Guru Ayurveda

रविवार, 30 अप्रैल 2023

Ayurvedic tea|हर्बल टी: फिटनेस के लिए एक बेहतरीन विकल्प,

 Ayurvedic tea|हर्बल टी: फिटनेस के लिए एक बेहतरीन विकल्प,

Ayurvedic tea|हर्बल टी,


#Dr.ViernderMadhan.

इस लेख मे बताने वाले हैं कि “हर्बल टी फिटनेस के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।” यह एक स्वस्थ विकल्प होता है जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद होता है और साथ ही आपकी मनोदशा पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन जड़ी बूटियों, पत्तियों और फलों से बनाया जाता है।

हर्बल टी एक पौष्टिक पेय है जो उबली हुई पानी में फल, पत्तियों और जड़ी बूटियों से बनता है। यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाले अनेक उपयोगों के लिए लोकप्रिय है, जिनमें शामिल हैं शांति बढाना और तनाव को कम करना, शरीर को तरोताजा और स्वस्थ रखना 

- हर्बल टी की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें कोई कैफीन नहीं होता है, जिससे लोग उन्हें दिन के किसी भी समय पी सकते हैं। इसलिए, हर्बल टी स्वस्थ जीवन के लिए एक शानदार विकल्प है।

#आयुर्वेदिक चाय के फायदे

- हर्बल टी में अनेक प्रकार के फायदे होते हैं जैसे कि 

– वजन घटाने,

–  मधुमेह कंट्रोल करना,

 – एंटी-एजिंग लाभ प्रदान करना,

– दिल के रोगों के खतरों को कम करने आदि। 

इन टी के फायदों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्बल टी शरीर के लिए फायदेमंद होता है और सेहत को स्थिर रखने में मदद करता है।

कुछ स्वस्थ विकल्पों में शामिल होने वाली हर्बल टी हैं:


हर्बल टी लिस्ट-

– तुलसी टी

– काली मिर्च वाली चाय

– ग्रीन टी

– जिंजर टी

– जीरा वाली चाय

– एलोवेरा टी

– सौंफ टी

ये सभी टी हैं जो स्वस्थ जीवन शैली के लिए फायदेमंद होती हैं। 

#हर्बल टी के फायदे क्या है?

हर्बल टी के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह एक प्रकार का पेय होता है जो तनाव को कम करता है, सुधारता है आंतरिक ऊर्जा, और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। नीचे हमने हर्बल टी के कुछ लाभों के बारे में विस्तार से बताया है:

– तनाव को कम करने में मददगार, 

हर्बल टी में विशेष गुण होते हैं जो तनाव को कम करने में मददगार होते हैं। इससे मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है।

– पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक - 

हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होते हैं।

– वजन कम करने में मददगार,

 कुछ हर्बल टी जैसे ग्रीन टी, जिंजर टी, गुग्गुल टी आदि वजन कम करने में मददगार होते हैं। इनमें मौजूद एक्सपेक्टोरंट गुण वजन कम करने में मदद करते हैं।

– शरीर को शुद्ध करने में सहायक -

 हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को शुद्ध करने में मददगार होते हैं। यह विषाक्त पदार्थों से शरीर को मुक्त करते हैं और उसे स्वस्थ बनाए रखते हैं।


–इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक, 

  हर्बल टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मददगार होते हैं।

–दिल के लिए फायदेमंद

 - कुछ हर्बल टी जैसे ग्रीन टी, हिबिस्कस टी आदि दिल के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण दिल के स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।

– स्लीप डिसऑर्डर्स को कम करने में मददगार 

  कुछ हर्बल टी जैसे चमोमाइल टी, ब्राह्मी टी, लावेंडर टी आदि स्लीप डिसऑर्डर्स को कम करने में मददगार होते हैं।


[इनके अलावा भी हर्बल टी में कई और फायदे होते हैं, लेकिन इन फायदों के लिए आपको अपने विशेषज्ञ सलाह लेनी चाहिए। आपको बाजार में विभिन्न प्रकार की हर्बल टी उपलब्ध होगी, जिसमें आप अपनी रुचि के अनुसार चयन कर सकते हैं।]

#हर्बल टी पर कुछ प्रश्न उत्तर,

Q:-हर्बल टी कैसे बनायें?

–हर्बल टी बनाने की विधि:-

Ans:-1

घर का बना हर्बल चाय बनाने के लिए, तुलसी, पुदिना और अदरक को मिक्सर में मिलाकर, बहुत ही कम पानी का, मिक्सर मे डालकर प्रयोग कर दरदरा पीस लें। इस पेस्ट को एक नॉन-स्टिक सॉस-पॅन में निकालें, १-१/२ कप पानी डालकर अच्छी तरह मिला लें और ५ से ७ मिनट तक, बीच-बीच में हिलाते हुए उबाल लें।

Ans:- 2 (सर्दी के लिए)

हर्बल टी बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

सामग्री:

- जायफल (फेनेल सीड्स)

- काली मिर्च

- टी पत्ती

- तुलसी पत्ती 

- जीरा

- इलायची

- लौंग

- अदरक 

- नींबू  (अगर आवश्यक हो)


विधि:-

सभी सामग्री को एक साथ मिश्रित करें। 

एक बर्तन मे पानी उबालें। जब पानी उबालने लगे, तो गैस धीमी करें और मिश्रण डालें।

मिश्रण को ढककर धीमी आंच पर उबालें। उबालने के लिए करीब 5-7 मिनट लगेंगे।

अब गैस बंद कर दें और चाय को कुछ मिनटों तक ठंडा होने दें।

चाय को छान लें और नींबू  डालकर परोसें।

यह हर्बल टी एक स्वादिष्ट और सुगंधित विकल्प है जो आपको ठंड और सर्दी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

Q:-घर पर हेल्दी चाय कैसे बनाएं?

Ans:-

हेल्दी चाय बनाने के लिए आप इस तरह से कुछ सामग्री का उपयोग कर सकते हैं:-

सामग्री:

-पानी

-चायपत्ती

-अदरक (ताजा या सूखा)

-तुलसी की पत्तियाँ (ताजी या सूखी)

- लौंग

- इलायची

- दूध (वैकल्पिक)

- शहद या चीनी (स्वादानुसार)

चाय बनाने की विधि:-

एक कड़ाही में पानी उबालें।

जब पानी उबलने लगे, उसमें चायपत्ती डालें।

चाय को 2-3 मिनट तक उबालें। उबालने के दौरान, चाय के अन्दर अदरक, तुलसी की पत्तियाँ, लौंग और इलायची भी डाल दें।

चाय को छलनी में छान लें।

अगर आप चाय में दूध डालना चाहते हैं, तो उबलते हुए चाय में दूध डालें।

चीनी या शहद को चाय में मिलाकर मजेदार हेल्दी चाय का आनंद लें।

इस तरह से बनाएं, आप एक स्वस्थ और मजेदार चाय का आनंद ले सकते हैं।

Q:-हर्बल टी और ग्रीन टी मे क्या अंतर है?

Ans:-

हर्बल टी और ग्रीन टी दोनों अलग-अलग तरह के चाय होते हैं।

हर्बल टी,

- जो अक्सर औषधीय पौधों से बनती है, अनेक फायदों के साथ सेवन की जाती है। इसमें कैफीन की कोई मात्रा नहीं होती है इसलिए यह सोने से पहले भी पी सकते हैं। इसमें विभिन्न खनिज तत्व, विटामिन और पौष्टिक घटक पाए जाते हैं, जो आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

 ग्रीन टी:-

 अपने गुणों के लिए जानी जाती है। इसमें कैफीन की मात्रा मौजूद होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। इसमें एन्टीऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो आपको बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। ग्रीन टी को बनाने के लिए चाय के पत्तों को सुखाकर उन्हें फिर से उबाला जाता है जिससे इसमें कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है।

इसलिए, दोनों टी में अंतर होता है, हर्बल टी में कैफीन की कोई मात्रा नहीं होती है जबकि ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा होती है। 

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

शनिवार, 29 अप्रैल 2023

Skin की सभी रोगों से सुरक्षा 100% कैसे करें,in hindi

 Skin की सभी रोगों से सुरक्षा 100% कैसे करें,in hindi

Skin के लिए आयुर्वेदिक उपाय



#Skin की देखभाल कैसे करें?In hindi

 कुछ आयुर्वेदिक उपाय हैं जो आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद कर सकते हैं:

#नीम (Neem):-

 नीम, त्वचा के लिए एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपाय है। नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे एक्ने, खुजली, सोराइसिस आदि के इलाज में मदद करते हैं। आप नीम के पत्तों को पीसकर उनका पेस्ट बना सकते हैं और इसे त्वचा पर लगा सकते हैं।

#जीरा (Cumin): 

 जीरा एक अन्य आयुर्वेदिक उपाय है जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जीरा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप जीरे का पाउडर या उनके बीजों को पीसकर इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।

#हल्दी (Turmeric):-

 हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद करते हैं। आप हल्दी का पाउडर शहद या दूध में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

#एलोवेरा (Aloe Vera):-

 एलोवेरा त्वचा को शुद्ध और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। आप एलोवेरा जूस को सीधे त्वचा पर लगा सकते हैं या इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।

#तुलसी (Holy Basil):-

 तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप तुलसी के पत्तों को पीसकर इसे त्वचा पर लगा सकते हैं।

#मुलेठी (Licorice):-

 मुलेठी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं। आप मुलेठी के जड़ का पाउडर शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

#चंदन की लकडी (Sandalwood):- 

चंदन त्वचा को कमजोर नहीं होने देता है और त्वचा को ठंडा और शांत बनाता है। आप चंदन पाउडर को घी के साथ मिलाकर त्वचा पर लगा सकते हैं।

[आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले अपनी त्वचा के लिए सही उत्पादों को चुनना भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ आयुर्वेदिक उत्पादों को उनकी ताकत के कारण केवल डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही उपयोग किया जाना चाहिए।]


कुछ द्रव्य का अतिरिक्त उपयोग त्वचा पर असामान्य अधिक प्रतिक्रिया और अलर्जी के कारण त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, आपको त्वचा की समस्या के बारे में जानकारी हासिल करने और एक प्रशिक्षित वैद्य से सलाह लेना चाहिए।


इन सभी आयुर्वेदिक उपायों को सही ढंग से उपयोग करने के साथ-साथ आपको अपनी त्वचा की स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, और अधिक दूध और पानी का सेवन करना चाहिए।

#skin की कुछ सामान्य समस्याओं के उपचार :-

#एक्जिमा (Eczema):-

 एक्जिमा को ठीक करने के लिए आपको एक्जिमा से संबंधित एक समान और महत्वपूर्ण उपचार शुरू करना होगा। इसके लिए, बेस कोट में उपयुक्त तरह के मॉइस्चराइज़र और कोर्टिकोस्टेरॉइड लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, धूप एवं प्रदूषण से बचना भी फायदेमंद होता है।

#खुजली (Itching): 

खुजली से निजात पाने के लिए, उत्तम तरीके से इस वजह का पता लगाएं और उसे दूर करने के लिए उचित उपचार करें। आमतौर पर, एंटीहिस्टामीन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जो खुजली को कम करते हैं।

#एक्ने (Acne):

 एक्ने को रोकने के लिए, आप अपनी खान-पान और त्वचा की सफाई पर ध्यान देने की कोशिश कर सकते हैं। अलग-अलग उत्पादों का उपयोग भी किया जा सकता है, जैसे कि बेंजोइल पेरॉक्साइड या सैलिसिलिक एसिड। आप अपने डॉक्टर से इन उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें उपयोग करने से पहले उनसे सलाह लेना भी उचित होगा।

#खुरदुरी त्वचा (Dry skin):

 खुरदुरी त्वचा को ठीक करने के लिए आप अपनी त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए एक अच्छा मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने त्वचा को ठंडे पानी से नहलाना और अत्यधिक गर्म नहाने से बचना भी फायदेमंद होता है।

सन बर्न (Sunburn):

 सनबर्न को ठीक करने के लिए आप शीतल पानी से अपनी त्वचा को धोएं और एक शीघ्र क्रिम या लोशन का इस्तेमाल करें। अलोवेरा जैसी घरेलू चीजें भी फायदेमंद हो सकती हैं। सूर्य से बचने के लिए अपने त्वचा को संरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है। आप सूर्य से बचने के लिए सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं और खुले समय में टोपी या छतरी पहन सकते हैं।

इन उपायों से ठीक नहीं होती है, तो आपको एक त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।

कुछ अन्य उपाय;-

#आमला:-

 आमला शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। आमला में विटामिन सी शामिल होता है जो त्वचा की रक्षा करता है और उसे नरम बनाए रखता है।

#हरितिकी:-  

हरितिकी एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा,हरितिकी में विटामिन सी और विटामिन ई के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#सरसों का तेल:-

 सरसों के तेल में विटामिन ई और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, सरसों के तेल में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#घी:-

 घी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है। घी में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

#गुलाब जल:-

 गुलाब जल में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते है

#त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी बातें;-

– स्वस्थ खानपान होगा

– तला हुआ खाने से बचेंगे

– फल, दूध जैसी चीजें खाएंगे

– रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीएंगे

– रोजाना चेहरे की सफाई करेंगे

– रोजाना योग और मेडीटेशन करें

– रोजाना भरपूर नींद लेंगे और चिंता-तनाव से दूर रहेंगे

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

गर्मियों में सेहत कैसे बनायें?In hindi.

 ग्रीष्मऋतुचर्या कैसी होती है?In hindi.

गर्मियों में सेहत कैसे बनायें?In hindi.

गर्मियों में क्या खायें क्या न खायें?



#ग्रीष्मऋतु में #स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय कैसे करें?

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[गर्मियों में जीवनशैली]

Dr.VirenderMadhan.

summer lifestyle

गर्मियों के दिनों में क्या खायें क्या न खायें?

1 #भोजन- 

मधुर रस युक्त ओर स्निग्ध आहार लेना चाहिए । खटाई, तीखे मिर्च- मसाले, नमकीन ओर अधिक गर्म भोजन न लें।

-छाछ, दही का प्रयोग करें,



-नींबू लीवर के लिए लाभदायक है,

-सब्जियों में तौरी,लौकी, टिंडा, सीताफल, ब्रोकली, करेला खायें,

-मूली,प्याज, पुदीना का प्रयोग गर्मियों में हितकारी है,



-ज्यादा तेल,मसाले खाने से बचें,

- गर्मी मे

-मछली,चिकन,मांस,अधिक ग्रेवी वाले भोजन न खायें,

2 #अल्पाहार- 

- गर्मियों में पानी खुब पीयें.

- जलजीरा, नारियल पानी,

- ताजे फल, फलों का जूस, शीतल पानक,शीतल जल के साथ मिश्री ओर घी मिला हुआ सत्तू लेना चाहिए।

फलों में-

तरबूज, खरबूजा, ककडी, संतरा, मौसमी खाने चाहिए,

3 #पानी-



 मिट्टी के नए बर्तनों में रखे हुए शीतल जल का सेवन करना चाहिए ।

 मिश्री ओर सुगन्धित शीतल पानक जैसे गुलाब जल का सेवन करना चाहिए।

4 #व्यायाम-  

व्यायाम न करें अथवा लघु व्यायाम बहुत कम समय के लिए ही करें। 


5 #मद्यपान-

 मद्यपान न करें अथवा अत्यल्प मात्रा में ओर बहुत सारा पानी मिलाकर ही मद्यपान करें। अन्यथा गर्मी में पिया गया मद्य शरीर मे कमजोरी लाता है, पूरे शरीर मे जलन उतपन्न करता है और वजन कम कर देता है।

6 #निवास- 

 ठंडे ओर हवादार भवन में निवास करें। आदान काल होने से सूर्य की तीव्र किरणे शरीर के स्नेह का अधिक मात्रा में शोषण कर लेता है अतः अधिक तीखी धूप में न जाएं।

-कोटन के कपडे पहने,

-धूप में जाने से पहले कच्चा प्याज खायें पेट ठीक रहता है

-घर से बाहर जाते समय सिर,गरदन,और पूरे शरीर को ढक लेना चाहिए,

आँखों पर घूप का चश्मा लगाना चाहिए, शरीर पर सनस्क्रीन लगायें,

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

#सिरदर्द क्यों होता है?

 सिरदर्द क्यो होता है?In hindi,

Dr.VirenderMadhan,


सिरदर्द की  your queries:-

Q-सिरदर्द क्यो होता है?

Q-सिरदर्द के कारण|

Q-सिर दर्द कौन सी कमी से होता है?

Q-रोज रोज सिर दर्द क्यों होता है?

Q-प्रेगनेंसी के दौरान सिर में दर्द क्यों होता है?

Q-सिर में गैस चढ़ने के क्या लक्षण है?

Q-सिर दर्द कब खतरनाक होता है?

Q-दिमाग में हमेशा सिर दर्द होता है उसके लिए क्या करें?

Q-सिर दर्द तुरंत ठीक कैसे करें?

Q-2 मिनट में सिरदर्द से कैसे छुटकारा मिलता है?

Q-क्या सिरदर्द की कोई आयुर्वेदिक दवा है?

जवाब लेख मे देखें–

Headche reasons/सिरदर्द का कारण,

सिरदर्द, 



बीमारी के अलावा दूसरे कारणों से भी हो सकता है. - –नींद की कमी,

 – चश्मे का गलत नंबर,

– तनाव,

 –तेज़ शोर वाली जगह में समय बिताना या

 – सिर को कसकर दबाने वाली तंग चीज़ें पहनना इसकी कुछ वजह हो सकती हैं.

–तनाव से जुड़ा सिरदर्द, कंधों, गर्दन, जबड़े, मांसपेशियों और खोपड़ी में तनाव के चलते होता है. बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, समय पर खाना न खाने और शराब का सेवन करने की वजह से ऐसा सिरदर्द होता है.

* जीवनशैली में बदलाव करने, पर्याप्त मात्रा में आराम करने या दर्द निवारक दवा लेने से इस दर्द में राहत मिलती है.



#सिर दर्द कौन सी कमी से होता है?

विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी की वजह से सिर दर्द की परेशानी हो सकती है. अगर शरीर में विटामिन बी1, बी 2, बी 3, बी 5, बी 6 और विटामिन बी12 की कमी है तो आपको माइग्रेन का सामना करना पड़ सकता है. माइग्रेन की दिक्कत है तो डाइट में इन विटामिन्स से भरपूर चीजें खानी चाहिए.

विटामिन D की अधिकता:-

- अधिक विटामिन डी होने से भी सिरदर्द के लक्षण मिलते है-जी मिचलाना। उल्टी करना। कमज़ोरी। सिर दर्द।

– जब शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है तो व्यक्ति को तनाव और सिर दर्द से परेशान होना पड़ता है. 

#रोज रोज सिर दर्द क्यों होता है?

प्रतिदिन होने वाले सिर दर्द के कारण-

- भूखे रहना,

-ज्यादा शराब पीना,

 -कैफीन का सेवन,

-तनाव होना,

 -नींद की कमी,

-डिहाइड्रेशन होना, 

-तेज रोशनी, आवाज से भी सिर में दर्द हो सकती है.

#सिर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 1–प्राथमिक दर्द (Primary Headache):-

 दवाइयों के सेवन, 

मांसपेशियों में तनाव, 

हार्मोन में बदलाव या फिर पानी की कमी के कारण दर्द की उपस्थिति होती है। 

कुछ जगह पर मानसिक तनाव, गलत ढंग से उठने-बैठने की आदत,की वजह से भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है।

2–अधकपारी -migrain

इस नाम से भी जाना जाता है: माइग्रेन कम-ज्यादा होते रहने वाला सिरदर्द, जिसके साथ अक्सर प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता और मतली भी हो सकती है.

माइग्रेन सिर दर्द में कभी कभी लक्षणों की चेतावनी देखी जा सकती है.

 इन ट्रिगर में हार्मोनल परिवर्तन, कुछ खाद्य पदार्थ और पेय, तनाव, और व्यायाम शामिल हैं.

3–क्लस्टर सिरदर्द;-

सिरदर्द जो निश्चित तरीके या कुछ दिनों तक बार-बार होता है.

बार-बार होने वाला सिरदर्द हफ़्तों से लेकर महीनों तक हो सकता है. इस समय को क्‍लस्‍टर पीरियड कहा जाता है. उसके बाद आमतौर पर लंबे समय तक राहत (रेमिशन) रहती है. हो सकता है कि राहत के समय में सिरदर्द महीनों या सालों तक न हो.

4–तनाव सिरदर्द:-

हल्का या माध्यम सिरदर्द जिसे अक्सर सिर के चारों तरफ़ एक तंग बैंड की तरह बयान किया जाता है.

तनाव से होने वाला सिरदर्द के कारणों में तनाव, नींद पूरी ना होना, और गलत तरीके से खड़ा होना या बैठना जैसे कई कारक शामिल हैं.

#प्रेगनेंसी के दौरान सिर में दर्द क्यों होता है?

गर्भावस्‍था की पहले 3महिने में सिरदर्द के प्रमुख कारणों में पानी की कमी, उल्‍टी और मतली, स्‍ट्रेस, नींद की कमी, कैफीन ज्‍यादा लेने, सही पोषण न लेने, लो ब्‍लड शुगर लेवल, शारीरिक गतिविधियां कम करने, रोशनी से आंखें चुंधियाने और आंखों की रोशनी में बदलाव आने की वजह सिरदर्द हो सकता है।

#सिर में गैस चढ़ने के क्या लक्षण है?

सिर मे गैस चढने पर सिर में तेज दर्द, माइग्रेन, पेट में दर्द, कब्‍ज, कभी कभी जी मचलना या उल्‍टी आदि होता हैं. अगर आप भी इस तरह की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आप कुछ घरेलू उपायों (Home Remedies) की मदद से गैस से होने वाले इस सिर दर्द में आराम पा सकते हैं.

#सिर दर्द कब खतरनाक होता है?

अगर सिर में दर्द के साथ ही आपको धुंधला दिखना या जी मिचलाना जैसे लक्षण नजर आते हैं तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को एक ओर अचानक से बहुत तेज सिरदर्द और कमजोरी होती है तो उसे तुरंत इमरजेंसी केयर की जरूरत होती है.

#दिमाग में हमेशा सिर दर्द होता है उसके लिए क्या करें?

सिरदर्द के कुछ उपाय:-

1 खूब सारा पानी पिएं यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, तो भी आप को सिर में दर्द हो सकता है। 

2 आहार में मैग्नीशियम को शामिल करें मैग्नीशियम आप के शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। 

3 रोज अच्छी नींद लें.

4 खुशबूदार ऑयल का प्रयोग करें 

5 किसी हर्बल टी का प्रयोग करें 

6 कॉफी पिएं,

#सिर दर्द तुरंत ठीक कैसे करें?

- अकसर आपके सिर में दर्द हो जाता है, तो आपके सिर दर्द से आराम के लिए एक्यूप्रेशर का प्रयोग कर सकते हैं.

- गर्म पानी नींबू का रस मिलाकर पीएं,

- सेब पर नमक डाल कर खाएं,

- तुलसी और अदरक का रस पीने से राहत मिल जाती है।

- सिर की लौंग के तेल से मालिश करें,

- नींबू चाय पिएं

- नींबू और गर्म पानी पिएं 

- एप्पल विनेगर का पानी पीयें,

#2 मिनट में सिरदर्द से कैसे छुटकारा मिलता है?

- एक्यूप्रेशर का प्रयोग करें

*सिरदर्द होने की स्थिति में आप अपनी दोनों हथेलियों को सामने ले आइए। इसके बाद एक हाथ से दूसरे हाथ के अंगूठे और इंडेक्स फिंगर के बीच की जगह पर हल्के हाथ से मसाज कीजिए। ये प्रक्रिया दोनों हाथों में दो से चार मिनट तक दोहराइए। ऐसा करने से  सिरदर्द में आराम मिलता है।


#क्या सिरदर्द की कोई आयुर्वेदिक दवा है?

- सिरदर्द के उपचार में 

-गोदन्ती भस्म,

- चंद्रकला रस,

- कामदुघा रस (मुक्तिका युक्त), -भूनिम्बादि काढा,

- शिरशूलादि वज्र रस,

- पथ्यादि काढा का उपयोग किया जाता है।

-रसोनबटी

-लक्ष्मी विलासरस

-ब्रह्मादिबटी भी यथास्थान प्रयोग किया जाता है।

धन्यवाद!

बुधवार, 26 अप्रैल 2023

दिल की बीमारी के लक्षण

 दिल की बीमारी के लक्षण 

# attack symptoms



Dr.VirenderMadhan.

#मुझे दिल की बीमारी है

कैसे जाने?

#heart attack symptoms in woman,

व्यक्ति की आयु, स्थान, और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं, लेकिन इसमें कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:-

दिल का दौरा पड़ने के साधारणतः लक्षणों में–

सीने में सीने में जकड़न,दर्द, बेचैनी या  सांस लेने में तकलीफ, गर्दन, पीठ, बांह या कंधे में दर्द, जी मिचलाना, सिर घूमना या चक्कर आना, थकान, सीने में जलन,अपच का अहसास, ठंडा पसीना आना हैं.



#Heart की बीमारी के मुख्य लक्षण:-

छाती में दर्द:-

 दिल की बीमारी के मुख्य लक्षण में से एक छाती में दर्द होता है, जो हड्डियों, मांसपेशियों, या नसों के इंजम के कारण हो सकता है। यह दर्द हाथ, बाएं भुजा, गर्दन, जबड़ा, दाँत, या पेट तक फैल सकता है।



सांस लेने में कठिनाई:-

 दिल की बीमारी के लक्षण में से एक हैवी सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, जिसे डिसपनिया कहा जाता है। यह सांस लेने में तकलीफ, सांस फूलने की अनुभूति, या फिर गहरी सांस लेने की जरूरत के लिए बौद्धिक तनाव की वजह से हो सकती है।

थकान और कम ऊर्जा स्तर:-

 दिल की बीमारी के मरीज अतिरिक्त थकान महसूस कर सकते हैं और आम गतिविधियों में कम ऊर्जा स्तर रख सकते हैं।

दिल की धड़कन का अनियमित होना:–

 अनियमित या तेज धड़कन, जिसे तड़का कहा जाता है, दिल की बीमारी का एक लक्षण हो सकता है।



सिरदर्द:-

 दिल की बीमारी के मरीज अक्सर सिरदर्द की शिकायत करते हैं।

जलन और तलवों में दर्द:-

 दिल की बीमारी से प्रभावित मरीजों को अक्सर तलवों में जलन या दर्द की शिकायत होती है।

सीने में जलन या तेज भावना:-

 दिल की बीमारी से प्रभावित मरीज सीने में जलन या तेज भावना की शिकायत कर सकते हैं।

वजन कम होना:-

 दिल की बीमारी से प्रभावित मरीजों को अक्सर वजन कम होने की शिकायत होती है।

श्वसन में दुर्गन्ध:-

 दिल की बीमारी के मरीज श्वसन में दुर्गन्ध की शिकायत कर सकते हैं।


यदि आपको लगता है कि आपको दिल की बीमारी के ये लक्षण है तो अपने डाक्टर से सलाह अवश्य करें,

डा०वीरेंद्र मढान,

गुरु आयुर्वेद फरिदाबाद,

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

क्या हमें दिन सोना चाहिए या नही?In hindi.

 क्या हमें दिन सोना चाहिए या नही?In hindi.



#क्या दिन के समय सोना ठीक है या नही?

Dr.Virender Madhan,

– दिन में सोने के लिए अधिकतर डॉक्टर प्रसन्नशा नहीं करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति को सुबह उठकर देर रात तक काम करने के बाद रात में पर्याप्त आराम करना चाहिए।

– एक अच्छी नींद व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

फिर भी कुछ मरीजों को डॉक्टरों की सलाह के अनुसार दिन में सोना आवश्यक हो सकता है, जैसे कि निद्रा असंतुलन,(अनिद्रा का रोग) शिफ्ट वर्क या दैनिक शेड्यूल के कारण समय पर नींद नहीं आती हो।

– स्पष्ट कहें तो, स्वस्थ व्यक्ति को रात में ही सोना चाहिए।

#दिन में सोने के नुकसान ?

– दिन में सोने के कुछ नुकसान हो सकते हैं।

असंतुलित शिफ्ट वर्क:–

  यदि आपका काम शिफ्ट वर्क है और आप दिन में सोते हैं,और रात में जागते हैं तो इससे आपके समय-अनुकूल जीवन शैली को बिगाड़ने का खतरा हो सकता है। इससे आपके शरीर की बायोलॉजिकल घड़ियां बिगड़ सकती हैं और अनियमित शिफ्ट वर्क आपके नींद संबंधी रोग पैदा कर सकता है।

–दर्दे, खिंचाव और स्पाइनल कॉर्ड दबाव हो सकता है,

बढ़ी हुई दिनभर की थकान:- 

यदि आप दिन में लम्बे समय तक काम करते हैं और फिर दिन में सोते हैं, तो आपके शरीर के अनुभव करने वाली थकान आपके दिमाग पर हावी हो सकती है, जो आपके काम में धीमेपन का कारण बन सकता है।


बढ़ी हुई वजन:-

 दिन में सोने से आपके शरीर का बढ़ाव और उभरना बढ़ सकता है। यह आपके वजन में वृद्धि का कारण बन सकता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

इन नुकसानों से बचने के लिए, दिन में सोने से बचें और रात मे ही नियमित नींद लें। अपने काम से असंतुलित शिफ्ट वर्क को कम करने का प्रयास करें और धूप में सोने से बचें। 

–  दिन में थकान को कम करने के लिए नियमित व्यायाम करें और अपने आहार का ध्यान रखें। 

[यदि आप अनियमित शिफ्ट वर्क करते हैं और दिन में सोते हैं, तो एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें।]

#क्या गर्मियों मे दोपहर मे सो सकते है?

हां, गर्मियों में दोपहर में सोना संभव है, लेकिन अधिकतम सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। 

– गर्मियों में दोपहर के समय अत्यधिक तापमान होता है, जो सोने की नींद को बाधित कर सकता है। इसलिए, दोपहर को सोने से पहले, अपने कमरे को ठंडा करने का प्रयास करें। एयर कंडीशनर या पंखे का उपयोग करें या खिड़कियों और दरवाजों को खुले रखें ताकि शामिल हवा का फ्लो आसान हो सके।

आप एक शांत और ठंडे कमरे में सोने की कोशिश कर सकते हैं। आप फैन या एयर कंडीशनर का उपयोग कर सकते हैं, या आप रूम के दरवाजे और खिड़कियों को खुले रखने के लिए जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने शरीर को ठंडा करने के लिए शॉवर भी ले सकते हैं। उचित आहार और पौष्टिक वस्तुओं का सेवन करने का प्रयास करें 

जल्दी सोने और जल्दी सुबह उठने की आदत बनाए रखें।

[सावधान रहे कि दिन में लंबी नींद करने से बचें, जिससे रात को आप अच्छी नींद ले सको।]

#गर्मियों मे दिन मे कितनी देर सोना चाहिए

– आपको गर्मियों में दिन में कितनी देर सोना चाहिए, यह आपकी आयु, स्वास्थ्य और जीवनशैली पर निर्भर करता है। एक व्यक्ति को सोने की आवश्यकता दिन भर में भिन्न-भिन्न हो सकती है। लेकिन, आमतौर पर, एक व्यक्ति को 24घण्टों में कम से कम 6-8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है।

– आपकी नींद की आवश्यकता उस समय की आवश्यकता पर भी निर्भर करती है, जब आप रात को कितनी नींद लेते हैं। यदि आप रात को पर्याप्त समय तक नहीं सोते हैं, तो आप दिन में अधिक नींद लेने की आवश्यकता महसूस करते हैं।

– अक्सर, दिन में सोने की अधिकतम सीमा 30-45 मिनट की होती है। लेकिन इससे ज्यादा समय नींद करने से आपके दिनचर्या पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 

– अधिक नींद लेने से आपका शरीर अधिक थका और निराश हो सकता है।

अतिआवश्यक होने पर,अगर आप दिन में सोना चाहते हैं, तो  आपका कमरा ठंडा और अंधेरा होना चाहिए, ताकि नींद लेने में आसानी हो। 

#किन रोगीयों को दिन मे नही सोना चाहिए?

अनेक रोगों के लिए डॉक्टर दिन में सोने की सलाह नहीं देते हैं। इन रोगों में शामिल हैं:–

अस्थमा:-

 अस्थमा वाले रोगी दिन में सांस की दुर्गन्ध या दमा की गंध को अधिक अनुभव करते हैं। इसलिए, इन रोगियों को दिन में सोने से बचना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोने से कफ विकृत अधिक होता है,

गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम:-

 पेट के कुछ रोगों जैसे एसिडिटी, गैस्ट्रो-ओइसोफागियल रिफ्लक्स रोग (GERD) आदि में दिन में सोने से बचना चाहिए।

मधुमेह के रोग में:-

मधुमेह के रोग में दिन मे सोने से बचना चाहिए,

कफ के रोगी:-

कफ के रोगियों को दिन मे साने से रोग के बढने की सम्भावना बढ जाती है।

[यदि आप इन रोगों में से किसी से पीड़ित हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए ]

#DrVirenderMadhan,
#guruayurvedafaridabad,

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

Heart attack के लक्षण, कारण,व आयुर्वेदिक उपाय in hindi.

 Heart attack क्या होता है?

हार्ट अटैक की परिभाषा



Dr.virendermadhan

हार्ट अटैक क्या होता हैं इस लेख मे हम बताने वाले हैं 

Heart attack के लक्षण क्या होते है?

Signs of a heart attack?

हार्ट अटैक होने का क्या कारण है?

हार्ट अटैक से पहले क्या महसूस होता है? और बतायेगे कि हृदयदौबल्यता के लिए क्या करें आयुर्वेदिक उपाय जानने के लिए लेख को अंत तक पढे,

#Heart attack क्या होता है?

– हार्ट अटैक (Heart attack) एक जानलेवा मेडिकल स्थिति होती है जब दिल का एक हिस्सा अपने विवर्तन या संचालन के कारण बंद हो जाता है, जिससे उस हिस्से को ऑक्सीजन और पोषण देने वाले धमनियों में रक्त का अभाव हो जाता है।

[हृदय की मांसपेशियों के रक्त प्रवाह की रूकावट.

दिल का दौरा चिकित्सकीय आपातकालीक होता है. अक्सर दिल का दौरा तब होता है जब रक्त का कोई थक्का हृदय की ओर रक्त के बहाव को रोक देता है. रक्त के बिना ऊतक को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती और वह मर जाता है.]

#हार्ट अटैक (Heart attack) क्यों होता है? 

- यह अक्सर कोलेस्ट्रॉल जमाव, 

– निकटतम धमनियों के नियंत्रण के विकार, या फिर अन्य कारणों से होता है। जब धमनियों में रक्त का पर्याप्त मात्रा नहीं होता, तो दिल के एक हिस्से को अक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है जो उस हिस्से के मरने का कारण बन सकता है।

Heart attack के लक्षण क्या होते है?

हार्ट अटैक के लक्षण:-

Heart attack symptoms:-

हार्ट अटैक के लक्षण में से कुछ शामिल होते हैं - दर्द, बेहोशी, थकान, सांस लेने में परेशानी, और उल्टी आदि। हार्ट अटैक के लक्षणों को अनदेखा न करें और तुरंत चिकित्सा की सलाह लें।

 – हार्ट अटैक के लक्षण व्यक्ति के आयु, लिंग और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण निम्नलिखित होते हैं:–

–दिल की धड़कन तेज हो जाना

–जलन या दर्द का अनुभव छाती के मध्य में या बाएं हाथ में, शोल्डर, जबड़ा, पेट या बाएं जांघ में दर्द होना।

–श्वसन में कठिनाई और दमा की तरह की अनुभूति होना,

–छाती मे भारीपन या तनाव का अनुभव होना,

– शरीर मे थकान या असमर्थता का अनुभव करना,

– तेज से उठने या अचानक बेहोश होने का अनुभव होना,

– उल्टी की तरह का अनुभव हो सकता है,

– पसीना आना और चक्कर आना भी हो सकता है

Signs of a heart attack?

[अपच होना हार्ट अटैक आने का सबसे मुख्य लक्षण बेचैनी और घबराहट है। 

 सीने में जकड़न, भारीपन और कुछ दबाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में भलाई है।

जबड़े में दर्द, ब्लड प्रेशर बढना,मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा बढा देता है,

उल्टी जैसा होना,टखने और हाथों में दर्द होना]

यदि आपको ये लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति को जानने के लिए, आप अपने डॉक्टर से इस बारे में विस्तार से बात कर सकते हैं और आपके लिए कौन सा उपचार सही है, उसकी सलाह ले सकते हैं।

#हार्ट अटैक होने का क्या कारण है?

हार्ट अटैक होने के कई कारण हो सकते हैं। 

सबसे बढा कारण एक आधुनिक जीवनशैली है जो दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। निम्नलिखित कुछ और कारण हैं:

–धमनियों में जमा हुए धातुओं के कारण आर्टरीज़ ब्लॉक कर जाने से,

–मोटापा और अधिक शराब का सेवन से,

–उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन रहने से,

–उच्च खराब (बैड)कोलेस्ट्रॉल स्तरके होने पर,

– डायबिटीज या मधुमेह रहने पर,

–धुम्रपान या निकोटीन का सेवन से,

– जीवनशैली में कमी या नियमित व्यायाम की कमी से,

–पुरानी आयु होने से,

–परिवार में हृदय रोगों का इतिहास होने पर,

–अत्यधिक चिंता व मानसिक आघात होना आदि,

हार्ट अटैक के संबंध में कई अन्य फैक्टर भी हो सकते हैं, 

[पर्याप्त खून ना मिल पाने के कारण आपका दिल काम करना बंद कर देता है जिस वजह से हार्ट अटैक आता है. यह आमतौर पर धमनियों (ब्लड वेसल्स) में रुकावट के कारण होता है जो आपके दिल तक ब्लड सप्लाई (खून की आपूर्ति) करती हैं]

#हार्ट अटैक से पहले क्या महसूस होता है?

ये हैं हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण:-

दिल का दौरा पड़ने के सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द, बेचैनी या सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, गर्दन, पीठ, बांह या कंधे में दर्द, जी मिचलाना, सिर घूमना या चक्कर आना, थकान, सीने में जलन/अपच का अहसास, ठंडा पसीना आना शामिल हैं.

#हृदय को मजबूत कैसे करें?

#हृदय को मजबूत करने के आयुर्वेदिक उपाय:-

–छरिला 1ग्राम प्रतिदिन शहद से सेवन करने से हृदय पुष्ट हो जाता है,

– अर्जुन की छाल का काढा कुछ दिनो तक पीने से हृदय रोग मुक्त हो जाता है,

–अर्जुन छाल का चूर्ण हजार पुटी अभ्रक भस्म के साथ मर्दन करके  3-4 ग्राम चूर्ण को शहद मे मिला कर लेने से हृदय हृदयदौबल्यता, हृदयाघात आदि रोगों से मुक्त हो जाता है,

–अरणी के पत्ते 3-4 लेकर धनिया के साथ पकाकर कुछ दिन पीने से हृदय पुष्ट होता है

–अर्जुन की छाल,बकरी का दूध,गाय का धी,मिश्री, और शदह मिलाकर चाटने से दिल कुछ दिनों में ही सर्वरोग मुक्त हो जाता है।

-जटामांसी के चूर्ण का लेप बनाकर छाती पर लेप करने से दिल की धडकनों मे राहत मिलती है,

– पोखरमूल के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से हृदय रोग और श्वास रोग मे आराम मिलता है।

–इलायची दाना,पीपलामूल को पीसकर धी मिला कर चाटने से हृदय मे लाभ मिलता है,

– जटामांसी का शर्बत बनाकर पीने से दिल के रोग ठीक हो जाते है,

–कुटकी का काढा या कुटकी और मुलहठी कि चूर्ण मिला कर शहद के साथ चाटने से कफ,और हृदयके रोग ठीक हो जाते है,

– रात मे सोते समय सर्पगंधा चूर्ण 1-2 ग्राम लेने से तनाव और हृदयरोग दूर होते है।

– 1-2 ग्राम सौठ गुनगुने पानी में डालकर कर पीने से छाती का भारीपन व हृदयशूल मे आराम मिलता है,

–गाजर का मुरब्बा खाने से दिल को बहुत बल मिलता है,

#Heart attack के रोग मे क्या खाना चाहिए?

पालक,तोरई,कुल्फा,नाशपाती, सेव,संतरा, अंगुर,खीरा, ककडी, आवला खाना लाभकारी होता है,

#हृदयाघात heart attack के रोग क्या न खायें क्यान करें

उडद की दाल, तलें भोजन,तेज मसाले, 

चाय,कोफी,शराब,गरिष्ठ भोजन,न करें

अधिक शारीरक मानसिक तनाव न लें,

कब्ज न रहने दें

धन्यवाद

डा०वीरेंद्र मढान

गुरु आयुर्वेद

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

मोटापा weight तेजी से कम कैसे करें? In hindi.

 मोटापा weight तेजी से कम कैसे करें? In hindi.



#मोटापा weight तेजी से कम कैसे करें||weight lose करने का रामबाण उपाय

Dr.VirenderMadhan,

#Weight loss Tips|तेजी से वजन घटाने के आसान तरीकें,

आजकल वजन बढने की समस्या बहुत बढ रही है अधिकतर लोगों का life style बहुत खराब हो चुका है जिसके कारण लोग ओवरवेट के  शिकार हो रहे है।

इसे लेख मे हम बतायेंगे कि

 मोटापा weight तेजी से कम कैसे करें? और weight lose करने का रामबाण उपाय

वजन कम करने व फैट (चर्बी) कम करने के घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक ईलाज.

मोटापा या अधिक वजन

मोटापा या अधिक वजन होने पर आपको कुछ चीजें छोड़नी होगी और कुछ अपनी आदतों को बदलना होगा,

#Weight lose करने के लिए 15 आदत,

जैसे

1- अधिक मीठा खाना गलत है अधिक मीठा खाने से वजन बढता है चर्बी अधिक बढती है आप चीनी खाना छोड दे 

एक आयुर्वेदिक चिकित्सक होने के नाते मै मेदसी व्यक्तियों को सलाह देता हूँ कि कभी कभी आप गुड ले सकते है मगर आपको चीनी बिल्कुल छोड देनी चाहिए,

2- आपको अगर चर्बी कम करनी है तो आपको तले हुए भोजन छोड़ देने चाहिए, फ्राईड चीजों के खाने से आपको बेडकोलेस्ट्रोल की सम्भावना बढ जाती है,आपका वजन और ज्यादा बढ जाने का डर है,

3- दिन में न सोये,  दिन मे सोने से मोटापा बढता है कफ विकृत हो कर मेद(चर्बी) विकृति का कारण बनती है फलस्वरूप वजन बढ जाता है,मोटापा बढ जाता है शरीर में स्थूलता बढ जाती है 

4- अपना life style बदले. सवेरे जल्दी उठे रात मे जल्दी सो जायें,

5- कसरत करें,कसरत करने से शरीर दृड बनता है जीवन के क्लेश सहन करने कीक् क्षमता बढती है

कसरत करने से लटकी हुई त्वचा और पेट की चर्बी भी ठीक हो जाती है,अपने आवश्यकता और के अनुसार व्यायाम जरूर करना चाहिए शरीर से कुछ न कुछ करते रहना चाहिए

जीवन मे शरीर को अधिक आराम देने से शरीर धीरे धीरे रोगों का घर बन जाता है,

6-आवश्यकता अनुसार पानी पीते रहे जिससे आपका शरीर हाईड्रेट रहे,

कुछ लोग कहते है कि अधिक पानी पीने से वजन कम होता है ऐसा कुछ नहीं है पानी पीने से वजन कम करने मे तब मदद मिल सकती है जब अन्य कोई और भी वजन कम करने के प्रयास किया जा रहा हो, आवश्यकता अनुसार पानी पीते रहने से शरीर स्वस्थ रहता है।

7- वजन कम करने के लिए प्रोटीन और फाइबर युक्त भोजन करें,

अधिक से अधिक फल और सब्जियों खायें

8- हैल्दी फेट जरूर लेते रहे

9- Anti inflammatory भोजन करें,

10- भोजन करते समय पेट को  1/4 या 1/3 भाग खाली रखें,

11-भोजन खुब चबा चबा कर खायें,

12- अपना डाईट चार्ट बनाकर रखें और उस फोलो करें,

13- अपनी नींद 6-7 धण्टे तक ले अधिक नींद लेने से मेद बढता है वजन बढता है,

14-Vitamin D के लिए आवश्यकता अनुसार धूप जरूर और प्रति दिन  लें,

15– नाश्ता अवश्य करें और नाश्ते में भरपूर न्यूट्रिशन हो चाहिए,



#Weight lose करने के लिये क्या खायें

Magic diet for weight loss,

वजन कम करने के लिए डाइट की अहम भूमिका होती है, इसके लिए आप हाई फाइबर, हाई प्रोटीन, लो शुगर, लो फैट युक्त खाद्य पदार्थ ले सकते हैं। फिट रहने के लिए डाइट चार्ट में हरी सब्जियां, फल, अंडे, लीन मीट, ड्राई फ्रूट्स, बीन्स, आदि शामिल कर सकते हैं

जितने भी कफबर्द्धक पदार्थ है,जितने भी दुध धी से बनी चीजें है,

*पक्का केला, नारियल,मीठे भोजन, सुख से बिस्तर पर पडे रहना, आलस्य, बेफिक्री,अधिक स्नान करना, रसायन द्रव्यों का प्रयोग,चावल,गेहूँ, उडद का खुब प्रयोग करना,मिठाई खाना आदि सभी चीजों को छोडना होगा यदि आप अपना वजन संतुलित रठना चाहते है|

भोजन के बाद पानी पीना त्यागना होगा,

* समस्त रुखे भोजन, तिल के पत्तों का साग,

गर्म पानी का प्रयोग, चन्दन का शरीर पर लेप,गुलर,कच्चा केला, बैंगन का भुर्ता,परवल,कागजी नीबू, रात को जौ के आटे की रोटी, मठ्ठा, गर्म करके ठंडा किया हुआ जल,आदि के खाने से वजन कम करने मे सफलता मिलती है,

#वजन कम कैसे करें घरेलू उपाय

How to loss weight fast

घरेलू व आयुर्वेदिक 10 उपाय

1– यदि मोटापे के कारण तोंद बढी है तो धतूरे के पत्तो का रस निकाल कर रोज तोंद पर मालिस करें,

2– चावलों के मांड मे ताड के पत्तों का क्षार व हिंग मिला कर प्रातः साय पीने से मेद (चर्बी) बृद्धि मे लाभ मिलता है।

3– पीपल को पीसकर शहद मे मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से मोटापा, अधिक वजन नही बढता है।

4– कुल्थी दाल को रोज पकाकर पीने से वजन कम होता है मोटापा घटता है,

5– प्रतिदिन त्रिफला और गिलोय का काढा पीने से मोटापा नष्ट हो जाता है और शरीर का वजन ठीक हो जाता है, 

6– योगराज गुग्गुल को शहद के साथ खाने से मोटापा व वजन कम हो जाता है।

7– त्रिफला क्वाथ मे शहद मिलाकर पीने से मेल बृद्धि ठीक हो जाती है और वजन कम हो जाता है।

8– चावल के मांड मे रोज नमक और हिंग मिलाकर पीने से वजन व मोटापा घट जाता है

9– जवासा का काढा बना कर कुछ दिनों तक पीने से मोटापा दूर होता है वजन ठीक हो जाता है।

10–एक गिलास पानी उबालकर फिर ठंडा करके 2 चम्मच शहद मिलाकर कर पीने से वजन कंट्रोल होता है और फालतू की चर्बी गायब हो जाती है।

चेतावनी:-

(कोई भी औषधि प्रयोग करने से पहले अपने किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करें)

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

अश्वगंधा क्याहै इन हिन्दी.अश्वगंधा के फायदे,

 अश्वगंधा क्याहै इन हिन्दी.

What is Ashwagandhओa in Hindi.



अश्वगंधा(Withania somnifera)

Dr.VirenderMadhan.

अश्वगंधा:-

जिसे लोग  "Indian ginseng" या "Winter cherry" के नाम से भी जानते है, यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो भारतीय और आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा पौधा एक मधुर, कडुवा और शुष्क जड़ी बूटी होता है यह भारत, नेपाल, बांग्लादेश, और पाकिस्तान में पाया जाता है।

अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधीय पौधा है जिसे आरम्भ से आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। इसे एक रसायन के रूप में भी जाना जाता है इसके प्रयोग से शरीर को बल बढता है, शक्ति बढ़ाती है, मानसिक तनाव को कम करने की शक्ति रखती है 

*अश्वगंधा के क्या क्या फायदे होते हैं?

#अश्वगंधा के फायदे ?



– मानसिक शक्ति के लिए फायदेमंद 

–मोटापा को कम करता है

–शारीरिक क्षमता बढ़ाता है 

–ब्लड शुगर स्तर को कम करता है 

–त्वचा और बालों के लिए वरदान 

–टेस्टोस्टेरोन बढता है

पुरुष फर्टिलिटी को बढाता है

–इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है 

अश्वगंधा में कई प्रकार के शक्तिशाली फायदे होते हैं, जैसे कि –

*शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद, 

*स्नायुजनन को बढ़ाने में समर्थ,

* स्मरण शक्ति को बढ़ाने में समर्थ, और 

*शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में समर्थ है। 

* अश्वगंधा को नींद को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है,

* शरीर की क्षमता के साथ साथ शरीर के विभिन्न अंगों की सुरक्षा को बढ़ाता है।

#अश्वगंधा को कैसे खाये?

अश्वगंधा के विभिन्न रूप जैसे कि पाउडर, कैप्सूल, चूर्ण, चूर्ण युक्त तेल, और चूर्ण युक्त चूर्ण आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। 

* विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, या किसी भी पुरानी या विशिष्ट स्वास्थ्य स्थिति में होने वाले व्यक्तियों को अश्वगंधा का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

#अश्वगंधा किस रोग में काम आता है

 निम्नलिखित रोग और स्थितियों में अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है:

– तनाव और तनाव संबंधित विकार:-



 अश्वगंधा मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है, तनाव को कम करने में सहायता प्रदान कर सकता है, और तनाव संबंधित विकार जैसे कि डिप्रेशन और अन्य मानसिक विकार में सुधार कर सकता है।

– शारीरिक ताकत बढ़ाने के लिए:-

 अश्वगंधा शरीर की  ताकत को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो शरीर की सामर्थ्य और विटामिन और मिनरल स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

#अश्वगंधा के महिलाओं के लिए फायदे,

 अश्वगंधा महिलाओं के गर्भावस्था, पीरियड्स, प्रीमेनोपॉज़ और पोस्ट-मेनोपॉज़ स्थितियों में मदद कर सकता है। 💐

– विश्राम और नींद की समस्या:-

 अश्वगंधा नींद की समस्याओं में मदद कर सकता है, जैसे कि अनिद्रा और अन्य नींद संबंधित विकार। यह नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद कर सकता है 

– वात रोग:-

 अश्वगंधा वात रोगों के लिए उपयोगी हो सकता है, 

* आर्थराइटिस, गठिया, पीठ दर्द, और अन्य वात संबंधित विकार। 

 – शक्ति और पुरुष स्वास्थ्य:-

 अश्वगंधा पुरुषों के लिए शक्ति और वीर्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो पुरुष स्वास्थ्य और शक्ति को सुधारने में मदद कर सकता है।

#अश्वगंधा और दूध पीने से क्या होता है?

–दूध और अश्वगंधा का साथ में सेवन करने से आपका कमजोर  इम्यूनिटी मजबूत होता है। –हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आहार में अश्वगंधा और दूध को जरूर शामिल करें। इसमें मौजूद प्रोटीनऔर कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। 

#अश्वगंधा पुरुषों के लिए क्या करती है?

अश्वगंधा पुरुषों के लिए अच्छा होता है। इससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ता है और प्रजनन क्षमता में सुधार होता है जिससे पुरुषों में स्तंभन के लिए बहुत अधिक प्रभावी है, जो सेक्स ड्राइव को बेहतर बनाने में मदद करती है। एक शक्तिशाली जड़ी बूटी तनाव और चिंता से राहत देती है।

#सफेद मूसली और अश्वगंधा के फायदे;-

अश्वगंधा शरीर को मजबूत करता है और वजन बढ़ाता है, शतावरी प्रजनन प्रक्रिया और पाचन में मदद करता है वहीं सफेद मूसली लंबे समय तक उत्सर्जन को बनाए रखने में मदद करती है। अश्वगंधा और शतावरी दोनों ही विशेष पौधों की जड़ों से प्राप्त किये जाते हैं। 

#सफेद मूसली और अश्वगंधा एक साथ खाने के 5फायदे-

Benefits Of Eating White Musli And Ashwagandha In Hindi

– इम्यूनिटी मजबूत होती है 

– यह सूजन कम करने में मददगार होती है

– कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता है

– अश्वगंधा औऋ मुसली वजन कम करने में मददगार होती है

#अश्वगंधा और शिलाजीत के फायदे (ashwagandha and shilajit benefits)

* अश्वगंधा और शिलाजीत मस्तिष्क कार्य प्रणाली के लिए काफी अच्छा हो सकता है.

– हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करता है

– मांसपेशियों को मजबूत करता है

–यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही कारगर साबित होता है

 – यूरिन संक्रमण को दूर करने में प्रभावी है

–इनके प्रयोग करने से थकान और कमजोरी दूर होती है


#अश्वगंधा की मात्रा:-

अश्वगंधा की मात्रा व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य स्थिति, विकार की स्थिति और उपयोग के उद्देश्य पर निर्भर करेगी। हालांकि, आमतौर पर अश्वगंधा की सामान्य मात्रा 300 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम प्रति दिन होती है।

[ध्यान रखें :-अश्वगंधा के खाने से पहले अपने किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर करें।]

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,

सोमवार, 10 अप्रैल 2023

बुद्धि बढ़ाने वाले योग Dimag ko tej kaise kere

 बुद्धि बढ़ाने वाले योग Dimag ko tej kaise kere

बुद्धि बढाने वाले उपाय


दिमाग को तेज करने की विधि

How to make your brain sharp

अब  हम आपको “बुद्धि बढ़ाने वाले योग" Dimag ko tej kaise kere के बारे मे बतायेगें

प्राचीन काल से ही तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए योग किये जाते थे.

 चिंता और तनाव को कम करने वाले योगाभ्यास होते हैं, जो अधिकतर शांति, stability और बुद्धि की संचार को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। ये योगाभ्यास मन को शांत रखते हैं, जिससे वह उच्च स्तर की सोच और समझ विकसित करता है।


बुद्धि बढ़ाने वाले कई प्रकार के योगो में आसन, प्राणायाम और ध्यान  शामिल होते हैं। उनमें से कुछ योगाभ्यास निम्नलिखित हैं:

* ध्यान (Dhyana)

* नाडी शोधन प्राणायाम (Nadi Shodhan Pranayama)

* भ्रमरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama)

 * शवासन ( Shavasana)

* उष्ट्रासन (Ustrasana)

* बलासन (Balasana)

* नटराजासन 

(Natarajasana)


ये योगाभ्यास बुद्धि को विकसित करने में मदद करते हैं और मानसिक स्थिरता, शांति प्रदान करते हैं। इन योगाभ्यासों को नियमित रूप से करने से आपकी बुद्धि बढ़ेगी, 


#बुद्धि बर्द्धक आयुर्वेदिक उपाय


बुद्धि बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय हैं जो मानसिक संतुलन, शांति और बुद्धि को बढ़ाने में मदद करते हैं। इन उपायों में शामिल हैं:


ब्राह्मी (Brahmi): 

ब्राह्मी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो मेमोरी बढ़ाने, मानसिक संतुलन बनाए रखने और सोचने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। आप ब्राह्मी का सेवन आयुर्वेदिक दवाई या सूखी पत्तियों की तरह कर सकते हैं।


अश्वगंधा (Ashwagandha): 

अश्वगंधा एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो मानसिक तनाव को कम करती है और स्मृति शक्ति बढ़ाती है। यह आपके शरीर के विभिन्न भागों को मजबूत बनाता है और आपके दिमाग को शांति देता है।


जटामांसी (Jatamansi):

 जटामांसी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो मानसिक संतुलन को बढ़ाती है और सोचने की क्षमता को बढ़ाती है। यह शांति और तनाव को कम करने में मदद करता है और अधिक सक्रिय मानसिक स्थिति से बचाता है।


शंखपुष्पी (Shankh पुष्पी): 

शंखपुष्पी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो मानसिक संतुलन बढ़ाती है और दिमाग को ताजगी देती है। यह आपके दिमाग की क्षमता को बढ़ाती है और मैमोरी बढ़ाती है।


ज्योतिष्मती (Jyotishmati): 

ज्योतिष्मती एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो दिमाग को ताजगी देती है और मानसिक संतुलन को बढ़ाती है। यह दिमाग की ताकत को बढ़ाती है और जड़ी बूटी का इस्तेमाल अधिक सक्रिय मानसिक स्थिति से बचाता है।

प्राणायाम (Pranayama): 

प्राणायाम एक प्राकृतिक तकनीक है जो आपके दिमाग को शांति देती है और मानसिक संतुलन को बढ़ाती है। इस तकनीक में नियमित श्वास-प्रश्वास किए जाते हैं जो आपके शरीर को शांति और ताजगी देते हैं।

मेधा वर्धक आहार (Brain Boosting Diet):

 आपके खाने के पदार्थों में मेधा वर्धक तत्वों का सम्मिलन होना चाहिए। आपको फल, सब्जी, अंजीर, खजूर, अखरोट, तिल आदि जैसी खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।


यदि आप अपनी बुद्धि को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए जो आपके दिमाग के लिए फायदेमंद होते हैं। आपको जंक फूड से दूर रहना चाहिए और स्वस्थ आहार लेना चाहिए।


इन उपायों के अलावा, आप अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में भी बुद्धि बढ़ाने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

नियमित व्यायाम करें। योग, ध्यान और भारतीय कलाओं में शामिल होना भी आपकी बुद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

अपनी जीवनशैली में नियमित नींद लें। अधिक तनाव और अनियमित नींद आपकी बुद्धि को कम कर सकता है।

नए कौशल सीखें या नए चुनौतियों का सामना करें। नए कौशल सीखना और नए चुनौतियों से निपटना आपकी बुद्धि को बढ़ा सकता है।

 *नियमित रूप से अपने दोस्तों और परिवार से संवाद करें। सामान्य बातचीत आपकी सोच को चुस्त और ताजगी देती है।

आयुर्वेद में बुद्धि बढने की दवा


आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपचार हैं जो बुद्धि बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय आपकी स्मृति और मनोदशा को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और आपकी बुद्धि को बढ़ाने में सहायता प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ उपचार निम्नलिखित हैं:

* ब्रह्मी: यह जड़ी बूटी बुद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकती है। आप ब्रह्मी पाउडर को दूध या पानी के साथ ले सकते हैं।       

* शंखपुष्पी: यह एक प्राकृतिक तंत्रिका है जो बुद्धि को बढ़ाने में मदद करती है। आप इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।

*जीरक: जीरक मसाले में पाया जाता है और इसमें एक उच्च मात्रा में एन्टीऑक्सिडेंट होता है जो दिमाग की क्षमता को बढ़ा सकता है।

*शतावरी: शतावरी में बुद्धि वर्द्धक शक्ति होती हैं है जो बुद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकती है। आप इसे दूध में मिलाकर पी सकते हैं।


इन दवाओं का सेवन करने से पहले आपको एक विशेषज्ञ वैद्य या चिकित्सक से सलाह करनी चाहिए।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

#लहसुन के फायदे व नुकसान.in hindi.


 लहसुन क्या है?

#लहसुन के फायदे व नुकसान.in hindi.

#Dr.VirenderMadhan.

लहसुन, ( Allium sativum ), Amaryllis परिवार (Amaryllidaceae) का बारहमासी पौधा, इसके स्वादिष्ट बल्बों के लिए उगाया जाता है। यह पौधा मध्य एशिया का मूल निवासी है लेकिन इटली और दक्षिणी फ्रांस में जंगली रूप से बढ़ता है और कई राष्ट्रीय व्यंजनों में एक उत्कृष्ट घटक है।

लहसुन एक स्वादिष्ट मसाला होता है जो व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसे धातुओं और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। इसका इस्तेमाल बीमारियों से लड़ने और उन्हें रोकने के लिए भी किया जाता है। इसमें अल्लिन नामक एक केमिकल होता है जो जीवाणुओं और विषाणुओं के विरुद्ध काम करता है जिससे इसके सेवन से व्यक्ति के शरीर में कुछ रोगों के लक्षण कम हो सकते हैं।

#लहसुन के औषधीय गुण:-

इसमें एलिसिन और सल्फर यौगिक भी होते हैं। साथ ही लहसुन में एजोइन (Ajoene) और एलीन (Allein) कंपाउंड भी पाए जाते हैं, जो लहसुन को असरदार औषधि बनाते हैं। इन तत्वों और यौगिकों की वजह से ही लहसुन का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन यही घटक लहसुन को संक्रमण दूर करने की क्षमता भी देते हैं (

लहसुन में अन्य औषधीय गुण भी होते हैं जैसे कि इसमें पाये जाने वाले सल्फर के कारण यह खून के प्रवाह को बढ़ाता है और हृदय रोगों, श्वसन तंत्र के रोगों, शुगर, जठरांत्र के रोगों, कैंसर आदि से बचाव और उपचार के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

* लहसुन को खाने से पहले कुछ लोगों को उसके खास स्वाद और बदबू आती है। इससे बचने के लिए, आप इसे कुछ देर के लिए पानी में डाल सकते हैं, इससे लहसुन के दुर्गन्ध कम हो जाते हैं।

[यदि आप किसी भी रोग से पीड़ित हैं या लहसुन के सेवन से संबंधित कोई समस्या हो रही है तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।]


लहसुन के उपयोग से संबंधित अन्य एक महत्वपूर्ण बात है कि यह खून को पतला करने के कारण अगर आप रक्त पतला करने वाली दवाओं या एंटीकोगुलेंट दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो लहसुन का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।


अंतिम रूप से, लहसुन का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में खासतौर से भारतीय खाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके अलावा यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी होता है, लेकिन उसका उपयोग समझदारी से किया जाना चाहिए।

* लहसुन के कई औषधीय गुण होते हैं जिससे यह विभिन्न प्रकार के रोगों में लाभदायक सिद्ध होता है। कुछ मुख्य रोगों में लहसुन के उपयोग के फायदे निम्नलिखित हैं:

हृदय रोग:-

 लहसुन में मौजूद सल्फुर हृदय रोगों से बचाव और उपचार के लिए बेहतर होता है। इसमें मौजूद अलिसीन हृदय रोगों से बचाव करने में मदद करता है, क्योंकि यह खून को पतला करता है जो अधिक चिकनाई के कारण हृदय रोगों की स्थिति को बिगाड़ सकता है।

मोटापा:-

 लहसुन में मौजूद अलिसीन वसा के स्तर को कम करने में मदद करता है जिससे मोटापा कम होता है।

श्वसन तंत्र के रोग: -

 लहसुन में मौजूद विभिन्न तत्वों के कारण, इसका उपयोग श्वसन तंत्र से जुड़े रोगों जैसे कि एस्थमा, ब्रोंकाइटिस और साइनस इंफेक्शन आदि के उपचार के लिए किया जाता है।

कैंसर:-

 लहसुन में मौजूद सल्फर और अन्य तत्व कैंसर से बचाव और उपचार के लिए बहुत उपयोगी है।

सामान्य रोग:-

 लहसुन के उपयोग से कुछ सामान्य रोगों जैसे जुकाम, खांसी, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट संबंधी समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं।

इन्फेक्शन:-

 लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकते हैं।

आंतरिक जड़ से जुड़ी समस्याएं:-

 लहसुन में मौजूद तत्व आंतरिक जड़ से जुड़ी समस्याओं जैसे ज्वर, मलेरिया और विषाक्तता जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करते हैं।

लेकिन ध्यान रखें कि लहसुन एक तरह की औषधि होती है और इसका उपयोग अधिकतम मात्रा में किया जाना चाहिए ताकि यह दुष्प्रभावों का कारण न बने। अगर आप किसी भी रोग से पीड़ित हैं तो सलाह लेने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

करेला खाने के फायदे व नुकसान in hindi


 करेला खाने के फायदे व नुकसान in hindi

#करेला जूस के फायदे,

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#करेला जूस के नुकसान,

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करेला खाने के फायदे,

करेला एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक बहुत ही फायदेमंद सब्जी होता है। यह हमारे शरीर के लिए कई सारे गुणों से भरपूर होता है। 

#करेले के आयुर्वेदिक गुण:-

- करेला लघु यानि हल्का और रूक्ष है।

- तित्ता,व कडुआ है।तासीर मे गर्म है.

यह कफपित्त शामक है।यह वात को नही बढाता है।

यह कुष्ठघन है,

यह कृमिनाशक है,शरीर के शोथ को कम कर देता है,

* वजन घटाने में मददगार:– 

यह मेदोहर है।

करेले में कम कैलोरी होती हैं, इसलिए वजन घटाने वालों के लिए एक अच्छा विकल्प होता है। इसके अलावा, करेले में फाइबर और विटामिन सी की मात्रा भी अधिक होती है जो आपको वजन घटाने में मदद करती है।

* डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी:–

यह मधुमेह की अच्छी औषधि है।आमदोष को पचाता है।

 करेले में मौजूद इन्सुलिन जैसे प्रदर्शन देने वाले तत्व शुगर के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद उपयोगी होता है।

*हृदय रोगों के लिए फायदेमंद:– 

करेले में पोटैशियम, मैग्नीशियम और विटामिन सी की मात्रा होती है जो हृदय रोगों को रोकने में मदद करते हैं।

* इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं:–

यह आमाशय तथा यकृत की क्रिया को सुधारता है.

 करेले में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है जो आपके इम्यन सिस्टम को मजबूत बनाती है और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है।

* त्वचा के लिए उपयोगी:–

उदर्द, कुष्ठ, आदि त्वचा रोग मे लाभकारी है

 करेले में विटामिन सी और बी6 की मात्रा अधिक होती है जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखती है। इसके अलावा, करेले में अंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो त्वचा को फ्री रेडिकल से बचाते हैं।

* नेत्र रोगों के लिए उपयोगी:– 

करेले में विटामिन ए, विटामिन सी और जिंक की मात्रा होती है जो आपकी आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

* गुर्दे के लिए उपयोगी:–

 करेले में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है जो गुर्दे के स्वस्थ रहने में मदद करता है। इसके अलावा, करेले में फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है जो मल मूत्र में से नकारात्मक तत्वों को निकालने में मदद करता है।

* ये थे कुछ करेले के लाभ। हालांकि, कुछ लोग करेले का स्वाद नहीं पसंद करते हैं इसलिए उन्हें करेले को खाने के फायदों से वंचित रहना पड़ सकता है। 



#करेले खाने के नुकसान:-

 कुछ नुकसानों के बारे में जानकारी ,

 गुर्दे की समस्या से पीड़ित हों तो आपको हो सकता है नुकसान क्योंकि करेले में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। इसलिए, ऐसे लोगों को करेले का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

* जो ब्लड थिनर्स (रक्त थक्का करने वाली दवाएं) का सेवन करते हैं उन्हें नुकसान हो सकता है, ऐसे लोगों को खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

* कुछ लोगों को करेले का सेवन करने से एलर्जी हो सकती है। इसलिए, इसका सेवन करने से पहले एलर्जी से प्रभावित होने वाले लोगों को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

* करेले का सेवन गुर्दे के रोग के लिए हानिकारक हो सकता है, जो लोगों को गुर्दे के रोग से पीड़ित हो उन्हें नुकसान हो सकता है।

* करेले में अधिक मात्रा में फाइबर होता है, जो कुछ लोगों के लिए पाचन के समय असुविधाजनक हो सकता है।

- इन समस्याओं के अलावा, करेले को उचित मात्रा में सेवन करना ज्यादातर लोगों के लिए स्वस्थ रहने में मददगार होता है। इसे एक स्वस्थ आहार के रूप में शामिल करने से अन्य खाद्य पदार्थों की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है और शरीर के अन्य भागों को सुचारू रूप से काम करने में मदद मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार मात्रा:-

स्वरस:-10–20 ml

करेले अधिक खाने से उपद्रव होने पर चावल और धी खिलाते हैं