Guru Ayurveda

रविवार, 30 अक्तूबर 2022

गुल्मरोग ( पेट मे वायु का गोला बनना)रावण संहिता के अनुसार. हिंदी में.

 गुल्मरोग ( पेट मे वायु का गोला बनना)रावण संहिता के अनुसार. हिंदी में.



#DrVirenderMadhan.

#गुल्मरोग|वायुका गोला,

गुल्मरोग प्रतिकूल आहार-विहार के कारण वायु के प्रदूषित होने के कारण पेट में गांठ के समान गोला सा बन जाता है ।इसे वायु का गोला भी कहते है।

इसके लिए  रोगी को दीपन,स्निग्ध, अनुलोमन, लंघन, एवं बृंहण (पुष्टिकारक)पदार्थ का सेवन लाभकारी होता है।

गुल्म रोगी के शारिरिक स्रोतों का स्निग्धीकरण से कोमल होने , प्रचण्ड वात को दबाने तथा विबन्ध तोडने के पश्चात स्वेदन कर्म लाभप्रद सिद्ध होता है।

तदनंतर देशकाल और अवस्था अनुसार स्नेहन,सेंक, निरुहबस्ति और आनुवासन वस्तिकर्म के द्वारा उपचार करें।

इसके बाद मंद उष्ण उपनाहन कर्म करने तथा सान्त्वना देने चाहिए।फिर आवश्यकता अनुसार रक्तमोक्षण तथा भुजा क मध्य भाग में शिराभेदन ,स्वेदन, तथा वायु का अनुलोमन करना चाहिए।

इस प्रकार सभी गुल्म जड से समाप्त हो जाते है।

#रावणसंहिता के अनुसार गुल्मरोग की आयुर्वेदिक चिकित्सा,

- बिरौजा नीबूं का रस, हींग, अनार,विड्नमक, तथा सेंधानमक, इन्हें मधमण्ड के सार अथवा 

- अरण्डी के तैल को मधमण्ड या दूध के साथ पान करने से वातज गुल्म समूल नष्ट हो जाता है।

- सज्जीखार और केतकीखार (क्षार ) को कुठ के साथ अरण्डी तैल मे पान करने से वातज गुल्म का नाश हो जाता है।

- वातज गुल्म के चिकित्सा काल मे कफ प्रकोप होने पर उष्ण व उष्ण पदार्थों के मिश्रित चूर्ण आदि का प्रयोग करना चाहिए। पित्त की प्रकोप अवस्था में विरेचन देना चाहिए।



- काकोल्यादिगण , बकायन,तथा वासादि द्रव्यों से पकाये तैल पान से स्निग्धत पैत्तिक गुल्मी मे विरेचन के बाद बस्तिकर्म का प्रयोग उपयोगी है।

-जब रोगी को जलन, शूल, वेदना, विक्षोभ, निद्रानाश, अरोचकता तथा ज्वरादि के लक्षण हो उस समय उपनाहन कर्म के द्वारा परिपक्व बनाना चाहिए।इसके बाद भेदन, लेपन, आदि कर्म करे. बिना भेदन ही दोष के ऊध्वगामी या अधोगामी होने पर बारह दिनों तक शोधन कर्म न करके उत्पन्न लक्षणो (दोष)का शमन करत रहे।

-पैतिक गुल्म मे लंघन, लेखन, और स्वेदन कर्म को पुर्ण करें। तथा अग्निबर्द्धन ,भूखे होने पर त्रिकटु, जवाखार कल्क मिला कर पकाया हुआ घृतका पान कराये।

अथवा वचा 2भाग, हरड 3भाग, विड्नमक 6 भाग, सौंठ 4 भाग, हींग 1 भागकुडा  8भाग, चीता5 भाग,तथा अजवायन 4 भाग,इन का चूर्ण खाने से,अफारा, औदरिक रोग,शूल, बवासीर, साँस, खाँसी,और ग्रहणी रोग नष्ट हो जाता है।

वातगुल्म प्रयोग को कफगुल्म मे भी अपनाना चाहिए।

अथवा पंचमूल मे पकाये जल, पुरानी मध या महुए के फुलों से निर्मित मध का सेवन करना चाहिए। अथवा

- मठ्ठे मे अजवाइन चूर्ण विड्नमक मिलाकर पीना चाहिये इससे क्षुधाग्नि बढती है। मल,मूत्र और वायु का अनुलोमन होता है । ईति.

#डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

अदरक खाने के 5 फायदे.हिंदी में.

 अदरक खाने के 5 फायदे.हिंदी में.



#Dr.Virender Madhan.

#अदरक से पाचनशक्ति कैसे बढायें?

अदरक एक स्वास्थ्यवर्धक हर्ब है,  

- अदरक  छोटी और बड़ी आंतों को मजबूत बनाकर पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है। अदरक खाने से-पेट में ऐंठन, पेट फूलना, कब्ज और डायरिया जैसी आंतों से संबंधित समस्याएं ठीक रहती है.

- अदरक के सेवन से एसिड के कारण आपको सीने में जलन नहीं होती। साथ ही अदरक उन नुकसानदायक बैक्टीरिया को भी नहीं बनने देता, जो एसिड के बनने की वजह होते हैं।

#क्या अदरक के सेवन से इम्यूनिटी बढती है

-अदरक रस और शहद मिलाकर खाने से ईम्यूनिटी बढती है जुकाम खांसी मे आराम मिलता है

- अदरक कालीमिर्च पीपल का काढा बदलते मौसम में बहुत कारगर होता है।

-अदरक, हल्दी, लहसुन को चाय की तरह पकाकर लेने से तुरंत इम्यूनिटी मे लाभ मिलता है।

- ईम्यूनिटी बढाने के लिए अदरक और आंवले को काढा बना कर पीते हैं।

#क्या अदरक से ब्लड शुगर मे राहत मिलती है?

अदरक के तत्व इंसुलिन के प्रयोग के बिना ग्लूकोज को स्नायु कोशिकाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया बढ़ाने में मदद करते हैं. इससे हाई ब्लड शुगर लेवल को काबू में करने में मदद मिलती है.

 शोध में माना गया कि यह बढ़े हुए ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ ही इन्सुलिन की सक्रियता को बढ़ाने का भी काम कर सकता है। अदरक में लिवर, किडनी को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के गुण पाएं जाते है।

#क्या शरीर दर्द मे अदरक अच्छा उपाय है? 

-बदलते मौसम में किसी भी प्रकार के दर्द मे अदरक एक अच्छा साधन है इसका काढा बना कर पीने से लाभ मिलता है

अपने दैनिक भोजन में अदरक को शामिल करें या शरीर के दर्द और सूजन को कम करने के लिए अदरक की चाय तैयार करें।

अदरक की चाय बनाने के लिए अदरक को छीलकर पानी में दस मिनट तक उबालें। गर्मी से हटाएँ। स्वादानुसार निम्बू का रस और शहद मिलाएं।#अदरक कोलेस्ट्रॉल को करे कंट्रोल?


कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में अदरक आपकी मदद कर सकता है।  दरअसल, अदरक में कुछ एक्टिव एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जैसे कि जिंजरोल (gingerols) और शोगोल (shogaols) होता है। ये दोनों ही तत्व ब्लड में लिपिड की मात्रा को कम करते हैं और प्लॉक जमा होने से रोकते हैं। इसके अलावा जिंजरोल को थ्रोम्बोक्सेन को बनने से रोकता है  

- अदरक का सेवन करने वाले ज्यादातर लोगों में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम होती है।  

* अदरक का सेवन 5 तरीकों से कर सकते है।

1. अदरक का पानी 

अदरक का पानी पीने से सीधी मात्रा में शरीर को इसका अर्क मिलता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है।  इसके लिए आपको खाना खाने के बाद बस आधा कप अदरक का पानी पीना है।  इस पानी को बनाने के लिए 10 से 20 मिनट तक ताजी अदरक को गर्म पानी में डाल कर उबाल लें। फिर अदरक को छान लें और पानी को चाय की तरह पी लें। 

2. नींबू और अदरक की चाय

नींबू और अदरक का सेवन कई तरह से शरीर को फायदे पहुंचाता है। 

3. अदरक का पाउडर

अदरक के पाउडर का आप कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। 

4. खाने के बाद अदरक चबाएं

अगर आपने बहुत भारी-भरकम तेल मसाले वाली चीजों को खाया है और आपको कुछ और खाने-पीने या मेहनत करने का मन नहीं है तो, आप ऐसे में अदरक का सेवन कर सकते हैं। 

5. अदरक, लहसुन और नींबू का काढ़ा

अदरक की तरह ही लहसुन भी कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में बहुत मदद करती है। आप इन दोनों को मिला कर एक काढ़ा बना सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए इन एक कप पानी में अदरक और लहसुन डाल कर उबाल लें। फिर इसका पानी छान लें और इसमें दो बूंद नींबू का रस डाल कर इसका सेवन करें।

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.


 #पीलिया #Health care #पांडू रोग #लीवर विकार #प्लीहा #घरेलू उपाय #आयुर्वेदिक चिकित्सा #लाईफ स्टाइल,

#पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.

Why is jaundice and what to do?

#पीलिया|jaundice,क्या है?

#Dr.VirenderMadhan.

पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।

आयुर्वेद के अनुसार पित्त कुछ कारणों से अपने स्थान से भ्रष्ट हो कर रक्त के द्वारा शाखाओं में फैल जाता है।तो पीलिया रोग उत्पन्न हो जाता है।


आयुर्वेद में पाण्डू का 5 प्रकार का माना है 

1- वातज पाण्डू

2- पित्तज पाण्डू

3- कफज पाण्डू

4- सन्निपातज पाण्डू

6- मिट्टी खाने से उत्पन्न पाण्डू

#पीलिया होने का मुख्य कारण क्या है? 

 - Causes of Jaundice:-

- खट्टे पदार्थों के खाने से, 

- अधिक शराब पीने से,

- मिट्टी खाने से

- गंदा भोजन, बासी भोजन के कारण,

- दिन मे सोने से,

- चिन्ता करने से, 

- तला भुना, फ्राईड,तेज मसालों के खाने से,

- मल मूत्र के रोकना,



*पीलिया के वायरस मरीज के मल में मौजूद होते हैं जिसके कारण इस बीमारी का प्रसार हो सकता है। 

- दूषित पानी, दूध और दूषित भोजन से पीलिया रोग फैल सकता है।

#पीलिया रोग के लक्षण:-

- बुखार रहना।

- भूख न लगना।

- भोजन से अरूचि।

- जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियॉं होना।

- सिर में दर्द होना।

- आंख व नाखून का रंग पीला होना।

- पेशाब पीला आना।

- अत्‍यधिक कमजोरी और थकान रहना.

#पीलिया की अच्छी व घरेलू  दवाई :-

- रोज नीम के ताजे पत्तों का रस निकाल कर रोगी को देने से सप्ताह भर में पीलिया उतर जाता है। 

- पपीता, आमला, तुलसी, अनानास, छाछ और दही आदि का सेवन करने से भी पीलिया को दूर करने में मदद मिलती है।

- मूली के रस मे मिश्री मिला कर पीने से 15-20 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।

मात्रा :- 25-30 ग्राम

बच्चों के लिए 6 से 10 ग्राम दें।

- सुहागा की भस्म( सुहागा का फूला) 250 mg. सवेरे शाम मक्खन मे लपेटकर दे।

-मूली के पत्तों का रस 40 ग्राम चीनी मिला कर प्रातः खाली पेट देने से पीलिया नष्ट हो जाता है यह रामबाण दवा है।

पीलिया 7 दिनों में ठीक हो जाता है।

हल्दी व अकेले दूध का सेवन न करें।

- एरण्ड के पत्तों का रस 30 ml  खाली पेट देने से पीलिया 3 दिनो मे.ठीक हो जाता है।

रोगी को खिलायें।

-अनार, पपीता, अंजीर, मुन्नका खाने को दें।

- साबुत धनिया रात भर भोगोकर रखें सवेरे उसका पानी पीने को दें।

-त्रिफला क्वाथ सवेरे शाम पीने से भी पीलिया मे आराम होता है।

- नीमपत्र का रस 10- 25ग्राम पीने से पीलिया शीध्र ठीक हो जाता है।


#पीलिया है तो क्या करें क्या न करें ?

- रोगी को गरिष्ट भोजन नही देना चाहिए।

- रोगी को तरल पदार्थ पर रहना चाहिए।

- ठीक होने तक विश्राम करना चाहिए।

-  साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए

धन्यवाद

सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

भूमि आंवला एक आयुर्वेदिक दिव्य औषधि.जाने हिंदी में.

भूमि आंवला एक आयुर्वेदिक दिव्य औषधि.जाने हिंदी में.

#भूमि आंवला का परिचय लाभ क्या क्या है?



#डा०वीरेंद्र मढान.

भूमि आंवला,लीवर के साथ शरीर में अनेक बीमारीयों के लिए चमत्कारिक औषधि है।

- भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे।

 से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है। 

- भूमि आंवला से भूख की कमी, और

 -कामोत्तेजना बढ़ाने में मदद मिलती हैं। 

- भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, 

- पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में बहुत लाभदायक हैं।

* भूमि आंवला का पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे बहुत लाभ करता है। 

#यह कहाँ मिलता है?

यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है। 

इसका सम्पूर्ण भाग, पंचांग प्रयोग किया जाता है

 *  कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं।

मात्रा:-

साधारण सेवन मात्रा

आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-3 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं। 

* लीवर की सूजन, बिलीरुबिन और पीलिया में फायदेमंद।

- लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी। 

इसे अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।

या इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। 

- पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।

अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी।

- LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है।

- Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।

-हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis b – hepatitis c

हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

- डी टॉक्सिफिकेशन

इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।

- मुंह में छाले और मुंह पकने पर पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है 

- स्तन में सूजन या गाँठ।

स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा।

– जलोदर या असाईटिस

जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।

- खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .

- यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है। 

– SERUM CREATININE बढ़ गया हो,तो भी लाभदायक होता है।

- प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है। 

*रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें। 

- पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।

- शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।

– पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है। 

* मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।

- आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .

- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है।

- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।

इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।

- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।

- यह एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जाता है।

#डा०वीरेंद्र मढान.

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022

शिलाजीत के आयुर्वेदिक गुण व उपयोग क्या है जाने हिंदी में।.

शिलाजीत के आयुर्वेदिक गुण व उपयोग क्या है जाने हिंदी में।.

शिलाजीत

By:-Dr.VirenderMadhan.

#शिलाजीत के नाम.



शिलाजीत,शिलाजतु,आद्रिजतु,शैलनिर्यास, गैरेय,अश्मज,गिरिज,शैलधातुज आदि नामों से जाना जाता है।

#कैसा होता है शिलाजीत?

शिलाजीत एक गाढ़ा भूरे रंग का, चिपचिपा पदार्थ है जो मुख्य रूप से हिमालय की चट्टानों से पाया जाता है। इसका रंग सफेद, गाढ़ा भूरा रंग का होता है।

#शिलाजीतका उपयोग:-

 शिलाजीत का उपयोग आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की है जहाँ इसे बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत के प्रयोग किये जाते है।

शिलाजीत के गुण:-

चरपरा, कडवा, गर्म , पाक मे चरपरा, रसायन , मलछेदन करने वाला ,योग वाही और कफ,मेद ,पथरी, शर्करा, मूत्रकृच्छ, क्षय, श्वास, वातरोग, बवासीर, पाण्डू, मृगी, उन्माद, सूजन, कुष्ठ, उदररोग, तथा उदरक्रमि  नाशक होता है।

#शिलाजीत के खाने से क्या क्या लाभ होते है?

-पेट साफ करता है।

-रसायन होने से यह जराव्याधि को दूर करता है।

- ऊर्जा और पुनरोद्धार प्रदान करता है।

-मस्तिष्क बल को बढ़ावा देता है।

- मोटापा करने मे लाभदायक है।

- बलदायक है,क्षयरोग,श्वास रोग मे लेने से लाभ मिलता है।

- हार्मोन और इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है।

- प्रमेह,मधुमेह को दूर करने में मदद करता है।

- कैंसर जैसे रोगों में बचाव और रक्षा में मदद करता है।

- सूजन कम करता है 

- पेट के कीडो को नष्ट करता है।

- बवासीर रोग में लाभकारी है।

- वात रोगों में भी बहुत कारगर है।

(इसके खाने से कोई हानि नहीं होती फिर भी शिलाजीत खाने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें)

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

यौवन शक्ति कैसे बढायें.हिंदी में.

 यौवन शक्ति कैसे बढायें.हिंदी में.

आयुर्वेद मे क्या है वाजीकरण का मतलब ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

बाजीकरण,



बाजीकरण, आयुर्वेद के आठ अंगों (अष्टांग आयुर्वेद) में से एक अंग है।

इसके अन्तर्गत शुक्रधातु की उत्पत्ति, पुष्टता एवं उसमें उत्पन्न दोषों एवं उसके क्षय, वृद्धि आदि कारणों से उत्पन्न लक्षणों की चिकित्सा आदि विषयों के साथ उत्तम स्वस्थ संतोनोत्पत्ति संबंधी ज्ञान का वर्णन आते हैं।


"“वाजीकरणतंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणविशुष्करेतसामाप्यायन

प्रसादोपचय जनननिमित्तं प्रहर्षं जननार्थंच। (सु.सू. १.८)।”


आयुर्वेद मे रसायन और वाजीकरण योगों का यथासमय सेवन करना उपयोगी बताया गया है। इनको स्वस्थ और व्याधि, सामान्य अवस्था में भी सेवन किया जा सकता है, क्योंकि रसायन गुण वाले पदार्थ, योग आदि शक्ति देने वाले, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले और वृद्धावस्था के लक्षणों को दूर रखने वाले होते हैं। 

- रसायन योग शरीर के बल की क्षतिपूर्ति करने वाले होते हैं और वाजीकरण योग यौन शक्ति और क्षमता बढ़ाने वाले तथा नपुंसकता दूर करने वाले होते हैं।

 'वाजी' शब्द घोड़े के समान सामर्थ्य करना। 

जो दवाएं और आहार किसी व्यक्ति में ताकत या जीवन शक्ति में सुधार करने की क्षमता (घोड़े के समान) रखता है,उसे वाजीकरण द्रव्य माना जाता है।

#रावण संहिता अनुसार 6 वाजीकरण योग :-

दुर्बलांगों तथा शरीर रक्षाणार्थ बाजीकरण का सेवन किया जाता है।

पहले स्निग्ध तथा शुद्ध व्यक्ति को सर्वप्रथम धृत,तैल,मांस रस,दूध, शक्कर और मधु से युक्त निरुहबस्ति और आनुवासन का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु मांस खाने वालों को दूध और मांस रस देना चाहिए उसके बाद वीर्यवर्धक और सन्ततिकारक औषधियों का सेवन करना चाहिए।

#6 बाजीकरण योग-

1- विदारीकंद, पीपर,चौलाई, चिरौंजी, गन्ना, कौच की जड,और मधु ये सब 160-160 ग्राम, 2kg शक्कर,320ग्राम नूतन धी मिला कर रखें

इसकी तोले (भर 10 ग्राम)मात्रा पुरुषों को योग्य बनाती है।

2- कौचके बीज और गेहूं का आटा अथवा उडद दुध में पकाकर पहली बार ब्याही गौ के दुध के साथ खाने वाला व्यक्ति स्त्रियों को संतुष्ट रखता है।

3- बकरे के अण्डकोष  को दुध मे पकाकर कालेतिल,मिश्री मिलाकर खाने से नारियाँ का मान मर्दन कर सकता है।

विदारीकंद का चूर्ण को  विदारीकंद के रस की भावना दे कर चूर्ण को शहद और धी से मिलाकर चाटने से पुरुषों मे सामर्थ्य आ जाती है।

4-मुलहठी चूर्ण को धी शहद के साथ चाटकर ऊपर से दूध पीने वाला व्यक्ति की कामवासना बढ जाती है।

5-काकडासिंगी के कल्क (पिष्टी) को दूध मे मथकर पान करें बाद मे मिश्री, धृत, शहद और दूध का सेवन करने वाला व्यक्ति सांड की तरह बलवान हो जाता है।

6- क्षीरकाकोली के कल्क, दूध मे पकाकर धृत शहद के साथ खाकर ऊपर से गौदूध पीने से परुष की जनेन्द्रिय शिथिल नही होती तथा प्रचंड वेगवान हो जाता है।

ये सब योग रावण संहिता से संग्रहित है।

धन्यवाद।

#डा०वीरेंद्रमढान.

सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

शराब से हुआ हैंगओवर कैसे दूर करें?In hindi.

 #शराब से हुआ हैंगओवर कैसे दूर करें?In hindi.

How to get rid of hangover caused by alcohol?



[hangover|हैंगओवर]

#VirenderMadhan.

 शराब पीना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।शराब पीने के बाद लोग अलग व्यवहार करते हैं। शराब पीने के बाद जब सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों होते है।  इसे ही हैंगओवर कहते है। 

#शराब का नशा उतारने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं?

What are the home remedies to get rid of alcohol addiction? 

#शराब का नशा कैसे उतारें? 

शराब का नशा उतारने के लिए घरेलू उपाय- 

- नारियल का पानी पिएं

नारियल का पानी शराब के नशे को उतारने में मदद कर सकता है।  

- नींबू पानी पिएं

नींबू पानी शराब के नशे को उतारने में असरदार साबित हो सकता है। इसके लिए आप एक गिलास गुनगुना पानी मे नींबू का रस निचोड़ें और पी लें।इससे शराब का हैंगओवर पूरी तरह से उतर जाएगा। साथ ही सिरदर्द में भी आराम मिलेगा।

- केला खाएं

- शराब का नशा उतारने के लिए आप केला खा सकते हैं। केला शराब का हैंगओवर उतारने में काफी लाभदायक होता है।

- अदरक का रस लें

- अदरक शराब का नशा उतारने में उपयोगी होता है।  शराब की वजह से होने वाला सिरदर्द, घबराहट और उल्टियों को भी कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप अदरक का रस निकाल पी सकते हैं, इसमें शहद मिलाकर भी पी सकते हैं। 

- पुदीने का पानी पिएं.

- आप 3-4 पत्ते पुदीने की लें। इन्हें पानी में डालें और अच्छी तरह से उबाल लें। इसे गुनगुना पी लें। 

- दही खायें

दही खाने से हैंगओवर मे लाभ मिलता है।

- नमक, शक्कर का शर्बत पीयें.

- पेट भर खाना खायें।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.


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रविवार, 16 अक्तूबर 2022

मानसिक रोगों से बचने के लिए क्या करें?

 #मानसिक रोगों को कैसे पहचाने?

#मानसिक रोगों से बचने के लिए क्या करें?



#Dr.VirenderMadhan.

#मन के रोग

मनोविज्ञान में हमारे लिए असामान्य और अनुचित व्यवहारों को मनोविकार कहा जाता है। ये धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। 

मनोविकारों के कारण(कारक)क्या क्या है?

- आनुवांशिकता,

- कमजोर व्यक्तित्व, -सहनशीलता का अभाव, -बाल्यावस्था के अनुभव,   -तनावपूर्ण परिस्थितियां और इनका सामना करने की असामर्थ्य होना हैं।

एसी स्थितियां, जिन्हें हल कर पाना एवं उनका सामना करना किसी व्यक्ति को मुश्किल लगने लगता है, 

[उन्हें 'तनाव के कारक' कहते हैं।]

 तनाव किसी व्यक्ति पर ऐसी आवश्यकताओं व मांगों को थोप देता है जिसे पूरा करना वह अति दूभर और मुश्किल समझता है। इन मांगों को पूरा करने में लगातार असफलता मिलने पर व्यक्ति में मानसिक तनाव पैदा होता है।


#मानसिक रोग क्या है

जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है।

#मानसिक रोग की पहचान कैसे करें?

तनाव की स्थिति में व्यक्ति को सिरदर्द और पीठ दर्द की समस्या होती है.

- नींद न आना,

- गुस्सा और हताशा का भाव होना,

- किसी एक चीज पर फोकस ना कर पाना,

- दूसरों को नजरअंदाज करना और अपने आप में रहना,   -उदास रहना, इसके प्रमुख लक्षण हैं.

#मानसिक स्वास्थ्य के लिये क्या करें?

- हमेशा निश्चित समय पर व्यायाम करें।

- अपने अच्छे शौक के काम को कुछ समय दें.

- बुरे शौक या आदत को छोड़ दें।

- आहार समय पर, ऋतु के अनुसार, और पौष्टिक भोजन ही करें.

 - अपने पूरे दिन का प्रोग्राम बनायें, व्यस्त रहे.

- बच्चों के साथ खेलें.

- तनाव के लिए हर्ब चाय लें

-प्रतिदिन शरीर की मालिस करें या कराये।

- तरक्की करने वाले पोजेटिव लोगों के साथ समय व्यतीत करें

-अपनी सोच को बदले 

यह मै कर सकता हूँ

I can do.

कोई काम ऐसा नही जो आदमी न कर सके

- सवरे जल्दी उठे ,जल्दी सोने की आदत बना लें.

-प्राणायाम करें,अपने इष्टदेव की प्रार्थना करें।

#अधिक मानसिक परेशानियों से कौन कौन सी बीमारी हो सकती है।

- मानसिक तनाव,अधिक दिनों तक रहने से भयंकर परिणाम भुगतने पडते है।

-रोगी को उच्च रक्तचाप (B.P.)बढने लगता है। लकवा जैसे वातरोग हो सकते है।

-हृदय रोग हो सकता है।

-डाइबिटीज होता है।

धन्यवाद!

शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

 #छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

#खट्टे डकारें क्यों आती है?

 #एसिडिटी(अम्लपित्त) में आयुर्वेदिक औषधि ही कारगर है.



[अम्लपित्त|एसिडिटी|खट्टी डकारें|छाती मे जलन|हार्टबर्न|तेजाब बनना]

By:-Dr.Virender Madhan.

खट्टी डकारें,छाती मे जलन होने को एसिडिटी (अम्लपित्त)कहते है।

- एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) कहते है। 

- आयुर्वेद में इसे 'अम्ल पित्त' कहते हैं।हमारे शरीर में तीन दोष हैं वात, पित्त और कफ। इनमें संतुलन रहता है तो शरीर सामान्य स्थिति में रहता है। जब शरीर की जठराग्नि में विकृति आ जाती है तो गैस या एसिडिटी की समस्या पैदा होती है।

- आमाशय के भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा जठराम्ल (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) का स्राव किया जाता है पाचन के लिए आवश्यक है।

आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।

लक्षण:-

एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है 

-रोगी के सीने या छाती में जलन होना।

अनेक बार एसिडिटी की वजह से सीने में दर्द और मुंह में खट्टा पानी आता है। जब यह परेशानी बार-बार होती है तो बडी समस्या का रूप धारण कर लेती है। रात्रि में सोते समय इस तरह की शिकायत ज्यादा होती है। कई बार एसिड भोजन नली से सांस की नली में भी पहुंच जाता है, जिसके कारण रोगी को दमा या खांसी की हो सकती है। कभी-कभी मुंह में खट्टे पानी के साथ खून भी आ सकता है।

तीखा भोजन, मानसिक तनाव लेने के कारण भी हमारे शरीर में पित्त बढ़ता है। इसके अलावा खट्टी चीजें, गर्म तासीर, सिरके से बनी चीजों का अधिक सेवन करने वाले लोगों के शरीर में पित्त बढ़ जाता है।

पित्त दोष (Pitta Dosha) वाले लोगों को पेट में एसिडिटी और कब्ज (Acidity and Constipation ) की समस्या बनी रहती है. पित्त दोष होने पर खाना अच्छी तरह से पाचन नहीं हो पाता है. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पित्त का संतुलन होना जरूरी है. ऐसे लोगों को खाने में ठंडी और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए

#एसिडिटी होने पर क्या करें उपाय?

- 1ग्राम मुलहठी को 1 लीटर पानी डालकर गर्म करके पिलाने से वमन होगी जिससे शीध्र ही आराम मिल जाता है।

- अम्लपित्त रोग में मृदु विरेचन  देना चाहिए। इसके लिये 

-त्रिफला का प्रयोग या 

- दूध के साथ गुलकंद का प्रयोग या

- दूध में मुनक्का उबालकर सेवन करना चाहिए। 

- मानसिक तनाव कम करने हेतु योग, आसन एवं औषध का प्रयोग करें। 

- अम्लपित्त रोगी को मिश्री, आँवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।

#आयुर्वेदिक औषधियां-

- अविपत्तिकर चूर्ण
- सुतशेखर रस 
- लधूसुतशेखर रस
- नारियल खण्ड

आयुर्वेदिक चमत्कारिक औषधि

- बडी हरड ,शहद या गुड 6-6 ग्राम खाने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
- सुखा घनिया ,सौठ 10 - 10 ग्राम ,400 ग्राम पानी मे पका कर 100 ग्राम शेष रहने पर  शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।


#एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?

*केला- कैल्शियम, फाइबर रिच केला गैस तेजाब से राहत पाने में काफी फायदेमंद होता है

*तरबूज खाने से भी अम्लपित्त मे शान्ति मिलती है।

*कीवी भी लाभदायक है।

*अंजीर,खीरा,स्ट्रॉबेरी खट्टे डकार जलन मे आराम देते है।

क्या न खायें?



परहेज़:-

- दिन मे सोना, रात मे जागना रोगों को बढाता है।

- आचार या बहुत ज्यादा नमक और सिरके वाली चीजें न खाये.

 - टमाटर का रस या चटनी खाना भी आपकी परेशानी बढ़ा सकता है.

 - मिर्च मसाले न खायें।

 - नशा, शराब आदि पीने से अम्लपित्त बढ जाता है।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

पेट में कीडे बन गये तो क्या करें उपाय?हिंदी में.

 पेट में कीडे बन गये तो क्या करें उपाय?हिंदी में.

#pet main kide bangaye  to kya kere?



#उदर- कृमि के 10 घरेलू उपाय.

* 10 home remedies for stomach worms.

#Treatment of worms:-

By:- DrVirenderMadhan.

Kidon ka ilaz.

1- बायविडंग 10 ग्राम

कमेला 10 ग्राम

ढाक के बीज 10 ग्राम इन सबको बारीक चूर्ण बना कर 

सबके भार से दोगुना पुराना गुड मिला कर 10 -10 ग्राम सवरे शाम गर्म पानी से 4-5 दिन खाने के बाद छठवें दिन गोदुग्ध मे कास्ट्रायल 20 -30 ग्राम डाल कर पिलायें।इससे दस्त होकर कीडे बाहर निकल जायेंगे।इसके बाद 2ग्राम बायविडंग चूर्ण 11 दिन तक शहद मे चटाने से फिर से कीडे नही होते है।

2- नीबूं के पत्तों का रस 10 ग्राम ,शहद 10 ग्राम मिलाकर 15-20 दिनों तक पीने से उदर के कीडे मर जाते है।

3- बडी हरड का छिलका 10 ग्राम सोते समय गर्म पानी से 3-4 दिन लेने से पेट के कीडे मर जाते है।

4- एरण्ड के पत्तों का 8-9 ग्राम रस पीने से पेट के कीडे मर जाते है। यह रस गुदा पर लगाने से चून्ने मर जाते है।

5- एक सप्ताह लगातार गाजर खाने से पेट के कीडे मर जाते है।



6- बच्चों को.5 मि०ली० नारियल तेल पीलाने से कीडे मर जाते है।

7- खट्टी दही मे नमक मिलाकर पीने से कृमि नष्ट हो जाते है।

8- प्याज का रस पीलाने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट हो जाते है।

9- खुरासानी अजवाइन एक प्रसिद्ध कृमिनाशक औषधि है।

10-नीम के पत्ते का रस शहद मे मिलाकर पीने से कीडे नष्ट हो जाते है।

नोट:- कोई भी औषधि प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें

धन्यवाद!

#गरु आयुर्वेद फरीदाबाद.

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

आयुर्वेदिक दवा से मोटापा कैसे दूर करें ?In hindi.

 मोटापा दूर कैसे करें?

#आयुर्वेदिक दवा से मोटापा कैसे दूर करें ?In hindi.

#Charbi kaise kam kere?



>> Obesity treatment|मोटापे का ईलाज|

#DrVirenerMadhan.

मोटापा-

शरीर में अत्यधिक वसा के कारण होने वाला विकार है जो स्वास्थ्य को खराब कर देता है.अनेक बीमारियों को जन्म देता है।

मोटापा- खर्च होने वाली कैलोरीज़ से ज़्यादा कैलोरीज़ लेने के कारण बढ़ता है.

#मोटापे के सामान्य लक्षण:-

-Motape ke samanya lakshan,

 - जोड़ या पीठ मे  दर्द होना.

 - वजन ज़्यादा होना, 

- खर्राटे आना, 

- तोंद का बढना,

- थकान रहना, या 

- बहुत ज़्यादा खाना मोटापे के  सामान्य लक्षण हो सकते है।



मोटापे के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं। :-

- सांस फूलना – 

बार-बार साँस फूलने की समस्या का होना मोटापे का लक्षण है जो कई कारणों से हो सकता है और कई रोगों का कारण बनता है।

- पसीना में वृद्धि – 

अचानक से बार-बार पसीना आना 

वजन बढना

- बिना कोशिश करे वजन बढना।

#मोटापे का आयुर्वेद मे कैसे उपचार कर सकते है?

- शारिरिक स्थूलता को दूर करने के लिए कुछ सावधानियां करनी पड़ती है जैसे-


#आहार में सावधानी:-

-पुराने चावल, मुंग, कुलथी, वनकोदों आदि अन्नो का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।

#कर्म-

बस्तिकर्म, चिन्ता ,व्यायाम, धुम्रपान , उपवास, रक्तमोक्षण,

कठोर स्थान पर सोना, तमोगुण का त्याग करना चाहिए।

* आहार विहार मे संयम रखें।

* पहला भोजन पचाने के बाद ही दोबारा भोजन करें 

बार बार थोडी थोड़ी देर में भोजन न करें।

- परिश्रम, मार्गगमन यानि पैदल खुब चले।

- मधु का सेवन करें, रात्रि जागरण करें।

- पतिदिन अन्नो का माण्ड बनाकर पीयें।

- वायविंडग, सौठ, जवाखार, कालेलोहे का मण्डुर ,और मधु का सेवन करें।

- आंवला और यवचूर्ण  मिलाकर कर खाने से मोटापा दूर होता है।

- चव्य,जीरा,त्रिकटु (सौठ, कालीमिर्च, पीपल),हिंग, कालानमक, चित्रक, इन सबके चूर्ण बना कर सत्तु मे मिला लें फिर इसे दही के पानी (दही नही) के साथ प्रयोग करने से चर्बी नष्ट हो जाती है।

#एक मोटापा नष्ट करने का महायोग:-

त्रिकटु(सौठ, कालीमिर्च, पीपल), सहजन की जड,त्रिफला, कटुकी, कटहरी, हल्दी, दारुहल्दी, पाठा, अतीस, शालवन, केतकी की जड, अजवाइन, चित्रक, कालानमक, कालाजीरी, हाऊबेर, इन सबका चूर्ण बना लें।

बाद मे

1भाग चूर्ण

1भाग धी

1भाग मधू

16 भाग यव का सतू (जौ का सतू) इसको किसी रुचि कर शीतल पेय के साथ पान करें

*इसके प्रयोग से 

प्रमेह,मूढवात, कुष्ठ, अर्श, कामला, पाण्डू रोग, प्लीहा सूजन, मूत्रकृच्छ,  अरोचकति,  हृदय सम्बंधित रोग, क्षयरोग, खाँसी , श्वास रोग, गलग्रह ,कृमि, ग्रहणी ,शैत्य यानि शीतका प्रकोप, मोटापा जैसे कठिन रोगों को शीध्र ही उन्मूलन कर देता है।

[यह योग “रावण संहिता” के “रोग चिकित्सा ज्ञान" से लिया है]

इस योग से क्षुधाग्नि , शक्ति, बुध्दि, तथा स्मरणशक्तिभी बढती है।

किसी भी चिकित्सा करनेसे पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें.

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

बुधवार, 12 अक्तूबर 2022

सफेद दाग को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?In hindi.

 #सफेद दाग को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?In hindi.

शरीर पर सफेद दाग हो जाये तो क्या करें?



By:-DrVirenderMadhan.

#श्वेत कुष्ठ|सफेद दाग|#फुलबहरी| (Leukoderma / #ल्यूकोडर्मा

#फुलबहरी (सफेद दाग)को जड से ठीक करने के लिए 1 घरेलू उपाय:-

- 125 ग्राम बाबची के बीज किसी कांच या चीनीमिट्टी के बर्तन मे डालकर गोमूत्र से डूबा कर 12 दिन तक रखें बीच बीच मे मूत्र बदलते रहे 13वें दिन निकाल कर पानी से धोकर छिलका उतार दें धूप में अच्छी तरह सुखा कर चूर्ण कर ले फिर उसमें शुद्ध गंधक मिला कर रखलें।

जरूरत होने पर रोगी को6-6 ग्राम चूर्ण मे दोगुना शहद मिला कर चाटायें 

दिन मे जब.पानी पीये तो गंगाजल डालकर पीयें।

इस योग से शीतपित्त भी ठीक हो जाती है।



क्या करें सावधानी:-

- तांबे के बर्तन म पानी रख कर पीऐ.

- दागो पर नारियल का तेल लगाएं.

- बाबची के बीच का गोमूत्र मे लेप बना कर लगायें।

-छाछ मे नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर दागों पर लेप करें।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान

गुरु आयुर्वेद फरिदाबाद.

सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

अगर जुकाम-नजला है तो कैसे करें उपचार. हिंदी में.

 अगर जुकाम-नजला है तो कैसे करें उपचार. हिंदी में.

प्रतिश्याय|जुकाम।सरदी|पीनस रोग।Rhinitis|जुकाम



By:- DrVirenderMadhan.

#जुकाम का रोग परिचय, कारण, एवं लक्षण:-

बहती हुई नाक तथा आंखों में खुजली होना हवा में उपस्थित दूषित कण एलर्जी का कारण बनते है जो सांस के द्वारा अन्दर खीच जाते है।शरीर में प्रतिरोधक शक्ति के कारण रोगी को बार बार छिकें आती है।

प्रतिश्याय दो प्रकार से होता है

1- सद्दोजनक ( जिसमे तुरंत रोग उत्पन्न होता है)

2- संचयक्रम से उत्पन्न होकर, जिससे दोष संचय होकर कुपित होता है.

अन्य या सहायक कारण:-

मल,मूत्रादि का वेग रोकना ,अजीर्ण, नाक मे धूल जाना, बहुत अधिक बोलना, अतिक्रोध करना, ऋतु परिवर्तन, रात्रि जागरण व दिन में सोना के कारण, अत्यधिक जल पीना,सर्दी लगने के कारण, ओस मे रहने से, अत्यधिक रोने से, शोक करनेसे जुकाम शुरू हो जाता है।

प्रतिश्याय के लक्षण:-

* छिकें आना.

* सिर मे बोझा होना.

* अंग जकडन

* रोंगटे खड़े होना.

* नाक मे धूवाँ सा भरना.

*नाक मुंह से स्राव होना.

प्रतिश्याय 18 प्रकार का होता है.

1. वातज प्रतिश्याय

2. पित्तज प्रतिश्याय

3. कफज प्रतिश्याय

4. सन्निपातज प्रतिश्याय

5. रक्तज प्रतिश्याय

6. पीनस या दूष्ट प्रतिश्याय

7. पतिनाश प्रतिश्याय

8. नाशार्श प्रतिश्याय

9.भ्रंशथु प्रतिश्याय

10. क्षवथु प्रतिश्याय

11. नासानाह प्रतिश्याय

12. पूतिरक्त प्रतिश्याय

13. अर्बुद प्रतिश्याय

14. दूष्ट पीनस प्रतिश्याय

15.नाशाशोथ प्रतिश्याय

16. घ्राण पाक प्रतिश्याय

17. पूयस्राव प्रतिश्याय

18. दिप्तक प्रतिश्याय

जुकाम (प्रतिश्याय) के लिये 20 घरेलू अनुभूत प्रयोग:-

- गरम दूध में 10-12 कालीमिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से सिर का भारीपन,कफ व जुकाम से आराम हो जाता है।

- वायविंडग, सैंधानमक, हींग, गुग्गुल, मैनसिल, और वच बारीक पीसकर छान लें। इस चूर्ण को सुंघाने से प्रतिश्याय नष्ट हो जाता है।

- अदरक रस व शहद 6-6 ग्राम मिलाकर चाटने से जुकाम दूर हो जाता है।

- बडी हरड का छिलके का बारीक चूर्ण 6 ग्राम बराबर शहद मे मिलाकर चाटने से प्रतिश्याय ठीक हो जाता है।

- बन्फशा का शर्बत 25 ml मात्रा में सेवन करने से गरमी का नजला ,जुकाम ठीक हो जाता है।

-  सतू मे घी तैल मिलाकर आग मे डालकर रोगी को धुंवा देने से  हिचकी, प्रतिश्याय, खाँसी ठीक होती है

- इमली के पत्तों का काढा बनाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- काले जीरे के सुंघने से जुकाम मे आराम मिल जाता है।

-दशमुल का काढा जुकाम के लिये बहुत लाभदायक है।

- गुड मे अदरक मिलाकर खाने से प्रतिश्याय ठीक हो जाता है।

- जुकाम अन्दर ही सुख जाने पर मिश्री युक्त दूध पीयें साथ मे वच का चूर्ण सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- अनार के फूलों का रस अथवा

दूब का रस अथवा गुलाब जल सूंधने से जुकाम के साथ नाक से रक्त आना भी बन्द हो जाता है।

- कालीमिर्च, मुन्नका, मिश्री, और मुलहठी बराबर मात्रा में लेकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें.2-2 गोली सवेरे शाम खाने से सब प्रकार की जुकाम, खाँसी ठीक हो जाती है।

-रूमाल मे कपूर रखकर सूंधने से राहत मिल जाती है।

- सौठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बनाकर चौगुणा गुड मिलालें 500 mg.की गोली बना ले. सवेरे शाम खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।

-कालीमिर्च, हल्दी, कालानमक आधा आधा चम्मच 250 ग्राम पानी मे डालकर उबालें जब 125 ग्राम रह जाय तो गुणगुणा रोगी को पीलायें तो सर्दी, जुकाम ठीक हो जाता है।

- सुखी तुलसी के पत्तों का काढा नाक मे कुछ बूंदें टपकाने से नजला जुकाम ठीक होता है।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र_मढान.

शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

खाँसी की 20 चमत्कारिक घरेलू व आयुर्वेदिक औषधियाँ,हिंदी में।

 खाँसी की 20 चमत्कारिक घरेलू व आयुर्वेदिक औषधियाँ,हिंदी में।



#डा०वीरेंद्र मढान.

#खाँसी, कास के 20 उपाय:-

1.बाँसे के हरे पत्तों का रस 10 ग्राम,शहद 10 ग्राम दोनों को मिलाकर थोड़ा थोड़ा चाटने से खाँसी नष्ट हो जाती है।

2. बहेडे के छिलके, पीपल छोटी - दोनों बराबर बराबर लेकर बारीक चूर्ण बना लें. 1-1 ग्राम लेकर शहद मे मिला कर रोगी को चटायें। यह खाँसी की अद्भुत दवा है।

3. केवल बहेडे के छिलक को चूसने से खाँसी ठीक हो जाती है।

4. 10 ग्राम गुड मे 20 ग्राम घी मिलाकर खाने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।

5. सरसौ के 10 ग्राम तैल मे 10 ग्राम गुड मिलाकर 21 दिन खिलाने से खाँसी और हर प्रकार का दमा दूर हो जाता है।

6.गर्म दूध 400 ग्राम गरमागरम जलेबी खाने से सुखी खाँसी जड से ठीक हो जाती है।

7. गुदा पर दिन में3-4 बार सरसों का तैल लगाने से खाँसी ठीक हो जाती है।

8. 250 ग्राम पानी में 10 ग्राम गेहूं डालकर उबालें 80 ग्राम रहने पर छानकर 1ग्राम नमक मिलाकर पीने से हर प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

9. शहद 10 ग्राम सौठ 2 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर सवेरे शाम चटने से बलगम वाली खाँसी ठीक हो जाती है।

10. कालीमिर्च चूर्ण 50 ग्राम मे 200 ग्राम गुड कूटपीसकर मिलाकर आधा आधा ग्राम की गोली बना लें 1-1 गोली दिन में3-4 बार चूसने से हर प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

11. मदार के 3-4 सूखे पत्ते जलाकर राख कर लें रात को 1गिलास पानी मे धोलकर रख दें सवेरे छानकर 30-40 मि०ली० पीने से खाँसी ठीक हो जाती है यह अचूक और चमत्कारिक औषधि है।

12. छोटी पीपल 1ग्राम शहद 6ग्राम मे मिलाकर रात्रि में चाटकर सो जाये खाँसी ठीक हो जाती है।

13. पीपल शहद सवेरे शाम चाटने से बलगमी खाँसी ठीक हो जाती है।

14. लिसौडे दाने 14 जौ कूटकर 250 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें सवेरे उबाल ले जब एक चौथाई रहे कुछ ठंडा करके गुनगुना पिला दें वात,पित से उत्पन्न जुकाम व सुखी खाँसी शर्तिया ठीक होती है। यह खाँसी की अद्वितीय औषधि है।

15. काकडासींगी के चूर्ण की पानी से चने के बराबर गोली बना ले 1-1 गोली सवेरे शाम सेवन करने से सब प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।यह परिक्षित प्रयोग है।

16. बनफशा, ईसबगोल, लिहसौडिया,उन्नाव, बीहिदाना- प्रत्येक 5-5 ग्राम वंशलोचन, दालचीनी 30-30 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें 2-3 बार 1-1 ग्राम मुख मे रखकर चूसने से खाँसी नष्ट हो जाती है यह रामबाण औषधि है।

17. पान के पत्ते मे 1 ग्राम अजवाइन रखकर चबायें रस पी ले । सूखी खाँसी की यह अत्यंत लाभकारी है।

18.पिसी हुई हल्दी 3-3 ग्राम दिन मे 2-3 बार पानी से खाने से पुरानी से पुरानी खाँसी थोड़े ही दिनों मे ठीक हो जाती है।19. मुलहठी 40 ग्राम , कीकर का गोंद 40 ग्राम छोटी पीपल 10 ग्राम  सबको पीसकर शीशी में भरकर रख लें। फिर 1-2 ग्राम मुख में रखकर चूसे ।

फिर इसका चमत्कार देखें सब प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

20. मुन्नका के बीज निकाल कर 3 कालीमिर्च रख कर चबा कर सो जाये 6-7 दिनों मे खाँसी ठीक हो जाती है।

धन्यवाद!

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.

 दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.



#दुद्धी सामान्य घास नही दिव्य औषधि है।

दुग्धिका(Euphorbiaceae)Asthma-plant.

By:-DrVirenderMadhan.

>> दुग्धिका के अन्य नाम - 

नागार्जुनी,स्वादुपर्णी,विक्षीरिणी,दुद्धी ,केरई,दोहक, हजार दाना,

यह बहुशाखायुक्त रोमश क्षुप भुमि पर प्रसरणशील होता है इसकी पत्तियां तोडने से दूध निकलता है।पुष्प - फल वर्षा ऋतु में आते है.

#दुद्धी सामान्य धास नही है।

यह बहुत फायदेमंद घास होती है। इसका भी उपयोग उपचार और औषधि के रूप में किया जाता है। यह स्वाद में कड़वी होती है। दस्त, मुंहासे, दमा, शुगर, खुजली, गंजापन आदि जैसी बीमारियों में दूधी घास का इस्तेमाल किया जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार दुग्धिका के गुण:-

गुण- गुरु, रुक्ष, तीक्ष्ण

रस(स्वाद)- कटू, तिक्त, मधुर

विपाक- कटू

वीर्य(तासीर) - उष्ण

#दुद्धी का शरीर के संस्थानों पर कर्म :-

>> दोषकर्म :-(दोष वात,पित्त,कफ पर):-

यह कफ वात शामक है।

इस लिए इसका प्रयोग कफवात विकारों मे किया जाता है।

>> संस्थानिक कर्म बाह्य (External )--

यह जन्तुध्न, विषध्न और कुष्ठध्न है।

इसलिए इसका प्रयोग चर्मरोग मे लेप करने मे करते है।


>> आभ्यंतर(Internal)- पाचन संस्थान Digestive system:-

यह अनुलोमन, भेदन, कृमिनाशक है.

इसका प्रयोग उदर रोग, विबन्ध(Constipation), कृमि (Worms) मे करते है.

- अतिसार(Diarrhea)-

10 ग्राम दूधी को सुबह-शाम जल के साथ पीसकर पीने से अतिसार में लाभ होता है। कुछ दिनों तक सेवन करने से आंतों को बल मिलता है। अतिसार-दुग्धिका पञ्चाङ्ग का कल्क बनाकर, उसमें शर्करा मिलाकर प्रयोग करने से अतिसार में लाभ होता है। जलोदर (Ascites)-दूधी के पञ्चाङ्ग का अर्क, जलोदर के रोगी को पानी की जगह पिलाया जाय तो बहुत लाभ होता है।

- इसकी सूखी पत्तियों और बीजों को बच्चों को आंत की शिकायतों और कृमि से राहत के लिए दिया जाता है। मिश्री के साथ इस पौधे का रस शरीर को शीतलन प्रभाव देता है और शुक्रपात को भी ठीक करता है।

>> रक्तवह संस्थान Blood Circulatory System:-

यह उत्तेजक और रक्तशोधक है इसलिए हृदयदौर्बल्य, ,उपदंश, फिरंग आदि रक्तविकार के रोगों में इसका प्रयोग करते है।



>> श्वसन संस्थान Respiratory System :-

यह कफनिसारक और श्वास हर होता है इसीलिए यह कास और श्वास मे बहुत उपयोगी है. इसको पीस कर पानी में घोलकर पीने से श्वास मे मे आराम हो जाता है.

-नाक से खून निकलने पर दूधिया के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करें.

>> मूत्रवहसंस्थान urinary system:-

यह मुत्रल है इसका प्रयोग मूत्रकच्छ, और पूयमेह मे लाभप्रद रहता है।

>> प्रजननसंस्थान - 

यह वृष्य और आर्तवजनन है।शुक्र मेह और रजोवरोध मे प्रयोग करने से रोगी ठीक होता है.यह बांझपन, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों को भी दूर करती है.

>> त्वचा Skin :-

 यह कुष्ठध्न है विषध्न भी है।इसका प्रयोग त्वचा रोगों में लेप करने के लिए करते है.

प्रयोज्य अंग-Part for use:- 

पंचांग का प्रयोग करते है.

मात्रा :-

कल्क (पेस्ट)10 - 20 ग्राम

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

पीठ में दर्द हो तो क्या करें पीठ दर्द का पक्का इलाज ?in Hindi.

 पीठ में दर्द हो तो क्या करें पीठ दर्द का पक्का इलाज ?in Hindi.



#पीठ दर्द का पक्का इलाज?

डा०वीरेंद्र मढान

कमर व पीठ का दर्द

Waist and backache

कमर व पीठ का दर्द आज के समय में एक सामान्य सी बात हो गयी है|   

आजकल Lifestyle की वजह से आज कल युवाओं में भी कमर दर्द काफी  देखने को मिलता हैं|


कमर के दर्द,गर्दन, कुल्हे, पाँव को भी प्रभावित करता है| 

यह दर्द कुल्हे और पैरों में भी जा सकता है| इस स्थिति में रोगी को लेटने, बैठने में भी परेशानी होने लगती है| कुछ लोगों को गर्दन में भी दर्द होने लगता है अर्थात रीढ़ की हड्डी से जुड़े सभी अंगों में दर्द होने लगता है|

#कमर दर्द होने पर क्या करें?

- पेन किलर का सेवन ना करें.

 पेन किलर के बहुत अधिक नुकसान होते हैं जैसे किडनी फेल, कोमा में जाना, लीवर में समस्या आदि| 

#क्यों उठता है कमर में दर्द

Why arises in waist?

 *मुख्य कारण 

1. आयु:- उम्र बढ़ना 

बढती उम्र में हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं.

2. ज्यादा वजन उठाना

3. कुआसन

गलत तरीके से  बैठना या लेटना.

4.  झुककर काम करते रहना.

5.  नरम गद्दों पर सोना या पडे रहना.

6.  चोट लगना.

7. कुर्सी पर लगातार बैठना रहना.

घरेलू उपाय

- गेहूं की रोटी और तिल का तेल

एक रोटी केवल एक ही तरफ से सकें और दूसरी तरफ से उसे कच्चा छोड़ दें| अब रात को सोते समय रोटी के कच्चे वाले हिस्से पर तिल का तेल लगायें और इस रोटी को अपनी कमर पर दर्द वाले हिस्से पर बांध लें और सो जाएँ| सवरे खोल दें. ऐसा करने से कुछ दिनों में दर्द गायब हो जायेगा.


- सरसों का तेल और लहसुन

दोनों से एक लेप(तैल)तैयार कर लें. इसके लिए आप आधा कटोरी सरसों के तेल 40 ग्राम,लहसुन की कलियाँ छीलकर डाल लें| अब इसमें एक से दो चम्मच अजवायन मिला लें|

हल्की आंच पर गर्म करें| तब तक इसको गर्म करें जब तक लहसुन और आजवायन काले ना पड़ जाएँ| अब इसे ठंडा होने पर प्रयोग में लाये.

- गर्म पानी की भाप लें

 कमर में दर्द उठे तो किसी बड़े बर्तन में पानी गर्म कर लें| अब एक नर्म और सुखा तौलिया लेकर गर्म पानी में डालें और उसे निचोड़ लें|प्रभावित अंग पर सेक करें.

- एलोवेरा के लड्डू बनाकर खाएं

 एलोवेरा जेल निकाल कर 4गुणा आटा मिला दें. इसको आप गाय के शुद्ध देसी घी में भून लीजिये और इसमें थोड़ी खांड मिला लीजिये| अब आपको इसके छोटे छोटे लड्डू बनाने हैं| 

रोजाना सुबह उठकर एक लड्डू का सेवन करें| एक महीने तक रोजाना सुबह खाली पेट इस लड्डू को खाने से पुराने से पुराना दर्द भी ठीक हो जाता है| यह नुस्खा एक चमत्कारी है.

एरण्ड, आक और धतूरे के पत्ते

- एरण्ड, आक और धतूरे के पत्ते 250-250 ग्राम पत्ते तीनों के ले लें| साफ करके पत्तों को कुटपीस कर रस निकाल कर रखले|इसे एक लीटर तिल में इन पत्तों के रस को पका लें| धीमी आंच पर इस मिश्रण को पकने दें| जब यह ठंडा हो जाए तो आप इसे किसी शीशी में भरकर भी रख लें

दर्द वाले हिस्से की मालिश  करने के बाद दर्द वाले हिस्से को किसी सूती कपडे से ढक लें| इस प्रकार आपको रोजाना इस तेल से मालिश करनी है| 


- काली मिर्च, लौंग और सूखी अदरक(सौठ)

 5 काली मिर्च लें और 5 ही लौंग ले लें| एक चौथाई चम्मच सौठ ले.इन्हें एक गिलास पानी में उबालें जब पानी आधा रहे.

इसमें से 30-30ml दिन में दो तीन बार लेने से दर्द में आराम मिलता है।

धन्यवाद!

शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

क्या और कैसे करें अगर आपका ब्लडप्रेशर कम रहता है?हिंदी में.

 क्या और कैसे करें अगर आपका ब्लडप्रेशर कम रहता है?हिंदी में.

What and how to do if your blood pressure remains low? In Hindi.



#लो ब्लडप्रेशर|Hypotension

#DrVirenderMadhan.


Low blood pressure रोग,

रक्तभार कम होना| क्षीण व्याना कुंचन बल|Hypotension|बी०पी०कम होना आदि नामों से जाना जाता है।

यदि किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 90/60 से भी कम हो जाता है तो ऐसी स्थिति को निम्न रक्त चाप या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं. मेडिकल की भाषा में इसे हाइपोटेंशन कहा जाता है. सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों में से कोई भी यदि अपने न्यूनतम स्तर से नीचे जाते हैं तो उसे लो ब्लड प्रेशर माना जाता है.


#Hypotension|रक्तभार कम होने के कारण?

- Medicine:-

ऐलोपैथिक की कई दवाई B.P. को कम कर देती है।

- संक्रमण Infection :-

कुछ रोगों के लम्बे समय तक चलने से बी पी कम हो जाता है जैसे टायफाइड मे।

- हृदय रोग के कारण :-

जैसे हार्टअटैक के समय,

-रक्तस्राव के कारण:-

 जैसे रक्तप्रदर ,बवासीर, पेपटिक अल्सर आदि रोगों में होता है।

- कुपोषण के कारण:-

कमजोरी, रक्ताल्पता, पानी की कमी मे,प्रोटीन न मिलने पर बी पी कम हो जाता है।

-अत्यधिक चिंता:-

अत्यधिक चिंता करने पर या गर्भावस्था में बी०पी०कम हो जाता है।

#बी०पी०कम होने के लक्षण क्या है?

-सिरदर्द होना।

-चक्कर आना,आंखों के आगे अंधकार का होना।

-थोड़े परिश्रम से थकान होना और सांस फुल जाना।

#कुछ अन्य कारण :-

- अधिक देर तक खडा रहने के काम के कारण,

- रक्तनलिकाओ के फुल जाने के कारण, 

-- लू लग जाने से,

- किडनी के रोग के कारण

- बहुत अधिक परिश्रम व चिन्ता से

- रोगी चुपचाप पडा रहता है

- मांसपेशियों में एंठन बनी रहती है।


#आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियाँ:-

-बादाम पाक

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-मकरध्वज वटी

1-1 गो सवेरे साय दूध से

-नवजीवन रस

1-1 गो सवेरे साय दूध से

-द्राक्षावलेह

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

- द्राक्षासव

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

-ब्रह्मरसायन

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-अश्वगंधा चूर्ण

1-1 चम्मच शहद मिलाकर सवेरे शाम दूध से

-अश्वगंधारिष्ट

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

- च्वनप्राश

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-लोहासव

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

#पेटेंट आयुर्वेदिक औषधि :-

* ग्रोविटा सीरप:-

१-२ चम्मच सवेरे शाम ले।

* गुरु पुष्टि कैपशूल

1-2 सवेरे शाम दूध से.



# घरेलू अनुभूत योग:-

- देशी चना 50 ग्राम 40 किशमिश एक कटोरी पानी मे भिगोकर रख दें सवेरे


-चना,किशमिश खाले उपर से शेष पानी भी पी लें।

- 5-7 बादाम को पानी में भिगोकर रख दें सवेरे निकाल कर दूध के साथ खायें।

- सुखे आवलों का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर कर रख लें रोज 1-1 चम्मच सवेरे शाम पानी से ले।

- आंवलों की रस मे शहद मिलाकर 1-1चम्मच रोज खाये.

- मौनव्रत करके कुछ देर लेटे रहने से बी०पी० ठीक हो जाता है।

- अच्छा हिंग मूंग के दाने बराबर 1गिलास छाछ मे मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

#क्याकरे क्या न करें?

परहेज़:-

रोगी को प्रोटीन युक्त भोजन दे जैसे-दूध,अण्डे, पनीर, मक्खन सुरजमूखी के बीज,आदि 

धन्यवाद

#डा०वीरेंद्र मढान,