Guru Ayurveda

बुधवार, 31 अगस्त 2022

टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.

 टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.



Dr.VirenderMadhan.

 देश में अभी कोविड महामारी अभी थमी नहीं कि टोमैटो फ्लू [Tomato Flu] नाम की एक नई बीमारी और आ गई है. इस फ्लू का असर सबसे ज्यादा बच्चों में देखने को मिल रहा है. केरल के बच्चों में यह संक्रमण ज्यादा फैल रहा है.

 स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि Tomato flu के मामले ज्यादा बढ़ सकते हैं. 

#टोमैटो फ्लू क्या है?

क्या है टोमैटो फ्लू?

टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) एक अनजान फीवर (Fever) है. यह केरल में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पाया गया है. 

* फ्लू से संक्रमित बच्चों के शरीर पर चकत्ते और छाले आ रहे हैं. देखने में लाल-लाल दाने जैसे फोड़े शरीर पर निकल रहे हैं. यही वजह है कि इसे टोमैटो फीवर कहा जा रहा है. 

#क्या है टोमैटो फ्लू Tomato Flu के लक्षण?



*  टोमैटो फ्लू से संक्रमित लोगों को पहले 

- बुखार होता है 

- त्वचा पर दाने पड़ने लगते हैं. 

- खुजली होने लगती है. 



- डिहाइड्रेशन हो जाता है   

- रोगी को थकान, घुटने में दर्द, - पेट में दर्द, डायरिया होती है

- सर्दी,कफ व श्वास की परेशानियां भी बताई हैं. 

- कुछ मरीजों में नाक बहने के भी लक्षण देखे गए हैं. 

- मरीज तेज बुखार की समस्या से जूझता है।


क्या है टोमैटो फीवर का इलाज?

इसका अभी कोई सटीक ईलाज नही है।

#टोमैटो फ्लू है तो रोगी क्या करें?

 टोमैटो फ्लू से सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. ऐस मे संक्रमित बच्चे को दूसरे बच्चों से दूर रखें

 - पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बचा किसी छाले को न खुरचे।

- बच्चे साफ कपड़े पहनें और संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाए. कमरों को हर बार सैनिटाइज कर दिया जाए. 

- टोमौटो फ्लू की चपेट में आ रहे हैं वे डिहाइड्रेशन का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.  

-रोगी को लिक्विड डाईट दें.

- नारियल पानी पीलायें।

-किवी दें।

-जैसे ही टोमैटो फ्लू के लक्षण सामने आएं तत्काल अपने डॉक्टर को दिखाएं.

धन्यवाद!

आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

 आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

Myrobalan |हरीतकी|हरड ।



#किस समय अधिक रसायन गुण करती है?

#हरड कैसे और कब खायें?

#हरड क्या है?

Dr.VirenderMadhan.

हरड़, जिसे हरीतकी भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। 

टर्मिनलिया चेबुला, जिसे आमतौर पर ब्लैक- या चेबुलिक मायरोबलन के रूप में जाना जाता है, टर्मिनलिया की एक प्रजाति है, जो भारत और नेपाल से दक्षिण-पश्चिम चीन और दक्षिण में श्रीलंका, मलेशिया और वियतनाम से दक्षिण एशिया की मूल निवासी है।

#किस समय खाने से अधिक रसायन गुण करती है?

हरड यानि हरीतकी मे प्रमुख मात्रा रसायन गुण है।अतः हरीतिकी को आयुर्वेद में अलग अलग ऋतुओं मे अलग अलग अनुपान के साथ लेने से रसायन गुण मिलते है बताया है।

जैसे :- 

1- बर्षो ऋतु में हरीतिकी चूर्ण 3-5 ग्राम तक इच्छा अनुसार सैंधानमक मिलाकर सेवन करें।

2- शरद ऋतु में मिश्री चूर्ण के साथ ले

3- हेमन्त ऋतु में सौंठ के साथ लें।

4- शिशिर ऋतु में पिप्पली चूर्ण के साथ मे सेवन करें।

5- बसंत ऋतु में मधू के साथ तथा 

6- ग्रीष्म ऋतु में गुड के हरितकी रसायन का सेवन करें।

तब हरड अधिक रसायन का गुण देती है।

इस प्रकार ऋतु अनुसार हरीतिकी का प्रयोग करने का विधान हमारे आयुर्वेद के शास्त्रों मे मिलता है।

धन्यवाद!

रविवार, 28 अगस्त 2022

काली मिर्च के फायदे और 11 घरेलू उपाय / Black Pepper Benefitsin hindi.


 #11घरेलू नुस्खे #healthtips #आयुर्वेद #जडीबुटी

काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits.in hindi. 

By:-Dr.VirenderMadhan. 

#काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits 

 काली मिर्च क्या है? 

काली मिर्च (Black Pepper) की लता होती है। इस पर गुच्छों में फल लगते है। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के होते है और पकने पर लाल रंग के होते है और सूखने पर काले रंग के हो जाते है। 

#आयुर्वेद के अनुसार कालीमिर्च के गुण:-

 काली मिर्च #Black Pepper:-अग्निदीपक, कफ तथा वायु को शमन करनेवाली, उष्णवीर्य, पित्तकारक तथा श्वास, शूल और कृमिनाशक है। यह रुके हुए कफ को निकालने वाली,हृदयरोग, प्रमेह और बवासीर का नाश करनेवाली है। 

काली मिर्च  को मात्रापूर्वक सेवन करने से ह्रदय, वृक्क (Kidney), मूत्रपथ तथा आंतों की श्लेष्मधराकला (चिकनी त्वचा) को उत्तेजना मिलती है। 

अतिमात्रा में सेवन करने पर पेट दर्द, उल्टी, मूत्राशय व मूत्रस्त्रोतों में उत्तेजना पैदा करती है। 

  #हानिनिवारक द्रव्य :- 

घी,शहद का प्रयोग करते है। 

#मिर्च के अभाव मे:- 

पीपल प्रयोग करें। 

काली मिर्च के उपयोग:-

 - काली मिर्च (Kali Mirch) का आयुर्वेदिक दवाओं में बहुत उपयोग होता है। यह आमाशय (Stomach) को उत्तेजना देनेवाली, रुके हुए मल को तोड़नेवाली और कफ को बहानेवाली है। 

यह कफ को पतला करती है और पेट में कृमि नहीं होने देती। 

- काली मिर्च (Kali Mirch) भूख लगाती है और अन्न को पचाती है। काली मिर्च  तीक्ष्ण होने से लाला रस का स्त्राव बढ़ाती है इस लिये यह रुचिकारक है। रुक्ष होने के कारण यह अत्यंत कफहर (कफनाशक) गुण रखती है। 

 #आयुर्वेदीक औषधियों में काली मिर्च को मिलाने के कारण:   

काली मिर्च के आयुर्वेदिक योग और गुण:- 

[त्रिकटु] 

यह अग्निदीपक और अन्न को पाचन करने के लिये सुप्रसिद्ध योग ‘त्रिकटु’ (सोंठ, काली मिर्च  और पीपर) का यह एक भाग है। यह अग्नि दीप्त करता है।श्वास, कास, त्वचा के रोग, गुल्म, प्रमेह, कफ,स्थूलता, मेद, श्लीपद और पीनसरोग इन सब को नष्ट करता है। 

[चतुरूषण] 

सौठ,मिर्च, पीपल मे पीपलामूल मिलने से चतुरूषण बनता है।इसके गुण त्रिकटु से अधिक हो जाते है।

 [मरीचादि वटी]


 - यह कफ नाशक (कफ को पतला कर बहाने के लिये) खांसी को कम करने के लिये (प्रसिद्ध औषधि मरीचादि वटी में काली मिर्च  का योग है, काली मिर्च  फुफ्फुस आदि में  -उत्पन्न कफ को बाहर निकालकर खांसी को कम करनेवाली औषधियों में से एक है)

 [विडंगारिष्ट] 


कालीमिर्च वातनाशक, पेट की गैस को नाश करने के लिये कृमिनाशक (विडंगारिष्ट)   है।

काली मिर्च की मात्रा:- 


अधिक से अधिक 0.97 ग्राम। 
क्वाथ:-10ml से 20ml 

 #काली मिर्च के 11 घरेलू नुस्खे:-


 1 - खाये हुए घी को पचाने के लिये – 
काली मिर्च  का चूर्ण सेवन करना चाहिये। 
2- खांसी पर – 
काली मिर्च  के चूर्ण को घी, शहद और मिश्री के साथ चाटने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।  
3- प्रवाहिका में – 
काली मिर्च  का बारीक चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से प्रवाहिका नष्ट होती है। 4- 20 काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाकर प्रातःकाल गरम पानी से धोने से कील, मुँहासे, झुर्रीया साफ होकर चेहरा चमकने लगता है।
 5- ज्वर (बुखार) उतारने के लिये
 – काली मिर्च  का चूर्ण गर्म जल के साथ देने से या काली मिर्च  का क्वाथ या मरिच (काली मिर्च ) तुलसी पत्र का क्वाथ देने से पसीना आकार विषम ज्वर उतार जाता है। 6- काली मिर्च, सैंधा नमक, जीरा, सोंठ, सभी समभाग लेकर चूर्ण बनाकर मधु में मिलाकर 3 से 6 माशा तक दिन भर में 2-3 बार चाटने से संग्रहणी, बवासीर, गुल्म (पेट की गांठ) इत्यादि समस्त रोग नष्ट हो जाते है। 

7- गरम दूध में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर अथवा काली मिर्च मिलाई हुई गरम चाय पीने से नया जुकाम ठीक हो जाता है। 
8-सब प्रकार की पीनस (जुकाम सड़कर नाक में कीड़े पड़ना) में – 
काली मिर्च और गुड को दही के साथ खाना चाहिये इससे पीनस में शांति होती है। 

9- 30 ग्राम मक्खन से 8 काली मिर्च और शक्कर मिलाकर नित्य प्रति चाटने से स्मरणशक्ति बढ़ जाती है। मस्तिष्क में तरावट आती है तथा कमजोरी भी दूर होती है। 

10- काली मिर्च 5-7 दानें, अजवायन 2 माशा, तुलसी 1 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) को पीसकर 10 तोला जल में क्वाथ बनाकर 5 तोला जल शेष रह जाने पर छानकर सुबह-शाम पीने से मलेरिया बुखार नष्ट हो जाता है। 

11- दो ग्राम पिसी हुई काली मिर्च को फांककर ऊपर से नीबू का रस मिले गरम जल को पानी से सायंकाल और रात को 10-12 दिन तक निरंतर पीये। पेट में गैस बनने का रोग नष्ट हो जाता है।
धन्यवाद!

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.

 कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.


By:-DrVirenderMadhan.

[कब्ज|Constipation]

कब्ज का-मलग्रह, मलावरोध, मलस्तंभ, मलबंधन, मलनिग्रह, मलसंग, बद्धकोष्ठ ,आदि नामों से आयुर्वेद में वर्णन मिलता है।

#क्या है?मलावरोध|Constipation?

जब व्यक्ति को आसानी से मलत्याग न हो, व्यक्ति एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग करता है या उसे मल त्याग करने में कठिनाई होती है।

 #कब्ज के लक्षण क्या हैं?

एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग।

- मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक।

- सूखा, सख्त और या ढेलेदार मल।

- सूजन और मतली।

- पेट दर्द या ऐंठन।

एक मोशन के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ।

कब्ज के कारण

#प्रमुख कारण

सामान्य कारणों में

कब्ज के ऐसे कारण हो सकते हैं जो शरीर की बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:- निर्जलीकरण, आहार फाइबर की कमी, शारीरिक निष्क्रियता या दवा के दुष्प्रभाव शामिल हैं।

- कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना .

- भोजन में फाईबर (Fibers) का अभाव।

- अल्पभोजन ग्रहण करना।

- शरीर में पानी का कम होना

- कम चलना या काम करना।

-किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना.

- आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।

- कुछ खास दवाओं का सेवन करना

- बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण 

* कुछ शरीर के रोग भी कब्ज का कारण बनते है.बीमारियां, जैसे स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और डायबिटीज।

आंतों की रुकावट, आईबीएस, या डायवर्टीकुलोसिस सहित बृहदान्त्र या मलाशय की समस्याएं

- जुलाब का ज्यादा प्रयोग या दुरुपयोग

- हार्मोनल समस्याएं, जैसे थायरॉयड ग्रंथि का कम काम करना.

#कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।

1- त्रिफलादि योग:-

त्रिफला, कालीहरड,सनाय,गुलाब के फूल, मुन्नका, बादाम की गिरी, बनफ्शा,

सभी द्रव्य 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।

रात को सोते समय एक चम्मच(6 ग्राम ) गर्म दूध के साथ ले ले. सवेरे पेट साफ हो जायेगा।  

2- मुन्नका:-

मुन्नका को दूध में उबालकर खायें और ऊपर से दूध पीले।रोज इसका प्रयोग करने से पेट भी साफ रहता है।

3- त्रिफले का दूसरा योग:-

 त्रिफला- 50 ग्राम,

 बादाम -50 ग्राम,

 सौफ -50 ग्राम,

 सौठ -10 ग्राम,

मिश्री - 30 ग्राम,

सबका महीन चूर्ण बनाकर रखलें। 

रात्रि में सोते समय दवा की 6 ग्राम मात्रा मे दूध के साथ लें।

कब्ज दूर करने की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है यह न तो को खुश्क करती है और न ही कमजोरी लाती है।

यह योग कब्ज को दूर कर दिमाग को शक्ति प्रदान करता है।

4- सनाय की गोली:-

सनाय के पत्ते - 20 ग्राम,

मुन्नका - 30 ग्राम,

पहले सनाय का बारीक चूर्ण बना ले फिर मुन्नका को चूर्ण के साथ धोटकर गोली बनाने लायक  करलें छोटे बेर जैसी गोली बना ले.

रात मे 1 से 2 गोली दूध या पानी से ले ले। सवेरे पेट साफ हो जायेगा।

5 - काबूली हरड:-

काबूली हरड को  आधा कप पानी मे भिगो दे प्रातः हरड को थोडा घीसकर (एक हरड 4-5 दिन चलती है) उसी पानी मे धोल ले थोड़ा सा नमक मिला कर पीलें।

एक मास मे वर्षों पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।

6 - कास्ट्रोल ओयल:-

20 से 31 Ml कास्ट्रोल ओयल मिश्री मिला गर्म दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।


[अधिक जानकारी के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर लें।]

धन्यवाद!

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.


 गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.

#Gurde ke derd ka chamatkarik illaj.in hindi.

गुर्दे का दर्द.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 गुर्दे, पीठ में निचली पसलियों के नीचे स्थित अंगों में शारीरिक परेशानी होना या दर्द होना।सामान्य कारणों में गुर्दे में दर्द के कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जो बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:-

- मूत्र को बहुत देर तक रोके रखना, 

- आघात या पेशी-कंकालीय पीठ दर्द जो वास्तव में गुर्दे से नहीं आ रहा है।

#किडनी का दर्द कहां होता है?

* किडनी का दर्द कोक (बगल) में अनुभव होता है, जो आपकी रीढ़ की हड्डी (पसलियों) के नीचे और आपके कूल्हों के बीच का हिस्सा है। 

- यह शरीर के एक तरफ होता है, लेकिन यह दोनों तरफ भी हो सकता है। 

दर्द के प्रकार:-

किडनी में पथरी होने पर किडनी का दर्द तेज होता है और संक्रमण होने पर हल्का दर्द होता है।

#किडनी में दर्द होने के लक्षण (Symptoms of Kidney pain)

किडनी के दर्द के निम्न ल ण होते है।

 -पेट में दोनों तरफ और कमर में दर्द रहना.

-पेशाब में खून आना।

- बार-बार पेशाब जाना

- पेशाब करते समय दर्द होना

--झागदार पेशाब आना

- उल्टी और जी मिचलाना

- बुखार आना, 

- ठंड लगना

* पथरी होने की दशा में गुर्दे मे दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

#गुर्दों के दर्द की चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधियां:-

(तत्कालिक चिकित्सा व निर्दोष  औषधियां)

1- मक्का के बाल

- एक मक्का के भुट्टे के ऊपर वाले बाल-20 ग्राम०

-पानी 250 ग्राम०

लेकर उबालें।100 ग्राम रहने पर बालों को मसल कर छान लें।गुनगुना रहने पर ही रोगी को पीला दें।

यह हर प्रकार के गुर्दो के दर्द के लिए रामबाण औषध है।

2- क्षारावलेह:-(इस योग का नाम हमने सुविधा के लिए रखा है)

यवाक्षार( जवाखार),सज्जीक्षार,कच्चा सुहागा,नौशादर, कालीमिर्च, सेंधानमक, हीरा हींग, कलमीशोरा,सांमभर नमक, ये सभी 6-6 ग्राम लेकर पीसकर एक बर्तन में रखे उसमे अंग्रेजी सिरका इतना डाले कि अवलेह ( हलवा सा)बन जाये।

*जब दर्द हो तो 3-3 ग्राम हर 20 मिनट पर चाटे।

2-3 खुराक लेने से ही दर्द ठीक हो जाता है।

यह ऐसी चमत्कारी ,अद्भुत एवं अद्वैत औषधि है।

3- तुलसी आदि चूर्ण:-

तुलसी के सुखे पत्ते - 20 ग्राम
अजवायन - 20 ग्राम
सैंधवनमक - 10 ग्राम
तीनों को एक साथ पीसकर रख ले। जरूर पडने पर  3ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी से दे दें।
इस योग से गुर्दे के दर्द के अलावा ..

पेट दर्द, अफारा, बदहजमी, खट्टे डकारें, कब्ज , उल्टी ,नजला , जुकाम, खाँसी की रामबाण औषधि है .इसे बनाकर प्रतिएक घर मे रखना चाहिए।

इसे दंतमंजन की तरह भी प्रयोग किया जाता है यह दांत दर्द, दांतों का मैलापन, मवाद ,बूदबु को दूर. करता है।

4- खरबूजे के छिलके :-

गर्मी के दिनों में खरबूजे के छिलको पेस्ट(कल्क) बनाकर 6ग्राम ले उसे 250 Ml पीने मे घोलकर पीला दें।
सर्दियों में सुखे खरबूजे के छिलको का चूर्ण पानी मे धोलकर पीला दें। या
छिलकों की भस्म बनाकर गुनगुने पानी से खिला देने से गुर्दा का दर्द बंद हो जाता है।यह भी एक चमत्कारी औषधि है।

5- कलमीशोरा व खुरासानी अजवाइन 

इन दोनों को मिलाकर चूर्ण बनालें इसमे से 1ग्राम चूर्ण ताजा पानी से खाने से गुर्दा का दर्द ठीक हो जाता है।

6- आकाशबेल का योग:-

आकाशबेल 10 ग्राम
  गुलदाउदी - 6 ग्राम 
150 ग्राम पानी मे चाय की तरह पकायें जब एक कप शेष रह जाये तो छानकर गुनगुना ही रोगी को पीला दे। आधा घंटे बाद ही रोगी ठीक हो जायेगा। यह दिव्य औषधि है।

7 - लालमिर्च के पत्ते:-

लालमिर्च के पत्ते 20 ग्राम
कालीमिर्च 6-7 दाने
नौशादर 1 ग्राम 
100 ग्राम पानी में सब को घोट पीस कर फिर छानकर रोगी को पीने से दर्द में आराम मिल जाता है।

किसी भी औषधि के प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें।


धन्यवाद।

बुधवार, 24 अगस्त 2022

कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में

 कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में.



#There will never be sugar, keep doing these 7 remedies. In Hindi.

जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-#

  शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?  

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?   कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय जीवनशैली बदले स्वस्थ रहे   शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-     

शुगर से बचने के उपाय।

Dr.VirenderMadhan.

#शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

#How does sugar start?

* शुगर से बचने के लिए जानना जरूरी है कि शुगर बनता कैसे है। जब हमारे शरीर के हार्मोन इंसुलिन (बीटा सेल्स के अंदर पैंक्रियास से निकलने वाला हार्मोन) हमारे शरीर के साथ सही ताल-मेल नहीं बिठा पाता है तब यह बीमारी होती है। मधुमेह को डायबिटीज मिलिटियस(Diabetes Mellitus) भी कहते हैं। यह एक खराब जीवनशैली के कारण होता है।यानि प्रज्ञापराध के कारण यह रोग होता है।

जैसे दिन में सोना, रात मे जागरण करना, प्ररिश्रम न करना, अत्यधिक गरिष्ट भोजन करना आदि।

# शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

#What are some ways to avoid sugar?

* शुगर से बचने के लिए 7 उपाय.

1- अंजीर के पत्ते-

अंजीर के पत्तों की चाय पीयें।

  इसमें मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाने या पानी में उबाल कर क्वाथ बना कर पीने से मधुमेह मे लाभ मिलता है. अंजीर के पत्तों में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. 

2-- मेथी- 

रोज मेथी दाना पीने भिगोकर खाये और उसका पानी भी पी लें.मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत लाभदायक मानी जाती है. 

3- दालचीनी- 

मसालों में दालचीनी का उपयोग होता है वही दालचीनी का चूर्ण या पानी या दूध मे या आयुर्वेदिक चाय के रुप में लेते रहे। दालचीनी से कई रोगो मे लाभ मिलता है।

4- आंवला- 

आवला किसी न किसी रूप मे खायें।आंवला एक रसायन है।जीवनशक्ति बढती है तथा रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है 

शुगर जैसे अनेक रोगो से बच जाते है।

5- नीम के पत्ते:-

रोज सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियों को खाने या पीसकर पानी के साथ लेने से शुगर व त्वचा रोग नही होते है

 6- ग्रीन टी:-

ग्रीन टी को रोज पीना बहुत फायदेमंद होता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शुगर जैसे रोगो को नही होने देगा।

#जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

Change your lifestyle and be healthy.

7- क्या पैदल चलने से शुगर कम होता है?



आयुर्वेदिक शास्त्रों में वर्णन है कि कुआ खोदने से,नंगे पैर लम्बी दूरी तक पैदल चलने से राजरोग (मधुमेह) समाप्त हो जाता है।अगर आपका शुगर से बचना है तो जितना हो सके पैदल चलें।पैदल चलने से हमारी सभी ग्रन्थियों अच्छा काम करती है।मांसपेशियों बलिष्ठ होती है।हड्डियां मजबूत बनती है।रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है।

साथ मे पानी की मात्रा खूब लें।

ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कम करने का सबसे आसान विधि है पानी। अगर आप पानी पीते हैं तो यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।  पानी के जरिए किडनी टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है।और हम स्वस्थ बने रहते है।

#शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-

#Our food to avoid sugar:-

शुगर से बचने के लिए आप अपने भोजन मे कटू,कषाय,रस वाले भोजन समलित करें।



मधुमेह से बचने का सर्वोत्तम आहार प्राकृतिक खाद्य, अंकुरित अनाज, फल एवं हरी सब्जी है । यह क्षारीय आहार है । पूर्ण अन्न, कूटू एवं हरी सोया, मेथी अत्यंत लाभप्रद हैं ।

 फलों में संतरा जामुन, अनानास, आवंला, सेब तथा पपीता आदि लिए जा सकते हैं।

चीनी, मिठाई, शर्बत,आम, अंगूर, बेदाना,आलू, चावल से परहेज करना चाहिए। अधिक खाने से मधुमेह बनने का भय रहता है।

- सेव और नारंगी ले सकते हैं। चावल कम मात्रा में कभी कभार लिया जा सकता है। हरी सब्जी खा सकते हैं।

-जब भुख लगे तभी खायें।

-पहला भोजन पच जाने के बाद ही भोजन करें।

धन्यवाद!

मंगलवार, 23 अगस्त 2022

ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.


#kidneycare #Healthtips #Ayurvedic medicine.

 ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.

If these are 10 symptoms, then the kidney is getting bad.

#गुर्दा|किडनी क्या है?

By:-Dr.VirenderMadhan.

वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है।एक प्रकार से रक्त साफ करने की छलनी है।

 किडनी हमारे शरीर का वह अंग है जो गंदगी बाहर निकालने का काम करती हैं। दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफरोंस कहते हैं। नेरोफेंस हमारे खून को साफ करने का काम करते हैं।

 अगर किडनी में किसी प्रकार की समस्या होने पर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते जिससे कई रोग पैदा हो सकते है।

 इन रोगों से बचने के लिए उन लक्षण का ज्ञान होना जरुरी है जिनसे किडनी के खराब होने का ज्ञान होता हैं - 

#बीमार किडनी के 10 लक्षण:-

 1- पेशाब का रंग रुप:-

 युरिनरी इफंक्शन में पेशाब के रंग,रूप, मात्रा और कितने बार पेशाब आती है, इन चीजों में बदलाव आने लगते है।

मूत्र गंदेला,पीला, भुरा,लालभ,आने लगता है।

2 - शरीर में सूजन आना :-

 जब किडनियों शरीर से बाहर गंदगी और तरल पदार्थ न निकाल पाये, जिनसे शरीर में सूजन आ जाती है। यह सूजन हाथों, पैरों, जोड़ों, चेहरे और आंखों के नीचे हो सकती है। 

3-  चक्कर आना और कमजोरी :-

 जब किडनियों की कार्यप्रणाली में विषाक्तता भर जाती है, तो आपको चक्कर आने की अशंका बढ़ जाती है। 

4- थकान व कमजोरी :-

विषाक्तता के कारण रोगी थकावट महसूस करते हैं और कमजोरी का एहसास होता है। ये लक्षण खून की कमी और वजन गिरने लगता है।

5- पीठ दर्द का कारण न समझ पाना : 

आपकी पीठ और पेट के किनारों में बिना वजह दर्द महसूस होना, किडनी में इंफेक्शन या किडनी संबंधी बिमारियों के लक्षण हो सकते हैं।

6- त्वचा की समस्या होना:-

त्वचा खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,अचानक त्वचा का फटना, रेशेज होना, शरीर की गंदगी के एकत्रित होने के परिणाम हो सकते हैं। 

7-  उल्टियां' और उबाक आना:-

 आप उल्टी के दवाईयां लेने के बाद भी समस्या को जस की तस पाएं तो किडनी प्रोब्लम हो सकती है।

8- ठंड लगना तथा मांसपेशियों में ऐठन होना।

अच्छे मौसम के बावजूद अजीब-सी ठंड लगना और कभी-कभी ठंड लगकर बुखार भी आ जाना।

9-मूत्र में बूदबु और भोजन में अरूचि होना:-

यूरिनिया की स्थिति में मूत्र से दुर्गंध आने लगती है। तथा भोजन से मन हट जाता है।

10- रक्त की कमी होना, एनिमिया तथा सांस लेने में परेशानी होना

ये सभी लक्षण अगर किसी को है तो उसे तुरंत अपने चिकित्सक को दिखाये।

किडनी को सुरक्षित रखने के लिए आप शुरू से ही आयुर्वेद अपनाये

धन्यवाद!

सोमवार, 22 अगस्त 2022

मर्दाना ताकत का खजाना गोखरू पाक.हिंदी में.

 मर्दाना ताकत का खजाना गोखरू पाक.हिंदी में.

#mardaana taakat ka khajaana gokharoo paak.in hindi.

#क्या है गोखरू पाक?

By:-Dr.VirenderMadhan.

#गोखरू पाक|Gokharoo paak.


See also:-

https://youtu.be/HTBkpYc5lX4

पुरुषों के रोग मे उपयोगी, गोखरू पाक कामशक्ति बढाता है, गोखरू एक बहुत ही गुणकारी एवं दिव्य जड़ी बूटी है | आयुर्वेद में गोखरू के पंचाग का उपयोग करके बहुत सी प्रभावी औषधियां बनायी जाती हैं | मूत्र विकार, किडनी के रोग, शारीरिक क्षमता एवं पौरुष कामशक्ति बढाने के लिए गोखरू का उपयोग किया जाता है | 



यह गोखरू पाक (Gokhru Pak) वीर्यस्तंभक है, शरीर को पुष्ट करता है, वाजीकरण है। 

यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है | प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए |

#गोखरू से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियां :-

गोक्षुरादी चूर्ण

गोखरू पाक

गोखरू मोदक



गोक्षुरादी क्वाथ

त्रिकंटादि क्वाथ

गोक्षुरुदि गुग्गूलू

गोखरू पाक:-

#गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में :-

गोखरू (चूर्ण किया हुआ) – 64 तोला

दूध – 256 तोला

लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च

कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था,सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी

आंवला, पीपल, नागकेशर

जायफल, जावित्री, अजवायन, खस,सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)

गो घृत – 32 तोला

मिश्री 



#गोखरू पाक बनाने की विधि :- 

गोखरू (बड़ा) के सूक्ष्म चूर्ण को दूध में पकाकर खोया बनाले। तत्पश्चात समस्त औषधों के समान मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें पूर्वनिर्मित खोया और सभी औषधि द्रव्य मिला कर पकाते है अवलेह पाक जब हो जाये तो ठंडा करके सुरक्षित रख लेते है।



गोखरू पाक (Gokhru Pak) को सबेरे, शाम दूध के साथ सेवन करने से सब प्रकार के प्रमेह और सब प्रकार के वीर्य दोष मिटकर काम शक्ति बहुत प्रबल होती है।

मात्रा: 

½ से 1 तोला तक अग्निबलानुसार। (1 तोला=11.66 ग्राम)

#गोखरू पाक के अन्य लाभ:-

- अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है | 

- यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है | मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है | 

- क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है |

- मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है |

- प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है |

- वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |

- पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें |

- गर्भाशय को सशक्त बनाता है|

धन्यवाद!

रविवार, 21 अगस्त 2022

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

 ऐप्पल साइडर|Apple cider vinegar.



By :-Dr.Virender Madhan.

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

सेव कि सिरका किन किन रोगो मे ले सकते है?

[सेव के सिरके के लाभ व हानि क्या क्या होते है जानने के लिए लेख को अन्त तक पढे।]

#ऐप्पल साइडर क्या होता है?

ऐप्पल साइडर सिरका, या साइडर सिरका, किण्वित सेब के रस से बना एक सिरका है, और सलाद ड्रेसिंग, मैरिनेड, विनैग्रेट्स, खाद्य संरक्षक और चटनी में उपयोग किया जाता है।  इसे सेबों को कुचलकर, फिर रस निचोड़कर बनाया जाता है

aippal saidar siraka, ya saidar siraka, kinvit seb ke ras se bana ek siraka hai, aur salaad dresing, mairined, vinaigrets, khaady sanrakshak aur chatanee mein upayog kiya jaata hai. ise sebon ko kuchalakar, phir ras nichodakar banaaya jaata hai

#सुबह खाली पेट में सेब सिरका पीने के फायदे

- वजन कम करता है

 सेब का सिरका पीने से तेजी से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। 

-पाचन समस्या को ठीक करता है।

- इम्यून सिस्टम मजबूत बनाए।

- कोलेस्ट्रोल कम करता है।

- डायबिटीज को कंट्रोल करता है।

- जोड़ों के दर्द में आराम

#सेव के सिरका और मोटापा:-

- सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है, और पेट की चर्बी भी कम होती है। सेब के सिरके में मौजूद एसेटिक एसिड पेट की चर्बी कम करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।


#सेब का सिरका और पाचन शक्ति :-

पाचन के लिए

यह आपके पेट के पीएच लेवल को संतुलित रखता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। सुबह खाली पेट पीने के अलावा आप थोड़ी मात्रा में सेब के सिरके का सेवन भोजन से पहले भी कर सकते हैं। इससे पाचक रस उत्तेजित होते हैं और पाचन क्रिया अच्छी होती है।


#सेब का सिरका और मधुमेह:-

सेब का सिरका शरीर में एल्कलाइन स्तर को बढ़ाता है जो कि मधुमेह के रोगी के लिए लाभकारी होता है। मधुमेह के रोगी एक दिन में एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब के सिरके को डालकर पिएं। इसका सेवन रोजाना करने से उन्हें फायदा होगा। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इसका ज्यादा अधिक प्रयोग सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।


#सेब का सिरका और थायरॉयड:-

- अगर थाइराइड रोगी सेब के सिरके का सेवन करते हैं, तो इससे हार्मोन्स के संतुलित करने मे मदद मिलती है। 

#सेब का सिरका और कैंसर:-

सेब के सिरके में कई विटामिन, एंजाइम, प्रोटीन और लाभ पहुंचाने वाले बैक्टीरिया भी मौजूद होते हैं। एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर सिरका डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। यह कैंसर, हृदय की समस्याओं और हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है।

#युरिक एसिड और सेव का सिरका:-

सेब का सिरका यूरिक एसिड में क्या काम करता है?

यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने के लिए सेब का सिरका काफी लाभदायक माना जाता है। दरअसल, सेब के सिरके में भरपूर मात्रा में एंटी-इमफ्लेमेंटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं, जो ब्लड में पीएच लेवल को बढ़ाने का काम करता है और साथ ही शरीर में मौजूद यूरिक एसिड को कंट्रोल करते हैं।

#सेब का सिरका और इम्यूनिटी:-

सेब का सिरका (Apple cider vinegar) कुचले हुए सेब से बना किण्वित (fermented) रस है। इसमें एसिटिक एसिड (acetic acid) और विटामिन C और B विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इम्यूनिटी बढती है।

#सेब का सिरका के नुकसान:-

सेब के सिरके के नुकसान -

सेब के सिरके में एसिड होने के कारण यह शरीर में मौजूद ब्लड में पोटैशियम के स्तर को कम करता है। सेब के सिरके को सीधा दांतों पर इस्तेमाल करने से दांतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इसका सीधा प्रयोग करना दांतों में पीलेपन की समस्या को भी बढ़ाता है।

#सेव के सिरके की मात्रा:-

10 Ml.सिरका पीनी मे मिलाकर लेना चाहिए इसे अकेले नही पीना चाहिये।

*इसके प्रयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर करें।

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खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi

 खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi.



#Know yourself what is the nature of your body?In hindi.

प्रकृति कितने प्रकार की होती है?

#अपनी प्रकृति के दोष को कैसे शांत करें [लेख को पुरा पढें]

#Khud jane apne sharir ki prakriti kya hain ?

Nature of body|शरीर की प्रकृति.

By:-Dr.VirenderMadhan.

जन्म के समय माता-पिता के आर्तव,शुक्र मे उपस्थित वातादि दोषों के स्थिति यानि कौन सा दौष कम या अधिक है उसीसे मानव के शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है।ये 7 प्रकार की होती है।

#प्रकृति के प्रकार

प्रकृति सात प्रकार की होतीं हैं।

1- वातज

2- पित्तज

3- कफज

4- वात-कफज

5- पित्त-कफज

6- वात-पित्तज

7-वात-पित्त-कफज(समदोषज)


मुख्य तीन प्रकृति होती है।

वात प्रकृति – Vata Nature

पित्‍त प्रकृति – Bile Nature

कफ प्रकृति – Phlegm 

#अपने शरीर का स्‍वयं Nature परीक्षण करें – Test Your Body Yourself

आयुर्वेद के अनुसार आपका शरीर एक निश्चित प्रकृति का होता है।जो 

 शरीर के बनावट, 

हमारे स्‍वभाव, 

आदत, के अनुसार हमारे शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है । 

 #प्रकृति के लक्षण देखकर अपनी प्रकृति जाने।

#वात प्रकृति के लक्षण – Signs of Vata Nature

वात प्रकृति के लोग

- छरहरे शरीर के या पतले-दुबले होते हैं ।

- शरीर का वजन कम होता है ।

- रूखी त्‍वचा, 

- बालों का रंग गहरा होता है ।

- यें वाचाल स्‍वभाव के बातुनी होते है मतलब ज्‍यादा बोलने वाले होते हैं ।

-यें व्‍यक्ति जल्‍दबाज होते हैं मतलब किसी भी काम को जल्‍दी करना चाहते हैं ।  -सहनशीलता कम पाई जाती है।

- स्‍मरण शक्ति कमजोर होता है।

- चिंता करना और जल्‍दी से डर जाना वात प्रकृति के लोगों का पहचान होता है ।

- किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं । 

- शरीर में सक्रियता अधिक होती हैं जैसे बैठे हुए भी हाथ-पैर हिलाते रहते हैं । 

- इन्हें ठंड अधिक लगती है ।

#वात बर्द्धक विहार:-

अत्यधिक परिश्रम करना, अधिक चिंता करना, अधिक ठंडे स्थान मे रहना,तेज हवा का सेवन करना,रात्रि जागरण करना,दुस्साहस करना, आदि।

#वातवर्धक आहार

- गैस बनाने वाले भोज्‍य पदार्थ जैसे आलू एवं आलू से बने पदार्थ, छोले, मठर,कढी,गोभी आदि ।

#वातशमनकारीआहार:- 

-मेथी दाना, दालचीनी, गर्म पानी, शुद्धतेल, चूना, दही, छाछ, फल सब्जियों का रस, और रेशेदार भोजन आदि ।


पित्तप्रकृति:-

#पित्त प्रकृति के लक्षण – Signs of Bile Nature

पित्त प्रकृति के व्‍यक्तियों का -शारीरिक बनावट सामान्‍य होता है, 

- शरीर का वजन भी सामान्‍य होता है । 

- त्‍वचा का रंग गोरा या चमकदार, 

- बालों का रंग हल्‍का काला होता है ।

- यें व्‍यक्ति गुस्‍सैल स्‍वभाव के होते है मतलब इन्‍हें जल्‍दी ही गुस्‍सा आता है । 

- जल्‍दी ही अधीर हो जातेहै और ईर्ष्‍यालु होते हैं।

- मानसिक रूप से सक्षम बुद्धिमान होते हैं । 

- याददाश्‍त तेज होती है।

- ये भूक्‍कड़ स्‍वभाव के होते हैं  - इन्‍हें भूख-प्‍यास अधिक लगता है । 

- पित्त प्रकृति के लोगों गर्मी अधिक लगती है । 

- शरीर से दुर्गन्‍ध आ सकती है।

पितबर्द्धक विहार:-

गर्म स्थान पर रहना,अत्यधिक धूप सेवन करना, क्रोध करना, खाली पेट रहना, नशा-शराब गांजा आदि लेना।

#पित्त वर्धक आहार:-

-चाय, काफी, मिर्च-मसाले, तीखे तले पदार्थ, शराब, बीड़ी सिगरेट, गुटका आदि मांसाहार, पनीर

#पित्त शमनकारी आहार

-जीरा हिंग, देशी गाय का घी, नारियल खीरा, ग्‍वारभाटा घृतकुमारी, जामुन, घडे का पानी.

कफ प्रकृति:-

कफ प्रकृति के लक्षण – Signs of Phlegm Nature

कफ प्रकृति के

- व्‍यक्ति के शरीर मे वजन अधिक होता है, ज्‍यादातर लोग मोटे होते हैं ।

-इनकी त्‍वचा तैलीय, बालों का रंग भूरा होता है । 

- यें लोग बेफ्रिक स्‍वभाव के होते हैं किसी बात की ज्‍यादा चिंता नहीं करते । 

- आलसी होते है।

- इन्हें जल्‍दी गुस्‍सा नहीं आता है। अधिकतर शांत स्‍वभाव के होते हैं । 

- यें देर में समझते हैं, आसानी से बात समझ में नहीं आती ।

कफ बर्द्धक विहार:-

ठंडे पेय लेना,ठंडे स्थान में रहना, आलस्य मे रहना, बिस्तर पर पढे रहना,व्ययाम न करना, आदि।

#कफवर्धक आहार:-

-दूध, मलाई, चावल, पनीर, केला, कुल्‍फी तथा तले हुये पदार्थ ।

#कफशमनकारीआहार:-

-गुड, मेथी, शहद, अदरक, सोठ, हल्‍दी, सौफ, गौमूत्र, लहसून

आयुर्वेद के अनुसार हर व्‍यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, समय के अनुरूप, मौसम के अनुकूल एवं आयु के अनुकूल दोष उत्‍पन्‍न हो सकते हैं । इन दोषों को अपने खान-पान एव रहन-सहन में अनुशासन लाकर दूर किया जा सकता है । आपका शरीर जिस प्रकृति का है उसके वर्धक भोज्‍य पदार्थ लेने से बचें एवं शमनकारी भोज्‍य पदार्थ का सेवन करें । 

*इन लक्षणों के आधार पर हम अपने शरीर की प्रकृति तय कर सकते हैं । 

अपने शरीर की प्रकृति जानने के बाद  आहार विहार मे परिवर्तन करके बहुत से रोगो से बचा जा सकता है।इस लिए ही हमने प्रकृति के साथ ही वात पित और कफ बर्द्धक आहार का वर्णन किया है

-- योग्‍य वैद्य से सलाह लें ।

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गुरुवार, 18 अगस्त 2022

हमेशा जवान(दीर्घायु) कैसे रहें?In hindi.

 #हमेशा जवान कैसे रहें?In hindi.



#हमेशा स्वस्थ कैसे रहे?

#दीर्घायु कैसे प्राप्त करें?

Longevity|दीर्घायु

Dr.VirenderMadhan.

हर व्यक्ति चाहता है कि वह लम्बे समय तक जीवित रहे, हमेशा जवानों की तरह जीवन व्यतीत करें मगर काल के वसीभूत होकर व्यक्ति उम्र बढने के साथ साथ कमजोर होता जाता है स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि का ह्रास होता चला जाता है इसके रोकथाम के लिए आयुर्वेद मे ऋषि मूनियों ने रसायन विद्या बताई है।

रसायन का आचरण व सेवन करके हम सदा युवा की तरह जीवन व्यतीत कर सकते है।

रसायन के सेवी व्यक्ति दीर्घायु होते है रसायन से स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि, स्वास्थ्य, शरीरिक सुन्दरता, और वाकसिद्धि प्राप्त हो जाती है। अतुल बल की प्राप्ति हो जाती है।

रसायन

“रसायन" एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है सार का मार्ग।  यह एक प्रारंभिक आयुर्वेदिक चिकित्सा शब्द है जो जीवन काल को लंबा करने और शरीर को स्फूर्तिदायक बनाने के लिए तकनीकों का उल्लेख करता है।  यह संस्कृत साहित्य में चिकित्सा के आठ क्षेत्रों में से एक है।  वैदिक रसायन विज्ञान के संदर्भ में, "रस" का अनुवाद "धातु या खनिज" भी होता है।

 “रसायन" शब्द रस और आयन से मिलकर बना है। इसका अर्थ 'रस प्राप्ति का मार्ग' है। अत: रसायन उसे भी कहते हैं जो ओज की वृद्धि करे।

रसायन की वह शाखा जो बीमारियों या रोगों के उपचार से संबंधित होती है, रसायन चिकित्सा(Chemotherapy) कहलाती है।

रसायन दो विधि से करने का वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है। A-इंडोर (कुटीप्रवेशिका), B-आउटडोर

आयुर्वेदिक रसायन के लाभ:-

आयुर्वेद के अनुसार रसायन को लेने वाला की आयु, स्मरण शक्ति एवं बुद्धि वृद्धि होती है। साथ ही तरुण वय (वृद्धावस्था में भी युवा जैसा), शरीर व इंद्रियों में उत्तम बल की प्राप्ति, उदारता, वाक सिद्धि एवं सुरीला स्वर आदि गुणों की वृद्धि होती है।

सबसे पहले जुलाब देकर शरीर का मल साफ कर देना चाहिए क्योंकि मैले शरीर मे रसायन लेने से कोई भी लाभ नही मिलता है।

सर्व प्रथम धी से युक्त हरड 3 से 5 दिनो तक खायें ताकि शरीर से सार मल निकल जाये।

रसायन सेवी व्यक्ति को सदा स्वच्छ व सुरक्षित स्थान पर रह कर रसायन का सेवन करना चाहिए।

- इसके बाद

* मुलहठी, वंशलोचन, पीपल, सैन्धव नमक, लोहभस्म,सोना भस्म, चांदी भस्म, ताम्र भस्म, वच,मधू, धृत, 

इन सबको अलग अलग त्रिफला, मिश्री के साथ मिलाकर खायें।

इनकी मात्रा आप अपन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सिक से पूछ कर ले क्योंकि इन द्रव्यों की मात्रा अलग अलग है तथा आयु, प्रकृति,काल,स्थान भेल से मात्रा अलग अलग होती है।

इस प्रयोग से व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते है तथा आयु,बुद्धि, स्मरण शक्ति मे बृद्धि हो जाती है।

मण्डूकपर्णी

* मण्डूकपर्णी के स्वरस या

मुलहठी

मुलहठी चूर्ण को दूध के साथ पान करें   या

*गिलोय रस का प्रयोग करें।

शंखपुष्पी

* शंखपुष्पी के फुलों का कल्क बनाकर लें।

गोक्षुर

* गोक्षुर की जड को फुलों सहित छाया में सुखा ले फिर चूर्ण बनावे फिर गोक्षुर पंचांग के स्वरस से भिगोयें (भावना) दे.

बाद मे सुखाकर चूर्ण बनाकर रखले. उसमे से 30-40 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ खायें ऊपर से केवल शाली चावल खायें।

शिलाजीत

* शिलाजीत 5-6 ग्राम त्रिफला क्वाथ से या मुलहठी क्वाथ से लें।

साथ मे गोखरू चूर्ण भी दे सकते है।

हरीतिकी प्रयोग

* रोज भोजन से पहले-

या हरड गुड से

या शहद से  

या पीपर से

या सोंठ से

या सैंधानमक के साथ मिलाकर खाते रहे।ये अनुपान आप मौसम के अनुसार बदल बदल कर ले सकते है।

अन्य रसायन:-

आमलकी रसायन

हरीतिकी रसायन

त्रिफला रसायन

अमृतारसायन

धन्यवाद!

बुधवार, 17 अगस्त 2022

Migraine आधासीसी kya hain.In hindi.

 आधासीसी|Migraine



माईग्रेन क्या है हिंदी में.

Migraine kya hain.In hindi.

माइग्रेन एक ऐसी अवस्था है जिसमें इंसान के सिर मे बार-बार गंभीर सिरदर्द का  होता है। आमतौर पर इसका प्रभाव आधे सिर में देखने को मिलता है और दर्द आता-जाता रहता है। 

 कई लोगों में यह दर्द पूरे सिर में भी होता है। माइग्रेन साधारण सिरदर्द से हटकर एक विशेष तरह का सिरदर्द है और आजकल इससे कई लोग पीड़ित हैं।

माईग्रेन के लक्षण क्या है?

इसमें व्यक्ति को हल्का या तेज सिरदर्द होता है. इसमें लोगों को सिर में झनझनाहट भी महसूस होती है. आमतौर पर इसमें सिर के आधे हिस्से में दर्द होती है. माइग्रेन के शिकार होने पर उल्टी, मतली, आवाज और प्रकाश से संवेदनशीलता होने लगती है.

#आधासीसी के दर्द के आयुर्वेद व घरेलू उपाय।

1- सांठी[पुनर्नवा]की जड जौ के बराबर लेकर सुई मे पिरोकर  जिधर के सिर मे दर्द है उधर के कान मे सुर्योदय से पुर्व बांध दे।जैसे जैसे जडी सूखेगी दर्दे दूर होता जायेगा जब ठीक हो जाये तो जडी को बहते जल मे छोड दें।

2-अगर केशर को गौ के धी मे मिलाकर सूंघाये तो आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

3-जिस ओर दर्द हो उस और के कान में गुमा [द्रोणपुष्पी ] का रस भरने से दर्द बन्द हो जाता है।

4-सौठ का चूर्ण 3ग्राम, बकरी का दूध 50 ग्राम दोनों को मिलाकर नस्य ले अर्थात् नाक मे डाले।दर्द तुरन्त बंद हो जाता है।

5- गन्ने का सिरका 100 ग्राम, नमक 10 ग्राम दोनों को मिलाकर रखले जब अच्छे से मिल जाये 3-3 बूंद रोगी केनाक मे डालने से भयानक स भयानक आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है। कफ की जमी हुई गांठ घुल कर निकल जाती है।

6- ब्रह्मीबूटी 50ग्राम, सौफ 50 ग्राम, बादाम गिरी 100 ग्राम तीनो को कुटपीस कर रखे बाद मे 3-3 ग्राम की मात्रा मेगौ दूध के साथ सेवन करें। दर्द ठीक होगा साथ ही साथ स्मरण शक्ति बढेगी।

7- कटहल की जड 50 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में उबालकर काढा बना ले उसमे से 4-5 बूंद नाक मे सडकने से एक दिन मे ही आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

8 - सिरस के बीजों को अत्यंत बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें. जिस तरफ दर्द हो उसके उल्टी तरफ के नथुने मे सूंघाये 7-8- मिनट बाद छिकें आकर सिर दर्द ठीक हो जाता है।

9- समुद्रफल को बारीक पीस कर रख लें. आवश्यकता पडने पर उल्टे नथुने मे सुंघाये तुरन्त आराम मिलता है।

धन्यवाद

डा०वीरेंद्र मढान.

सोमवार, 15 अगस्त 2022

षड्बिंन्दू तैल क्या है?हिंदी में.


 षड्बिंन्दू तैल

(रावण सहिंतानुसार)

शिरोरोग की यह एक प्रमुख औषधि है।

शिरोरोग:-

सूर्यावर्त(आधा शीशी),सभी सिरदर्द, नजला, सर्दी जुकाम, नाक के रोग,नाशार्श,नाशाशोथ,बालों का झडना, गंजापन, गले के रोग. आदि शिरोरोग होते है।

#षड्बिंन्दू तैल निर्माण के लिए औषध द्रव्य:-

एरण्ड की जड,तगर,सोया,जीवन्ती,रास्ना,सैंधानमक, भंगरैया, भाभीरंग,मुलेठी और सौठ।

#निर्माण विधि:-

कालेतिल का तैल मे उपरोक्त सभी द्रव्यों का कल्क (चटनी कीतरह का पेस्ट) मिलाकर चार गुना बकरी का दूध और चार गुना भांगरा का स्वरस डालकर धीमी आंच से पकायें।

ठंडा होने पर छानकर सुरक्षित रख ले.

मात्रा:-

इनकी छः बूंद नाक मे डालने से समस्त प्रकार के शिरोरोग नष्ट होते है।

उपयोग:-

. सर्व शिरोरोग मे उपयोगी है। जैसे बालों का झडना, दांतों का हिलना ठीक हो जाता है।आंखों की कमजोरी होना।इसके प्रयोग से गरुड़ जैसी दृष्टि और शरीर में बल बढ जाता है।

नाक के मस्से,पुराने से पुराने नजले को ठीक करने के काम आता है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 13 अगस्त 2022

बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.


#आयुर्वेदिकउपाय #Healthtips #ghareluillaj #bechonkawazan

 बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.

प्रश्न-बच्चों को खाया पीया नही लगता क्या करें?

प्रश्न-बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं   

प्रश्न-बच्चों की हेल्थ बनाने के क्या उपय है?

प्रश्न-क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

प्रश्न-क्या मेवा जैसे काजू और बादाम दें कर शिशु को स्वस्थ कर सकते है?

प्रश्न-क्या अण्डा और आलू शिशु का वजन बढ़ाने के लिए दे सकते है ?

प्रश्न-क्या मलाई वाला दूध पिलाकर बच्चे को मोटा कर सकते है?

इन सभी प्रश्नों का जवाब जानने के लिए पढें

By--Dr.VirenderMadhan.

इस प्रकार के प्रश्न हमसे रोज पुछे जाते है।

लेकिन सब से पहले बच्चे हेल्दी क्यों नही हो रहे है उनके कारण का पता करना चाहिए।

#बच्चों को खाया पीया न लगने के मुख्य कारण:-

लीवर का कमजोर होना।

समय पर भुख न लगना।

कुपोषण

बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खिलाते रहना।

कोई बीमारी होना।

कारण का पता करने के लिए एक बार अपने चिकित्सक को जरूर दिखायें।

#क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

हां..अगर बच्चे का पाचन (डाइजेशन) ठीक है तो उसकी उम्र के अनुसार मक्खन दिया जा सकता है।

- शिशु का वजन, दाल का प्रोटीन बढ़ाता है दाल खिलायें।

- अगर बेबी का वजन नहीं बढ़ रहा है तो केला खिलायें।

- आप खिचड़ी, दाल, चावल में देसी घी डालकर बच्चों को खिला सकते हैं। 

- आप बच्चों को अरहर, मूंग दाल खिला सकते हैं।

-  केला खिलायें

केला पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।

-  दालें 

दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है।

* कुछ अन्य वजन बढाने वाले पदार्थ:-

- मलाई सहित दूध, बच्चे का वजन अगर कम है तो उसे मलाई वाला दूध पिलाना सही माना जाता है। 

- अंडे 

अंडे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। 

- आलू 

आलू वजन बढ़ाने के लिए उपयोगी होते हैं। 

- शकरकंद 

शकरकंद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन ए,बी और सी से भरपूर होते हैं। 

- बच्चों को दही खिलायें।

समय पर भोजन कराये

समय पर बच्चे को सोने दे नीद भी स्वस्थ्य के लिऐ बहुत जरुरी होता है।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.

 #अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.



अश्वगंधा क्या है?

अश्वगंधा (वानस्पतिक नाम: 'विथानिआ सोमनीफ़ेरा' - Withania somnifera) एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा है। कहने को तो अश्वगंधा एक पौधा है, लेकिन यह बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त है। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसे 'असंगध' एवं 'बाराहरकर्णी' भी कहते हैं।

- यह विदानिया कुल का पौधा है; विदानिया की विश्व में 10 तथा भारत में 2 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

- इसकी जड व पत्तों में बेशुमार गुण भरे होते है।

#अश्वगंधा और हमारा दिमाग:-

अश्वगंधा मस्तिष्क शामक है ।

प्राचीन काल से अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति तनाव को दूर करने के लिए करता आया है. इसकी मदद से स्ट्रेस हार्मोन को कम किया जा सकता है.    *दिमाग तेज करने के लिए एक चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण रात को सोने से 30 मिनट पहले गर्म दूध में डालकर पीएं. 

* अश्वगंधा का प्रयोग मूर्छा, भ्रमरोग,अनिद्रा मे करते है।

#अश्वगंधा और हमारा पाचनतंत्र:-

- यह दिपन, अनुलोमन, और कृमिनाशक है अतः इसका प्रयोग उदर रोग, कृमिनाशक के रूप मे प्रयोग करते है।

* अश्वगंधा रक्तवहसंस्थान पर रक्तभारशामक, रक्तशोधक और शोथहर का गुण रखता है।

*श्वसनसंस्थान पर कास, श्वास मे इसका चूर्ण, क्षार धृत आदि का प्रयोग करते है।



#अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए?

- एथलेटिक प्रदर्शन में लाभदायक होता है।

- यौन सुख बढ़ाने में मददगार है।

- इरेक्टाइल डिसफंक्शन में मदद करता है।

- प्रजनन क्षमता में वृद्धि करता है।

-शुक्राणु की गतिशीलता में वृद्धि करता है।

- शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में बृद्धि करता है।

- मांसपेशियों में सुदृढता लाता है।

#महिलाओं में अश्वगंधा का सेवन करने के क्या होता है?

1 - महिलाओं के सेक्सुअल फंक्शन में सुधार लाता है।

2 - मेनोपॉज के दौरान अश्वगंधा लाभकारी होता है।

3 - एंटी एजिंग के रूप में अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है।

4 - घुटनों के दर्द को कम करने में अश्वगंधा मददगार साबित होता है।

5 - थायराइड मे अश्वगंधा लेने से राहत होती है

6 - वेजाइनल इंफेक्शन होने पर अश्वगंधा का प्रयोग कारगर साबित होता है।

7 - फर्टिलिटी की समस्या मे इसका प्रयोग किया जाता है।

#अश्वगं

धा के फायदे और नुकसान:-

अश्वगंधा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है।

अश्वगंधा कैंसर से लड़ने में सहायक होता है :

अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करता है

 अश्वगंधा तनाव दूर करता है अश्वगंधा एंग्जायटी दूर करता है अश्वगंधा पुरुषों में प्रजनन क्षमता बढ़ाता है।

#अश्वगंधा और दूध पीने से क्या होता है?

* अश्वगंधा और दूध का साथ में सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है।  

* दूध और अश्वगंधा के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत रहती हैं और शारीरिक कमजोरी भी दूर हो सकती है। इन दोनों को मिलाकर आप रात में पी सकते हैं। 

* इससे नींद भी अच्छी आती है।

#अश्वगंधा को कितने दिन तक खाना चाहिए?

* तनाव को कम करने के लिए आपको महीने भर तक रोजाना 500 से 600 एमजी अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। 

* प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए आपको कम से कम तीन महीने तक 5 ग्राम अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। 

* ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए आपको दिन में 250 एमजी अश्वगंधा लेना चाहिए।

#अश्वगंधा के साइड इफेक्ट क्या है?

-अश्वगंधा का अगर सही मात्रा और सही तरीके से सेवन न किया जाए तो यह नुकसान पहुंचा सकता है. 

 अश्वगंधा की तासीर गर्म होती है. इसलिए अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से यह गैस, अफरा, उलटी, दस्त, ज्यादा नींद आना जैसी समस्या पैदा कर सकता है

बुधवार, 10 अगस्त 2022

yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?In hindi.

 यूरिक एसिड|uric acid



यूरिक एसिड बढ़ने का कारण, लक्षण और इसको कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपाय?

#yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?

*Causes, symptoms and home remedies to control the increase in uric acid?

#यूरिक एसिड

Dr.VirenderMadhan.

अक्सर 30-35 साल की उम्र से ज्यादा लोग uric acid से जूझ रहे हैं। 

यूरिक एसिड से जोड़ों का दर्द आजकल बहुत सुनने को मिलता है। 

 यूरिक एसिड शरीर में प्यूरिक एसिड के टूटने से बनता है। 

जो रक्त से किडनी तक पहुंचता है और यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। 

कई बार कुछ परेशानियों के कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, जिससे शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा बढ जाती है।

#यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में कितनी होनी चाहिये?

एक स्वस्थ्य महिला में यूरिक एसिड का नॉर्मल लेवल 2.4-6.0 mg/dl और 

पुरुषों में 3.4 – 7.0 mg/dl होता है। 

शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने पर यह गठिया का कारण बनती है। इसके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

#यूरिक एसिड के लक्षण क्या क्या होते है?

- जोड़ों में दर्द होना।

- हाथों-पैरों में ऐंठन होना।

- उठने-बैठने में परेशानी होना।

- अंगों में सूजन होना।

- जोड़ो में हल्की-हल्की सूई जैसी चुभन होना।

#यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

किडनी की बीमारी से यूरिक एसिड बढ़ सकता है

* मधुमेह[डायबिटीज] के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ता है

* हाइपोथायरायडिज्म

* कैंसर या कीमोथेरेपी से भी यूरिक एसिड बढ सकता है।

* सोरायसिस, त्वचा रोग के कारण यूरिक एसिड बढ़ सकता है

*खान-पान में पोषक तत्वों की कमी होने पर यूरिक एसिड बढ सकता है।

*दवाइयों के ज्यादा सेवन से भी यह परेशानी हो जाती है।

*जरूरत से ज्यादा प्रोटीन खाने से रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढने लगती है।

*एक्सरसाइज या शारीरिक श्रम की कमी होने से भी शरीर में यूरिक एसीड बढ जाता है।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय क्या है?

* अखरोट खायें

अखरोट में बहुत से पोषक तत्व जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन आदि मौजूद होते हैं, रोज सुबह खाली पेट 2-3 अखरोट खाने से यूरिक एसिड कंट्रोल हो जाता है।

* अश्वगंधा 

एक चम्मच शहद में अश्वगंधा चूर्ण मिलाएं। फिर इसे हल्के गर्म दूध के साथ खाएं। 

* यूरिक एसिड बढऩे पर शरीर में गांठ की तरह जमा होने लगता है इसके लिए

- 1 चम्मच बेकिंग सोडा को 1 गिलास पानी के साथ मिलाकर पीने से शरीर में बनी गांठ घुलने लगती है और यूरिक एसिड की कम होने लगता है।

* बथुवे का जूस:-

गठिया के बचाव करने के लिए सुबह खाली पेट बथुए के पत्तों का जूस निकाल कर पीएं। 

* अजवायन:-

खाने में अजवाइन का इस्तेमाल करने से यूरिक एसिड कम होता है। खाने में इस्तेमाल के अलावा, इसका पानी के साथ सेवन कर सकते है।

* चुकंदर और सेव:-

रोज चुकंदर और सेब का जूस पीएं। इससे शरीर का पीएच लेवल बढ़ता है और यूरिक एसिड कंट्रोल में रहता है। इनके अलावा गाजर का जूस भी फायदेमंद है।

* पानी की सही मात्रा:-

अधिक से अधिक पानी का सेवन करें क्योंकि इससे शरीर में बढ़ा हुआ यूरिक एसिड पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाता है।  

* नींबू:-

विटामिन सी यूरिक एसीड में बहुत लाभकारी है। नींबू को भोजन में शामिल जरूर करें। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन जरूर करें।

* लहसुन:-

लहसुन बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या मे लाभदायक होता है। यदि रोजाना 3-4 लहसुन की कलियों का खाली पेट सेवन किया जाए तो यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर से छुटकारा पाया जा सकता है।

* शरीर में मोटापे के कारण चर्बी अधिक जमा होती है। जिससे यूरिक एसिड ज्यादा रहती है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल रखें ।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय?

- हाई फायबर फूड जैसे ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस (ब्राउन चावल) खाने से उसका लेवल कम हो जाएगा। -बेकिंग सोडा के सेवन से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास पानी में मिलाएं। अब इस मिश्रण के 8 गिलास रोजाना पीएं।

#यूरिक एसिड है तो क्या खायें क्या न खायें?

- बेकरी प्रोडक्टस का सेवन न करें।

- प्रोटीन वाले आहार बन्द करें 

- एल्कोहल से दूर रहें।

- फास्ट फूड व डिब्बा बंद भोजन न खाएं।

- मछली व मीट से दूरी बनाएं।

* गेहूं, ज्वार, बाजरा से बनी रोटियां और चावल के साथ आप आलू या कद्द की सब्जी ले सकते हैं। कम मात्रा में लाल दाल भी खा सकते हैं। 

सलाद - खीरा और गाजर अधिक मात्रा में खाएं। इससे भी आपका यूरिक एसिड कम होगा।

अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

धन्यवाद!

गुरुवार, 4 अगस्त 2022

psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

 psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

#What is psoriasis?In hindi.



सोरायसिस यह त्वचा की एक बहुत आम बीमारी है। इसमें त्वचा कोशिकाओं की अत्यधिक बढ़त होती है जिससे मोटी पपड़ी जम जाती है। ये दाग अलग-अलग साइज़ के हो सकते हैं और यह अधिकतर घुटनों, कोहनियों, खोपड़ी, हाथों, पैरों और पीठ पर आते हैं।

#सोरायसिस की क्या पहचान है?

What is the hallmark of psoriasis

- छोटे-छोटे उभार जिनमें मवाद भरी होती है और जिनके चारों ओर त्वचा लाल हो जाती है, लाल रंग के दाग जिनके चारों ओर पपड़ी जमी होती हैं । सोरायसिस पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है। यह सभी उम्र के लोगों को हो सकता है। महिलाओं को  सोरायसिस कम उम्र में हो जाती है।यह रोग करीबी रिस्तेदारो मे देखा जाता है।

 जबकि यह बीमारी संक्रामक नहीं होती , इस बीमारी से ग्रस्त लोग अधितकर अलग-थलग पड़ जाते हैं और समाज से कट जाते हैं।

#सोरायसिस के लक्षण क्या है?



What are the symptoms of psoriasis?

- त्वचा में सुखापान (Dryness) आ जाते है। जिसकी वजह से त्वचा में दरारें (Fissures) पड़ने लगती है।

त्वचा छिलने (Peeling) लगती है।

- त्वचा में लाल के चकत्ते (Rashes) बन जाते है ।

- शरीर में सफेद कलर की मोटी परत जमने लगती है।



- सोरायसिस जहां पर होता है वहां पर खुजली के साथ-साथ दर्द भी होता है।

- इन चकत्तों में लालपन (Redness) होने लगता है।

- यह लाल रंग के चकत्ते ज्यादातर घुटने और कोहनी के बाहरी भागों में होते है।

- सोरायसिस त्वचा के साथ-साथ नाखूनों को भी प्रभावित करता है।



- त्वचा की चमड़ी की मोटाई (Thickness) कम होने लगती है।

#सोरायसिस क्यों होता है?

Why does psoriasis happen?

सोरायसिस के कारण

 - ठंडा और सूखा पर्यावरण, त्वचा के जख्म, तनाव और चिंता, 

- कुछ संक्रमण जैसे (टोंसिलाइटिस या फंगल इन्फेक्शन ), और कुछ एंटी-इन्फेलेमेटरी दवाएं,   

- धूम्रपान, और शराब। 

 इस रोग के सही कारण अभी अज्ञात है

#5 home remedies for psoriasis.

सोरायसिस के 5 घरेलू उपाय:-

1- अर्कादि लेप

2- तक्रघारा

3-नीम तैल

4-अलसी बीज या सन बीज

5-आयुर्वेदिक एंटीइंफ्लेमेटरी द्रव्य

1-अर्कादि लेप:-

आक की सुखी लकड़ी-50ग्राम

चन्दन--10 ग्राम

नीम की छाल - 50 ग्राम

बबुल की छाल -50ग्राम

नारियल का। तैल 100 ग्राम

आक का दूध 20-25 बूंद

इन सब को अच्छी तरह मिला कर भूसे मे 15 दिनों के लिए दबा दे बाद मे निकाल कर रोग ग्रस्त जगह पर लगायें. 

लेप लगाने के बाद 2 घण्टे बाद स्नान कर लें।

2-तक्रघारा:-

आयुर्वेद में इस विधि मे त्वकरोग नाशक औषधियों से सिद्ध छाछ का प्रयोग कुछ दिनों तक करते है।रोग को आराम मिलता है।

3-नीम का तैल;-

नीम के तैल का प्रयोग प्रभावित जगह पर करने से अनेकों त्वकरोग मे आराम मिलता है।तथा सोरायसिस भी ठीक हो जाता है लेकिन इसका प्रयोग लम्बे समय तक करना पड़ता है।

4- अलसी के बीज या सन के बीज:-

इन बीजों को भुनकर खाने से कुछ समय में सोरायसिस मे लाभ मिलता है तथा पूरी त्वचा साफ हो जाती है।

5-आयुर्वेदिक शोथहर द्रव्यों का प्रयोग:-

जीरा, अदरक,जैतून का तैल,जैतून के बीज,जामुन, चेरी,सैमन,नटस आदि का खुब प्रयोग करें

 सोरायसिस के इलाज के लिए कुछ अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।जैसे

मुसब्बर (एलोवेरा),

 ब्लैक नाइटशेड,

 बोसवेलिया, या लोबान

 लहसुन,

 गुग्गुल,

 चमेली के फूल का पेस्ट,

 नीम,

 नोट:-

[आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल करने से पहले लोगों को अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।]

- नारियल या जैतून के तेल जैसे प्राकृतिक सुखदायक तेल लगाने से त्वचा को कोमल बनाने और सोरायसिस की खुजली और परेशानी से राहत पाने में मदद मिल सकती है।

#सोरायसिस मे क्या न खायें?

एलोपैथी की एंटीइंफ्लेमेटरी दवा न ले रोग बढने के खतरे होते है।

विरूद्ध आहार न लें जैसे मिल्कसेक और दही,मूली और दूध,मछली और दूध,नमकीन और दूध,आदि

तली हुई, बासी भोजन, तेज मसाले,खटाई से परहेज करें.

धन्यवाद!

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi. घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6


</> क्या हम आयुर्वेद और घरेलू उपाय का उपयोग करके हिलते हुए दांतों को ठीक सकते हैं?  हिंदी में

can we remove moving teeth using ayurveda and gharguti upay? in hindi

हिलते दांत|moving teeth

Dr.VirenderMadhan.

#हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi.

घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6 घरेलू नुस्खों से ठीक कर सकते हो.

1- नमक और सरसों का तेल:-

नमक और सरसों के तेल दांतों को साफ करने का हमारे बुजुर्गों का देसी उपाय है.

नमक और सरसों दांतों की सफाई करके दांतों को मजबूत बनाता है और साथ ही दांतों का पीलापन भी दूर करता है. आधा चम्मच नमक में कुछ बूंद सरसों के तेल की मिलाएं और इससे हफ्ते में 2-3 बार दांतो को साफ करें.

#हिलने वाले दांतों का इलाज-

2-काली मिर्च और हल्‍दी:-

इन दोनों से दांतों की जड़े मजबूत हो जाती है. इसके लिए आपको काली मिर्च और हल्‍दी का गाढ़ा पानी या तैल मे पेस्‍ट बनालें. पेस्ट को हिलते दांत वाली जगह पर 30 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. इससे आपके दांतों का दर्द भी दूर हो जाएगा और दांत हिलना भी बंद हो जाएग. इसको आप कुछ दिनों तक करते रहे।

#दांतों के हिलने की दवा है 

 3-आंवला पाउडर

आंवला दांतों को मजबूत बनाता हैं। एक चम्‍मच आंवले का पाउडर लें और उसे एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्‍ला करें। दिन में एक बार जरूर करें. इससें दांत हिलना बन्द हो जायेगे.

#हिलते दांत और पुदीने का तैल.

4- पुदीना का तेल :

यह दांतों के हिलने की परेशानी को भी दूर करता है। तेल को उंगली में लेकर हिलते दांत पर अच्‍छे से लगाकर मसाज करें। इसके अलावा राहत पाने के लिए तेल को पानी में मिलाकर इसे कुल्‍ला कर सकते है.

#हिलते दांत और अमरूद की पत्तियां :

5-अमरूद की पत्तियों से भी ईलाज किया जा सकता है। ये पत्तियां चबाने से दांत मजबूत होते हैं। 

-अमरुद की साफ पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और पेस्ट से रोज दांतों पर मलें। इससे दांतों की सेंसिटिविटी भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

#घरेलू उपाय है लहसुन

6- लहसुन का पेस्ट

कई बार संक्रमण की वजह से आपका दांत हिलने लगा है तो उस जगह पर लहसुन का पेस्ट लगाने से धीरे-धीरे हानिकारक बैक्टीरिया नष्‍ट हो जाएंगे. लहसुन की पतली कलियां काट लें और उसे प्रभावित मसूड़े एवं गाल के अंदर लगाएं. इसे कुछ समय के लिए लगा रहने दें. आपको ऐसा दिन में 2 बार करना है.

धन्यवाद।