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शनिवार, 29 जुलाई 2023

सर्दी जुकाम क्यों होता है?

 सर्दी जुकाम क्यों होता है?

सर्दी जुकाम के कारण

#साधारण सर्दी जुकाम के कारण:-

साधारण सर्दी और जुकाम के कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

* वायुमंडलीय संक्रमण:– वायुमंडल में विषाणु और बैक्टीरिया हो सकते हैं, जिनसे ये संक्रमण होता है.

* रिलेटेड विकार:– 

सर्दी जुकाम के कई बार विकारों जैसे कि नाक की पट्टी में सूजन या फेफड़ों में इन्फेक्शन से भी हो सकता है.

* मौसम के परिवर्तन:–

 मौसम के बदलने पर भी ये समस्या हो सकती है.

* अलर्जी:–

 धूल, पोल्यूशन, या किसी खास चीज़ से अलर्जी होने पर भी सर्दी जुकाम हो सकता है.

यदि आपको लंबे समय से सर्दी जुकाम हो रहा है, तो एक चिकित्सक से परामर्श करना सुझावित है


** विशेष आहार:–

 अधिक ठंडे या ठंडे आहार का सेवन करने से भी सर्दी जुकाम हो सकता है।

* निमोनिया वायरस:–

 कई बार सर्दी जुकाम का कारण निमोनिया वायरस के संक्रमण से भी हो सकता है।

* धूल और धुआं:–

 धूल और धुआं में मौजूद तत्व सर्दी और जुकाम को बढ़ा सकते हैं।

* धूप या ठंडी हवा:–

 बहुत अधिक धूप में या ठंडी हवा में रहने से भी सर्दी जुकाम हो सकता है।

* विशेष रोगों का संक्रमण:–

 कई बार विशेष रोगों जैसे कि स्वाइन फ्लू या कोरोना वायरस से भी सर्दी जुकाम की समस्या हो सकती है।


यदि सर्दी और जुकाम की समस्या बहुत अधिक हो रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह बेहतर होगा कि आप एक चिकित्सक की सलाह लें और उचित जांच कराएं। साथ ही, योग और सही आहार के साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण होता है।

सर्दी और जुकाम का उपाय,

#सर्दी और जुकाम का घरेलू उपाय

सर्दी और जुकाम का घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं। याद रखें कि ये उपाय सामान्य सर्दी और जुकाम के लिए हैं और यदि समस्या गंभीर है या लंबे समय से चल रही है, तो चिकित्सक की सलाह लेना उचित होगा।

* गरम पानी से भाप लें:–

 गरम पानी में एक चम्मच विकसित हल्दी मिलाकर भाप लेना सर्दी जुकाम के लिए लाभकारी हो सकता है।

* गरम दूध में हल्दी और शहद:–

 रात को सोने से पहले गरम दूध में एक चुटकुली हल्दी और शहद मिलाकर पिएं।

* अदरक और शहद:–

 अदरक के छोटे टुकड़ों को शहद में डुबोकर चुसने से गले की सूजन और खराश कम होती है।

* नमक के गरारे:–

 गरम पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करना गले की समस्या में राहत पहुंचाता है।

*गर्म तेल का मालिश:–

 सर्दी जुकाम के समय गर्म तेल का छोटा मालिश सीने, पीठ, गर्दन और पांवों पर करना राहत प्रदान कर सकता है।

* हरी चाय और शहद:–

 हरी चाय में शहद मिलाकर पीने से गले की सूजन कम हो सकती है।


ध्यान दें कि ये घरेलू उपाय वैद्यकीय उपचार की जगह नहीं ले सकते हैं, और यदि समस्या बिगड़ रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो चिकित्सक की सलाह लेना उचित होगा।

सर्दी जुकाम के समय में सही आहार खाना आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने और शीघ्रता से स्वस्थ होने में मदद कर सकता है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थ सर्दी जुकाम के दौरान आपके लिए उपयुक्त हो सकते हैं'

#सर्दी जुकाम है तो क्या खायें?

* गरम पानी और हर्बल चाय:–

 गरम पानी, तुलसी, अदरक और मुलेठी वाली हर्बल चाय पीना गले की सूजन और खराश में लाभकारी हो सकता है।

* सूप:–

  सब्जियों और मसालों से बनी हल्की सूप पीना गरमागरम सर्दी जुकाम में राहत पहुंचाता है।

* नमकीन घी:–

 गरम चावल खाने के साथ नमकीन घी मिलाकर खाना फेफड़ों को शुद्ध करने में मदद कर सकता है।

* अदरक, लहसुन और हल्दी:–

 अदरक, लहसुन और हल्दी का उपयोग खाने में और दाल खिचड़ी में करना भी लाभकारी होता है।

*विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ:–

 अंगूर, संतरा, नींबू, अमरूद, आंवला आदि में मौजूद विटामिन सी सर्दी जुकाम से लड़ने में सहायक होता है।

* गर्म दूध:–

 गरम दूध में शहद मिलाकर पीना सर्दी जुकाम में लाभकारी होता है।

* प्याज़ और लहसुन:–

 सर्दी जुकाम में प्याज़ और लहसुन का उपयोग करना भी फायदेमंद होता है।


साथ ही, पर्याप्त पानी पिएं और आराम करें। बाजार में उपलब्ध सर्दी जुकाम से राहत प्रदान करने वाले दवाइयों का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

#जुकाम मे सावधानी 

    जुकाम एक सामान्य समस्या होती है जो वायुमंडलीय संक्रमण से होती है। इसके लिए कुछ सावधानियां आपको बरतने चाहिए:

*हाथ धोना:–

 अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोते रहें, खासकर खाना खाने से पहले और जुकाम से प्रभावित होने पर।

*चेहरे को छूने से बचें:–

  जुकाम के समय अपने चेहरे, नाक, और मुंह को छूने से बचें, इससे संक्रमण का फैलना कम होगा।

* टिश्यू पेपर या रूमाल का उपयोग करें:–

 जब आप सांस लेते हैं या छींकते हैं, तो टिश्यू पेपर या रूमाल का उपयोग करें और उसे तुरंत फेंक दें।

* घरेलू सामग्री से उपचार:–

 हल्दी, शहद, अदरक, तुलसी, और नींबू जैसी घरेलू सामग्री का उपयोग करके जुकाम से राहत प्राप्त करें।

* हॉट पैक:–

 जुकाम के समय नाक बंदी और सूजन को कम करने के लिए हॉट पैक का उपयोग कर सकते हैं।

* अपने शरीर की देखभाल करें:–

 पर्याप्त आराम लें, पर्याप्त पानी पिएं, और स्वस्थ आहार खाएं जिसमें विटामिन सी शामिल हो।

* संक्रमण का छः फीट दूरी रखें:–

 जब आप किसी संक्रमण से प्रभावित हों तो अन्य लोगों से दूर रहें, खासकर बच्चों और बूढ़ों से।


जुकाम के लिए अपने शरीर का ध्यान रखने से आप इसे कम समय में सही कर सकते हैं और अन्य लोगों को संक्रमण से बचाएं।

धन्यवाद,

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

चिरायता के क्या फायदे हैं?

चिरायता के क्या फायदे हैं?


चिरायता एक पौधे का नाम है जिसका वैज्ञानिक नाम "Swertia chirayita" है। इस पौधे के बारे में विज्ञान में विभिन्न अध्ययन हुए हैं और इसके कई फायदे हो सकते हैं। यह आयुर्वेदिक और जड़ी-बूटी चिकित्सा में भी प्रयोग होता है। 

चिरायता में सूखापन, गर्म, कड़वापन और तीखापन का गुण मौजूद होने के कारण इसका उपयोग कफ, पित्त और वात में संतुलनल बनाने के लिए भी किया जाता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स, अल्केलॉइड्स और ग्लायकोसाइड्स जैसे झेंथोन्स, चिराटानिन, पालमिटिक एसिड आदि से भरपूर चिरायता में सर्दी-खांसी से लेकर कैंसर को ठीक करने के गुण होते हैं।

यहां कुछ प्रमुख चिरायता के फायदे बताए गए हैं:

** पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार:–

 चिरायता में विशेष रूप से  एन्थेमिक, विषमज्वर और पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के गुण होते हैं।

**बुखार में चिरायता:–

बुखार में चिरायता के पत्ते बड़ा कारगर तरीके से काम करता है। ये रिंग स्टेज पर मलेरियल पैरासाइट के विकास में बाधा डालते हैं और इसलिए संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं। मलेरिया के अलावा, चिरता विभिन्न प्रकार के बुखार के इलाज में मदद करते हैं। यह शरीर के दर्द, सिरदर्द और बुखार के अन्य अंतर्निहित लक्षणों को भी कम करता है।


** एंटीबैक्टीरियल गुण:–

 चिरायता का इस्तेमाल कुछ इंफेक्शन्स और बैक्टीरिया के कारण होने वाली रोगों के इलाज में किया जा सकता है।

** विष का नाश:–

 इससे किसी भी प्रकार के सर्पविष या कीटाणु से लड़ने में मदद मिलती है।

** दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद:–

 चिरायता में विशेष रूप से कृत्रिम हृदय विकारों को दूर करने में मदद करने वाले गुण होते हैं।

** ज्वर के उपचार में उपयोगी:–

 चिरायता का पानी अधिक मात्रा में पिलाने से ज्वर के इलाज में लाभ हो सकता है।

** पेट के कीड़ों का इलाज:–

  यह पेट में होने वाले कीड़ों को नष्ट करने में मदद कर सकता है।

** त्वचा के लिए उपयोगी:–

एंटीऑक्सीडेंट, रोगाणुरोधी और सूजन-रोधी गुणों से भरपूर, चिरायता रक्त शुद्ध करने की गतिविधि प्रदान करता है । तिक्त (कड़वा) स्वाद और पित्त संतुलन गुण के कारण, यह रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और इसलिए त्वचा रोगों को प्रबंधित करने में मदद करता है।

 चिरायता त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे दाद, खाज, और त्वचा के संक्रमण के इलाज में मदद कर सकता है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि चिरायता का सेवन सावधानी से करना चाहिए, और विशेषज्ञ के सलाह के बिना इसका उपयोग न करें। खासकर, गर्भावस्था, स्तनपान काल, या किसी अन्य चिकित्सा स्थिति में इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना अच्छा होता है।

** पेट दर्द के उपचार में उपयोगी:–

 चिरायता में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

** रक्तशोधक और पुरिफायर:–

 चिरायता में रक्तशोधक गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण रक्त में आयरन की मात्रा बढ़ती है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

** आंखों के रोगों का उपचार:–

 चिरायता का नियमित सेवन कुछ आंख संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है।

** मसूड़ों के रोगों का उपचार:–

 इसे मुँह के छालों, मसूड़े संबंधी समस्याओं जैसे ज्वर या रक्त दोष से होने वाले रोगों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

**अल्सर के उपचार:–

   चिरायता के प्रयोग से पेट में होने वाले अल्सर के इलाज में सहायक रह सकता है।


कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी सिर्फ सामान्य जानकारी है और चिरायता का प्रयोग किसी भी चिकित्सा समस्या के इलाज के लिए खुदसे करने से पहले विशेषज्ञ वैद्यकीय सलाह लेना अनिवार्य है। आयुर्वेदिक उपचार और जड़ी-बूटी से संबंधित जानकारी प्राकृतिक तत्वों पर आधारित होती है और इसलिए समझदारी से उपयोग करना चाहिए।

बुधवार, 26 जुलाई 2023

अधिक खट्टे भोजन खाने से कौन सी बीमारी होती है?

 अधिक खट्टे भोजन खाने से कौन सी बीमारी होती है?

अम्ल रस:-



#Dr.Virender Madhan.

अम्ल रस (खट्टा) पृथ्वी और अग्नि महाभूत से बने होते है.

इस रस के प्रयोग से पित्त और कफ बढता है

अधिक खट्टे भोजन का सेवन करने से कई बीमारियां हो सकती हैं। कुछ मुख्य बीमारियां निम्नलिखित हैं:

* अपच:–

 खट्टा भोजन खाने से अपच (डाइजेस्टिव अपनाह) हो सकता है। खाना अच्छे से पच नहीं पाता है, जिससे पेट में गैस, बुखार, असहनीय पेट दर्द और आंतों की समस्याएं हो सकती हैं।


* गैस्ट्राइटिस:–

 अधिक खट्टे भोजन का सेवन गैस्ट्राइटिस (पेट की अंतःशोथ) का कारण बन सकता है, जिससे पेट में जलन, तकलीफ और वायु का बढ़ना हो सकता है।

*अलसर:–

 खट्टा खाने से पेट में अलसर होने की संभावना होती है, जिससे पेट में दर्द, भारीपन, उलटी, और पेट के निचले हिस्से में जलन हो सकती है।


* दांतों की सड़ना:–

 अधिक खट्टा खाने से दांतों की सड़ने की समस्या हो सकती है, क्योंकि खट्टे भोजन से दांतों की मिनरल लेयर घट सकती है।

* रेफ्लक्स बीमारी:–

 अधिक खट्टे भोजन के कारण रेफ्लक्स बीमारी (गले में जलन) हो सकती है, जिसमें खाने का पचन पेट से वापस जल्दी हो जाता है और इससे गले में जलन और तकलीफ होती है।

**अधिक खट्टे भोजन का सेवन बीमारियों के बढ़ने का कारण बन सकता है, इसलिए सेहत के लिए यह उचित नहीं है। संतुलित आहार में अन्य भोजन भी शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे आपके शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं। यदि आपको किसी विशेष बीमारी के लक्षण या समस्या हो तो चिकित्सक से परामर्श करना सुझावित है।


* ओबेसिटी:–

 अधिक खट्टे भोजन के सेवन से शरीर के वजन का बढ़ना और ओबे

सिटी (मोटापा) का खतरा हो सकता है। खट्टा भोजन अधिक कैलोरी का होता है और इससे भूख बढ़ सकती है, जिससे आप ज्यादा खाने लग सकते हैं।

* दिल संबंधी समस्याएं:–

 खट्टे भोजन के अधिक सेवन से दिल संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि उच्च रक्तचाप, दिल की बढ़ी हुई धड़कन, और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बढ़ोतरी।

* अधिक मुख्यता आहार:–

 खट्टे भोजन के अधिक सेवन से अन्य मुख्यता आहारों की कमी हो सकती है, जिससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। इससे विटामिन और मिनरल की कमी होने से विभिन्न पोषण संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

* डेंटल प्रॉब्लम्स:–

 खट्टे भोजन के सेवन से दांतों में कैविटी, दांतों के कीड़े, और मसूड़ों की समस्याएं हो सकती हैं। खट्टे खाने से दांतों का मिनरल लेयर कमजोर होता है और यह आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है।


* इन सभी बीमारियों से बचने के लिए, सेहतपूर्वक और संतुलित आहार का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खट्टे भोजन के सेवन को मध्यम रूप से रखना अच्छा विकल्प होता है और सभी पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाना जरूरी है। सेहत की दृष्टि से आपको विभिन्न खाद्य पदार्थों को संतुलित रूप से शामिल करना चाहिए, जिससे आपके शरीर को सभी पोषक तत्व मिलें और आपकी सेहत अच्छी रहे।


यदि आपको खट्टे भोजन से संबंधित या किसी अन्य स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या का सामना हो रहा है, तो चिकित्सक से परामर्श करना सराहा जाता है। वे आपको सही उपाय और सलाह प्रदान कर सकते हैं।


#किडनी रोगी को टमाटर खाने से क्या होता है?

**किडनी रोगी को टमाटर का सेवन करने से पहले उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि टमाटर में कुछ तत्व होते हैं जो किडनी समस्या वाले व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यहां कुछ बातें हैं जो आपको जानने में मदद कर सकती हैं:

* पोटैशियम:–

 टमाटर अच्छे मात्रा में पोटैशियम युक्त होते हैं, जो किडनी रोगियों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। किडनी समस्या वाले व्यक्ति को पोटैशियम के संबंधित संख्यान वाले आहार का सेवन कम करने के लिए चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।

* टमाटर की ओर से नुकसान:–

 टमाटर में ऑक्सैलिक एसिड होता है, जो किडनी में कई रूप में रूपांतरित हो सकता है और अवसाद का कारण बन सकता है। इससे पहले अधिक टमाटर के सेवन से बचना उचित होता है।

*बढ़ती हुई गर्मी:–

 टमाटर एक गर्म तथा तीखे स्वाद वाला फल होता है, जिसमें लाल रंग और एसिडिक तत्व होते हैं। किडनी समस्या वाले व्यक्ति को बढ़ती हुई गर्मी से बचने के लिए अधिक टमाटर का सेवन कम करना उचित हो सकता है।


फिर भी, यह सुझाव किया जाता है कि आप किसी प्रमाणित वैद्यकीय विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनसे अपने विशिष्ट स्थिति के अनुसार टमाटर और अन्य आहार से संबंधित सलाह लें। उन्हें आपकी मेडिकल हिस्ट्री, प्रकृति और स्थिति के आधार पर आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी।

धन्यवाद!

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

पुदीने से करें रामबाण उपाय.

 पुदीने से करें रामबाण उपाय.



पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.

Dr.VirenderMadhan.

#पुदीना क्या है?

पुदीना, मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

#पुदीनेके नाम:-

पुदीने को मेंथा एवरैसिस, मेन्था-स्पाइकेटा, स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

संघटन:-

*पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं।

#पुदीना का आयुर्वेदानुसार उपयोग क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना  कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

#पुदीना के अन्य लाभ:-

 - पुदीना की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में पुदीने की चटनी,जलजीरा, शरबत के रुप मे इसका सेवन करते है।

 इसका प्रयोग औषधि के रूप में ही नहीं, बल्कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। पेटदर्द, एसिडिटी, बदहजमी जैसी समस्याओं का चुटकी में इलाज करती है। 

* पुदीना पाचन शक्ति सुधारता है।

- पुदीना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं। इस पौधे में मेन्थॉल होता है, जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन  करता है। 

- पुदीना के सेवन से गैस की समस्या दूर होती है। मेन्थॉल मांसपेशियों की क्रिया सुचारू रूप से करने में सहायता करता है, जिससे बदहजमी के लक्षण दूर होते हैं। 

*पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है ।

- पुदीने से तैयार फेस पैक लगाने से झुर्रियां और बारीक लकीरें नहीं होती हैं। पुदीना में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, 

- जिन लोगों को मुंहासे अधिक होते हैं, वो पुदीने की पत्तियों से तैयार लेप चेहरे पर लगाएं। इस लेप में गुलाब जल, बेसन भी मिला सकते है। इस फेस पैक को 15 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। फिर पानी से धो लें। 

* मुंह की दुर्गंध दूर करे पुदीना।

अगर मुंह से अधिक बदूब आती है, वो पुदीने की पत्तियों का सेवन (Peppermint Benefits) करें। पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे ठंडा करके इससे कुल्ला करने से बदबू चली जाएगी।

*पुदीना हीटस्टोक (लू) से बचाए.

 घर से बाहर जाना हो तो पुदीने का रस पिएं या इससे तैयार शरबत पीकर ही घर से निकलें। 

*हैजा के लक्षणों को कम करता है।

* हैजा (cholera) कई बार दूषित भोजन और पानी पीने से होता है। हैजा होने पर आप घरेलू उपायों में पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होगा।

#पुदिना को कैसे खायें?

 पुदीने का रस गन्ने या फिर निम्बू पानी में मिलाकर पी सकते हैं. 

-पुदीने की ताजी पत्तियों से तैयार हरी चटनी खाएं।

 इसमें हरी मिर्च, आंवला, लहसुन, धनिया पत्ती डालकर मिक्सी में पीस लें। पुदीने की चटनी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही पेट को शीतलता भी प्रदान करेगी।

- पुदीने का काढ़ा भी पी सकते हैं। 

- पुदीने को सलाद, दही या किसी भी भोज्य पदार्थों में मिला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- पुदीने के पत्तों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में नींबू, नमक डालकर पीने से डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

-पुदिने का आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता है।

-पुदिनहरा भी एक आयुर्वेदिक पुदिने से बनी औषधि है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखें।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

सोमवार, 17 जुलाई 2023

चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

 चीनी के विकल्प: 5 चीजें

#चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

चीनी की जगह, आप निम्नलिखित 5 विकल्पों को विचार कर सकते हैं:–


#शहद (Honey):–

 शहद एक प्राकृतिक मिठाई है जिसे दुनियाभर में उच्च मानकों पर उत्पन्न किया जाता है। इसे भोजन और पेय के लिए उपयोग किया जा सकता है। शहद बहुत सारे स्वास्थ्य लाभों के साथ आता है और विभिन्न व्यंजनों को मीठा करने के लिए भी उपयोग होता है।

#जगरी (Jaggery):–

 जगरी एक एकदिवसीय गन्ना शर्करा है जो उत्तर भारतीय खाद्य पदार्थों में प्रयोग होती है। यह गन्ने के रस को इकट्ठा करके बनाई जाती है और आमतौर पर गुड़ या गुड़ कहलाती है। जगरी मिठाई के रूप में या ताड़ी पत्ते से निकली चिकनी सफेद गोंद से बनाई जाती है और विभिन्न व्यंजनों में उपयोग होती है।

#मिश्री (Rock Sugar):–

  मिश्री एक प्राकृतिक चीनी है जिसे शक्कर के दाने के रूप में जाना जाता है। यह एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है और विभिन्न पकवानों में मीठाई या मसालेदार स्वाद देने के लिए उपयोग होती है।

#स्टीविया (Stevia):–

   स्टीविया एक प्राकृतिक मिठास्वादित पौधा है जिसकी पत्तियों से मिठास्वादित पदार्थों को मीठा किया जाता है। यह एक पौष्टिक विकल्प हो सकता है जो शक्कर की जगह प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स शून्य होता है और कैलोरी में कम होता है।

#बेलगियन या डार्क चॉकलेट (Belgian or Dark Chocolate):–

   बेलगियन या डार्क चॉकलेट माध्यमिक या अधिक ककाओ परत से बनाई जाती है और चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती है। इसमें अनुशासित मात्रा में मिठास होती है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जानी जाती है, जैसे कि मनोभाव, एंटीऑक्सिडेंट्स, और मानसिक स्वास्थ्य की सुधार।

     *आप अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के आधार पर चुन सकते हैं। यह सिर्फ पांच विकल्प हैं और इससे अधिक चीजें भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, आप अन्य विकल्पों को भी विचार कर सकते हैं, जैसे कि फल, सौंफ, काजू, खरबूजा आदि। आपकी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार, चीनी की जगह इन विकल्पों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

 बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

#बरसात में होने वाले रोग,

#Dr.VirenderMadhan

[बरसात में होने वाले रोगों के नाम]

बरसात के मौसम में कुछ रोग हो सकते हैं, जो आमतौर पर वायुमंडलीय और जलवायु बदलावों के कारण होते हैं। यहां कुछ ऐसे रोगों के नाम हैं जो बरसाती मौसम में आमतौर पर देखे जाते हैं:



* जुकाम और सर्दी (Common Cold):–

 बरसाती मौसम में आपके शरीर का तापमान घट सकता है, जिसके कारण जुकाम और सर्दी की समस्या हो सकती है। यह वायरल संक्रमण के कारण होता है और छींकने, नाक बहना, गले में खराश आदि के लक्षण हो सकते हैं।



* मलेरिया (Malaria):–

 बरसात के मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ सकती है, जो मलेरिया जैसे रोग के प्रसार में मदद कर सकती है। मलेरिया मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फैलाने वाले मच्छरों के काटने से होता है और इसके लक्षण में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड आदि शामिल हो सकते हैं।

* डेंगू बुखार (Dengue Fever):–

 बरसाती मौसम में डेंगू बुखार के मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि इसके प्रसार में मच्छरों की संख्या बढ़ती है। यह वायरस एडेस मच्छर के काटने से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सूजन, लाल दाग आदि शामिल हो सकते हैं।

* लीप्टोस्पिरोसिस (Leptospirosis):–

 यह बरसाती मौसम में जल-संपर्क से होने वाला रोग है। जब बाढ़ आने पर भूमि और पानी में लीप्टोस्पिरा बक्टीरिया मौजूद होते हैं और जब यह संपर्क मनुष्य के द्वारा होता है, तो यह रोग हो सकता है। इसके लक्षण में बुखार, मुँह की सूजन, मुंह के चारों ओर दाने, मुँह का सूखापन, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।



* जलवायुतन्त्रजनित अस्थमा (Seasonal Asthma):–


 बारिश के मौसम में आपके आस-पास पर्यावरण में पोल्यूशन और वायुमंडलीय परिवर्तन हो सकते हैं, जो अस्थमा के लिए त्रिगर कारक बन सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को बारिशी मौसम में श्वास लेने में परेशानी हो सकती है और वे सांस लेने में कठिनाई, छाती की टनपन, सांस लेने में घुटन और घुटन जैसे लक्षणों का सामना करना पडता है.

* फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections):–

   बरसाती मौसम में नमी और गीले माहौल के कारण फंगल इन्फेक्शन हो सकते हैं। तालाबों, पौधों और मिट्टी की जगहों पर फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। यह त्वचा, नाखूनों, बालों और त्वचा के नीचे के क्षेत्रों में खुजली, दाने, दर्द और लालिमा के रूप में प्रकट हो सकते हैं।


* टाइफाइड (Typhoid):–

      बरसात के मौसम में पानी और खाद्य में आलस्य और संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है, जिससे टाइफाइड के मामले बढ़ सकते हैं। टाइफाइड बैक्टीरिया साल्मनेला टाइफी पानी और खाद्य से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, कमजोरी आदि शामिल हो सकते हैं।


* स्किन इंफेक्शन (Skin Infections):–

    बरसाती मौसम में गीले और नम वातावरण में त्वचा संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। फंगल इन्फेक्शन के अलावा, बरसात के मौसम में चर्म रोगों जैसे दाद, खुजली, पेटेकिए, सेबोरिक डर्मेटाइटिस आदि की समस्या हो सकती है।

* ज्यूनियो आयरिटिस (Juvenile Arthritis):–

      यह ज्यूनियो आयरिटिस कहलाता है और यह बच्चों और युवाओं में होता है। इसके लक्षण में जोड़ों में दर्द, स्वेलिंग, स्टिफनेस और गतिशीलता की कमी शामिल हो सकती है। बरसाती मौसम में वातावरणिक परिवर्तन के कारण यह समस्या बढ़ सकती है।

–  इनमें से कुछ रोगों को बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि स्वच्छता का ध्यान रखना, पानी का प्रयोग सतर्कता से करना, स्वस्थ आहार लेना, हाथ धोना और हाथों को सुखाना, त्वचा की सुरक्षा के लिए सुन्दरीकरण का ध्यान रखना, और विशेषतः मच्छरों से बचने के लिए मच्छर नेट, मॉस्किटो रिपेलेंट आदि का प्रयोग करना।


हालांकि, यदि आपको लगता है कि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना चाहिए और उनसे उचित इलाज के बारे में सलाह मांगनी चाहिए। बारिश के मौसम में होने वाले और बारिश से जुड़े अन्य कुछ रोगों के नाम हैं:–


* वायरल फ़ीवर (Viral Fever):–

 बरसाती मौसम में वायरल फ़ीवर के मामले बढ़ सकते हैं। इसमें बुखार, शरीर में दर्द, मांसपेशियों का दर्द, ठंड, थकान आदि के लक्षण हो सकते हैं।

* चिकनगुनिया (Chikungunya):–  

           चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलने वाला वायरल रोग है और इसके लक्षण में बुखार, जोड़ों का दर्द, सूजन, थकान आदि हो सकते हैं। बरसात के मौसम में इसके मामले अधिक हो सकते हैं।

* टायफाइड (Typhus):–

    यह भी एक वायरल संक्रमण है जो जल-संपर्क से होता है। त्यफाइड के लक्षण में बुखार, मांसपेशियों का दर्द, माथे में दर्द, बुखार की स्तिथि में सुधार होने के बाद भी दर्दी आदि हो सकते हैं।


* हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A):–

    यह जीवाणु संक्रमण खाद्य और पानी से फैलता है। इसके लक्षण में बुखार, उल्टी, पेट का दर्द, पीलिया (त्वचा और आंखों का पीलापन) आदि हो सकते हैं।

* जलसंक्रमण (Waterborne Infections):–

   बरसाती मौसम में पानी की संभावित आलस्य के कारण जलसंक्रमण हो सकते हैं, जैसे कि कॉलेरा, डायरिया, अंबेडियाज, जैवरिया, गार्डिया आदि। इनमें से हर एक का अपना लक्षण और उपचार होता है।


यदि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करके उचित चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने पर्यावरण में स्वच्छता और हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए, स्वस्थ आहार लेना चाहिए और जरूरत पड़ने पर वैक्सीनेशन करवाना चाहिए।

    इसके अतिरिक्त, बरसाती मौसम में होने वाले कुछ अन्य सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:


* पाचन संबंधी समस्याएं:–      

      बरसाती मौसम में भोजन में कीटाणु, फंगस या बैक्टीरिया के अवशेषों की मौजूदगी के कारण पाचन प्रणाली संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें पेट में गैस, अपच, दस्त, पेट दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।

* जल और भूमि संक्रमण:–

     बारिश के दौरान जल और भूमि पर संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। यह संक्रमण स्किन इंफेक्शन, जीवाणु संक्रमण और खाद्य संक्रमण के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

* गले की समस्याएं:–

   बारिश के समय गले में समस्याएं जैसे कि गले में खराश, गले में दर्द, टॉंसिलाइटिस, और सूखी खांसी हो सकती हैं।

* प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी:–

     बारिशी मौसम में कई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

इन स्वास्थ्य समस्याओं का पता चलते ही आपको चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए और व्यापक जांच और उचित उपचार के लिए सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए अवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए।


यह ध्यान देने योग्य है कि रोगों के लक्षण और उपचार व्यक्ति के आयु, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य अनुभवों पर निर्भर कर सकते हैं। इसलिए, यदि आपको किसी रोग के लक्षण या संकेत महसूस हो रहे हैं, तो आपको अपने स्थानीय चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करने और विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

मंगलवार, 11 जुलाई 2023

बरसात में क्या खायें|क्या न खाये ?

 बरसात में क्या खायें|क्या न खाये ?

#बरसात में क्या खायें?

बरसात में खाने का चयन करने के लिए आपके पास कई विकल्प हो सकते हैं। यहां कुछ आपके लिए सुझाव हैं:–

* पकोड़े और समोसे:–

 ये गर्म और कुरकुरे स्नैक्स बरसाती मौसम के लिए आदर्श होते हैं। आप मिर्ची पकोड़े, प्याज के पकोड़े, आलू समोसे या किसी अन्य वेराइटी का आनंद ले सकते हैं।


* भुजिया:–

 प्याज, मिर्च, बेसन या आलू से बनाई गई भजियां भी मौसमी सुरीले में मजेदार विकल्प हो सकती हैं।

*गरम चाय और पकोड़े:–

 बरसात में एक गरम चाय के साथ गरम और स्वादिष्ट पकोड़े का सेवन करना बहुत आनंददायक होता है।

*वेज मग्गी या नूडृल्स:–

 मग्गी या नूडल्स एक आसान और तत्परता भरा व्यंजन होता है जो आप घर पर तैयार कर सकते हैं और इसे बारिश के मौसम में आराम से खा सकते हैं।


*आलू टिक्की:–

 गरम आलू टिक्की भी एक पॉपुलर विकल्प है जो आप बरसात में खा सकते हैं। इसे हरी धनिया चटनी के साथ परोसें।

* दाल पकवान:–

 बरसाती दिनों में घर पर गरम दाल पकवान, चावल और रोटी का स्वाद लेना बहुत ही सुखद और राहतभरा होता है।


यदि आपको किसी विशेष व्यंजन की इच्छा है, तो आप उसे भी बरसात में खा सकते हैं। ध्यान दें कि सुरक्षितता को ध्यान में रखते हुए खाने का चयन करें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

#बरसात में क्या न खाये?

- बरसात में कुछ आहार की सलाह नहीं की जाती है क्योंकि विभिन्न आहार के साथ संबंधित सुरक्षा संबंधी मुद्दे हो सकते हैं। यहां कुछ विषयों का ध्यान देना महत्वपूर्ण है:–

* बाहर का खाना:–

 बरसाती मौसम में बाहर के खाने का सेवन करना अनुचित हो सकता है। यह आपके स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि आपको खाने की सामग्री की साफ़-सफ़ाई और तैयारी के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।

* बासी या खराब खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में खराब खाद्य पदार्थ जैसे कि बासी खाना, गला हुआ या सड़ गया खाना या विभिन्न अन्य खराबियों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपको पेट दर्द, जीवाणु संक्रमण या पेट की बीमारियों का कारण बना सकता है।

* ठंडे खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में ठंडे या ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना अधिक विचारशील हो सकता है। इसमें ठंडी द्रवियों, जैसे कि बार्फ, इस्क्रीम, गर्म या ठंडे शरबत आदि, का सेवन शामिल हो सकता है जो आपको जुकाम, खांसी या जलने की समस्याओं का कारण बना सकते हैं।

* बर्फी, घी, और मक्खन:–

 गर्म आहार जैसे कि बर्फी, घी या मक्खन के सेवन को ध्यान में रखें। इन्हें ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

 - इन सलाहों का पालन करके, आप अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और बरसात का आनंद उठा सकते हैं।

बरसात में कुछ अन्य आहार सावधानियां भी हो सकती हैं:–

* सड़ी हुई या उबली हुई खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में सड़ी हुई खाद्य पदार्थों जैसे कि सड़ी हुई रोटी, उबली हुई चावल या उबले हुए अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। ये आपको पाचन संबंधी तकलीफ़, डायरिया या पेट बदहज़मी का कारण बना सकते हैं।

गुड़ और दूध:–

 बरसाती मौसम में गुड़ और दूध का सेवन नहीं करना चाहिए, विशेष रूप से जब वे बाहर से आते हैं। गुड़ और दूध बारिश के मौसम में आसान रूप से उसी काल के लिए ख़राब हो सकते हैं और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

* ठंडे पानी से ध्यान रखें:– बरसात के समय ठंडे पानी का सेवन कम करें। ठंडे पानी के सेवन से शरीर का तापमान कम हो सकता है और इससे सर्दी लग सकती है या बीमारी का कारण बन सकता है। गर्म या उबले हुए पानी का सेवन पसंद करें।

* नमकीन और तली हुई चीजें:–

 बरसाती मौसम में ज्यादा नमकीन या तली हुई चीजें का सेवन नहीं करना चाहिए। ये आपके शरीर में आराम से पानी रखने की क्षमता को कम कर सकते हैं और देहान्तर की स्थिति को बढ़ा सकते हैं।

– यदि आपको किसी विशेष आहार संबंधी समस्या होती है, तो विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लेना सबसे अच्छा होगा। वे आपको आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही सलाह दे सकते हैं। यदि आप शाकाहारी, सात्विक या किसी अन्य विशेष आहार संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं, तो वे भी आपके लिए बरसात में खाने के लिए उपयुक्त विकल्पों की सलाह दे सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

शनिवार, 8 जुलाई 2023

नीम के फायदे व नुकसान

 नीम के फायदे व नुकसान 

Dr.VirenderMadhan,

नीम के फायदे

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नीम (Neem) पौधा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Azadirachta indica के नाम से जाना जाता है, भारतीय घरेलू उपचारों और आयुर्वेदिक दवाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम का प्रयोग संगठित रूप से अगरबत्ती, तेल, साबुन, क्रीम, औषधि आदि के रूप में किया जाता है। नीम के अनेक फायदे हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

* कीटाणुनाशक गुण:–

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 नीम आंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है। यह छाल, पत्तियों और बीजों में पाए जाने वाले नीमोइड्स के कारण कीटाणुओं को मारता है और कई संक्रमणों से बचाता है।

* त्वचा के लिए उपयोगी:–

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 नीम त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं, मुहासों, दाग-धब्बों और चर्म रोगों को कम करते हैं। नीम के तेल का बार-बार मालिश करने से त्वचा की रक्षा होती है 

* मुंहासों का उपचार:–

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 नीम मुंहासों के इलाज में प्रयोग होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा के मुंहासों में मौजूद कीटाणुओं को मारते हैं और उन्हें सूखा देते हैं। नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाकर मुंहासों पर लगाने से उन्हें कम करने में मदद मिलती है।


* शारीरिक सुरक्षा:–

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 नीम के पत्तों, बीजों और छाल का उपयोग बहुत सारी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके आंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण से शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।

* उच्च रक्तचाप का नियंत्रण:– 

------------------------------------नीम का सेवन करने से रक्त में रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसमें पाए जाने वाले न्यूमेरिक एसिड रक्तचाप को कम करने में सक्षम होता है।

* नीम के फायदे अनेक हैं और यह विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन पहले नीम के उपयोग से पहले यदि आपको कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या हो तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

* नीम के नुकसान:–

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नीम पेड़ (Azadirachta indica) भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख पेड़ है और आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम के तत्वों को कई स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में नीम के उपयोग से नुकसान हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:-


*बडी मात्रा में लेना:-

धातुरा की तरह, नीम का उच्च मात्रा में सेवन करने से माध्यमिक या गंभीर प्रकृति की एंटीकोगुलेंट धारीता हो सकती है, जिसके कारण पाचन और नर्व संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।वात रोग हो सकता है.

* कुछ लोगों को नीम के पत्तों या पेड़ के प्रति एलर्जी हो सकती है। यदि किसी को नीम के प्रति एलर्जी होती है, तो उसे नीम से दूर रहना चाहिए।

* नीम के सेवन करने से कुछ लोगों को उल्टी, दस्त, चक्कर आना या त्वचा में खुजली हो सकती है। ऐसे मामलों में नीम का सेवन बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

* नीम का उपयोग गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव गर्भ के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

* नीम का तेल सीधे रूप से खाने के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें विषाक्त तत्व हो सकते हैं जो पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। तेल का मात्रा में उपयोग केवल बाह्य रूप से होना चाहिए।

यदि आपको नीम के सेवन से संबंधित किसी भी दुष्प्रभाव का सामना हो रहा है, तो आपको तत्परता से इसका उपयोग करना बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

प्रश्नोत्तर:-

Q:–नीम के क्या क्या फायदे हैं?

Ans:– नीम के फायदे (Benefits of Neem)

- यह डाइजेशन में सुधार करता है।

- थकान से राहत देता है।

- खांसी और प्यास को दूर करता है।

- घावों को साफ और ठीक करता है।

- यूटीआई और पेट के कीड़ों के लिए अच्छा है।

- मतली और उल्टी से राहत देता है।

- सूजन को कम करने में मदद करता है।

Q:–नीम के पत्ते खाने से क्या फायदा है?

Ans:– इम्यूनिटी बूस्ट करे- नीम में मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं और वायरल सर्दी खासी से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करते हैं. यानी नीम की पत्तियों से इम्यूनिटी बूस्ट होती है. पाचन- पाचन से जुड़ी समस्या में भी नीम की पत्तियां फायदेमंद है

Q:–नीम के पत्ते कब खाना चाहिए?

Ans:– सेहत के लिए चमत्कारी हैं इस पेड़ के पत्ते, सुबह खाली पेट करें सेवन, शुगर का होगा खात्मा, 

आयुर्वेद में नीम की पत्तों को डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद लाभकारी माना गया है.

शुगर के अलावा यह त्वचा के रोगीयों को खाना चाहिए,

रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए भी इसे खाया जाता है

Q:-नीम के पत्ते कितना खाना चाहिए?

Ans:–  आप एक दिन में 6 से 8 नीम की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं. इससे अधिक मात्रा में नीम की पत्तियों का सेवन करने से नुकसान हो सकता है. 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

अश्वगंधा क्या है? In hindi.

 अश्वगंधा क्या है? In hindi.

अश्वगंधा पर मेरे अनुभव 

#Dr.VirenderMadhan, 

मनुष्य अगर अश्वगंधा की रोजाना एक ग्राम चूर्ण  दूध के साथ लेता है , 

–उसे कभी हड्डियों के रोग , –जोड़ों का दर्द , 

–कमर दर्द  नही सताते, 

–शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी पास नही फटकती , –दिमागी काम करने वाले अगर रोजाना की खुराक में इसे शामिल कर लें , तो उन्हें दिमागी कमजोरी महसूस नहीं होती है।

  अगर इसे रोजाना अपनी खुराक में शामिल कर लिया जाए तो जिंदगी भर 

*पागलपन , 

*डिप्रैशन आदि 

*किसी भी प्रकार का दिमाग का रोग जीवन में पास नही फटकता।  इस से सस्ती , आसान , सर्व सुलभ औषधि अपने चिकित्सा काल, जीवन  में मैंने कभी नही देखी। जिसका जीवन भर सेवन करने से कोई नुकसान नही। 

- पंसारी से आसानी से मिलती है।  असगंध नागौरी के नाम से लें । 

ध्यान रखें कीड़ा न लगा हो, पुरानी न हो। नहीं तो लाभ की आशा न रखें। 



** साधारण जन जो इसके गुणों का लाभ लेना चाहते हैं। उनके लिए मैं निम्न सरल , सुलभ योग बता रहा हुं। 

** 100 ग्राम अश्वगंधा की जड़ ,100 ग्राम मिश्री मिलाकर 2 ग्राम रोज पानी से या दूध से लें। 

इतनी मात्रा आम इंसान के लिए बताई है।  मौसम अनुसार अनुपान बदल सकते है । 

* यानि गर्मी में मलाई , मक्खन या मोती पिष्टी या प्रवाल पिष्टी एक-एक रत्ती मिलाकर । 

* सर्दी में मिश्री की जगह शहद , गुड़ के साथ लें सकते हैं। 

Ashwagandha के नाम:-

>> Common name:–  Ashwagandha, 

 Indian ginseng, 

 Poison gooseberry,  Winter Cherry

  Assamese: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Bengali: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Gujarati: આકસંદ aksand, અશ્વગંધા asvagandha 

  Hindi: असगन्ध asgandh, अश्वगंधा ashwagandha 

  Kachchhi: આસુન aasun, આસુંઢ aasund 

  Kannada: ಅಂಗಾರ ಬೇರು angara beru, ಅಶ್ವಗಂಧ ashwagandha, ಹಿರೇಮದ್ದಿನ ಗಿಡ hiremaddina gida, ಪನ್ನೇರು panneru, ಸೊಗದೆ ಬೇರು sogade beru 

  Malayalam: അമുക്കുരം amukkuram, പേവെട്ടി pevetti 

  Marathi: अश्वगंधा ashwagandha, आस्कंद askanda 

  Nepali: अश्वगन्धा ashwagandha 

  Oriya: ଅଶ୍ବଗନ୍ଧା ashwagandha 

 Punjabi: ਅਸਗੰਧ असगंध asgandh, ਅਸ਼ਵਗੰਧਾ अश्वगंधा ashwagandha ,Aksin ਅੱਕਸਿਨ अँकसिन

 Sanskrit: अश्वगन्धा ashvagandha 

 Tamil: அமுக்கிரா amukkira 

 Telugu: అశ్వగంధ ashwagandha 

 Tibetan: a swa ga ndhi, ba-dzi-ga-ndha 

 Tulu: ಅಶ್ವಗಂಧೊ ashwagandho 

  Urdu: اسگندهہ asgandh

  Botanical name:–

Withania somnifera 

  Family: Solanaceae (Potato family)


अश्वगंधा, भारत के सूखे भागों में ज़्यादातर पाया जाता है।  यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो प्रकृति में लगभग 6 फीट तक बढ़ती है।  यह 35-75 सेमी लंबा बढ़ जाती है ।   फूल छोटे, हरे और घंटी के आकार का होता है।‌ इसकी फोटो से आप आसानी से पहचान कर सकते हैं। 



•औषधीय उपयोग•

अश्वगंधा 3000-4000 वर्ष से भारत में एक बेशकीमती adaptogenic टॉनिक रहा है।  पौधों में एल्कलॉइड विथेनिन और सोमनीफेरिन होते हैं, जो तंत्रिका विकारों, आंतों के संक्रमण और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।  सभी पौधे के भागों का उपयोग जड़ों, छाल, पत्तियों, फलों और बीज सहित किया जाता है।

 –विदेशी जिन्सेंग की जगह अगर आप इसे सेवन करें 

इसके सेवनकाल में अगर कोई  मौसमी रोग सताएं उसके अनुसार सहायक औषधि ले सकते है।

उपरोक्त योग में दो ग्राम की कम मात्रा रसायन गुण लेने के लिए दी गई है। अगर किसी रोग में प्रयोग करना है तो 3-6 ग्राम तक सुबह -शाम ले सकते है। 40 दिन से 90 दिन तक। इस से सस्ता दवा कोई नही है। यह एक आहार रूपी दवा है। अगर बच्चों को बचपन से शुरू करवा दिया जाए , उनकी हड्डियाँ फैलाद जैसी ताकतवर रहेगी । दिमाग कंप्यूटर जैसा , कद भी अच्छा निकलता है।बुजुर्ग लोगों को कभी बुढ़ापे के रोग नही सताते। जवान लोगों को ग्रहस्थ की परेशानिया जैसे कमजोरी , नामर्दी , शुक्राणु आदि कोई समस्या नही आएगी ।न कोई थकावट।

अश्वगंधा का निरंतर सेवन करने वाले को किसी डुप्लीकेट मल्टीविटामिन आदि के सेवन की जरूरत नहीं है। रोग प्रतिरोधक immunity power बहुत अच्छी रहती है। वायरल रोग सेवनकर्ता के पास कभी भी फटकते। 

तासीर:-

इसकी तासीर गर्म है। यह वात कफ नाशक है। पचने में भारी है। कमजोर पाचन वाले पहले अपने पाचन शक्ति को बढ़ाए या इसकी मात्रा का ख्याल रखें।  गर्मी के मौसम में और गर्मी वाले रोगियों को कई बार माफिक नही रहता । 

नोट:–

किसी भी प्रकार की जडी,औषधि प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें,

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

डिटोक्स वाटर क्या होता है? डिटोक्स वाटर के फायदे और नुकसान?

 डिटोक्स वाटर क्या होता है?

#मैजिक वाटर|Alkaline water,

डिटोक्स वाटर एक प्रकार का पानी है जिसे विभिन्न तत्वों के साथ अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थों को निकालने या कम करने के लिए तैयार किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक अवयवों, जैविक उत्पादों और अन्य तत्वों का उपयोग करके निर्मित किया जाता है जो शरीर के अंदर के विषाक्त पदार्थों को हटाने और स्वच्छ रखने का दावा करते हैं।

डिटोक्स वाटर के संयोजन में आमतौर पर पानी के साथ अन्य सामग्री जोड़ी जाती हैं, जैसे (lemon)नींबू, अदरक (ginger), पुदीना (mint), संतरा (orange), खीरा (cucumber) और अन्य फल और सब्जियां। ये सामग्री डिटोक्स वाटर को खुशबूदार बनाती हैं और इसे पेय के रूप में आकर्षक बनाती हैं।

#Natural detox drink,

डिटोक्स वाटर की प्रमुख उद्देश्यों में शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाना, शरीर को स्वच्छ और हेल्दी रखना, पाचन प्रणाली को सुधारना 

#डिटॉक्स वाटर कैसे बनाये?

#खीरा नींबू डिटोक्स वॉटर

*खीरा नींबू डिटोक्स वाटर कैसे बनाये?

खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर एक पौष्टिक पेय पदार्थ है जिसमें खीरे, नींबू और पानी का उपयोग किया जाता है। यह पेय विशेष तरीके से शरीर को शुद्धि देने, ताजगी देने और हाइड्रेशन करने का काम करता है। यहां खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर बनाने का एक सरल तरीका दिया गया है:–

सामग्री receipe:–

> 1 छोटा खीरा, पतले स्लाइस किया गया

> 1 नींबू, स्लाइस किया गया

> 4 कप पानी

निर्देश:–

एक बड़े जग में पानी डालें।

खीरे के पतले स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को पानी में मिलाएं।

नींबू के स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को भी पानी में मिलाएं।

जग को अच्छी तरह से मिक्स करें ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाएं।

जग को कम से कम 2 घंटे तक ठंडे स्थान पर रखें ताकि सभी संघटक अच्छी तरह से मिल जाएं और पेय का स्वाद वातावरण से भर जाए।

एक गिलास में इस पेय को निकालें और ठंडा पानी का आनंद लें!

यह डिटॉक्स वॉटर कुछ दिनों तक फ्रिज में स्थानीय रूप से स्थापित करके संग्रहीत रखा जा सकता है। इसे सीधे पीने से पहले अच्छी तरह से हिला लें ताकि सभी अवयव अच्छी तरह से मिल जाएं। 

** खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर का इस्तेमाल आप एक संग्रहण के रूप में कर सकते हैं जो शरीर को विषाक्त करने, हाइड्रेशन करने और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इसे रोजाना पीने से आपके शरीर को ताजगी मिलेगी और आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी। इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर में मौजूद विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज आपके शरीर की सुरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।


ध्यान दें कि यह डिटॉक्स वॉटर केवल एक पेय पदार्थ है और किसी भी चिकित्सा या वजन घटाने के उद्देश्यों के लिए आधिकारिक उपचार नहीं है। यदि आपके पास किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या है या आप किसी प्रणाली के लिए सलाह चाहते हैं, तो सर्वोच्च स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।

***  इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर के साथ आप अपने पसंद के तरीके से विभिन्न संघटकों को जोड़ सकते हैं। यह आपके स्वाद को विविधता और पोषण देने में मदद करेगा। आप नींबू पत्ती, पुदीना पत्ती, अदरक, टुलसी पत्ती या अन्य स्वादानुसार विभिन्न पत्तियों या फलों का उपयोग कर सकते हैं। 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

बुधवार, 5 जुलाई 2023

शहद खाने के 5 फायदे व नुकसान इन हिंदी.

 शहद खाने के 5 फायदे व नुकसान इन हिंदी.

#आयुर्वेद में शहद के 5 गुण

आयुर्वेद में शहद को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है और इसे अनेक गुणों से युक्त माना जाता है। यहां पांच मुख्य गुण हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए:

**रसायनिक गुण (Rasayana Properties):–

 शहद को रसायनिक गुणों से युक्त माना जाता है, जो शरीर को बल, प्रतिरक्षा और यौवन देते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर की संतुलित गतिविधियों को सुनिश्चित करने में मदद करता है और स्वस्थ्य और विटामिन की वृद्धि को बढ़ाता है।

**ज्वरनाशक गुण (Jwaranashak Properties):–

 शहद को ज्वरनाशक गुणों से भी जाना जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो अणुओं और पैथोजेनों के खिलाफ लड़ते हैं और शरीर को ज्वर के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं।

**पाचनशक्ति (Pachanashakti):–

 शहद पाचनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को संतुलित रखने में सहायता प्रदान करता है। यह आमतौर पर पाचन को सुधारने, अपच, एसिड

लेकिन अत्यधिक पाचन बिगडऩे पर शहद अपने चिकित्सक की सलाह लेकर ही प्रयोग करें अन्यथा हानि की अधिक सम्भावना होती है,थोड़ी मात्रा में लेने से पाचनशक्ति को नियंत्रित करने, अम्लपित्त, एसिडिटी और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

** प्रतिश्यायशोधक (Pratishyayashodhak):–

कफ नाशक होने से शहद श्वासनली संबंधी समस्याओं, जैसे साइनसाइटिस, जुकाम, कफ और गले में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह श्वासनली को साफ़ करने, नाक संक्रमण को दूर करने और श्वासनली की संरक्षण शक्ति को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।

** पुरिफायर (Purifier):–

शोधनकर्म करने से शहद शरीर की स्नायुओं, रक्त और त्वचा को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। यह आंत्र, रक्तमांश, मूत्रमार्ग, त्वचा और विभिन्न अंगों की परिष्कृति को बढ़ावा देता है और शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है।

> ये थे कुछ मुख्य गुण जो आयुर्वेद में शहद को संबोधित करते हैं। आपको ध्यान देना चाहिए कि ये गुण व्यक्ति के शरीर और प्रकृति पर निर्भर कर सकते हैं, 


#शहद के5 नुकसान:-

  शहद (हनी) एक प्राकृतिक पदार्थ है जिसे बहुत सारे लोग मिठास के स्वाद के लिए उपयोग करते हैं। यह असाधारण औषधीय गुणों के साथ-साथ शरीर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में शहद का उपयोग नुकसानकारी भी हो सकता है। यहां शहद के कुछ नुकसानों की एक सूची है:

* मधुमेह के लिए खतरा:–

 शहद में मिठाई की मात्रा उच्च होती है और इसलिए मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को इसका सेवन संख्याग्रहण के साथ करना चाहिए। इसलिए, मधुमेह के लिए शहद का उपयोग करने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श करना अच्छा रहेगा।

*शहद के संक्रमण का खतरा:– 

यदि शहद न सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो इसमें बैक्टीरिया, वायरस और अन्य पथोजनों के संक्रमण का खतरा हो सकता है। विशेष रूप से, बच्चों, अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं और इम्यूनोकंप्रोमाइज़्ड व्यक्तियों को शहद के सेवन के संबंध में सतर्क रहना चाहिए।

*अलर्जी की संभावना:–

 कुछ लोगों को शहद के प्रति अलर्जी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को शहद खाने पर चुभन, त्वचा में खुजली, चकत्ते या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण आते हैं, तो उन्हें शहद का सेवन बंद करना चाहिए और चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

*बच्चों के लिए खतरा:–

 शहद को बच्चों के अल्पाहार में देने से पहले विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। शहद में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो छोटे बच्चों के अवयस्क प्रणाली के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, बच्चों को शहद का सेवन करवाने से पहले उचित साफ-सफाई और परामर्श करना जरूरी होता है।

* शहद की अधिक मात्रा से परेशानियाँ:–

 शहद में मिठाई की मात्रा उच्च होती है, जिसके कारण अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से पेट संबंधी अवस्थाओं जैसे अपाच, पेट में गैस, डायरिया या वजन बढ़ने की संभावना हो सकती है। इसलिए, शहद का सेवन करते समय मात्रा का ध्यान रखना चाहिये,

**शहद में विषाक्तता:–

 शहद को सफाई और गुणवत्ता के साथ लेना महत्वपूर्ण है। यदि शहद में विषाक्तता हो, तो इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले प्रमाणित या संग्रहीत शहद का उपयोग करें और अनधिकृत या असंकेतित स्रोतों से दूर रहें।

**शहद के वजन बढ़ने का खतरा:–

 शहद में मिठास होती है, और यदि आप अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो आपका वजन बढ़ सकता है। शहद को एक सेहतमंद आहार का हिस्सा मानते हुए, उसका सेवन मात्रा को नियंत्रित रखें और एक संतुलित आहार पर ध्यान रखें। अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से अतिरिक्त कैलोरी मिलती है जो आपके वजन में वृद्धि का कारण बन सकती है।

** शहद का दांतों पर असर:–

 यदि आप अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इसका दांतों पर असर हो सकता है। शहद में मिठास होती है जो कैरीएस विकृति (दांतों की खराबी) का कारण बन सकती है। इसलिए, शहद के सेवन के बाद अच्छे दांतों की सफाई और देखभाल करना महत्वपूर्ण है।

**गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षित:–

 गर्भवती महिलाओं को शहद का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। शहद में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो गर्भवती महिला और बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। सावधानी बरतने के लिए, गर्भवती महिलाएं शहद की जगह अन्य सुरक्षित विकल्पों का उपयोग कर सकती हैं।

यदि आपको शहद के सेवन के संबंध में किसी विशेष चिकित्सा सलाह की जरूरत होती है, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। वे आपको विशेष रूप से आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले निर्देश और सलाह प्रदान कर सकते हैं। यह आपके व्यक्तिगत स्थिति और स्वास्थ्य पर आधारित होगा।

>>ध्यान देने योग्य बातें:–

शहद को सदा से बारे में एक पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करना सुनिश्चित करें। वे आपको विशेष तरीकों के साथ अपनी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सही दिशा निर्देशित करेंगे।

शहद का सेवन मात्रा को नियंत्रित करें और अधिकता से बचें। अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से पहले, अपने चिकित्सक की सलाह लें और अपने आहार योजना को उपयुक्त रूप से नियंत्रित करें।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

सोमवार, 3 जुलाई 2023

चर्बी दूर कैसे करें? In hindi

 चर्बी दूर कैसे करें? In hindi


मोटापा दूर कैसे करें?

#रावण का मेदोबृद्विहर आयुर्वेदिक योग

#मोटापा आयुर्वेदिक दवा से कैसे दूर करें ?In hindi.

#Charbi kaise kam kere?

>> Obesity treatment|मोटापे का ईलाज|

#DrVirenerMadhan.

मोटापा-

शरीर में अत्यधिक वसा के कारण होने वाला विकार है जो स्वास्थ्य को खराब कर देता है.अनेक रोगों को जन्म देता है।

मोटापा- 

खर्च होने वाली कैलोरीज़ से ज़्यादा कैलोरीज़ लेने के कारण बढ़ता है.

#मोटापे के सामान्य लक्षण:-

-Motape ke samanya lakshan,

-चलने मे सांस फुलना,

-भुख अधिक लगना,

 - जोड़ या पीठ मे  दर्द होना.

 - वजन ज़्यादा होना, 

- खर्राटे आना, 

- तोंद का बढना,

-अधिक पसीना आना,

- थकान रहना, या 

- बहुत ज़्यादा खाना मोटापे के  सामान्य लक्षण हो सकते है।



#मोटापे के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं। :-

- सांस फूलना – 

बार-बार साँस फूलने की समस्या का होना मोटापे का लक्षण है जो कई कारणों से हो सकता है और कई रोगों का कारण बनता है।

- पसीना में वृद्धि – 

अचानक से बार-बार पसीना आना 

- बिना कोशिश करे वजन बढना।

#मोटापे का आयुर्वेद मे कैसे उपचार कर सकते है?

- शारिरिक स्थूलता को दूर करने के लिए कुछ सावधानियां करनी पड़ती है जैसे-

#आहार में सावधानी:-

-पुराने चावल, मुंग, कुलथी, वनकोदों आदि अन्नो का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।

#कर्म-

बस्तिकर्म, चिन्ता ,व्यायाम, धुम्रपान , उपवास, रक्तमोक्षण,

कठोर स्थान पर सोना, तमोगुण का त्याग करना चाहिए।

* आहार विहार मे संयम रखें।

* पहला भोजन पचाने के बाद ही दोबारा भोजन करें 

बार बार थोडी थोड़ी देर में भोजन न करें।

- परिश्रम, मार्गगमन यानि पैदल खुब चले।

- मधु का सेवन करें, रात्रि जागरण करें।

- पतिदिन अन्नो का माण्ड बनाकर पीयें।

- वायविंडग, सौठ, जवाखार, कालेलोहे का मण्डुर ,और मधु का सेवन करें।

- आंवला और यवचूर्ण  मिलाकर कर खाने से मोटापा दूर होता है।

- चव्य,जीरा,त्रिकटु (सौठ, कालीमिर्च, पीपल),हिंग, कालानमक, चित्रक, इन सबके चूर्ण बना कर सत्तु मे मिला लें फिर इसे दही के पानी (दही नही) के साथ प्रयोग करने से चर्बी नष्ट हो जाती है।

#एक मोटापा नष्ट करने का महायोग:-

त्रिकटु(सौठ, कालीमिर्च, पीपल), सहजन की जड,त्रिफला, कटुकी, कटहरी, हल्दी, दारुहल्दी, पाठा, अतीस, शालवन, केतकी की जड, अजवाइन, चित्रक, कालानमक, कालाजीरी, हाऊबेर, इन सबका चूर्ण बना लें।

बाद मे

1भाग चूर्ण

1भाग धी

1भाग मधू

16 भाग यव का सतू (जौ का सतू) इसको किसी रुचि कर शीतल पेय के साथ पान करें



*इसके प्रयोग से 

प्रमेह,मूढवात, कुष्ठ, अर्श, कामला, पाण्डू रोग, प्लीहा सूजन, मूत्रकृच्छ,  अरोचकति,  हृदय सम्बंधित रोग, क्षयरोग, खाँसी , श्वास रोग, गलग्रह ,कृमि, ग्रहणी ,शैत्य यानि शीतका प्रकोप, मोटापा जैसे कठिन रोगों को शीध्र ही उन्मूलन कर देता है।

[यह योग रावण संहिता के रोग चिकित्सा ज्ञान से लिया है]

इस योग से क्षुधाग्नि , शक्ति, बुध्दि, तथा स्मरणशक्तिभी बढती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 1 जुलाई 2023

हृदय रोग के लक्षण और उपचार इन हिंदी.

 हृदय रोग के लक्षण और उपचार इन हिंदी. Look

#छाती में दर्द रहता हो तो करें 10 उपाय।

Dr.VirenderMadhan.

छाती में दर्द होना

सवाल उठता है छाती में दर्द होने का क्या कारण हो सकता है?

क्यों होता है छाती में दर्द?

#छाती में दर्द होने के कारण (Chest Pain Causes)


ऐसे में इसे नजरअंदाज करने की भूल बिल्कुल भी ना करें। छाती में दर्द का मुख्य कारण *हार्ट अटैक, 

*एन्जाइना, 

*हार्ट के ब्लड वेसल्स में रुकावट होने, 

*हार्ट की मांसपेशियों में सूजन आना, 

*दिल की बड़ी रक्त वाहिका में कोई समस्या होने पर भी दर्द हो सकता है।

* हृदय रोग हो जाने पर जब रक्त की धमनी के भीतर वसा[आम] की परतें जम जाने से वह पूर्ण रूप से बंद हो जाती हैं अथवा खून का थक्का (ब्लड क्लोट) बन जाने से धमनी में रक्त प्रवाह का मार्ग एकाएक अवरुद्ध हो जाता है और हृदय को ऑक्सीजनयुक्त रक्त मिलना बिल्कुल बंद हो जाता है, तब छाती में अचानक असहनीय तेज दर्द उठता है, 

#हृदय रोग के लक्षण, कारण,  और उपचार

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#हृदय_रोग_के_लक्षण,

- हाथ-कमर और जबाडा में दर्द होना।

- हाथों में दर्द होना,

- कमर में दर्द होना,

- गर्दन में दर्द होना और यहां तक की जबाडे में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।

- चक्कर आना या सिर घूमना: कई बार चक्कर आने, 

- बेहोश होने और बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं।

कुछ कारण:-

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क्यों होता हृदयरोग है?

- हृदयाघात

- रुमेटिक हृदय रोग

 - जन्मजात खराबियां

- हृदय की विफलता

- पेरिकार्डियल बहाव

#आयुर्वेद के अनुसार कारण:-

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* हृदय रोग का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान करना, 

**पारिवार में किसी को इस बीमारी का होना, 

** बहुत ज्यादा मोटापा, **मधुमेह और उच्च रक्तचाप होना, 

** सुस्त जीवनशैली का होना, ** दैनिक जीवन में शारीरिक श्रम न करना,

** बहुत ज्यादा तनाव लेना और 

** फास्टफूड का सेवन करना।

चिकित्सा:–

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#हृदय_रोग_के_उपचार

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#हृदय शूल के आयुर्वेदिक 10 उपाय:-

1- चितल के सिंग की भस्म घी मिलाकर खिलाने से हृदयशूल मे तुरंत आराम मिलता है यह सर्वोत्तम तथा चमत्कारी औषधि है।

2-अर्जुन की छाल का रस 4 किलो घी एक किलो मिलाकर घृतपाक कर जब घी मात्र रह जाये तो छान कर रखें 

उसमे से 10-10 ग्राम घी को दूध के साथ लेने से हृदयशूल तथा हृदय के अधिकतर रोग ठीक हो जाते है।

3- बादामी रंग की गाजर लेकर 100 ग्राम रस निकालें उसमें10 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार पीयें यह दिल के लिए उत्तम टोनिक है।

4-असली सफेद चंदन को घीसकर 1 ग्राम ले उसे एक गिलास पानी में घोलकर पीयें यह दिल के घबराहट की अच्छी दवा है।

5- हृदयशूल के बाद केला गौदूध के साथ खिला देने से मृत्यु का भय कम हो जाता है।

6- बडी ईलायची का पाउडर बना कर रखें 2 ग्राम चूर्ण शहद मे मिला कर चाटने से सभी प्रकार के हृदय रोगो मे आराम मिलता है।

7- तरबूज के बीज की मिगी का चूर्ण 6 ग्राम देते रहने से दिल की घबराहट ठीक हो जाती है।

8- 250 ग्राम घीया (लौकी)  कसी हुई लौकी को या तो  ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। फिर उसे कपड़े से रस छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डाल लें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4  पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा। 

9-  पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।

10- एकाएक दर्द होने पर एक हरा या सुखा आंवला खायें।

#हृदय रोगों से सावधानी

हृदय रोग की रोकथाम:–

*चिंता से दूर रहे,

*मेडिटेशन करें,

* धूम्रपान न करें या तम्बाकू का उपयोग न करें,

* अधिकांश दिनों में 30 मिनट के लिए व्यायाम करें

**दिल के लिये स्वस्थ आहार खाएँ

**स्वस्थ वजन बनाए रखें

**नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं

[अपने चिकित्सक से सलाह करना जरूरी है]

धन्यवाद!