Guru Ayurveda

सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

शरीर पर सुजन [ Inflammation ] है तो क्या करें?In hindi


 #शोथ [Inflammation]  के प्रश्न-उत्तर ।

Dr.Virender Madhan.

#सुजन#शोथ [ Inflammation] कैसे होती है और उसके क्या उपाय है?

<< शोथ के और क्या क्या नाम है ?

#Inflammation शोथ क्यों [कारण]होता है ?

#आयुर्वेद में सुजन के भेद ?

*शोथ का  आयुर्वेदिक निदान क्या है ?

*शोथ की सम्प्राप्ति ?

#आयुर्वेद मे शोथ के लक्षण ?

#सुजन की आयुर्वेदिक चिकित्सा कैसे करे ?

<<शोथ [सुजन]के घरेलू उपाय क्या है?

*सुजन हो तो जीवनशैली कैसी होनी चाहिये?


*शोथ के नाम :- 

#शोथ, #सुजन,#lnflammation,शोफ, आदि नामों से सुजन को जानते है।

#Inflammation शोथ क्यों होता है क्या क्या कारण है?

हमारे जीवनशैली के बिगडने ,आहार विधि के बिगडऩे पर तीनों दोष अपने स्वयं के कारणों से कुपित एवम बिगडने से, और रक्त के स्वम के कारणों दूषित होकर कुपित व दूषित वात के द्वारा पित्त, कफ दोष ऊपरी शिराओं मे आकर रुक जाते है तथा त्वचा और माँस धातु मे उभार (उत्सेध) ,संहत (ठोस) होता है।इस सम्पूर्ण संचय को शोफ या शोथ कहते है। 

आयुर्वेद मे सुजन के भेद?

*कारण भेद से:-
१-वातज २-पित्तज ३-कफज ४-वातकफज५-वातपित्तज ६-पित कफज ७-सन्निपातज ८-अभिधातज ९- विषज।

*विधि भेद से शोथ के भेद:-
१-निज ( दोषों [वात-पित आदि के ] कारण ।
२-आगंतुज :- चोट से, विष के स्पर्श आदि के कारण ।
*पुनः दो भेद:- 
१-सर्वांगज(सारे शरीर में होना)
२-एकांगज ( एक अंग मे होना)
*अन्य शोथ के तीन भेद:-
१-पृथु (चौडा)
२-उन्नत (उठा हुआ)
३-ग्रंथित
इस प्रकार से ग्रंथों में वर्णन मिलता है।

#शोथ का आयुर्वेद मे क्या क्या निदान है?

*ज्वर ,श्वास, कास,आतिसार, बवासीर, उदर रोगों में गलत खाना-पीन करने से शरीर में शोथ हो जाता है।

*वमन,विरेचन आदि चिकित्सा कर्मो के कारण।
गलत चिकित्सा करने से।

*रोगों में भारी ,तला भुना,शीतल, नमकीन व क्षार के गलत प्रयोग से भी शरीर में सुजन आ जाती है।
*दिन में सोना रात को जागना,सीलन भर जगह पर रहने से, अजीर्ण रोगों मे अधिक श्रम करने से,
*बहुत अधिक पैदल चलने से, अपथ्य करने से शोथ उत्पन्न हो जाता है।
*कुछ गम्भीर रोगों में भी सुजन आ जाती है जैसे हृदय रोग, किडनी रोग ,उदरोगो मे सुजन आ जाती है।
*आधुनिक औषधियों (एलौपैथीक) के साईड ईफेक्ट के कारण बहुत से व्यक्तियो को शोथ उत्पन्न हो जाता है।

#शोथ रोग की सम्प्राप्ति:-

-उपरोक्त कारणों से वातादि दोष अगर छाती आदि ऊपरी अंगों में हो तो शोथ शरीर के उपरी भाग मे होता है।
- अगर दोष मध्य अंगों मे हो तो शोथ शरीर के मध्यम भाग मे या सर्वांग शोथ हो जाता है।
-अगर दोष वस्ति आदि में है तो शोथ शरीर के नीचले भागों में यानि पैरादि मे होता है।

#आयुर्वेद मे शोथ के लक्षण?

वातज शोथ:-

इसमे वात दोष के कारण रूक्षता , लाल व सफेद रंग होना, पीडा होना ,फडकन होना और कभी कभी सुन्न होना। 
यदि रोगी के.शोथ स्थान को दबा कर छोड दे तो दबा हुआ स्थान शीध्र उपर उठ जाता है।
रात मे सुजन कम और दिन मे बढ जाती है।
*इसमे तैँल और सौठ मल देने से सुजन कम हो जाती है।

#पितज शोथ के लक्षण :-

इसमे शोथ का रंग पीला, लाल होता है। पीडा होती है ।रोगी को ज्वर भी हो सकता है। इस शोथ के बीच में तांबे के रंग के रोम ( रोवें )मिलते हैं। यह शीध्र फैलता है और शीध्र पकता है। यह शरीर के बीच अंगों में होता है।

#कफज शोथ के लक्षण:-

इसमे खुजली होती है। शोथ के स्थान पर, व रोम का वर्म पीलपन पर.होता है।यह स्थान ठंडा, व कठोर होता है।यहाँ स्निग्धंता दिखाई देती है । यह देर से पकने वाला होता है।यह दबाने से शीध्र नही उठता है।

**द्वन्द्वज शोथ के लक्षण:-

जब दो दोष मिल कर शोथ उत्पन्न करते है तो उन दोनों दोषो के शोथ मे लक्षण मिलते है।

#सन्निपातज शोथ के लक्षण:-

इसमे तीनों दोषो के मिले जुले लक्षण मिलते है।

#अभिधातज शोथ के लक्षण :-

डंडा, मुक्का , तलवार, कांटा, शूल या एक्सीडेंट आदि तरह की दुर्घटना से होनेवाले शोथ फैलने वाले होते है। इन मे गर्मी बहुत होती है। स्थान का वर्ण लाल होता है।

#विषज शोथ के लक्षण:-

विषैले पशु, कीट-पतंगे ,आदि के दांत बाल आदि के स्पर्श से ,विषेली हवा से ,औषधि के दुष्प्रभाव से ये शोथ हो जाते है। ये स्पर्श से कोमल होते है, लटकने वाले. होते है। ये "चल" यानि कभी कहीं कभी कहीं होता है।

#सुजन की आयुर्वेदिक चिकित्सा कैसे करें?

ऋषि वांग्डभट के अनुसार 

दोषज शोथ मे दोष व आम के लिये

 पहले उपवास करके फिर हल्का भोजन कराऐ। साथ मे 
*सौठ, अतीस, देवदारू , वायविंडग , इन्द्रजौ , कालीमिर्च।
अथवा
*हरड, सौठ , देवदारू ,पुनर्नवा का चूर्ण गुनगुने पानी से।
अथवा
*नवायस योग का सेवन करें।

मल का संग्रह होने पर

*हरड का गोमूत्र के साथ सेवन करें।
अरवा
*कुटकी, निशोथ , लौहभस्म , सौठं , मिर्च, पीपल का चूर्ण।
अथवा
*शिलाजीत का सेवन करें।

मन्दाग्नि, आतिसार या मलबन्ध होने पर,

इन सभी परिस्थितियों मे ,
*सैन्धव नमक, सौंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण को मधु से साथ लें। साथ मे मठ्ठा ले सकते है ।
अथवा
*गुडहरीतकी योग  या
*गुडशुण्ठी योग का सेवन करें।

अन्य योग:-

-वर्ध्दमान गुडार्द्रक ,
-आद्रकधृत,
-यवानकादि धृत,
-दशमुलहरीतकी,

#शोथ के घरेलू उपाय क्या है?

>लधुपंचमूल, सौंठ ,पुनर्नवा ,एरण्ड मूल, को जल मे चाय की तरह पका कर पीने से शोथ मे लाभ मिलता है।
>कालाजीरा, पाठा ,मोथा ,पंचकोल ,कटेली और हल्दी इन सबका चूर्ण लेने से पुराना शोथ (सुजन ) भी दूर हो जाती है।
>अदरक का रस गुड मिलाकर पीये बाद मे बकरी का दूध पीयें इससे सभी प्रकार के शोथ ठीक हो 
जाते है।
<लेप:-

>शोथ नाशक लेप:-

*पुनर्नवा(गदधपुना) , देवदारू, सौंंठ , सरसौ ,यथा संहिजन ,की छाल, सभी को कांजी मे पीस कर लेप करने से सभी प्रकार के शोथ शांत हो जाता है।
*दशांग लेप के लगाने से  शोथ ठीक हो जाता है।

अन्य औषधियों:-
अजमोदादि चूर्ण
लवणभास्कर चूर्ण
नवायस चूर्ण
योगराज गुग्गुल
त्रिफला गुग्गुल
कुटजारिष्ट
लोहासव

#सुजन मे जीवनशैली ,क्या करें क्या न करें?

*दिन मे न सोयें। भुख लगे तो ही खायेंं।
*थकने का काम न करें ।
*तले हुये भोजन न करें।सुखे शाक , तिल गुड से बनी चीजें न खायें।
*दही ,पीठी  की चीचें ,खट्टा ,भुने जौ , सुखा माँस ,विदाही (जलन करनेवाले) पदार्थ न लें।

#डा०वीरेन्द्र मढान
#Guru_Ayurveda_in_faridabad.
#drvirender.bolgspot.com


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें