Guru Ayurveda

मंगलवार, 2 नवंबर 2021

#दूध किसे पीना चाहिए?दूध से किसे होगी हानि ? In hindi.


 

#दुध पीने योग्य व्यक्ति ?

[Dr.Virender Madhan]


*ऋषि वांग्डभट के ग्रंथ अष्टांग संग्रह के अध्याय -2 ज्वर प्रकरण मे वर्णन है कि कौन व्यक्ति या रोगी दूध पी सकते है और कौन नही पी सकते है।

<< किन किन व्यक्ति या रोगी की दूध लाभदायक है किन को करता है हानि?

* जिस व्यक्ति को दूध सात्मय है यानि लगातार दुध पीने की आदत हो ।
*जिस व्यक्ति का कफ दोष क्षीण (कम ) हो गया हो उसे दूध पीना चाहिए।
*जो रोगी दाह, प्यास से पीडित रहता हो वह दूग्ध पान योग्य होता है।
*जो व्यक्ति पित व वात रोगों से ( अम्लपित्त, दाह ,जलन, शरीर दर्द, जोड दर्द, अधरंग,आदि) पीडित रहता हो उसे दूध पीना चाहिए।
*अतिसार मे भी दूध पथ्य है यानि दूध पीना चाहिए।
*लंघन व उपवास जो रोगी तप्त हो उसे दूध अवश्य पीना चाहिए उसके लि दूध जीवन देने वाला होता है।
*ज्वर आदि मे दूध को पिप्पली आदि से सिद्व कर पीना चाहिए।अथवा दोष के आधार पर सिध्द करके देना चाहिए।

रोगानुसार:-

→मलेरिया , सुखी खाँसी, ज्वर ,बवासीर, शारिरिक कमजोरी ,दुर्बलता, दाह , मिर्गी ,वातरोग ,अपस्मार आदि रोग से ग्रस्त व्यक्ति को दूध अवश्य पीना चाहिये।
अधिकतर रोगों के लिए शास्त्रों में संस्कृत (सिद्ध) दूध देने का वर्णन मिलता है ।

#किस व्यक्ति को दूध का प्रयोग नही करना चाहिए?

*जिन व्यक्ति को दूध से अर्जूनता (एलर्जी) होती है वैसे एसे व्यक्ति बहुत ही कम है।
*जिन्होंने मछली खाई है या मुली खाई हो उन्हें दूध नहीं पीना चाहिये।
*जिनका कफ दोष बढा या बिगडा हो।
*नवीन ज्वर मे दूग्ध अपथ्य है।
*प्रवाहिका मे भी हानिकारक हो सकता है।
*अत्यधिक भुखा केवल दूध नही ले सकता भारी पड सकता है।
*खट्टे फल खा कर दूध पीना निषेध है हानिकारक होता है।

#संस्कृत दूग्ध किसे कहते है और इसके क्या लाभ है?

जब दूध मे सौंठ, खजुर, द्राक्षा , शर्करा , धी आदि के साथ पका देते है उस दूध को संस्कृत दूग्ध या सिद्ध दूध कहते है।

सिद्ध दूध के गुण:-

-दूध को मधु मिलाकर देने.से प्यास ,दाह, व ज्वरनाशक हो जाता है।
(ध्यान दे:-मधू को अधिक उष्ण दूध के साथ नही दिया जाता है ) 
*इसीप्रकार  द्राक्षा , बला , मुलहठी , सारिवा , पिप्पली ,चंदन । आदि को चार गुणा जल मिलाकर पकाया हुआ दूध -- प्यास ,दाह ,ज्वरनाशक होता है।
इसके पीते समय शर्करा , मधू मिलाकर लेते है।
* बिल्वादि पंचमुल से सिद्ध दूध --ज्वर ,कास ,श्वास ,सिरशूल ,पार्श्वशुल ,एवं दीर्धकालीन ज्वर छूट जाते है ।
*एरण्ड मूल , या कच्चे बेल से सिद्ध दूध से मनुष्य का रूका हुआ मल, वायु वाले ( वायज्वर) ठीक हो जाते है प्यास , शुल और प्रवाहिका वाले ज्वर से मुक्त हो जाते है।
* सौंठ ,बला ,कटेरी, गोखरु , गुड से सिध्द दूध से --- शोफ ,मूत्र ,मल और वायु के विबन्ध , ज्वर ,एवं कास का नाश हो जाता है।
* पुनर्नवा से सिध्द दूध से ज्वर ,शोथ नष्ट हो जाते है।
आदि आदि।
ये सब प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेंं।
दूध से सम्बंधित ये विचार मेरे नही है महऋषि वांग्डभट के है।
आयुर्वेद मे इनके द्वारा बतायें गये सभी प्रयोग फलदायक होते है यह मै गर्व के साथ कह सकता हूँ।

#आयुर्वेद अपनायें जीवन स्वस्थ बनायेंं।।

आपको लेख कैसा लगा कोमेंट मे बताये ।
धन्यवाद!

#DrVirenderMadhan.




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें