Guru Ayurveda

रविवार, 24 दिसंबर 2023

दूध के साथ क्या न खायें|दूध के विरुद्ध आहार.

 दूध के साथ क्या न खायें|दूध के विरुद्ध आहार.

दुध के साथ ऐसी चीचें खाने से जो हमें बीमार कर देती है यानि बैड कोम्बिनेशन यहां कुछ पदार्थों का वर्णन करते है

1- मूली और दूध

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मूली और दूध को एक साथ 

नहीं खाना चाहिए। मूली में एक यौगिक होता है जिसे राइनोल कहा जाता है, जो दूध में मौजूद प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। यह प्रतिक्रिया गैस, सूजन, और पेट दर्द का कारण बन सकती है। आयुर्वेद में भी मूली और दूध को एक साथ खाने से बचने की सलाह दी जाती है।

2–दुध और नमकीन

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दूध के साथ नमकीन स्नैक्स: माता-पिता को बच्चों को दूध के साथ नमकीन स्नैक्स जैसे चिप्स आदि देने से बचना चाहिए. क्योंकि नमकीन स्नैक्स डिहाइड्रेशन की समस्या पैदा कर सकते हैं, जिसकी वजह से शरीर के लिए दूध को पचाना कठिन हो जाता है. इस कॉम्बिनेशन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स हो सकती है

3- दूध के साथ खट्टे फल

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दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन करने से भी बचना चाहिए. अगर आप दूध और खट्टे फल का सेवन एक साथ करते हैं तो इससे पेट दर्द और उल्टी की दिक्कत हो सकती है. खट्टे फल खाने के दो घंटे के बाद ही दूध पिएं.

4- दूध के साथ मछली

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आयुर्वेद में कहा गया है कि मछली के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. दोनों की तासीर और गुण अलग-अलग होते हैं. इन्हें एक साथ खाने से आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

 मछली और दूध साथ में पीने से सफेद दाग की समस्या का खतरा बढ़ जाता है.

5–दुध के साथ चटपटी चीचें


आपको दूध के साथ स्पाइसी मसालों का सेवन करने से भी बचना चाहिए. ऐसा करने से एसिड रिफ्लक्स के साथ-साथ इनडाइजेशन का खतरा भी बड़ सकता है.

6-दूध और सुअर

सुअर मांस खाने के बाल या साथ मे दुध नही पीना चाहिये

7. प्रोटीन से भरपूर चीजें

दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. इसलिए इसके साथ प्रोटीन से भरपूर चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए. ऐसा करने से आपके डाइजेशन सिस्टम पर जोर बढ़ सकता है. साथ ही पाचन से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं. 

8 दूध और शराब

शराब (Alcohol) पीने से उन डाइजेस्टिव एंजाम्स को नुकसान पहुंचता है. जिससे अगर आप शराब के बाद दूध पीते हैं तो दूध में मौजूद पोषक तत्वों का पूरा लाभ आपको नहीं मिलता. अल्कोहोल पेट में मौजूद इन सेल्स को नुकसान पहुंचाता है. जिससे खाने में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.

9 दूध और खीरा

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खीरा और दूध से बनी चीजों को साथ में न खाएं

क्योंकि यह सेहत के लिहाज से एकदम खतरनाक है. ये दोनों साथ मिलकर मेटाबोलिज्म को स्लो कर देता है. आप खीरा खाने के तुरंत बाद या ठीक पहले चाय या दूध न पिएं. यह ब्लोटिंग और पेट दर्द का कारण बन सकता है.

10-दूध और नारियल

11-दूध और सुखे साग

12- दूध और खिचड़ी

13-दूध और सहंजना

14-दूध और बेल फल

15-दूध और सत्तू

16-दूध और कटहल

17-दूध और तिलकुट

18-दूध और नींबू

19-दूध और करौंदा

20-दूध और काकमाची (मकोय)

21-दूध और कुलथी

22-दूध और तैल

23-दूध और छाछ, दही

24-दूध और अंकुरित अनाज

25-दूध और शकरकंद

26-दूध और बकरी मांस


बुधवार, 13 दिसंबर 2023

रोज खाने से 11 फायदे|How Eat Curd To Extra Power

 रोज खाने से 11 फायदे|How Eat Curd To Extra Power



#दही क्या है?

दही दूध का उत्पादन है। दही में खट्टापन पैदा हो जाता है। इसे ही योगर्ट कहते हैं। इससे छाछ मक्खन मिलता है। दही में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट शुगर कैल्शियम, आयरन मैग्नीशियम फॉस्फेट और सोडियम, जिंक ,कॉपर, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन ए, विटामिन बी12, विटामिन के, फैटिक एसिड होता है।

#दही खाने के फायदे?

*दही खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर की इम्युनिटी बढ़ जाती है।

* दही के खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है और यह दिल के लिए भी बहुत सेहतमंद होता है। 

* दही में कैलोरी कम होती है। इसके खाने से अधिक भोजन करने की इच्छा नहीं रहती। इसलिए वजन कम किया जा सकता है। इसके लिए फैटलेस दही होनी चाहिये।

#दही कब नही खानी चाहिए?

दही खट्टा होता है। इसकी तासीर खट्टी होती है।

दही की तासीर खट्टी होने से, खट्टी चीजों से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।

* यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है।

*दही कमजोर पाचन तंत्र वालों को और रात को दही खाने वालों को एसिडिटी, अपच, खट्टी डकारें आने लगते हैं। इसलिए रात को दही नहीं खाना चाहिए।

* दही खाने से जुकाम खांसी दवा बढ़ जाता है क्योंकि दही कफकारक होती है।

#दही के उपयोग क्या है?

दही बहुत उपयोगी हैं

* दही को बालों में लगाने से बालों के लिए बहुत लाभदायक है। 

*दही एंटीफंगल है और डैंड्रफ को दूर करती है। 

*दही सर मे लगाने से सिर की खुजली को शांत करती है। 

* दही पौषक है। इसलिए बालों को झड़ने से रोकते हैं और बालों को सॉफ्ट करती है और बालों को टूटने से बचाती है। 

* दही और बेसन का लेप चेहरे पर लगाने से झांईयां दूर होती है.

* चेहरे झुर्रियां साफ होती है।

*त्वचा की एलर्जी के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है

* दही बेसन मे हल्दी मिलाकर लगाने से चेहरे का रंग गोरा हो जाता है.

[दही और गुड]

*दही गुड खाने से ताकत बढती है

*इम्यूनिटी बढती है

*शरीर मे तृप्ति मिलती है

#दही कब नही खानी चाहिए?

रात मे दही नही खानी चाहिए तथा जिनकी पाचनशक्ति बहुत कमजोर हो उन्हें दही नही खानी चाहिए 

दही गरिष्ठ होती है तथा पचने में भारी होती है।

रक्तविकार मे दही नही खानी चाहिए

कफविकारो मे जैसे सर्दी जुकाम, दमा, खांसी मे दही से दूर रहना चाहिए.

धन्यवाद!

#drVirendermadhan

रविवार, 12 नवंबर 2023

3 कली लहसुन और शहद खाने से होगा|How to eat garlic and honey in winter

 3 कली लहसुन और शहद खाने से  होगा|How to eat garlic and honey in winter

शहद में डुबा हुआ लहसुन खाली पेट खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी माना गया है।

लहसुन की उत्पत्ति मध्य एशिया से मानी जाती है। आज लहसुन भारत, चीन, फिलीपीन्स, ब्राजील, मैक्सिको आदि सभी देशों में बहुत बड़े पैमाने पर पैदा होता है।

रोग निवारक गुणों में लहसुन का प्रयोग दमा, बहरापन, कोढ़, छाती में बलगम, बुखार, पेट के कीड़े, यकृत के रोग, हृदय रोग, रक्त-विकार, वीर्य-विकार, क्षय आदि रोगों में लाभकारी है।

लहसुन में खनिज एवं विटामिनों की काफी अधिक मात्रा होती है। इसमें आयोडीन, गंधक, क्लोरीन, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, लोहा, विटामिन ‘सी’ ‘बी’ काफी मात्रा में पाए जाते हैं।

#कमजोरी:-

शहद में डुबे हुए लहसुन की 2-3 कलियों को सर्दियों के दिनों में खाली पेट खाने से शारीरिक कमजोरी हमेशा के लिए ठीक हो जाती है और बड़ी हुई चर्बी भी कम होती है। यह सेक्सुअल लाइफ को प्रभावित करता है और सकारात्मक असर दिखाता है।

#कोलेस्ट्रॉल:-

इसका सेवन करने से असमय ही बुढ़ापे का शिकार होने से बचा जा सकता है। बुढ़ापे का अर्थ है कि धमनियों को सिकुड़ कर रोग-ग्रसत हो जाना। यह धमनियों को सिकुड़ने से बचाता है और जमे हुए कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकाल पुनः ठीक कर देता है।

#सर्दी के रोग:-

शहद में डूबे हुए लहसुन में भरपूर मात्रा में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जिसके सेवन करने से शरीर में गर्मी आती हैं। जिससे सर्दी-जुकाम जैसी समस्या से निजात पाई जा सकती है और साइनस की समस्या भी काफी कम हो जाती है।

#सूजन:-

शहद में डुबे लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है जिससे गले में खराश और सूजन से राहत मिलती है।

#Asthma:-

अस्‍थमा रोगियों के लिए तो लहसुन और शहद किसी वरदान से कम नहीं है।

#ब्लोकेज :-

शहद में डूबा हुआ लहसुन हार्ट से सम्बंधित लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी माना गया है। इसके कुछ महीने सेवन से हार्ट में होने वाले ब्लॉकेज से छूटकारा पाया जा सकता है। दिल की धमनियों में जमा फैट बाहर निकल जाता है। जिसके कारण रक्त संचार ठीक ढंग से होने लगता हैं, जो दिल के लिए फायदेमंद हैं।

#डायरिया:-

अगर आपको बार-बार डायरिया की समस्या होती है, तो इसे लेना आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं।

   इसका सेवन करने से पाचन क्रिया ठीक ढंग से काम करती है जिससे पेट संबंधी किसी भी प्रकार का इंफेक्‍शन नहीं होता हैं।

लहसुन और शहद–इन दोनों में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है, जो फंगल इंफेक्शन को दूर करने का काम करते है।

#इम्यूनिटी–

शहद में डूबा लहसुन लेने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। जिससे कई बीमारीयों से छुटकारा पाया जा सकता है।

#बोडी डीटोक्सिफीकेशन :-

  यह एक प्राकृतिक डिटॉक्स है। इसको खाने से शरीर की अंदर से सफाई हो जाती है। जिसके कारण स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।

#मजबूत हड्डी ;–

लहसुन और शहद में मौजूद फास्फोरस से दांत मजबूत रहते है। यह दांतों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने का काम करता है। इनमें फाइबर, कैल्शियम, फास्फोरस आदि तत्व होते हैं जो दांत, बाल और हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं।

#विधि :–

लहसुन की कलियों का छिलका उतारकर शहद की छोटी शीशी में इतनी डालें कि वह शहद में पूरी तरह डूब जाए और दो दिन ऐसे ही पडा रहने दें। लहसुन की 2–3 कलियों को सुबह खाली पेट सेवन करें और 45 मिनट बाद ही कुछ खाए।

शनिवार, 4 नवंबर 2023

यूरिक एसिड का रसौई मे समाधान


 यूरिक एसिड का रसौई मे समाधान

Kitchen Solution For Uric Acid

[Uric acid control tips]

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण:-

 – यूरिक एसिड बढ़ने के कई कारण होते हैं, जैसे-

- पानी का कम सेवन, 

- शराब ज्यादा पीना, 

- सोडा और फ्रक्टोज का सेवन, 

- हाई ब्लड प्रेशर दवाईयों का सेवन, 

- किडनी की परेशानी, 

- मोटापा, अधिक वजन,

-High protin

- प्यूरीन फूडस ज्यादा खाना. 

 इनके कारण आपके यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाती हैं. 

#कितना होना चाहिए यूरिक एसिड

आपको बता दें कि आमतौर पर पुरुषों में 2.5 से 7 एमजी प्रति डीएल और महिलाओं में 1.5 से 6 एमजी प्रति डीएल होता है. 

इससे ज्यादा यूरिक गठिया, किडनी की बीमारी और अन्य सेहत संबंधी परेशानियां पैदा कर सकते हैं. 

#यूरिक एसिड कंट्रोल करने के

 नुस्खा

अगर आपके शरीर में यूरिक एसिड बढ़ गया है तो फिर आपको अजवाइन और अदरक 2 ऐसे मसाले हैं जिनका सेवन करने से बढ़े यूरिक एसिड को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है. ये दोनों ही चीजें जोड़ों के दर्द और सूजन को दूर करते हैं. 

* अजवाइन के गुण- 

 असल में इस मसाले में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिसके सेवन से यूरिक के बढ़े हुए स्तर को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है,

अजवायन जोड़ों में जमे क्रिस्टल को तोड़ता है. यह यूरीन के जरिए बॉडी से बाहर निकल आता है. ये जोड़ों के दर्द और सूजन को भी कम करता है.

*अदरक के गुण - 

  अदरक भी यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में कारगर साबित होता है. यह एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूर होता है, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती है. इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. यह बीमारियों को दूर करता है. 

कैसे करें अदरक और अजवाइन का सेवन,

आप एक चम्मच अजवाइन और कसा हुआ अदरक एक गिलास पानी में अच्छे से उबाल लीजिए. फिर आप इसमें स्वाद के लिए शहद मिलाकर चाय की तरह पी लीजिए. आप इसको सुबह और रात में सोने से पहले पी लीजिए. यह आपके बढ़े यूरिक को कंट्रोल करने में सक्षम हैं.

रविवार, 29 अक्तूबर 2023

आयुर्वेद में त्रिदोष किसे कहते है?.In hindi.

 #आयुर्वेद में त्रिदोष किसे कहते है?.In hindi.



* What is called Tridosha in Ayurveda?.In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्‍त, कफ इन तीनों को दोष कहते हैं। 

Q:- वात,पित्त और कफ को दोष क्यों कहते है?

Ans:- यहां "दोष" शब्द का मतलब सामान्य भाषा में ‘विकार’ नहीं है। इसी प्रकार, "त्रिदोष" का अर्थ- वात, पित्त, कफ की विकृति या विकार नहीं है। आयुर्वेद में कहा है कि [दुषणात दोषाः, धारणात धातवः]

अर्थात वात, पित्त व कफ जब दूषित होते है तो रोग उत्पन्न कर देते हैं तथा जब वे अपनी स्वाभाविक अवस्था में रहते हैं तो सप्त धातु व शरीर को धारण करते व संतुलित रखते हैं।

- आयुर्वेद में शरीर की मूल धारक शक्ति को व शरीर के त्रिगुणात्मक (वात, पित्त, कफ रूप) मूलाधार को ‘त्रिदोष’ कहा गया है। 

- इसके साथ 'दोष' शब्द इसलिए जुड़ा है कि सीमा से अधिक बढ़ने या घटने पर यह स्वयं दूषित हो जाते हैं तथा धातुओं को दूषित कर देते हैं।

Q:- शरीर के निर्माण मे प्रधान तत्व क्या है?

Ans:-- आयुर्वेद में शरीर के निर्माण में दोष, धातु और मल को प्रधान माना है 

[दोषधातुमल मूलं हि शरीरम्' ]

अर्थात दोष, धातु और मल - ये शरीर के तीन मूल हैं। आयुर्वेद का प्रयोजन शरीर में स्थित इन दोष, धातु एवं मलों को साम्य अवस्था में रखना जिससे स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य बना रहे 

Q:-दोष धातु मलों का शरीर में महत्व क्या है?

Ans:-- दोष धातु मलों की असमान्य अवस्था होने पर उत्पन्न विकार या रोग की चिकित्सा करना है। शरीर में जितने भी तत्व पाए जाते हैं, वे सब इन तीनों में ही जुडे हैं। इनमें भी दोषों का स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

- त्रिदोष को शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश का कारण, 

अथवा शरीर के स्तम्भ माने जाते हैं। इसके पश्चात शरीर को स्वास्थ बनाए रखने और रोगों को समझने एवं उनकी चिकित्सा के लिए भी त्रिदोषों को समझना बहुत आवश्यक है। इन तीनों दोषों के सम होने से ही शरीर स्वस्थ रहना संभव है। परन्तु जब इनकी सम अवस्था में किसी प्रकार का विकार या असंतुलन आ जाता है तो रोग जन्म ले लेता है।

Q:- त्रिदोष सिद्धांत क्या है?

Ans:-  त्रिदोष का सिद्धांत महत्त्वपूर्ण है आयुर्वेद में। वात, पित्त और कफ जब कुपित हो जाते हैं तो शरीर असंतुलित और रोग बढ़ने लगते हैं। इसलिए इन तीनों दोषों का सम रहना ही स्वस्थ होने की पहचान है। 

त्रिदोष को समझने के लिये पंचमहाभूत, वात,पित्त,और कफ के बारे मे जानना होगा. 

धन्यवाद!

सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

खजुर|what happens when eat dart|खजुर खाने के फायदे नुकसान,

 खजुर|what happens when eat dart|खजुर खाने के फायदे नुकसान,



“खजुर का फल”

खजूर एक प्रकार का फल ☺️ है जो खजूर के पेड़ से प्राप्त होता है। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल होता है, जो अक्सर डेसर्ट के रूप में खाया जाता है और विभिन्न खाद्य उपयोगों के लिए उपयोगी होता है। खजूर से अनेक प्रकार के पौष्टिक भोजन और मिठाई तैयार की जाती हैं। यह उच्च गुड़ और फाइबर की धरोहर देता है, जिससे यह स्वस्थ खाद्य होता है।

खजुर के 7 फायदे

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खजूर के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं:

*खजूर खाने से क्या फायदा करता है?

खजूर (डेट) में कॉपर, सेलेनियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते हैं जो आपकी हड्डियों को मजबूत रखने और उनसे जुड़े रोगों से बचाने के लिए बेहद ज़रूरी हैं। इसमें विटामिन K भी भरपूर मात्रा में होता है जो खून को गाढ़ा होने से रोकता है और आपकी हड्डियों को मेटाबोलाइज करने में मदद करता है।

पौष्टिकता:–

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 खजूर में अनेक पौष्टिक तत्व जैसे कि विटामिन, खनिज तत्व, आयरन, पोटैशियम, और फाइबर होते हैं, जो शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

पाचनतंत्र स्वास्थ्य:– 

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खजूर का सेवन पाचन तंतु के स्वास्थ्य को सुधार सकता है और कब्ज को कम करने में मदद कर सकता है।

ऊर्जा:–

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 खजूर में प्राकृतिक शुगर होती है, जो त्वरित ऊर्जा प्रदान कर सकती है, खासकर जब आपको थकान महसूस हो रही हो।

गुड़ विकल्प:–

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 खजूर के साथ गुड़ तैयार किया जा सकता है, जो एक स्वास्थ्यवर्धक मिठास का स्रोत होता है।

खून :-–

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 खजूर में पोटैशियम और आयरन होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं.

हड्डियों के लिए लाभकारी:– 

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  खजूर के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिल सकती है क्योंकि इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, और पोटैशियम होता है.

विटामिन स्तर:–

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 खजूर में विटामिन बी, विटामिन क, और फॉलिक एसिड होते हैं, जो स्वास्थ्य तंतु और त्वचा के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.

#खजुर के कितने नुकसान होते है.

खजूर सेहत के लिए :–

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खजुर स्वास्थ्यकर हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में खाने के चंद नुकसान हो सकते हैं:

*शरीर वजन को बढ़ा सकते हैं:–

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 खजूर में शुगर (ग्लूकोज) होता है, इसलिए अधिक मात्रा में खाने से आपका वजन बढ़ सकता है।

*कैलोरी की मात्रा:–

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 खजूर में कैलोरी भरपूर मात्रा में होती है, इसलिए अधिक मात्रा में खाने से यदि आपका कैलोरी संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह वजन बढ़ सकता है.

*सूजन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ:–

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 कुछ लोगों को खजूर खाने से पेट में गैस बन सकती है और सूजन हो सकती है, खासतर पेट की समस्याओं वाले व्यक्तियों को.

*शुगर के रोगियों के लिए सावधानी:–

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 खजूर में शुगर होने के कारण, शुगर के रोगियों को अधिक मात्रा में खजूर नहीं खाने चाहिए.

†* सामान्य रूप से, खजूर को सेहत के लिए मध्यम मात्रा में खाने में कोई समस्या नहीं होती है, लेकिन सब कुछ मात्रा में होना चाहिए और संतुलन बनाए रखना चाहिए। यदि आप किसी खास स्वास्थ्य समस्या के साथ हैं, तो डॉक्टर से सलाह ले

*खजुर किस समय खा सकते है:–

  खजूर को आप किसी भी समय खा सकते हैं, 

*खजुर कितना खा सकते है

खजूर की मात्रा:–

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 आपके आदतों, स्वास्थ्य स्तर, और आयु के हिसाब से भिन्न हो सकती है। एक सामान्य तौर पर आप दिन में 4 से 6 खजूर खा सकते हैं। ध्यान दें कि खजूर की अधिक मात्रा में खाने से अतिरिक्त कैलोरी और शुगर की समस्या हो सकती है,

ये भी देखे

https://youtu.be/pyZiic1p3Kc?si=UXXt9THIs7BONe9Z


गुरुवार, 19 अक्तूबर 2023

Garam Pani Peene Se Kya Hota Hai


 Garam Pani Peene Se Kya Hota Hai

गर्म पानी पीने के 5 फायदे

Benefits Of Hot Water

By:- Dr.virenderMadhan

गर्म पानी पीने के कई फायदे होते हैं:–

पाचन को सुधारना:–

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 गर्म पानी पीने से पाचन तंत्र को सुधारकर भोजन का पाचन बेहतर होता है और पेट साफ रहता है.

वजन नियंत्रण:–

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 गर्म पानी पीने से पेट कम होने लगता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है.

शरीर का शुद्धिकरण:–

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 गर्म पानी से शरीर के अंदर की गंदगी बाहर निकलती है, जिससे त्वचा की स्वच्छता बनी रहती है.

तंत्रिका स्वास्थ्य:–

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 गर्म पानी पीने से तंत्रिका स्वास्थ्य में सुधार होती है और दर्द कम होता है.

बुढ़ापे के लक्षण कम करना:–

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 गर्म पानी पीने से शरीर की ऊर्जा बनी रहती है, जिससे बुढ़ापे के लक्षणों को कम किया जा सकता है.

** गर्म पानी पीने के इन फायदों के बावजूद, ध्यान देना चाहिए कि गर्म पानी को बहुत उचितता के साथ पीना चाहिए और उसकी गर्मी को सही तरीके से संयमित रखना चाहिए. अत्यधिक गर्म पानी पीने से शरीर को हानि हो सकती है, 

#गर्म पानी पीने के कुछ नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:

 पेट की समस्याएँ:–

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 अधिक गर्म पानी पीने से पेट की समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि एसिडिटी या पेट में जलन.

 गले में कठिनाइयाँ:–

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 बहुत गर्म पानी पीने से गले में दर्द और कठिनाइयाँ हो सकती हैं.

पीठ में चिपचिपा निकलना:– 

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अधिक गर्म पानी पीने से शरीर में ज्यादा आपका पास और पैर के पांव में चिपचिपा निकल सकता है.

 अधिक तप्त पानी के साथ ज़हरी खत्म:–

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 अगर पानी बहुत तप्त हो तो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.

  तंत्रिका स्वास्थ्य को प्रभावित करना:–

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 बहुत गर्म पानी पीने से तंत्रिका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर यदि व्यक्ति किसी तंत्रिका समस्या से पीड़ित है.

बुधवार, 18 अक्तूबर 2023

अदरक के 10 मुख्य फायदे Adrak ke khane se kya hota hai


 अदरक के 10 मुख्य फायदे

Adrak ke khane se kya hota hai

पहले जान ले कि अदरक में कौन कौन से तत्व पाए जाते हैं?

अदरक में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कॉपर, मैंगनीज और क्रोमियम पाए जाते हैं। अदरक में बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती है। इसलिए इसका नियमित सेवन करने से यह गले के संक्रमण से बचाता है। यह शरीर में पैदा होने वाले फ्री-रेडिकल्स को खत्म कर देता है।

“अदरक की तासीर”–

अदरक की तासीर गर्म होती है। सर्दी के मौसम में इसे अपनी डाइट में शामिल करने से ठंडक का अहसास कम होता है।

अदरक के फायदे

– अदरक कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम माना जाता है.

– अदरक मधुमेह में लाभदायक तत्व होने से मधुमेह कंट्रोल होता है

–अदरक हृदय के लिए लाभकारी होता है

– पेट के लिए अदरक बहुत फायदे होता है

–अदरक का काढा मोशन सिकनेस को कम करती है

– अदरक जोड़ों के दर्द और आर्थराइ‍टिस में राहत देती है 

–अदरक माइग्रेन और मासिक धर्म की पीड़ा को कम करती है

** अदरक शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

–हार्ट के लिए फायदेमंद है

–पाचन तंत्र दुरुस्त करता है

–गठिया रोग में कारगर होता है

–सर्दी जुकाम में राहत देता है

–घने, चमकदार बाल और

स्किन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है

#अदरक कौन सी बीमारी में काम आता है?

दक्षिण पूर्व एशिया में उत्पन्न जिंजर राइज़ोम का चीन, भारत और अमेरिका में

– खांसी, मितली, उल्टी, डायरिया इत्यादि विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है। 

–अदरक तीन रूप में दैनिक उपयोग हेतु बाजार में उपलब्ध है

 – ताजा जड़ी वाला अदरक, –सिरप के रूप में डिब्बाबंद अदरक और

– सूखा अदरक मसाला।



#अदरक लेने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

अदरक का सेवन करने का सबसे अच्‍छा तरीका चाय के रूप में है।

पानी में कटी या कद्दूकस अदरक डालें।

पानी को कुछ देर के लिए उबाल लें।

चाय को धीरे-धीरे पिएं।

आप चाय को टेस्‍टी बनाने के लिए शहद या नींबू जैसी चीजें मिला सकती हैं।

–अदरक के साथ क्या खायें?

अदरक और शहद (Ginger and Honey) दो ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनके सेवन से सेहत को अनगिनत फायदे होता हैं। ऐसा माना जाता है कि जब इन दोनों को एक साथ लिया जाता है, तो इनकी ताकत और फायदे दोगुने हो जाते हैं। शहद और अदरक का पावरफुल कॉम्बिनेशन सर्दी और खांसी जैसी सांस की समस्याओं के इलाज कर सकता है।

–गुड़ और अदरक का मिश्रण शरीर में पित्त दोष को दूर करता है, जिससे स्किन पर चमक आती है। स्किन की समस्याओं को दूर करने के लिए आप रोजाना 1 इंच अदरक के टुकड़े को गर्म करके गुड़ के साथ इसका सेवन

#अदरक कब नहीं खाना चाहिए?

आप अगर शुगर और हाइपरटेंशन के मरीज़ हैं तो अदरक के गुण आपके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। ऐसी हेल्थ प्रॉब्लम्स के साथ अदरक खाना अच्छा नहीं हो सकता। दरअसल अदरक में खून को पतला करने वाले गुण मौजूद होते हैं और ये गुण ब्लड में शुगर लेवल को सामान्य से कम करने में मदद कर सकते हैं।

#क्या अदरक के साइड इफेक्ट होते हैं?

अदरक से दुष्प्रभाव होना दुर्लभ है । उच्च खुराक में यह हल्की सीने में जलन, दस्त और मुंह में जलन पैदा कर सकता है। कैप्सूल में अदरक की खुराक लेने या भोजन के साथ अदरक लेने से आप पेट के कुछ हल्के दुष्प्रभावों, जैसे डकार, सीने में जलन या पेट खराब होने से बच सकते हैं।

शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

Balon ka Jhedna|बालों का ईलाज |गंजापन,


 Balon ka Jhedna|बालों का ईलाज |गंजापन,

✒️By:- Dr.VirenderMadhOan.

बालों के टूटने के कारण और  उपचार

 - सिर की मालिश 

स्थानीय रूप से जो उपलब्ध हो उस तेल के साथ दैनिक मालिस करें.

 ठंडी विधि से तैयार तैल से, सर्दियों में तिल का तेल, गर्मियों में नारियल का तेल या एलोवेरा गूद्दे के साथ मिलाकर मालिस करें,

तेल मालिश करने के लिए सबसे पहले अपनी पसंद के तेल को हल्का सा गुनगुना करना ज़रूरी है. इससे तेल बालों और स्कैल्प (सिर की त्वचा) में आसानी से पहुंच जाता है. तेल गर्म करने के लिए आप चाहें तो माइक्रोवेव की मदद ले सकते हैं. अगर ऐसा नहीं पॉसिबल है तो गर्म पानी में बोल को रखकर उसमें तेल रख कर गुनगुना कर सकते हैं.


 -कंघी करना


बाल झड़ने लगते हैं।बाल झड़ने के मामले में लकड़ी की कंघी प्लास्टिक या धातु की कंघी से थोड़ी बेहतर होती है।

विटामिन की कमी, हार्मोन असंतुलन, इसलिए गीले बालों में कंघी करना बालों के झड़ने का एकमात्र कारण होने की संभावना नहीं है. कई बार बहुत गर्म या गंदे पानी से बाल धोने से भी बाल झड़ने लगते हैं. बालों का झड़ना एक नैचुरल प्रक्रिया है जो बालों के विकास चक्र के हिस्से के रूप में होती है.

 – टाइट हेयरस्टाइल से बचें



इसमें बालों में गंजापन हो सकता है। इससे आपके बाल क्षतिग्रस्त होने के साथ वहां की स्कैल्प भी चोटिल हो जाता है और बालों के रोम इतने क्षतिग्रस्त हो सकते हैं कि नए बाल नहीं निकल पाते हैं। इसलिए आपको इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए टाइट चोटी बनाने से बचना चाहिए

कई बार बालों को टाइट बांधने से आपके बालों (Hairs) की जड़ों में खिंचाव होता है और नसों में सूजन आ जाती है. ऐसे में बालों की जड़ों में दर्द होने लगता है. यहां तक कि यह बालों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. इससे बाल पतले भी हो जाते हैं.

 -अत्यधिक हीट स्टाइलिंग opसे बचें



अधिक हीट स्टाइलिंग के कारण बाल डैमेज हो जाते हैं. Hair Care: बालों को गर्मी से होने वाली क्षति (heat styling damage )तब होती है जब बालों पर अत्यधिक गर्मी लगाई जाती है, जिससे वे ड्राई और हो जाते हैं और इनके टूटने की अधिक संभावना होती है.

 -धूप से सुरक्षा

धूप में बाल की नमी खत्म हो जाती है और हेयर फॉलिकल्स कमजोर होने लगते हैं. ऐसे में बालों को नारिशमेंट की जरूरत होती है इसके लिए आप बालों की जड़ों में गुनगुना नारियल या जैतून का तेल लगाएं. अगर हेयर फॉल की समस्या हो रही होगी तो इससे छुटकारा मिलेगा. हीट में रहने की वजह से बालों की चमक कहीं खो सी जाती है.

 -हाइड्रेटेड रहना

सुबह पानी जरूर पिएं - वहीं, दिन की शुरूआत आप पानी पीने के साथ करें. एक गिलास पानी न केवल आपको हाइड्रेशन प्रदान करेगा बल्कि आपको तरोताजा भी महसूस कराएगा. यह पाचन में सुधार करने में मदद करता है और आपकी आंत को साफ करता है. आप चाहें तो नारियल पानी के साथ भी शुरू कर सकते हैं.


 -अच्छा आहार



विटामिन ए वाले फूड्स में गाजर, दूध, टमाटर, शकरकंद, तरबूज, लाल शिमला मिर्च, अंडा, मछली आदि शामिल है. यह बात तो आप जानते ही होंगे कि बाल प्रोटीन से बने होते हैं. यानी कि अगर पर्याप्त प्रोटीन का सेवन किया जाए तो बालों की ग्रोथ तो अच्छी रहेगी ही, साथ ही साथ उनके झड़ने और रूखे होने में भी कमी आएगी.


 -गहरी नींद

नींद कम लेने से हमारे बालों के फॉलिकल्स कमजोर हो जाते हैं जिससे हमारे बाल झड़ने (Hair Fall)शुरू हो जाते हैं। हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी खतरनाक बीमारियां भी हमारे कम मात्रा में सोने का कारण बन सकती हैं।

 

 -हेयर मास्क (तेल लगाने के बाद बालों को कुछ देर के लिए तौलिए में रखें)

हॉट टॉवल ट्रीटमेंट करने के फायदे

अपने बालों को गर्म तौलिये से भाप देने से बालों के रोम खुलने में मदद मिलेगी । इससे बालों का तेल सिर की गहराई तक पहुंचेगा और बालों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। गर्म तौलिया उपचार का उपयोग करने से आपको अपने सिर पर किसी भी जमाव को हटाने में मदद मिलेगी।

 -गर्म तेल उपचार

जब आप तेल को गर्म करके लगाते हैं तो ये बालों के विकास को तेज करती है। इससे बाल नहीं झड़ते, डैंड्रफ की समस्या नहीं होती और लंबे बाल पाने में मदद मिलती है। इसके अलावा ये सफेद बालों की समस्या को भी कम करने में मददगार है। साथ ही इस तरह से तेल लगाने से बाल आपके स्कैल्प को गर्मी और धूल से भी बचाते हैं।

 - हल्के गैर-रासायनिक/हर्बल शैम्पू के बिना नियमित धुलाई

करें

*साइडर विनेगर यानी सेब का सिरका बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पानी में मिलाकर सफाई करें

*एलोवेरा बालों के एलोवेरा बहुत फायदेमंद होता है।इसकी मालिस के बाद सादा पानी से धोयें

*आंवला के काढे का प्रयोग कर सकते है

*नींबू के रस को पीनी डालकर प्रयोग करें

*रीठा और शिकाकाई बालों के धोने के लिए बहुत लाभदायक प्रयोग है


-योगासन करें

1 उत्तानासन

2 मत्स्यासन

3  शीर्षासन

4 बालासन

बुधवार, 27 सितंबर 2023

सायटिका का दर्द|Sciatica pain|“गृध्रसी रोग”

 सायटिका का दर्द|Sciatica pain|“गृध्रसी रोग”

[Sciatica pain]

By:- Dr.VirenderMadhan

सायटिका में पैरों में झनझनाहट होती है तथा खाल चढ़ने लगती है। पैर के अंगूठे व अंगुलियां सुन्न हो जाती हैं। कभी-कभी कुछ पलों के लिए पैर बिल्कुल निर्जीव से लगने लगते हैं। इस समस्या के लगातार बढ़ते रहने पर यह आंतरिक नसों पर भी बुरा असर डालना प्रारंभ कर देती है।

#साइटिका का दर्द कहां से शुरू होता है?

Where does sciatica pain start?

कटिस्नायुशूल तब होता है जब कटिस्नायुशूल तंत्रिका पर दबाव पड़ता है या क्षति होती है। यह तंत्रिका पीठ के निचले हिस्से से शुरू होती है और प्रत्येक पैर के पीछे तक जाती है। यह तंत्रिका घुटने के पिछले हिस्से और निचले पैर की मांसपेशियों को नियंत्रित करती है।

यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी ऐसी स्थिति है जिससे कमर में दर्द की शिकायत आती है। यह तब उत्पन्न होती है जब कोई एक कशेरूका (vertebrae) जो कि पीठ की हड्डी है, अपनी जगह से खिसक कर उसके नीचे वाली कशेरूका पर चली जाती है। इसकी वजह से साईटिका के होने की संभावना बढ़ जाती है

#साइटिका की शुरुआत कैसे होती है?

'सायटिका' का आगमन जब यह चिकनी सतह घिसने लगती है तब हड्डियों पर इसका बुरा असर होता है जो असहनीय दर्द का कारण बनता है। सायटिका की समस्या मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी व कमर की नसों से जुड़ी हुई है जिसका सीधा संबंध पैर से होता है। इसीलिए सायटिका में पैरों में तीव्र दर्द उठने लगता है।

#साइटिका में क्या नहीं करना चाहिए?

* साइटिका में तेज दर्द होने पर काम न करें। इसके अलावा 

 * हाई हील्स या चप्पल न पहनें और

* आगे झुकने वाले कार्यों को करने से बचें।

* जंक फूड और पैकेज्ड फूड के साथ मैदा और चीनी से बनी चीजों का सेवन न करें क्योंकि ये नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाती हैं।

#साइटिका का सबसे अच्छा इलाज कौन सा है?

साइटिका का सबसे कारगर इलाज है मालिश।

* नारियल तेल या सरसों के तेल के अलावा

* प्रसारिणी तेल,

* निर्गुन्डी औषधि,

* महानारायण तेल,

* दशमूल तेल,

* सहचारी तेल,

* तिल का तेल का उपयोग कर सकते हैं। 

साइटिका का दर्द ठंड के दिनों में ज्यादा परेशान करता है। ऐसे में सरसों के तेल को थोड़ा गर्म करके इस्तेमाल करें।


#साइटिका का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

–अदरक,कपूर,पिप्पली का पेस्ट, जायफल का चूर्ण, तिल के तेल का पेस्ट,

– अश्वगंधा का चूर्ण,तिल के तेल का पेस्ट।

 – साथ ही लहसुन का कल्प लगाएं,

– लहसुन की कली खाएं। –बालारिष्ट,

– दशमूलारिष्ट,

– अश्वगंधारिष्ट,

– खाने के बाद लें।  साथ में –अश्वगंधा का चूर्ण,

– सिंहनाद गुग्गुल,

– योगराज गुग्गुल दर्द कम करने के लिए लें।

#साइटिका दर्द के लिए चलना अच्छा है या बुरा?

भले ही इससे कुछ हद तक दर्द होता है, लेकिन चलना वास्तव में साइटिका के लिए अच्छा है ।  चलने से पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को बढ़ावा मिलता है, और यह नसों को अधिक लचीला भी बना सकता है। 

यदि आप पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव नहीं करते हैं, 

जैसे कि व्यायाम बढ़ाना और आवश्यक आहार परिवर्तन करना, तो कटिस्नायुशूल वापस आ सकता है। यदि कोई पुरानी स्थिति - जैसे स्पाइनल स्टेनोसिस - आपके कटिस्नायुशूल का कारण है, तो इस स्थिति का अनुचित प्रबंधन आपके दर्द को फिर से शुरू कर सकता है।

चेहरे पर काले दाग धब्बे और उपाय


 चेहरे पर काले दाग धब्बे और उपाय

Dark spots and remedies on face

चेहरे पर काले दाग धब्बे के क्या कारण है?

What are the causes of dark spots on the face?

चेहरे पर काले दाग-धब्बे होने का सबसे मुख्य कारण होता है 

** स्किन में मेलेनिन का अत्यधिक होना। इसके अलावा भी एक कारण हो सकता है 

** धूप या सूरज की रोशनी में अधिक रहना, 

** हार्मोन अंसुलन, 

** गर्भावस्था में विटामिन की कमी,

** नींद कम लेना,

** अत्यधिक डिप्रेशन में रहना और 

** कुछ दवायों के सेवन से भी ये हो सकता है।

#चेहरे के काले दाग धब्बे कैसे हटाएं?

How to remove dark spots from face?

चेहरे पर काले धब्बे हटाने के उपाय

> चेहरे को फेसवॉश से साफ करें अपने चेहरे को दिन में दो बार प्राकर्तिक फेसवॉश से साफ़ करें। 

> टोनर का इस्तेमाल करें

डार्क स्पॉट पर एलोवेरा मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें .

>  धूप से बचाव करें

#चेहरे पर काले धब्बे कैसे हटा सकते है?

नींबू का रस और दही फेस मास्क

इसका उपयोग काले धब्बों से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी और साइट्रिक एसिड इसे एक आदर्श ब्लीचिंग एजेंट बनाते हैं जो काले धब्बों को हल्का करने में मदद कर सकता है। यह सबसे भरोसेमंद और सदियों पुरानी प्रथा है जिसके अचूक परिणाम सामने आए हैं।

#2 दिन में चेहरे के दाग धब्बे कैसे हटाए?

आलू एक नेचुरल ब्लीचिंग इंग्रीडिएंट है जो त्वचा से धब्बों को हल्का कर देता है. इसके सही तरह से इस्तेमाल के लिए सबसे पहले एक आलू लें और उसे घिस लें. आलू घिसने के बाद उसे हाथों से दबाएं और निचौड़कर उसमें से रस निकाल लें. इस रस को चेहरे पर सीधा लगाया जा सकता है या फिर इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे मिला लें.

#रात को सोते समय चेहरे पर क्या लगाना चाहिए?

रात में सोने से पहले आपको चेहरे का खास ख्याल रखना चाहिए. रात में चेहरे पर एक्स्ट्रा मॉइस्चराइजिंग करना चाहिए

Night Skin Care:–

 रात के समय स्किन केयर रूटीन उतना ही जरूरी है जितना कि दिन के समय. जब आप सोते हैं, तो शरीर रीसेट मोड में आ जाता है. ...


** खीरे का जूस और एलोवेरा जेल 

** नारियल तेल लगायें

** दूध और हल्दी मिलाकर मालिस करें

** ग्लिसरीन लगा सकते है

** विटामिन ई कैप्सूल तैल मे मिला कर लगा सकते है

#गुलाब जल से दाग धब्बे कैसे हटाए जाते हैं?

गुलाब जल और ग्लिसरीन

– दो चम्मच गुलाब जल में 3-4 बूंदें ग्लिसरीन डालकर इस मिश्रण को 20 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें और फिर पानी से मुंह धो लें। हफ्ते में दो-तीन बार इस मिश्रण का इस्तेमाल करने से न सिर्फ दाग-धब्बे और कील-मुहांसों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि चेहरे की चमक और रंगत भी बढ़ेगी।

** चेहरे के गहरे काले धब्बे हटाने के लिए दही में एक चुटकी हल्दी मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। 20 मिनट बाद धो लें। यह फेस पैक रोजाना लगाने से काले धब्बे हल्के होते हैं और स्किन ग्लो करती है। अगर आपकी स्किन ड्राई है, तो एक चम्मच शहद में दूध मिलाकर रोजाना चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद सादे पानी से धो लें।

धन्यवाद!

शनिवार, 23 सितंबर 2023

विरुद्ध आहार

 विरुद्ध आहार|Wrong food combination list in hindi

  >Here is a list of some common food combinations to avoid in Hindi:

*दूध और फल:–

 दूध और केला, दूध और अनार का साथ न खाएं, क्योंकि ये पाचन को प्रशांति नहीं देते हैं।

*दही और मछली:–

 दही और मछली का साथ न खाएं, क्योंकि ये आपको पेट के रोगों का शिकार बना सकता है।

*फल और दाल:–

 फलों और दालों का साथ न खाएं, क्योंकि ये पाचन को कठिनायों का सामना करना पड़ सकता है।

*मिल्क और टमाटर:–

 दूध और टमाटर का साथ न खाएं, क्योंकि इसके कारण आपको आपके पाचन को परेशानी हो सकती है।

*दाल और नमक:–

दाल में ज्यादा नमक का प्रयोग न करें, क्योंकि यह उच्च ब्लड प्रेशर के लिए हानिकारक हो सकता है।

*दाल और गरम मसाले:– 

अधिक गरम मसालों का सेवन न करें, क्योंकि यह पेट में जलन और एसिडिटी का कारण बन सकता है।

*दूध और दही:–

 दूध और दही को एक साथ न खाएं, क्योंकि इसके कारण पाचन में कठिनाइयाँ हो सकती हैं

*फल और दूध:–

 फलों को दूध के साथ न खाएं, क्योंकि इससे दाहिनी और पेट में गैस की समस्या हो सकती है।

*दाल और चावल:–

 दाल और चावल का सेवन करते समय अधिक दाल का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे पेट में गैस बन सकती है।

*फल और सब्जियां:–

 आमतौर पर फलों को सब्जियों के साथ नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे विभिन्न पाचन समस्याएँ हो सकती हैं।

ये बातें योग्य स्वास्थ्य और पाचन के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन आपके खानपान की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और शरीरिक प्रकृति के हिसाब से इनका पालन करें।

*दूध और आंवला:–

 दूध को आंवले के साथ न खाएं, क्योंकि इसके कारण दूध की कुछ प्रतिरिप्तियाँ हो सकती हैं।

*दाल और दही:–

 दाल और दही को एक साथ न खाएं, क्योंकि इससे पाचन में कठिनाइयाँ हो सकती हैं और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।

*नमक और दही:–

 अधिक नमक वाली दही को कम मात्रा में खाएं, क्योंकि यह उच्च ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है।


*दाल और पालक:-

 दाल और पालक को साथ में खाने से खांसी और जुकाम की समस्या हो सकती है।

*दाल और तमाकू:–

 तमाकू के सेवन के साथ दाल का सेवन न करें, क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक है।


आपके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खानपान के अच्छे तरीके का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आपको किसी खास स्वास्थ्य समस्या की चिंता है, तो एक व्यावसायिक चिकित्सक से सलाह लें।

सोमवार, 18 सितंबर 2023

खर्राटे ठीक करने के लिए उपाय

 खर्राटे आने के 5 घरेलू उपाय:

खर्राटे ठीक करने के लिए उपाय

खर्राटे आना

वजन कम करें:–

 ज्यादा वजन कई खर्राटों का कारण बन सकता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने के लिए उपाय करें।

नींद की पोज़िशन:–

 सोते समय सही पोज़िशन में सोने से खर्राटे कम हो सकते हैं। सीधे पेट पर सोने की कोशिश करें।

नाश्ते के समय सावधानी:–

  रात के खाने में अधिक मसालेदार, तली चीजें और अल्कोहल से बचें, क्योंकि ये खर्राटों को बढ़ा सकते हैं।

व्यायाम करें:–

 योगा और प्राणायाम जैसे व्यायाम खर्राटों को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये श्वासन तंत्र को सुधारने में मदद करते हैं और सही सांस लेने की अभ्यास करते हैं।

नियमित नींद:–

  प्रतिदिन की नियमित और पर्याप्त नींद लेने का प्रयास करें, क्योंकि ये खर्राटों को कम करने में मदद कर सकता है।

रात का खाना:–

 रात के समय बड़े भोजन के बजाय हल्का और सही समय पर खाना खाने का प्रयास करें।

अल्कोहल और निकोटीन का सेवन कम करें:–

 अधिक अल्कोहल और निकोटीन का सेवन खर्राटों को बढ़ा सकता है, इसलिए इन्हें नियंत्रित करने का प्रयास करें।

चिकित्सक सलाह:–

 यदि आपके खर्राटे बाधादायक हैं और उपरोक्त उपाय नहीं काम कर रहे हैं, तो चिकित्सक से सलाह लें। कई बार खर्राटों के पीछे नस्लीय कारण हो सकते हैं जिनका उपचार चिकित्सक कर सकते हैं।


याद रखें कि खर्राटे के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, और उन्हें कम करने के लिए कुछ घरेलू उपाय केवल एक पहला कदम होते हैं। सही निदान के लिए चिकित्सक की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।

घरेलू उपाय:-

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गर्म पानी और नमक का गरारा:–

 सोने से पहले गर्म पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारा करने से गले की मांसपेशियों को सुखाने में मदद मिल सकती है और खर्राटों को कम कर सकती है। न

नस्य:-

नाक मे जैतून के तैल की 3-4 रोज डालें या गाय का धी प्रयोग कर सकते है या 

सरसों के तैल की 4-5 बूंदें नाक मे रोज डाल सकते है।

हुमिडिफायर का उपयोग:–

  अपने कमरे में हुमिडिफायर यूज़ करने से आपके नाक-गले के मांसपेशियों को सुखाने में मदद मिल सकती है, जिससे खर्राटों को कम किया जा सकता है।

मोटापा कम करें

प्राणायाम करें

संयमित दिनचर्या:–

 एक संयमित और स्वस्थ दिनचर्या अपनाने से खर्राटों को कम किया जा सकता है।

सूखी फलियों का सेवन:–

  सूखी फलियां और बीज खाने से भी खर्राटों को कम करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि ये आपके मुंह की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं।

अंधेरे में सोना:–

 बिल्कुल अंधेरे में सोने से भी खर्राटों को कम किया जा सकता है, क्योंकि यह आपकी नींद को गहरी बना सकता है।

ये थे कुछ और घरेलू उपाय जो आपके खर्राटों को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें कि खर्राटे के कई कारण हो सकते हैं, और  वे गंभीर हैं या स्थिर रूप से बढ़ रहे हैं, तो चिकित्सक से परामर्श लेना सबसे अच्छा होता है

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

सदा स्वस्थ रहने के तरीक़े

#सदा स्वस्थ रहने के तरीक़े 

 स्वस्थ जीवन शैली टिप्स

हैल्दी रहने के टिप्स

Dr.VirevderMadhan

यदि आप स्वस्थ जीवन शैली की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित हैल्दी टिप्स को ध्यान में रख सकते हैं:

1–सही आहार:–

 प्रोटीन, फल, सब्जियाँ, अनाज और हरे पत्तियों को अपने आहार में शामिल करें।

2–पानी पीना:–

 दिन में पर्याप्त पानी पिएं, कम से कम 4-5 ग्लास रोज़।

3–व्यायाम:–

 नियमित व्यायाम करें, कम से कम 30 मिनट का रोज़।

4–सुबह की योग:–

 ध्यान और योग प्रैक्टिस करके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।

5–पर्याप्त नींद:–

 रात में 7-8 घंटे की नींद लें, ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो।

6–स्ट्रेस प्रबंधन:–

 स्ट्रेस को कम करने के लिए मेडिटेशन या दिनचर्या में ध्यान दें।

7–नुकसानदेह चीजें:–

 धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें या बिल्कुल छोड़ दें।

8–नियमित जाँच:–

 वर्ष में एक बार डॉक्टर की सलाह लें और नियमित चेकअप करवाएं।

9–साफ-सफाई:–

 स्वच्छता को बनाए रखें, खासकर हाथ धोने और खाने के बाद।


10–सामाजिक जीवन:–

 दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने का आनंद लें, क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।


“ये टिप्स आपको स्वस्थ और फिट जीवन शैली की दिशा में मदद कर सकते हैं।”

धन्यवाद!

बुधवार, 13 सितंबर 2023

मधुर रस के शरीर मे फायदे और नुकसान


 मधुर रस के शरीर मे फायदे और नुकसान

मीठे भोजन “मधुर रस”

मीठे पदार्थ हमारे शरीर में क्या करते हैं?

मीठे पदार्थ हमारे शरीर में आपको ताजगी और ताकत देने के लिए काम आते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में खाने के कारण वे बुरा हो सकते हैं। अधिक मीठा खाने से शरीर के रक्त शर्करा स्तर में वृद्धि हो सकती है, जिससे मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए मीठे का सेवन संतुलित मात्रा में करना महत्वपूर्ण है।

#मीठा खाने के लाभ क्या है?

मीठे पदार्थों का संतुलित मात्रा में सेवन करने से कुछ लाभ हो सकते हैं, जैसे:

आत्मिकआनंद:-

 मीठा खाने से आत्मिक सुखद अनुभव हो सकता है, क्योंकि मीठे पदार्थ ब्रेन में खुशियाँ पैदा करने के लिए योग्यों को उत्पन्न कर सकते हैं।

ताजगी और स्वाद:-

 मधुर रस पदार्थों का सेवन स्वादिष्ट होता है और खाने का आनंद बढ़ाता है.


ताजगी और ताकत:–

 मीठे में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट्स आपको तात्विक ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, जिससे आपका शरीर ताजगी से भरपूर रहता है।

ऊर्जा का स्रोत:–

 मधुर रस पदार्थ शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे थकान कम होती है.

जोड और हड्डियों के लिए:-

 यह पदार्थ हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं.


त्वचा के लिए: यह पदार्थ त्वचा को नरम और चमकदार बना सकते हैं.


मानसिक स्वास्थ्य:–

 मीठे पदार्थों का संतुलित सेवन मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है, क्योंकि वे रिलैक्सेशन और सुखद अनुभव को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

हालांकि, मीठे का अत्यधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है और मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है, इसलिए आपको संतुलित मात्रा मे सेवन करना चाहिए।


मीठा खाने के नुकसान:-

मीठा खाने के अत्यधिक सेवन के कई नुकसान हो सकते हैं:


मधुमेह (डायबिटीज):–

 अधिक मीठा खाने से रक्त शर्करा स्तर में वृद्धि हो सकती है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है या मधुमेह वाले व्यक्तियों की स्थिति बिगड़ सकती है। क्योंकि यह रक्त शर्करा को बढ़ा सकता है।

मोटापा:–

 अधिक मधुर रस का सेवन अत्यधिक कैलोरी और शर्करा का स्राव कर सकता है, जिससे मोटापा बढ़ सकता है।


वजन वृद्धि:–

 मीठे खाद्य पदार्थों में कैलोरी अधिक हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक मीठा खाने से वजन वृद्धि का खतरा होता है।


ह्रदय स्वास्थ्य:–

 अधिक मीठा खाने से ह्रदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि यह रक्तचाप बढ़ा सकता है और लिपिड प्रोफ़ाइल को प्रभावित कर सकता है।

जब आप अधिक शर्करा और कैलोरी सेवन करते हैं, तो आपके हृदय के रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।


दंत स्वास्थ्य:–

 मीठा खाने से दांतों पर कैरी और गिरने का खतरा बढ़ता है, क्योंकि यह डेंटल कैरीज को बढ़ावा देता है।


मानसिक स्वास्थ्य:–

 अधिक मीठा खाने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, जैसे कि उत्तेजना के बाद आते हुए थकान और उदासी।

**इसलिए, मीठे का सेवन संतुलित मात्रा में करना महत्वपूर्ण होता है

शनिवार, 9 सितंबर 2023

शरीर में पित्त दोष बढने से क्या होता है उपाय क्या है?


 शरीर में पित्त दोष बढने से क्या होता है उपाय क्या है?

पित्त दोष आयुर्वेद के अनुसार

“पित्त दोष”

Dr.VirenderMadhan

पित्त दोष आयुर्वेद में महत्वपूर्ण रोल खेलता है, और यह शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। पित्त दोष को त्रिदोष तंतु विद्या के अनुसार पित्त दोष, वात दोष, और कफ दोष में से एक माना जाता है। पित्त दोष की समस्या यदि बढ़ जाती है, तो यह विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकती है।

#पित्त कितने प्रकार का होता है?

आयुर्वेद में, पित्त को चार प्रकार के रूप में वर्णित किया गया है, और ये पांच प्रकार हैं:

**पाचक पित्त (Pachak Pitta):–

 यह पित्त पाचन और आहार से संबंधित होता है। यह जीवन शक्ति को प्रदान करने में मदद करता है और आहार को शरीर में पाचन करने में मदद करता है।

**रंजक पित्त (Ranjak Pitta):–

 यह पित्त रक्त की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है। यह रक्त को सुंदर और स्वस्थ रखने के लिए जिम्मेदार होता है।

**साधक पित्त (Sadhak Pitta):–

 यह पित्त मानसिक स्वास्थ्य के साथ जुड़ा होता है। यह भावनाओं, भावनाओं और अंतरात्मा के प्रशांति में मदद करता है।

**आलोचक पित्त (Alochak Pitta):–

 यह पित्त आँखों के स्वास्थ्य से संबंधित होता है और दृष्टि को बनाए रखने में मदद करता है।

**भ्रजक पित्त-

ये पांच प्रकार के पित्त आयुर्वेद में महत्वपूर्ण होते हैं और शरीर के विभिन्न कार्यों में भूमिका निभाते हैं।

#पित्त के बिगड़ने से क्या होता है?

पित्त के असंतुलन या बिगड़ने के कई सारे लक्षण और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जो आयुर्वेद में "पित्त दोष" के रूप में जानी जाती हैं। यह लक्षण व्यक्ति के प्रकृति, विकृति, और पित्त के अतिरिक्त दोषों के साथ बदल सकते हैं, लेकिन कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

**ज्वर (Fever):–

 पित्त दोष के अधिक बढ़ने पर शरीर में बुखार हो सकता है.

**पाचन संबंधित समस्याएँ (Digestive Issues):–

 जैसे कि अपच, गैस, पेट दर्द, और अपाचना भान इसे बताई जा सकती हैं।

**त्वचा समस्याएँ (Skin Issues):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, त्वचा पर दाने, खुजली, और रूखापन आ सकते हैं.

**नेत्र समस्याएँ (Eye Issues):–

 यह पित्त दोष के अतिरिक्त, आँखों के लाल होना, खराब दृष्टि, या आँखों में जलन की समस्याओं का कारण भी हो सकता है.

**उत्तेजना और रोग:–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, व्यक्ति उत्तेजना में रह सकता है और विभिन्न रोगों के आग्रह का शिकार हो सकता है.

**मानसिक समस्याएँ (Mental Issues):–

 इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि गुस्सा, आक्रोश, और चिंता.

“पित्त दोष के साथ-साथ उनके अतिरिक्त दोषों को भी विचार में लेना महत्वपूर्ण है, ”

#पित्त बिगड़ने पर क्या करें?

पित्त के बिगड़ने पर आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप एक प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें, ताकि उन्होंने आपके व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर आपके लिए सबसे उपयुक्त उपाय और उपचार सुझावित कर सकें। निम्नलिखित कुछ आम उपाय हो सकते हैं:

**आहार:–

 पित्त के अतिरिक्त दोष को संतुलित करने के लिए आपको सुपाच्य आहार खाना चाहिए। 


**पित्तशामक आहार:–

 कुछ आहार पित्त को शांत करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि कोकम, नीम, गोक्षुरा, और शतावरी।

**प्रतिस्पर्धा:–

 योग और ध्यान की अभ्यासना पित्त के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकती है।

**शीतल तरल औषधियाँ:– 

आयुर्वेद में कई तरह की शीतल तरल औषधियाँ होती हैं जैसे कि गुलाबजल, सतावरी क्षीर, और आमला रस जो पित्त को शांत करने में मदद कर सकती हैं।

#पित्त के बिगड़ने से कौन कौन से रोग हो सकते है?

पित्त दोष से जुड़े कई रोग और समस्याएँ हो सकती हैं, जो आयुर्वेद में पित्त रोगों के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पित्त रोगों के नाम हैं:


> अम्लपित्त (Hyperacidity):–

छाती में जलन,खट्टे डकारें आना,

 > त्वचा समस्याएँ (Skin Disorders):–

 अगर पित्त बढ़ जाता है तो त्वचा समस्याएँ जैसे कि  दाद, और खुजली हो सकती हैं.

> मुखपाक (Oral Ulcers):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, मुख में छाले या मुंह के छाले हो सकते हैं.

>रक्तस्राव (Bleeding Disorders):–

 पित्त के अतिरिक्त दोष के कारण रक्तमें अतिरंजना हो सकता है, जैसे कि रक्त की कमी या रक्त बहना.

>गुदा संबंधित समस्याएँ (Anorectal Disorders):–

 जैसे कि पाइल्स (हेमोराइड्स) और फिस्टुले इसमें शामिल हो सकती हैं.

>आमवात (Gout):–

 यह जोड़ों में सूजन और दर्द के साथ होने वाला एक रोग होता है, जिसमें पित्त के अधिक शरीर में जमा हो जाता है.

>हीट स्ट्रोक (Heat Stroke):–

 यह गर्मियों में अत्यधिक गर्मी के कारण होता है और शरीर के तापमान को बढ़ा देता है।


#पित्त बिगड़ने के लक्षण क्या होते है?

पित्त दोष के बढ़ने के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

* हीट इन्टॉलरेंस (Heat Intolerance):-

 आप अधिक गर्मी और सूखे को सहन नहीं करते हैं और आसानी से पसीना बहता है।

* ज्वर (Fever):–

 शरीर का तापमान बढ़ सकता है और अचानक कई दिनों तक फीवर रह सकता है.

* पाचन संबंधित समस्याएँ (Digestive Issues):–

 यह शामिल करते हैं अपाचन, गैस, पेट में जलन, और पेट दर्द.

* त्वचा समस्याएँ (Skin Issues):–

 त्वचा पर दाने, खुजली, रूखापन, और जलन के लक्षण हो सकते हैं.

* नेत्र समस्याएँ (Eye Issues):–

 आंखों में जलन, लाली, और दृष्टि में कमी के संकेत हो सकते हैं.

*अम्लपित्त (Hyperacidity): 

मुख में अम्लरस का उत्सर्जन या अधिक अम्ल का निर्माण हो सकता है.

*रक्तस्राव;-

 यह रक्तमें अतिरंजना के रूप में दिख सकता है, जैसे कि नाक से खून बहना या मसूढ़ा में खून आना.

*मूत्र संबंधित समस्याएँ (Urinary Issues):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, मूत्र संबंधित समस्याएँ भी हो सकती हैं, जैसे कि मूत्रमार्ग संकोच या अतिरिक्त मूत्र निर्माण.


यदि आपको इन लक्षणों में से कुछ दिखाई देते हैं, तो आपको एक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, ताकि उन्हें आपकी स्थिति का निर्धारण करके सही उपाय सुझाया जा सके।

#पित्त रोगों के कुछ सामान्य नाम हैं:

गैस्ट्राइटिस (Gastritis)

एसिडिटी (Acidity)

आलस्य (Lethargy)

पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer)

हेपेटाइटिस (Hepatitis)

गैल्ब्लैडर स्टोन (Gallbladder Stones)

लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis)

बिलियरी डिसिन्जशन (Biliary Dyskinesia)

पैनक्रिएटाइटिस (Pancreatitis)

गैल्ब्लैडर इन्फेक्शन (Gall


#पित्त की आयुर्वेदिक दवा

 पित्त दोष की आयुर्वेदिक दवाओं का चयन आपकी व्यक्तिगत प्रकृति और विकृति के आधार पर किया जाता है, और यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के पित्त दोष के लिए विभिन्न दवाएं उपयुक्त हो सकती हैं, जैसे कि:

>गुड़ूची (Guduchi):-

 यह एक प्राकृतिक पित्त शांतक होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

>नीम (Neem):–

 नीम का उपयोग त्वचा समस्याओं और पाचन संबंधित समस्याओं के लिए किया जाता है, और यह पित्त को शांत करने में मदद कर सकता है।

>सतावरी (Shatavari):–

 सतावरी क्षीर (शतावरी की जड़ का पाउडर) का सेवन पित्त दोष को शांत करने और गर्मी को कम करने में मदद कर सकता है।

>कोकम (Kokam):–

 कोकम का उपयोग त्वचा समस्याओं और पाचन में मदद के लिए किया जाता है, और यह पित्त को शांत कर सकता है।

>आमलकी (Amlaki) - 

आमलकी अम्ल और विटामिन सी का उत्कृष्ट स्रोत है और पित्त दोष को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

>पित्तपापडा (Pitta Papadi) -

 यह हर्बल दवा पित्त दोष को शांत करने में सहायक हो सकती है।

>गिलोय (Giloy) -

 गिलोय का सेवन पित्त दोष को बढ़ाने वाले लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

>नीम (Neem) - 

 नीम के पत्ते और नीम का तेल पित्त दोष को कम करने में उपयोगी हो सकते हैं।

>सारिवा (Sariva) -

 सारिवा भी पित्त दोष को शांति करने में मदद कर सकती है।

>यष्टिमधू (Yashtimadhu) - 

   यष्टिमधू में मौजूद ग्लाइसीरीज़ीनिक एसिड का सेवन पित्त दोष को कम करने में सहायक हो सकता है।

>भृगराज (Bhringaraj) - 

भृगराज का तेल बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और पित्त दोष को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

सोमवार, 4 सितंबर 2023

पपीते के फायदे और नुकसान

पपीते के फायदे और नुकसान



पपीता: विटामिन सी का फल

“पपीता”(Papaya)

Dr.virender Madhan

     पपीता एक स्वादिष्ट फल होता है जो विभिन्न खाद्य पदार्थों के रूप में खाया जा सकता है, यह फल सबसे अधिक विटामिन सी का स्रोत माना जाता है और यह सेहत के लिए फायदेमंद होता है। पपीता अकेले में खाया जा सकता है या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।

#पपीते के 7 गुण

पपीते के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित 7 गुण शामिल हो सकते हैं:

*विटामिन सी का स्रोत:–

  पपीता विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और रोगों से बचाव में मदद करता है।

*फाइबर:–

  पपीता में फाइबर होता है, जो पाचन को सुधारने में मदद करता है और कब्ज को कम कर सकता है।
*आंशिक रूप से कैल्शियम:–     पपीते में थोड़ी सी कैल्शियम भी होता है, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

*आंशिक रूप से फोलेट:–

  गर्भवती महिलाओं के लिए पपीते में फोलेट की मात्रा मौजूद होती है, जो गर्भ के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
*विटामिन ए का स्रोत:–
  पपीता विटामिन ए का भी अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

*आंशिक रूप से पोटैशियम:–

  पपीते में पोटैशियम होता है, जो हृदय के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

*आंशिक रूप से विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स:–

  पपीते में थोड़ी सी विटामिन बी की मात्रा भी होती है, जो शरीर के लिए जरूरी हो सकता है।

यह गुण पपीते को सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं, लेकिन इसे मानव आहार का केवल एक हिस्सा मानना चाहिए और उसे विविध और संतुलित आहार का हिस्सा बनाना चाहिए।

#पपीते के खाने का तरीका:–

   पपीते को खाने का तरीका विभिन्न हो सकता है, यहां कुछ आम तरीके हैं:

*अकेले खाना:–

  पपीता को छीलकर कट कर अकेले में खाने का सबसे सरल तरीका है। इससे आप उसका स्वाद और विटामिन सी की गुणवत्ता का आनंद उठा सकते हैं।

*सालद:–

 पपीता को सालद के साथ मिलाकर खाने से एक स्वादिष्ट सलाद बनाया जा सकता है। इसमें नमक, मिर्च, और नींबू का रस ड्रेसिंग के रूप में डाला जा सकता है।

*फ्रूट सैलड:–

  पपीता को अन्य फलों के साथ मिलाकर एक फ्रूट सैलड बनाया जा सकता है। इसमें आप अन्य फल जैसे कि केला, सेब, और अंगूर भी शामिल कर सकते हैं।

*पपीता चटनी:–

 पपीते से चटनी बनाने के लिए, पपीता को कटकर मिक्सी में पीस लें और इसमें हरी मिर्च, धनिया पत्ती, नमक, और नींबू का रस मिलाकर चटनी बना सकते हैं।

*पपीता जूस:–

 पपीते को ब्लेंडर में पीसकर जूस निकाल सकते हैं। इसमें ठंडे पानी और शुगर या शहद का आधा चम्मच डालकर पी सकते हैं।

पपीता अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जा सकता है और आप अपने स्वाद के अनुसार इसका आनंद उठा सकते हैं। साथ ही, याद रखें कि पपीता स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अधिकतरतर खाने से भी ध्यान रखें क्योंकि यह आपके पाचन को प्रभावित कर सकता है।

#पपीता किस रोग मे लाभदायक है?

पपीता कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक हो सकता है, निम्नलिखित कुछ मुख्य रोग और स्थितियों में पपीते के सेवन के फायदे हो सकते हैं:

*पाचन समस्याएं:–

  पपीता में फाइबर होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है और कब्ज को कम कर सकता है।

*इम्यून सिस्टम को मजबूत करना:–

 पपीता विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करके वायरस और संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।

*हृदय स्वास्थ्य:–

 पपीता में पोटैशियम होता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

*गर्भवती महिलाएं:–

  पपीता में फोलेट की मात्रा होती है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है और गर्भ के सही विकास के लिए आवश्यक है।

*आंखों का स्वास्थ्य:–

  पपीता विटामिन ए का भी अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

*डायबिटीज के प्रबंधन:–

  कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि पपीते का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

यदि आप किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और वह आपके लिए पपीते के सेवन की सलाह देंगे, जिससे आपके लिए सही हो सकता है।

#पपीता किसको हानिकारक है?

    पपीता आमतौर पर स्वस्थ लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों और रोगों के लिए हानिकारक हो सकता है. निम्नलिखित कुछ स्थितियां और व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य में पपीते का सेवन करना अधिक हानिकारक हो सकता है जैसे:-

*पपीता एलर्जी:-

   कुछ लोग पपीते के प्रति एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप पपीते का सेवन उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

*उच्च रक्तचाप:–

  अगर आपका रक्तचाप उच्च है, तो पपीते के अधिक सेवन से रक्तचाप और बढ़ सकता है, क्योंकि यह में सोडियम की मात्रा होती है।

*किडनी समस्याएँ:–

   कुछ लोगों को किडनी समस्याओं की समस्या होती है, और वे पपीते की अधिक मात्रा में पोटैशियम से बचने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पपीता में पोटैशियम होता है।

*कब्ज़ (Constipation):–

   पपीता में फाइबर होता है, जो कब्ज को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन बहुत अधिक पपीते का सेवन करने से कब्ज़ बढ़ सकती है।

*गैस और अपच:–

   कुछ लोग पपीते का सेवन करने के बाद गैस और अपच की समस्या का सामना कर सकते हैं, खासतर अगर वे अधिक पपीते खाते हैं।

ध्यान दें कि पपीते का सेवन सामान्य रूप से स्वस्थ लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन यदि आपके पास किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या हो तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, खासतर जब आप इसे अधिक मात्रा में खाने का विचार कर रहे हैं।

#पपीता खाने का सही समय क्या होता है?

  सुबह खाली पेट पपीता खाना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है और मल त्याग को आसान बनाता है. इसके सेवन से पेट अच्छे से साफ होता है. इसके अलावा, सुबह सबसे पहले पपीते का सेवन करने से हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद भी मिलती है.

सोमवार, 28 अगस्त 2023

Neem ki upyogita in hindi,नीम के फायदे

 Neem ki upyogita

By–Dr.VirenderMadhan.

नीम की स्वास्थ्य सम्बंधित उपयोगिता

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नीम का वैज्ञानिक नाम "Azadirachta indica" है।

इसके बहुत उपयोगी गुण होते है.

नीम के पत्ते, बीज और पेड़ की छाल उपयोग में आते हैं। इनका उपयोग आमतौर पर औषधियों, कृषि उत्पादों और औद्योगिक उत्पादों में होता है। नीम के तेल को त्वचा और बालों की देखभाल में भी प्रयुक्त किया जाता है।

#नीम के पांच मुख्य गुण हैं

एंटीबैक्टीरियल:-

 नीम में मौजूद एक्टिव सामग्री बैक्टीरिया और माइक्रोब्स के खिलाफ लड़ाई करने में मदद कर सकती है।

एंटीफंगल:-

 यह फंगल संक्रमण के खिलाफ रक्षा करने में मदद कर सकता है।

एंटीवायरल:-

 नीम के गुण वायरसों के खिलाफ भी काम कर सकते हैं और इससे वायरल संक्रमण से बचाव हो सकता है।

एंटीइंफ्लैमेटरी:-

 नीम के उपयोग से शरीर में दर्द और सूजन कम हो सकती है।

एंटिऑक्सिडेंट:-

 नीम में पाए जाने वाले एंटिऑक्सिडेंट्स शरीर को किसी भी प्रकार के कई बुरे प्रभावों से बचाने में मदद कर सकते हैं।

#नीम पाउडर के 7 फायदे 

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नीम पाउडर कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है, जैसे कि:


त्वचा के लिए लाभकारी:-

 नीम पाउडर त्वचा को साफ़, ताजगी और दमकती बनाने में मदद कर सकता है।

शिलजीत के साथ सेवन:–

 नीम पाउडर को शैलजीत के साथ मलाकर सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिल सकती है।

शांति प्रदान करने में मदद:–

 नीम का सेवन शांति प्राप्ति में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें आंशिक रूप से सेडेटिव प्रॉपर्टीज होती हैं।

आंखों के लिए फायदेमंद:–

 नीम में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

जीवाणुरोधक गुण:–

 नीम के गुणसूत्र जीवाणुओं के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते हैं।

कब्ज़ की समस्या में सहायक:–

 नीम पाउडर पाचन को सुधारकर कब्ज़ की समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकता है।

शरीर के विषाणुओं के खिलाफ:–

 नीम के गुणसूत्र विषाणुओं के खिलाफ लड़ाई में सहायक हो सकते हैं और शरीर को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

ध्यान दें कि यह सिर्फ कुछ सामान्य फायदे हैं और यदि आपकी विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है।

#नीम के प्रयोग करने की विधि

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नीम के उपयोग की विधियाँ कई हो सकती हैं, जैसे कि:

नीम के पत्तों का प्रयोग:–

 नीम के पत्ते को पीसकर पेस्ट बना सकते हैं और इसे त्वचा पर लगा सकते हैं, जो त्वचा संबंधित समस्याओं में मदद कर सकता है।



नीम के तेल का प्रयोग:–

 नीम के तेल को बालों और त्वचा पर लगा सकते हैं, जिससे बालों की सेहत और त्वचा की देखभाल हो सकती है।


नीम के बीजों का प्रयोग:–

 नीम के बीजों को चबाकर मुँह की समस्याओं में भी उपयोग किया जा सकता है।


नीम का छाल का प्रयोग:–

 नीम की छाल का पाउडर बना सकते हैं और इसका उपयोग कीटाणुनाशक और कीटप्रबंधन में कर सकते हैं।


नीम के प्रयोग के खाद्य समान प्रकार:–

 नीम की पत्तियों को सब्जियों में मिला कर खाया जा सकता है, जिससे आपके स्वास्थ्य को लाभ हो सकता है।


ध्यान दें कि यह सिर्फ सामान्य उपयोग विधियाँ हैं और यदि आपकी विशेष स्थितियों हैं तो आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

धन्यवाद!

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

Anxiety चिंता क्यू होती है?

 चिंता क्यू होती है?

#Anxiety 

 चिंता अक्सर सामान्य जीवन के प्रति चिंता, या फिर तनाव से जुड़ी होती है।  ये आपका दिमाग और शरीर के तनाव का एक प्रकार होता है।  कभी-कभी ये स्वभाविक होती है, लेकिन जब ये अतिअधिक हो जाती है, तो इसे चिंता विकार कहा जाता है।  इसके पीछे आनुवांशिक, जीवन के घाटाएं, सामाजिक प्रभाव, और रासायनिक परिवर्तन भी हो सकते हैं।  इसका कारण एक ही चीज नहीं होती, बाल्की काई फैक्टर्स मिल कर इसका प्रभाव डालते हैं।


 अक्सर, चिंता और तनाव के कारण, हमारे शरीर में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है।  ये हार्मोन हमारे "लड़ो या भागो" प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं, जिसे हम तैयार हो जाते हैं किसी संकट से निपटने के लिए।  लेकिन जब ये उत्पादन अनिवार्य रूप से अधिक हो जाता है, तो ये हमारे जीवन में व्याकुलता, चिंता, और शारीरिक लक्षणों को उत्पन्न कर सकता है, जिसे हम चिंता महसूस करते हैं।



 इसके अलावा, जेनेटिक्स भी एक बड़ा रोल खेलते हैं।  अगर आपके परिवार में किसी को चिंता विकार या दूसरा मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको भी उसका खतरा बढ़ सकता है।  समय-समय पर होने वाली घटनाएं, बड़े बदलाव जैसे जीवन के परिवर्तन, या किसी भी प्रकार का आघात भी चिंता का कारण बन सकता है।


 ये जरूरी है कि अगर आपको लगता है कि आपकी चिंता बहुत अधिक हो रही है और आपके जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है, तो आप किसी चिकित्सक से संपर्क करें।  उनका सहयोग लेने से आपको समस्या का समाधान मिलेगा और उसका समाधान ढूंढने में मदद मिलेगी।


 Aapke Samasya ko samajhne ke liye chikitsak आपके जीवन के परिप्रेक्षा को भी महत्व देते हैं, जैसे आपके दैनिक जीवन, पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियाँ।  वे आपको समस्या को डील करने और उसका प्रभाव कम करने के लिए तरीके बता सकते हैं।  कभी-कभी विचार धारा और व्यवहार पर सुधार लेन के लिए मानसिक चिकित्सा, चिकित्सक की सलाह के साथ, मददगार हो सकती है।


 आप मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए नियम व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान और स्वास्थ्य आहार का ध्यान रखें।  साथ ही, तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर आराम करें जैसे कि गहरी सांस लेना, ध्यान करना और योग भी उपयोगी हो सकते हैं।


 याद रहे कि हर व्यक्ति अलग हो सकता है, इसलिए डॉक्टरों को सलाह का पालन करते हुए आपको अपने लिए सबसे अनुकूल समय चुनना चाहिए।  जानकरी और सहायता के लिए हमेशा चिकित्सकों से संपर्क करें।

 चिंता की आयुर्वेदिक दवा


 आयुर्वेद में, चिंता को "चित्तवता" या "मनोवाता" के रूप में जाना जाता है।  इसके लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और उपाय हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी दवा या उपाय को करने से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।


 चिंता को कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय मदद कर सकते हैं:

अश्वगंधा:–

 इसे "एडाप्टोजेन" के रूप में जाना जाता है, जो तनाव और तनाव को कम करने में मदद करता है।

 ब्राह्मी:–

 ये दिमाग की शक्ति को बढ़ाने और चिंता कम करने में सहायक हो सकता है।

 जटामांसी:–

 ये ठंडापन और शांति प्रदान करता है, जो चिंता और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।

 अरोमाथेरेपी:–

 सुविचार उत्तेजना और मन को शांत करने के लिए सुगंध तेल का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे लैवेंडर तेल।

 लेकिन फिर भी, मैं आपको सलाह देना चाहूंगा कि पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलें, जो आपकी प्रकृति, स्थिति की स्थिति, और अन्य लक्षणों का अध्ययन करके आपको सही दवाएँ और उपायों की सलाह दे सकता है।  इसके अलावा, वो भी आपको बताएंगे कि आप किसी भी दवा या उपाय का उपयोग कैसे करें।


 ध्यान रहे कि हर व्यक्ति का शरीर और प्रकृति अलग होती है, इसलिए एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा या उपाय एक व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकता है लेकिन दूसरे व्यक्ति के लिए नहीं।  आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके लिए मानसिक स्थिति, शारीरिक स्थिति और अन्य लक्षणों का मूल्यांकन करके आपके लिए उचित दवाएँ और उपाय सुझाते हैं।


 आयुर्वेदिक उपायों के अलावा, आप अपने दिनाचार्य में परिवर्तन करके भी चिंता को कम करने में मदद पा सकते हैं।  आपका भोजन सही समय पर, स्वस्थ आहार और पानी का ध्यान रखें।

  प्राणायाम, योग और ध्यान का अभ्यास करना भी मददगार हो सकता है।

 अंत में, मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किसी भी प्रकार के उपाय या दवा को शुरू करने से पहले, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।  उनका सुझाव सुनने के बाद ही आगे काम करना चाहिए।

सोमवार, 21 अगस्त 2023

पीपल के पत्तों की चाय पीने से क्या होता है?

पीपल के पत्ते की चाय पीने से क्या होता है?

डा०वीरेंद्र मढान

पीपल के पत्ते उबालकर पीने के फायदे-

शुगर मे उपयोगी–

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*डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में सहायता करता है।

दिल के रोग मे लाभदायक–

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*हृदय रोगों के खतरे को कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

बैडकोलेस्ट्रोल के लिये–

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*खराब कोलेस्ट्रॉल कम करने और हाई बीपी को कंट्रोल रखने में मददगार है।

शरीर को डिटॉक्स करनेवाला–

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*यह शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार है। यह शरीर और रक्त में मौजूद हानिकारक कणों और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और शुद्ध करता है।

पाचनशक्ति का बढाता है–

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*यह पाचन को दुरुस्त करने में लाभकारी है। पेट संबंधी समस्याएं जैसे पेट में गैस, कब्ज, अपच, ब्लोटिंग, उल्टी-दस्त आदि से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

मानसिक स्वास्थ्य में उपयोगी–

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*मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने और ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाता है। यह मेमोरी पावर बढ़ाने में भी बहुत लाभकारी है।

फेफड़ों को रखें स्वस्थ–

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*यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने और सांस संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है।

किडनी के स्वास्थ्य को बढायें–

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यह किडनी फंक्शन को ठीक रखने और स्वस्थ रखने में मदद करता है।


#पीपल के पत्तों का काढ़ा कैसे बनाया जाता है।

पत्तों का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार। इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद ले।

शनिवार, 19 अगस्त 2023

सोने से बनाई दही के फायदे

 Sone se jami dahi sarir mein kya kya kerti hain.?



#सोने से बनाई दही के फायदे

* कैस बनायें?




रात को एक कटोरी दूध लें और उसमें एक सोने का सिक्का डालकर अलग से दही को जमा दे। सुबह के समय सोने के सिक्के को निकाल लें और इस दही का खाली पेट सेवन करें क्योंकि खाली पेट सेवन करना ज्यादा लाभकारी माना गया है। एक घंटे तक कुछ न खाए।

* इस दही के गुण:-

इस दही का रोजाना सेवन करने से जो शरीर को फायदे मिलते हैं वह इस प्रकार हैं:-

1.यह रसायन है

- इस दही के सेवन से शरीर की थकावट दूर होती है। बुढ़ापे को दूर करने और जवानी को बरकरार रखने में सहायक है।

2.Diabetes मे उपयोगी–

- मधुमेह जैसे रोग से लड़ने में काफी कारगर साबित होता है। मधुमेह के कारण पुरुषों में आईं शारीरिक शक्ति में हुई कमी को भी दूर करता है।

3.उदररोगो मे–

  - इस दही के रोजाना सेवन से पेट की सभी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। पेट की गर्मी शांत होती है और पाचन शक्ति बढ़ती है।

4.रोग-प्रतिरोधक क्षमता–

- इस दही के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है।

5.त्वचा के लिए–

-  इसके रोजाना सेवन से त्वचा का रूखापन दूर होता है। त्वचा में चमक और निखार आता है।

6.हृदय के लिए–

-  हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं और हृदय की मांसपेशियां भी शक्तिशाली बनती है।

7.मानसिक स्वास्थ्य–

- अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी है।

8. रक्त की कमी दूर होती है और रक्त शुद्ध होता है।

9. इस दही के रोजाना सेवन से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर निरोग हो जाता है।

10. एकाग्रता और स्मृति में बढ़ोतरी होती है।



11. इस दही के रोजाना सेवन से आंखों से संबंधित होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

12. ब्लडप्रेशर कंट्रोल में रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है।

13. इसके रोजाना सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और कैंसर की संभावना भी नहीं रहती।

14. इस दही के रोजाना सेवन से सिर दर्द से राहत मिलती है।