यकायक न जाये।

* ठंडा चिल्ड , फ्रिज का ठंडा, कोल्डड्रिंक, आदि से बचे।

* दिन मे सोने से बचे।

ठंड मे सिर को ढककर रखें।

* विषेशकर बदलते मौसम मे सावधान रहें।

* कफ बर्द्धक आहार जैसे दही आदि न ले।

*प्रतिदिन शरीर की मालिस करें।

<डा०वीरेंद्र मढान>


2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रतिश्याय के 4 प्रकार ।
    सबकी चिकित्सा एक ????
    बात कुछ जमी नही ।
    वात में वातनाशक , पित्त में पित्त नाशक और कफ में कफ नाशक चिकित्सा की जाती है ।
    पित्त में संजीविनी कैसे दें सकतें है ??

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