Guru Ayurveda

बुधवार, 29 जून 2022

कैसे नीम-हल्दी से खाने के अद्भुत फायदे होते है?In hindi.

 


कैसे नीम-हल्दी से खाने के अद्भुत फायदे होते है?In hindi.

#How are there amazing benefits of eating neem-turmeric?

 #Neem Or Haldi||नीम और हल्दी का ऐसे करें सेवन से चमत्कारी फायदे?

Dr.Virender Madhan.

 [ नीम और हल्दी ]



#नीम हल्दी इन हिंदी

नीम-हल्दी से दुनिया के लोग परिचित है इनके गुणों के कारण पुरी दुनिया मे इनका किसी  न किसी रुप में प्रयोग होता है नीम हल्दी सभी धर्मों मे पुजा पाठ से लेकर दुख-दर्द हारी बीमारी के लिये उपयोग में आते है।

</>नीम हल्दी के गुण

एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर हैं.

- नीम में एंटी-डायबिटीज गुण पाए जाते हैं.

- नीम और हल्दी का सेवन कर स्किन को हेल्दी रखा जा सकता है.

- हल्दी में विटामिन सी और ई पाया जाता है.

 * नीम और हल्दी (Neem Or Haldi) एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर हैं. हल्दी में कैल्शियम, आयरन, सोडियम, ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन ई, विटामिन सी, और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है. तो वहीं नीम में एंटी-सेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-डायबिटीज जैसे गुण पाए जाते हैं. नीम और हल्दी का साथ में सेवन कर शरीर को वायरल फ्लू से बचा सकते हैं. 

रोगप्रतिरोधक शक्ति :-

इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए नीम और हल्दी का सेवन कर सकते हैं. नीम और हल्दी अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के चलते शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. 

#नीम और हल्दी का उपयोग?

- सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या एक आम समस्या में से एक है. नीम और हल्दी का सेवन कर आप सर्दी-खांसी की समस्या से बच सकते हैं.  

- नीम और हल्दी का सेवन कर स्किन को हेल्दी रखा जा सकता है. ये डेड स्किन सेल्स कम करने और चेहरे को पिंपल से बचाने में भी मदद कर सकते हैं.

#हल्दी कौन कौन सी बीमारी में काम आती है?

- चोट, घावों, सूजन, इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम आदि को दूर करने में कच्ची हल्दी बेहद फायदेमंद साबित होती है। कच्ची हल्दी को दूध में उबालकर पीने से सर्दी-जुकाम, खांसी, इंफेक्शन आदि दूर होने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का बेहद ही आसान घरेलू उपाय है।

# खाली पेट नीम के पत्ते खाने से क्या फायदा?

रोजाना सुबह खाली पेट नीम की पत्तियों खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही शारीरिक विकार भी दूर होते हैं. नीम, जिसे चमत्कारिक जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता है. इसका हर हिस्सा औषधीय उपचार में काम आता है. नीम रक्त को साफ करता है और शरीर से किसी भी जहरीले तत्व को बाहर निकालने में मदद करता है.

#नीम और हल्दी खाने के 5 फायदे (neem aur haldi ke fayde)

1. इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार

सभी तरह के रोगों से लड़ने के लिए मजबूत इम्यूनिटी का होना बहुत जरूरी होता है। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाने के लिए आप नीम और हल्दी का उपयोग कर सकते हैं। 

2. बैक्टीरिया और फंगस से लड़ने में मदद करे

बैक्टीरिया और फंगस कई रोगों का कारण बनता है। लेकिन नीम और हल्दी बैक्टीरिया और फंगस से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। 

3- कैंसर कोशिकाओं को करे नष्ट

 नीम और हल्दी में काफी अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो फ्री रेडिकल्स के कारण कोशिकाओं को होने वाले नुकासन से रोकता है। नीम कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं को खत्म करने में कारगर होता है।

4- वायरल संक्रमण से बचाव 

कई लोग मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम, खांसी और वायरल से परेशान रहते हैं।  नीम और हल्दी में एंटी वायरल गुण होते हैं, जो वायरल संक्रमण से हमारा बचाव करते हैं।  

5.  त्वचा को हमेशा के लिए जवां बनाए रख सकते हैं। नीम और हल्दी साथ में खाने से शरीर में जमा गंदगी आसानी से निकल जाती है। बॉडी डिटॉक्स होती है, इसका असर त्वचा पर भी होता है। 

* नीम-हल्दी की सेवन विधि;-

#नीम और हल्दी को कैसे खाएं

> neem aur haldi kaise khayen

- नीम हल्दी की आप गोली बनाकर खा सकते है.

- नीम-हल्दी को चूर्ण बनाकर ले सकते है.

- नीम-हल्दी का क्वाथ (काढा) बनाकर पी सकते है।

- नीम और हल्दी के सेवन के लिए आप एक गिलास हल्का गर्म पानी लें। इसमें एक चुटकी हल्दी और थोड़ा सा नीम की पत्तियों का रस डाल दें। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं। लेकिन सिर्फ नीम और हल्दी का सेवन करना अधिक लाभकारी माना जाता है। इस पानी को रोज सुबह खाली पेट पिएं। इससे आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे।

नोट:-

 आयुर्वेद में नीम और हल्दी का उपयोग रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। फिर भी इस मिश्रण को लेने से पहले आप आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

धन्यवाद!









मंगलवार, 28 जून 2022

कैसे करती है चमत्कार “हरीतकी”आयुर्वेदिक औषधि जाने हिंदी में।

 कैसे करती है चमत्कार “हरीतकी”आयुर्वेदिक औषधि  जाने हिंदी में।

How does miracle Ayurvedic medicine "Haritaki" know in Hindi.

Dr_VirenderMadhan.



* आयुर्वेद में सबसे चमत्कारी ओषधि है हरड़ या हरीतकी। इसे अभया भी कहते हैं। क्योंकि यह लोगों के मन से रोगों के भय को दुर करती है है।

रोज हरड़ मुरब्बा खाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ्य और स्फूर्तिवान रहता है।

[हरतिमलानइतिहरितकी]

अर्थात-हरड़ रोगों पेट की गंदगी का हरण करती है।

#हरड के नाम Name of Herd :-

‎हर, हर्रे, हरीतकी, अमृतम, अमृत, हरड़, बालहरितकी, हरीतकी गाछ, नर्रा, हरड़े, हिमज, आदि कई नामों से जानी जाती है।

#क्यों आवश्यक है हरड़ मुरब्बा युक्त दवा की.?

* Why is it necessary to take medicine containing myrrh murabba?

- स्वस्थ रहने के लिए पाचन तंत्र की मजबूती जरूरी है और जब पाचन दुरुस्त रहेगा, तो इम्यून सिस्टम भी सन्तुलित बना रहेगा।

अधिकतर बीमारी की वजह है-पेट के रोग, जो लिवर, हृदय, गुर्दा, किडनी, फेफड़ों, आँतों को दूषित कर अनेक आधि-व्याधि पैदा कर देता है।

#91रोगों का नाश-हरितकी।

- हरड़ मुरब्बा एक ऐसी अदभुत ओषधि है, जो 91 तरह के उदर विकारों से राहत देती है। बवासीर|पाइल्स को कभी पनपने नहीं देती है।

- उदररोग, शरीर में दर्द और सूखी खांसी से हों परेशान,तो अमृतम हरड़ चूर्ण या हरड़ मुरब्बा युक्त ओषधियाँ सेवन करें

- हरड़ मल को फुलाकर पेट साफ रखती है। गैस, एसिडिटी, भूख की कमी, भोजन न पचना, बेचैनी आदि परेशानीयों से छुटकारा दिलाता है।

- छोटी हरड़ मुरब्बा रक्त संचार सुचारू कर ब्लडप्रेशर को सन्तुलित करता है। हृदय रोगों से बचाता है।

#हरड़ रसायन है।



हरड़ मुरब्बा युक्त ओषधियाँ के सेवन से बुढापा जल्दी नहीं आता। यह च्यवनप्राश, त्रिफला चूर्ण का मुख्य घटक है। 

- हरड़ मुरब्बा के सेवन से श्वास, कास, प्रमेह, बवासीर, कुष्ठ, शोध, पेट के कृमि,स्वरभेद नही होते है।

*आयुर्वेदिक ग्रन्थों में हरड़ को उदर के लिए अमृत बताया है। [विजयासर्वरोगेषु]

 अर्थात हरड़ सभी रोगों पर विजयी है।

 - हर रोग को हरने (मिटाने) के कारण इसे हरड़ कहते हैं, आयुर्वेद की यह अमृतम ओषधि है ।

[हरतिरोगान मलान इति]

 हरड़ रोगों का हरण करती है! रोगों की जड़ उदर है और यह मल विसर्जन द्वारा रोगों को तन से बाहर फेंकती है।

#हरड़ का मुरब्बा:-

 ग्रहणी सम्बन्धी रोग तथा विबन्ध (मलमूत्रादि को विपद्धता अर्थात् रुक जाना), विषमज्वर, गुल्म, उदराध्यान, तृषा, वमन, हिचकी, खुजली, हृद्रोग, कामला, शूल, आनाह, प्लीहा यकृत, अश्मरी (पथरी), मूत्रकृच्छ तथा मूत्राघात ये सब रोग दूर होते हैं। निघण्टु शास्त्र(१९-२२)

#गुणानुसार हरड के नाम:-

- कभी भी सेवन करने के कारण से ‘पथ्या‘ (हितकारिणी) कहा जाता है।

- शरीर को सदा स्वस्थ बनाए रखने से ‘कायस्था‘ या शरीर धारक भी एक नाम है।

- हरड़ मुरब्बा तन को पवित्र करने के कारण इसे “पूतना” अर्थात पवित्रधारिणी कहते हैं।

- अमृततुल्य होने से हरड़ ‘अमृता’ है।

यह हिमालय पर पैदा होने से

“हेमवती” कहा है।

- व्यथानाशक होने के कारण हरड़ का एक नाम “अव्यथा” भी है।

- सभी अवयवों को चेतन करने वाली हरड़ को “चेतकी” भी एक नाम है।

- जो शरीर के लिये सर्वाधिक श्रेष्ठ है “श्रेयसी” कहा है।

- जीवो का कल्याण करने वाली हरड़ का एक नाम “शिवा” (कल्याण कारिणी)भी है ।

- हरड़ का एक नाम “वयःस्था (आयुस्थापक) भी है । हरड़ के सेवन से व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए शतायु प्राप्त करता है।

- “विजया” अर्थात रोगों को जीतने वाली हरड़ का अन्य नाम है ।

- “रोहिणी” ( रोपणी) हरड़ ही है।

- “जीवंती” अर्थात जीवन दायिनी हरड़ ही है।

इम्यून सिस्टम की मजबूती हेतु हरड़ मुरब्बा से बेहतरीन ओषधि इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं है।

- ‎हरड़– अच्छा वरणरोपक भी है ।



- हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक असरकारक ओषधि है । इसलिये अमृतम द्वारा निर्मित सभी माल्ट (अवलेह), च्यवनप्राश में हरड़ का मुरब्बा बनाकर मिश्रण किया है।

- अमृता हरड़ शोधन कर्म के लिये हितकर है। आँख के रोगों में 'अभया' उत्तम होती है और 'जीवन्ती' सम्पूर्ण रोगों का हरण करने वाली होती है।

-चूर्ण बनाने के लिये 'चेतकी हरड़' उत्तम होती है। अत: जिस जाति की हरीतकी का जहाँ जिन रोगों में प्रयोग करना कहा गया है, उसका वहाँ पर प्रयोग करना चाहिये।

'चेतकी हरड़' श्वेत और कृष्ण दो प्रकार की होती है। उनमें शुक्ल वर्ण वाली ६ अङ्गुल की तथा कृष्ण वर्ण वाली एक अङ्गुल की लम्बी होती है। इनमें कोई हरीतकी खाने मात्र से, कोई सूंघने से, कोई स्पर्श करने से तथा कोई देखने मात्र से ही मल का भेदन करती हैं अर्थात् दस्त साफ होता है।

#हरड के प्रभाव:-

इस प्रकार हरीतकी चार प्रकार से दस्त कराकर पेट को हमेशा साफ रखती है। जो मनुष्य चेतकी जाति की हरड़ के पेड़ की छाया के नीचे पहुँच जाते हैं, उनको उसी समय दस्त आने लगता है।

- यहाँ तक कि पशु, पक्षी, मृगादि की भी यही दशा हो जाती है और 'चेतकी' हरड़ को जब तक प्राणी अपने हाथ में धारण किये रहता है, तब तक उसके प्रभाव से उसे वेग से दस्त होता रहता है, इसमें सन्देह नहीं है।

- राजा, सुकुमार या कृश हैं, किंवा विरेचक औषध खाने से भागने वाले हैं, उनके लिये 'चेतकी' हरड़ परम हितकारी एवं उत्तम होती है क्योंकि वह सुखपूर्वक दस्त लाती है।

- पूर्वोक्त सात जातियों में 'विजया' जाति की जो हरीतकी होती है,नहीं औरों की अपेक्षा प्रधान है क्योंकि सुलभ होने से उसका प्रयोग सुखपूर्वक होता है तथा यह सभी में देने के लिये भी उत्तम होती है।।

#हरीतकी के गुण-

हरड़ में लवण रस को छोड़कर पाँच (मपुर, अम्ल, कटु, काय तिक्त) रस हते हैं किन्तु औरों की अपेक्षा कषाय रस ही अधिक रहता है।

- हरड़ मुरब्बा या हरीतकी क्षणी अग्निदीपक, मेघा (धारणाशक्ति) के लिये हितकारी, मधुर विपाक वाली रसायन वृद्धावस्था तथा व्याधियों को दूर करने वाली), नेत्रों के लिये हितकर, पचने में लघु (जल्दी पचने वाली), आयुवर्धक, बृहण (शरीर में मांसादि की वृद्धि करने वाली) और अनुलोमन (मलादि को नीचे की ओर प्रेरित करने वाली) होती है।

#हरीतकी मुरब्बे का प्रभाव- 

- हरड़ में मथुर, तिक्त और कषाय रस रहता है, अतएव यह पित्तनाशक और कटु तिक्त तथा कषाय रस होने से कफनाशक है तथा अम्ल रस होने से वायु का भी शमन करती है। हरड़ को सर्वदोषों का नाशक बताया है।

हरड़ मुरब्बा से बनी ओषधियाँ देह तथा पेट के सभी दोषों का जड़ से नाश कर आँतों की सफाई करने में मददगार है। यह पित्त को सन्तुलित करता है।

हरड़ रसों में इन इन दोषों को दूर करने की शक्ति रहती है। हरड़ में स्थित जो कटु तथा अम्ल रस है।

#हरड़ में रसों के रहने के स्थान-

— हरड़ की मींगी में मधुर रस, रेशों में अम्लरस, वृन्त (छेपी) में तिक्त, छिल्के में कटु रस और गुठली में कषाय रस रहता है।

#उत्तम हरड़ के लक्षण-

जो हरड़ नवीन, स्निग्ध, घन (ठोस), गोल और गुरु (वजनदार) हो तथा जल में डालने पर डूब जाय वह उत्तम और अत्यन्त गुणकारी मानी जाती है। जिस हरीतकों के फल में पूर्वोक्त नूतनता आदि सम्पूर्ण गुण हों एवं तौल भी उसका दो कर्ष अर्थात् दो बहेड़े के बराबर हो वह उत्तम कही जाती है।

#हरीतकी के प्रयोग भेद से गुण भेद- 

- हरीतकी यदि चबाकर खाई जाय तो जठराग्नि की वृद्धि करती है, 

- शिला पर पीसकर खाई जाय तो मल शोधन करती है।

- हरड़ उबालकर खाई जाय तो मल रोकती है,

- भूनकर खाई जाय तो त्रिदोष को दूर करती है।

-  भोजन के साथ हरड़ मुरब्बा सेवन करने से बुद्धि, बल तथा इन्द्रियों को विकसित करने वाली, पित्त, कफ तथा वायु को नष्ट करने वाली एवं मूत्र, विष्ठा तथा मल पदार्थों का विरेचन करने वाली होती है।

- हरीतकी भोजन के बाद ऊपर से खाई जाय तो अन्त्र तथा पान सम्बन्धी दोषों को एवं वात, पित्त तथा कफ से उत्पन्न होने वाले विकारों को शांत करती है।

धन्यवाद!

रविवार, 26 जून 2022

क्या है अवसाद|depression का ईलाज?In .Hindi.

 #क्या है अवसाद|depression का ईलाज?In .Hindi.

"अवसाद"depression? In hindi.

  [अवसाद|depression]



Dr.VirenderMadhan.

-- इस बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सिको का मानना है कि आयुर्वेद में अवसाद को मानसिक रोग की श्रेणी में रखा जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे बहुत अधिक तनाव, लंबे समय तक कोई रोग, कमजोरी, बहुत अधिक दवाओं का सेवन, वात दोष (मस्तिष्क एवं नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली) आदि।

[आयुर्वेद में उपचार]

-- आयुर्वेद में अवसाद से उपचार तीन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। 1--अवसादग्रस्त व्यक्ति को उसकी शक्ति व क्षमताओं का बोध कराना,

 2-- व्यक्ति जो देख या समझ रहा है वह असलियत में भी वही है या नहीं इसका बोध कराना और 

3 --उसकी स्मृति को मजबूत बनाना जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े और अवसाद दूर हटे।

** आयुर्वेद में अवसाद से उपचार के लिए कुछ औषधियों और ब्रेन टॉनिक्स को अगर किसी चिकित्सक के परामर्श से लिया जाए तो कम समय में इसे दूर करना संभव है। 

*अश्वगंधा

* ब्राह्मी, 

* मंडूक पुष्पी,

* वच

* मधुयष्टि,

** स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।

* डिप्रेशन के इलाज के लिए रोज 5 ग्राम शंखपुष्पी पाउडर या 300-500 मिलीग्राम शंखपुष्पी का एक्सट्रैक्ट का सेवन कर सकते हैं. 

* अवसाद के आयुर्वेदिक  सर्पगंधा देने से दिमाग को शांति मिलती है और नींद अच्छी आती है।

Brain tonic

"Brainica Syrup"

अपने चिकित्सक से सलाह लेकर प्रयोग करें



#जीवनशैली कैसी हो?

Change your life style

खानपान में करें बदलाव?

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आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, 'रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन खाने चाहिए। दही और खट्टी चीजों से परहेज करना जरूरी है। इसके अलावा,फास्ट फुड,भारी, तली चीजें, मांसाहार, उड़द की दाल, चने आदि का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है।'

**पंचकर्म और अवसाद**

पंचकर्म से भी अवसाद के उपचार में सहायता मिलती है। शिरोधारा, शिरोबस्ति, शिरो अभ्यंग और नस्य जैसे पंचकर्म अवसाद से मुक्ति दिलाने में मददगार हैं लेकिन इन्हें किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ के परामर्श से करना ही ठीक है।

-- अभ्यंग (मसाज) भी है लाभदायक

-- अवसाद से निजात के लिए आयुर्वेद में मसाज थेरेपी का भी सहारा लेते हैं। 

चंदनबला, लाक्षादि तेल, ब्राह्मी तेल, अश्वगंधा, बला तेल आदि से मसाज की सलाह दी जाती है जो तनाव दूर करते हैं और अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं।

#अकेले हो तो डिप्रेशन को कैसे हराएं?

- आपको मेडिटेशन करना चाहिए.

- प्रकृति और पेड-पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए काफी फायदेमंद है.

- एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है. 

- म्यूजिक सुनना भी एक मददगार टिप है, जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है.

धन्यवाद!

गोमूत्र चिकित्सा के 11 फायदे.in hindi.

 #गोमूत्र चिकित्सा के 11 फायदे.in hindi.

Gau mutra chikitsa ke 11fayde.in hindi.

#Dr.VirenderMadhan.

11 benefits of cow urine therapy.in hindi.

गोमूत्र:-

आयुर्वेद अनुसार गौ की  महिमा लिखी है। 

उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं।

गोमूत्र का आयुर्वेद और अन्य शास्त्रों में चिकित्सकीय महत्व बताया गया है।

#गौ मूत्र पीने से क्या फायदा होता है?

 गोमूत्र दर्दनिवारक होने के साथ ही गुल्म, पेट के रोग, आनाह, विरेचन कर्म, आस्थापन, वस्ति आदि बीमारियों का नाश करता है। आयुर्वेद में गोमूत्र से कुष्ठ तथा अन्य चर्म रोगों का उपचार किया जाता है। श्वास रोग,आंत्रशोथ, पीलिया भी गोमूत्र से नष्ट होते हैं।

 गोमूत्र एक महौषधि है। 

इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, फॉस्‍फेट, अमोनिया, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार आदि पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है। 

 गोमूत्र के लाभ - 

 इससे सालों साल पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती है जो हर रोग की मूल जड़ होती है। इससे कमर जोड़ों के दर्द के अलावा गाठिए और मोटापे का भी इलाज हो जाता है। वात रोगों भी इस प्रक्रिया से ठीक हो जाती हैं। गोमूत्र और गुड़ के मिश्रण से तैयार की गई औषधी से गठिया का कारगर इलाज होता है।

-  गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। - आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।


1. पेट में कृमि Worms -

 1/2 चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र 1 सप्ताह सेवन करें। 

2-Joits pain जोड़ों का दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर गोमूत्र का प्रयोग किया जा सकता है।   सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें।

3. मोटापा obesity -

- आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें।

4- चर्मरोग Skin diseases:-

नीम गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है। 

- चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है। 

5 - पीलिया (पांडूरोग)- 

200-250 मिली गोमूत्र 15 दिन तक पिएं,

- उच्च रक्तचाप होने पर एक 1/4 प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें  


-दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र पीना लाभकारी होता है।

6- यकृत या प्लीहा बढ़ना-

 5 तोला गोमूत्र में 1 चुटकी नमक मिलाकर पि‍एं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र मिलाकर लें। 


7 कब्ज या पेट फूलने पर - 

- तीन तोला ताजा गोमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं। 

- बच्चे का पेट फूल जाए तो 1 चम्मच गोमूत्र पिलाएं। 

- गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गोमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं 

8 गले का कैंसर - 

100 मिली गोमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें। सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर निराहार 6 माह तक प्रयोग करें। 

- गोमूत्र मे हल्दी पकाकर लेने से भी कैंसर मे लाभ मिलता है।

9 हृदयरोग - 

4 चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। 

10 आंख के रोग - 

आंख के धुंधलेपन एवं रतौंधी में काली बछिया के मूत्र को तांबे के बर्तन में गर्म करें। 1/4 भाग बचने पर छान लें और उसे कांच की शीशी में भर लें। उससे सुबह-शाम आंख धोएं।

11. दंत रोग -

 दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है।

- पुराना नजला, श्वास- गोमूत्र एक चौथाई में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करें।

#गोमूत्र सेवन कब न करें?

*गोमुत्र लेते समय 7 जरूरी सावधानियां - 

1 देशी गाय का गोमूत्र ही सेवन करें। 

(गाय गर्भवती या रोगी न हो।)

2 जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोत्तम है। 

3  1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोत्तम है। 

4  मालिश के लिए 2 से 7 दिन पुराना गोमूत्र अच्‍छा रहता है। 

5  पीने हेतु गोमूत्र को 4 से 8 बार कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए।

मात्रा;-

बच्चों को 5-5 ml

बडो को 10-20 ml.

धन्यवाद!


कैसे खाँसी को 30 मिनटों मे ठीक करे.in hindi.

 कैसे खाँसी को 30 मिनटों मे ठीक करे|How to cure cough in 30 minutes.in hindi.



जब जबरदस्त खाँसी होती है तो जीना हराम कर देती हैं कभी-कभी ये महीनों तक परेशान करती है तरह तरह की दवाई फेल हो जाती है. रातों जागना पड जाता है.ऐसी समस्या लेकर बहुत से रोगी आते है.जो बहुत सारी एंटीबायोटिक भी खा चुके होते है. इस परेशानी से छूटकारा पाने के लिए हमें मिला एक आयुर्वेदिक फोर्मुला जिसके कारण बहुत से रोगियों को राहत दिला रहे है यह निरापद औषधि है।इसके लेते ही आराम मिलना शुरू हो जाता है। किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नही होता चाहे कोई बच्चा या कोई बूढ़ा व्यक्ति प्रयोग करे.यह अभी बाजार मे कम ही मिलती है अगर आपको चाहिए तो अपने पास के मेडिकल स्टोर से बोल कर मंगा सकते है पोस्ट के लास्ट मे ईमेल ईडी है उस पर आप ओडर देकर मंगा सकते है।

औषधि का नाम है

 बेनसीप सीरप.

बेनसीप सीरप के बारे में जाने:-


#Bensip Syrup के लाभ कैसे मिलता है?

</>Bensip Syrup is pure herbal product.

*Manufactured by GMP certified company.

*Use all kinds of Cough, bronchitis, and asthma,

*Completely safe ayurvedic medicine.

*No any side effects.

* शीध्र प्रभावशाली है।

*Bensip syrup is alsocough expectorant.

#Bensip syrup का Formulation#Dr_Virender_madha ने 15 वर्षों तक ट्रायल, परिक्षण करके तैयार किया था तथा अब 21 सोलों से रोगियों को दे कर लाभन्वित कर रहे है।इसके प्रभाव को देखकर रोगी अपनी परिवार व मित्रगणों को #Bensip syrup लेने की सलाह देते है।



Composition of Bensip Syrup 

Each 10ml contain

-Viola aditya (Gulbanfsha) 500mg.

-Terminalis Chebula (Harit ki) 300mg.

-Terminalis Verification (Vibhitika) 300mg.

-Embilca Officialis (Amilki) 300mg.

-Zingiber Offcialis (Saunt) 100mg.

-Piper Nigrum (Marich) 100 mg.

-piper Longam (Pipal) 100 mg.

-Adhatoda Vasica (Vasa) 500mg.

-Glycayrrhiza Glabira (Yesthimadhu) 300mg.


कुछ पुछना है या ओडर देना है तो इस ईडी पर मेले करें.

Gurupharma2000@gmail.com


बुधवार, 22 जून 2022

पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.in hindi.

  पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.in hindi. 

Dr.Virender Madhan.




#पुदीना क्या है?

पुदीना, मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

#पुदीनेके नाम:-

पुदीने को मेंथा एवरैसिस, मेन्था-स्पाइकेटा, स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

संघटन:-

*पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं।

#पुदीना का आयुर्वेदानुसार उपयोग क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना  कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

#पुदीना के अन्य लाभ:-

 - पुदीना की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में पुदीने की चटनी,जलजीरा, शरबत के रुप मे इसका सेवन करते है।

 इसका प्रयोग औषधि के रूप में ही नहीं, बल्कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। पेटदर्द, एसिडिटी, बदहजमी जैसी समस्याओं का चुटकी में इलाज करती है। 

* पुदीना पाचन शक्ति सुधारता है।

- पुदीना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं। इस पौधे में मेन्थॉल होता है, जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन  करता है। 

- पुदीना के सेवन से गैस की समस्या दूर होती है। मेन्थॉल मांसपेशियों की क्रिया सुचारू रूप से करने में सहायता करता है, जिससे बदहजमी के लक्षण दूर होते हैं। 

*पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है ।

- पुदीने से तैयार फेस पैक लगाने से झुर्रियां और बारीक लकीरें नहीं होती हैं। पुदीना में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, 

- जिन लोगों को मुंहासे अधिक होते हैं, वो पुदीने की पत्तियों से तैयार लेप चेहरे पर लगाएं। इस लेप में गुलाब जल, बेसन भी मिला सकते है। इस फेस पैक को 15 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। फिर पानी से धो लें। 

* मुंह की दुर्गंध दूर करे पुदीना।

अगर मुंह से अधिक बदूब आती है, वो पुदीने की पत्तियों का सेवन (Peppermint Benefits) करें। पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे ठंडा करके इससे कुल्ला करने से बदबू चली जाएगी।

*पुदीना हीटस्टोक (लू) से बचाए.

 घर से बाहर जाना हो तो पुदीने का रस पिएं या इससे तैयार शरबत पीकर ही घर से निकलें। 

*हैजा के लक्षणों को कम करता है।

* हैजा (cholera) कई बार दूषित भोजन और पानी पीने से होता है। हैजा होने पर आप घरेलू उपायों में पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होगा।

#पुदिना को कैसे खायें?

 पुदीने का रस गन्ने या फिर निम्बू पानी में मिलाकर पी सकते हैं. 

-पुदीने की ताजी पत्तियों से तैयार हरी चटनी खाएं।

 इसमें हरी मिर्च, आंवला, लहसुन, धनिया पत्ती डालकर मिक्सी में पीस लें। पुदीने की चटनी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही पेट को शीतलता भी प्रदान करेगी।

- पुदीने का काढ़ा भी पी सकते हैं। 

- पुदीने को सलाद, दही या किसी भी भोज्य पदार्थों में मिला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- पुदीने के पत्तों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में नींबू, नमक डालकर पीने से डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

-पुदिने का आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता है।

-पुदिनहरा भी एक आयुर्वेदिक पुदिने से बनी औषधि है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखें।

धन्यवाद!




गर्मीयों में हल्दी वाला दूध पीने से क्या होगा?In hindi.

 गर्मीयों में हल्दी वाला दूध पीने से क्या होगा?In hindi.

हल्दी दूध पीने के स्वास्थ्य लाभ | Benefits Of Drinking Turmeric Milk:



Dr_VirenderMadhan.

#Haldi wale dudh ke labh.in hindi.

सर्दी-जुकाम- 

सर्दियों के मौसम में सर्दी-जुकाम एक आम समस्या में से एक है.सर्दी-जुकाम , हल्दी वाला दूध पीने से सर्दी के रोग ठीक हो जाते है।

इम्यूनिटी- 

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप हल्दी वाले दूध का सेवन करते हैं.

सूजन- 

ठंड के मौसम में कई लोगों को शरीर में सूजन की समस्या रहती है तो भी हल्दी वाला दूध पीने से आराम हो जाता है।

इंफेक्शन- 

शरीर में इंफेक्शन हो जाने पर हल्दी वाला दूध उपयोगी होता है।

पाचन-

पाचनशक्ति को यह दूध बढाने वाला होता है।

#हल्दी का दूध बनाने का सही तरीका क्या है?

*एक गिलास दूध में कितनी हल्दी डालना चाहिए?

हल्‍दी का दूध बनाने के लिए 1 गिलास दूध में 2 चुटकी हल्‍दी मिलाकर अच्‍छे से उबाल लें। फिर इसे थोड़ा ठंडा होने दें।बाद मे पी लें।

See also :-

https://youtu.be/pg184QHiwPs

हल्दी के औषधीय गुण:-

हल्दी को आयुर्वेदिक पदार्थ माना जाता है। ऐसा मानने के पीछे इसमें मौजूद औषधीय गुण है। इसके औषधीय गुण कई बीमारियों से बचाएं रखने और उनसे राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी को लेकर किए गए रिसर्च के मुताबिक, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को सुरक्षित रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को नुकसान से बचाने वाला गुण) गुण होते हैं।

#क्या गर्मी में हल्दी वाला दूध पीना चाहिए?

अधिकतर लोगों को लगता है कि गर्मी में हल्दी वाला दूध पीने से शरीर में गर्मी का स्तर बढ़ सकता है.

 यह केवल एक मिथक है. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. गर्मियों में भी हल्दी वाला दूध पिया जा सकता है.

हल्दी वाला दूध कब नहीं पीना चाहिए?

अगर आपको एलर्जी है और वो भी किसी गर्म चीज या गर्म मसाले खाने से, तो ऐसे में आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दूध आपकी एलर्जी को कम करने की जगह और भी बढ़ा सकता है। इसलिए इससे ऐसे लोगों को दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

हल्दी दूध के फायदे व नुकसान

#हल्दीवालेदूध के फायदे ?Benefits of Turmeric Milk in Hindi.

- अनिद्रा को ठीक करता है और नीद अच्छी आने लगती है।

- पाचन शक्ति को बेहतर बनाने के लिए हल्दी का दूध पीना लाभकारी हो सकता है। 

- जोड़ों का दर्द हल्दी का दूध जोड़ों से जुड़ी समस्या के लिए भी अच्छा माना गया है। 

-वजन घटाने के लिए हल्दी वाला दूध कारगर होता है।

- कैंसर के रोग में चिकित्सा करने में बहुत सहायक होती है।

- हड्डी के स्वास्थ्य को ठीक रखती है। हड्डियों को मजबूत बनाती है।

- डायबिटीज के रोगी के के लिये हल्दी वाला दूध बहुत उपयोगी है।

-सर्दी और खांसी को ठीक करता है।

यदि आपको सूखी खांसी हो, तो आप दूध पी सकते हैं, खांसने पर बलगम आए तो दूध नहीं पीना चाहिए. 

#हल्दी वाला दूध पीने के नुकसान

हल्दी वाला दूध का सेवन करने से पेट में गर्मी बढ सकती है, और दूसरी तरफ ये गर्भाशय का संकुचन, गर्भाशय में रक्त स्रव या फिर गर्भाशय में ऐंठन पैदा कर सकती है। इसलिए खासतौर पर गर्भाधारण करने के लिए तीन महीने के अंदर तो हल्दी वाले दूध का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना खतरनाक भी हो सकता है।

Note:-

अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले।यह लेख केवल जानकारी के लिए है।

डा०वीरेंद्र मढान 

Guru Ayurveda in faridabad.(hr.)

मंगलवार, 21 जून 2022

वर्षा ऋतु मे क्या करें, क्या न करें?In hindi.,

 वर्षा ऋतु मे क्या करें, क्या न करें?In hindi.,

वर्षा ऋतुचर्या कैसी होनी चाहिए?

Dr_Virender Madhan.2022.



<वर्षा ऋतु>

वर्षा ऋतु प्रारम्भ 21 जून से 22 अगस्त तक

दोष प्रकोप व संचय:-

वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है । 

वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठाराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से बहुत सी बीमारियां उत्पन्न हो जाती है।जैस


- बुखार, अजीर्ण,पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार,प्रवाहिका, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है ।


- इन रोगों से बचने के लिए तथा पेट की पाचक अग्नि को सुरक्षित रखने के लिए आयुर्वेद के अनुसार उपवास तथा लघु भोजन लाभकारी हैं ।

--   हमारे ऋषि-मुनियों ने इस ऋतु में अधिक-से-अधिक उपवास का उपदेश कर शास्त्रों के द्वारा शरीर के स्वास्थ्य का ध्यान रखा है ।

- वर्षा ऋतु में जल की स्वच्छता पर ज्यादा ध्यान दें । जल द्वारा उत्पन्न होनेवाले उदर-विकार, अतिसार, प्रवाहिका एवं हैजा जैसी बीमारियों से बचने के लिए पानी को उबालें ।

--जल को उबालकर ठंडा करके पीना सर्वश्रेष्ठ उपाय है । 

--पीने के लिए और स्नान के लिए गंदे पानी का प्रयोग बिल्कुल न करें क्योंकि गंदे पानी के सेवन से उदर व त्वचा-सम्बन्धी व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं ।

विषेश-

--500 ग्राम हरड़ और 50 ग्राम सेंधा नमक का मिश्रण बनाकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम लेना चाहिए 

#वर्षा ऋतु के क्या लाभ है?

वातावरण में शीतलता आती है।और वर्षा से गर्मी का प्रकोप कम होता है  

वर्षा होने से खेती हेतु पानी मिलता है और फसलें विकसित होती हैं।

वर्षा पीने के पानी का एक स्रोत भी है। बहुत सी जगह ऐसी हैं जहां वर्षा का पानी संचयन कर उसी को पूरे साल पीने के पानी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

* पथ्य आहार : -

#वर्षा ऋतु मे क्या खायें?

-- वर्षा ऋतु में वात की वृद्धि होने के कारण उसे शांत करने के लिए मधुर, अम्ल व लवण रसयुक्त, हलके व शीघ्र पचनेवाले तथा वात का शमन करनेवाले पदार्थों एवं व्यंजनों से युक्त आहार लेना चाहिए । 

जैसे:-

-- सब्जियों में मेथी, सहिजन, परवल, लौकी, बथुआ, पालक एवं सूरण,हितकर हैं । सेवफल, मूँग, गरम दूध, लहसुन, अदरक, सोंठ, अजवायन, साठी के चावल, पुराना अनाज, गेहूँ, चावल, जौ, खट्टे एवं खारे पदार्थ, दलिया, शहद, प्याज, गाय का घी, तिल एवं सरसों का तेल, 

-- अनार, द्राक्षा, महुए का अरिष्ट, का सेवन लाभदायी है ।

* अपथ्य आहार : --

#वर्षा ऋतु मे क्या न खायें?

वर्षा ऋतु में संचित होने वाला पित्त अगली ऋतु 'शरद ऋतु में ही कुपित होता है। अतः वर्षा काल के अन्तिम दिनों में इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पित्त कुपित करने वाला आहार-विहार न किया जाए। तले हुए, खट्टे, नमकीन, तेज़ मिर्च मसालेदार, मांसाहारी, मादक पदार्थों का सेवन इन दिनों में नहीं करना चाहिए।

-- गरिष्ठ भोजन, उड़द, अरहर आदि दालें, नदी, तालाब एवं कुएँ का बिना उबाला हुआ पानी न पीना चाहिये।

--पूरी, पकोड़े तथा अन्य तले हुए एवं गरम तासीरवाले खाद्य पदार्थों का सेवन बन्द कर दें । 

--  मैदे की चीजें,आइसक्रीम, मिठाई, ठंडे पेय,केला, मठ्ठा, अंकुरित अनाज, पत्तियोंवाली सब्जियाँ नहीं खाना चाहिए 

पथ्य-अपथ्य विहार : -

#क्या करें क्या न करें?

- मालिस(अंगमर्दन), उबटन, स्वच्छ हलके वस्त्र पहनना योग्य है ।

-अतिपरिश्रम,अति व्यायाम, स्त्रीसंग, दिन में सोना, रात्रि जागरण, बारिश में भीगना, नदी में तैरना, धूप में बैठना, खुले बदन घूमना त्याज्य है ।

--वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी रहने के कारण शरीर की त्वचा ठीक से नहीं सूखती है। अतः त्वचा स्वच्छ, सूखी व स्निग्ध बनी रहे इसका उपाय करें ताकि त्वचा के रोग पैदा न हों ।

-  इस ऋतु में घरों के आस-पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें, जिससे मच्छरों से बचाव हो सके ।

- इस ऋतु में त्वचा के रोग, मलेरिया, टायफाइड व पेट के रोग अधिक होते हैं । अतः खाने-पीने की सभी वस्तुओं को मक्खियाँ एवं कीटाणुओं से बचायें व उन्हें साफ करके ही प्रयोग में लें । 

- मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।

धन्यवाद!


सोमवार, 20 जून 2022

#पिंपल्स में काम करने वाले 15 गुपचुप तरीके,आयुर्वेदिक उपाय.in hindi.

 #पिंपल्स में काम करने वाले 15 गुपचुप तरीके,आयुर्वेदिक उपाय.in hindi.

#कील मुंहासों के कारण,लक्षण, और उपाय जाने हिंदी में।



How To Become Master Of Pimples In 6 Steps?

#कील मुंहासों के कारण,लक्षण, और उपाय जाने हिंदी में।

> कील मुंहासों के नाम.

- कील-मुहांसे,युवानपिंडिका, पिम्पलस, आदि नाम से जाना जाता है।

#कील मुहांसे क्यों होते है?

- मुहांसे|पिंपल्स होने की एक और वजह प्रदूषण और धूल मिट्टी है जिसकी वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और इससे कील-मुंहासे हो जाते हैं। 

- मुँहासे तब होते हैं जब त्वचा के छोटे-छोटे छिद्र, जिन्हें रोम या हेयर फॉलिकल्स कहा जाता है, बन्द हो जाते हैं। वसामय ग्रंथि (Sebaceous glands) आपकी त्वचा की सतह के पास पाई जाने वाली छोटी ग्रंथियाँ हैं। ये ग्रंथियाँ बालों के हेयर फॉलिकल्स से जुड़ी होती हैं जो कि त्वचा के वो छोटे छिद्र हैं जिनमें से बाल उगते हैं।

-  चेहरे पर पिंपल निकलने की समस्या अधिकतर टीनएज मे देखी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस उम्र में हमारे शरीर में हॉर्मोनल तेजी से बदलाव हो रहे होते हैं। इस कारण हॉर्मोन्स लेवल डिस्टर्ब होने से हमारी स्किन पर पिंपल्स उगने लगते हैं। 

#जीवनशैली के खराब होने से:-

-गलत खानपान

 आजकल फास्ट फूड ( Fast Food ) और जंक फूड ( Junk Food ) का खाने का ट्रेंड काफी बढ़ गया है। इससे शरीर को काफी नुकसान होते हैं। फास्ट फूड या जंक फूड खाने से पाचनतंत्र( Digestive System ) पर असर तो पड़ता  है, फास्ट फूड के मसालों में काफी ज्यादा गर्मी होती है कई प्रकार के केमिकल (Chemical ) होते हैं। इसके साइड इफेक्ट के रूप में कील मुंहासे चेहरे पर नजर आने लगते हैं, जो कई बार चेहरे पर दाग छोड़ जाते हैं।

-पानी की कमी से

 पानी की कमी होने से भी चेहरे पर कील मुहासे बढ़ जाते हैं और ये लंबे समय तक चेहरे को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। जब आप सही मात्रा में पानी नहीं पीते तो आपकी त्वचा का पीएच लेवल कम होने लगता है। जिसके कारण आपकी त्वचा में कील मुंहासे ज्यादा निकलने लगते हैं। 

-प्रदूषण का प्रभाव

 चेहरे की स्किन ज्यादा संवेदनशील होती है। ऐसे में कील मुंहासे होने का बड़ा कारण हमारे आसपास फैला ( Pollution )प्रदूषण भी होता है, जब आप घर से बाहर निकलते हैं धूल मिट्टी और धुआ आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। 

मीठे पर्दाथों के कारण :-

 खाने में मीठी चीजें ज्यादा खाने से भी चेहरे पर कील मुहांसों की समस्या बढ़ जाती है। किसी भी चीज़ में मीठा स्वाद बनाने के लिए आप शहद या मिश्री का इस्तेमाल कर सकते हैं।

-पेट की खराबी के कारण:-

हमें होने वाली 80 फीसदी बीमारियां उसकी पेट की खराबी के कारण होती हैं।अगर आपका पाचन ठीक नहीं हैं तो भी आपके चेहरे पर कील मुहांसे हो सकते हैं। 

- केमिकल युक्त कॉस्मेटिक्स:-

 केमिकल युक्त कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ समय बाद ये आपके चेहरे को खराब हो सकता है, जिसके कारण चेहरे पर दाग धब्बे और कील मुहांसे होने लगते हैं। 

-  एक बड़ा कारण “धूप"है

  धूप में ज्यादा रहने से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण भी कील मुंहासे ज्यादा होने लगते हैं, साथ ही सन बर्न भी हो जाता है। 

#कील मुहांसों के उपाय:-

* चेहरे को अच्छी तरह से धोकर पिंपल्स पर शहद लगाकर मसाज करें. इसके अलावा ग्रीन टी पीने से कील-मुंहासों से आराम मिलता

है. 

* खाने में नींबू का इस्तेमाल करें. पानी में नींबू निचोड़कर पी यें 

* मुंहासों के दाग-धब्बे हटाने के  लिए 1 चम्मच बेसन, गुलाब जल व आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को दाग-धब्बों पर लगाएं और सूखने के बाद पानी से धो लें. 

* मुल्तानी मिट्टी से उपचार

8-10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी एक कटोरे में ले लें और उसमें दो चम्मच कच्चा दूध मिलाएं, एक चम्मच गुलाब जल डालें और उसका अच्छी तरह से पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगायें और 20 से 25 मिनट रहने दें और फिर ठंडे पानी से अपना चेहरा धो लें। 

* बेसन से उपचार

  बेसन 10 ग्राम में आधा नींबू निचोड़ कर उसमें एक चम्मच शहद डालें। इसके बाद इसमें दो से तीन चम्मच कच्चा दूध मिलाएं और इसका पेस्ट बना लें। चहेरे पर 20 से 25 मिनट रहने दें और फिर चेहरे को धो लें .

* एलोवेरा से उपचार

एलोवेरा जेल चेहरे पर रगडें  

* केले से उपचार

 केले का छिलका और उसके अंदरूनी भाग से अपने चेहरे पर रगड़ना है और जहां जहां आपके कील मुंहासे हैं वहां पर अच्छी तरह से इसे रगड़ लें, यह अच्छा कारगर उपाय है। 

#आयुर्वेदिक उपचार-

* मसूर की दाल 2 चम्मच लेकर बारीक पीस लें। इसमें थोड़ा सा दूध और घी मिलाकर फेंट लें और पतला-पतला लेप बना लें। इस लेप को मुंहासों पर लगाएं।

* गाय के ताजे दूध में एक चम्मच चिरौंजी पीसकर इसका लेप चेहरे पर लगाकर मसलें। सूख जाने पर पानी से धो डालें।

* सोहागा 3 ग्राम, चमेली का शुद्ध तेल 1 चम्मच। दोनों को मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लगाकर मसलें। सुबह बेसन को पानी से गीला कर गाढ़ा-गाढ़ा चेहरे पर लगाकर मसलें और पानी से चेहरा धो डालें।

* लोध्र, वचा और धनिया, तीनों 50-50 ग्राम खूब बारीक पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण थोड़े से दूध में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं। आधा घण्टे बाद पानी से धो डालें।

* शुद्ध टंकण और शक्ति पिष्टी 10-10 ग्राम मिलाकर एक शीशी में भर लें। थोड़ा सा यह पावडर और शहद अच्छी तरह मिलाकर कील-मुंहासों पर लगाएं।

* सफेद सरसों, लोध्र, वचा और सेन्धानमक 25-25 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें ो एक चम्मच चूर्ण पानी में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं।

* साफ पत्थर पर पानी डालकर जायफल घिसकर लेप को कील-मुंहासों पर लगाएं।

* कूठ, प्रियंगु फूल, मजीठ, मसूर, वट वृक्ष की कोंपलें  लोध्र, लाल चन्दन, सब 10-10 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें। एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे कील-मुंहासों पर लगाएं।

धन्यवाद!




रविवार, 19 जून 2022

हृदय शूल|Angina क्या है कैसे बचें?In hindi

 हृदय शूल|Angina क्या है कैसे बचें?In hindi.



छाती हृदय शूल|Angina क्या है 

छाती के मध्य से पीड़ा स्कंध तथा बाई बाँह में फैल जाती है। आक्रमण थोड़े ही समय रहता है। ये आक्रमण परिश्रम, भय, क्रोध तथा अन्य ऐसी ही मानसिक अवस्थाओं के कारण होते हैं जिनमें हृदय को तो अधिक कार्य करना पड़ता है, किंतु हृत्पेशी में रक्त का संचार कम होता है। आक्रमण का वेग विश्राम तथा नाइट्रोग्लिसरिन नामक औषधि से कम हो जाता है।

कारण

यह धमनियों में कठोर होने से,आक्सीजन की कमी से, मानसिक आवेगों से, अन्य हृद। य रोग के कारण,गुर्दो के रोग के कारण से,मोटापा से, हृदयशूल उत्पन्न हो जाता है.

कुछ लोग मे यह वंशानुगत हो जाता है।

हृदयशूल अधिकतर कोरोनरी धमनी मे मेदार्बुद  होने से,

महाधमनी वाल संकीर्णता,

फुफ्फसीय धमनियों म संकीर्णता से,

गम्भीर रक्ताल्पता के कारण यह रोग उत्पन्न हो जाता है।

#आयुर्वेद में हृदयशूल कैसे होता है?

प्रतिदिन आहार-विहार से कुपित कफ और पित से वात अवरुद्ध होकर व त रस मे मिश्रित होकर हृदय मे अवस्थित हो हृदयशूल हो जाता है।इसे हृच्छूल कहते है. इसका कारण व्यान वायु के साथ पित का अनुबन्ध होता है।

#हार्टअटैक के लक्षण

- बहुत पसीना आना

- बेचैनी

- उलझन

- चक्कर आना

- सांस लेने में परेशानी

-मितली आना

-दिल के बीच में कसाव होना

* एनजाइना निचोड़ने, दबाव, भारीपन, जकड़न या सीने में दर्द जैसा महसूस होता है।  यह समय के साथ अचानक या पुनरावृत्ति हो सकता है।

* लोग अनुभव करते हैं:

 दर्द क्षेत्र: छाती, जबड़े या गर्दन में, छाती में बंद मुट्ठी या अचानक छाती में दर्द की तरह हो सकता है

- चक्कर आना, थकान, व्यायाम करने में असमर्थता, सिर चकराना या पसीना आना

- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रोब्लम,अपच, या मतली

- तेजी से सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ

 यह भी आम है: चिंता, सीने में दबाव, या तेज़ हृदय गति बढ जाती है।

#हृदयशूल|Angina मे कौन दवा दी जाती है?

वृहत वातचिंतामणी रस,1-1 गोली सवेरे शाम,

हृदयावरण रस,1-1गोली सवेरे शाम,

नागार्जुनाभ्रक रस 1-1 गोली सवेरे शाम,

प्रभाकर बटी 1-1 गोली सवेरे शाम अर्जुन की छाल के काढे के साथ दे.

हिंग्वादि चूर्ण 3 से 6 ग्राम सवेरे शाम ले.

अर्जुनारिष्ट 3 चम्मच बराबर पानी मिला कर भोजन के बाद दिन में 2 बार लें

#कुछ घरेलू उपाय।

-अर्जुन की छाल का काढा बनाकर पीने को दें।

- सौठ का काढा पीना भी लाभकारी होता है।

-खस और पीपलामूल बराबर मात्रा में लेकर घी मे मिला कर चाटने से आराम मिल जाता है।

-बेहडे की छाल का चूर्ण गुड मे मिलाकर दूध से नित्य लेने से हृदयशूल जड से ठीक हो जाता है।

-दूध मे लहसुन पकाकर पीने से लाभ मिलता है।

-आवंले का चूर्ण रोज खाना चाहिए।

-धृत मे हिंग को भूनकर लेने से लाभ मिलता है।

#हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं?

अधिकतर हृदय रोगों के बढ़ने का मूल कारण गलत खानपान और गलत रहन सहन यानी लाइफ स्टाइल है | 

 हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं :-

#हृदय रोगो में हितकारी यानि क्या खाये 

बेदाना अनार, आवला, आवला का मुरब्बा, सेब या सेब का मुरब्बा, अंगूर, नींबू का रस, थोड़ा उष्ण गाय का दूध, जौ का पानी (बरलीवाटर), कच्चे नारियल का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, छोटी हरड़, सौंफ, मेथीदाना, किशमिश, मुनक्का, गेहूं का दलिया, चोकर, मोटा आटा, चना और जौ मिश्रित आटे की मीठी रोटी, थोड़ी मात्रा में भिगोए चने, किशमिश का नियमित सेवन, बिना पालिश के चावल, हरी सब्जियां, ताजे फल, कम चिकनाई वाले दूध से बने पदार्थ आदि |

* दोनों समय भोजन के बाद ब्रजासन और थकान महसूस करने पर शवासन करें | शाकाहार, योगाभ्यास एवं अर्जुन की छाल व आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के सेवन से हृदय रोग पास नहीं फटकते |

#हृदय रोगो में अहितकारी यानि क्या न खाये 

मांसाहार, मदिरापान यानि शराब पीना या नशा करना, धूम्रपान, तंबाकू, कॉफी, नशीले पदार्थों का सेवन त्याग दें | ज्यादा नमक, तेज मसालेदार चटपटी और गरिष्ठ पदार्थ, आधुनिक फास्ट फूड और जंक फूड, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम आदि | वसायुक्त चर्बी वाले पदार्थ जैसे मक्खन, घी, नारियल का तेल, प्रोसेस खाद्य पदार्थ आदि | प्रिजर्वेटिव्स दूध से बने पदार्थ, खोए की मिठाई, रबड़ी, मलाई आदि के सेवन से बचें |

> कुछ ध्यान देने योग्य बातें 

नियमित व्यायाम के साथ-साथ तनावरहित गहरी नींद और विश्राम तथा संयमित जीवन आवश्यक है और यही स्वास्थ्य की कुंजी है | अत्यधिक तनाव ग्रस्त रहना या भागादौड़ी (थोड़े समय में अधिक शीघ्रता से तरक्की करने की धुन) और अत्यधिक आराम पसंदगी हानिकारक हो जाती है।

[कोई भी उपाय करने से पहले आप अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें।]

धन्यवाद!







शनिवार, 18 जून 2022

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे|Methi ke chamatkar.in hindi.

 सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे|Methi ke chamatkar.in hindi.



 An Incredibly Easy Method That Works For All in hindi.

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे.हिन्दी में जाने.

* पाचन क्रिया :-

 जिन लोगों को कुपच व कब्ज की परेशानी है, उन्हें मेथी का पानी पीने की आदत डाल लेनी चाहिए। 

* कोलेस्ट्रॉल:-

कोलेस्ट्रॉल को बैलेंस मे रखने के लिए मेथी के पानी का प्रयोग किया जाता है।

* सर्दी खांसी में आराम आराम मिलता है

 * डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करता है।

* वजन कंट्रोल करने के मेथी का पानी उत्तम है।

* भूख लगने की समस्या से निजात पाने के लिए मेथी का पानी पीना चाहिए।

* मेथी का पानी किडनी के लिए लाभदायक होता है।

#किस रोग मे और कैसे पीयें मेथी काढा या पानी?



#सुबह खाली पेट मेथी खाने से क्या फायदा होता है?

सवेरे खाली पेट मेथी खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रण से लेकर हृदय रोगों से भी बचाव होता है। इसको सही मात्रा में उपयोग करने से फायदा मिलता है।

- इम्युनिटी बढाता है और इंफेक्शन को नियंत्रण मे रखता है।

- मेथी स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ाता है।

-पुरुषों की यौन क्षमता को बढाता है।

- बढे हुये कैलेस्ट्रोल को कम करता है ।

-शरीर पर किसीभी जगह सूजन हो तो उसमें फायदेमंद होती है।

#मेथी उबालकर (क्वाथ बना कर ) पीने से क्या फायदा होता है?

यह एसिडिटी, कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याओं दूर करने में मदद करता है. 

- दालचीनी और मेथी का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है

#मेथी का पानी कब पीना चाहिए?

मेथी के पानी को पीने का उत्तम समय सुबह उठकर  खाली पेट पीएं. सुबह खाली पेट मेथी पानी पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं।

#मेथी खाने से क्या (हानि ) नुकसान होता है?

मेथी उष्ण वीर्य होती है यानि तासीर गर्म होती है। ज्यादा सेवन करते हैं तो मूत्र में गर्मी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में जलन के साथ साथ यूरिन में दुर्गंध की परेशानी हो सकती है। 

- कई बार अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, अपच आदि भी होती है।

- मेथी पानी के अधिक पीने से दस्त, मतली और पाचन तंत्र से संबंधित नुकसान हो सकते हैं      - कुछ लोगों को चक्कर और सिरदर्द की समस्या भी हो जाती है।

- अधिक मात्रा में मेथी के पानी का सेवन करने पर निम्न रक्त चाप की आशंका रहती है।

#बालों के लिए मेथी:-

#मेथी का पानी बालों में कैसे लगाएं?

- मेथी दानों को पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें. एक कटोरी में इस पाउडर को डालकर और उसमें 1 चम्‍मच नारियल का तेल मिलाएं. अब इसे अच्‍छी तरह मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं. जब बाल अच्‍छी तरह सूख जाएं तो शैम्‍पू से धो लें

#मेथी का पानी वजन घटाने के लिए?

- वजन घटाने के लिए भी   मेथी का पानी इस्तेमाल किया जाता है. 

 आपको इसके लिए रात में एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी के दाने डालकर भिगोने हैं. अब सुबह खाली पेट इस पानी को छानकर पी लें.

साथ मे पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए

#मेथी के पानी के अन्य 5 फायदे

- शुगर के मरीजों के लिए यह तरीके बेहद कारगर है। 

- जोड़ों में दर्द के लिए भी मेथी का पानी एक अचूक इलाज है। 

- ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या है, तो मेथी का पानी आपके लिए बेहद मददगार है।

#मेथी का पानी कैसे बनाएं

इसको बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं. एक से डेढ़ चम्मच मेथी दानों को रात को एक गिलास साफ पानी में भिगो दें. सुबह उठकर इस पानी को अच्छे से छान लें और फिर इसे खाली पेट पीएं. अगर आप चाहे तो मेथी दाने को भी बाद में खा सकते हैं.

# मेथी का पानी कितने दिन तक पीना चाहिए?

 [डॉक्टर से सलाह लें, इसके बाद ही दिन तय करें। ]

वैसे एक महीने तक इसका प्रयोग किया जा सकता है।

धन्यवाद!


बुधवार, 15 जून 2022

श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

 #श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

Dr_Virender_Madhan.

श्वास काठिन्य,



- सांस की तकलीफ का मतलब सांस का धीमी चलना, हांफना, 

 एक दिन में बार-बार सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं  जैस कोरोना मे सांस लेने में कठिनाई होना,

- पुरानी लगातार खांसी से भी

सांस लेने में कठिनाई होती है।श्वास का कठिनाई से लेना

 को डिस्पनिया,dyspnoea कहते है.

- यह अत्यधिक श्रम का एक आम लक्षण होता है फिर भी यदि यह अप्रत्याशित स्थिति में उत्पन्न हो तो यह एक रोग बन जाता है।

-  सांस लेने में तकलीफ के ऐसे कारण हो सकते हैं जो किसी  बीमारी की वजह से नहीं हों। 

* उदाहरण:-

 व्यायाम, ऊंचाई, तंग कपड़े, बिस्तर पर आराम की लंबी अवधि, या एक गतिहीन जीवन शैली के कारण श्वास मे कठिनाई हो सकती है.

धुवें के कारण;-

- छोटे बच्चों और धूम्रपान करने वालों को प्रभावित करता है जो सिगरेट या किसी धुम्रपान के धुवें से सांस लेते हैं  उनके फेफड़े सीधे प्रभावित होते हैं।

-  हृदय रोगियों, मुख्य रूप से अधिक आयु वर्ग के लोगों में सांस फूलने की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

#सांस फूलने के मुख्य कारण:-

अस्थमा:-

 अस्थमा वायुमार्ग को प्रभावित करता है। खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

निमोनिया:-

- यह बड़े वायुमार्ग में संक्रमण के कारण होता है। यह ब्रोंकाइटिस से भी ज्यादा प्रभावित हो सकता है। निमोनिया के लक्षण- भूख में कमी, पसीना, कंपकंपी और सिरदर्द हैं। बहुत अधिक खांसी होना सांस फूलने का एक कारण हो सकता है।

हृदय रोग:-

  दिल रोगी मे देखा जाता है जहां लोग ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं। ये द्रव दबाव बना सकते हैं और इस अतिरिक्त तरल पदार्थ से सूजन हो सकती है जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है।

पल्मोनरी एम्बोलिज्म:-

 - यह फेफड़ों में रक्त वाहिकाओं के रुकावट का कारण बनती है। इससे सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इलाज से आप बीमारी से निजात पा सकते हैं।

चिंता:-

 बहुत से लोग अलग-अलग चीजों को लेकर चिंतित रहते हैं  - लक्षण हृदय गति का तेज होना, बीमारी, पसीना, सिरदर्द होना.

एनीमिया:-

 इसमे हमारे पास कम लाल रक्त कोशिकाएं हैं या कम हीमोग्लोबिन है। कुछ लक्षण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकते हैं। इसमें थकान, बेहोशी महसूस होना और सांस फूलना शामिल हो सकता है। 

मोटापा:-

 अधिक वजन होना, सांस फूलने का एक बड़ा कारण हो सकता है। आपके वजन में कमी आपको बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है। 

फेफड़े की स्थिति:-

 यह सूजन या संकीर्ण वायुमार्ग जैसे विभिन्न कारणों से सांस फूलने का कारण हो सकता है। ये आपके फेफड़े को सख्त और लोचदार बना सकते हैं। अस्थमा, ब्रोन्किइक्टेसिस और फेफड़ों के कैंसर होने पर फेफड़े की स्थिति अधिक कष्टकारी होती है।

*श्वास काठिन्य के अन्य कारणों   भी हो सकते हैं:

- वजन घटना

- गलग्रंथि की बीमारी

- गुर्दे की बीमारी

- मांसपेशीय दुर्विकास आदि.

#सांस फूलने के क्या लक्षण होते है?

- सांस लेने में कठिनाई होना.

- नाड़ी दर में वृद्धि होना.

- छाती में दर्द होना.

- ठंडी और पीली त्वचा होना.

- सांस लेते समय ऊपरी छाती या मांसपेशियों की मदद लेना

- छाती में संक्रमण होना.

- दिल की कोई बीमारी होना.

#सांस लेने में कठिनाई है तो क्या करें?

- अदरक के टुकड़ों को चबाकर खायें या फिर अदरक की चाय बनाकर पीनी है इससे आपको काफी हद तक राहत मिलेगी. 

- सौंफ :-

आयुर्वेद के मुताबिक, सौंफ सांस की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है. सौंफ बलगम को निकालते हैं और सांस की परेशानियों को दूर करते हैं. इसमें मौजूद आयरन से एनीमिया की समस्या में भी राहत मिलती है.

- चुकंदर :-

कई बार एनीमिया की वजह से भी सांस लेने में लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसके लिए चुकंदर का सलाद या फिर जूस के तौर पर इसका सेवन कर सकेत हैं. इसमें फाइबर,कैल्सियम और पोटैशियम होता है

 लहसुन-

 लहसुन के एण्टीबैक्टिरियल है, लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी  का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से ठंड के दौरान आक्रमक होने वाली दमा जैसी घातक बीमारी में बेहद राहत मिलती है 

- अजवायन व लौंग फायदेमंद

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है। 

-  अडूसा की पत्तियां

अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अस्थमा में अतिशीघ्र आराम मिलता है।  अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है।

- बड़ी इलायची

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

- पान व पालक का जूस

 पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।

 -पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।

- अंगूर का रस गुणकारी

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो सांस लेने की गति सामान्य हो जाती है।

- अनंतमूल की जड़ें

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फ़ायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

- बच व ब्रह्मी

बच, ब्रह्मी, पिपली, हरड और अडूसा की समान मात्रा को पीसकर इस मिश्रण को लेने से गले की समस्या जैसे गला बैठ जाना, टांसिल्स आदि में अतिशीघ्र आराम मिलता है। 

- बहेड़ा

पुरानी खांसी में 100 ग्राम बहेड़ा के फलों के छिलके लें, उन्हें धीमी आंच में तवे पर भून लीजिए और इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण का एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार सेवन बहुत लाभकारी है।

- भुट्टा 

मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख तैयार कर ली जाए और इसे पीस लिया जाए, इसमें अपने स्वाद के अनुसार सेंधा नमक डालकर दिन में 4 बार एक चम्मच फ़ांकी लेने से खांसी, कफ़ और सर्दी में आराम मिलता है। 

नीलगिरी का तेल

- नीलगिरी का तेल एक सूती कपड़े में लगा दिया जाए और सर्दी और खांसी होने पर सूंघा जाए तो आराम मिलता है। गले में दर्द होने पर भी ये फायदा करता है। 

- मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में आराम मिलता है। 

- तुलसी 

गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना चाहिए.

#आयुर्वेदिक औषधि:-

श्वास चिंता मणी रस

श्वसकुठार रस

कनकासव

चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इन औषधियों का प्रयोग कर सकते है.

धन्यवाद!



सोमवार, 13 जून 2022

कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.

 कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.



#Dr.Virender Madhan.

#calcium|कैल्शियम की कमी.in hindi.

जब शरीर में पर्याप्त कैल्शियम की कमी हो जाती है तो उसे कैल्शियम की कमी के नाम से जाना जाता है।

-  महिलाओं मे पुरुषों की तुलना में इसके होने की संभावना अधिक होती है।  -पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं मे,और

- प्रसूता महिलाओं में कैल्शियम की कमी आमतौर पर हो जाती है।

 - कैल्शियम हड्डियों और दांतों के विकास और विकास में सहायता करता है।

- यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, रक्त जमावट में सहायता करता है, और

 -   तंत्रिका तरंगों को स्वतंत्र रूप से बहने देता है। 

- बहुत अधिक कैल्शियम सूजन और कब्ज पैदा कर सकता है।

#कैल्शियम की कमी से शरीर में क्या होता है?

कैल्शियम की कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस, या भंगुर हड्डियों का कारण बन सकता है, लापरवाही करने पर

कैल्शियम की कमी के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

-  शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियां कमजोर और दर्द होने लगता है.

- कैल्शियम की कमी होने पर मांसपेशियों में ऐंठन होती है.

- मेमोरी में भी कमी आ जाती है.

 - शरीर सुन्न होने लगता है और हाथ-पैरों में झुनझुनाहट रहती है.

- पीरियड में गड़बड़ी होने लगती है.

- दांत कमजोर हो जाते हैं.

* आक्षेप

 * थकान

* अनिद्रा

* शुष्क त्वचा

* नाज़ुक नाखून

* रुखे बाल

* खालित्य

* खुजली

* सोरायसिस

* दांतों की समस्या आदि समस्या कैल्शियम की कमी मे मिलती है।

#कैल्शियम की कमी से कौनसा रोग हो जाता है?

- ​​हृदय रोग-

 कैल्शियम की कमी से हार्ट संबंधी रोगों के जोखिम का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. 

- कोलेस्ट्रॉल का लेवल:-

शरीर में पर्याप्त कैल्शियम होने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कंट्रोल रहता है. इससे हृदय की बीमारियों का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है.

- ब्लड प्रेशर:-

 ​ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है- कई बार कैल्शियम की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या भी हो जाती है

#कैल्सियम की कमी कैसे दूर करें?

कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए उपाय- 

- रोजाना डेयरी प्रोडक्ट्स का अधिक से अधिक सेवन करें। इसके लिए दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि चीजों को डाइट में शामिल करें। 

- बच्चों को रोजाना एक गिलास दूध पीने को दें। 

- सीफूड में भी कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

- सोयाबीन- सोयाबीन में कैल्शियम और ऑयरन भरपूर होता है.

- तिल- करीब 1 चम्मच तिल में अच्छा कैल्शियम होता है. 

- बादाम- बादाम को सुपरफूड कहा जाता है.


#कैल्शियम कौन कौन सी चीजों में होता है?

* कंद में - नारियल का गुड़, शकरकंद, प्याज, लेमन ग्रास, गन्ना आदि कैल्शि‍यम के अच्छे स्त्रोत हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है। 

- हरी सब्जी, और फल खाने से भी कैल्शियम की पुर्ति होती है।

कैल्शियम से भरपूर सब्जियों में पालक, ब्रोकली, एवोकाडो, भिंडी, कोलार्ड और केला शामिल हैं।

सफेद बीन्स, सोयाबीन और फ्लैट बीन्स जैसे बीन्स भी आहार में कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

 कुछ कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ हैं:

दुग्ध उत्पाद

फलियाँ

अंजीर

ब्रोकोली

टोफू

सोय दूध

पालक

दृढ़ अनाज


#कैल्शियम की कमी मे आयुर्वेदिक दवा

-गिलोय चूर्ण,गिलोय रस का प्रयोग.

- 1 ग्राम कैल्शियम रोजाना चाहिए।

 इसके लिए आप मुक्ता शुक्ति 1 ग्राम और मोतिपिष्टी एक चौथाई भाग लेकर सेवन करे। इसमें अधिक मात्रा में कैल्शियम पाई जाती हैं। जो इस कमी को पूरा करेगी।

- मुक्तावटी से कैल्शियम म इजाफा होता  है।

- हल्दी, मेथी, ,सौंठ, सुरंजान और अश्वगंधा और शतावर का सेवन करे।

- कर्पद भस्म,शंख भस्म, मोती भस्म, मुक्ताशुक्ति ,प्रवाल पिष्टी या भस्म का प्रयोग चिकित्सक के अनुसार करने से शीध्र लाभ मिलता है।

- हल्दी वाला दूध पीने से आराम मिलता है।

धन्यवाद!


रविवार, 12 जून 2022

#बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.


 #बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.

# आयुर्वेद से बुद्धि कैसे बढ़ाएं ?In hindi.

स्मरणशक्ति एवं बुद्धि बढ़ाने वाली आयुर्वेद औषधियां व जड़ी बूटियाँ- जैसे शंखपुष्पी, बच, शतावरी, ज्योतिष्मती, अश्वगंधा, आंवला, शहद आदि और खाद्य-पदार्थों में अनार, बथुवा, जौ , लहसुन, सैंधा नमक, गाय का दूध और घी, मालकांगनी, | बैंगन आदि बुद्धि-वर्धक हैं।

#दिमाग को तेज करने वाली कौन सी दवा है?

मस्तिष्क के लिए बेहतरीन टॉनिक है ब्राह्मी 

- ब्राह्मी मस्तिष्क के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक औषधि मानी जाती है. अगर आप ब्राह्मी के अर्क का सेवन हर रोज नियमित रूप से करते हैं, तो इससे आपकी याददाश्त तेज, अल्जाइमर, सोचने-समझने की क्षमता, व्यवहारिक दक्षता आदि को बढ़ाने में सहायता मिलती है.

#दिमाग को बढाने के लिये क्या खायें?

कमजोर दिमाग को तेज करने के लिये अपने भोजन में शामिल करें.

केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां डाइट , तेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं.

अंडा का सेवन लाभदायक होता है.

अखरोट खाने से दिमाग को बल मिलता है.

#बुद्धि को बढाने के लिए क्या करें?

- सही भोजन का सेवन करे .

- रोजाना एक्सरसाइज करे.

-समय पर , सही मात्रा में नींद ले.

-  कुछ समय के लिए मनोरंजन करें.रोजाना गाने सुने

ब्रेन गेम्स को खेले

 #आयूर्वेद मे ब्रेन टॉनिक क्या है?

बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के द्रव्य गुण विभाग में मण्डूकपर्णी के पौधे पर रिसर्च कर ब्रेन टानिक के रूप में उन गुणों को पाया गया है, जिनसे टेंशन, डिप्ररेशन, कमजोर यादाश्त से लड़ा जा सकता है। मण्डूकपर्णी के पौधे का रस दिमाग की इन्द्रियों को फ्रेश रखता है।

 टेंशन और घबराहट के लिए 'ब्रेन टॉनिक' है

#आयुर्वेदिक बुद्धि बर्द्धक औषधि :-

शंखपुष्पी सीरप

गुरु ब्रनिका सीरप

सारस्वतारिष्ट

अश्वगंधारिष्ट

- डाक्टर को कब दिखायें?

मानसिक कमजोरी याददाश्त को भी प्रभावित करता है. इससे व्यक्ति को चीजें याद कर बोलने में भी मुश्किल हो सकती है. इसके अलावा चीजों को बोलने में कंफ्यूजन हो जाना भी दिमाग के नसों की कमजोरी से जुड़ा होता है. ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

#कौन सा फल खाने से दिमाग तेज होता है?

स्ट्रॉबेरी में सभी गुण होते हैं, जो आपके मानसिक संतुलन को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉएड्स मौजूद होता है, जो ब्रेन सेल्स को मजबूत करता है। दिमाग की शक्ति को बढ़ाता है। खासतौर से बढ़ते बच्चों के लिए स्ट्राबेरी खाना लाभदायक हो सकता है।

#बुद्धि बढ़ाने के हैं ये 6 बेहतरीन तरीके

- जीवन मे कुछ नया कीजिए .

- रोजना नियमित व्‍यायाम अपने बल के अनुसार करते रहें.

- दिमागी कसरत करें जैसे पहेलियां सोल करना.

- पोजेटिव सोच रखें।

सकारात्‍मक सोच रखने से दिमाग की ताकत बढती है. 

- सात्विक व स्‍वस्‍थ पोष्टिक आहार लेना चाहिए. 

- ज्ञान बर्द्धक ,मोटीवेशन करनेवाली किताब पढ़ें.

धन्यवाद!

शनिवार, 11 जून 2022

ब्रेन, दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.


  ब्रेन दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.

10 सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप मे से एक

गुरू ब्रैनिका सिरप

#Guru Brainica Syrup 

- सभी के लिए आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप - 

“ गुरू ब्रैनिका सिरप ”

मस्तिष्क एक उच्च ऊर्जा वाला अंग है जिसे पूरे दिन केंद्रित रहने के लिए बहुत सारे अच्छे खुराक की आवश्यकता होती है।  स्वस्थ रहने के लिए कुछ पोषक तत्वों के सेवन की आवश्यकता होती है।  

ब्रह्मी

शंखपुष्पी

वच

जटामांसी

यष्टिमधु

सौठ

मरिच

विड़ंग

 जैसे तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करते हैं, जबकि एंटीऑक्सिडेंट सेलुलर तनाव और सूजन को कम करते हैं, जो मस्तिष्क की उम्र बढ़ने और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से जुड़े होते हैं।  

* मानसिक स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण चीज है इसकी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है।  आज बाजार में ऐसे कई उत्पाद हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं, 

 1. तंत्रिका तंत्र 

तंत्रिका तंत्र को फिर से जीवंत करने के लिए गुरु ब्रैनिका  सिरप.

ब्रैनिका  सिरप एक आयुर्वेदिक मेमोरी स्टिमुलेटर सिरप है जो मस्तिष्क की याददाश्त और शक्ति में सुधार के लिए अद्भुत काम करता है।  यह टॉनिक कई हर्बल और प्राकृतिक अवयवों के लाभों के साथ एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जो मस्तिष्क को शक्ति में आवश्यक बढ़ावा देने और विभिन्न कार्यों को करते समय इसकी दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करता है।  यह सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, चाहे वे युवा हो या बच्चे.

 2. तनाव कम करने के लिए.

ब्रैनिका  सिरप एक ब्रेन टॉनिक स्वास्थ्य पूरक है यह आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके मस्तिष्क बूस्टर के रूप में कार्य करता है।  यह एक उच्च गुणवत्ता वाला मस्तिष्क स्वास्थ्य पूरक है जो आपके दैनिक कार्यों के बारे में जाने के साथ-साथ बेहतर संज्ञानात्मक कार्य प्राप्त करने में आपकी सहायता के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को जोड़ता है।  यह मस्तिष्क में तनाव और थकान को दूर करने के साथ-साथ याददाश्त को तेज करने में मदद करता है।

 4.  मस्तिष्क टॉनिक सिरप

चिंता के लिए दिमागी शक्ति दाई.

ब्रैनिका  सिरप स्मृति और तंत्रिका तंत्र को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।  सिरप तनाव और चिंता को कम करने के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में प्रभावी है।तथा एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकते हैं।

ब्रनिका सिरप अवसाद के उपचार और बुद्धि की वृद्धि में सहायता करता है। 

 5. एकाग्रता के लिए.

ब्रैनिका  सिरप में आयुर्वेदिक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क को तेज करने में सहायता करते हैं।  यह याददाश्त बढ़ाने और मानसिक थकान को कम करने में मदद करता है।   इसका उपयोग फोकल संवेदी प्रणाली पर अपनी गतिविधि के लिए किया जाता है, जो स्मृति और बुद्धि को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह खराब एकाग्रता, स्मृति, बुद्धि, लोभी शक्ति और नींद की गड़बड़ी में मदद करता है।  यह पाचन और आंत से अवशोषण में सहायता करता है, साथ ही कीड़े के विनाश में भी सहायता करता है “ब्रैनिका  सिरप”

धन्यवाद!

Guruparma2000@gmail.com.


 

बुधवार, 8 जून 2022

वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

 वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

Basantkusmaker ras.



वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है.

क्योंकि यह ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य और स्थिर करता है। इसका उपयोग एंटी-हाइपरग्लाइकेमिक, कामोत्तेजक और कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में भी किया जाता है।

#रसेन्द्रसारसंग्रह के अनुसार वसंत कुसुमाकर रस।

वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य:-

सोनाभस्म 2 भाग,

चांदी भस्म 2 भाग,

वंग भस्म  3 भाग,

वंगभस्म 3 भाग,

कांतलौह भस्म 3 भाग,

अभ्रक भस्म 4भाग,

मूंगा भस्म और मोती 4-4 भाग,

भावना द्रव्य -

गाय का दूध, ईख का रस, अडूसे के पत्तों का रस, लाख का क्वाथ, सुगंधवाला रस , केले के की जड का रस,केले के फूलों का रस, शतावर का रस, मालती के फूलों का रस,

सुगंध के लियें कस्तूरी का क्वाथ,

बसन्तकुसुमाकर रस बनाने की विधि:-

सभी भस्मो को मिलाकर खरल करें फिर भावना द्रव्यों मे से एक-एक द्रव्यो की अलग अलग भावना 7-7 बार दें.

बाद मे 2-2 रत्ती की गोली बना लें।

अनुपान:- 

मिश्री, शहद,धृत के साथ दें।

मात्रा:-

1से2गोली सवेरे शाम या 

चिकित्सक के अनुसार

इस औषधि का प्रयोग चिकित्सक की सलाह लेकर ही करें।

उपयोग:-

बसंतकुसुमार रस-कान्ति ,काम ,पुष्टि की बृद्धि करता है।

बसन्तकुसुमाकर रस के प्रयोग से वली,पलीत,और श्रुतिभ्रंश रोड को नष्ट करता है।

यह पुष्टि, बल,और आयुबर्द्धक है।पुत्रदा(संन्तान ) दायक है.

इससे बीस प्रकार के प्रमेह,11प्रकार के क्षय,और साध्यसाध्य सोमरोग नष्ट होते है.

इस औषधि के अब तक कोई साईड इफ्कट सामने नही आये है।

(रसेन्द्रसारसंग्रह)

धन्यवाद!



 

कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

 कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

#ईसबगोल|Plantago ovata क्या है?In hindi.



#DrVirenderMadhan.

- इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है।इसके बारे मे अधिकतर लोग कुछ न कुछ जाते हैं।

 यह पौधा देखने में बिल्कुल गेहूँ के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।

#इसबगोल कहाँ पैदा होता है?

 ईसबगोल उत्पादन एवं क्षेत्रफल में भारत का स्थान प्रथम है। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात ,राजस्थान ,पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टर में हो रहा हैं।



#इसबगोल की तासीर कैसी होती है?

इसबगोल की तासीर ठंडी होती है, यह कब्ज़, पेचिश और आंत के रोगों के लिए बहुत अच्छी होती है .

#इसबगोल कब्ज के लिए है रामबाण औषधि है।

कई फायदों वाला है इसबगोल ​कब्ज में राहत तथा ​दस्त रोकने में मददगार है।

- ​ब्लड शुगर कम करने मे मददगार होती है।

- यह ​कलेस्ट्रॉल कम करने मे उपयोगी होती है.

- इसबगोल ​दिल को स्वस्थ रखता है।

- ​वेट लॉस में मददगार होती है इसबगोल।

- ​ओवरइटिंग रोकने में मददगार है



#10 रोगों का उपाय एक ईसबगोल ?

ईसबगोल के उपाय - 

1  डाइबिटीज मे - 

 ईसबगोल का पानी के साथ सेवन करें इससे रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में सहायक होती है। 

 2  अतिसार -

 ईसबगोल पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है । 

3 - बवासीर - 

 ईसबगोल खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है। 

4 पाचन तंत्र - 

आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से राहत दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है। 

* कब्ज होने पर ईसबगोल गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लिया जाता है। दस्त होने पर ईसबगोल दही में मिलाकर खाया जाना चाहिए। दो चम्मच ईसबगोल तीन चम्मच दही में मिलाकर दिन में दो बार खाने से दो दिन में ही दस्त से आराम मिलता है। यही नहीं, पेट में होने वाले दर्द और मरोड़ मे भी ईसबगोल आराम दिलाता है।

5  जोड़ों में दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। 

-यह दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है। 

6 वजन कम करे -

वेटलोस, वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। 

7 कफ -

 कफ के जमा होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है। 

8  सिर दर्द - 

Headache, ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। 

नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, - प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है। 

 9नकसीर - 

 नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करने से आराम होता है।

10- सांस की दुर्गन्ध -  

ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है। 

<लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें।>

धन्यवाद!


मंगलवार, 7 जून 2022

एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?In hindi.

 #Syphilis rog kya hain?In hindi.

#एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?



उपदंश - SYPHILIS क्या है?

आधुनिक और आयुर्वेदिक विवर्ण -

SYPHILIS - ACCORDING TO MODERN AND AYURVEDA

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#Syphilis rog kya hain ?

 आधुनिक दृष्टि से: - 

    - सिफलिस एक गंभीर यौन संचलित, संक्रामक रोग है और इसके विकास से लेकर खतरनाक लक्षणों के प्रकट होने तक, संक्रामक धीरे धीरे बढता है।  इसे माता-पिता से प्राप्त या विरासत में मिल सकता है.

 * [ट्रैपोनिमा पैलेडियम ]

- इस यौन रोग के पीछे यह प्रेरक जीवाणु है।  संभोग या अन्य यौन गतिविधियों के दौरान कई पुरुष या महिला भागीदारों के साथ निकट संपर्क मे आने से पहले से ही संक्रमित साथी से सीधे संक्रमण बढने की अनुमति देता है। यौन साझेदारों की संख्या जितनी अधिक होगी, इस बीमारी का जोखिम उतना ही अधिक होगा।

   पहले से ही ईलाज न हो तो सिफलिस जीवन के लिए खतरा बन सकता है क्योंकि इसके कारण अंधापन, बहरापन, न्यूरो सिफलिस (नसों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है), हड्डियों और हृदय को नुकसान जैसी गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं पैदा कर सकता है।

 - प्रारंभिक अवस्था में यह मुंह, मलाशय और जननांग भागों पर दर्द रहित घावों का प्रतिनिधित्व करता है (ये भाग आमतौर पर यौन गतिविधियों के दौरान संपर्क में आते हैं)।  आधुनिक चिकित्सा के अनुसार सिफलिस चार चरणों में प्रकट होता है -

 1- प्राथमिक उपदंश :-

   यौनांग पर दर्द रहित घाव विशेष रूप से मुंह (मुख सेक्स), मलाशय (गुदा मैथुन) और जननांग (सामान्य योनि सेक्स) में दिखाई देते हैं।

 2- सेकेंडरी सिफलिस:-

    अधिकतर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर खुजली वाले चकत्ते, सूजन लिम्फ नोड्स, थकान, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और वजन कम होना आदि।

 3- गुप्त उपदंश :-

  इसका इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं।

 4- तृतीयक उपदंश:-

 इलाज नहीं किया जाता है तो यह सिफलिस का यह खतरनाक चरण है। यह जीवन के लिए खतरा है और हृदय, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क, नसों, यकृत और जोड़ों को हानि पहुंचाता है।

  यह रोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता से भी सम्बंधित होता है, जिससे रोगजनकों को शरीर में आसानी से प्रवेश मिल जाता है।  इसलिए आधुनिक में इसका एंटीबायोटिक्स (मुख्य रूप से पेनिसिलिन पसंद की दवा है), प्रतिरक्षा बूस्टर और कुछ रोगसूचक दवाओं के साथ सबसे अच्छा इलाज किया जाता है.

#आयुर्वेदिक मे सिफलिस क्या है?

 आयुर्वेद में वर्णित "फिरंग रोग" नामक बीमारी के साथ उल्लेखनीय समानताएं हैं। इस रोग को वैदिक आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित नहीं किया गया है, लेकिन आचार्य भावमिश्रा ने अपने आयुर्वेदिक पाठ "भावप्रकाश" में इसका वर्णन किया है।

   उनके अनुसार फिरंग रोग (सिफलिस) त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के खराब होने के कारण होता है, लेकिन कफ दोष मुख्य रूप से रोग के विभिन्न चरणों में हावी होता है, ज्यादातर पुरानी अवस्था में।  आगे चलकर त्रिदोष के इन सभी विकृतियों और असंतुलन के कारण, धतूस (ऊतक) नशे में हो जाता है और मस्तिष्क, नसों, हृदय, यकृत, हड्डियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बनता है।

  “ फिरंग रोग" फिरंगी लोगों से  भारत में आयी है, शायद मुख मैथुन, गुदा मैथुन और बहुविवाह (कई भागीदारों के साथ सेक्स) की गंदी संस्कृति के कारण, जो उनके लिये आम था।  उनकी संस्कृति के साथ।  आचार्य भावमिश्र के अनुसार फिरंग रोग तीन मुख्य प्रकार का होता है- बाहरी (बाहरी), आभ्यंतर (आंतरिक) और बाहरीाभ्यान्तर (मिश्रण)।

 आयुर्वेदिक उपचार:-

आचार्य भावमिश्र ने फिरंग रोग के उपचार में "पारद" (बुध) को सबसे महत्वपूर्ण औषधि के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने इस रोग के उपचार में पारद का उपयोग करने के सात तरीके बताए हैं।  

विद्वानों के अनुभवों मे जो इस बीमारी के इलाज में प्रभावी देखा है।

 1- निम्ब चूर्ण 2 ग्राम

      हरिद्रा चूर्ण 2 ग्राम

 सवेरे -शाम. 

2- गंधक रसायन -125 मिलीग्राम)सवेरे-शाम जल से 3- आरोग्यबर्द्धिनी बटी 2-2 सुबह शाम खाने के बाद

 -  इस योग में - निम्ब में एंटी माइक्रोबियल और डिटॉक्सिफिकेशन गुण होते हैं और यह शरीर की प्रतिरक्षा में भी सुधार करता है जबकि हरिद्रा अपने एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी मजबूत एंटी ऑक्सीडेंट संपत्ति के कारण यह एक अच्छा बूस्टर है  प्रतिरक्षा का भी।

 गंधक रसायन अपने एंटी बैक्टीरियल क्रिया के लिए जाना जाता है और आयुर्वेद में पहले से ही कई त्वचा संक्रमणों में संकेत दिया गया है इसलिए इस बीमारी के उपचार में उत्साहजनक परिणाम हैं।  

आरोग्यबर्द्धिनी बटी मे

 हरड़, बहेड़ा, आंवला, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गुग्गुल, चित्रक मूल, कुटकी, निम्ब, शुद्ध पारद जैसी कई दवाओं का एक चमत्कारी संयोजन है। अभ्रक भस्म,ताम्र भस्म और आयरन भस्म आदि।  इसके सभी अवयवों के कारण  आरोग्यबर्द्धिनी वटी एक अद्भुत एंटीबायोटिक, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में कार्य करती है। इस तरह की चमत्कारी दवाओं का यह मजबूत संयोजन कई अन्य बीमारियों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

अन्य:-

व्याधिहरण रस+महामंजिष्ठादि चूर्ण+चंद्रप्रभा वटी (दिन में दो बार 1 ग्राम) ......... चंदनासव+पलाशपुष्पासव+देवदार्वारिष्ट 30 मिली दिन में दो बार जल के साथ 2-3 महीने की अवधि के लिए दें।


धन्यवाद!

सोमवार, 6 जून 2022

अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

 अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का परिचय.



#अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख्यतः बदहजमी, पाचन तंत्र के रोग, भूख न लगना के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। 

#अग्नितुण्डी वटी के घटक क्या हैं?

Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी के मुख्य घटक :-

पारद

गन्धक शुद्ध

वत्सनाभ शुद्ध

अजमोद,

 आंवला,

 हरीतकी,

 ज़ीरा,

 सुहागा आदि.

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*अजमोद

अजमोद मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को रोकने मे उपयोगी है।

*आंवला

आंवला भूख बढ़ाने के तत्‍व,पाचन क्रिया और पेट को ठीक रखने वाले पाचक एंजाइम का स्त्राव उत्तेजित करके पाचन क्रिया को ठीक रखता।

* हरीतकी (हरड़)

Infection|संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने वाली खांसी को नियंत्रित करने वाली औषधि है।

* जीरा

जीरा,पेट की गैस या पेट फूलने की समस्या को कम करने वाली,पाचन क्रिया को बेहतर करने वाली है।

* सुहागा

सुहागा पाचन क्रिया और पेट को आराम देने वाली, एसिडिटी को ठीक करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है।

#Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी किन किन रोगों में काम आती है?

-अग्नितुण्डी वटी के मुख्य लाभ क्या है?

- बदहजमी indigestion

- पाचन तंत्र के रोग 

- भूख न लगना anorexia

अन्य लाभ

- एसिडिटी acidity

- कब्ज Constipation

- खांसी Cough

- पेट दर्द Colic

#Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी की Dose(खुराक) 

 कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा हिस्ट्री के आधार पर खुराक अलग हो सकती है।

व्यस्क मे मात्रा: 

- निर्धारित खुराक का उपयोग करें

- खाने के बाद या पहले: कभी भी दवा ले सकते हैं

अधिकतम मात्रा:

- 2 टैबलेट गुनगुना पानी से दिन में दो बारलें।

दवा लेने की अवधि:-

 उपचार लम्बे समय तक जारी रह सकता है।

# Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - 

  Agnitundi Vati के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। 

नोट-

  [Agnitundi Vati का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।]

*चेतावनी:-

अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?

 Agnitundi Vati के अच्छे या बुरे प्रभाव के बारे में चिकित्सा जगत में कोई रिसर्च न हो पाने के चलते पूरी जानकारी मौजूद नहीं हैं। इसको जब भी लें डॉक्टर से पूछने के बाद ही लें।

- जो स्त्रियां स्तनपान कराती हैं उनके ऊपर Agnitundi Vati का क्या असर होगा?

  कोई शोध नहीं किया गया है, इसके चलते पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। दवा को लेते समय डॉक्टर की राय लेना जरूरी।

- पेट के लिए Agnitundi Vati हानिकारक नहीं है।

- बच्चों में Agnitundi Vati के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

- Agnitundi Vati के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

- Agnitundi Vati का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?

  Agnitundi Vati लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही Agnitundi Vati का इस्तेमाल करें।

- क्या Agnitundi Vati को शहद के साथ ले सकते है? 

हां, शहद के साथ अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग करना सुरक्षित है।

- क्या Agnitundi Vati को गुनगुना पानी के साथ ले सकते है? 

- गुनगुने पानी के साथ  

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati लेना बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है।


धन्यवाद!