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शनिवार, 2 जुलाई 2022

#आपके शरीर में वात दोष क्या होता है?In.hindi.

 #आपके शरीर में वात दोष क्या होता है?In.hindi.

#What is the vata dosha in your body?

वात दोष 



Dr.VirenderMadhan.

#वात दोष क्या है?

वात, त्रिदोष मे से एक है।

वात दोष “वायु” और “आकाश” इन दो तत्वों से मिलकर बना है। वात (वायु) दोष को तीनों दोषों में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। 

- वात के कारण ही शरीर में गति संभव है।

- चरक संहिता के अनुसार वायु  पाचक अग्नि बढ़ाने वाला,तथा  इन्द्रियों का प्रेरक माना है.तथा उत्साह का केंद्र माना है। 

#वात दोष का स्थान कहां है?

Where is the place of Vata dosha?

 - पेट और आंत में वात का मुख्य स्थान है।

 -अन्य दोषों के साथ मिलकर वात उनके गुणों को भी धारण कर लेता है। जैसे कि जब यह पित्त दोष के साथ मिलता है तो इसमें दाह, उष्ण वाले गुण आ जाते हैं और जब कफ के साथ मिलता है तो इसमें शीत और गीलेपन के गुण आ जाते हैं।

#वात कितने प्रकार का होता है?

what are the types of vata?

शरीर में स्थानों और कामों के आधार पर वात को पांच भांगों में बांटा गया है।

- प्राणवात

- उदानवात

- समानवात

- व्यानवात

- अपानवात

#वात के गुण क्या है?

#What are the properties of Vata?

- रूखापन,

- लघु,

- शीतलता,

- सूक्ष्म,

- चंचलता,

- चिपचिपाहट से रहित और

- खुरदुरापन वात के गुण हैं।

- रूखापन वात का स्वाभाविक गुण है। जब वात संतुलित अवस्था में रहता है तो आप इसके गुणों को महसूस नहीं कर सकते हैं। 

[लेकिन वात के बढ़ने या असंतुलित होते ही आपको इन गुणों के लक्षण नजर आने लगेंगे।]

#वात प्रकृति की विशेषताएं?

Features of Vata Prakriti?

- प्रकृति के आधार पर ही रोगी को उसके अनुकूल खानपान और औषधि की सलाह दी जाती है।

- वात दोष के गुणों के आधार पर ही वात प्रकृति के लक्षण नजर आते हैं. जैसे कि  -रूखापन गुण होने के कारण भारी आवाज, नींद में कमी, दुबलापन और त्वचा में रूखापन जैसे लक्षण होते हैं. 

- शीतलता गुण के कारण ठंडी चीजों को सहन ना कर पाना,  शरीर कांपना जैसे लक्षण होते हैं. शरीर में हल्कापन, तेज चलने में लड़खड़ाने जैसे लक्षण लघुता गुण के कारण होते हैं.

- स्वभाव से वात प्रकृति वाले लोग बहुत जल्दी कोई निर्णय लेते हैं. बहुत जल्दी गुस्सा होना या चिढ़ जाना और बातों को जल्दी समझकर फिर भूल जाना भी वातप्रकृति वाले लोगों के स्वभाव में होता है.

#वात किन किन कारणों से बढ़ता है?

For what reasons does Vata increase?

- हमारे खानपान, स्वभाव और आदतों की वजह से वात बिगड़ जाता है। 

> Major causes of aggravation of Vata?

- वात के बढ़ने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

- मल-मूत्र या छींक को रोककर रखना

 - खाए हुए भोजन के पचने से पहले ही कुछ और खा लेना और अधिक मात्रा में खाना

- रात को देर तक जागना, तेज बोलना

- अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करना

- सफ़र के दौरान गाड़ी में तेज झटके लगना

- तीखी और कडवी चीजों का अधिक सेवन

- बहुत ज्यादा ड्राई फ्रूट्स खाना

- चिंता या मानसिक परेशानी में रहना

- ज्यादा ठंडी चीजें खाना

- व्रत रखना

- बरसात के मौसम में और बूढ़े लोगों में तो इन कारणों के बिना भी वात बढ़ जाता है।

#वात बढ़ जाने के लक्षण?

Symptoms of aggravation of vata?

- सुई के चुभने जैसा दर्द



- हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन

- हड्डियों का खिसकना और टूटना

- अंगों में रूखापन और जकड़न

- अंगों में कंपकपी

- अंगों का ठंडा और सुन्न होना

- अंगों में कमजोरी महसूस होना 

- मुंह का स्वाद कडवा होना

- कब्ज़

- नाख़ून, दांतों और त्वचा का फीका पड़ना

- ऊपर बताए गये लक्षणों में से 2-3 या उससे ज्यादा लक्षण नजर आते हैं तो जान ले कि आपके शरीर में वात दोष बढ़ गया है। 

>Treatment (उपाय) ?

वात को शांत या संतुलित करने के लिए खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाने चाहिए। और उन कारणों को दूर करना होगा जिनकी वजह से वात बढ़ता है। वात प्रकृति वाले लोगों को खानपान का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि गलत खानपान से तुरंत वात बढ़ जाता है. 

#वात को संतुलित करने के लिए क्या खाएं?

What to eat to balance Vata?

- घी, तेल वाली चीजों का सेवन करें।

- गेंहूं, तिल, अदरक, लहसुन और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करें।

- नमकीन छाछ, मक्खन, ताजा पनीर, उबला हुआ गाय के दूध का सेवन करें।

- घी में तले हुए सूखे मेवे खाएं।

- खीरा, गाजर, चुकंदर, पालक, शकरकंद आदि सब्जियों का नियमित सेवन करें।

- मूंग दाल, सोया दूध का सेवन करें।

#वात प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए?

What should people with Vata Prakriti not eat?

 वात प्रकृति वाले निम्न चीजों के सेवन से परहेज करें।

- साबुत अनाज जैसे कि बाजरा, जौ, मक्का, ब्राउन राइस आदि के सेवन से परहेज करें।

- कढी से परहेज करें.

-किसी भी तरह की गोभी जैसे कि पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि से परहेज करें।

- जाड़ों के दिनों में ठंडे पेय पदार्थों जैसे कि कोल्ड कॉफ़ी, ब्लैक टी, ग्रीन टी, फलों के जूस आदि ना पियें।

- नाशपाती, कच्चे केले आदि का सेवन ना करें।

#जीवनशैली में क्या बदलाव करें?

what lifestyle changes to make?

असंतुलित वात वालों को जीवनशैली में ये बदलाव लाने चाहिए।

-रोज कुछ देर धूप में टहलें और धुप का सेवन करें।

- रोजाना ध्यान करें।

- गर्म पानी से और वात को कम करने वाली औषधियों के काढ़े से नहायें। 

- गुनगुने तेल से नियमित मसाज करें, मसाज के लिए तिल का तेल, बादाम का तेल और जैतून के तेल का इस्तेमाल करें।

- मजबूती प्रदान करने वाले व्यायामों को दिनचर्या में ज़रूर शामिल करें।

#वात में कमी के लक्षण और उपचार?

वात की बृद्धि होने की ही तरह वात में कमी होना भी एक समस्या है 

#वात में कमी के लक्षण :

- अंगों में ढीलापन

- सोचने समझने और याददाश्त में कमी.

- बोलने में दिक्कत

- वात के स्वाभाविक कार्यों में कमी

- पाचन में कमजोरी

- जी मिचलाना

उपचार :

* वात की कमी होने पर वात को बढ़ाने वाले आहार का सेवन करना चाहिए। 

- कडवे, तीखे, हल्के एवं ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करें। इनके सेवन से वात जल्दी बढ़ता है। इसके अलावा वात बढ़ने पर जिन चीजों के सेवन की मनाही होती है उन्हें खाने से वात की कमी को दूर किया जा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक मिले।

धन्यवाद!


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