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गुरुवार, 18 नवंबर 2021

#हिचकी क्यों आती है? In.hindi.

 #हिचकी[हिक्का] <Hiccup> [Hiccough]



By:- Dr. Virender Madhan.

{हिचकी तब नही आती जब हमें कोई याद करता है।

<< हिचकी तब नही आती जब कोई गाली देता है।

हिचकी तब आती है जब शरीर में कोई विकृति होती है।}

* प्राण वायु और उदान वायु कुपित होकर। बार बार ऊपर की ओर जाती है इससे हिक्- हिक् शब्द के साथ वायु निकलती रहती है।

#हिचकी क्यों आती है?

सुश्रुत संहिता के अनुसार:-

आमदोष छाती आदि मे चोट लगना,क्षयरोग की पीडा मे, बिषम भोजन करने में, भोजन पर भोजन करने से,यानि भोजन के पचने से पहले ही दुसरी बार भोजन कर लेने से हिक्का रोग हो जाता है।दाहक भोजन करने से,भारी,अफारा करनेवाला, अभिष्यंदी पदार्थ खाने से, शीतल जल व शीतल भोजन करने से, गरमी से, गर्म हवा में घूमने से,अधिक बोझा उठाने से, उपवास, व्रत करने से, मल-मूत्र आदि वेगो को रोकने से मनुष्य को हिक्का, श्वास, कास आदि रोग हो जाते है।

* हिचकी क्यों आती है- हिचकी आने की कई वजहें हो सकती हैं, इसमें कुछ शारीरिक होती हैं तो कुछ मानसिक. ऐसा इसलिए होता है कि तंत्रिका में आई दिक्कत दिमाग और डायाफ्राम से जुड़ी है. बहुत ज्यादा और जल्दी खाने की वजह से भी हिचकी आती है. ज्यादा नर्वस या उत्साहित होने, कार्बोनेटेड ड्रिंक या बहुत अधिक शराब पीने से भी हिचकी आती है.

* हिचकी आने का सबसे बड़ा कारण पेट और फेफड़े के बीच स्थित डायफ्राम और पसलियों की मांसपेशी में संकुचन है। डायफ्राम के सिकुड़न से फेफड़ा तेजी से हवा खींचने लगता है, जिसकी वजह से किसी को भी हिचकी आ सकती है। इसके अलावा खाना खाने या गैस के चलते पेट बहुत ज्यादा भरा हुआ महसूस होता है तब भी हिचकी आ सकती है।

हिक्का के भेद :-

१-अन्नजा-

स्वस्थ व्यक्ति के अनापशनाप खाने से होता है।अन्नजा हिक्का मे चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है कुछ देर बाद स्वम् शांत हो जाता है।

२-यमला:-

जिस रूक रुक कर २-२हिचकी आती है यह सिर और गर्दन को कपकपा देती है।यमला का अर्थ है दो-दो।यह कष्टसाध्य होती है।इसके साथ प्रदाह,दाह,प्यास,मुर्छा आती है जो रोगी के लिये घातक होती है।

३-क्षुद्र

जो हिचकी कण्ठ व हृदय के बीच स्थान मे उत्पन्न होती है मन्द वेग से और देर से निकलती है।हिचकी धीरे धीरे उठती है।

४-गम्भीर

यह हिक्का नाभि प्रदेश से उठती है ।इसमे प्यास, श्वास, व पसलियों मे दर्द होता है।रोगों के कारण भी उत्पन्न होती है जीवन के अंत मे गम्भीर हिक्का रोगी का अंत कर देती है।

५-महती

इसमे वस्ति,हृदय आदि मर्म सभी पीडित होते है।यह हिक्का लगातार होती है सारे शरीर मे पीडा होती है।यह हिक्का भी मृत्यु का कारण बन जाती है।

#आयुर्वेदिक चिकित्सा:-

आयुर्वेदिक पेटेंट औषघियों

* मुकोजाईम सीरप ( गुरु फार्मास्युटिकल)
* गैंस्ट्रो चूर्ण
* स्वादिष्ट पाचन चूर्ण (गुरु फार्मास्युटिकल )

शास्त्रीय योग

चन्द्रसूर रस,पिप्पल्यादि लौह , हिंस्राद्ध धृत, अष्टादशांग क्वाथ, द्राक्षारिष्ट तथा आंवले के मुरब्बे की चासनी आदि के प्रयोग से हिक्का मे लाभ मिलता है।

<<घरेलू नुस्खे>>

#अनुभुत प्रयोग -

* आंंवला व कैंथ का रस शहद मे मिला कर दिन में २-३ बार देने से आराम मिल जाता है।
* तेज गर्म दूध में घी मिलाकर गर्म गर्म पी से आराम मिलता है।
* भोजन के बाद अगर हिचकी आये तो अजमोदा चूसे।
*पीपल और मिश्री मिला कर दिन में दो बार लेने से हिचकी दूर हो जाती है।
* सौठं का चूर्ण शहद मे मिला कर दिन में दो तीन बार चाटें।
* गिलोय और सौंठ के चूर्ण को सुंघाने से हिक्का शांत हो जाता है।
* पोदिने के पत्तों को बूरे के साथ चबाने से हिचकी बन्द हो जाती है।
* मोर के चंदो की भस्म शहद से चाटने से आराम हो जाता है।
* सूखी मूली का काढा बना कर पीने श्वास और हिचकी मे आराम हो जाता है।
* नारियल की जटा की राख पानी मे धोल कर छानकर पीने से आराम हो जाता है।
* पीपल के वृक्ष की छाल की राख भी पानी में धोलकर छान कर पीयें।

#हिचकी है तो क्या करें क्या न करें ?

पथ्य:-

- तैल मालिस [अभ्यंग] कराकर स्वेदन करें।
- निन्द्रा , स्निग्ध आहारो का सेवन, सुपाच्य पदार्थो का सेवन ,पुराना गेहूँ, कुलथी , सांठीं चावल , जौ , लहसुन ,परवल ,कच्ची मूली ,काली तुलसी , गर्म पानी , बिरोजा नींबू , वातकफ नाशक ,आश्चर्य जनक दृश्य देखना , प्राणायाम करना 
हिचकी के रोगी को लाभप्रद है।

अपथ्य:-

अपान वायु, मल,मूत्र, डकार, खांंसी , आदि अधारणीय वेगोंं को रोकना नही चाहिए।धुल ,धुप,अधिक श्रम , विरुद्ध आहार, कब्ज करने वाले पदार्थ, कफ बर्द्धक ,आलू आदि कन्द फ्राईड चीजों को त्याग देना चाहिए।

#Dr.Virender Madhan.




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