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बुधवार, 24 नवंबर 2021

#क्रोध या गुस्सा ?आयुर्वेद.In hindi.


 #क्रोध या गुस्सा ?In hindi.

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#Dr.Virender_Madhan

**क्रोध के पर्यायवाचीक्या है?

1.  anger

2. rage

3. fury

4. indignation

5. ire

6. furor

7. dander

8. displeasure

9. resentment

10. indignity

11. furore

12. bate

13. muck

14. malice

15. virulence

16. despite

17. dudgeon

18. spunk

19. ragging

20. flame

21.Krodh

22.Kop

आदि नामों से जाना जाता है "गुस्सा" शब्द भी आमतौर पर क्रोध के लिए प्रयोग किया जाता है लेकिन गुस्सा एक अलग भावना है यह जानकर शायद आपको अजीब लगेगा।

आगे हम क्रोध और गुस्से मे अन्तर बतायेगें।


#क्रोध किसे कहते है?


"क्रोध ,काम (इच्छाओं)की संतान है। काम यानि इच्छाओं की विफलता के भय से विफलता से पुर्व अहंकार के द्वारा क्रोध उत्पन्न होता है।”


*क्रोध या गुस्सा एक भावना है। शरीर पर क्रोध करने/होने पर *हृदय की गति बढ़ जाती है; *रक्त चाप बढ़ जाता है।

*प्यास बढ जाती है।

*शरीर का तापमान बढ जाता है।

यह किसी वस्तु या अधिकार के खो जाने के भय से उपज सकता है। भय व्यवहार में स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है वह वस्तु या अहंकार की रक्षा हेतु प्रतिक्रिया [क्रोध] करता है।


#आयुर्वेद मे क्रोध के क्या कारण हो सकते है?

जब पित्त दोष या शरीर की अग्नि ऊर्जा बढ़ जाती है। पित्त सही समझ और निर्णय लेने के लिए जरूरी है, लेकिन जब यह संतुलन से बाहर होता है, तो वह गलत निर्णय लेने लगता है, जिससे क्रोध का भाव उत्पन्न होता है।

गुस्सा या क्रोध एक ऐसी भावना है, जिसमें प्रतिक्रिया करना, समझना और सबसे महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रण में लाना मुश्किल है। गुस्से के मूल कारणों को समझना थोड़ा

मुश्किल है। 

जब हम गुस्से में होते हैं, तो अक्सर दूसरों की हर बात गलत ही लगती है। जो लोग अधिक गुस्सा करते हैं, वे किसी की भी सुनना नहीं चाहते। ऐसी आदत अक्सर शर्मिंदगी का कारण बनती है।

श्री नानक देव जी कहते है-

*हिंसा, मोह, लोभ और क्रोध,"  ,

 " आग की चार नदियों की तरह हैं; जो उनमें गिरते हैं, वे जलते हैं, और केवल भगवान की कृपा से ही तैर सकते हैं" (जीजी, 147)। 

 श्री गुरु नानक देव जी कहते हैं, "काम और क्रोध शरीर को भंग कर देते हैं जैसे बोरेक्स सोना पिघला देता है" (जीजी, 932)।

 श्री गुरु अर्जन देव जी , नानक वी, इन शब्दों में jक्रोध की निंदा करते हैं: "हे क्रोध, आप पापी पुरुषों को गुलाम बनाते हैं और फिर एक बंदर की तरह उनके चारों ओर घूमते हैं।"

श्री गुरु राम दास जी , नानक चतुर्थ, चेतावनी देते हैं: "उन लोगों के पास मत जाओ जो अनियंत्रित क्रोध से ग्रस्त हैं" (जीजी, 40) 


#गुस्सा और क्रोध में क्या अन्तर  है?


(1) गुस्सा क्षणिक होता है और 

* क्रोध अंतराल पर होता है।

(2) गुस्सा कभी भी विनाशकारी नहीं होता।

* क्रोध हमेशा विनाशकारी होता है।

(3) क्रोध से इंसान आग बबूला हो जाता है व्यक्ति उछलता नाचता है।

* जब कि गुस्से में नहीं होता।

(4) गुस्सा आने के बाद जब चला जाता है तो पश्चाताप होता है, 

* जब कि क्रोध में नहीं होता।

(5) गुस्सा केवल मिथ्या वचनों से या मिथ्या बातों से आता है तो वह अपने शरीर पर प्रभाव नहीं डालता, 

* जब कि क्रोध अहंकार के कारण आता है और अपने शरीर को भी ज्यादा प्रभावित करता है।

(6) गुस्से पर नियंत्रण पाना आसान है, 

* जब कि क्रोध पर नियंत्रण पाना ही कठिन होता है।

खास तौर पर जब हम अपने किसी परिवारजनों पर जोर से चिल्लाते है तो वह गुस्सा होता है क्रोध नहीं। 

क्रोध होता तो आप तब के बाद उनके साथ रह नहीं पाते। जैसा कि बताया, गुस्सा क्षणिक होता है वैसे ही कभी कभी जिससे हम प्यार या प्रेम करते है उन पर भी गुस्सा ही आता है क्रोध कभी नहीं आता। वरना जीवनसाथी के साथ नहीं रह सकते। 

*क्रोध के साथ जीना अत्यंत कठिन हो जाता है किन्तु गुस्से के साथ इंसान रह सकता है। इसीलिए तो संत जब चिल्लाते है तो वह गुस्सा होते है क्रोधित तो वह कभी नहीं होते। 

यहां पर में असली संत की बात कर रहा हूं। भगवान् श्रीकृष्ण ने भी कई बार गुस्सा किया है। अपने मामा कंस पर, शिशुपाल पर, जरासंध पर, अश्वत्थामा पर इत्यादि कई प्रसंग ऐसे बताए गए है जहां पर भगवान् श्रीकृष्ण ने क्रोध किया है किन्तु वह एक शब्द का इस्तेमाल करने के लिए है, इसका मतलब क्रोध से तो कतई नहीं है। कैसे भी स्थिति में किसी भी परिस्थिति में जो क्रोध को नियंत्रित कर लेता है वहीं ईश्वर को प्राप्त करता है

 यह बात कई जगह शास्त्रों में लिखी है। तो सोचो अगर क्रोध को नियंत्रित करने से परमात्मा मिल जाता है तो क्या खुद परमात्मा क्या क्रोध कर सकता है? 


#क्रोध शांत करने के उपाय क्या है?

*आयुर्वेद के अनुसार क्रोध को शांत करने के  तरीके। 

इसमें उपलब्ध खाद्य पदार्थ और पेय के साथ कुछ सरल अभ्यास शामिल हैं। 

> क्रोध तब होता है, जब पित्त दोष या शरीर की अग्नि ऊर्जा बढ़ जाती है।  सही समझ और निर्णय के लिए आवश्यक है, लेकिन जब यह परेशान हो जाता है या संतुलन से बाहर होता है, तो वह गलतफहमी और गलत निर्णय लेने लगता है।

>> गुस्से को नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक आहार

*डॉ. लाड ने अपनी किताब में एक पूरे अध्याय को 'पित्त-शांततापूर्ण आहार' के रूप में चिह्नित करने के लिए समर्पित किया है, जिसमें उस भोजन से दूर रहने की सलाह दी गई है,

 *जो शरीर में गर्मी उत्पन्न करते हैं। इसमें गर्म, मसालेदार और किण्वित पदार्थ (Fermented substance) शामिल हैं। 

*सात्विक आहार का सेवन करें।

*पित को शांत करने के उपाय करें।

*जब तक की पित्त शांत न हो जाए, जब तक उन्होंने नींबू और खट्टे फलों से परहेज करें।

*तेज मिर्च मसाले, लहसुन जैसे गर्म मसाले क्रोध को बढाते है?

*गुस्से में होने पर सरल, नरम और ठंडे खाद्य पदार्थों के लेने की सलाह दी जाती है। 

*इस दौरान शराब एवं कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों और पेय से दूर रहना चाहिए। 


*विशेष रूप से अधिक गुस्सा करने वालों को दो पेय पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। ये पित्त को शांत करते हैं।

1 तुलसी गुलाब टी

इस चाय को तैयार करने के लिए थोड़ी सी चंदन, तुलसी और थोड़ा सा गुलाब का चूर्ण लें। एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच इस मिश्रण को मिलाने के बाद कुछ समय के लिए रख दें ताकि पानी ठंडा हो जाए। इस चाय को दिन में तीन बार पीने से पित्त संबंधी पीड़ा शांत होती है।


*जीरा, फेनल सीड्स, चंदन द्राक्षा का क्वाथ बनाकर ले।

* अंगूर के रस,या अगुंर खाये।

#जीवनशैली

*सप्ताह मे एक बार मौनव्रत जरुर रखें।

 * सांस के व्यायाम ,प्रणायाम का का अभ्यास डालें।

*ध्यान का अभ्यास करें.ध्यान प्रक्रिया से विचार की सख्या। कम होती है मन शांत रहता है।

*आध्यात्मिक ज्ञान बढाये इससे हमे अपना परिचय मिलता है कि हम कौन है जान जाते है जग मिथ्या है 

याद रखें -काम,क्रोध हमे ही नष्ट करते है।

<Dr_virender_madhan.>


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