Guru Ayurveda

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi


 #विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 अघिकतर लोग ये बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते कि किस चीज के साथ क्या नहीं खाना चाहिए। बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो एक साथ नही खा सकते है।जिनका मेल सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।  आयुर्वेद में खानपान को लेकर कई नियम बताए गये हैं जिसमें से विरूद्ध आहार का नियम प्रमुख है।

#विरूद्ध आहार  Viruddha Aahar:-

 किन खाद्य पदार्थों को साथ में क्या नहीं खाना चाहिए। इस लेख में हम आपको विरुद्ध आहार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

#विरूद्ध आहार किसे कहते है ?

Who says the diet against:-

कुछ पदार्थ बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य-वर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए तो ये फायदे की बजाय नुकसान पहुँचाते हैं। ये ही विरुद्धाहार कहलाते हैं। विरुद्ध आहार का सेवन करने से कई तरह के रोग होने का खतरा रहता है। क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को बढ़ाते हैं तथा मलों को शरीर से बाहर नहीं निकालते।

कई बार आपको कुछ गंभीर रोगों के कारण समझ नहीं आते हैं, असल में उनका कारण विरुद्धाहार होता है। क्योंकि आयुर्वेद में कहा है कि इस प्रकार के विरुद्ध आहार का लगातार सेवन करते रहने से ये शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालते हैं और धातुओं को दूषित करते रहते हैं। अतः विरुद्धाहार कई तरह के रोगों का कारण बनता है। ये विरुद्धाहार अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-

1- देश की दृष्टि से 

विरुद्धाहार :  जैसे- नमी-प्रधान स्थानों में नमी वाले, चिकनाई युक्त, ठंडी गुण वाली चीजों का सेवन करना मना होता है।

2- मौसम की दृष्टि से 

विरुद्धाहार- जैसे- जाड़ों में ठंडी व रुखी चीजें खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है।

3- पाचक-अग्नि की दृष्टि से :

जैसे- मन्द अग्नि वाले व्यक्ति को भारी, चिकनाई युक्त, ठण्डे और मधुर रस वाले या मिठास युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

4- मात्रा की दृष्टि से:-

 जैसे- शहद और घी का समान मात्रा में सेवन करना विष के समान है, परन्तु अलग अलग मात्रा में सेवन करना अमृत माना गया है।

5- दोषों की दृष्टि से:- 

जैसे- वात-प्रकृति वाले लोगों को वात बढ़ाने वाले पदार्थ और कफ-प्रकृति वाले लोगों को  कफ-वर्द्धक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

6- संस्कार या पाक की दृष्टि से:-

 जैसे- खट्टे पदार्थों को ताँबे या पीतल के बर्तन में पका कर खाना।

7-  वीर्य की दृष्टि से :-

  शीतवीर्य पदार्थों को उष्ण वीर्य पदार्थों के साथ खाना, जैसे – शीतवीर्य संतरा, मौसम्मी, अनानास आदि को दही अथवा लस्सी के साथ सेवन  करना।

8-  पाचन के आधार पर :- 

कुछ लोगों का पाचन तंत्र बहुत ख़राब होता है जिसकी वजह से वे बहुत कठोर मल का त्याग करते हैं। आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज़ से पीड़ित हैं और उन्हें मलत्याग करने में कठिनाई होती है। ऐसे लोगों को कब्ज़ बढ़ाने वाले, वात और कफ बढ़ाने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें मलत्याग करने में बिल्कुल भी कठिनाई नहीं होती है। जिनके मल विसर्जन की क्रिया द्रव्य रूप में होती है। उन्हें सर व रेचक द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए।  

10- शारीरिक अवस्था की दृष्टि से:- 

जैसे- अधिक चर्बी वाले अर्थात् मोटे व्यक्तियों द्वारा चिकनाई युक्त पदार्थों (घी, मक्खन, तेल आदि) का सेवन तथा कमजोर मनुष्यों द्वारा रूक्ष और हल्के (लघु) पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

12- निषेध की दृष्टि से:- 

कुछ विशेष पदार्थों के सेवन के बाद उनके कुप्रभाव से बचने के लिए किसी अन्य विशेष पदार्थ का सेवन अवश्य करना चाहिए या उसके बाद किसी पदार्थ का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए।  इस नियम का उल्लंघन करना निषेध की दृष्टि से विरुद्धाहार है। जैसे- घी के बाद ठण्डे जल आदि पदार्थों का सेवन करना, जबकि घी के बाद गर्म जल या गर्म पेय लेने का नियम है। गेहूँ व जौ से बने गर्म भोजन के साथ ठण्डा पानी पीना, भोजन के पश्चात् व्यायाम करना, इत्यादि।


14 – संयोग की दृष्टि से:- 

कुछ पदार्थों को एक-साथ या आपस में मिला कर खाना संयोग की दृष्टि से विरुद्धाहार है, जैसे खट्टे पदार्थों को दूध के साथ खाना, दूध के साथ तरबूज व खरबूजा खाना, दूध के साथ लवण युक्त पदार्थों का सेवन करना।

15- रुचि की दृष्टि से:- 

अच्छे न लगने वाले भोजन को विवशता से तथा रुचिकर भोजन को भी अरुचि से खाना।

#किन चीजों के साथ क्या नहीं खाना चाहिए? (Food Combinations to Avoid) : 

 * दूध के साथ :-

 दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, नींबू, करौंदा,जामुन, अनार, आँवला, गुड़, तिलकुट,उड़द, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि चीजें ना खाएं।

Milk and Fish

*दही के साथ :-

  खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, व गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा आदि ना खाएं।

Curd and Cucumber


*खीर के साथ :-

  कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि ना खाएं।

शहद के साथ:-

 घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, शार्कर (शर्करा से बना शरबत) आदि चीजं ना खाएं। शहद को गर्म करके सेवन करना भी हानिकारक है।

 *ठंडे जल के साथ:- 

घी, तेल, गर्म दूध या गर्म पदार्थ, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि चीजें ना खाएं।

 * गर्म जल या गर्म पेय के साथ:- 

शहद, कुल्फी, आइसक्रीम व अन्य शीतल पदार्थ का सेवन ना करें।

 *घी के साथ:– 

समान मात्रा में शहद, ठंडे पानी का सेवन ना करें।

 *खरबूजा के साथ:- 

लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आदि का सेवन ना करें.

 * तरबूज के साथ:–  ठण्डा पानी, पुदीना आदि विरुद्ध हैं।

डा०वीरेंद्र मढान,

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

लहसुन,हल्दी वाला दुध?दुध मे लहसुन हल्दी पकाकर लेने से क्या होता है?In hindi.


 लहसुन,हल्दी वाला दुध?दुध मे लहसुन हल्दी पकाकर लेने से क्या होता है?In hindi.

Dr.Virender Madhan.

#सर्दी व बरसात मे लिया जाने वाला लहसुन,हल्दी वाला दुध?

>>लहसुन का दूध बनाने का तरीका- 

सबसे पहले लहसुन की कलियों का छिलका उतार लें फिर थोड़ा कुट लें या छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद दूध को उबालने रखें. इसके बाद इसमें कटे हुए या कुट हुए लहसुन के टुकड़े डाल दें इसके बाद 8-10 मिनट तक उबाल लें. उबालते समय इसमें हल्दी डाल लें।

#लहसुन को दूध में उबालकर पीने से क्या होता है?

- इससे कब्ज और सूजन जैसी कई समस्याएं दूर होती है।   

 - लहसुन का दूध वात रोगो को ठीक करने में मदद करता है और कब्ज की समस्या से बचाता है। 

-यह मेटाबोलिक रेट को बढ़ाता है, 

- बॉवेल मूवमेंट को तेज करता है।



#लहसुन खाने से मर्दाना ताकत बढ़ती है क्या?

लहसुन में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ाने का गुण पाया जाता है। यह पुरुषों की सेक्स लाइफ में सुधार करता है और उनकी मर्दाना ताकत को भी बढ़ाता है। 

#लहसुन वाला दूध कब पीना चाहिए?

- लहसुन का दूध आयुर्वेद में कटिस्नायुशूल, पेट फूलना, कब्ज, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पुराने और बार-बार होने वाले बुखार आदि जैसी कई स्थितियों के लिए एक बहुत ही प्रभावी उपाय है। 

यह रक्त को पतला रखता है।

इसमें घुलनशील और वसा में घुलनशील दोनों सक्रिय तत्व होते हैं। 

#रात में लहसुन खाने के मिलेंगे ये फायदे

- हड्डियों के विकास के लिए भी यह काफी फायदेमंद है

- कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने के लिए भी रात के समय लहसुन खाया जाता है. 

- वजन कम करने में भी यह काफी उपयोगी होता है. 

- जिन लोगों सर्दी जुकाम और बुखार है तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं. 

-जोडो के दर्द को कम करता है।

#क्या लहसुन एसिडिटी और गैस के लिए अच्छा है?

लहसुन को कच्चा खाने के बजाय दुध मे पके हुए लहसुन लेने से  एसिड रिफ्लक्स जैसे पाचन संबंधी दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।

#लहसुन कौन सी बीमारी में काम आता है?

– कच्चा लहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। 

– इसका सबसे बड़ा फायदा जुकाम की बीमारी में मिलता है।

– यह जुकाम और फ्लू को दूर करती है और लिवर को डिटॉक्स करके इम्यूनिटी बढ़ाती है। 

–अदरक, लहसुन और हल्दी के चाय का नियमित सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। इसके अलावा विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं और बीमारियों से बचाव होता है।

कुछ लोग लहसुन की गंध को पसंद नहीं करते है।

धन्यवाद!

रविवार, 25 दिसंबर 2022

शाक (साग)खाने के नुकसान.in hindi.


 शाक (साग)खाने के नुकसान.in hindi.

(भावप्रकाश के अनुसार)

Dr.Virender Madhan.

शाक 6प्रकार का होता है।

पत्र, पुष्प,फल,नाल,कंद,ये 6शाक होते है।यह क्रमशः उत्तरोत्तर भारी होते है अर्थात पत्तों से भारी फुल ,फुलों से भारी फल, फलों से भारी नाल,नालों से भारी कंद होते है।

गुण:-

शाक प्रायः सभी विष्टभी और भारी होते है।रूखे, बहुत मल लाने वाले, अपानवायु तथा मल निकालने वाले होते है।



सभी शाक

शरीर की हड्डियों का भेदन करते है।नेत्रों की रोशनी का नाश करते है तथा वर्ण,रक्त व शुक्र का नाश करते है।

बुद्धि नाश,बालों को पकाने वाले तथा स्मृति नाश करने वाले होते है।ऐसा द्रव्य गुण जानने वाले विद्वानो ने कहा है।



सब प्रकार के शाको मे रोगों का निवास रहता है।और रोग शरीर का नाश करते है अतः बुद्धिमान व्यक्ति को शाक खाना छोड़ देना चाहिए।यही दोष अम्ल पदार्थों मे होने से ये भी वर्जित है।

जिन शाकों मे काष्ठौज अधिक होता है वह अधिक मल लाने वाले होते है।

क्षारीय भाग होने से प्रमेहादि उत्पन्न हो जाते है।

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022

कोरोना को दूर करें- करें कुछ उपाय.in hindi

 #कोरोना को दूर करें-
करें कुछ उपाय.

डा०वीरेंद्र मढान.



  कृपया सभी ध्यान दें:-

- कोई भी खाली पेट न रहे

 -उपवास न करें

- रोज एक घंटे धूप लें

- ठंड से बचाव करें.

- गरम पानी पिएं, गरम पानी से गरारे करें

- नस्य:-सरसों का तेल नाक में लगाएं

- घर में कपूर व गूगल जलाएं 

 - आप सुरक्षित रहे । घर पर रहे i

-त्रिकटु चूर्ण (सौठ,कालीमिर्च, पीपल) हर सब्जी में पकते हुए डालें.

- रात को कभी भी छाछ, दही ना लें।

- रात मे सोने के समय हल्दी वाला दूध पीयें.

- हो सके तो एक चम्मच च्यवनप्राश खाएं.

- घर में गुग्गुल,कपूर और लौंग डाल कर धूनी दें

- सुबह की चाय में एक लौंग,एक कालीमिर्च डाल कर पिएं.

- फल में खट्टे फल खायें.

- आंवला किसी भी रूप में चाहे अचार , 

- मुरब्बा,चूर्ण ,काढा,इत्यादि खाए.

यदि आप Corona  को हराना चाहते हो तो कृपया करके ये सब अपनाइए।

आपसे प्रार्थना है आप सबसे, आगे अपने जानने वालों को भी यह जानकारी भेजें।

- दूध में हल्दी आपके शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाएगा।

-* इस पोस्ट को जमकर के शेयर करें  सभी से मेरी अपील है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें रातों रातो हमे यह मैसिज सभी को पहुचाना है

रविवार, 18 दिसंबर 2022

पेट में गैस कैसे बनती है?क्या करें उपाय?In hindi.

 पेट में गैस कैसे बनती है?क्या करें उपाय?In hindi.

Dr.Virender Madhan



How is gas formed in the stomach?

पेट में गैस बनना एक आम बात हैं हर किसी ना किसी व्यक्ति को जिंदगी में एक बार गैस बनने की समस्या जरूर होती हैं। कई बार गैस भयंकर तरह से सर में चढ़ जाती हैं और उलटी करने का मन करने लगता हैं। 

गैस एक आम बीमारी पर यह कई बार हमारे दिल या दिमाग पर भी बहुत असर करती हैं 

जब हमारी जीवनशैली खराब हो जाये तब यकृत विकृति के कारण हमारा भोजन पचने की बजाय सडने लगे तब गैंस बनने लगती है।

गैस के घरेलु उपाए क्या हैं ?

- रोजाना खाली पेट एक चम्मच बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसे पीते ही आपको गैस की समस्या से पल भर में छुटकारा मिल जाएगा।

- हींग हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता हैं, वही हींग गैस की समस्या में भी बहुत लाभदायक हैं, एक गिलास गरम पानी करके उसमे हींग मिलके उसका सेवन करे आपकी गैस ख़त्म हो जाएगी ऐसा दिन में २ से ३ बार दोहराये।

- काली मिर्च भी गैस की समस्या को दूर करती हैं, काली मिर्च से ना केवल गैस में राहत मिलती है पेट का हाजमा भी सही रहता हैं दूध में काली मिर्च मिला के उसका सेवन करे आपकी गैस कण्ट्रोल में रहेगी।

- दालचीनी से भी गैस की समस्या दूर होती हैं, आप दालचीनी को पानी में डालके उबाल ले फिर उसे ठंडा करले ऐसा करने के बाद आप उसका सेवन करे अगर आपका उसको स्वाद अच्छा ना लगे तो आप उसमे शहद मिला कर उसका सेवन कर सकते हैं।

- पुदीना, अदरक या कैमोमाइल टी का सेवन कर सकते हैं. 

- जीरा और सौंफ की चाय भी पेट में गैस की समस्या को दूर कर सकती है. ऐसे में आप चाय बनाकर गुनगुना करके इस समस्या से राहत पा सकते हैं. 

- सेब के सिरके का सेवन भी कर सकते हैं.

- पेट की गैस से राहत पाने के लिए जीरा, अजवाइन, काला नमक और हिंग के पाउडर से तैयार मिश्रण का सेवन करें। आप मात्र 2 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 बार लें।

धन्यवाद!

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

नपुंसकता impotence को आयुर्वेद से कैसे ठीक करें?In hindi.

 नपुंसकता impotence को आयुर्वेद से कैसे ठीक करें?In hindi.



By :- Dr.Virender Madhan.

नपुंसकता impotence

नपुंसकता के मुख्य कारण-

1- मधुमेह

2-मानसिक तनाव

3-कुछ एलोपैथीक दवा

4- हस्तमैथून

#नपुंसकता impotence की चिकित्सा–

#प्रथम अवस्था में:-

धातुपौष्टिक चूर्ण, 

स्वर्णराज बंगेश्वर तथा 

चन्द्रप्रभा वटी। आरम्भ इनसे करें।

#गम्भीर अवस्था में:-

 पुरुष नपुसंकता गहरा है तो  उनके लिये। 

मनमथ रस वटी, 

पुष्पधन्वा रस वटी। 

बहुमूल्य औषधि–

वृहद्कामचूङामणि रस ( वटी)  एक व


टी सुबह-शाम लें।

और यदि कोई भी समस्या है काम-शक्ति मर्दन करने वाली है।

(मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गैस्ट्रिक, मूत्ररोग) अधिक उम्मीद कि सफल, कोई हानि नहीं। बस अति न करें, हफ्ते में एक दो बार ही लें।

 इस शास्त्रीय दवा को डा

लने का उद्देश्य, रोग बिना पूर्णतः ठीक हुऐ भी सन्तुष्टि और विश्वास मिले।

जब तक गैस्ट्रिक की कोई समस्या है या फेफङा पूर्णतः साफ नहीं, पौरुष-शक्ति तो लुका-छिपी ही करती रहेगी। 

#गैस्ट्रिक की समस्या मे–

यदि गैस्ट्रिक की समस्या है पर गम्भीर नहीं, सरल चूर्ण ( स्वानुभूत) काफी है। 

#फेफडे की समस्या है तो–

यदि फेफङे हेतु त्रिकटु चूर्ण, वासा, मुलैठी सम्भाग मिश्रण चूर्ण- काफी है।

योग–

गुदा-संकोचन क्रिया।

मूत्र-विसर्जन हमेशा बैठ कर करना। एक धार में लगातार विसर्जन - 

– दो या तीन बार बीच-बीच में रोकना। धातु-क्षीणता दूर करने में ये उपाय काफी सहयोग करते हैं।

Dr.virenderMadhan.

सोमवार, 12 दिसंबर 2022

Migraine pain,आधासीसी का दर्द समूल नष्ट कैसे होता है?In hindi.

 Migraine pain,आधासीसी का दर्द समूल नष्ट कैसे होता है?In hindi.



 आधासीसी का दर्द|migraine pain,

 Dr.VirenderMahan. 

यह एक सिरशूल रोगो मे से एक है यहां इस समस्या को दूर करने के 9 आयुर्वेदिक दिव्य उपाय बताते है।

 1- पुनर्नवा

 लाल पुनर्नवा[साठी] की जड जौ के बराबर लेकर सुई मे पिरोकर जिधर के सिर मे दर्द है उसी तरफ कान मे सुर्योदय से पूर्व बांध दें।जैसे जैसे जड सुखेगी दर्द दूर होता जायेगा।दर्द ठीक होने पर उस जड को बहते पानी मे प्रवाहित कर दें।

 2–केशर 

असली केशर को गोधृत मे मिलाकर सूंधने से (migraine pain)आधा सीसी का दर्द ठीक हो जाता है। 

3–गुमा 

जिस ओर दर्द हो उस तरफ के कान मे द्रोणपुष्पी (गुमा) के पत्तों का रस डालने से (migraine pain)आधासीसी का दर्द बन्द हो जाता है। 

4- सौंठ

 सौंठ का चूर्ण 3ग्राम बकरी का दूध 50ग्राम दोनो को अचछे से मिला लें फिर उसक नस्य(नाक मे डाले)करें।या सूंधने से तुरन्त दर्द बन्द होता है।

 5–गन्ने का सिरका 

गन्ने का सिरका 200ग्राम और नमक 10ग्राम मिलाकर 3-3 बूंद नाक मे डालने से  भयंकर आधासीसी का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।

 6–ब्राह्मी 

ब्राह्मी बूटी 50ग्राम, सौंफ50ग्राम, बादाम गिरी 100 ग्राम, तीनो को कूटपीसकर रख लें।3-3ग्राम रोज दूध के साथ लेने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। और स्मरण शक्ति बढ जाती है।कम से कम एक माह सेवन करें।

 7– कटफल

 कटफल की जड 50ग्राम 250 ग्राम पानी मे उबालकर काढा बना ले इसकी 4-5 बूंद नाक मे सुबकने से आराम मिलता है।

 8–सिरस के बीज

 सिरस के बीजों को बहुत सूक्ष्म पीस कर शीशी में भरकर रख लें। इसे जिस तरफ सिर दर्द हो उसतरफ के नाक से सुंध ने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है। 

9–समुद्रफल

 समुद्रफल का चूर्ण सुधंने से भी आधासीसी कि दर्द गायब हो जाता है। 

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

बरगद के पत्ते फल दूध और जड को कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.


 #बरगद के पत्ते फल दूध और जड को कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

How and when to use banyan leaves, fruit, milk and root? In hindi.

 #Banyan tree|बरगद का पेड़| 

बरगद के पेड़ के सभी भागों (जड़, तना, पत्तियां, फल और छाल) को औषधीय उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (सूजन घटाने वाला) और एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव के कारण इसे दांतों में सड़न और मसूड़ों में सूजन की समस्या को कम करने में सहायक माना गया है 

#बरगद के फल(fruit of Banyan tree) :-

बरगद के फल के पोषक तत्व

होते है भरपूर मात्रा में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बी1, विटामिन बी3 होता है।

फल को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में, सूर्योदय के समय गाय के दूध के साथ सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की समस्‍या दूर हो जाती है. इम्‍यूनिटी कम होने में बरगद के फल इम्‍यूनिटी बढा़ने में बहुत उपयोगी होते है। बरगद के फलों में एंटीएंटीऑक्सिडेंट , एनाल्जेसिक, गुण होते हैं,  

– बरगद के फलों में कार्बोहाइड्रेट, शुगर, फाइबर, प्रोटीन, कैलोरी, विटामिन, ओमेगा 3-6 और कैल्शियम व फास्फोरस भी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, जैसे प्राकृतिक खनिज भी होते हैं, और पॉलीफेनॉल जो रक्तचाप को कम करने और कोरोनरी हृदय रोग को रोकने के लिए उपयोगी होता है। 

- बरगद के पेड़ के फल का सेवन करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है।

#बरगद का दूध(Milk of Banyan tree) :-

* बरगद का दूध बताशे में डालकर खाने से क्या होता है?

–बरगद का दूध ठंडा होता है। यह शरीर से अनावश्यक गर्मी को निकालता है। इसका दूध शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों ही दोषों को नष्ट करता है। 

– यह धातुबर्द्धक होता है तथा नपुंसकता जैसी समस्या को दूर करता है।

#बरगद के पत्ते;-

इसकी पत्तियों में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। बरगद में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है।

#बरगद की जड़:-

बरगद की जड़ से क्या होता है?

-इसकी जड़ धारण करने से ना केवल मानसिक शांति और विचारों की शुद्धता प्राप्त होती है बल्कि दिमाग फोकस्ड भी होता है। अनेक बीमारियों में भी इसकी जड़ लाभकारी होती है। इसकी जड़ को यदि दूध के साथ घीसकर महिला को पिलाई जाए तो नि:संतानता की समस्या दूर होती है।

#बरगद के पेड़ के फायदे – Benefits of Banyan Tree in Hindi

बरगद के पत्ते, फलों का चूर्ण प्रयोग करने से–

-दांत और मसूड़ों स्वस्थ रहते है।

-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।

- बवासीर में भी आराम मिलता है।

-डायबिटीज को दूर करने में सहायक है।

- डिप्रेशन को कम करता है।

-डायरिया में राहत मिलती है।

- बांझपन और नपुंसकता में अतिलाभदायक है।

सरगद को इसीलिए पुज्य वृक्ष माना है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

हाइड्रोसील क्या है?कारण और ईलाज क्या है ? In hindi.

 अण्डकोष बृद्धि|हाइड्रोसील

हाइड्रोसील क्या है?कारण और ईलाज क्या है ? In hindi.



What is hydrocele? What is the cause and treatment?  In hindi.

- यह समस्या पुरुषों के एक अंडकोष में या फिर दोनों अंडकोषों में भी हो सकती है.  - जब किसी कारणों से अंडकोष में अधिक पानी जमा हो जाता है. इसके कारण अंडकोष की थैली फूल जाती है। इसे हाइड्रोसील या प्रोसेसस वजायनेलिस भी कहते हैं.

- अंडकोष वृद्धि(Hydrocele) स्क्रोटम में सूजन का एक प्रकार होता है, हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में आम है, यह बिना उपचार के गायब हो जाता है|

- वयस्क पुरुष स्क्रोटम के भीतर सूजन या चोट के कारण अण्डकोष वृद्धि विकसित कर सकते हैं| एक अण्डकोष वृद्धि आमतौर पर दर्दनाक या हानिकारक नहीं होता है, और किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है| लेकिन अगर आपके पास सूजन है, तो चिकित्सक से परामर्श जरुर करें|

#Symptoms of Hydrocele

- अंडकोष की नसों में सूजन होने पर यह लक्षण नजर आते है। 

- अंडकोष में दर्द जो अचानक से तीव्र या कम हो सकता है

- कड़ी एक्सरसाइज या लम्बे समय तक खड़े रहने पर दर्द बढ़ जाता है।

- पीठ के बल लेटने से दर्द कम होता है

#अण्डकोष बृद्धि के आयुर्वेदिक 4 दिव्य उपचार:-

1– छोटी कटेरी की ताजा जड 20ग्राम.

- कालीमिर्च के 7 दाने 

दोनो को पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर 7 दिनों तक सवेरे प्रातःकाल पिला दें।

अण्डकोष सम्बंधित सब रोग दूर हो जाते है।

भोजन मे बेसन की रोटी के साथ धी खायें और कुछ न खायें।

2– वायविंडग, कुंदरू, पुरानी ईंट तीनो 5-5 ग्राम लेकर चूर्ण करके 35 ग्राम धी के साथ खायें ।यदि पहले दिन वमन हो तो अण्डकोष अपनी पहली दिशा पर आ जाए।

3– कटकरज्जा के तीन दाने को भुभल मे भुनकर खिलाने से  7 दिनों में अण्डकोष बृद्धि ठीक हो सकती है।

4– हींग, सेंधानमक, जीरा,– तीनों बराबर लेकर चार गुणा सरसौ का तैल मे पकाकर लेप करने से अण्डकोषबृद्धि दूर होती है। इस के अलावा सभी प्रकार के दर्द, मोच,चोट आदि के विकार दूर होते है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान।

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

जीरा Cumin seed किसे कहते हैं?In hindi.

 जीरा Cumin seed किसे कहते हैं?In hindi.

जीरा–



जीरे को Cuminum cyminum कहते है इसे जीरक ,जरण,अजाजी, दीर्धजीरक,जीरा, सफेद जीरा, आदि नामों से जानते है।

 यह कई मसाले मिश्रणों (जैसे गरम मसाला) का एक अनिवार्य हिस्सा है, या तो साबुत या पीसा हुआ। पहले बीजों को भूनने से उनकी तेज सुगंधित सुगंध बढ़ेगी।

 यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है।

#जीरा क्या काम करता है?

जीरे के आयुर्वेदिक गुण:-

गुण– लघु , रूक्ष है

रस:- कटु 

विपाक :- कटु

वीर्य:- उष्ण

कर्म-जीरे के कार्य:-

दोषकर्म – 

यह उष्ण होने से कफ वात शामक और पित्त बर्द्धक है।इसलिए इसका प्रयोग    कफवात रोगो मे करते है।

संस्थान अनुसार कर्म

बाह्य:- 

इसका लेप करने से लेखन, शोथहर,और वेदना स्थापन गुण है।इसका प्रयोग वर्णविकार,कंडू,पामा,आदि त्वचा रोगों में करते है।तथा बिच्छू विष मे लेप करते है।

जीरे का आन्तरिक प्रयोग–

पाचनतंत्र पर–

यह रोचक,दीपक, पाचन, वातानुलोमन,शूलप्रशमन,ग्राहीऔर कृमिनाशक है।

यह अरूचि, वमन,अग्निमांद्य,अजीर्ण,आध्मान,ग्रहणी,अर्श एवं कृमिरोगो मे प्रयोग करते है।

रक्तवह संस्थान पर–

यह उत्तेजक और रक्तशोधक है। इसका प्रयोग हृदयरोग ,रक्तविकार मे किया जाता है।

मूत्रवहसंस्थान पर –

 यह मूत्रल है। इसे मूत्रघात,पूयमेह, तथा अश्मरी (पथरी) मिश्री के साथ देते है।

प्रजननसंस्थान पर–

 यह गर्भाशय के शोथ को दूर करता है तथा स्तन्यजनन है यानी दुध बढाता है तथा इसका प्रयोग श्वेतप्रदर मे करते है।

* यह कटुपौष्टिक के रूप मे काम करता है क्रमशः बल बढाता है।

जीरे के योग:- 

जीरकादि मोदक,जीरक चूर्ण, जीरकादि तैल,और जीरकारिष्ट।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

रविवार, 27 नवंबर 2022

पाइल्स (बवासीर) क्या है?In hindi. What is piles (hemorrhoids)?


 #पाइल्स (बवासीर) क्या है?In hindi.

What is piles (hemorrhoids)?

#बवासीर

 बवासीरके नाम:-

अर्श,पाईल्स,बवासीर या हीमोरॉइड्स:-

――――――――――――

मलाशय और गुदा नलिका की दीवारों के अंदर मौजूद रक्त वाहिकाएं होती हैं। बवासीर तब होता है जब इन रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है, जिसके कारण मस्से बन जाते है। जिनमें मल त्यागने के समय और भी ज़्यादा तनाव आता है, जिससे दर्द और परेशानी होती है।

#बवासीर होने के कारण क्याहै? 

What is the cause of piles?

>>बार बार बवासीर क्यों होती है?कारण क्या हैं?

 - कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से बवासीर की शिकायत हो जाती है।

 - जिन्हें ज्यादा देर तक खड़े रहने का होता है, उन्हें पाइल्स की समस्या हो सकती है। - गुदा मैथुन करने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

#बवासीर के लक्षण क्या होते है?

What are the symptoms of piles?

– मलत्याग करते समय खून आना।

– खुजली होना।

– मलाशय में दर्द करनेवाली गांठ होना।

–गुदा में सूजन हो जाना।

–मलत्याग करते समय खून आना।

#बवासीर ठीक करने का सबसे फास्ट तरीका क्या है?

What is the fastest way to cure piles?

सेव का सिरक (एपल साइडर वेनेगर) की मदद से आप पाइल्स का इलाज कर सकते हैं. एपल साइडर वेनेगर में इंफेक्शन को नहीं बढ़ने देने का गुण पाया जाता है. इसके प्रयोग से रेक्टल एरिया में इंफेक्शन नहीं बढता है और ये दर्द कम करने में भी मदद करता है. इसके अलावा इसके इस्तेमाल से जलन में भी राहत मिलती है

#बवासीर की बीमारी को जड़ से खत्म कैसे करें?

देसी घी अपने गुणों के लिए जाना जाता है. अगर आप नियमित रूप से देसी घी का सेवन करते हैं तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकीभर हल्दी मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और बवासीर वाली जगह पर नियमित तौर पर लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या ठीक हो जाती है.

― बवासीर को ठीक करने के लिए क्या खाएं?

दूध और नींबू

दूध और नींबू पाइल्स की समस्या को ठीक करने के लिए बहुत उपयोगी है। यह खूनी बवासीर को भी 3 दिनों के अंदर ठीक कर देता है। इसके लिए सुबह खाली पेट एक कप ठंडे दूध में आधा नींबू निचोड़ कर तुंरत पी जाए। 

#क्या गर्म पानी पीने से बवासीर होता है?

Does drinking hot water cause piles?

गुनगुना पानी पीना–

गुनगुना पानी पीना, बवासीर का उपचार करने में सहायक होगा। कब्ज न होने के कारण आपको मलत्याग में आसानी होगी और दर्द नहीं होगा, फलस्वरूप बवासीर को ठीक होने में मदद मिलेगी। एक गिलास पानी गर्म करें और गुनगुना होने पर इसे सादा ही पी लें।

#क्या खाने से बवासीर ठीक हो जाएगा?

– बवासीर में क्या खाना चाहिए?


बवासीर होने पर अपने आहार में साबुत अनाज- जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, होल व्हीट एड करें। 

 साबुत अनाज में फाइबर बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इनके सेवन से मल नरम हो जाता है और मल त्याग के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है।

#बवासीर में मदद करने के लिए मैं क्या पी सकता हूं?

बवासीर में छाछ लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ खाने से मल नरम और आसान हो सकता है और बवासीर के इलाज और रोकथाम में मदद मिल सकती है। पीने का पानी और अन्य तरल पदार्थ, जैसे फलों के रस और साफ सूप , 

#बवासीर में क्या नहीं करना चाहिए?

– बवासीर है तो उन खाद्य पदार्थों से बचें जो वसायुक्त या फाइबर में कम हैं.

–बवासीर पर मत उठाओ; भारी वस्तुओं को उठाने से बचें; – तनाव और चिंता से बचें; और

 –जुलाब के अति प्रयोग से बचें 

#बवासीर कब तक रहता है?

बवासीर कितने समय तक रहता है यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होगा। सामान्य तौर पर, छोटे बवासीर कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो सकते हैं । बड़े बवासीर, जो बहुत अधिक दर्द, सूजन और खुजली का कारण बनते हैं, अपने आप दूर नहीं जा सकते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए चिकित्सक से उपचार की आवश्यकता होती है।

धन्यवाद!

Dr.Virender Madhan.

शनिवार, 26 नवंबर 2022

अमरूद का फल और पत्ते खाने से क्या लाभ होता है?In hindi.

 अमरूद का फल और पत्ते खाने से क्या लाभ होता है?In hindi.



What is the benefit of eating guava fruit and leaves?

अमरुद खाने से क्या होता है?

what happens by eating guava?

अमरुद|guava.

Dr.Virender Madhan.

–वजन कम करने में फायदेमंद अमरूद वजन को नियंत्रण में रखने में मददगार है। 

–अमरुद खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है।

–अमरुद से पाचन क्रिया में सुधार आता है। 

–बवासीर में अमरुद लेने से लाभ मिलता है।।

–पेट की जलन शांत होती है।

#1 दिन में कितना अमरूद खाना चाहिए?



How much guava should be eaten in 1 day?

एक दि‍न में क‍ितने अमरूद खा सकते हैं? 

– एक द‍िन में एक या दो से ज्‍यादा अमरूद का सेवन न करें। ज्यादा अमरूद खा लेने से पेट में सूजन या गैस की समस्या हो जाती है। 

#अमरूद खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?

अमरूद खाने के बाद दूध, पानी और दूध से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए. अमरूद सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद फल होता है इसको खाने से स्वास्थ्य की बहुत सी समस्याएं से आराम मिलता है.

#अमरूद में कौन कौन से विटामिन पाए जाते हैं?



अमरुद मे विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं।

#अमरूद किसे नहीं खाना चाहिए?

Who should not eat guava?

अगर आपको मधुमेह है और अमरूद का सेवन करें तो अपने ब्लड शुगर की सावधानीपूर्वक जांच करें। 

*सर्जरी: 

अमरूद रक्त शर्करा को कम कर सकता है। सिद्धांत रूप में, अमरूद रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है या सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान और बाद में रक्त शर्करा नियंत्रण में हस्तक्षेप कर सकता है। सर्जरी से पहले अमरूद को  इस्तेमाल करना बंद कर दें ।

#अमरूद की तासीर क्या होती है?

–अमरूद की तासीर ठंडी होती है. 

–पेट की बहुत सी बीमारियों को दूर करने का रामबाण इलाज है. अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है. इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.

अमरूद के बीज गैस और अपच की समस्या को दूर करने में मदद करता हैं। दिल को सेहतमंद रखने में अमरूद बेहद असरदार है। अमरूद में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो दिल की सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। अमरूद में मौजूद फाइबर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है।

#अमरूद की पत्तियों के लाभ:-

Benefits of guava leaves:-

अमरूद की पत्तियों में भी एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाते हैं.

अमरुद के पत्ते कोलेस्ट्रोल को करता है।

–अमरूद की पत्तियां को बालों के लिए भी प्रयोग मे लाया जा ता है. 

इसके लिए अमरूद की पत्तियों को पानी में डालकर उबाल लें और इस पानी को ठंडा करने के बाद बालों की जड़ों में अच्छी तरह लगाएं. इसके कुछ समय बाद बालों को धो लें.

–शुगर को नियंत्रित करता है 

– मुंह में छालों के लिऐ अमरूद की पत्तियों को तोड़कर चबाएं. इससे आपको राहत मिलेगी.

–अमरूद की पत्तियों का उपयोग पिंपल्स को खत्म करने के लिए भी करते हैं। अमरुद के पत्ते पीसकर पेस्ट बना लें और सोने से पहले रात में फेस पर लगाकर सोएं. फिर सुबह इसे धो लें.

–अमरूद की पत्तियों में मौजूद फेनोलिक योग रक्तशर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. 

–अमरूद के पत्तों के सेवन से लिपिड में भी कमी आती है. 

–अमरूद की पत्तियों डेंगू में भी फायदेमंद माने जाते हैं. यह खून में प्लेटलेट्स को बढ़ाने का काम करता है और रक्तस्त्राव से आपको बचाता है.

धन्यवाद!

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.

 #गांठों का ईलाज#घरेलू औषधि #मेद नाशक 

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.



By Dr.VirenderMadhan.

नाम–कांचनार, गण्डारि,शोणपुष्पक ये श्वेत कांचनार के नाम है।

रक्त कांचनार के नाम :- कोविदार, चमरिक,कद्दाल,कुंडली,ताम्रपुष्प,

कांचनार के गुण:-

शीतल,ग्राही, कषैला और कफ-पित,कृमि, कोढ,गुदभ्रंश,गण्डमाला, और व्रण को नष्ट कर ने वाला है।

गुण;-रूक्ष,लघु,

रस;-कषाय,

विपाक;- कटु,

वीर्य;-शीत,

प्रभाव;-गण्डमाला नाशक,गांठ नाशक,

बाह्य प्रयोग:-

यह व्रणशोधन,व्रणरोपण,कुष्ठध्न, शोथहर है।

आभ्यंतर:-

यह कफ-पितज रोगों मे प्रयोग होता है।गण्डमाला या गांठों पर लेप करने के काम आता है।

पाचनतंत्र–

यह कषाय होने से स्तम्भन और कृमिनाशक है यदि बडी मात्रा मे लें तो यह वामक (उल्टी कराने वाला है)

यह अतिसार, प्रवाहिका, गुदभ्रंश मे काम आता है।

इसका प्रयोग कृमिनाशक के रूप मे करते है तथा इसक फुलों के गुलकन्द बनाकर विबन्ध(कब्ज) मे उपयोग करते है।

गुदभ्रंश मे इसके क्वाथ से धोते है।

रक्तवह संस्थान:-

रक्तस्तम्थन है ।इसका प्रयोग रक्तपित्त मे करते है। विषेशकर लसिका ग्रन्थियों पर कार्य करता है।।सुजन को दूर करता है।



श्वसनसंस्थान :-

यह कासहर(खाँसी)है

मूत्रवहसंस्थान;-

यह मूत्र संग्रहणीय है यानि मूत्रसंग्रह करता है।इस लिऐ इसका प्रयोग प्रमेह रोगों में करते है।

प्रजननसंस्थान;-

यह आर्तवस्राव को कम करता है।इसलिए इसे रक्तप्रदर मे देते है।

त्वचा;-

यह कुष्ठध्न है।

कांचनार रूक्ष होने से  लेखन कार्य करता है।शरीर की मेद को कम करने मे सहायक होता है।

औषधार्थ अंग:- 



–मूलत्वक,पत्र,पुष्प,का प्रयोग होता है।

मात्रा:-

मूलत्वक 1 से 4 ग्राम, पुष्प;2-6 ग्राम,

कांचनार का क्वाथ ;- 20-30 मि०ली०

रविवार, 20 नवंबर 2022

#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

 #हरीतकी-हरड #हरड _एक_अमृत #रसायन

#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

हरड;-



हरीतिकी, पथ्या, विजया,शिवा,अभया आदि नाम से जानी जाती है।

ऋषि वांग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह में बताया है कि

- सब रोगों का हरण करने वाली जडी को हरीतकी करते है।सब धातुओ के लिऐ पथ्य होने से “पथ्या" कहते है।

- जो सम्पूर्ण रोगों पर विजय पा जाती है उसे “विजया" कहते हैं।

- सबके लिऐ कल्याण कारक है इस लिए हरड को “शिवा” नाम दिया है।

- सभी रोगो से अभय करने वाली होने से “अभया” कहलाती है।

इसके लगातार सेवन करने से स्थिर होती है इसलिए भी यह अभया है।

उत्तम हरड के लक्षण:-

–––––––––––

जो नई,गोल,मोटी, चिकनी हो,भारी, पानी में डुबती हो,वह उत्तम है।

#हरड का अनुपान प्रयोग?

बालक को हरड मक्खन के साथ देनी चाहिए।

- वायु रोग मे धी व लवण के साथ;

- पित्तज रोगों में गुड और शर्करा के साथ;

- कफज रोगों में पिपली व मधु के साथ देनी चाहिए।


हिमालय पर्वत पर समय से उत्पन्न,रस-वीर्य से पुर्ण, रोगरहित हरडों को लेकर दो या तीन टुकड़े करके गुठली निकाल देवे फिर हरडों को 4 गुणा दूध मे पकावें। जब हरड नर्म हो जाये तब उतार कर ठंडा कर लेवे।इनमें धी एक आढक मधु एक आढक मिलाकर सुरक्षित रख लेवे।

तीन दिन के बाद इनका प्रयोग करना शुरु कर दें .हरड इतना ही ले जिससे भुख न रूक जाये।यह प्रति दिन खाये जब तक हरड खायें तब तक भात दूध ही लेवे।

इसके सेवन से बुढापे रहीत,झुर्रियां, गंज, श्वेत बाल,रोगरहित हो कर सौ साल की आयु प्राप्त करता है; श्रुति(श्रवण शक्ति)और स्मृति बनी रहती है ;अग्नि भी बनी रहती है।

इस प्रयोग के खाने से पुरुष का शरीर वृहत पर्वत के समान दृड  हो जाता है।

[पुरूष के रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र सत्व, आठ सार पुष्ट हो जाते है।स्वर बादलों की तरह गडगडाहट के समान गम्भीर हो जाता है।संतान दृड व प्रभुत होती है।

हरीतकी के शास्त्रीय योग;

ब्राह्मरसायन

हरीतिकी रसायन


#हरड़ कब खानी चाहिए?

खाना खाने के पहले इसके चूर्ण का सेवन करने से भूख खुल कर लगती है। 

- सौंठ, गुड़ या सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

 -हिचकी में हरड़ पाउडर व अंजीर के पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लें, लाभ होगा। -हरड़ के दो या तीन मुरब्बे का सेवन करने से सुबह कब्ज की शिकायत नहीं रहती।

#हरड़ खाने से क्या लाभ होता है?

प्रतिदिन हरड़ का सेवन आपके पाचन तंत्र ठीक हो जाता है। इसे गैस, अपच और कब्ज जैसी पेट की कई समस्याओं में लाभदायक माना गया है। एक कप गर्म पानी में 2-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में आराम दिलाता  है। 

- हरड़ का सेवन उल्टी में भी राहत दिला सकता है।


#हरड़ की तासीर क्या होती है?

– हरड़ की तासीर गर्म होती है। इसलिए बहुत अधिक तेज गर्मी के मौसम यानी मई और जून में बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन ना करें। यदि आपको खून से संबंधित कोई बीमारी है, शरीर में सूखापन है तब भी बिना चिकित्सक की सलाह के इसे ना लें। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।



#छोटी हरड़ और बड़ी हरड़ में क्या अंतर है?

1 एक हरड आकार मे छोटी तथा एक बडी व पीले रंंग की होती है।

2 पीली हरड़:- बड़ी हरड़ पीले रंग की, डेढ़ इंच लंबी तथा आधा इंच चौड़ी होती है तथा इस पर पांच रेखाएं होती हैं। 

3. छोटी हरड़:- छोटी हरड़ बिना पका फल होती है। छोटी हरड़ के लिए फल में गुठली बनने से पहले तोड़ लिया जाता है और उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है।

Dr.Virender Madhan.

गुरुवार, 17 नवंबर 2022

चाय पीने के लाभ व नुकसान क्या क्या है?In hind

 चाय पीने के लाभ व नुकसान क्या क्या है?In hindi.

#चाय पीने से कौन कौन सी बीमारी होती है?



आजकल बडे बुजुर्गों से लेकर छोटे छोटे बच्चों तक चाय के आदि हो चुके है।

चाय Tea:-

 "कैमेलिया साइनेंसिस" (एक विशेष पौधा) की पत्तियों का काढा,

Dr.VirenderMadhan.

चाय दुनिया में पानी के बाद सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ है। यह कैमेलिया साइनेंसिस पौधे की उपचारित(treated)पत्तियों पर गर्म पानी डालने की एक सरल तैयारी है । चाय, तीसरी शताब्दी ईस्वी में चीन में एक औषधीय पेय के रूप में वर्णित किया। व्यापारियों ने इसकी लोकप्रियता को तेजी से महाद्वीपों में फैलाने में मदद की।

- चाय- कड़वी, गर्म तासीर वाली व ऊर्जादायक होती है. यह कफ-वात का शमन करती है. काली चाय का सेवन मधुमेह का जोखिम कम करता है. 

#चाय पीने से लाभ क्या है?

- चाय में कैफीन होता है, इसलिए इसके सेवन से व्यक्ति फुर्ती महसुस करता है।

-बिना मीठे व बिना दूध की चाय लाभकारी होती है स्त्रीयों मे ब्रस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।

- चाय की पत्ती आधा स एक ग्राम पानी के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते है।

-चाय की पत्ती के पानी से बाल धोने से बाल मजबूत व चमकीले होते है।

अदरक वाली चाय नजला, जुकाम, खांसी, कफजज्वर मे लेने से आराम मिलता है।

#चाय के लेने से क्या क्या हानि होती है?



 ― इसका ज्यादा सेवन से अम्लपित्त,गैस, अनिद्रा की समस्या पैदा कर सकता है.

#ज्यादा चाय पीने क्या होता है ?

ज्यादा चाय पीने से -

- सीने में जलन,

- पेट में गैस,

- बदहजमी और खट्टी डकार जैसी समस्याहोती है।

- चाय पीने से आंतें खराब भी हो जाती है।

#चाय क्यों नहीं पीना चाहिए?

* चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्या?

जी हां, ज्यादा चाय पीना हानिकारक है। यदि आप चाय बार बार पीते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि इसमें पाए जाने वाले कैफीन के कारण मूत्र की मात्रा में तीन गुना अधिक वृद्धि होती है।

– सुबह की चाय से एसिडिटी बनती है. पेट फूलता है, भूख नहीं लगती, थकान महसूस होती है. 

– चाय में दूध और चीनी मिल जाने से एंटीऑक्सीडेंट का प्रभाव कम हो जाता है अधिक पीने से हानि होने लगती है।

#चाय को दोबारा गरम करके पीने से क्या होता है?

लोग जानना चाहते है कि चाय को दोबारा गरम करके पीने से क्या होता है।चाय को दोबारा गर्म करने से चाय का स्वाद खराब हो जाता है, पोषक तत्व कम हो जाते हैं। इसके साथ ही चाय में माइक्रोबियल ग्रोथ होने लगती है, जो सेहत के लिए अच्छे नहीं होता है। चाय बार-बार गर्म करके पीने पेट से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। 


दूध की चाय पीने के नुकसान

- ज्यादा दूध की चाय नींद से जुड़ी दिक्कतों का कारण बन सकती है. दूध वाली चाय से (हार्ट बर्न) सीने में जलन भी अधिक होती है। इससे कई बार पेट फूलना (Bloating) और जी मिचलाना भी महसूस होता है. 

- सुबह-सुबह खाली पेट चाय पीना एसिडिटी (Acidity) का मुख्य कारण बनती है.

#1 दिन में कितनी बार चाय पीना चाहिए?

चाय में कैफीन हो से, अधिक मात्रा में चाय न पिएं. 

* आप 1 दिन में 1 से 2 कप चाय पिएं. हालांकि, अगर आपको गले में खराश, सर्दी-जुकाम जैसी परेशानी है तो 2 से 3 कप हर्बल टी पी सकते हैं.

सोमवार, 14 नवंबर 2022

बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज?हिंदी में.

बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज?हिंदी में.

By:- Dr.Virender Madhan.

[बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज]

#बैड कोलेस्ट्रॉल



मौत का सबसे बड़ा कारण है रक्तवाहिनियों तथा हृदय मे रूकावटें हो कर सबसे अधिक मौतें होती है। 

*रुकावट का कारण है कोलेस्ट्रॉल का बढ जाना।

#कोलेस्ट्रॉल क्या है?

- यह एक तैलीय,वसा जैसा या मोम जैसा पदार्थ है, जो शरीर में कोशिका झिल्ली, कुछ हार्मोन और विटामिन डी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है-

 1- एलडीएल कोलेस्ट्रॉल(LDL)और



2- एचडीएल(HDL)कोलेस्ट्रॉल।

- अगर सीने में ज़्यादा दर्द हो रहा है तो ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, तो सीने में दर्द होता है। इस स्थिति में दर्द कुछ समय का दिनों के लिए हो सकता है। कई बार इस दर्द  के कारण हार्ट अटैक हो जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या होता है

- कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कौन सी बीमारी होती है?

इनमें हार्ट अटैक से लेकर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां शामिल हैं. हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और हार्ट अटैक हो सकता है. 

#कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता है?

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल -फैटी फूड खाने,

- एक्सरसाइज ना करने ,  

- ओवरवेट होने,

- स्मोकिंग और ड्रिंक करने के कारण बढ़ता है. कई बार यह जेनेटिक भी होता है. 

#क्या क्या खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है?

जंकफूड, फास्ट फूड,

चीनी, मैदा, कोल्ड ड्रिंक्स और तेल से बनी चीजों को खाने से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल (LDL)लेवल बढ़ने से खून की नसें या धमनियां बंद हो सकती हैं, जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?

- लहसुन है फायदेमंद शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने के लिए लहसुन का सेवन करें.लहसुन खाने से वात रोग और हृदय रोग ठीक हो जाते है।

- अर्जुन की छाल का काढा या चूर्ण खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।अर्जुन की छाल आयुर्वेद में अर्जुन की छाल का खास महत्व है.

- नींबू है हेल्दी नींबू न सिर्फ वजन घटाने में प्रभावी होता है, तथा यह कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी प्रभावी हो सकता है.खट्टे फल खाने से कोलेस्ट्रोल मे लाभ मिलता है।

- मछली का तेल कोलेस्ट्रॉल  कम करता है।

- मेथी का पानी पिएं.इसे कोलेस्ट्रॉल कम होता है तथा शरीर के दर्द कम हो जाते है।

#गर्म पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्या?

* कोलेस्ट्रॉल कम कैसे करें,

बढ़े हुए कोलेस्‍ट्रॉल लेवल मे गर्म पानी शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है. गर्म पानी के नियमित सेवन से कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को आसानी से कम किया जा सकता है. 

- साइट्रस फलों से पृथक फाइबर का सेवन रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए दिखाया गया है , और नींबू में आवश्यक तेल एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल कणों को ऑक्सीकरण होने से बचा सकते हैं .

 - साबुत अनाज खाएं

 साबुत अनाज के सेवन से रक्तप्रवाह में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करके एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। 

 -  हेल्दी नाश्ता करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है. दलिया, ओट्स मील, ऑरेंज जूस इस तरह की फाइबर युक्त चीजें नाश्ते में खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता

- अलसी- अलसी को सेहत के लिए बहतरीन फायदेमदं माना जाता है. 

ग्रीन टी- कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है ग्रीन टी.

- प्रतिदिन पैदल धुमना चाहिए।

-पाचन क्रिया ठीक रखें।

मस्त रहे।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 10 नवंबर 2022

बालों के 4 बहतरीन कुदरत के बनाये मित्र और 4दुश्मन.in hindi.

 बालों के 4 बहतरीन कुदरत के बनाये मित्र और 4दुश्मन.in hindi.



By:- Dr.Virender Madhan

बालों के 4 मित्र

भृंगराज:-

भृंगराज एक आयुर्वेदिक जडी है इसका स्वरस(रस) बालों में लगाने से काले हो जाते है।इसका तैल लगाने से बालों के अधिकतर रोग ठीक हो जाते है बाल घने व लम्बे हो जाते है।

बेर के पत्ते:-

बेर के पत्तों का पेस्ट बालों पर लगाने से बाल लम्बे और घने होते है इसका प्रयोग बहुत पहले से ही होता रहा है।

त्रिफला :- 

त्रिफला यानि तीन रसायन फल हरड,बहेड़ा, आंवला,तीनों का मिश्रण प्रयोग में लाया जाता है चूर्ण के रुप मे खाने के लिये,इसका क्वाथ (काढा)पीने व बालों मे लगाने के लिए तथा त्रिफले का तेल बनाकर बालों में लगाने के लिए प्रयोग में करते है इसे बालों का हर रोग दूर होता है।

मेथी:-

मेथी के दानों को रात मे पानी में भिगोकर रखते है तथा सवेरे इसके पानी से बालों को धोया जाता है या इसम अन्य औषधि मिलाकर पेस्ट बनाकर बालों में लगाते है इससे बालों मोटे और मजबूत हो जाते है।झडना बंद हो जाते है।

बालों के 4 दूश्मन



केमिकल शैम्पू:-

केमिकल शैम्पू से बाल कमजोर हो जाते है तथा गिरने शुरू हो जाते है ये शैम्पू सिर की त्वचा के लिऐ भी बहुत हानि पहुंचाते है।

बालों मे गंदगी:-

बालों मे गंदगी होने से सिर की त्वचा व बालों के रोग होने लगते है तथा बालों में डंड्रफ,खालित्य,पालित्य आदि रोग हो जाते है बालों मे गंदगी होना बालों के दूश्मन पालना है।

स्ट्रेस:-

स्ट्रेस,चिंता लेना आदि मानसिक रोगो मे भी गंजापन, बालों का झडना,बालों का सफेद होना उत्पन्न हो जाते है।आजकल फास्ट दौडती दुनिया मे हर कोई स्ट्रेस लिये घुम रहा है जिसके कारण अनेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं।

जंकफूड:-

जंकफूड भी रोगो का सबसे बड़ा कारण बन गया है इसके चलते बालों की समस्या के साथ साथ हजारों रोग पनप जाते है आजकल नई जनरेशन के बच्चे जंकफूड, फास्टफूड के पागलपन के स्तर पर दिवाने है।

इसलिए प्रोब्लम आजकल अधिक विकराल रूप ले रही है। 

धन्यवाद!

मंगलवार, 8 नवंबर 2022

 आलू के गुण दोष क्या है? हिंदी में.



आलू एक सब्जी है।

आलू से अनेक खाने की सामग्री बनती है जैसे बड़ापाव, चाट, आलू भरी कचौड़ी, चिप्स, पापड़, फ्रेंचफ्राइस, समोसा, टिक्की, चोखा आदि। आलू को अन्य सब्जियों के साथ मिला कर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। उत्तर पूर्वी भारत में आलू का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है। आलू एक ऐसी सब्जी है जो लगभग हर हरी सब्जियों के साथ मिला कर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जा सकती है।

#आलू के अनोखे गुण

 आलू भारत में ज़्यादातर लोगों की पसंदीदा सब्जी है। आलू में कुछ उपयोगी गुण भी हैं। 

- आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। इसके अलावा आलू में कई औषधीय गुण होने के साथ सौंदर्यवर्धक गुण भी है जैसे यदि त्वचा का कोई भाग जल जाता है उस पर कच्चा आलू का पेस्ट लगाते है। 

#आलू में कौन कौन से गुण होते हैं?



- आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने मे सहायक होता है। 

- यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता। 

- आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन 'ए' तथा 'डी' भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है।

#आलू की तासीर कैसी होती है?



- आलू शीतल होता है. फिर भी इसका सेवन सर्दी और गर्मी दोनों में किया जा सकता है. यह शरीर को तत्काल बल देता है।

- आलू एक हाई ग्लिसेमिक खाद्य पदार्थ है। 

- इसका पाचन जल्दी होता है और ब्लड शुगर के बढ़ने का खतरा होता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों को इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है। 

- आलू का अधिक सेवन भी डायरिया का एक कारण बन सकता है।

- आलू के अधिक प्रयोग से मोटापा बढ़ता है।

-फ्राईड किया हुआ आलू गैस बढाता है।

- यह वात रोगी के लिए हानिकारक हो सकता है।

अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

डा०वीरेंद्र मढान.

रविवार, 6 नवंबर 2022

दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?

 दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?



दुग्ध ज्ञान

By:- Dr.Virender Madhan.

प्रश्न :- कौन कौन रोगी किस प्रकार से दुध पी सकता है।

उत्तर:- ऋषि वाग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह मे बताया है कि-

जिस रोगी को दुध सात्म्य है जिससे दुध पीने की आदत है वह रोगी दुध पीये।

-जिस रोगी का कफ क्षीण हो गया है।

-जो रोगी दाह -प्यास से पीडित हो - अथवा

-पित्त-वात से पीडित हो ऐसे रोगी को दुध पी चाहिए।

अतिसार मे भी दूध पथ्य है अर्थात पीने चाहिए।

-जिसने लंघन व उपवास बहुत किये हो रूक्षता हो उन्हें यह दुध जीवन देने वाला होता है।

- रोगी को रोगो के अनुसार औषधि द्रव्यों के साथ सिद्ध कर के दुध पिलाया जाता है।

प्रश्न:- दुध को सिद्ध करना किसे कहते है?

उत्तर :- श्लोक ४४-४५ मे संस्कृत दुध (सिध्द) का वर्णन है।

जब दुध मे सौठ ,खजुर, द्राक्षा(मुन्नका),शर्करा, धी,आदि को पकाया जाता है उस तैयार दुध को सिद्ध दूध कहते है।

#प्रश्न:-ज्वर हो तो किस प्रकार दूध दिया जाता है?

उत्तर:- दुध को उबालकर ठंडा करके मधु मिलाकर दुध ज्वर के रोगी को दे सकते है(गर्म मे नही) 

--द्राक्षा, बला, मुलहठी, सारिवा, पिपली, चंदन इन सबके साथ चारगुना पानी दुध मे मिलाकर पाते है सारा पानी उठने के बाद जो दुध तैयार होता है वह प्यास,दाह और ज्वरनाशक होता है।

इसमे पीते समय शर्करा, मधु आदि मिला कर पी सकते है।

-बिल्वादि पंचमूलसे सिद्ध दुध 

ज्वर, कास,श्वास, सिरशूल,पार्श्वशूल और दीर्धकालीन ज्वर ठीक हो जाता है।

- एरण्ड मूल, या कच्चे बेल से सिद्ध दुध शरीर में रुका हुआ मल तथा वातज्वर ठीक हो जाते है। प्यास, शुल, और प्रवाहिका वाले ज्वर से ठीक हो जाता है।

#अन्य सिद्ध दुध और रोग-

-सौठ,बला,कटेहरी, गोक्षुरु, गुड से सिद्ध दूध से - शोफ,मल-मूत्र और वायु के विबन्ध, ज्वर,एवं कास (खांसी)का नाश हो जाता है।

-पुनर्नवा से सिद्ध दुध से ज्वर, शोथ(Inflammation) नष्ट हो जाते है।

- शीशम काष्ठ से सिद्ध दुध से ज्वर ठीक हो जाता है।

इस प्रकार यह सब आयुर्वेदिक ग्रंथों में उपलब्ध है। 

अधिक जानकारी के लिये और किसी भी रोग मे सिद्ध दुध पीने से पहले एक बार किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

मेरे. अनुभव अनुसार आयुर्वेद में बताये गये ये सब प्रयोग फल दायक है।कोई भी सिद्ध दुध सब को समान प्रभाव नही करता है क्योंकि सब के दोष,आयु,रोगअवस्था,बल-अबल आदि से अलग-अलग होते है सिद्ध दुध या कोई भी औषधि देने से पहले दोष, प्रकृति, रोग स्थान आदि का विचार करके प्रयोग करना. चाहिए इसीलिए चिकित्सक की देखरेख जरूरी है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 5 नवंबर 2022

क्यूँ होता है कमर दर्द ? In hindi.

 क्यूँ होता है कमर दर्द ? In hindi.



#कमर दर्द की घरेलू व आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या है?

By:- Dr.VirenderMadhan.

#कमर दर्द|back pain|kamar dard.

कारण:-

 तनाव के कारण मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। ऐसे में पीठ की मांसपेशियों के अकड़ने पर  कमर यानि पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होता है। 

- ज्यादा वजन उठाने के कारण भी कमर दर्द में शिकायत हो सकती है. 

- वातरोग- आर्थराइटिस या गठिया रोग है तो कमर में दर्द या सूजन से परेशान हो सकते है।

- अनिद्रा के कारण भी कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है.

- कई गंभीर बीमारियों से होने वाले दर्द के कारण पीठ मे दर्द अनुभव होता है, जैसे अपेंडिक्स, पित्त की पथरी और  हृदय रोग आदि मे.

#कमर दर्द के आयुर्वेदिक उपाय-

- एरण्ड पाक 10 ग्राम,सवेरे शाम दूध से लें।

- एरण्ड के बीज 5 ग्राम,200 ग्राम दूध मे उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

- सुरंजन सीरी,असगंध, सौठ,समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले. 3-3 ग्राम सवेरे शाम गर्म  पानी से लेने से आराम मिलता है।

- विधारा चूर्ण 6-6 ग्राम सवेरे शाम गुनगुने दूध से कमर दर्द दूर होता है।

- होलो,अजवाइन, कलौंजी, मेथी सब को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करें। 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से कमर दर्द, जोडों का दर्द, सर्दी मे आराम हो जाता है।

- 24 ग्राम अखरोट को गिरी रोज खाने से कमर,पीठदर्द ठीक हो जाता है।

- तारपीन के तैल से मालिस करने से कमर दर्द में लाभ मिलता है।

- चोबचीनी को रात्रि में गर्म पानी में भिगोकर रखें सवेरे मसल कर, छानकर उसके पानी को पीने से दर्द में लाभ मिलता है।यह गठिया, वाय, ग्रधसी  मे मे कारगर है।

#कमर दर्द की आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियाँ:-

-योगराज गुग्गुल 2गोली,

त्रयोदशांग गुग्गुल 2गोली,

सवेरे शाम गुनगुने पानी से लेने से कमर मे शीध्र आराम मिलता है

-कैशोर गुग्गुल 2गोली,

गोक्षुरादि गुग्गुल 2 गोली सवेरे शाम गुनगुने पानी से लेने से दर्द ठीक हो जाता है।

दर्द वाले स्थान पर -

नारायण तैल,

महाविषगर्भ तैल,

या पंचगुणतैल की मालिस करनी चाहिए।

** किसी भी चिकित्सा को करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर करें,

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

बुधवार, 2 नवंबर 2022

कब्ज Constipation किसे कहते है?हिंदी में.

 #कब्ज Constipation किसे कहते है?हिंदी में.

What is called Constipation?In hindi.



#क्यों होता है कब्ज?

Why does constipation happen?

#मलावरोध होने से क्या नुकसान होता है?

What are the disadvantages of having constipation?

कब्ज|मलावरोध|Constipation|बद्धकोष्ठता

* कब्ज Constipation किसे कहते है?

कब्ज पाचन तंत्र की वह स्थिति हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में परेशानी होती है। मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, 

*क्यों होता है कब्ज?

(कब्ज होने के कारण )

- मैदे से बने एवं तले हुए  -मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन करना।

- समय पर भोजन ना करना।

- पानी कम पीना या तरल पदार्थों का सेवन कम करना।

- रात में देर से भोजन करना।

- अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, तंबाकू या सिगरेट आदि का सेवन करना।

- देर रात तक जागने की आदत।

- भोजन में रेशेदार आहार की कमी होना।

* कब्ज के नुकसान — Side Effects of Constipation.

- पेट में भारीपन व जलन होना

- भूख न लगना

- उलटी होना

- छाती में जलन होना

- बवासीर, भगंदर, फिशर रोग होने की संभावना बढ़ जाना

- आंतों में जख्म व सूजन हो जाना

#कब्ज के आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय:-

- त्रिफला, काली हरड,सनाय, गुलाब के फुल, मुन्नका, बादाम गिरी, काला दाना, बनफशा, 

सभी 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।रात्रि में सोते समय 6 ग्राम दवा गर्म दूध के साथ फांक लें।प्रातःकाल मे पेट साफ हो जाता है।कुछ दिनो तक लेने से कब्ज समूल नष्ट हो जाती है।

- प्रतिदिन 10-15 मुन्नका दूध मे उबालकर लेने से कब्ज ठीक हो जाती है।

-- एक काबली हरड (पीली हरड) रात्रि में पानी में भिगोकर रख दें प्रातः हरड को थोड़ा सा पानी मे घीसकर पी जाये (एक हरड 6-7 दिनों तक पर्याप्त होती है) इससे कब्ज दूर हो जाती है।इसका प्रयोग एक माह तक करना चाहिए।

-20 ग्राम केस्ट्रोल आईल मिश्री से मीठे दूध मे पीने से मलावरोध ठीक हो जाता है।

#कब्ज के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा?

- दशमूल क्वाथ,

- त्रिफला,

- वैश्वनार चूर्ण,

- पंचसकार चूर्ण,

- कब्जहर चूर्ण,

- हिंगु त्रिगुणा तेल,

- अभयारिष्ट और

- इच्छाभेदी रस शामिल हैं. 

*सावधानी:-

व्यक्ति की प्रकृति और कारण के आधार पर चिकित्सा पद्धति चुनी जाती है. उचित औषधि और रोग के निदान के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 1 नवंबर 2022

आयुर्वेदिक रसोन सुरा क्या है?In hindi.

 आयुर्वेदिक रसोन सुरा क्या है?In hindi.



रसोन सुरा एक वात रोगों की उत्तम औषधि है।

By:-Dr.VirenderMadhan.

आयुर्वेद में लहसुन को रसोन कहते है यह एक रसायन होता है।इसकी सुरा बनाकर रोगी के लिऐ बहुत तेज औषधि का काम करती है। आयुर्वेद के अनुसार बनाई गई सुरा मे सेल्फ जरनेटीड ऐल्कोहल बनती है जो मात्रा के अनुसार देने से शरीर को किसी प्रकार की हानि नही होती है।

#भैषज्य रत्नावली के अनुसार रसोन सूरा बनाने की विधि:-

सामग्री व विधि:-

2- 5 लिटर बक्कल नामक सूरा,

2- निस्तुष लहसुन-2500 ग्राम,

3- पीपल- 12ग्राम,

4-पीपलामूल- 12ग्राम,

5- जीरा- 12ग्राम,

6- कूठ- 12ग्राम,

7- चित्रक- 12ग्राम,

8- सौठ- 12ग्राम,

9- मरिच- 12ग्राम,

10 - चव्य - 12ग्राम,

इन सब को कुट पीसकर लहसुन, सुरा सहित एक बडे बर्तन कांच या चीनीमिट्टी के बर्तन में भर लें।बर्तन का मुंह अच्छी तरह से बन्द कर लें।इस बर्तन को 10- 15 दिन रख दे देते है ।बाद मे कपडे से छानकर किसी सुरक्षित कांच के बर्तन मे रख ले।

रोगी को 10-10 मि०ली० खाने के खाने के बाद बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम दे दे।

उपयोग:- 

रसोन सूरा-वातरोग, आमवात, कृमि, क्षय, अनाह, गुल्मरोग, अर्श, प्लीहारोग, 

प्रमेह, और पाण्डू रोगो को नष्ट कर देता है।यह अग्निबर्द्धक है।

मात्रा:- 10-10 मि०ली०,

अनुपान:-जल से

गंध:- मधगंधी

स्वाद:-तीक्ष्ण,

उपयोग:- आमवात, समस्त वातरोग।

ग्रंथ:- भैषज्य रत्नावली।

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरु आयुर्वेद फरीदाबाद,

रविवार, 30 अक्तूबर 2022

गुल्मरोग ( पेट मे वायु का गोला बनना)रावण संहिता के अनुसार. हिंदी में.

 गुल्मरोग ( पेट मे वायु का गोला बनना)रावण संहिता के अनुसार. हिंदी में.



#DrVirenderMadhan.

#गुल्मरोग|वायुका गोला,

गुल्मरोग प्रतिकूल आहार-विहार के कारण वायु के प्रदूषित होने के कारण पेट में गांठ के समान गोला सा बन जाता है ।इसे वायु का गोला भी कहते है।

इसके लिए  रोगी को दीपन,स्निग्ध, अनुलोमन, लंघन, एवं बृंहण (पुष्टिकारक)पदार्थ का सेवन लाभकारी होता है।

गुल्म रोगी के शारिरिक स्रोतों का स्निग्धीकरण से कोमल होने , प्रचण्ड वात को दबाने तथा विबन्ध तोडने के पश्चात स्वेदन कर्म लाभप्रद सिद्ध होता है।

तदनंतर देशकाल और अवस्था अनुसार स्नेहन,सेंक, निरुहबस्ति और आनुवासन वस्तिकर्म के द्वारा उपचार करें।

इसके बाद मंद उष्ण उपनाहन कर्म करने तथा सान्त्वना देने चाहिए।फिर आवश्यकता अनुसार रक्तमोक्षण तथा भुजा क मध्य भाग में शिराभेदन ,स्वेदन, तथा वायु का अनुलोमन करना चाहिए।

इस प्रकार सभी गुल्म जड से समाप्त हो जाते है।

#रावणसंहिता के अनुसार गुल्मरोग की आयुर्वेदिक चिकित्सा,

- बिरौजा नीबूं का रस, हींग, अनार,विड्नमक, तथा सेंधानमक, इन्हें मधमण्ड के सार अथवा 

- अरण्डी के तैल को मधमण्ड या दूध के साथ पान करने से वातज गुल्म समूल नष्ट हो जाता है।

- सज्जीखार और केतकीखार (क्षार ) को कुठ के साथ अरण्डी तैल मे पान करने से वातज गुल्म का नाश हो जाता है।

- वातज गुल्म के चिकित्सा काल मे कफ प्रकोप होने पर उष्ण व उष्ण पदार्थों के मिश्रित चूर्ण आदि का प्रयोग करना चाहिए। पित्त की प्रकोप अवस्था में विरेचन देना चाहिए।



- काकोल्यादिगण , बकायन,तथा वासादि द्रव्यों से पकाये तैल पान से स्निग्धत पैत्तिक गुल्मी मे विरेचन के बाद बस्तिकर्म का प्रयोग उपयोगी है।

-जब रोगी को जलन, शूल, वेदना, विक्षोभ, निद्रानाश, अरोचकता तथा ज्वरादि के लक्षण हो उस समय उपनाहन कर्म के द्वारा परिपक्व बनाना चाहिए।इसके बाद भेदन, लेपन, आदि कर्म करे. बिना भेदन ही दोष के ऊध्वगामी या अधोगामी होने पर बारह दिनों तक शोधन कर्म न करके उत्पन्न लक्षणो (दोष)का शमन करत रहे।

-पैतिक गुल्म मे लंघन, लेखन, और स्वेदन कर्म को पुर्ण करें। तथा अग्निबर्द्धन ,भूखे होने पर त्रिकटु, जवाखार कल्क मिला कर पकाया हुआ घृतका पान कराये।

अथवा वचा 2भाग, हरड 3भाग, विड्नमक 6 भाग, सौंठ 4 भाग, हींग 1 भागकुडा  8भाग, चीता5 भाग,तथा अजवायन 4 भाग,इन का चूर्ण खाने से,अफारा, औदरिक रोग,शूल, बवासीर, साँस, खाँसी,और ग्रहणी रोग नष्ट हो जाता है।

वातगुल्म प्रयोग को कफगुल्म मे भी अपनाना चाहिए।

अथवा पंचमूल मे पकाये जल, पुरानी मध या महुए के फुलों से निर्मित मध का सेवन करना चाहिए। अथवा

- मठ्ठे मे अजवाइन चूर्ण विड्नमक मिलाकर पीना चाहिये इससे क्षुधाग्नि बढती है। मल,मूत्र और वायु का अनुलोमन होता है । ईति.

#डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

अदरक खाने के 5 फायदे.हिंदी में.

 अदरक खाने के 5 फायदे.हिंदी में.



#Dr.Virender Madhan.

#अदरक से पाचनशक्ति कैसे बढायें?

अदरक एक स्वास्थ्यवर्धक हर्ब है,  

- अदरक  छोटी और बड़ी आंतों को मजबूत बनाकर पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है। अदरक खाने से-पेट में ऐंठन, पेट फूलना, कब्ज और डायरिया जैसी आंतों से संबंधित समस्याएं ठीक रहती है.

- अदरक के सेवन से एसिड के कारण आपको सीने में जलन नहीं होती। साथ ही अदरक उन नुकसानदायक बैक्टीरिया को भी नहीं बनने देता, जो एसिड के बनने की वजह होते हैं।

#क्या अदरक के सेवन से इम्यूनिटी बढती है

-अदरक रस और शहद मिलाकर खाने से ईम्यूनिटी बढती है जुकाम खांसी मे आराम मिलता है

- अदरक कालीमिर्च पीपल का काढा बदलते मौसम में बहुत कारगर होता है।

-अदरक, हल्दी, लहसुन को चाय की तरह पकाकर लेने से तुरंत इम्यूनिटी मे लाभ मिलता है।

- ईम्यूनिटी बढाने के लिए अदरक और आंवले को काढा बना कर पीते हैं।

#क्या अदरक से ब्लड शुगर मे राहत मिलती है?

अदरक के तत्व इंसुलिन के प्रयोग के बिना ग्लूकोज को स्नायु कोशिकाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया बढ़ाने में मदद करते हैं. इससे हाई ब्लड शुगर लेवल को काबू में करने में मदद मिलती है.

 शोध में माना गया कि यह बढ़े हुए ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ ही इन्सुलिन की सक्रियता को बढ़ाने का भी काम कर सकता है। अदरक में लिवर, किडनी को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के गुण पाएं जाते है।

#क्या शरीर दर्द मे अदरक अच्छा उपाय है? 

-बदलते मौसम में किसी भी प्रकार के दर्द मे अदरक एक अच्छा साधन है इसका काढा बना कर पीने से लाभ मिलता है

अपने दैनिक भोजन में अदरक को शामिल करें या शरीर के दर्द और सूजन को कम करने के लिए अदरक की चाय तैयार करें।

अदरक की चाय बनाने के लिए अदरक को छीलकर पानी में दस मिनट तक उबालें। गर्मी से हटाएँ। स्वादानुसार निम्बू का रस और शहद मिलाएं।#अदरक कोलेस्ट्रॉल को करे कंट्रोल?


कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में अदरक आपकी मदद कर सकता है।  दरअसल, अदरक में कुछ एक्टिव एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जैसे कि जिंजरोल (gingerols) और शोगोल (shogaols) होता है। ये दोनों ही तत्व ब्लड में लिपिड की मात्रा को कम करते हैं और प्लॉक जमा होने से रोकते हैं। इसके अलावा जिंजरोल को थ्रोम्बोक्सेन को बनने से रोकता है  

- अदरक का सेवन करने वाले ज्यादातर लोगों में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम होती है।  

* अदरक का सेवन 5 तरीकों से कर सकते है।

1. अदरक का पानी 

अदरक का पानी पीने से सीधी मात्रा में शरीर को इसका अर्क मिलता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है।  इसके लिए आपको खाना खाने के बाद बस आधा कप अदरक का पानी पीना है।  इस पानी को बनाने के लिए 10 से 20 मिनट तक ताजी अदरक को गर्म पानी में डाल कर उबाल लें। फिर अदरक को छान लें और पानी को चाय की तरह पी लें। 

2. नींबू और अदरक की चाय

नींबू और अदरक का सेवन कई तरह से शरीर को फायदे पहुंचाता है। 

3. अदरक का पाउडर

अदरक के पाउडर का आप कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। 

4. खाने के बाद अदरक चबाएं

अगर आपने बहुत भारी-भरकम तेल मसाले वाली चीजों को खाया है और आपको कुछ और खाने-पीने या मेहनत करने का मन नहीं है तो, आप ऐसे में अदरक का सेवन कर सकते हैं। 

5. अदरक, लहसुन और नींबू का काढ़ा

अदरक की तरह ही लहसुन भी कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में बहुत मदद करती है। आप इन दोनों को मिला कर एक काढ़ा बना सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए इन एक कप पानी में अदरक और लहसुन डाल कर उबाल लें। फिर इसका पानी छान लें और इसमें दो बूंद नींबू का रस डाल कर इसका सेवन करें।

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.


 #पीलिया #Health care #पांडू रोग #लीवर विकार #प्लीहा #घरेलू उपाय #आयुर्वेदिक चिकित्सा #लाईफ स्टाइल,

#पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.

Why is jaundice and what to do?

#पीलिया|jaundice,क्या है?

#Dr.VirenderMadhan.

पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।

आयुर्वेद के अनुसार पित्त कुछ कारणों से अपने स्थान से भ्रष्ट हो कर रक्त के द्वारा शाखाओं में फैल जाता है।तो पीलिया रोग उत्पन्न हो जाता है।


आयुर्वेद में पाण्डू का 5 प्रकार का माना है 

1- वातज पाण्डू

2- पित्तज पाण्डू

3- कफज पाण्डू

4- सन्निपातज पाण्डू

6- मिट्टी खाने से उत्पन्न पाण्डू

#पीलिया होने का मुख्य कारण क्या है? 

 - Causes of Jaundice:-

- खट्टे पदार्थों के खाने से, 

- अधिक शराब पीने से,

- मिट्टी खाने से

- गंदा भोजन, बासी भोजन के कारण,

- दिन मे सोने से,

- चिन्ता करने से, 

- तला भुना, फ्राईड,तेज मसालों के खाने से,

- मल मूत्र के रोकना,



*पीलिया के वायरस मरीज के मल में मौजूद होते हैं जिसके कारण इस बीमारी का प्रसार हो सकता है। 

- दूषित पानी, दूध और दूषित भोजन से पीलिया रोग फैल सकता है।

#पीलिया रोग के लक्षण:-

- बुखार रहना।

- भूख न लगना।

- भोजन से अरूचि।

- जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियॉं होना।

- सिर में दर्द होना।

- आंख व नाखून का रंग पीला होना।

- पेशाब पीला आना।

- अत्‍यधिक कमजोरी और थकान रहना.

#पीलिया की अच्छी व घरेलू  दवाई :-

- रोज नीम के ताजे पत्तों का रस निकाल कर रोगी को देने से सप्ताह भर में पीलिया उतर जाता है। 

- पपीता, आमला, तुलसी, अनानास, छाछ और दही आदि का सेवन करने से भी पीलिया को दूर करने में मदद मिलती है।

- मूली के रस मे मिश्री मिला कर पीने से 15-20 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।

मात्रा :- 25-30 ग्राम

बच्चों के लिए 6 से 10 ग्राम दें।

- सुहागा की भस्म( सुहागा का फूला) 250 mg. सवेरे शाम मक्खन मे लपेटकर दे।

-मूली के पत्तों का रस 40 ग्राम चीनी मिला कर प्रातः खाली पेट देने से पीलिया नष्ट हो जाता है यह रामबाण दवा है।

पीलिया 7 दिनों में ठीक हो जाता है।

हल्दी व अकेले दूध का सेवन न करें।

- एरण्ड के पत्तों का रस 30 ml  खाली पेट देने से पीलिया 3 दिनो मे.ठीक हो जाता है।

रोगी को खिलायें।

-अनार, पपीता, अंजीर, मुन्नका खाने को दें।

- साबुत धनिया रात भर भोगोकर रखें सवेरे उसका पानी पीने को दें।

-त्रिफला क्वाथ सवेरे शाम पीने से भी पीलिया मे आराम होता है।

- नीमपत्र का रस 10- 25ग्राम पीने से पीलिया शीध्र ठीक हो जाता है।


#पीलिया है तो क्या करें क्या न करें ?

- रोगी को गरिष्ट भोजन नही देना चाहिए।

- रोगी को तरल पदार्थ पर रहना चाहिए।

- ठीक होने तक विश्राम करना चाहिए।

-  साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए

धन्यवाद