#क्या है नेजल पोलिप [Nasal polipus]
By:- <#Dr_Virender_Madhan.
नाक व साइनस की श्लेष्मा फूलकर रसौली की तरह गांठ बन जाती है जिसमें द्रव्य बढऩे पर यह फूलने लगती है। ऐसा नाक के एक या दोनों तरफ हो सकता है,
नाक के भीतर नेजल पैसेज या साइनस में कोमल, बिना दर्द वाली, गैर कैंसर वाली गांठ को नेजल पॉलिप्स कहा जाता है। अस्थमा, इंफेक्शन के दोबारा होने, एलर्जी, दवा के प्रति संवेदनशीलता या कुछ इम्यून सिस्टम की बीमारियों की वजह से नेजल पॉलिप्स (मस्सा)होती है।
नाक में मस्सा (Nasal polyps) होना किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकता है। नाक में मस्सा होने के कारण कुछ लोगों को सिरदर्द होता है या उन्हें गंध आना कम हो जाता है। वहीं कुछ लोगों को कुछ महसूस ही नहीं होता है।
कारण :- इस रोग का प्रमुख कारण वातादि दोषो के विकृत होने से,लगातार जुकाम रहने से अर्श बन जाता है।
लक्षण
- नाक बन्द होना।
- छिंकें आना।
- नाक बहते रहना।
- सिर दर्द रहना।
- सांस लेने मे परेशानी होना
- सांस मे दुर्गंध आना पोलिपस के लक्षण है।
#आयुर्वेदिक चिकित्सा -
*लक्ष्मीविलासरस - १ से २ गोली दिन में ३बार लें।
*अग्निकुमार रस - १-२ गोली दिन में ३बार लें।
* आन्नदभैरव रस १-२ गोली दिन में २-३ बार लें।
*हरितिकी पाक-
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गोक्षुर चूर्ण 500 ग्राम
गुड 20 कि०
हरितिकी 12 कि०
सोठं 748 ग्राम.
इनका गुडपाक कर के रख ले 6 से 10 ग्राम. प्रतिदिन खाये।
* नस्य-
- षडबिन्दू तैल या
- अणु तैल को नाक मे १-३ बूंद दिन में दो या तीन बार डाले।
- त्रिकटु चूर्ण का कषाय बनाकर 3-4 बूंद नाक मे डालें।
- बादाम रोगन की 2-3 बूंदें नाक मे डालने से आराम मिलता है।
<< घरेलू ईलाज-
- सबसे पहले रोग को उत्पन्न करने वाले कारणों को दूर करें। कफवर्द्धक, मधुर, शीतल, पचने में भारी पदार्थ न खाएं। दिन में सोने, ठंडी हवा का झोंका सीधे शरीर पर आने देने आदि से दूर रहें। पचने में हल्का, गर्म और रूखा आहार लें। सौंठ, तुलसी, अदरक, बैंगन, दूध, तोरई, हल्दी, मेथी दाना, लहसुन, प्याज आदि सेवनीय चीजें हैं। सोंठ के एक चम्मच को चार कप पानी में पका कर बनाया गया काढ़ा दिन में 3 -4 बार पीना लाभदायक है
< 5 बादाम 5 काली मिर्च रोज चबाकर खाएं या पेस्ट बनाकर शहद से मिलाकर खायें ।
गुरु आयुर्वेदिक चाय [ हर्बल टी ] रोज पीयें।
#पोलिपस है तो जीवनशैली कैसी हो?
* कभी सर्द गर्म न होने दे ठंड से गर्म और गर्म से ठंड मे यकायक न जाये।
* ठंडा चिल्ड , फ्रिज का ठंडा, कोल्डड्रिंक, आदि से बचे।
* दिन मे सोने से बचे।
ठंड मे सिर को ढककर रखें।
* विषेशकर बदलते मौसम मे सावधान रहें।
* कफ बर्द्धक आहार जैसे दही आदि न ले।
*प्रतिदिन शरीर की मालिस करें।
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