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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

मिर्गी के दौरे कैसे ठीक करें, कैसे मिर्गी को पहचाने.हिंदी में



 मिर्गी के दौरे कैसे ठीक करें, कैसे मिर्गी को पहचाने.हिंदी में.

अपस्मार का क्या अर्थ है?



अपस्मार या मिर्गी 

(वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) नामो से जाने वाला रोग है।

मिर्गी|Epilepsy

Dr.VirenderMadhan.

- यह एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है। 


-जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।

- मरीज को दौरे पड़ते हैं और वह बहुत बार बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ता है या अनकंट्रोल हो जाता है और कई  बार मरीज का पेशाब भी निकल जाता है।

- कभी कभी मिर्गी के मरीज असामान्य व्यवहार करने लगते।

#मिर्गी की बीमारी क्यों होती है?

मिर्गी के कारण (Causes of Epilepsy in Hindi)

- युवा अवस्था में हेड इंजूरी के कारण भी मिर्गीके दौरे पड़ते हैं। वहीं, अधिक उम्र में स्ट्रोक के कारण मिर्गी के दौरे पड़ने की आशंका रहती है।

-  संक्रामक रोग :- मेनिन्जाइटिस, एड्स, वायरल इन्सेफेलाइटिस भी मिर्गी के दौरे के कारण बन सकते हैं। 


-दिमागी बुखार या दिमाग में कीड़े की गांठ बनना आदि कारणों से हो सकता है।

- आनुवंशिक कारण

- सिर पर घातक चोट लगना

- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट होना

- एड्स

- मेनिन्जाइटिस

- संवहनी रोग

- जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट लगना

- मनोभ्रंश या अल्जाइमर रोग

#Symptoms of Epilepsy in Hindi – 

#एपिलेप्सी या मिर्गी के लक्षण:-

- ब्लैकआउट, या मेमोरी लोस होना

- कुछ अंतराल पर बेहोश होना, -- जिसके दौरान बोवेल या ब्लैडर का नियंत्रण खो जाता है,

-  साथ ही थकावट होना

- एक छोटे अंतराल के लिए, कुछ भी याद न रहना

- बिना किसी कारण स्तब्ध रह जाना

#मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेद के 10 अनुभूत व चमत्कारी योग:-

- ब्रह्मी, शंख पुष्पी, वंशलोचन, मुलेठी, अश्वगंधा आदि मिर्गी की समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर। पीपल, बरगद की जटा का काढ़ा पिएं। इससे लाभ मिलेगा।

- मालकांगनी, सौठ,और असगंध तीनों का समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना कर रखलें। उसमें से 5-5 ग्राम दवा गौदूध के साथ लगातार कुछ दिन लेने से अपस्मार और उन्माद ठीक हो जाते है।

एक वर्ष तक लेने से वलीपलित का नाश ह़ जाता है यानि सफेद बाल भी काले हो जाते है।तथा मनुष्य युवा की तरह दीर्घायु होता है। यह दिव्य औषध है।

- ब्राह्मी का रस 6 ग्राम, शहद 6 ग्राम दोनों को मिलाकर पीने से हर प्रकार की मृगी ठीक हो जाती है।

- मालकांगनी का तैल 5-10 बूंद मक्खन या मलाई मे मिलाकर खिलाने से वातज पागलपन, भुलक्कड़पन, दिमाग की कमजोरी तथा मृगी रोग ठीक हो जाता है। इस तैल की सिर पर मालिस भी करें।

-रीठे का छिलका बारीक पीसकर पाउडर बना कर प्रतिदिन नस्य (नसवार)देने से मृगी ठीक हो जाती है।



- आक,(अकवन,आकौडा,आका,अर्क मदार)का दूध 4-7 बूंद पांव के तलवों मे मले यह 40 दिनों तक करना है।

इन 40 दिनों तक पैरों में पानी नही लगना चाहिए.स्नान के समय पैरों में कुछ बांध ले ताकि पैर के तलवों पर पानी न लगे।

- वच का चूर्ण चौथाई ग्राम (250मि०ग्राम) प्रति दिन शहद के साथ मिलाकर चटायें।यह प्रयोग 40 दिनों तक करें.

- पलाश की जड पानी में पीसकर नाक मे 3-4 बूंदें टपकायें मृगी नष्ट हो जायेगी।

-करेले के पत्ते 5,काली मिर्च 3, लहसुन की कली 1--इन सबको एक साथ पीसकर इनका रस निकालें ,2-2 बूंदें नाक के नथुनों मे टपकायें। मृगी का दर निःसंदेह समाप्त हो जाता है।यह सैकड़ों बार अनुभूत एवं चमत्कारी योग है।

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