Guru Ayurveda

शुक्रवार, 11 मार्च 2022

क्या आपका यूरिक एसिड बढा है ..?Dr.Virender Madhan.in hindi.

 #यूरिक एसिड UricAcid.?In hindi.


#Uric acid क्या है?

#Dr_Virender_Madhan.

यह कार्बनिक पदार्थ है जो शरीर में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है. इसकी जितनी मात्रा बनती है उसे किडनी द्वारा फिल्टर कर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है लेकिन अगर यह जरूरत से ज्यादा शरीर में बनने लगे तो हाई ब्लड प्रेशर, जोड़ों में दर्द, उठने-बैठने में परेशानी और सूजन समेत कई तकलीफों को न्योता देता है.

* अगर किसी के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है? या उनके पैरों की उंगलियों, एड़ियों और घुटनों में दर्द और सूजन रहती है? या फिर वे गठिया के शिकार हैं ? तो ये सभी लक्षण उनके शरीर में यूरिक एसिड (Uric Acid in Hindi) के बढ़ने के कारण हो सकते हैं।

यूरिक एसिड अत्यधिक मात्रा अनको बीमारियां लाती है। 

 – यूरिक एसिड क्या होता है?

यूरिक एसिड खाद्य पदार्थों के पाचन से उत्पन्न एक प्राकृतिक अपशिष्ट उत्पाद है जिसमें प्यूरिन होता है। जब हमारे शरीर में प्यूरिन टूटता है तो यूरिक एसिड पाया जाता है। कुछ खाद्य पदार्थों में उच्च स्तर में प्यूरिन पाए जाते हैं जैसे:

- कुछ मीट

- एक प्रकार की मछली

- सूखे सेम

- बीयर

- इसके अलावा हमारे शरीर में भी प्यूरिन बनते और टूटते हैं।

* आम तौर पर हमारा शरीर किडनी की सहायता से यूरिक एसिड को मूत्र के द्वारा बाहर निकलता रहता है यदि आप अपने भोजन में बहुत अधिक प्यूरिन का सेवन करते हैं,या 

- यदि आपका शरीर इस यूरिक एसिड को बाहर निकलने मे असमर्थ है, तो यूरिक एसिड का लेवल बहुत बढ़ जाता है । * उस स्थिति को हाइपर्यूरिसीमिया के रूप में जाना जाता है।

-  यूरिक एसिड के बढ़ने से शरीर की विभिन्न मांसपेशियों में सूजन आ जाती है,जिसके कारण दर्द होने लगता है और यह दर्द बढ़ने लगता है इससे गाउट नामक बीमारी हो सकती है जो दर्दनाक जोड़ों का कारण बनती है। यह ब्लड और मूत्र को भी एसिडिक बना सकता है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें-

https://youtu.be/X6IwM_tgCyM

#यूरिक एसिड के इक्क्ठा होने के कारण – Uric Acid Ke Karan :-

* आहार

- कुछ प्रकार के आहार के कारण शरीर में यूरिक एसिड इकट्ठा हो सकता है

* आनुवंशिक:-

कुछ मामलो में यह आनुवंशिक होता है

* मोटापा 

 अधिक वजन होने के कारण भी यह समस्या हो सकती है

* तनाव:-

यदि आप बहुत अधिक तनावग्रस्त रहते हैं तो भी आपके शरीर में यूरिक एसिड इकट्ठा हो सकता है

* वृक्कों के रोग:-

किडनी की बीमारी से यूरिक एसिड बढ़ सकता है

*मधुमेह:-

मधुमेह/डायबिटीज के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ता है

* कीमोथेरेपी के कारण 

भी यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण होती हैं

* सोरायसिस;-

सोरायसिस – जो एक त्वचा रोग होता है के कारण यूरिक एसिड बढ़ सकता है


#यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण – Uric Acid Ke Lakshan-


* आपको किडनी की समस्याएं (गुर्दे की पथरी), या पेशाब के साथ समस्याएं हो सकती हैं

* जोड़ों के दर्द के साथ उठने बैठने में परेशानी होना।

* हाथ और पैर की उँगलियों में सूजन के साथ दर्द होना।

* उंगलियों टेढी मेढी हो जाती है।

अधिक जानकारी के लिए:-

https://youtu.be/X6IwM_tgCyM


#क्या खायें?

* एप्पल साइडर सिरका: 

एक गिलास पानी के साथ 3 बड़े चम्मच एप्पल साइडर सिरका लेना चाहिए।

* फ्रेंच बीन जूस: 

यह सबसे प्रभावी घरेलू उपाय है, इसे दिन में दो बार लेने से आराम मिलता है।

*चेरी: 

चेरी मे एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ होते हैं जो यूरिक एसिड के क्रिस्टलीकरण और इसे जोड़ों में जमा होने से रोकता है।जिससे दर्द और सूजन होती है।

* जामुन: 

चेरी के अलावा, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और जामुन जो एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों से समृद्ध होते हैं, ।

* दूध

आप दूध के स्थान पर सोया या बादाम का दूध पी सकते हैं जो कि प्रोटीन से भरपूर होता है।

* भरपूर मात्रा में पानी पियें:

 इससे आप अपने शरीर से यूरिक एसिड को आसानी से निकल सकते हैं ।

*ऑलिव ऑयल:

 कोल्ड-प्रेस्ड तकनीक से बने ऑलिव ऑयल से खाना पकाने से आपके गाउट को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।  

*  बीन्स:

 पिंटो बीन्स में फोलिक एसिड होता है जो यूरिक एसिड के लेवल को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पदार्थ है। 

 * सूरजमुखी के बीज और दाल 

दाल, ताजा सब्जियों का रस, निम्बू, अजवाइन, उच्च फाइबर वाले भोजन, केले , ग्रीन टी, ज्वार और बाजरा जैसे अनाज, टमाटर, ककड़ी और ब्रोकोली,आदि का प्रयोग कर सकते हैं। 

-एरण्ड तैल , लहसुन, करेला, गोखरू, पुनर्नवा, विधारा ,गोमूत्र आदि का प्रयोग जरूर करें।

#क्या न खायें ?

प्यूरिन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे रेड मीट, समुद्री भोजन, ऑर्गन मीट 

-सेम और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और सब्जियां जैसे शतावरी, मटर, मशरूम और गोभी खाने से बचें।

- फ्रक्टोज युक्त पदार्थों का सेवन कम करें।

- व्यायाम करें।

-अधारणीय वेग न रोकें।

-रात्रि जागरण न करें।

#आयुर्वेदिक उपाय?

- गिलोय और सौठ को सम मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें उसकी 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ कुछ दिनों तक लेने से आराम हो जाता है।

-कचूर और सौठ का सम मात्रा में चूर्ण बना कर 2-3ग्राम लेते रहने से कुछ दिन मे आराम हो जाता है।

-एरण्ड के बीज का छिलका उतारकर 25ग्राम को 500 मि०ली० दूध में खीर बनाकर खाने से कुछ दिनों में लाभ मिल जाता है।

-अश्वगन्धा, चोबचीनी, काली मिर्च समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रात्रि में 5-6 ग्राम दूध से कुछ दिनों तक लेने से आराम मिलता है।

बथुआ के 25ग्राम रस रोज लेने से गठिया मे भी राहत मिल ती है।

#शास्त्रोंक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा?

-पुनर्नवादि चूर्ण,

-अजमोदादि वटक

-रास्नासप्तक

-चित्रकादि चूर्ण

-महारास्नादि क्वाथ

-आमवारि रस

- त्रिफलादि लौह

- सर्वतोभद्र रस आदि

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें-

https://youtu.be/X6IwM_tgCyM


(नोट:-किसी भी औषधि के प्रयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर करें।)

आयुर्वेद की अधिक जानकारी के लिए:-
https://youtu.be/o67_IoIQFtU


मंगलवार, 8 मार्च 2022

ब्रह्म मुहूर्त क्या होता है?In hindi


ब्रह्म मुहूर्त क्या होता है?In hindi

«/» ब्रह्मा का समय

By:- Dr_Virender_Madhan.


</> कितने बजे से कितने बजे तक होता है ब्रह्म मुहूर्त?

रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद और सूर्योदय से ठीक पहले का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। यानी सुब‍ह के 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। 

सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त (ब्राह्ममुहूर्त) कहलाता है। सही-सही कहा जाय तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।

शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त के समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। प्राचीन काल में लोग और ऋषि मुनि सदैव ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईश्वर का वंदन किया करते थे। घरों में भी बड़े बुजुर्ग लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर ईश्वर का नाम जपने बैठने जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में उठने को कहते हैं।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त निद्रा त्यागने के लिए सर्वोत्तम है व इस समय उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस वक्त जागकर अपने इष्ट देव या भगवान की पूजा, ध्यान , अध्ययन और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है एवं इस काल में की गई ईश्वर की पूजा का फल भी शीघ्र प्राप्त होता है।

#क्‍या होता है ब्रह्म मुहूर्त में जागने से लाभ।

हमारे ऋषि मुनियों के अनुसार यह समय निद्रा त्याग के चंलिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि ,लक्ष्मी और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।  ब्रह्म मुहूर्त सोना शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। 

पवनपुत्र हनुमानजी ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रों का पाठ करके माता सीता को सुनाया। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है…

“वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।

ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥”

अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।

- ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है कि निद्रा का त्‍याग करके ब्रह्म मुहूर्त में उठो और दैनिक कार्यों में लग जाओ।

- ब्रह्म मुहूर्त में रोजाना उठने वाले लोगों को सफलता प्राप्‍त करने मे प्रकृति मददगार रहती है।   पूरा वातावरण सकारात्‍मक ऊर्जा से भरा रहता है। हमारे मन में अच्‍छे विचार आते हैं और उमंग व उत्‍साह का संचार होता है। 

आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है इस समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है ।


# ब्रह्म मुहूर्त मे न करें ये काम।

* मन में न लाएं नकारात्मक भाव

-ब्रह्म मुहूर्त में व्यक्ति का मस्तिष्क जाग्रत रहता है। 

- यह समय जीवन के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने, अहम योजनाएं बनाने एक लिए बहुत उचित रहता है। 

-नकारात्मक सोच न करें।

* प्रणय संबंध न करें। वर्जित माना गया है। इससे आपके शरीर को रोग घेरने लगते हैं और आपकी आयु का नाश होता है।

- ब्रह्म मुहूर्त में भोजन न करें। इससे आपको बिमारियां घेरने लगती हैं।

 

   धन्यवाद!









सोमवार, 7 मार्च 2022

सांस क्यों फूलता है और इसके उपाय क्याहै।In Hindi.


 # सांस क्यों फूलता है और इसके उपाय क्याहै।In Hindi.

By- Dr_Virender_Madhan.


#Hyperventilation सांस का फूलना।

- सामान्य से अधिक बार सांस लेने की स्थिति को हांफना या सांस फूलना कहते हैं। तेजी से सांस लेने की इस प्रकिया को अंग्रेजी में हाइपरवेंटिलेशन कहा जाता है।

- हम नाक और मुंह के माध्यम से सांस के रूप में जो ऑक्सीजन लेते हैं, वह वायुमार्ग के माध्यम से ही शरीर के अंदर प्रवेश करती है और रक्त में मिलकर पूरी शरीर को जीवित और ऊर्जावान बनाए रखने का काम करती है।


-वायुमार्ग या श्वसनतंत्र मे यदि किसी बीमारी के कारण श्वसनतंत्र के कार्यों में बाधा आती है तो सांस फूलने की समस्या हो सकती है। 

- इन कारणों में शरीर में बढ़ा हुआ फैट, हार्ट की समस्या या ट्यूमर जैसे रोग भी शामिल हैं।

- हार्ट फेलियर,

- फेफड़ों में संक्रमण, 

- दम घुटने आदि जैसी स्थिति के दौरान व्यक्ति में हांफने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। दरअसल सांस फूलना कोई बीमारी नहीं हैं, हालांकि यह किसी बड़ी बीमारी का लक्षण जरूर हो सकता है। 


#सांस फूलने के कारण क्या क्या कारण होते है?

-सीओपीडी -

यह फेफड़ों से जुड़ी एक आम बीमारी है, जिसमें ब्रोंकाइटिस में सांस की नली में सूजन और एंफिसेमा में फेफड़ों में मौजूद छोटी हवाओं की थैली नष्ट हो जाने जैसी समस्या उत्पन्न होती है। 

-अस्थमा-

जल्दी-जल्दी सांस लेना अस्थमा अटैक का भी लक्षण हो सकता है। 

-शरीर में पानी की कमी-

शरीर में पानी की कमी होने पर सांस लेने के तरीके में भी बदलाव आने लगता है। समस्या का शिकार होकर जल्दी-जल्दी हांफने लगता है।

-खून के थक्के-

जब व्यक्ति को पल्मोनरी एंबॉलिज्म की समस्या होती है तो फेफड़ों में खून के थक्के जमने लगते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति को तकलीफ होने लगती है।

-संक्रमण-

फेफड़ों को संक्रमित करने वाले रोग जैसे निमोनिया, व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न करते हैं। 

-वजन बढ़ने के कारण सांस लेने में समस्या होना

-बिना रुके लगातार शारीरिक श्रम करना भी सांस फूलने की वजह हो सकती है।

-शारीरिक कमजोरी और खून की कमी के कारण भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

-नींद पूरी ना होना भी सांस लेने में समस्या का कारण बन सकता है।

-अत्यधिक प्रदूषण युक्त स्थान पर रहने से सांस लेने में दिक्कत होती है।

-जो लोग बहुत अधिक स्मोकिंग करते हैं, उन्हें भी सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।


#सांस फूलने के लक्षण क्या है?

- गले में जलन और फेफड़ों में जलन महसूस करना।

- आंखों में पानी आ जाना

- चक्कर आना या बेहोशी महसूस करना

- सांस लेते वक्त आवाज निकलना

- दिल की गति का तेज हो जाना


#सांस फूलने से कैसे बचें?


- जीवनशैली को ठीक करें

-फेफड़ों को क्षति पहुंचाने वाली आदतें बदलें जैसे अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन करने से बचें।

-कपालभाती, प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम जैसे सरल प्राणायाम करने से हांफने की समस्या को दूर किया जा सकता है।

-नियमित व्यायाम करने से भी हाइपरवेंटिलेशन की समस्या को रोका जा सकता है।

* आगे की तरफ झुककर बैठें

यदि सांस फूले तो आप तुरंत ही कुर्सी पर आगे की तरफ झुककर बैठने की कोशिश करें। बैठने से भी ब्रीदिंग को बढ़ा सकते हैं। 

* होठों को बंद करके गहरी सांस लेना।

फर्श पर पद्मासन (Padmasana) की अवस्था में सीधे तन कर बैठ जाएं। नाक से गहरी सांस अंदर लें और 5-6 सेकेंड के लिए रुकें। अब होंठों को गोल (pursed lip exercise) करके (जैसे सीटी बजाते समय करते हैं) 5 सेकेंड के लिए सांस को मुंह से धीरे-धीरे बाहर छोड़ें। सांस अंदर लेने से ज्यादा समय सांस को बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को 10 बार जरूर करें। इससे वायुमार्ग में उत्पन्न हुई बाधा दूर होती है

“यदि आप पैनिक अटैक जैसा महसूस कर रहे हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।”


#सांस फूलने पर घरेलू उपाय क्या करें?

- पानी की भाप लें।

- ब्लैक टी पीयें।

-अदरक रस को शहद में मिलाकर लें।

- गुड को सरसों के तैल मे मथकर चाटने से आराम मिलता है।

-दशमुल के काढे मे पोहकरमूल    चूर्ण मिलाकर पीने से राहत मिलती है।

-भुनी हुई अलसी 3 भाग,काली मिर्च1भाग मिलाकर शहद के साथ लेने से आराम मिलता है।

-हृदय रोग मे सांस फूलने मे अर्जुन छाल का काढा लेना लाभप्रद है।

- पानी की कमी मे चंदन का शर्बत पीना हितकारी है।

-कमजोरी मे अमृतप्राश या च्यवनप्राश खाये।

-इम्यूनिटी के लिये गिलोय का प्रयोग करें।

  आयुर्वेद की अधिक जानकारी के लिए :-

https://youtube.com/channel/UCt8y6DawRXrSU9kGfNGHbLg

आपको लेख कैसा लगा या कोई प्रश्न हो तो कोमेंट मे लिखे।

धन्यवाद!

जीवनी शक्ति Vitality क्या है? In hindi.


 #जीवनी शक्ति Vitality क्या है? In hindi.

By .#Dr_Virender_Madhan.

Vital force जीवन को  बहतर चलाने की शक्ति स्वास्थ्य का आधार है – जीवनी शक्ति (वाईटल एनर्जी) कहलाती है। यदि जीवनी शक्ति ठीक है तो हम रोगमुक्त रह सकते हैं। अगर जीवनी शक्ति दुर्बल है तो रोगों का आक्रमण होता है और जीवनी शक्ति से ही जीवन है।

जीवनी शक्ति के कमजोर होने से अनेकों रोग हो जाते है।

जब हम प्रसन्न रहते हैं तो जीवन में उत्साह रहता है, किसी भी काम को करने में खुशी मिलती है। इसी से जीवनी शक्ति बढ़ती जाती है। प्राण शक्ति के संचय के लिए प्रसन्नता अमृत का काम करती है। दूसरी ओर जो लोग दुखी रहने का नाटक करते हैं, हमेशा उदास रहते हैं, उनकी जीवनी शक्ति घटती रहती है



#जीवनी शक्ति दुर्बल होने के पाँच मुख्य कारण हैं-


1- सामर्थ्य से अधिक शारीरिक तथा मानसिक कार्य करना एवं आवश्यक विश्राम न लेना।

2- भय, चिंता, क्रोध आदि के कारण शरीर व मन को तनाव में रखना।

3- पौष्टिक आहार का अभाव या आवश्यकता से अधिक खाना। नशीली वस्तुओं एवं गलत आहार का सेवन। रात्रि को देर से भोजन करना व दिन को भोजन करके सोना।

4-  उपवास करें अथवा रसाहार या फलाहार पर रह कर, जीवनी शक्ति को पाचन कार्य में कम व्यस्त रखकर शरीर की शुद्धि तथा मरम्मत के लिए अवसर देंगे तो तुरंत स्वास्थ्य लाभ होगा।


5- वीर्यरक्षा (ब्रह्मचर्य) की उपेक्षा करना।

और विषैली औषधियों, इंजेक्शनों का प्रयोग तथा ऑपरेशन करना एवं प्रकृति के स्वास्थ्यवर्धक तत्त्वों से जीवनी शक्ति कम होती है।इनसे अपने को दूर रखना।


#जीवनी शक्ति कैसे बढ़ाएं?

आयुर्वेद के अनुसार रसायनों का प्रयोग करने से स्वास्थ्य बढता है जीवन शक्ति बढती है ।आरोग्यता बढती है।

* इसके लिए आंवला, आंवला रस,आमलकी रसायन का वर्णन मिलता है।

* गिलोय को भी रसायन बताया है। गिलोय का ताजा रस 50 ग्राम दूध के साथ पीने से अनेकों रोगों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर में जीवनी शक्ति बढती है।

* रोज प्रात काल में शहद और घी की असमान मात्रा लेकर उसके साथ कुठ का चूर्ण 13-14 ग्राम लेने से भी लाभ मिलता है।

*ब्राह्मी 6ग्राम, बादाम 5दाने, दाख 7दाने, काली मिर्च 10,सबको घोटकर 200 मि०ली० पानी में घोलकर कर मिश्री मिला कर पीने से स्वास्थ्य उत्तम होता है बुद्धि बढती है।

* आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला भी बढा रसायन है त्रिफला रस , त्रिफला क्वाथ, या त्रिफला चूर्ण लेने से त्रिदोषज रोग भी शांत हो जाते है ।रक्तविकार , नेत्र विकार , बाल व त्वचा रोग ठीक होते है तथा बल प्राप्ति होती है।

*रसायन चूर्ण:-गिलोय, गोक्षुरु ,आंवला सममात्रा मे लेकर चूर्ण बनाले फिर  इसमे से 6ग्राम रोज दूध के साथ खाने से बहुत लाभ मिलता है।


#जीवनी शक्ति के लिए लाईफ स्टाईल:-

*आशावादी बने।

आशावादी दृष्टि और प्रसन्नता से प्राण ऊर्जा बढ़ती रहती है।  जब हम प्रसन्न रहते हैं तो जीवन में उत्साह रहता है,  इसी से जीवनी शक्ति बढ़ती जाती है। जीवनी शक्ति को प्रबल रखकर सदा स्वस्थ रह सकते हैं।

* प्राणायाम करें

जीवनी शक्ति प्राणायाम से बढ़ती है। 

* सूर्य की किरणों में भी रोगप्रतिकारक शक्ति होती है।

सूर्य की किरणों में बैठकर 10 प्राणायाम करें और शवासन में लेट जायें। 

* सकारात्मक विचार करें.

[ सब कुछ अच्छा है ] ऐसा संकल्प बार बार करें।

* प्राणायाम करने से मनोबल भी बढ़ता है और बुद्धिबल भी बढ़ता है। बहुत से ऐसे रोग होते हैं जिनमें कसरत करना संभव नहीं होता लेकिन प्राणायाम किये जा सकते हैं।

- ज्यों ही रोगप्रतिकारक शक्ति कम होती है जीवाणु-बिषाणु जो शरीर में पहले से ही होते है सक्रिय होकर  दमा, टी.बी. आदि बीमारियों का रूप ले लेते हैं। प्राणायाम के अभ्यास से ऐसे कई रोगों के जीवाणु बाहर चले जाते हैं।

प्राणायाम से वात-पित्त-कफ के दोषों का शमन होता है। अगर प्राण ठीक से चलने लगेंगे तो वात-पित्त-कफ आदि त्रिदोषों में जो गड़बड़ है, वह गड़बड़ी ठीक होने लगेगी।

* उत्तम आहार करें 

आहार, आयु ,ऋतु, बल के अनुसार करें। जितना आप ठीक से पचा सकते हो उतना ही करें।

*विरुद्ध आहार न करें 

जैसे दूध के साथ मछली या मूली न खाई जाती।


नोट:-कोई भी द्रव्य ,या औषधि प्रयोग करने से पहले कपने चिकित्सक से सलाह जरूर ले।

आयुर्वेद की अधिक जानकारी के लिए :-

https://youtube.com/channel/UCt8y6DawRXrSU9kGfNGHbLg


आपको लेख कैसा लगा कृपया कोमेंट मे बताये





शनिवार, 5 मार्च 2022

#एंग्जायटी (Anxiety) क्या है ?In Hindi.

 


#एंग्जायटी (Anxiety) क्या है ?In Hindi.


Anxiety 

By:- #Dr_VirenderMadhan.


- तनाव पूर्ण परिस्थितियों का सामना न करके उसे भागना चिंता ग्रहस्थ हो जाना और सोचते सोचते समाधान करने की शक्ति समाप्त होने लगना, 


- जीवन के प्रति रूचि न रहना 

- किसी न किसी भय से ग्रहस्थ हो जाना Anxiety कहलाता है।

एंग्जायटी (Anxiety) इंसान के लिए घातक है!  

- रिश्तों में विश्वास की कमी, एक दूसरे से आगे निकलने की दौड़, असुरक्षित महसूस करना, लड़ाई-झगड़ा, ग़लत व्यवहार, अनियमितता, समाज से दूर रहना, अपनी ही जिंदगी में लीन रहना यह सब बेचैनी के कारण हैं। 


#एंग्जायटी (Anxiety) के लक्षण।

अवसाद, निराशा व दुःख से जन्म लेती है। 

* इस स्थिति में व्यक्ति को हर वक्त इस बात का डर लगा रहता है कि कुछ गलत होने वाला है। 

- यह घबराहट के दौरे (पैनिक अटैक) होते हैं। एंग्जायटी (Anxiety) के दौरे में व्यक्ति को हर समय चिंता, डर व घबराहट महसूस होती है। इसके अलावा उल्टी व जी मिचलाने की समस्या भी महसूस होती है, तो


« चिकित्सक से जरूर संपर्क करें अन्यथा ये जानलेवा भी हो सकता है। »

* बेवजह की चिंता करना

इस रोग मे सुस्ती व चिंता रोगी को घेरे रहती है।किसी भी कार्य मे मन नही लगता है।

* हृदयगति में बढ़ोत्तरी होना।

रोगी को घबराहट बनी रहती है। निर्णय लेने की शक्ति का ह्रास हो जाता है। छाती में खिंचाव महसूस होना

* सांस फूलने लगते है विचारों पर नियंत्रण नहीं होता है। लोगों के सामने जाने से डरना । लोगों से बातचीत करने से बचता है।

* जुनून की हद तक सफाई करना। बार-बार चीजों को सही करते रहना भी इस रोग के लक्षण होते है।

* जीवन से निराश हो जाना

* ये सोचने कि आप मरने वाले हैं या कोई आपको मार देगा

* किसी नुकसान का डर रहना।

*पुरानी बातों को याद करके बेचैन होना।

* मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाना।

* बिना कारण के बेचैनी महसूस करना। जल्दी निराश हो जाना

*समाज से कट कर रहना।

*चिडचिडापन रहना।

* किसी चीज के लिए अनावश्यक आग्रह करना आदि

Anxiety के लक्षण है।


 #एंग्जायटी (Anxiety) के कारण- 


* ज़्यादा चिंता करने लगना।

जब व्यक्ति समस्याओं का सामना न करके नकारात्मक विचारों मे उलझ जाये तब असफलता को सहन न कर पाये तो चिन्ता विक्षिप्त का शिकार हो जाता है। इसके चलते आप खुद के महत्वपूर्ण कामों को अच्छे से नहीं कर पाते।

*तनावपूर्ण घटनाओ का लगातार या लम्बे समय तक चलना

 -एक कारण हो सकता है। कार्य का बोझ, तनाव, अपने किसी प्रिय व्यक्ति का निधन  अविश्वसनीय घटनाएँ आदि।

* परिवार का इतिहास

जिन व्यक्तियों के परिवार में मानसिक विकार से जुड़ी समस्याएँ होती रही हैं, उन्हें चिंता विकार की समस्या जल्दी हो सकती है जैसे ओसीडी विकार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जा सकता है।

* बीमारी:-

स्वास्थ्य से जुड़े मामले

थायरॉयड की बीमारी, दमा, डायबिटीज या हृदय रोग आदि। 

*अवसाद 

से पीड़ित लोग भी एंग्जायटी (Anxiety) की चपेट में आ सकते हैं। जो व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहा हो, उसकी कार्यक्षमता में गिरावट आने लगती है। तब एंग्जायटी (Anxiety) का जन्म होता है।

*नशे का इस्तेमाल करना 

-नशा Anxiety बडा कारण होता है।

असफलता,पीड़ा, ग़म, मायूसी, उदासी व तकलीफ़ को भुलाने के लिए बहुत से लोग शराब, नशीली दवाओं और दूसरे नशों का सहारा लेने लगते हैं। यकीन मानें कभी भी ये चीज़ें एंग्जायटी (Anxiety) का इलाज नहीं हो सकते हैं। नशे का इस्तेमाल समस्याओं को और बढ़ा देता है। नशे का असर खत्म होते ही फिर से वही परेशानियां बढ़ने लगती हैं। 

आयुर्वेद की अधिक जानकारी के लिए :-

https://youtube.com/channel/UCt8y6DawRXrSU9kGfNGHbLg


 {नशा समाधान नही, रोग उत्तपत्ति का कारक होता है।}

* व्यक्तिव से जुड़े विकार ।

कुछ लोगों को पूर्णतः के साथ काम करने की आदत होती है लेकिन जब ये पूर्णतः की जिद सनक बन जाए तो ये एंग्जायटी (Anxiety) के अधीन आ जाता है। यही जिद उन लोगों में बिना वजह की घबराहट और चिंता को जन्म देती है। 

#एंग्जाइटी से बचने के कुछ उपाय।

*जीवनशैली Life style ठीक करें।

* सुपाच्य व पौष्टिक आहार करें।

*आज के बारे में सोचें।

एंग्जाइटी का शिकार इंसान ज्यादातर भविष्य की चिंताओं को लेकर परेशान रहता है। इसलिए भविष्य की चिंताओं को छोडकर आज के बारे में सोचना शुरू कर दें। मुझे आज क्या क्या करना।

*अपने आज के काम मे बिजी हो जाये।

*अपने आप को समझाये कि जिस रोग से आप घबराये है वह केवल आपकी सोच के कारण है।अपने आप को यकीन दिलाये।

* योग व हल्का व्यायाम शुरू करें। जैसे घूमना।

* अपनी सांसों पर ध्यान लगायें या सांसों की गिनती करें।

*छोटे बच्चों या अपने मित्रों से बात करें उनमे व्यस्त हो जाऐ।


* सोने से पहले एक कागज पर 100 से 1 तक उल्टी गिनती करें।

*सवेरे उठकर मष्तिष्क को संदेश दे कि “सब कुछ ठीक है” 

इसे बार बार दोहरायें।

*अपने दोस्तों को फोन करें परिवार के उत्सवो मे शामिल रहें।

#आयुर्वेदिक औषधियों:-

*ब्रेनिका सीरप(गुरू फार्मास्युटिकल)

1-2 चम्मच दिन में2-3 बार ले।

*ब्रेनटो सीरप 

*मेन्टेट टेबलेट

*ब्राह्मी वटी

*स्मारिका वटी

*सारस्वतारिष्ट

*अश्वगंधारिष्ट

आदि औषधियों का प्रयोग करें


[अपने चिकित्सक की सलाह लेकर ही प्रयोग करना चाहिए।]









 





शुक्रवार, 4 मार्च 2022

कील-मुहांसे Acne Vulgaris क्या होते है?In hindi.


 #कील-मुहांसे Acne Vulgaris क्या होते है?

By:- Dr.Virender Madhan.

#आयुर्वेद के अनुसार कील-मुहांसे।

-चेहरे के रोमकूपों मे कफ या आम दोष से वहां का स्नेह दूषित हो कर वातदि दोष विकृत हो शोथयुक्त पिंडिका उत्पन्न हो जाते है।

-यह विशेष रुप से युवावस्था मे होने वाला रोग है नवयुवक, युवतीओ के चेहरे पर कील सी निकल जाती है।इनमे दर्द भी होता है। इसे  पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं। पिंपल्स होने की एक और वजह प्रदूषण और धूल मिट्टी है जिसकी वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और इससे कील-मुंहासे हो जाते हैं। 


#युवान पिंडिका(पिंपल्स) होने के कारण :-

तैल ग्रन्थियों मे रुकावट आ जाने से तैलीय द्रव्य बाहर न आने के कारण ये रोग हो जाता है जीवाणु हो जाने पर इनमे सुजन भी आ जाती है।

इसके सामान्य कारण :-

»कुआहार:-

 पिंपल्स होने की बड़ी वजहों में से एक है जंक फूड और तले-भुने भोजन का अधिक सेवन। ऐसे भोजन से त्वचा ऑयली हो जाती है और कील-मुंहासों और पिंपल्स को पैदा करती है। 

»प्रदूषण:-

हमारी त्वचा प्रदूषण और धूल मिट्टी के ज्यादा संपर्क में रहती है, तो इस वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और फिर कील-मुंहासे हो जाते हैं।

»असन्तुलित हार्मोन्स:-

-चेहरे पर पिंपल निकलने की समस्या आमतौर पर युवावस्था मे शरीर में तेजी से हॉर्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। इस कारण हॉर्मोन्स असन्तुलित होने से हमारी स्किन पर पिंडिकाएं (पिंपल्स ) उगने लगते हैं। जो शुरुआत में किसी छोटे दाने या उभार की तरह महसूस होते हैं।


मुहांसों के लक्षण :

चेहरे, कंधे,छाती,पीठ पर इन मवादयुक्त गांठों में दर्द, जलन, सूजन और लालिमा पाई जाती है। कुछ मुंहासे काले सिर वाले होते हैं जिन्हें "कील" कहा जाता है। यदि इनको दबाया जाए, तो काले सिर के साथ-साथ भीतर से सफेद रोम जैसा पदार्थ बाहर निकलता है और इससे पैदा होने वाला छेद स्थाई हो जाता है।

ये कील मुहांसे काफी दिनों तक चेहरे पर मौजूद रहते हैं और इन्हें खुजलाने या ठीक इलाज ना करने पर ये दाग छोड़ जाते हैं। कभी कभी चेहरे पर मौजूद वाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स भी आगे चलकर मुहांसे बन जाते हैं। 


#मुहांसों के घरेलू उपाय:-

भुने काले चने 6ग्राम, मुर्दासंग 3ग्राम, सफेदा कासगिर 3ग्राम मिलाकर पेस्ट बनाकर मुहांसों पर लगाने से ठीक हो जाते है।

*हल्दी2-3ग्राम गुड के साथ खाने से चेहरा साफ हो जाता है मुहांसे ठीक हो जाते है।

*कालीमिर्च घिसकर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते है।

* रोज रात मे कच्चे दूध मे जायफल घिस कर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाता है।

* सेमल के कांटे कच्चे दूध मे पीसकर लगाने से कील मुहांसे ठीक हो जाते है।

*मसूर की दाल पीसकर पेस्ट बना कर मुहांसों पर लगाते है।

*त्रिफला, मुलहठी चूर्ण मिलाकर 3-4 ग्राम रोज खाने से चेहरा साफ होता है और मुहांसे ठीक हो जाते है।

*छुवारे की गुठली सिरके मे घिसकर मुहांसों पर लगाते है।


»अन्य उपाय:-

»चिरौंजी का उपयोग-

एक चम्मक चिरौंजी पीसकर गाय के ताजा दूध में मिलाकर लेप बनाएं और इसे चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. थोड़ी देर बाद जब यह लेप सूख जाए तो इसे ताजे पानी से धो लें. 

 » नींबू का प्रयोग:-

 आप नींबू को काटकर उसका रस एक कटोरी में निकालें, इसमें थोड़ा नमक और शहद मिलाकर इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।  सूख जाने पर  गुनगुने पानी से धो दें।

» एलोवेरा जेल-

 त्वचा की देखभाल के लिए एलोवेरा सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाला हर्ब है.

» टी ट्री ऑयल- 

टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसके प्रयोग से बहुत लाभ मिलता है।


»नीम की पत्ती का लेप

नीम की पत्तियों का पानी के साथ लेप बना कर लगाने से लाभ मिलता है।


पिंपल से बचने के लिए खाने में क्या खाएं और क्या न खाएंः-


»कील-मुहांसे है तो क्या खाएं?-


-हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, शकरकंद, गाजर और शिमला मिर्च खाएं।

-मौसमी फलों को अपने भोजन में शामिल करें।

-दही का नियमित सेवन करें।

-ग्रीन टी पिएं।

-अखरोट, काजू और किशमिश का सेवन करें।


क्या न खाएं-

-ज्यादा तेल वाली चीजें या जंक फूड जैसे-पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि का ज्यादा सेवन न करें।

-ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें।

-ऐसी चीजों से दूर रहे, जिनमें ग्लिसेनिक की मात्रा अधिक होती है। जैसे-सफेद ब्रेड, सफेद चावल, प्रोसेस्ड फूड आदि।


जीवनशैली में बदलाव–

-अपने चेहरे को हर रोज दो बार धोएं। इससे आपके चेहरे पर जमने वाली धूल-मिट्टी साफ हो जाती है और पिंपल होने का खतरा काफी कम हो जाता है।

इसलिए जरूरी है कि कहीं भी जाते समय अपने चेहरे को अच्छी तरह से ढंककर चलें ।


-हर रोज खुब पानी पिएं ताकि आपके शरीर की अशुद्धियां बाहर निकलती रहें।

-अगर कोई एक्ने निकले तो उसे दबाए नहीं। ऐसा करने से एक्ने अन्य जगहों पर फैल सकते हैं।

-ज्यादा नमक खाने से एक्ने हो सकता है इसलिए सीमित मात्रा में नमक का सेवन करें।

-पौष्टिक और संतुलित आहार लेने की आदत डालें।

-भाप लें, यह त्वचा के रोमछिद्रों को खोलने में मदद करता है और पिंपल और ब्लैकहेड्स को आसानी से हटाता है।

-हर समय अपने चेहरे को न छुएं। ऐसा करने से हाथ में मौजूद बैक्टीरिया आपके चेहरे की त्वचा तक पहुँच सकता है और आपको पिंपल का शिकार बना सकता है।

गुरुवार, 3 मार्च 2022

त्रिफला Triphala एक अद्भुत औषधि है ।in hindi.


 त्रिफला Triphala एक अद्भुत औषधि है 

#Dr.Virender Madhan.


#त्रिफला क्या है?


त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक  योग ( फ़ार्मुला ) है

त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'तीन फल'।ले‍किन आयुर्वेद का त्रिफला 3 ऐसे फलों का मिलन है जो तीनों ही अमृतीय गुणों से भरपूर है। आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। 

त्रिफला मुख्यतया दो प्रकार का होता है

1-त्रिफला में इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण बनाकर कर लिया जाता है। 

 2- जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"।


#त्रिफला के फायदे (गुण)


» कब्ज़ दूर करने में सहायक

त्रिफला कब्ज की लोकप्रिय औषधि है।आयुर्वेद में त्रिफले को रेचक माना है।


» पेट में गैस की समस्या(एसिडिटी) से राहत।


त्रिफला पाचक व रोचक है यानि पाचनशक्ति देता है


» आंखों के लिए त्रिफला:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाती है।

त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।


» वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक।


त्रिफला खाने से अधिक बढा हुआ फैट(वसा)कम होती है मोटापा कम करने में बहुत लाभकारी है।

» पाचन शक्ति बढ़ाता है

त्रिफला पाचक है इसलिए इसके प्रयोग से पाचन शक्ति बढती है तथा भोजन के प्रति रूचि बढती है।आंत्र शुध्द तथा पुष्ट होती है।


» बालों का झड़ना रोकता है

आजकल बाल झडने की समस्या बहुत बढ गई है 50% पुरुषों मे तथा 65% स्त्रियों मे बालों की समस्या होती है। इसके लिये त्रिफला को पानी मे भिगोकर रखते है फिर उसके पानी से बालों को धोते है।साथ मे त्रिफला चूर्ण 1-1 चम्मच पानी से सवेरे सायः लेने से बाल झडने की समस्या दूर करने मे मदद मिलती है।

»  मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी

पित्त विकार के कारण मुत्र की जलन ,मुत्राल्पता आदि रोगों में त्रिफला प्रयोग करने से लाभ मिलता है।


» कमजोरी दूर करे त्रिफला।

शारीरिक दुर्बल व्यक्ति के लिए त्रिफला का सेवन रामबाण साबित होता है. इसके सेवन करने वाली व्यक्ति की याद्दाश्त भी अन्य लोगों के मुकाबले तेज होती है. इसका सेवन करने से दुर्बलता कम होती है. दुर्बलता को कम करने के लिए त्रिफला को हरड़, बहेड़ा, आंवला, घी और शक्कर को मिलाकर खाना चाहिए.


» रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए।

त्रिफला चूर्ण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. यदि आपके शरीर में दुर्बलता है तो भी त्रिफला चूर्ण का सेवन कर आप अपने शरीर का कायाकल्प कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप इसका कई वर्ष तक नियमित रूप से सेवन करें.


» हाई ब्लड प्रेशर में त्रिफला उपयोगी।

त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. 

- तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. 


» चर्म रोग दूर करे त्रिफला।


चर्म रोग जैसे दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुन्सी की समस्या में सुबह-शाम 4 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण खाने से फायदा होता है.


» त्रिफला कषाय मुखपाक मे लाभकारी:-

 एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजा पानी में दो-तीन घंटे के लिए भिगो दें. अब इस पानी की घूंट भरकर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दें. इससे मुंह की समस्या में राहत मिलेगी.


» सिर दर्द में गुणकारी ।

त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के अंदर की छाल और गिलोय को मिला कर बनें मिश्रण को आधा किलो पानी में पकाएं. ध्यान रहे इसे 250 ग्राम रहने तक पकाते रहें. अब इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह व शाम के समय गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर होती है.


#त्रिफला कितना खाना चाहिए?


» त्रिफला की मात्रा ?

सेंधा नमक, चीनी, शक्कर या गुड़ आदि के साथ बच्चों को आधा चम्मच व बड़ों को 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ दें। ध्यान रहे खाली पेट लेना लाभदायक है। भोजन से आधा घंटा पहले या आधा घंटा बाद में 

» अनुपान:-

त्रिफला चूर्ण को शक्कर, शहद,मिश्री, पानी या दूध के साथ ले सकते है ।


“अच्छा होगा मगर आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेकर खाये क्योंकि चिकित्सक आपके दोष विकार के अनुसार उचित अनुपान बता सकते है। ”