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मंगलवार, 8 मार्च 2022

ब्रह्म मुहूर्त क्या होता है?In hindi


ब्रह्म मुहूर्त क्या होता है?In hindi

«/» ब्रह्मा का समय

By:- Dr_Virender_Madhan.


</> कितने बजे से कितने बजे तक होता है ब्रह्म मुहूर्त?

रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद और सूर्योदय से ठीक पहले का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। यानी सुब‍ह के 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। 

सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त (ब्राह्ममुहूर्त) कहलाता है। सही-सही कहा जाय तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।

शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त के समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। प्राचीन काल में लोग और ऋषि मुनि सदैव ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईश्वर का वंदन किया करते थे। घरों में भी बड़े बुजुर्ग लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर ईश्वर का नाम जपने बैठने जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में उठने को कहते हैं।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त निद्रा त्यागने के लिए सर्वोत्तम है व इस समय उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस वक्त जागकर अपने इष्ट देव या भगवान की पूजा, ध्यान , अध्ययन और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है एवं इस काल में की गई ईश्वर की पूजा का फल भी शीघ्र प्राप्त होता है।

#क्‍या होता है ब्रह्म मुहूर्त में जागने से लाभ।

हमारे ऋषि मुनियों के अनुसार यह समय निद्रा त्याग के चंलिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि ,लक्ष्मी और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।  ब्रह्म मुहूर्त सोना शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। 

पवनपुत्र हनुमानजी ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रों का पाठ करके माता सीता को सुनाया। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है…

“वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।

ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥”

अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।

- ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है कि निद्रा का त्‍याग करके ब्रह्म मुहूर्त में उठो और दैनिक कार्यों में लग जाओ।

- ब्रह्म मुहूर्त में रोजाना उठने वाले लोगों को सफलता प्राप्‍त करने मे प्रकृति मददगार रहती है।   पूरा वातावरण सकारात्‍मक ऊर्जा से भरा रहता है। हमारे मन में अच्‍छे विचार आते हैं और उमंग व उत्‍साह का संचार होता है। 

आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है इस समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है ।


# ब्रह्म मुहूर्त मे न करें ये काम।

* मन में न लाएं नकारात्मक भाव

-ब्रह्म मुहूर्त में व्यक्ति का मस्तिष्क जाग्रत रहता है। 

- यह समय जीवन के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने, अहम योजनाएं बनाने एक लिए बहुत उचित रहता है। 

-नकारात्मक सोच न करें।

* प्रणय संबंध न करें। वर्जित माना गया है। इससे आपके शरीर को रोग घेरने लगते हैं और आपकी आयु का नाश होता है।

- ब्रह्म मुहूर्त में भोजन न करें। इससे आपको बिमारियां घेरने लगती हैं।

 

   धन्यवाद!









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