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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

क्यों होता है कमर का दर्द?In hindi. Kyon hota hain kamar darad ? In hindi.

 क्यों होता है कमर का दर्द?In hindi.

Kyon hota hain kamar darad ? In hindi.

Why does back pain happen?



[Back pain|कमरदर्द]

By:-

Dr.VirenderMadhan.

#कमर दर्द के क्या क्या मुख्य कारण हो सकते है?

What can be the main reasons for back pain?

– कमर दर्द का कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे:-

* तनाव होना, 

* सूजन के कारण, 

* अवसाद होना, 

* शरीर का वजन बढ़ना,  

* कब्जरहना, 

* मलद्वार की समस्या, 

* गठिया रोग होना, 

* विपरीत स्थितियाँ मे बैठना, उठना, और 

* इन्फेक्शन होने से कमर दर्द हो सकता है। 

* किडनी के रोग, पथरी आदि होना,

* काम के कारण दुर्बल होने पर कमर दर्द होता है। 

* कमर मे चोट लगना।

[कारण जानने के लिए डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।]

#कमरदर्द का उपचार कैसे करें ?

कमर दर्द के उपचार में:-

पर्याप्त आराम, प्राकृतिक दवाइयों का प्रयोग सही उपचार हो सकते हैं। 

कुछ व्यक्तियों के लिए, कमर दर्द का मुख्य तौर पर देखभाल करने से हल किया जा सकता है, जैसे:- 

-वजन कम करने के लिए व्यायाम, 

-खराब खान-पान पर ध्यान देना, तथा 

- स्वस्थ रहने के तरीकों के अनुयायी होना। इसके अलावा, कुछ व्यक्तियों के लिए, 

- मालिस करना।

- व्यायाम के उचित तरीके अपनाना, कमर दर्द में मदद कर सकते हैं। 

#कमर दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपाय हैं:-

कमर दर्द से तुरंत छुटकारा कैसे पाए?

आयुर्वेद के चिकित्सक कमर दर्द को वातरोग मे मानते हैं।

इसके लिए आयुर्वेद में पंचकर्म करने का विधान है।

जैसे:- स्नेहन,स्वेदन,अभ्यंग,बस्ति आदि।

#कमर दर्द मे कौनसे तैल की मालिस करें?

-सरसौ का तैल, तिल तैल,एरण्ड तैल,बादाम तैल,नारियल तैल,जैतून तैल,

या आयुर्वेद में काफी वातनाशक तैल आते है उनका प्रयोग कर सकते है।

#कमर दर्द में क्या खाना चाहिए?

–मेथीदाना को रात मे भिगोकर सवेरे उसे खाना चाहिए और उसके पानी को भी पी लेना चाहिए।

रात मे लहसुन का पका हुआ दुध पीना चाहिए।

अगर आप कमर दर्द से पीड़ित हैं, तो रोज डाइट में पालक, मेथी के पत्ते, हरीसब्जी आदि को शामिल कर सकते हैं। आप इन सब्जियों को सलाद, सूप आदि के रूप में खा सकते हैं। 

कमर को मजबूत करने के लिए आवश्यक है कि ऐसी चीजें खाना चाहिए जिनमें कैल्शियम, प्रोटीन, कैरोटिन, ओमेगा-३ फैटी एसिड अधिक मात्रा में हो। इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, पनीर, सालमन मछली, दालचीनी, तुलसी, दही इत्यादि खाने चाहिए।

सही कारण और ईलाज के लिये किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेने चाहिए।

धन्यवाद!

डा० वीरेंद्र मढान,

काली मिर्च (black pepper)क्या होती है?

 #काली मिर्च (black pepper)क्या होती है?



-काली मिर्च (black pepper) एक विशेष प्रकार की मसाले का द्रव्य है, जो की कई फायदों के साथ रोगों मे प्रयोग होती हैं। 

कालीमिर्च के नाम:-

लै०– पाइपर नाइग्रम(Piper nirgun),सं०-मरिच,गोलमरिच; अं०- ब्लैक पीपर,


काली मिर्च के आयुर्वेदिक गुण:-

गुण–लघु, तीक्ष्ण

रस–कटु,      विपाक–कटु,

वीर्य(तासीर)–उष्ण,

#काली मिर्च का आयुर्वेदिक उपयोग कैसे होता है?

प्रयोग:- यह कफवात जन्य विकारों मे उपयोग होती है।

-काली मिर्च का श्वित्र,किलास,पामा आदि चर्मरोग मे लेप करते है।

-दंतशूल तथा दंतकृमि मे इसके चूर्ण का मंज्जन करते है।

-अग्निमांद्य, अजीर्ण, यक।तविकारों मे,शूल होने की आयुर्वेदिक औषधियों मे कालीमिर्च का प्रयोग किया जाता है।

-प्रतिश्याय(जुकाम),कास,और श्वास रोग मे कालीमिर्च का बहुत लाभ मिलता है।

-कालीमिर्च को पुरुषरोगो मे भी बहुत महत्वपूर्ण प्रयोग होता हैं।

#काली मिर्च के अद्भुत लाभ :-

- यह मधुमेह, शरीर को सूखाने वाली बीमारियों, पेट की गैस, जीवनशैली की समस्याओं, जीवनशैली के लिए खतरनाक बीमारियों तक के लिए लाभप्रद काम करते हैं। 

- काली मिर्च के फायदे विविध हैं, इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:-

*मधुमेह:-

 काली मिर्च मधुमेह के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

*सूखने वाली बीमारियों मे:- 

- काली मिर्च शरीर में विषाक्तताओं को मिटाने में मदद करते हैं।

*पेट की गैस:-

- काली मिर्च पेट में गैस को कम करने में मदद करते हैं।

* स्वास्थ्य बढ़ाने:-

- काली मिर्च मे शरीर को ताकत देने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है। इससे शरीर की स्वास्थ्यवर्धकता बढ़ती है।

* दर्द के लिए:-

- काली मिर्च दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाते हैं, जो दर्द को भी कम करने में मदद करती है।

* मेंटल हेल्थ:-

 काली मिर्च मेंटल हेल्थ को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

* स्वाद की बढ़ोतरी:-

- काली मिर्च खाद्य पदार्थों को अधिक स्वादिष्ट बनाने में मदद करते हैं।

* समय पर रोग नहीं होने की गारंटी:-

- काली मिर्च हमेशा शरीर की स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों से बचाने में मदद करते हैं। इससे शरीर के लिए समय पर कुछ भी रोग होने की ख़तरा कम होती है।

* घटिया प्रक्रियाओं में मदद:-

 -काली मिर्च अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ मिलें, तब घटिया प्रक्रियाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

सारांश:-

>> काली मिर्च के इन फायदों के लिए, हमेशा इसे अपने दैनिक खान-पान में शामिल करने की सलाह दी जाती है। यह आपके शरीर को ताकतवर्धक और स्वस्थ रखने में मदद करेगा।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

शनिवार, 28 जनवरी 2023

क्या हमें कच्ची सब्जियों खाना चाहिए?हिंदी में.

 क्या हमें कच्ची सब्जियों खाना चाहिए?हिंदी में.

<>kya hamen kachchee sabjiyon khaana chaahie? In hindi.

#Should we eat raw vegetables? In Hindi.



[कच्ची सब्जीKachi Sabji]:-

Dr.VirenderMadhan.

अगर हम कच्ची सब्जियाँ खाते हैं तो कच्ची सब्जियों में भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिलते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए,स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। 

कच्ची सब्जियां से आपको  स्वास्थ्य के लिए जरूरी अधिकांश एंजाइम, विटामिन और खनिज भी मिल जाते हैं । 

#कच्ची सब्जी खाने से ओर क्या क्या लाभ होते है?

>What are the other benefits of eating raw vegetables?

– कच्ची सब्जी खाने से वजन नही बढता है। मोटापे मे भी लाभप्रद है।

– कच्ची सब्जी खाने से एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण डायबिटीज, कैंसर, पार्किंसन जैसे रोगों के होने का खतरा बहुत कम हो जाता है।

– कच्ची सब्जी खाने से शरीर को अधिक एनर्जी मिलती है।

– कच्ची सब्जी खाने से पाचनशक्ति बढती है।

– त्वचा स्वस्थ होती है।

– कच्ची सब्जी खाने से हृदय रोग होने की सम्भावना घट जाती है।

#कौन सी कच्ची सब्जीयाँ खाई जा सकती है?

#Which vegetables can be eaten raw?

खीरा, टमाटर, गाजर,शलजम, मूली, पालक, चुकंदर, प्याज, कुंदरू आदि सब्जियों का कच्चे रूप में सेवन किया जा सकता है।

#कौन सी सब्जियां कच्ची नहीं खानी चाहिए?

–Which vegetables should not be eaten raw?

-आलू, पालक, मशरूम,

बिन्स, ग्वारफली, राजमा,

गोभी, ब्रोकली और पत्ता गोभी,बैंगन आदि को कच्चा नहीं खाना चाहिए।

अन्यथा हो सकती है कोई न कोई परेशानी।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

क्या होगा अगर आदमी दूबघास खायें?In hindi.

 क्या होगा अगर आदमी दूबघास खायें?In hindi.



Dr Virender Madhan.

Dube ghass|दूब घास.

- दुब घास दुसरी घासों से अधिक लंबी होती हैं. यह घास हरी और जमीन से पसरने वाली घास हैं. यह घास पुरे वर्ष पाई जाती हैं.

दूर्वा (दूब)घास साधारण जगहो पर कही भी उग जाती है जो बहुधा जमीन से लगभग 6 इंच तक होती है इसका देव पूजा में उपयोग होता है और पशु इसे बडे चाव से खाते हैं।

 इस घास के पौधे का उपयोग उपचार और औषधि के रूप में किया जाता है। 

- यह स्वाद में कड़वी होती है और यह अपनी मंद-मंद खुशबू के लिए मशहूर है। दस्त, मुंहासे, दमा, शुगर, खुजली, गंजापन आदि जैसी बीमारियों में दूधी घास का इस्तेमाल किया जाता है।

# दूब घास के फायदे – 

–––––––––

दस्त :-

 दस्त से परेशान लोगों के लिए दूब घास के लाभ हो सकते हैं। 

–मधुमेह के लिए :-

दूब घास में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।

–प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए:-

दूब घास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायक हो सकते हैं।  एक शोध के अनुसार, दूब घास के अर्क में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होता है। यह प्रभाव इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकता है

–पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) :-

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होने पर महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन का स्तर बढ़ने से महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म, बांझपन और मुंहासे की समस्याएं हो जाती हैं।

- मुंह के रोग:-

मुहं के रोगों में दूब चबाने से लाभ मिलता है।

- रक्तविकार:-

रक्त साफ करने के लिए दूब का रस या काढा पीते हैं त्वचा पर लेप करते है।

– हृदय के लिए:-

दूब घास के प्रयोग से हृदय स्वस्थ रहता है।

– उदर रोग मे:-

दूब पेट और लीवर संबंधी रोगों के लिए लाभप्रद होती है.

-अनिद्रा रोग:-

 दूब के प्रयोग से अनिद्रा मे आराम मिलता है. 

– त्‍वचा विकार:-

त्वचा विकारों जैसे कील, मुहाँसे, झाईयां मे इसका लेप लगाने से त्वचारोग ठीक हो जाता है और त्वचा का रंग साफ होता है।

#दूब घास का प्रयोग कैसे करें?

दूबघास का प्रयोग आप 

स्वरस,काढा,चूर्ण और लेप के रुप मे कर सकते है।जैसे– 

नासारक्तस्राव मे दूब और अनार का जूस मिलाकर नाक मे कुछ बुंदे डालने से आराम मिलता है।

 – दूबधास के रस को धाव पर लगाने से बहता हुआ खुन बन्द हो जाता है।

- दूब घास के लेप को माथे पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।

धन्यवाद!


गुरुवार, 26 जनवरी 2023

किशमिश क्या है खास गुण और किस काम आते हैं? In hindi.

 किशमिश क्या है और किस काम आते हैं? In hindi.



#किशमिश|Raisins:-

By:- Dr.Virender Madhan.

किशमिश सूखे अंगूरों को कहा जाता है। ये एक फ़ारसी शब्द है,  बड़े आकार के अंगूरों की दाख (किशमिश) को हिन्दी में मुनक्का कहा जाता है।छोटे आकार की किशमिश कहलाती है। किशमिश ऊर्जा का भण्डार होती है और फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती है।  किशमिश प्राकृतिक रूप से मीठी और चीनी और कैलोरी में उच्च होती है, 

 जब किशमिश कम मात्रा में खाया जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। 

- किशमिश पाचनशक्ति बढा सकती है, आयरन की मात्रा को बढ़ा सकती है और आपकी हड्डियों को मजबूत रख सकती है।

– किशमिश के पानी में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं,जो त्वचा की सुरक्षित रखती है.

– विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर पानी त्वचा के डेड सेल्स हटाता है जिसके कारण चेहरे की चमक बढ़ जाती है। 

#किशमिश खाने से शरीर में क्या लाभ होता है?

किशमिश में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, आयरन और फाइबर होता है. इसीलिए किशमिश खाने से शरीर में विटामिन बी6, कैल्शियम, पोटैशियम और कॉपर की कमी को पूरा किया जा सकता है. 

– किशमिश खाने से शरीर को भरपूर एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण मिलते हैं. किशमिश में विटामिन ई और हेल्दी फैट भी पाया जाता है.

– किशमिश खाने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है.

–भीगी हुई किशमिश खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है.

–किशमिश से कैल्शियम मिलता है जिससे हड्डियां और दांत हैल्दी रहते हैं.

- किशमिश सेवन से स्पर्म बढतेहै

 – किशमिश खाने का सही समय है सुबह खाली पेट लेकिन अगर आप कब्ज हैं तो इसको दूध के साथ रात में लें सकते हैं।

#किशमिश खाने से हानि?

अधिक किशमिश खाने से लिवर को नुकसान हो सकता है। क्योंकि इसमें ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकती हैं। 

–अधिक किशमिश खाने से डायबिटीज और फैटी लिवर जैसी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।

बुधवार, 25 जनवरी 2023

Uric acid है तो क्या खायें क्या न खायें.in hindi


 #Uric acid है तो क्या खायें क्या न खायें.in hindi.  

आजकल युरिक एसिड एक आम परेशानी बनी हुई है।इस तकलीफ को कम करने के लिए सोचना होगा कि क्या खायें क्या न खायें? 

.#यूरिक एसिड के मरीजों कौन कौन से फल खाने चाहिए? 

- यूरिक एसिड हाई है तो अपनी डाइट में सिट्रस फ्रूट्स जैसे- संतरा, आंवला और नींबू को जरूर शामिल करें। रोजाना इनका सेवन करने से बहुत जल्द और आराम से यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। खट्टे फलों में विटामिन सी की अधिक मात्रा मौजूद होती है । *कुछ खट्टे फल जिन्हें खाया जा सकता है:- 

 1. संतरा (Orange)

 संतरे मे विटामिन सी,  विटामिन ई फोलेट और पोटेशियम की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है यह शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को कम करते है. इससे यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा भी कम हो जाता है. 

2. सेब (Apple) 

यूरिक एसिड के रोगी को सेब का सेवन बढ़ा देना चाहिए क्योंकि इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है,  यूरिक एसिड के लेवल को कम करने मे मदद मिलती है. 

 3. कीवी (Kiwi)

कीवी यूरिक एसिड के मरीजों के लिए लाभकारी माना जाता है. इसमें विटामिन सी,विटामिन ई और फोलेट भी पाए जाते हैं. 

4. केला (Banana) 

केला फ्रूट में प्यूरीन (Purine) कम पाया जाता है जिससे गाउट का खतरा भी कम हो जाता है।

 #यूरिक एसिड के लिए कौन सी दाल सबसे अच्छी है?

 -(थुअर) तूर दाल मे जैसे एंथोसायनिन जैसे घटक होते हैं जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं। जिससे शरीर में यूरिक एसिड में कमी होकर  गठिया से संबंधित सूजन को रोक सकती है - हाई यूरिक एसिड वाले रोगी कभी कभी उड़द की दाल या काले चने का सेवन कर सकते हैं. -  वैसे आपको यूरिक एसिड बढते ही सभी दालें बन्द करने की सलाह दी जाती है। 

#यूरिक एसिड में आलू खा सकते हैं क्या?

 यूरिक एसिड से राहत पाने के लिए आप आलू का सेवन भी कर सकते हैं. दरअसल, आलू फैटी फूड है जिसमें कार्ब्स की मात्रा अधिक होती है, जिससे अक्सर लोग परहेज करते हैं, लेकिन आलू का रस यूरिक एसिड से बचाने का काम करता है. यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए आप हरी सब्जियों का सेवन भी कर सकते हैं.

 #कौनसी सब्जी यूरिक एसिड रोगी को खाना चाहिए?:- 

आप गाजर, चुकंदर, पुदीना, टमाटर, खीरा, प्याज का सेवन कर सकते हैं.  

*प्याज खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है क्या?

 प्याज में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम ,फास्फोरस और फोलेट मौजूद होता है. इसके साथ ही प्याज में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी एलर्जिक, और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर में हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल या कम करने में मदद कर सकते हैं.

मूली:-

 –यूरिक एसिड के मरीजों के लिए मूली का सेवन ठीक है। यह एक अच्छी सब्जी है क्योंकि इसमें प्यूरीन की मात्रा कम होती है। इसमें कम कैलोरी वाला, हाई फाइबर और विटामिन सी से भरपूर होती है। 

#यूरिक एसिड और गठिया को ठीक करने के लिए क्या घरेलू उपाय करें?

 –रोजाना सुबद 2 से 3 अखरोट खाएं। 
 –ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस (ब्राउन चावल) खाने से यूरिक एसिड की मात्रा नही बढती है।
 – बेकिंग सोडा के सेवन से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलेगी।दिन मे एक बार जरूर बेकिंग सोडा मिला पानी पीयें। 
–अजवाईन का सेवन रोजाना करने से भी लाभ मिलता है.
 – बढ़े यूरिक एसिड के लिए गुडूची, जिसे हम गिलोय के नाम से जानते हैं सेवन करना चाहिए. 
–त्रिफला मे एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।आपको त्रिफला पाउडर रात में लेना चाहिए। 
– यूरिक एसिड के मरीजों को हल्दी वाला दुध हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

 #यूरिक एसिड के मरीजों को क्या नही खाना चाहिए?

 – गाउट के मरीजों को अरबी का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे जोड़ों में दर्द और यूरिक एसिड बढ़ सकता है.
 -यूरिक एसिड के मरीजों को फूलगोभी, पत्तागोभी, हरे मटर, बीन्स, भिंडी और मशरूम भी नही खानी चाहिए क्योंकि इनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है. 
–मकई  शरीर में यूरिक एसिड बढा सकता है । जब आप मक्के का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर को भोजन में मौजूद फाइबर को तोड़ने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिन लोगों को गाउट है, उनके लिए यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे पेशाब का बढ़ना और जोड़ों में सूजन जाना।
 -साबुत अनाज जैसे गेहूँ के बीज, चोकर, और दलिया सभी में बहुत प्यूरीन होते हैं, इसलिए इन्हें नही खाना चाहिए।
धन्यवाद!

Dr.Virender Madhan.

सोमवार, 23 जनवरी 2023

मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में।

 #fact #ghreluupaye  #स्वास्थ्य #healthtips,

मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में। 



*अभ्यंग भोजन की तरह शरीर के लिये आवश्यक है|

मालिस के महत्व. 

# परस्तुत द्वारा- डा०वीरेंद्र मढान. गुरु आयुर्वेद Fbd.

 - आयुर्वेद के अनुसार मसाज करना किसी के स्वास्थ्य की दिनचर्या का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम होना चाहिए.  
इसके बहुत से फायदे हैं।  यहां मसाज (मालिस) के बारे में 11 "मजेदार सच" बता रहे है। 

</>{11Fun Truth} 

 1-  मालिश करने से शरीर के प्राकृतिक दर्द निवारकों को क्रियाशील कर सकते है, जिन्हें “एंडोर्फिन” कहा जाता है। यह शरीर के दर्द को कम करने और मूड को ठीक रखने में मदद कर सकता है।
 2- मालिश होने से शरीर के कई कार्यों में सुधार होता है  नर्वस सिस्टम, लसीका प्रणाली, इम्यूनिटी प्रणाली मे सुधार होता है।
 3- चोटों का कारण बनने वाले  जोखिम को कम कर होते हैं. शरीर को चोट कलश सहने की शक्ति बढ जाती है. 
4- मालिस सिर मे होने वाले सिरदर्द और यहां तक   कि माइग्रेन को कम करती है।
 5-  मालिस करके लसीका प्रणाली में सुधार होकर सूजन में सुधार हो जाता है 
 6- मालिस शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता को ,सुदृढ़ बनाता है।
 7- मालिश से कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकती है, जो कि मानसिक तनाव कम करता है।  जिसके फलस्वरुप चिंता, तनाव  कम होती है.
 8- मालिश करने से रक्तचाप को कम करके हमारे हृदय के कार्य को व्यवस्थित किया जा सकता है। 
9- मालिश  करने से सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ता है, जिसे  "हैप्पी हारमोन्स" कहा जाता है क्योंकि यह खुशी को बढा देता है।
 10- मालिश से अनिद्रा रोग ठीक हो कर स्वास्थ्य में सुधार होता है। 
11-शरीर मे बल बढता है.

 #सामान्यतः शरीर पर किस तैल की मालिस की जा सकती है। 

शरीर पर बल बढाने के लिए,या सुरक्षा के लिए आयुर्वेद में तिल तैल को अधिक महत्वपूर्ण माना है आप सरसौं का तैल,नारियल तेल, बादाम तैल,जैतून तैल,और सूरजमुखी का तैल प्रयोग कर सकते हो. 

लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें. धन्यवाद!