Guru Ayurveda

मंगलवार, 31 मई 2022

क्या आपको बार बार प्यास लगती है? तुरंत उपाय ? In hindi.

 क्या आपको बार बार प्यास लगती है? तुरंत उपाय ? In hindi.



#तुरंत प्यास को शांत करने के उपाय?In hindi.

क्या है प्यास?

Dr.VirenderMadhan.

#तृष्णा|प्यास|पियास|पिपासा|Thirst

हमारे दर्शन शास्त्रों में तृष्णा का अर्थ 'प्यास, इच्छा या आकांक्षा' से है। 

* मन में होनेवाली वह प्रबल वासना जो बहुत अधिक कुछ विकल रखती हो और जिसकी प्राप्ति में तृप्ति न होती हो। प्रायः अधिक समय तक बनी रहनेवाली कामना।

* यहां उस तृष्णा का वर्णन है जो हमारे पानी पीने की अत्यधिक इच्छा को दर्शाती है जिसे Thirst, प्यास,पिपासा या पियास के नाम से जाना जाता है।

#Thirst प्यास लगने के कारण,

- पानी की वजह से ही रक्त का पीएच स्तर बना रहता है,  --दिमाग और शरीर के अन्य अंगों के बीच संतुलन बनाए रखने में भी पानी की अहम भूमिका होती है. 

- प्यास लगना भी एक पूरी प्रक्रिया है. शरीर में जब एक प्रतिशत पानी की कमी होती है तो प्यास महसूस होने लगती है.

-जब बार-बार प्यास लगे तो कोई बीमारी हो सकती है। 

-डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं. मेडिकल टर्म में इसे पॉलीडेप्सिया (polydipsia) कहते हैं. जब डायबिटीज के कारण जब इंसुलिन काम नहीं करता तब ग्लूकोज पेशाब से निकलने लगता है. पेशाब में ग्लूकोज के कारण पानी की ज्यादा जरूरत होती है

- शरीर में खून की कमी है तो बार-बार प्यास लग सकती है. यानी जब खून में आरबीसी (red blood cells) की कमी हो जाए तब भी बार-बार प्यास लगती है.

-क्षयरोग मे प्यास बढ जाती है।

 - जब ज्यादा चक्कर आ रहा हो तब भी आपको बार-बार प्यास लगती है. 

- अगर अधिक थकान हो या बहुत ज्यादा कमजोर हैं तब भी बार-बार प्यास लगती है

- किसी कारण से वात या पित्त बढ जाये या विकृत हो जाता है तब भी प्यास मे बृद्धि हो सकती है।

- शराब जैसे मादक पदार्थों के लेने से प्यास बढ सकती है।

-कुछ औषधियों के कारण भी मुंह सुख जाता है प्यास बढ जाती है।


तृष्णा [ प्यास] का तुरन्त कैसे करें ईलाज।

- वातोत्पन्न प्यास मे,

गुड के साथ दही,पानी लेने से प्यास शांत हो जाती है।

- गिलोय का रस पीने से

- पिपासातुर व्यक्ति की प्यास को तुरंत नही रोकना चाहिए उसे धीरे धीरे शांत करें।

- पितज तृष्णा मे दाख,शक्कर, मुलहठी, चंदन, खस,कमलगट्टा  आदि  मे किसी एक या दो द्रव्य को पानी मे पकाकर ठंडा करके पीलाना चाहिए।

-सारिवादिगण के साथ तृणपंचमूल,उत्पलादिगण या मधुरगण मे उनके कषाय तथा महुआ के फुल आदि के कल्क को बेल,शमी, धान्य, पंचकोल और डाभ मे पकाकर सेवन करें

- जल मे जीरा पकाकर उसमें कच्चा अदरक,और काला नमक मिलाकर पान करें.

- लावा [खील] का 8गुणा जल मे डालकर छोड़ दे बाद मे इस लावा के जल मे शक्कर मिलाकर लें इसमें पुष्करमूल के रस को भी मिला सकते है।

- सुखे कृश व्यक्ति को दूध पिलाने से शीध्र प्यास दूर होती है।

-बकरी के दूध पीने से पियास ठीक हो जाती है।

- जिसको बार बार प्यास लगती है उसे भोजन के बाद पानी के साथ गुड खाना चाहिए।

शराब के कारण प्यास वाले लोगों को धृत पान करना चाहिए।

- बरगद,पिलखन,लोध्र,अनार मुलहठी, शक्कर, आदि को चावल के धोवन के साथ लेने से प्यास नष्ट हो जाती है।

अत्यधिक दुर्बल व्यक्ति को प्यास लगने पर तुरन्त अकेले जल ना दे कोई औषधि साथ मे चिकित्सक की सलाह लेकर दें।

किसी भी औषधि या द्रव्य का सेवन चिकित्सक की सलाह लेकर ही करें

#प्यास मे क्या न करें?

नशा न करें।

अधिक श्रम न करें.

धुप मे न रहे।

तली भुनी चीचें न खायें।

घुम्रपान न करें.

तेज मिर्च मसाले न लें.

प्यास के कारण का पता करें

धन्यवाद!



क्यों आती है मुंह से बदबू? Dr.Virender Madhan in hindi.

 


#healthcare. #ayurvedictreatment. #Ghereluupay.

साँस की बदबू|Bad breath



#क्यों आती है मुंह से बदबू?in hindi.

Dr.Virender Madhan.

क्यों आती है मुंह से बदबू?in hindi.

किसी व्यक्ति के मुहं से बदबु आती है तो लोग उसके पास बैठना भी पंसद नही करते है उसे कई बार शर्मिंदा होना पडता है इस समस्या का समाधान करने के लिए पहले कारण जान लेना चाहिए।

मुंह से बदबू आने के अनेक कारण हैं :

 - भोजन के बाद मुंह या दांतों के अंदर बचा हुआ खाना, जो आमतोर पर जीभ के पिछले हिस्से में जमा होता है। 

- दांतों और जीब पर जमा हुआ सफेद रंग का प्लाग । 

- मसूड़ों में आने वाली सूजन के कारण भी मुंह से बदबू आती है 

- कभी कभी किडनी रोग के कारण शरीर में मेटाबॉलिक बदलाव आने लगते हैं. इससे शरीर में ड्राई माउथ यानी मुंह सूखने की समस्या होती है, जिसने सांसों में बदबू आने लगती है. 

- अधिकतर फेफड़े, साइनस या वायुमार्ग में संक्रमण भी सांस की बदबू का कारण बन सकता है. फेफड़ों का संक्रमण होने पर जब बलगम बाहर निकलता है तो इससे मुंह से सडन जैसी बदबू आने लगती है.

जब व्यक्ति को साइनस की प्रोब्लम होती है उसके कारण भी मुंह में बदबू की समस्या हो सकती है।     

- पानी कम पीने की वजह से भी मुंह की बदबू की समस्या पैदा हो जाती है।

- धूम्रपान करने से मुहं मे गन्ध हो जाती है।

 - जो लोग लहसुन प्याज खाते है उनके मुहं से खाने के बाद बदबू आने लगती है।

- दांत व मसुडो के रोग के कारण मुहं से गंध आने लगती जैसे पाईरिया रोग मे।

#मुहं से बुदबू आती है तो क्या करें?

#क्या है घरेलू उपाय?

- पान में पुदीना के पत्ते रख कर इस्तेमाल करें।

- नीबू और गरम पानी का घोल पियें।

- तुलसी के पत्ते और जामुन के पत्ते को बराबर मात्रा में लेकर चबाने से राहत मिलती है।

- मुलेठी के टूकडे मुहं मे रखकर चूसें।

-लौंग एक खुशबूदार आयुर्वेदिक जडी है मुहं मे रखकर चूसने से फायदा मिलता है।

-  खाना खाने से पहले और बाद मे पानी न पिएं।

- दिन मे एक बार इलायची चबा चबा चबा कर खाएं।

-भोजन के बाद अक्सर सौंफ खाएं।

-मुहं मे बुदबू आने पर धनिया चबायें

- बेकिंग पाउडर को पानी में घोलकर सप्ताह में एक बार कुल्ले करें

- सवेरे और रात मे आप गरुपायोरि टुथपाउडर को सरसौ के तैल मे मिलाकर अपने दांतों और मसुडों पर हल्के हाथों से मलें।

धन्यवाद!



सोमवार, 30 मई 2022

बार-बार पेशाब आने की आयुर्वेदिक महाऔषधि .In hindi.

 बार-बार पेशाब आने की आयुर्वेदिक महाऔषधि .In hindi. 



प्रमेह गजकेसरी रस

=============

Dr.VirenderMadhan.

        प्रमेह गजकेशरी रस के  द्रव्य तथा निर्माण विधि -

- वंग भस्म, स्वर्ण भस्म, कान्त लोह भस्म , रस सिन्दुर ,मोती भस्म या पिष्टी , दालचीनी ,छोटीइलायची ,तेजपत्र , और नाग केशर का चूर्ण,

इन सभी समान भाग लेकर सबको अच्छे से मिलाकर घृत कुमारी के स्वरस में अच्छी तरह से घोटकर 2 -2 रत्ती की गोलियां बना लें । सुरक्षित साफ डब्बी मे भरकर रख लें।

मात्रा -

1 गोली सुबह 1 गोली शाम को दूध के साथ या अपने चिकित्सक के सलाह के अनुसार प्रयोग करें।

गुण धर्म - 

जिस प्रकार शेर हाथी का नाश करता है वैसे ही ये प्रमेह का नाश करता है ।

इसके 3 दिन के सेवन करने से शुक्रमेह का नाश होता है ।और - पुराना प्रमेह और मधुमेह का नाश करने के लिए भी यह प्रशस्त औषध है । 

विशेष -

 वंग-,

 वीर्य दोषों को हरने वाली औषध है ।इसी प्रकार 

स्वर्ण- 

 मस्तिष्क पोषक ,रसायन , वाजीकरण ,बल वर्ण वर्द्धक , शक्तिप्रद ,वृक्क एवं त्वचा का पोषण करने वाली औषध है । रक्तवर्धन ,शोथ नाशक ,और उदर शैथिल्य नाशक के लिए कान्त लोह प्रशंसनीय है । 

मोती-

 शीत वीर्य द्वारा शरीर के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार के वातज -पित्तज ,तथा नाड़ी जन्य विकार को शांत करता है और शरीर में दूषित दाह का नाश करता है

- अन्य पदार्थ समशीतोष्ण वीर्य ,वात्त -पित्त -कफ नाशक और बल -वर्ण कान्ति वर्द्धक तथा वीर्य वर्द्धक है ।

- यह औषध योगवाही होने के कारण शरीर को पुष्ट करती है ।ग्रन्थियों की उत्तेजना का नाश करती है 

- इसका प्रयोग तीनो दोषों से होने वाले विविध प्रकार के प्रमेहो में सफलता पूर्वक अनुपान भेद से किया जाता है।

- शुक्रनाड़ी ,अण्डग्रन्थि, तथा शुक्र कोषो की उत्तेजना को दूर करके इन अंगो को स्वस्थ करती है ।

 धन्यवाद!

    


रविवार, 29 मई 2022

पेट का गोला कैसे ठीक किया जाता है?In hindi

 #पेट का गोला कैसे ठीक किया जाता है?In hindi.

#Gulm|पेट में वायु का गोला बनना।May 2022.



Dr.VirenderMadhan.

#gulm,गुल्म|वायु का गोला क्या है?

</> गैस का गोला क्या होता है?


 गैस्ट्रिक ट्रबल को वायु गोला जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। बार-बार गैस बनना, डकारें अधिक लेना तथा पेट में गुड़गुड़ाहट होना इसके मुख्य लक्षण हैं। जिनकी पाचन शक्ति अकसर खराब रहती है एवं जो प्राय: कब्ज के शिकार रहते हैं, वे लोग गैस की तकलीफ से परेशान रहते हैं। 

-  पेट में नाभि के ऊपर एक गोल स्थान है. जहां वायु जमा होकर गोला बन कर रुक जाता है या पेट में गांठ की तरह उभार बना देता है. वायु को एकत्रित होने को वायु गोला या गुल्म कहते हैं. 

यह पांच प्रकार का होता है

 वात, पित्त, कफ, त्रिदोष और रक्त दोष के कारण उत्पन्न होता है. यह पेट के कई हिस्सों में हो सकता है जैसे-

- पेट के दाहिनी तरफ।

- बाई तरफ ।

 - हृदय के पास।

 - पेडू या 

- मूत्राशय में वायु का गोला बन जाता है ।

 

#क्या है गुल्म (वायु का गोला) होने के कारण?

---------------------------------

कारण:-

-अधारणीय वेग (मल मूत्र का वेग) रोकने से।

 - चोट लगने से ।

 - गरिष्ठ भोजन खाने से ।

 - बासी,रुखा सुखा भोजन करने से ।

- चिन्ता मे रहने से और दूषित भोजन करने के कारण वायु दूषित हो कर हृदय से मूत्राशय तक के भाग में गांठ की तरह बन जाता है जिसे वायु का गोला या गुल्म नाम से जानते हैं.

#पेट में वायु के गोले के क्या क्या लक्षण होते हैं?

------------------------------

> पेट में गोला होने के लक्षण


- वायु का गोला बनने पर मल बंद हो जाता है।

- कब्ज व गैस बनने लगती है, - - मुंह सूखने लगता है ।

- अरुचि- भोजन करने का मन नहीं करता है।

 -पेट में दर्द रहता है।

 -भूख नहीं लगती है।

 -डकारे अधिक आती है, 

- आध्यमान-पेट फूल जाता है, आंतों में गुड़गुड़ाहट होती है और 

- शरीर का रंग धीरे-धीरे काला पड़ने लगता है.

- महिलाओं को गुल्म गर्भ गिरने, गलत खानपान करनेसे भी होता है।

- प्रारंभिक अवस्था में, खूनी वायु का ठहरना ।

- उदर में जलन और पीड़ा होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं.

# आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या करें ?

------------------------

वायु के गोले (गुल्म) के 15 उपाय।

1 .हरड़-

- हरड़ के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से पित्त के कारण होने वाले रोग ठीक होता है।

बड़ी हरड़ का चूर्ण और अरंड का तेल गाय के दूध में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

2 .सज्जी खार-

- सज्जी खार, जवाखार, और केवड़ा के चूर्ण को अरंड के तेल में मिलाकर सेवन करने से गुल्म ठीक हो जाता है ।

सज्जीखार आंवला रस में मिलाकर सेवन करने से पेट में गैस का गोला नही बनता।

3 .अपामार्ग-

-   कालीमिर्च  और अपामार्ग को पीसकर घी के साथ सेवन करने से वायु गोला का दर्द और वायु गोला से आराम मिलता है.

4 .सोठ-

-  सफेद तिल 150 ग्राम, सोठ 40 ग्राम,और पुराना गुड़ 80 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण में से 5 से 10 ग्राम गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज, वायु का गोला और दर्द दूर होता है ।

5 .मुलेठी-

- मुलेठी, चंदन और मुन्नका को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से पित्त के कारण हुए वायु का गोला दूर होता है.

6 .मुनक्का-

- पित्तज गुल्म से पीड़ित व्यक्ति को द्राक्षा यानी मुनक्का और हरड़ का एक से दो चम्मच चूर्ण गुड़ मिलाकर पानी के साथ खाने से लाभ होता है ।

7 .अजवाइन-

- कफज गुल्म मे अजवाइन का चूर्ण और थोड़ा सा सौंचरनमक साथ में मिलाकर पानी से लेने से कफ से उत्पन्न गुल्म में लाभ होता है।

8 . हिंग्वादि चूर्ण-

- हींग, पीपल की जड़, धनिया, जीरा, काली मिर्च, चीता, चव्य, कचूर, काला नमक, सेंधा नमक, बिरिया संचरनमक , छोटी पीपल, सोंठ, जवाखार, हरड, अनारदाना, पोहकर मूल, हाउबेर और काला जीरा आदि को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें. अब इसमें बिजौरा नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह से सुखाकर फिर से पीसकर चूर्ण बना लें 3 से 4 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाना खाने के बाद सेवन करें । इससे किसी भी तरह के वायु का गोला कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.

9 .गोरखमुंडी-

- गोरखमुंडी के चूर्ण का काढ़ा बनाकर पीने से रक्त गुल्म ठीक हो जाता है।

10 .आक-

- आक के फूलों की कलियां 20 ग्राम और अजवाइन 20 ग्राम को बारीक पीसकर इसमें 50 ग्राम चीनी मिलाकर एक 1 ग्राम सुबह-शाम खाने से गुल्म रोग ठीक हो जाता है।

11 .शरपुंखा-

- शरपुंखा का रस और बडी हरड़ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 3-4 ग्राम की मात्रा में खाने के बाद खाने से गुल्म के कारण उत्पन्न दर्द ठीक होता है और कब्ज भी दूर हो जाती है।

12 .नींबू-

-  नींबू के रस को आधे गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से आराम मिलता है। 

13 .एरण्ड तेल-

- दो चम्मच एरण्ड के तेल को गर्म दूध में मिलाकर पीने से वायु का गोला खत्म हो जाता है।

14 .बैगन-

- पेट में गैस बनने तथा पानी पीने के बाद पेट फूलने पर बैगन के मौसम में लंबे बैगन की सब्जी बनाकर खाने से गैस की बीमारी दूर होती है. लीवर और तिल्ली का बढ़ना भी ठीक हो जाता है. हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों में पसीना आने पर बैगन का रस लगाने से फायदा होता है।

15 .त्रिफला चूर्ण-

- त्रिफला चूर्ण को 3 से 5 ग्राम की मात्रा में चीनी में मिलाकर दिन में तीन बार खाने से गुल्म रोग में राहत मिलती है.

 अन्य :-

बकरी का दूध, गाय का दूध, छोटी मूली, बथुआ, सहजन, लहसुन, जमीकंद, परवल, बैगन, करेला, केले का फूल, सफेद कद्दू, कसेरू, नारियल, बिजोरा निंबू, फालसे, खजूर, अनार, आंवला, पका पपीता, कच्चे नारियल का पानी, 1 साल पुराना चावल, दाल- चावल आदि का सेवन करना फायदेमंद होता है।

- रात के समय हलवा खाना ।

- रोटी और दूध पीना अच्छा होता है।


#परहेज क्या करें? 

------------

- बादी करने वाले अनाज।

- तासीर के विपरीत पदार्थों का सेवन ।

-सूखा मांस, मछली आदि का सेवन नहीं करे।

- गरिष्ट करने वाले पदार्थ ।

- रात को जागना, अधिक मेहनत करना।

- आलू, मूली, मीठे फल आदि का प्रयोग करना भी गुल्म रोगी के लिए नुकसानदायक होता है।

-  मल मूत्र का वेग रोकने से भी वायु का गोला बनता है।

- इसलिए मल- मूत्र का भी कभी न रोकें।

धन्यवाद!


शनिवार, 28 मई 2022

थायरॉइड को कैसे ठीक करें?गुरु आयुर्वेद F.in hindi.

 थायरॉइड को कैसे ठीक करें?गुरु आयुर्वेद F.in hindi.

#Healthtips #Healthcare #ghareluupaye,

#थायरॉइड क्या होता है?हिन्दी में



Thyroid kya hota hain ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

#Thyroid kya hota hain ?In hindi.

 एक तितली के आकार (butterfly-shaped organ) थायराइड  की ग्रंथि होती है जो गर्दन में श्वासनली (विंडपाइप) के सामने होती है। थायराइड का कार्य हार्मोन को स्रावित करना है  थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) थायराइड हार्मोन हैं। जो बॉडी फंक्शन को बदलता और मैनेज करता है।

 जब भी हार्मोन में अचानक से उतार-चढ़ाव होता है, तो कई लक्षण दिख सकते हैं, 

See also

</>https://youtu.be/Aq1r8ddZTHs

#थायराइड में क्या प्रॉब्लम होती है?

हमेशा थकान ,

गर्दन में सूजन, 

वजन तेजी से बढ़ना, 

 गुस्सा आना, 

स्किन ड्राई होना , 

ठंड लगना और डिप्रेशन होना शामिल है।

  दुसरी तरफ हाइपोथायराइड( Hypothyroid) होता है

 जिसमे वजन तेजी से गिरता जाता है। 

तेज धड़कन , 

कमजोरी, 

बालों का झड़ना, 

पसीना ज्यादा आना है।

# थायराइड के आरम्भ मे लक्षण क्या होते हैं?

थायरॉइड बढ़ जाए तो गर्दन में सूजन हो सकती है. 

- मांसपेशियों में, शरीर के जोड़ों में अक्सर दर्द रह सकता है.

* हाइपोथायरॉइड में त्वचा में रूखापन आ सकता है.

बालों का तेजी से झड़ना, 

कब्ज की समस्या सकती है

#थायराइड के लिए आयुर्वेदिक दवा: 

- अश्वगंधा ( विथानिया सोम्निफेरा ) एक एडाप्टोजेन जड़ी बूटी है जो आपके तनाव के स्तर को भी दूर करती है।

अश्वगंधा में थायराइड ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन्स को संतुलित करने का गुण है। एंटीऑक्सीडेंट से भरा अश्वगंधा ग्रंथी को सही मात्रा में हार्मोन उत्पादन करने में मदद करता है। हार्मोन संतुलन के साथ ही अश्वगंधा इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।

- काचनार की छाल का चूर्ण या काढा पीयें।

- जलकुंभी और सहजन दो ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो शरीर में आयोडीन के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

- धनिया और जीरक का प्रयोग लाभकारी है। धनिया को चाय तरह पकाकर ले सकते है।

जीरे को भुन कर पानी से ले सकते है।

अदरक का काढा भी काफी कारगर हो सकता है

# थायराइड के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा है?

आरोग्यबर्द्धिनी बटी,

मेदाहर बटी,

स्लिम-सी कैपसूल

कांचनार गुग्गुल वटी और वृद्धिवाटिका वटी 2-3 गोली ले लें। 

अगर बच्चे को हैं तो 1-2 गोली सेवन कराए।

रोजाना सुबह गौमूत्र अर्क का सेवन करे

- त्रिफला चूर्ण तथा त्रिकुटा चूर्ण दोनों मिलाकर सेवन करे।

- अश्वगंधा और गिलोय की 1-2 गोली का लें।

- सुबह एलोवेरा और आंवला का जूस पिएं।

- बहेड़ा सजून और दर्द कम करने में करे मदद।

-मुलेठी- 

मुलेठी थायराइड ग्रंथि को संतुलित करन में मदद करता है और थकान को मिटाता है.

#थायराइड मे क्या खायें क्या न खायें?

- थायराइड मरीजों को चावल ब‍िल्‍कुल नहीं खाना चाह‍िए। इसमें चावल में ग्‍लूटेन प्रोटीन होता है जो एंटीबॉडीज को कम देता है 

- तली भुने भोजन न करें।

- दिन मे न सोयें।

- थोड़ा व्यायाम जरुर करें।

- फास्टफूड, कोल्डड्रिंक आदि न लें।

#थायराइड में कौन कौन से फल खाने चाहिए?

जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और रास्पबेरी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

नोट:- किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करलें।

धन्यवाद!




गुरुवार, 26 मई 2022

सफेदबाल|white hair|पलित रोग की सरल घरेलू उपाय।in hindi.

 #HairCare #healthtips #ghereluupaye  #Ayurvedictreatment. #dr.virendermadhan.

#सफेदबाल|white hair|पलित रोग की सरल घरेलू उपाय।in hindi.

*****************



#सफेद बाल|white hair|की सरल घरेलू उपाय।

#Safed balon ko saral gharelu upaye.in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

- आयुर्वेद के अनुसार ऐसे कई नुस्खे हैं जिनकी सहायता से सफेद हुए बालाें काे लम्बे समय तक छाेटी उम्र में बाल सफेद हाेना इन दिनाें के आम समस्या बन गई है।

#बालों के पकने का कारण?

जीवनशैली खराब होने के कारण,

- अनियमित दिनचर्या,

- पौष्टिक भोजन की कमी, -आनुवांशिकता,

- घूप मे रहने से

- तनाव,

- प्रदूषण,व रोगो के कारण,

- बहुत ज्यादा शैंपू और तेल का उपयोग करना है।

* वैज्ञानिक रूप से जब बालों में मेलानिन पिग्मेंटेशन की कमी होने लगती है तो बाल अपना काला रंग खोकर सफेद हो जाते हैं। घर पर मिलने वाली चीजों का उपयोग कर और प्राकृतिक तरीके अपनाकर बालों का रंग दुबारा काला  किया जा सकता है।

भारत की प्रचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार एसे कई नुस्खे हैं जिनकी सहायता से असमय सफेद हुए बालाें काे लम्बे समय तक के लिए जड़ से काला किया जा सकता। 

#सफेद बालों को काला करने के 

लिये:-

- भृंगराज और अश्वगंधा       ( Bhringraj and Ashwagandha ) 

अश्वगंधा के पत्ते और भृगंराज का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों का पेस्ट नारियल के तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। एक घंटे बाद गुनगुने पानी से बालों को धो लें।

#ब्राह्मी ( Brahmi )

- ब्राह्मी ( Brahmi ) की पत्तियों को पीसकर नारियल या ऑलिव ऑयल में उबालें। इसे छानकर बालों की मालिश करें।

#नींबू के रस ( Lemon Juice )

- नींबू के रस ( Lemon Juice ) में चार चम्मच आंवला पाउडर ( Amla Powder ) और 2 चम्मच पानी मिलाकर एक घंटे के लिए रख दें। तैयार पेस्ट को सिर धोने से करीब एक घंटा पहले लगाने से बाल काले होते हैं।

#मेहंदी के पत्ते:-

- मेहंदी के पत्ते सरसों के तेल में उबाल लें। छानकर बोतल में भर कर रख लें। रात को सोते समय इससे 5-10 मिनट सिर की मालिश करें, सुबह धो लें।

#आंवला रस ( Amla Juice )

- आंवला रस ( Amla Juice ) को बादाम तेल ( Almond Oil ) में मिलाकर लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं। 

#आंवला और नारियल:-

आंवले के कुछ टुकड़े नारियल तेल ( Coconut Oil ) में तब तक गर्म करें जब तक कि आंवला काला न हो जाए। इस तेल से बालों की मालिश करने से लाभ होगा।

#घरेलू उपाय|एक सामान्य योग 

- लोहे की कड़ाही में एक कटोरी मेहंदी पाउडर, 2 बड़े चम्मच चाय का पानी, 2 चम्मच आंवला पाउडर, एक चम्मच नींबू का रस, दो चम्मच दही( Curd ) , शिकाकाई ( Shikakai ) और रीठा पाउडर ( Reetha Power ) , एक अंडा, आधा चम्मच नारियल तेल और थोड़ा कत्था मिलाएं।

 इस पेस्ट को रातभर भिगोने के बाद सुबह बालों में दो घंटे लगाएं। सूखने पर बिना शैंपू के सिर्फ पानी से धो लें।

धन्यवाद!



पित्त की थैली से पत्थरी 1दिन में गायब ?In hindi.

 #पित्त की थैली से पत्थरी 1दिन में गायब ?In hindi.



#पित्त की पथरी|पित्ताशय मरी[गालब्लेडर स्टोन] का निदान एवं चिकित्सा।

#Dr_Virender_Madhan.

मेरे इस आर्टिकल के अन्तिम भाग मे वे फार्मूले है जिनसे मे रोगीयों की पथरी निकलने मे सफल रह हूँ।

आजकल चारों तरफ एक एक जादूगर बैठे है कोई पेट को छू कर पथरी बाहर निकाल कर दिखाता है कोई आयुर्वेदिक जडी दे कर एक ही दिन मे पथरी निकाल ने का दावा करते है। हमें इस तरह की अफवाहों से बचने की जरुरत है।एक तरह से आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है।

एक तरफ यह कह कर कि पित्ताशय से पथरी केवल सर्जरी से ही निकल सकती ।अधिकतर लोगों को डराकर उनकी बे वजह से चीरफाड की जा रही है एक तरह से व्यसाय करण हो गया है।

मेरे अनुभव के अनुसार 60से70 % रोगी आयुर्वेदिक चिक्तिसा से ठीक होना सम्भव है।

सवाल उठता है पत्थरी बडी होती है और निकलने का मार्ग संकीर्ण बहुत छोटा तो कैसे बाहर आयेगी?

जिस रास्ते से जिस तरह से जो जाता है उसी रास्ते से उसी रुप मे वापस आ सकता है।

पित्ताशय मे पथरी पहले तरल पदार्थ के रूप में गई थी अब उसे आयुर्वेदिक तकनीक से तरल रुप लाकर बाहर विरेचन किया जा सकता है।

अब सोचना है कि पथरी को तरल कैसे करें।

[इस बिषय पर विद्धानों से अपने अपने विचार भेजने का अनुरोध कर रह हूँ।]

आयुर्वेद के अनुसार पथरी होती क्यों है 

बाहरी कारण

आज का आदमी आलसी हो गया है। आयुर्वेद मे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शारिरिक मेहनत,व्यायाम, व अभ्यंग को बहुत महत्व दिया है।ताकि रोग दूर रहें दीर्धायु रहे।

आलसी होने से हृदय रोग,मोटापा, और पित्ताश्मरी जैस कष्टकारी रोग तेजी से फैल गये है।

*खानपान की गलत आदतों की वजह से भी आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

*पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के ठीक पीछे होता है। पित्त की पथरी गंभीर समस्या है क्योंकि इसके कारण असहनीय दर्द होता है। इस पथरी के निजात पाने के लिए आपको अपने खान-पान की आदतों में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं।

#क्यों महत्वपूर्ण है पित्त की थैली?

यकृत|लिवर से बाइल नामक डाइजेस्टिव एंजाइम का स्राव निरंतर होता रहता है। उसके पिछले हिस्से में नीचे की ओर छोटी थैली के आकार वाला अंग होता है, जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। इसी पित्ताशय में ये बाइल जमा होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर पूरे 24 घंटे में लगभग 800 ग्राम बाइल का निर्माण करता है।

#कैसे बनती है पित्त में पथरी?

अन्दरूनी कारण:-

पथरी के कारणों को मुख्य दो भागों में बांटा है।

1-संक्रमण

किसी रोग के संक्रमण से लीवर पर सूजन होने से पित्तलवण शोषित हो जाता है पित्तलवण कोलेस्ट्रॉल के जमे कणों को अलग करता रहता है इसलिए पथरी का जमाव नही होता है लेकिन जब पित्तलवण की कमी होती है तो कोलेस्ट्रॉल का जमाव हो कर पथरी बन जाती है।

</>आयुर्वेद मे कोलेस्ट्रॉल आमवात का ही रुप है जो हमारे जीवनशैली के बिगडने से बनता है।

2-पित्त का अवरोध हो जाना।

मोटापा, बहु प्रसवा,अधिक वसायुक्त भोजन के कारण पित्ताशय रिक्त नही हो पाता है।पित्ताश्मरी का कारण बन जाता है।

या 

रक्त व पित्त मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अघिक होने से प्रतिक्रिया स्वरूप पित्त बहुत गाढा हो जाता है फिर पित्ताश्मरी का निर्माण होने लगता है।

कोलेस्ट्रॉल (एक प्रकार का आमवात) का चयापचय ठीक न होने पर, या बिलीरूबिन के इक्कठा होने पर कैल्शियम जमकर पथरी बना देती है।

इसमें मौज़ूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।

#पित्त की पथरी के लक्षण क्या है?

शुरू में गॉलस्टोन के लक्षण नज़र नहीं आते। 

जबतक पथरी गालब्लेडर मे रहती है तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है।

- जब समस्या बढ़ जाती है गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। तब ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द।

* अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन, पेट में भारीपन, वोमिटिंग, पसीना आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।

पित्ताशय नली मे पथरी होने से अवरोध होने पर रोगी कामला रोग से पीडित हो जाता है।

बदहजमी, खट्टी डकार, पेट फूलना, एसिडीटी, पेट में भारीपन, उल्टी होना, पसीना आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।यकृतशोथ के कारण सर्दी के साथ ज्वर हो सकता है।

काफी समय तक सुजन होने पर ,चिकनाई युक्त भोजन करने पर अपच की शिकायत होती है  जी मचलता है वमन भी होते है।

#पित्त की पथरी में क्या करें परहेज ?

*पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए।

*इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। 

*मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं।

#पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज?

* अगर आपको पित्त की पथरी की समस्या है तो गाजर और ककड़ी का रस प्रत्येक 100 मिलिलीटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीएं. इस समस्या में ये अत्यन्त लाभदायक घरेलू नुस्खा माना जाता है. ये कॉलेस्ट्रॉल के सख्त रूप को नर्म कर बाहर निकालने में मदद करती है।

अगर शुरुआती दौर में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को केवल दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। 

*नारियल पानी, लस्सी, आदि का खुब प्रयोग करना चाहिए।

[इसे इग्नोर न करें ये अनुभव योगो मे से है ध्यान से पढें।]

-सवेरे खाली पेट रोज 10 ग्राम जैतून का तैल पीलायें।

*पित्ताश्मरी के कारण दर्द हो तो दर्दनिवारक औषधि दे।

*यकृतप्रदेश पर सेक करें।

 1-*अपामार्ग क्षार, सोडाबाई कार्ब,यवाक्षार, नृसार समभाग चूर्ण लेकर हल्के गर्म पानी से या कुमार्यासव एवं दशमुलारिष्ट के साथ देने से दर्द मे राहत मिल जाती है।

2- >>ताम्रभस्म 60 मि०ग्रा० 

निशोथ 3ग्रा०

कुटकी 3 ग्रा०

शंख भस्म 120 मि०ग्रा०

--दिन तीन बार करेले के रस से या फलत्रिकादि क्वाथ से देवें।

3- *अगस्तिशूतराज 60-60 लि०ग्रा० घण्टे घण्टे बाद देने से आराम मिल जाता है।

4-वमन के लिए नींबू पर कालानमक व काली मिर्च का चूर्ण लगाकर चुसने से वमन मे लाभ मिलता है।

#गुरु पित्ताश्मरी भंजन मिश्रण.

(विषेश औषधि)

वेरपत्थर भस्म १भाग

यवाक्षार १-भाग

नृसार १-भाग

सोरक १- भाग

अपामार्ग क्षार १-भाग

नारिकेल क्षार १- भाग

कोकिलाक्ष क्षार १- भाग

सभी द्रव्यों को मिलाकर रख लें।

आवश्यकता के अनुसार 5-6 ग्रा०की मात्रा में गर्म पानी से, या गौमुत्र के साथ लेने से पित्ताश्मरी व वृक्काश्मरी दोनों तरह की अवस्था में आराम मिलता है दोनों स्थानों की अश्मरी का शमन होता है।


*ज्य़ादा गंभीर स्थिति में सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। पुराने समय में इसकी ओपन सर्जरी होती थी, जिसकी प्रक्रिया ज्य़ादा तकलीफदेह थी लेकिन आजकल लेप्रोस्कोपी के ज़रिये गॉलब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है और मरीज़ शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।

∆ सभी आयुर्वेदिक विशेषज्ञों से अनुरोध है कि अपने विचार अवश्य कोमेंटस मे दे पथदर्शक बने।

धन्यवाद!

<<Dr_Virender_Madhan.>>

#GuruAyurvedaInFaridabad.

गठिया|Gout क्या होता हैं इसके लक्षण और उपाय?In hindi.

  गठिया|Gout क्या होता हैं इसके लक्षण और उपाय?In hindi.

#गठिया|Gout क्या होता हैं?



Gatiya kye hota hain?

Dr.VirenderMadhan.


#गठिया|Gout:-

आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है

जब रक्त में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह रोग पैदा होता है। 

शरीर में यूरिक एसिड का उच्च स्तर - हाइपरयूरिसीमिया नामक एक स्थिति - के परिणामस्वरूप गाउट का विकास होता है ।

यूरिक ऐसिड हमारे शरीर की विविध क्रियाओं के कारण पैदा होता है, जिसका निर्माण कुछ खास प्रकार के आहारों के कारण होता है। इस रोग को गाउट नाम से जाना जाता है।  मूत्र उत्सर्जन के माध्यम से शरीर से यूरिक ऐसिड बाहर होता रहता है। लेकिन कुछ लोगों में यूरिक ऐसिड की उत्पत्ति बहुत ही अधिक मात्रा में होने लगती है, तथा जो शरीर से उसी अनुपात से  मूत्र के द्वारा बाहर नहीं हो पाता है।  यही बढ़ा हुआ यूरिक ऐसिड नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल्स का रूप लेकर जोड़ों के इर्दगिर्द इकट्ठे होकर उस जोड़ के आसपास सूजन, तीव्र दर्द को पैदा कर देते हैं। आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी उत्पत्ति में वायु और रक्त की भूमिका होने से ही इसे (गठिया)वात-रक्त नाम से जाना जाता है।

-ऐसे रोगी जो ट्रायग्लिसराइड्स के बढ़े हुए स्तरों से पीड़ित रहते हैं, उनको इस रोग से ग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। 

- हाइपरटेंशन एवं मोटापे से पीड़ित लोगों में भी यह रोग अधिक देखा जाता है - 

- गुर्दों के रोगों से पीड़ित रोगी भी इस रोग से ग्रस्त होते पाए जाते हैं। अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक्स, डाइयूरेटिक औषधियां, कीमोथैरेपी भी इस रोग के पैदा होने की सम्भावना रहती है।

#गठिया के कारण क्या हो सकते है?

- रात के समय जागना 

-नमकीन, खट्टे, चरपरे, खारे, चिकने तथा गरम खाद्य-पदार्थों का अत्यधिक सेवन

-नियमित रूप से रात के समय भोजन करना

-पहले किए गए भोजन के हजम होने से पहले ही दोबारा भोजन करना

-सड़े-गले एवं सूखे हुए मांस का सेवन करना

-जलीय जीव-जंतुओं के मांस का सेवन करना

-मूल शाक जैसे अरबी, आलू, मूली, जमहकंद का अधिक सेवन करना

-कुलथी, उड़द, सेम, गन्ना एवं इससे बनने वाले चीनी, गुड़, मिठाईयों का अंधाधुंध सेवन करना

- छाछ,दही, कांजी, सिरका,  शराब इत्यादि का अनियंत्रित सेवन।

-अधिक क्रोध करना

-दिन में सोने की आदत होना

#गठिया के लक्षण?

सबसे पहले एक पैर के अंगूठे में लगभग आधी रात के समय अचानक दर्द महसूस होना तथा उसमें सूजन आना। उस हिस्से में लालिमा पैदा होना,

- कुछ रोगी ऐड़ी एवं टखनों में भी तेज दर्द महसूस करते हैं। यह दर्द घुटनों, कलाई, कुहनी, अंगुलियों में भी हो सकता है।

#गठिया है तो क्या करें?

-सवेरे बिस्तर से उठते ही बिना कुल्ला किए ही पानी पिएं। यह प्रयोग बढ़े हुए यूरिक ऐसिड को नियंत्रित करने के लिए बेजोड़ है। 

-पूरे दिन भर में 6 से 8 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी होता है।

-यूरिक ऐसिड बढ़ने पर गिलोय के प्रयोग को सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। अतः गिलोय का ताजा रस, चूर्ण, काढ़ा सेवन किया जान चाहिए। यदि गिलोय के साथ अरंडी का तेल (कैस्टर आइल) का भी सेवन किया जाए तो शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।

-भोजन के तत्काल बाद मूत्र-त्याग अवश्य करें-ऐसा नियमित रूप से करने से यूरिक ऐसिड नहीं बढ़ता है। यहां पर ध्यान देने योग्य बात है कि इस साधारण से दिखाई देने वाले प्रयोग से अनेकानेक प्रकार के मूत्र-विकारों, पथरी इत्यादि से भी बचाव होता है तथा लम्बे समय तक गुर्दे स्वस्थ एवं सबल बने रहते हैं। इससे भोजन का पाचन भी सुचारू रूप से होता है और शरीर में हलकापन आता है।  

#Gout मे क्या खायें क्या न खायें?

परहेज:-

बिस्किट्स, बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, हरे मटर, पालक, कुलथी, सेम, फैंच बीन, बैंगन, मषरूम, पनीर, सूखा नारियल, सूखे मेवे, सोयाबीन, खमीरी आटा, सत्तू, कस्टर्ड, मूली, अरबी, अचार, चाय,  सुखाया हुआ दूध, काॅफी, कांजी,  अंडा, मांस, सुखाया हुआ मांस, मछली, शराब, पान, तिल, फास्टफूड जैसे पिज्जा, हाॅट डाॅग, बर्गर, मोमोज, चाउमीन, स्प्रिंगरोल इत्यादि, उड़द, बाजरा, कांजी, गरिष्ठ आहार जैसे पक्वान्न, मिठाईयां, पापड़। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे आहारों के सेवन से बचना चाहिए जिसमें प्यूरीन पाया जाता है जैसे दालें, ओटमील, पालक, शतावरी, मशरूम, पत्ता गोभी।

#गठीया मे क्या क्या खायें?

अन्न-गैंहू, चावल, मूंग, जौ, मसूर, मोठ, चना, अरहर, लाल चावल, फल-चैरी, पाइन ऐपल, संतरा, पपीता, मुनक्का, आंवला, ताजा घी (नवीन घृत), ताजा दूध (थैली वाला नहीं), शाक-बथुआ, चैलाई, करेला, अदरक, परवल, मकोय, फल एवं तरकारियों से घर पर ही बने हुए सूप। लहसुन, प्याज, आंवला, जमीकंद, कूष्मांड,नमक, टमाटर, सिरका, अमचूर, नींबू का रस, दही, लस्सी (जो खट्टी न हो)आलू।

धन्यवाद!

मंगलवार, 24 मई 2022

Pils|पाइल्स रोग क्या है?बवासीर के लक्षण,कारण व उपाय ?In hindi.

 #Healthcare #घरेलूउपाय #आयुर्वेदिकचिकित्सा #Ayurvedictreatment

Pils|पाइल्स रोग क्या है?बवासीर के लक्षण,कारण व उपाय ?In hindi.



#Pils ko kaise tik keren?

Dr.VirenderMadhan.

Pils|पाइल्स रोगक्या है?

पाइल्स रोग बहुत ही दर्दनाक बीमारी है जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है| इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ Warts यानि की मस्से बन जाते हैं| यह रोग इतना गंभीर होता है कि इससे आपको शरीर में काफी दिक्कत हो सकती है| एनस में मस्से होने के कारण इसमें काफी दर्द होता है साथ ही इससे कई बार खून निकलने की परेशानी भी आ जाती है| जो लोग अपनी इस समस्या को शर्म के कारण या काम में व्यस्त होने के कारण अनदेखा करते हैं तो यह समस्या काफी बड़ा रूप ले लेती है| इस समस्या को अनदेखा करना भगंदर का रूप धारण कर लेता है, जिसको फिस्टुला नाम से भी जाना जाता है| जो काफी दर्दनाक होता है

#बवासीर|पाइल्स रोग होने के क्या क्या कारण  होते हैं?

* कब्ज रहना

अगर किसी को हमेशा पेट में कब्ज बनी रहती है तो इससे पाइल्स रोग होने की संभावना बढ़ जाती है| क्योंकि कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है| जिससे एनस की त्वचा में काफी जोर पड़ता है और यह आपको पाइल्स का शिकार बना सकता है ।

मोटापा

- अधिक मोटापा भी बवासीर रोग का एक बड़ा कारण माना जाता है|

- स्त्रियों में कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी बवासीर की समस्या हो सकती है|

-फ्राईड भोजन

अपने आहार में बहुत ज्यादा तला और भुना आहार लेना आपको बवासीर से पीड़ित बना सकता है|

- कुआहार

जो लोग अपने रोजाना के आहार में फाइबर का सेवन बिलकुल नहीं करते उन्हें भी बवासीर हो सकती है।

-  बहुत ज्यादा शराब और सिगरेट का सेवन करना, और बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहना भी पाइल्स का कारण बनता है.

- सख्त कुर्सी या कठोर स्थान पर बैठ रहने से,

- मोटरसाइकिल जैसी सवारी का अत्यधिक प्रयोग करनें से बवासीर बन जाती है।

#बवासीर के लक्षण क्या है?

- गुदा मे सुंई चुभने जैसे वेदना होना।

- मलत्याग के समय दर्द होना।

या मलत्याग के साथ रक्त का आना।

- मलद्वार पर खुजली होना

- अत्यधिक कब्ज होना।

-मलद्वार पर मस्सें होना ही बवासीर होता है।


#बवासीर से कैसे बचे?

बवासीर से बचने के लिए अपनी जीवनशैली को ठीक करें.

 आप सही आहार, विहार और सही उपचार को अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं|

-छोटी हरड भुन कर रखें उनमें से एक दिन में एक बार जरूर खायें।

 - आप नारियल पानी पीयें

- दोपरह तक एक बार छाछ पीयें।

- छाछ मे कालानमक, पुदिना मिलाकर पी सकते हैं| यह पाइल्स रोग को दूर करने का एक अच्छा और प्राक्रतिक उपाय है| जिसका आपके शरीर में कोई नुकसान नहीं होता|

- आहार में अजवाइन भी पाइल्स रोग के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है| इसका सेवन आपको कब्ज, गैस और पेट दर्द की समस्या से राहत देता है| एक बड़ा कारण कब्ज है| इसके लिए आप एक गिलास छाछ में आधा चम्मच अजवाइन का चूर्ण और नमक मिलाकर इसका सेवन करें|

- गुलकंद का सेवन भी आपके लिए काफी फायदेमंद माना जाता है|

- त्रिफला चूर्ण 1-1 चम्मच पानी से दिन में दो बार लें।

#पाइल्स कीआयुर्वेदिक औषधियाँ?

आयुर्वेद में अर्शकुठार रस,बहुलाशक गुड,भल्लातक गुड,

अभयारिष्ट जैसी बहुत सी औषधि है जिनसे बवासीर समूल नष्ट हो जाती है.

> लेकिन इनके प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए ताकि आपकी रोग की प्रकृति, अवस्था के अनुसार औषधि व उसकी मात्रा तय कर सके।

हमारी एक सलाह:-

अगर आप बवासीर रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा लेना चाहते हैं तो आप - AZA Capsules ले सकते हैं| जो पाइल्स रोग को दूर करने का अचूक इलाज़ है|

  AZA Capsules पूरे 100 प्रतिशत प्राकृतिक है. मेरा मित्र इस रोग से पीड़ित था| वो काफी तकलीफ में और कई बार तो वह अपनी इस तकलीफ के कारण काफी चिढ़- चिढ़ा भी हो जाता था| उसके एलॉपथी में इसके लिए बहुत इलाज़ किये लेकिन उसको कोई फर्क नहीं हो रहा था| उल्टा मेरे मित्र की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसने हम लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिया था|

फिर काफी समय बाद मेरे मित्र के चेहरे पर मैंने सूकून देखा और उसकी तकलीफ में आराम हुआ| मुझे बड़ी ख़ुशी थी कि मेरा मित्र अब ठीक है| फिर उसने मुझे बताया कि उसने अपने पाइल्स के रोग के लिए AZA Capsules ली,अब वो पूरी तरह ठीक है| अगर आप या आपका कोई अपना इस समस्या से परेशान है तो हमारा सुझाव है कि आप भी AZA Capsules  लें और अपने इस दर्दनाक रोग से मुक्ति पाएं|

इसके लिए आप अपने पास के मेडिकल स्टोर से सम्पर्क करें?

धन्यवाद!


Nason ki kamjori|नसों की कमजोरी के कारण, लक्षण और उपचार हिंदी में.

 #Nason ki kamjori|नसों की कमजोरी के कारण, लक्षण और उपचार  हिंदी में.



#Nervous Weakness in Hindi

Dr.Virender Madhan.

खराब जीवनशैली के कारण नसों की कमजोरी भी हो जाती  है। नसों की कमजोरी तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में हम वर्णन करेंगे। यह विकार गंभीर इसलिए भी है, क्योंकि यह कई मानसिक और शारीरिक तकलीफों का कारण बन सकता है 

विषय सूची

नसों की कमजोरी क्या है – What is Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के कारण – Causes of Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के लक्षण – Symptoms Of Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के लिए आयूर्वेदिक चिकित्सा – Ayurveda For Nervous Weakness

****************

#नसों की कमजोरी क्या है – What is Nervous Weakness in hindi.

 नसों की कमजोरी है क्या?  नसें हमारे शरीर में किसी कम्प्यूटर के वायर की तरह काम करती हैं, जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं को करने के लिए दिमाग तक संदेश पहुंचाती हैं। जब किसी वजह से ये नसें दिमाग तक ठीक तरह से संदेश पहुंचाने में विफल होती हैं या फिर नहीं पहुंचा पाती हैं, तो इसे ही नसों की कमजोरी के रूप में जाना जाता है। मानों जैसे कम्प्यूटर में लगा कोई वायर ब्रेक हो जाने के कारण कम्प्यूटर ठीक से काम करना बंद कर देता है। यह विकार शरीर के एक या कई हिस्सों को प्रभावित कर नसों को कमजोर बना सकता है। 

#नसों की कमजोरी के कारण – Causes of Nervous Weakness in Hindi

- ज्यादा टेंशन में रहने, -अनहेल्दी फूड खाने  -फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा करने से.

- शरीर पर आने वाली चोट के कारण नसों में सूजन से

- डायबिटीज की समस्या के कारण नसों में होने वाली क्षति।

- हाई ब्लड प्रेशर या आर्टरी वॉल के अंदर फैट का जमाव।

-ऑटोइम्यून डिजीज के कारण, जिसमें गलती से प्रतिरोधक तंत्र अपने ही टिशू को नष्ट करने लगता है।

-किसी संक्रामक बीमारी के कारण, जिसका सीधा प्रभाव नसों की कार्यक्षमता पर पड़े।

- शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति भी नसों में कमजोरी की वजह बन सकती है।

-किडनी और लिवर से संबंधित विकार के कारण 

-अत्यधिक शराब का सेवन से

- पोषक तत्वों की कमी के कारण।

- ट्यूमर या कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण।

#नसों की कमजोरी के लक्षण – Symptoms Of Nervous Weakness in Hindi.

- नसें कमजोर हो रही हैं तो एक बड़ा संकेत है कि व्यक्ति की याद्दाश्त घटने लगती है। चक्कर आना भी एक महत्वपूर्ण लक्षण है 

- नसों में जान महसूस न होना।

- प्रभावित हिस्से में अत्यधिक दर्द या मरोड़।

- नसों में तनाव महसूस होना।

- हाथ या पैर में संवेदनहीनता।

- अत्यधिक पसीना आना।

- अनियंत्रित बल्ड प्रेशर।

- पेट से संबंधित विकार।

- स्पर्श को महसूस करने की शक्ति कमजोर होना।

#नसों में ताकत लाने के लिए क्या करें?

- सेंधा नमक में मैग्नीशियम और सल्फेट पाया जाता है,

सेंधा नमक सूजन को कम करता है।

सेंधा नमक के पानी से नहाने से नसों और मांसपेशियों की कमजोरी को दूर किया जाता है। 

- वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें .

-रोगी को हाइड्रेटेड रहना चाहिए

- आलस छोडे,गतिशील रहें .

- धूम्रपान न करें.

#नसों को मजबूत बनाने के लिए क्या खाएं?

 नसों को मजबूत बनाने के लिए फूड्स|Foods for veins:

बादाम – 

 इसके नियमित इस्तेमाल से कई फायदे होते हैं. रोज बादाम खाने से लोगों की कमजोरी दूर होती है. इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल भी ठीक रहता है. बादाम हमारे वजन को भी बढ़ने से रोकता है.

- बहुत सारा फाइबर खाएं फाइबर पाचन तंत्र को सही ढंग से काम करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है.

- विटामिन सी और विटामिन ई का वाली चीचें सेवन करें।

अनार 

अनार में एंटीऑक्सीडेंट्स और नाइट्रेट्स उच्च मात्रा में होते हैं, जो कि रक्त वाहिकाओं (नसों) को रिलैक्स करने और खोलने में मदद करते हैं.

प्याज और लहसुन का प्रयोग करें ।

विटामिन-सी वाले फूड्स.

#नसों की कमजोरी के लिए आयूर्वेदिक चिकित्सा – Ayurveda For Nervous Weakness

आयुर्वेद के अनुसार नसों की कमजोरी को वात विकारों मे गिना है।

वात विकारों में अभ्यंग|मालिस करना और वस्तिकर्म को उत्तम माना है।

आयुर्वेदिक ऑयल मसाज के लिऐ बहुत से तैल उपलब्ध है

जैसे न्यूमोस आयल,

 महानारायण तैल,बलादितैल, अश्वगंधादि तैल,आदि इन तैलो की मालिस करने से नाडीयों को बल मिलता है।

घरेलू मसाज आयलः

एरण्ड तैल,सरसौ का तैल और तिल तैल मिलाकर शरीर पर मालिस की जाती है।

मगर नसों में अधिक दर्द रहता है तो इसमें पुदीने का तेल मिलाकर प्रयोग कर सकते है।

-कुटकी का तैल पेट पर मालिस करनें से स्नायु को बल मिलता है।

* कुछ आयुर्वेदिक औषधियोंः

अश्वगंधा चूर्ण,

बलामूल चूर्ण,

पुष्टि कैपसूल,

अर्थो-जी कैपसूल

शिलाजीत कैपसूल

नोटः- कोई भी औषधि प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करें।


सोमवार, 23 मई 2022

कैसी हो ग्रीष्म ऋतुचर्या की जीवनशैली?In hindi.

 

#कैसी हो ग्रीष्म ऋतुचर्या की जीवनशैली?In hindi.

#How is the lifestyle of summer season?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.



#Kaisi ho garmi ke deeno main deen charya?

आयुर्वेदिक प्रसिद्ध “चरक संहिता” में कहा गया है कि जो व्यक्ति ऋतु के अनुसार अनुकूल आहार विहार की जानकारी रखता है और उसके अनुसार आचरण भी करता है, उसके बल और गुणों की वृद्धि होती है। 

#ग्रीष्म ऋतु के लक्षण:-

ग्रीष्म ऋतु को आदान काल भी कहा जाता है। इस काल में सूर्य की किरणें और वायु अत्यंत तीखी, रूखी और गर्म होती हैं, जिससे पृथ्वी के सौम्य गुणों में कमी आ जाती है। 

इससे तिक्त, कटु और कषाय रस बलवान हो जाते हैं।

#ग्रीष्म ऋतु मे आहार-विहार कैसा होना चाहिये?

 ग्रीष्म ऋतु के इस प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमें हितकारी आहार-विहार का पालन करना चाहिए। 

मौसम परिवर्तन के साथ अगर आहार परिवर्तन भी कर लिया जाये तो कुछ मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।

  गर्मी में शर्बत, ठंडा, दूध, प्रूट, जूस और आइसक्रीम जैसी वस्तुएं लेना चाहिए।

#ग्रीष्म ऋतु मे खाने योग्य आहार :-

-- मधुर, सुपाच्य, जलीय, ताजे, स्निग्ध व शीत गुणयुक्त पदार्थ :-  

-- दूध, घी, लौकी, पेठा, गिल्की, परवल, चौलाई, शकरकंद, गाजर, बीट (चुकंदर), सूरन, पालक, हरा धनिया, पुदीना, हरी पतली ककड़ी, मोसम्बी, मीठे संतरे, शहतूत, खरबूजा, मीठा आम, अनार, फालसा, खीरा, आँवला, करौंदा, कोकम, नारियल आदि।

ड्राईफ्रूट्स:-

 मुनक्का, किशमिश (रात को भिगोये हुए)

पेय :-

  - ग्रीष्म ऋतु में शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाती है। अत: निरापद गुणकारी पेय अवश्य पीना चाहिए।

*  नींबू-मिश्री का शरबत, आँवला शरबत, आम का पन्ना, ठंडाई, ठंडा दूध, नारियल पानी, स्वच्छता से निकला गन्ने का रस।

- छाछ पीयें , फलों का जूस लें।

#ग्रीष्म ऋतु मे क्या न खायें?

- बासी, उष्ण, तला, मसालेदार भोजन, फ्रिज का अत्यधिक ठंडा, गरिष्ठ, वातवर्धक भोजन।

#ग्रीष्म ऋतु मे विहार :-

--ग्रीष्म ऋतु में रात को जल्दी सोयें, सुबह जल्दी उठें, 

- उष:पान का प्रयोग करें। मुँह में पानी भर पलकों पर छींटें मारें एवं नंगे पैर घास पर चलें। 

-- सूती कपड़े व सिर पर टोपी पहनें। धूप में निकलने से पूर्व पानी पीकर जायें। 

--आने के तुरंत बाद पानी न पीयें। पसीना सुखाकर ही पानी पियें।

#ग्रीष्म ऋतु मे क्या करें क्या न करें ?

--अति आहार, अति व्यायाम, अति परिश्रम, मैथुन, वात-पित्तवर्धक पदार्थ वर्जित हैं।

- मधपान जैसा कोई भी नशा न करें।

- पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) न होने दें। इसके लिए दिन में पानी पीते रहना चाहिए। 

--फ्रिज में रखा पानी पीने से गले के रोग अपच तथा मन्दाग्नि आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

 --दिन में एक बार कोई मीठा शरबत या नीबू पानी लेना चाहिए। 

--चुस्ती और फुर्ती के लिए पानी में ग्लूकोज डालकर पीने से भी घबराहट कम होती है।

--सत्तु को मीठा और पतला करके सेवन करना भी हितकारी होता है। 

--जौ के सत्तू के विषय में आयुर्वेद में कहा है- जौ का सत्तू ठंडा और रुखा खुरचने वाला होता है, सत्तू पीने से वीर्य बढ़ता है, शरीर पुष्ट होता है, कब्ज दूर होती है। यह स्वाद में मधूर और रुचिकर होता है और परिणाम में बल देता है। 

--सत्तू कफ, पित्त, थकावट, भूख, प्यास, घाव, और नेत्र रोगों को मिटाता है और गरमी, जलन तथा व्यायाम से पीडित प्राणियों के लिए उत्तम होता है।

--रात को सोते समय मीठा दूध घूँट-घूँट करके सेवन करना हितकारी रहता है। दूध में एक दो चम्मच घी डालकर सेवन करने से कब्ज और पेट में बढ़ी हुई गरमी नष्ट हो जाती है।

-- अरहर की दाल खानी हो तो शुद्ध घी का छोंक लगाकर खाएं। 

--गर्मी कम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ाने के लिये धनिया, प्याज, पुदीना, की चटनी का सेवन करें इससे जहां खाना जल्दी पचेगा, वहीं भूख भी बढ़ेगी।

-- भोजन ताजा, सुपाच्य और मधुर रसयुक्त करना चाहिए।

-- गर्मी में पाचन क्रिया में पानी की ज्यादा मात्रा में जरुरत होती है।

-- अगर रात में देर तक जागना पड़े तो हर घण्टे में पानी पीते रहना चाहिए ताकि वात और पित्त कुपित न हो। 

-- इस मौसम में हरे पत्ते वाली साग सब्जियां जरुर खाएं जैसे लौकी, तुरई, पके लाल टमाटर, छिलका युक्त आलू, चने की सूखी भाजी, बथुआ, परवल करेला सहजन आदि। 

-- दोपहर बाद तरबूज, खरबूज, सन्तरा, हरी नरम ककड़ी, केला आदि कोई भी मौसमी फल जरुर खाना चाहिए।

- हरड़ का सेवन, गुड़ के साथ समान मात्रा में करने से वात और पित्त का प्रकोप नहीं होता। 

-- इस ऋतुुु में रात में जल्दी सोकर सुबह जल्दी जागना चाहिए। 

--सूर्योदय के पहले थोड़ी दूर तक टहलना चाहिए।

-- जीरे की शिकंजी, ठंडाई, कच्चा नारियल और उसका पानी, सौफ, मिश्री, मक्खन आदि सेवन करना हितकारी होता है।

--भोजन के अन्त में कोई मीठा पदार्थ जैसे थोड़ा सा गुड़ आदि अवश्य खाना चाहिए ताकि पित्त का शमन हो सके।

-- ग्रीष्म ऋतुुु में सूर्य की तीखी किरणों के द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण होता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि का अनुभव होता है। अत: इस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए इस ऋतुु में शीतल, स्निग्ध, मीठा एवं हल्का आहार जैसे:- साठी चावल, जौ, मूंग, मसूर आदि का सेवन करना चाहिए। 

--सफाई से तैयार किया गन्ने का रस पीना ठीक रहता है।

-- हाथ व पैरों में प्याज के रस की मालिश करें। आम के पने का प्रयोग करें। प्याज का सेवन अधिक करें और अपने साथ बाहर भी लेकर जाएं।

#ग्रीष्म ऋतुु में गर्मी से बचाव के लिए

-- प्रात: एवं सायं, दिन में कम से कम दो बार  स्नान करना चाहिए।

-- दही और शहद सेवन करे। दही में पानी मिलाकर सेवन कर सकते है। 

-- रात में दही नहीं खाना चाहिए, 

-- सुश्रुत सूत्र स्थान में कहा है ** हीन (अल्प)मात्रा में किया हुआ भोजन अतृप्ति उत्पन्न करता है और शरीर के बल को क्षीण करता है। 

** अधिक मात्रा में किया हुआ भोजन आलस्य, भारीपन, मोटापा और मन्दाग्नि (अपच) उत्पन्न करता है।

धन्यवाद!




शुक्रवार, 20 मई 2022

रसोई के मसालों से कैसे करें ईलाज?In hindi.

#रसोई के मसालों से कैसे करें ईलाज?In hindi.

#Dr.VirenderMadhan.

[रसोई के मसाले|आयुर्वेदिक औषधि]



रसोई के मसाले गुण व फायदे

 हल्दी , धनिया , जीरा , मेथी , अजवाइन , हींग आदि रोजाना के खाने में शामिल होते है। ये सब शरीर के लिए लाभदायक हैं 
ये भोजन के सहज पाचन में सहायक होते हैं. खाद्य पदार्थों में मसालों की उचित मात्रा इनमें जीवाणुओं की वृद्धि को रोककर नष्ट करने में सहायक है. 

#गरम मसाले को कैसे इस्तेमाल करें?

- जिससे यह खाने में खुशबू और फ्लेवर लाने में मदद करता है। गरम मसाले को फ्रैश मसालों से बनाया जाता है।जिसको कुछ दिनों में ही इस्तेमाल कर लिया जाए तो अच्छा है इसलिए इसकी शेल्फ लाइफ भी कम होती है। गरम मसाले को मीट, अंडे आदि पर छिड़का जाता है।जिससे इनमें गरम स्वाद आ जाता है।
* घरेलु नुस्खे के रूप में इनका उपयोग दवा के रूप मे काम करता है। ज्यादातर मसाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन ए, विटामिन बी6, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिजों के समृद्ध स्रोत होते हैं।

#कौन सा मसाला किस रोग मे काम आता है?

 #हल्दी|Turmeric ( Haldi ):-

हल्दी ( Haldi ) में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसमें करक्यूपिन नामक tarpent होता है इस tarpent में धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को घोलने की शक्ति होती है। 
- हल्दी ( Haldi ) में विटामिन “ए ” , प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट व कई लाभकारी खनिज तत्व होते है।
इसमें एक विशेष प्रकार का क्षारीय तत्व कर्कुमिन होता है जो कैंसर को रोकने में सहायक होता है। हल्दी खून को साफ व पतला करती है , कफ को मिटाती है , इसमें एंटीसेप्टिक , एंटी बायोटिक और एंटी एलर्जिक गुण होते है।
- शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द , चोट , घाव , खून की कमी , आदि में हल्दी बहुत असरकारक होती है। गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने से टूटी हुई हड्डी तेजी से जुडती है और अंदरूनी चोट ठीक होती है।
इसके लड्डू बनाकर उपयोग करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
- गर्म पानी में नमक व हल्दी मिलाकर गरारे करने से गले की खराश ठीक होती है। 

#जीरा|Cumin( Jeera ):-

जीरा खाना पचाने में सहायक होता है , गैस बनने से रोकता है।
- कच्चा जीरा पीस कर इसमें समान मात्रा में गुड मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोली बनाकर लें। ये गोली दो-दो दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से स्त्रियों की गर्भाशय व योनि की सूजन , प्रसव के बाद गर्भाशय की शुद्धि और श्वेत प्रदर में बहुत लाभकारी है।
—  जीरा , धनिया और सौंफ एक एक चम्मच एक गिलास पानी में उबालें। आधा रह जाये तब ठंडा होने पर छानकर एक चम्मच देसी घी मिला दें। इसे सुबह शाम पीने से बवासीर से रक्त गिरना बंद हो जाता है। 
—  छाछ में भुना जीरा डालकर पीने से दस्त ठीक होते है।

#राई|rye( Rai ):- 

राई से पेट के कीड़े नष्ट होते है , गैस नहीं बनती व पाचन में सहायक होती है.
- छाछ में राई का छोंक लगाकर पीने से दस्त ठीक होते है। इसकी प्रकृति गर्म होती है। ये पसीना लाती है।

#धनिया|Coriander( Dhaniya ):-

ये खाना पचाने में मदद करता है । इसकी तासीर ठंडी होती है , ये एसिडिटी , पेट की गर्मी पेशाब की जलन , शरीर की जलन आदि में लाभप्रद है। -गर्मी के मौसम में दो गिलास पानी में 5 चम्मच साबुत धनिया दो कप पानी में रात को भिगो दें। सुबह छानकर पी लें। नकसीर , रक्त बवासीर,वजन कम करने में बहुत कारगर है।
—  पेशाब में या शरीर में जलन या ज्यादा प्यास लगती हो तो तीन चम्मच धनिया रात को पानीं में भिगो दें। सुबह इसे पीसकर छानकर मिश्री और दूध मिलाकर पियें।
—  ख़ाना खाते ही प्रेशर बनता हो तो खाने के बाद एक चम्मच धनिया पाउडर  में काला नमक  मिलाकर फांक लें। 

#लौंग|cloves:-

  इसके एंटीसेप्टिक गुण सड़न को रोकते है और संक्रमण को दूर रखते है। लौंग मुह की बदबू दूर करती है। इसके उपयोग से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- यह एसिडिटी को मिटाती है . भूख बढाती है , खाने में रूचि बढाती है.पानी में लौंग उबालकर पीने से बुखार के बाद की पाचन संबधी तकलीफ दूर होती है। सफर में जी मचल रहा हो उल्टी का सा मन हो रहा हो तो लौंग मुंह में रखने से आराम मिलता है। 

#इलायची|Cardamom ( Ilayachi )

इलायची दूध व केले को पचाने के लिए उत्तम होती है । ये एसिडिटी रोकती है , इसके सेवन से मुहँ सूखा-सूखा रहना मिटता है।  ज्यादा मात्रा में खाना खा लेने पर इलायची खाने से बैचेनी कम होती है।  इलायची का चूर्ण मिश्री के साथ लेने से उल्टी में आराम मिलता है।

#काली मिर्च|black pepper( Kali Mirch ):-

सर्दी  जुकाम , खांसी से बचाव करती है , मलेरिया व वायरल बुखार में इसके सेवन से आराम मिलता है।  भूख बढाती है व पाचन में सहायक होती है। इसका सेवन आँखों के लिए फायदेमंद है। दो-दो काली मिर्च दिन में तीन बार मुंह में रखकर धीरे धीरे चूसने से खाँसी ठीक हो जाती है। ये प्रयोग पुरानी खांसी भी ठीक कर देता है। 

#हींग|Asafoetida के फायदे ( hing ke fayde ):-

- हींग (heeng ) पित्त प्रधान होती है। इसकी तासीर गर्म होती है। गर्भवती को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। 
- हींग पेट की गैस मिटाती है , गुड़ के साथ खाने से पेट के कीड़े नष्ट करती है , पानी में मिलाकर पेट पर लगाने से अफारे व पेटदर्द को ठीक करती है। 

#मेथी|Fenugreek(Methi):-

मेथी वायु को मिटाती है , मधुमेह , जोड़ो के दर्द आदि से बचाव करती है . पाचन शक्ति बढाती है , बालों के लिए अच्छी होती है , माँ का दूध बढाती है , जिससे शिशु को दूध की कमी नहीं होती। यह खून की कमी दूर करती है। 

#अजवायन|oregano( ajvain ):-

अजवायन पेट में मरोड़ ठीक करती है , अफारा ठीक करती है , पेट के कीड़े नष्ट करती है , माँ का दूध बढाती है , सर्दी जुकाम में आराम देती है। 

धन्यवाद!


बुधवार, 18 मई 2022

लौकी के छिलको के बारे में 10 बातें जो आप शायद नहीं जानते होंगे.in hindi.

 लौकी के छिलको के बारे में 10 बातें जो आप शायद नहीं जानते होंगे.in hindi.

10 Things You Most Likely Didn't Know About loki ke chhelke| in hindi.



#बहूमूल्य लौकी के छिलके न फैकें.in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

लौकी से ज्यादा लौकी के छिलके है उपयोगी।

लौकी के छिलकों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो गैस, कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। जिन लोगों को पाइल्स की समस्या है, उनके लिए लौकी के छिलके फायदेमंद हो सकते हैं। आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस लौकी के छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाना है और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना है।

#लौकी के छिलके खाने के 7 फायदेः 

1. गैस की समस्या से परेशान हैं

 तो डाइट में लौकी के छिलकों को शामिल करें.  

 असल में लौकी के छिलकों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो गैस, कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है.

2. पाइल्स है तो खायें लौकी के छिलको का चूर्ण।

जिन लोगों को पाइल्स की समस्या हैं उनके लिए लौकी के छिलके फायदेमंद हो सकते हैं. आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस लौकी के छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाना है और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना है. इससे पाइल्स की समस्या से राहत मिल सकती है. 

3.तलवों मे जलन से राहत देता है लौकी के छिलके.

अगर आपके हाथ पैर के तलवे अक्सर जलते हैं, ऐसे में लौकी के छिलके असरदार हो सकते हैं. लौकी के जूस का सेवन करने से भी जलन में आराम मिल सकता है.

जलन वाली जगह लौकी के छिलकों का पेस्ट लगाने से राहत मिलती है।

4. बालों के लिऐ कारगर लौकी के छिलको का रस.

लौकी में फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे आवश्‍य‍क तत्‍व शामिल होते हैं, जो बालों की हेल्थ के लिए अच्छे माने जाते हैं. लौकी के छिलकों का इस्तेमाल कर बालों को हेल्दी रखा जा सकता है.

अगर आप बाल झड़ने की समस्या है से परेशान हैं तो लौकी के छिलकों का रस, तिल के तेल के साथ मिलाकर स्कैल्प पर लगाने से बाल झड़ना जैसी समस्या से राहत मिलती है.

5. वजन घटाने के लिए पीयें लौकी के छिलकों का रस या काढा.

मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो लौकी के छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं. लौकी में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है. लौकी के छिलकों का जूस पीने से वजन को आसानी से कम किया जा सकता है.

6- चेहरे पर आएगा ग्लो.

स्किन रूखी और बेजान हो रही है तो लौकी के छिलके इसमें ग्लो ला सकते हैं. इसके लिए आप लौकी के छिलकों को बारीक पीस कर पेस्ट बना लें. फिर दो बड़े चम्मच पेस्ट को एक बाउल में लेकर इसमें एक चम्मच चन्दन पाउडर मिला लें और इसको चेहरे पर लगाएं. फिर बीस मिनट तक लगा रहने दें. इसके बाद पानी से धो लें. सप्ताह में दो बार इस प्रोसेस को दोहराएं.

7- टैनिंग (कालापन)करे दूर.

गर्मी के मौसम में अधिक देर तक धूप में रहने से ट्रैनिंग हो जाती है और ट्रैनिंग होने से चेहरे, हाथ, पैर और गर्दन काली पड़ जाती है। ट्रैनिंग यानी सनबर्न होने पर आप लौकी के छिलकों को प्रभावित त्वचा पर रगड़ लें। इसके छिलके रगड़ने से त्वचा को ठंडक मिल जाएगी और सनबर्न एकदम सही हो जाएगा।

* लौकी के छिलके कब नुकसान करते है

- सर्दियों के लौकी ठंडी होने के कारण खांसी, जुकाम, गले के रोग पैदा कर सकते है।

- अगर शरीर पर कहीं सूजन है तो ऐसे मे लौकी के रस के सेवन से सूजन बढ सकती है।

लौकी के छिलके इस तरह से किमती औषधि है 

#भुल कर भी न फैंक लौकी के छिलके.

सब्जी बनाकर भी खा सकते है।

धन्यवाद,

डा०वीरेंद्र मढान.











पान|Betel leaf खाने से पहले जान लें 2 बात पान के फायदे और नुकसान। in hindi.

 पान|Betel leaf खाने से पहले जान लें 2 बात पान के फायदे और नुकसान। in hindi.



Dr.Virender Madhan.

पान के फायदे|Betel Leaf Benefits:

   पुराने समय में भी हर रात को राजा महाराजा लोग पान खाना पसंद करते थे. क्योंकि पान खाने के फायदे जबरदस्त हैं.

  पान खाने वाले भारत में बहुत हैं. फिर चाहे वो मीठा पान हो या चूने वाला, पान के पत्तों का इस्तेमाल पूजा पाठ, शादी में भी किया जाता है. पान की पत्तियां खाने के लिहाज से थोड़ी कसैली होती हैं. हालांकि, इन पत्तियों में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत को लाभ पहुंचाते हैं.  पान के पत्ते में टैनिन, प्रोपेन, एल्केलॉयड और फिनाइल पाया जाता है, जो शरीर में दर्द और सूजन को कम करने में मददगार होता है. 

#पान के पत्ते के फायदे (Benefits of Betel Leaf)

-यह हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. 

एंटीडबिटिक

 इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते है।

सूखे पान के पत्तो के पाउडर में डायबिटीज-2 के रोगियों के खून में शुगर की मात्रा को कम करने की क्षमता है और सबसे महत्वपूर्ण बात , इसके कोई भी दुष्परिणाम नहीं है।

--एंटी-इंफ्लामेटरी,

पान के रस का सेवन भी श्वसन नली में होने वाली सूजन की समस्या से राहत दिलाता है। गर्मियों में इसका सेवन किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं करता है। पान के रस में थोड़ा शहद मिलाएं और इसको पी लें। 

-  मसूड़े में गांठ या फिर सूजन हो जाने पर पान का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। पान में पाए जाने वाले तत्व इन उभारों को कम करने का काम करते हैं।

- -एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. 

#घाव के उपचार में betel leaf|पान के पत्ते,

-  कटने, छिलने आदि घाव पर पान की पत्तियों का रस निकालकर लगाने से घाव में संक्रमण नही होता है क्योंकि पान के पत्तों में घाव और संक्रमण को दूर करने के गुण पाए जाते हैं. आप इसे प्रभावित क्षेत्रों में लगा कर इसे किसी कपड़े से बांध लें. यह विनाशकारी रोगाणुओं के विकास को भी बाधित करता है.

- इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.

पुरुषों के लिए ज्यादा गुणकारी होता है 

#क्या पान का पत्ता स्वास्थ्य के लिए अच्छा क्यों है?

"पान के पत्ते विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन जैसे विटामिन से भरे हुए हैं और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत हैं । 


#खाना खाने के बाद पान खाने से क्या होता है?

- पाचन क्रिया बढ़ाए

पान के पत्तों को चबाना पाचन क्रिया के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. 

- कब्ज एसिडिटी जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए पान की पत्तियां चबानी चाहिए. 

- पान का पत्ता, खांसी और कफ की समस्या में लाभकारी साबित होता है। इन पत्तों को पानी में उबालकर उसे पीने से कफ नहीं होता और खांसी भी दूर होती है।

#क्या पान खाने से नुकसान हो सकता है?

- हां, अगर अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो पान खाने से नुकसान हो सकता है। जैसे – मुंह का कैंसर होने का खतरा, रक्तचाप और हृदय की गति में वृद्धि आदि।

अधिक पान खाने से दांतों क़ हानि होती है।

यह लेख केवल जानकारी के लिये है।किसी विषेशज्ञ से पुरी जानकारी लेकर ही पान का प्रयोग करें।

धन्यवाद!

मंगलवार, 17 मई 2022

देशी कोल्डड्रिंक|नींबू पानी पीने के फायदे व नुकसान?In hindi.

 देशी कोल्डड्रिंक|नींबू पानी पीने के फायदे व नुकसान?In hindi.



By:- Dr.VirenderMadhan.

#नींबू पानी क्या है?

नींबू, पानी और नमक के मिश्रण को नींबू पानी कहते है

अधिकतर लोग इसमें चीनी या मिश्री मिलाकर पीते हैं।यह ऊर्जा दायक होता है।गर्मी के दिनों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है अगर नींबू पानी को  देशी कोल्ड्र‍िंक कहा जाए, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। 

- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर यह पेय सेहत और सौंदर्य से जुड़े इतने फायदे देता है, जितने आप सोच भी नहीं सकते। साधारण सा नींबू पानी के कुछ ऐसे ही फायदे जो आपकी सेहत के लिए बेहद लाभदायक हैं  –

#नींबू पानी विटामिन्स से भरपूर-

- नींबू विटामिन सी का बेहतर स्रोत  है। साथ ही, इसमें विभिन्न विटामिन्स जैसे थियामिन, रिबोफ्लोविन, नियासिन, विटामिन बी- 6, फोलेट और विटामिन-ई की थोड़ी मात्रा मौजूद रहती है। 

- नींबू पानी में कई तरह के मिनरल्स जैसे आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, पोटैशियम और जिंक पाए जाते हैं।

#नींबू पानी पाचन संस्थान के लिए लाभकारी-

- यह खराब गले, कब्ज, किडनी और मसूड़ों की समस्याओं में राहत पहुंचाता है। 

पाचन क्रिया, वजन संतुलित करने और कई तरह के केंसर से बचाव करने में नींबू पानी मददगार होता है। लिवर के लिए भी यह बेहतर होता है।

पाचनक्रिया में फायदेमंद –  

नींबू पानी में मौजूद नींबू का रस हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पित्त सिक्रेशन के प्रोडक्शन में वृद्धि करता है, जो पाचन के लिए आवश्यक है। 

-  यह एसिडिटी और गठिया के खतरे को भी कम करता है। जो लोग आमतौर पर पाचन-संबंधी समस्याओं जैसे एबडॉमिनल क्रैम्प्स, ब्लॉटिंग, जलन और गैस की समस्या आदि से परेशान होते हैं, उन्हें नियमित रूप से नींबू पानी का सेवन करना चाहिए।

- कब्ज –

 अगर आपको कब्ज की समस्या है, तो नींबू पानी आपके लिए बेहद फायदेमंद है। प्रतिदिन सुबह गर्म नींबू पानी पिएं और पूरे दिन कब्ज की समस्या से दूर रहें।

#मानसिक परेशानी को करे कम?

- नींबू पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें ब्लड प्रेशर को कम करने के गुण के साथ ही तनाव, डिप्रेशन और अवसाद कम करने के गुण पाये जाते हैं। नींबू पानी पीने से तुरंत ही आपको आराम का अनुभव होगा।

#मूत्रसंस्थान के लिऐ लाभकारी नींबू पानी।

 - किडनी स्टोन – नींबू पानी का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण फायदा है, इसका किडनी स्टोन से राहत पहुंचाना। 

- किडनी स्टोन शरीर से बिना किसी परेशानी के निकल जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह यूरीन के बहाव को ब्लॉक कर देते हैं जो अत्यधिक पीड़ा का कारण बनता है। नींबू पानी पीने से शरीर को रिहाइड्रेट होने में मदद मिलती है और यह यूरीन को पतला रखने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी स्टोन बनने के किसी भी तरह के खतरे को कम करता है।

- मूत्रघात,मूत्राशय मे जलन को दूर करता है।

- डायबि‍टीज – नींबू पानी, हाई शुगर वाले जूस व ड्रिंक का बेहतर विकल्प माना जाता है। खासतौर से उनके लिए जो डायबिटीज के मरीज हैं या वजन कम करना चाहते हैं। यह शुगर को गंभीर स्तर तक पहुंचाए बिना शरीर को रिहाइड्रेट व एनर्जाइज करता है।

#इम्यूनिटी के लिए सस्ता साघन नींबू पानी।

- इम्युनिटी – नींबू पानी बायोफ्लेवोनॉयड, विटामिन सी और फाइटोन्यूट्रियंट्स का बेहतर स्रेत है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। इसमें मौजूद आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स के कारण यह शरीर के एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

# त्वचा की देखभाल करें.

त्वचा को स्वस्थ बनाता है नियमित रूप से नींबू पानी पीने से त्वचा जवां नजर आती है। नींबू एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होता है । जाने-माने एंटी-एजिंग गुणों वाला नींबू और दूसरे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ आजकल अत्यधिक पसंद किये जा रहे हैं।

और भी बहुत सारे गुण रखता है नींबू पानी ।

धन्यवाद!

Dr.VirenderMadhan.


Eat 6 meals to lower cholesterol|खायें 7 चीचें भोजन में बाहर आयेगा बैड कोलेस्ट्रॉल।in hindi.

 Eat 6 meals to lower cholesterol|खायें 7 चीचें भोजन में बाहर आयेगा बैड कोलेस्ट्रॉल।in hindi.



#बैड कोलेस्ट्रॉल को कैसे कंट्रोल करें?

By:- Dr.Virender Madhan.

- सात्विक,नियमित और संतुलित खानपान ही आपको इन बीमारियों से बचा भी सकता है। तो अपने कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए सही आहार अपनाना बेहद जरूरी है। आप स्वस्थ भोजन करके और जीवनशैली में बदलाव करके अपने कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं।

खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल लेवल बढ़ने से खून की नसें या धमनियां बंद हो सकती हैं, जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए कई दवाएं मौजूद हैं लेकिन आप पेड पौधों से मिलने वाली डाइट लेकर शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) बढ़ने के कारण?

 आजकल बहुत से लोग इससे पीड़ित रहते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल के रोगों, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा होता है। आमतौर पर शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कई कारण है ।

- खराब खान-पान इसका सबसे बड़ा कारण है।

- अन्हेल्दी और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन करना।

- चीनी, मैदा, कोल्ड ड्रिंक्स और तेल से बनी चीजों को खाने से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों जैसे उच्च वसा वाले पशु खाद्य पदार्थों की अधिक मात्रा लेने से आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। वहीं, सब्जियों, फलों, बीन्स और जई जैसे खाद्य पदार्थों में बहुत सारे फाइबर होते हैं। जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं।


#कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? 

 आप वनस्पति फल सब्जियों डाइट लेकर शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट नहीं होता है, जबकि घुलनशील फाइबर भारी मात्रा में होते हैं। पौधों से मिलने वाली चीजें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज खराब कोलेस्ट्रॉल को 5-10% तक कम कर सकती हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फल?

साइट्रस फल: साइट्रस फलों का सेवन भी आपको फायदा पहुंचाएगा. संतरा और नींबू खा सकते हैं. इससे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलेगी.

बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को मैनेज करने में दिक्कत आ रही है तो कुछ खास फलों को डाइट में शामिल करें.

सेब को डाइट में शामिल करें.

अंगूर भी खा सकते हैं.

एवोकाडो खाना भी फायदेमंद होगा.

सेब, जामुन और खट्टे फल जैसे संतरे और नींबू में पेक्टिन नामक एक प्रकार का फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अतिरिक्त, फल आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का एक बड़ा स्रोत हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले साबुत अनाज खाएं

अंकुरित आनाज आपके भोजन मे होना चाहिये।

आजकल बहुत से लोग साबुत अनाज का सेवन कम करते हैं। इसके सेवन से रक्तप्रवाह में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करके एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। ब्राउन राइस, मूसली और क्विनोआ ऐसी अद्भुत चीजें हैं, जिन्हें आप रोजाना के खाने में शामिल कर सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली सब्जियां

शरीर से गंदे कोलेस्ट्रॉल को निकालने के लिए हरी सब्जियों का सेवन करना सबसे शानदार तरीका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सब्जियों में वो सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के साथ-साथ अन्य खराब तत्वों को शरीर से बाहर निकालने का काम करते हैं। बैंगन और भिंडी में घुलनशील फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं।

ज्यादातर फल और सब्जियां कुछ प्रकार के फाइबर से भरपूर होती हैं। यह फाइबर कोलेस्ट्रॉल को आंतों से रक्त प्रवाह में अवशोषित होने से रोकने में मदद करता है। दालें, मटर, मसूर , सेम में सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है। शकरकंद, भिंडी, ब्रोकोली,सेब और स्ट्रॉबेरी भी अच्छे विकल्प हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए खाएं- सोयाबीन

- प्रतिदिन 25 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। 

-आप अपने स्किम्ड दूध को सोया मिल्क के साथ बदल सकते हैं। इसके अलावा आप सोयाबीन की सब्जी बना सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला फूड-ओट्स

- ओट्स में बीटा-ग्लूकेन्स पाया जाता है। यह विशेष प्रकार का फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में बहुत कारगर होता है। आप सुबह नाश्ते में ओट्स का सेवन कर सकते हैं। इसे बनाते समय नमक और चीनी का कम इस्तेमाल करें।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दाल खाएं

 दाल न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं बल्कि शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद हैं। नियमित रूप से दाल खाने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है। दालों में फैट कम और फाइबर और प्रोटीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?

हर सुबह लहसुन की एक कली को गुनगुने पानी से लेते हैं तो इससे कोलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

- लहसुन को शहद के साथ मिलाकर खाएं तो भी ये बहुत फायदेमंद होता है. ये ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है साथ ही दिल की धमनियों में जमी पड़ी वसा को खत्म करने में भी ये मदद करता है.

#कोलेस्ट्रॉल में क्या न खाए?

- कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर मीट, चिकन और अंडे के पीले हिस्से का सेवन बिल्कुल न करें। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ भी न खाएं, क्योंकि ये हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक ही होते हैं। इससे शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, जिससे आपकी परेशानियां और बढ़ जाएंगी।

धन्यवाद!


डिस्क्लेमर:  ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।


सोमवार, 16 मई 2022

मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बढाये?In hindi.

 मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बढाये?In hindi.



<मानसिक रोग क्या है> <मानसिक बल के उपाय>

By:- Dr.Virender Madhan.

आजकल अधिक लोग मन पर भार लिए घूम रहे है जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।जिसका प्रभाव हमारे कार्य पर,घर गृहस्थी पर पड रहा है।

*  जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है।

#मानसिक स्वास्थ्य क्या है?

* मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करने में यह कहा जा सकता है कि इससे, एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, 

- यह आत्मविश्वास आता कि वे जीवन के तनाव के साथ सामना कर सकते हैं,    -उत्पादकता काम और अपने या अपने समुदाय के लिए एक योगदान करने में सक्षम हो सकते हैं।

#मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा:-

विश्व स्वास्थ्य संगठन, मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए कहता है कि यह "सलामती की एक स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास रहता है, वह जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, लाभकारी और उपयोगी रूप से काम कर सकता है।

#एक अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के क्या लक्षण है?

* वह व्यक्ति संतोषी और प्रसन्नचित्त रहता है 

* भय, क्रोध, प्रेम द्वेष, निराशा, अपराध, दुश्चिन्ता आदि आवेगों से व्यथित नहीं होता।

* वह अपनी योग्यता और क्षमता को न तो अत्यधिक उत्कृष्ट और न हीन समझता है।

* वह ममतामयी होता है और दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखता है।


#मानसिक अस्वस्थता का अर्थ- 

* मानसिक अस्वस्थता व्यक्ति की वह मानसिक स्थिति या दशा है जिसमें उसका व्यवहार एवं कार्य असामान्य हो जाता है। मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति का जीवन का अव्यवस्थित तथा असन्तुलित हो जाता है।

# मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक-

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्न होते है।

- आनुवंशिकता

- गर्भावस्था संबंधित समस्या

- मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन

* मनोवैज्ञानिक कारण

- पारिवारिक विवाद

- मानसिक आघात

- सामाजिक कारण

- अनिन्द्रा

- नशा करना।

#मानसिक स्वास्थ्य के उपाय

मानसिक स्वास्थ्य को फिट रखने के तरीके.

- कुछ नया सीखते रहें.

  दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए कोशिश करनी चाहिए कि कुछ नया सीखते रहना चाहिए। समय खराब न करें।

- शरीर के स्वास्थ्य का ध्‍यान रखें, हैल्दी बोडी हैल्दी मांईड,

- सकारात्‍मक लोगों के साथ समय बिताएं  

घ्यान रखें संगत का प्रभाव आपको प्रभावित जरूर करेगा।

- दूसरों की सहायता करें,निश्वार्थ मदद या सेवा करने से खुशी मिलती है मानसिक शांति व शक्ति मिलती है।

- तनाव को दूर रखें तथा तनाव युक्त वातावरण से दूर रहें।

- हमेशा शांत रहें ।

- लक्ष्‍य तय करें तथा उसके लिए भरसक प्रयास करते रहे।

- जरूरत पड़ने पर मदद लें।

#मानसिक रूप से मजबूत कैसे बने | mentally strong kaise bane

- अपने दिमाग के बारे में जानें . 

- अपनी फीलिंग को कंट्रोल करें .

- अपनी सोच को कंट्रोल करें इसके लिऐ नित्य प्रणायाम करें।

कंट्रोल के बाहर वाली चीज को कंट्रोल करने की कोशिश न करे   

 - नए-नए लोगो से मिले परिचय बढायें।

- दुख और परेशानी से न डरे जीवन मे दुखः सुखः तो आयेंगे जायेंगे ।

#मानसिक स्वास्थ्य के कुछ उपाय।

- अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे आवश्यक है नियमित व्यायाम या योग। 

- घ्यान रखें हर उम्र की अपनी समस्याएं होती हैं। 

- नियमित खानपान लें।

सब्जी-फल, दूध-दही का सेवन करें। 

- खाली पेट न रहे, सुबह के कामों की आपाधापी में नाश्ता करना न भूलें।

#मानसिक बल के लिए आयुर्वेदिक उपाय:-

- नींद पूरी करें।

- शरीर पर बलादितैल ,तिल तैल, या सरसौ के तैल की मालिस करे।

- अश्वगंधा

-ब्रह्मी,

-आंवला,

- बादाम,

-जठामांसी,

वच आदि का अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह करके प्रयोग करें। या इन द्रव्य से बने प्रोडक्ट का प्रयोग करें जैस-

च्यवनप्राश, बादाम पाक,अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधारिष्ट, सारस्वतादि चूर्ण, सारस्वतारिष्ट,ब्रनिका सीरप,आदि।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.


शनिवार, 14 मई 2022

Bad Cholesterol को ठीक करे ये हरी सब्जी|Blood Sugar Level भी कंट्रोल मे रखती है. In hindi.

 Bad Cholesterol को ठीक करे ये हरी सब्जी|Blood Sugar Level भी कंट्रोल मे रखती है. In hindi.

Dr.Virender Madhan.

*Food To Control High Cholesterol|हाईकोलेस्ट्रोल के लिऐ भोजन.

अगर शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करना है तो ऐसे फूड खाने होंगे जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो.

#भिंडी|Lady Finger.



भिंडी (Lady Finger) में भरपूर मात्रा में फाइबर तो होते ही हैं विटामिन और मिनरल्स की भी कमी नहीं होती. इसमें पेक्टिन भी अच्छी मात्रा में होता है. ये ऐसा तत्व है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इससे धमनियों में रक्त प्रवाह बेहतर होता है.

हरी सब्जियां आपके लिए सेहत के लिए बेहद जरूरी होती हैं. वैसे सभी सब्जियों को खाने की आदत आपको बनानी चाहिए, लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी होती हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ कई  बीमारियों के जोखिम को भी कम कर देती हैं. इसमें भिंडी भी शामिल है. क्या आप जानते हैं कि भिंडी आपके लिए कितनी फायदेमंद है? भिंडी खाने से न सिर्फ आपका ब्लड शुगर बैलेंस रहता है, बल्कि हार्ट भी फिट रहता है. 

#भिंडी खाने से शरीर में क्या फायदा होता है?

7 फायदे भिंडी के-

1- भिन्डी का काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं । 2- बीजरहित ताजा दो भिन्डी प्रतिदिन खाना श्वेतप्रदर, नंपुसकता, धातु गिरना रोकने में सहायक है। 

3- इसमें मौजूद विटामिन बी,गर्भ को बढ़ने में मदद करता है और जन्मजात विकृतियों को रोकता है। 

4- मधुमेह में इसके रेशे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते है।

5- इसके सेवन से गैस, कब्ज, अपच, एसिडिटी की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा यह पेट फूलना, पेट में दर्द से भी राहत दिलाता है। कच्ची भिंडी में लसलसा फाइबर मौजूद हाेता है, जाे पाचन तंत्र या पाचन क्रिया काे मजबूत बनाता है। कच्ची भिंडी आंताें काे भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

6- भिंडी खाने से आपके शरीर को ज्यादातर बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूती मिलती है. 

7- भिंडी में अच्छे कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं, जो वेट कंट्रोल करने में कारगर साबित होते हैं. इसके साथ ही, भिंडी में Anti-Obesity गुण भी पाए जाते हैं, जो वजन नहीं बढ़ने देते.

# भिंडी का चूर्ण खाने से विषेश लाभ?

- भिंडी जड़ चूर्ण ,पुरषो की यौन कमजोरी , स्वप्नदोष , तनाव ना आना , शीघ्रस्खलन , धात का गिरना , धातु रोग , कमजोर शुक्राणु , नपुंसकता , पेशाब से चिपचिपा पानी आना , महिलाओ का सफ़ेद पानी, कमर दर्द ,आदि की रामबाण दवा है.

#भिंडी अधिक खाने से नुकसान क्या क्या हो सकते है?

सावधानी:-

1- भिंडी में ओजलेट अत्यधि‍क मात्रा में पाया जाता है। ओजलेट के कारण गुर्दा और पित्त में पथरी की स्थिति खराब हो सकती है, क्योंकि ओजलेट पेट में मौजूद पथरी को और बढ़ाने का कारण बनता है। 

2- ज्यादा मात्रा में भिंडी की सब्जी खाने से पित्त की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त भिंडी खाने के बाद मूली नहीं खाना चाहिए। इससे आपको त्वचा संबंधित रोग जैसे सफेद दाग की समस्या हो सकती है, क्योंकि भिन्डी की तासीर गर्म होती है और मूली की तासीर ठंडी होती है। जिससे मनुष्य का शरीर इसे सहन नहीं कर पाता।

3- भिंडी खाने के बाद करेला बिल्कुल नहीं खाना चाहिए क्योंकि भिंडी की सब्जी खाने के बाद यदि हम करेले की सब्जी खाते हैं तो यह हमारे पेट में जाकर जहर उत्पन्न करता है। यदि यह जहर अधिक मात्रा में आपके शरीर में उत्पन्न हो गया तो इसकी वजह से आपको काफी हानि पहुंच सकते हैं।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 13 मई 2022

गर्मी के दिनों मे अलसी के बीज?In hindi.

 #गर्मी के दिनों मे अलसी के बीज?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

अलसी के बीज गर्मी में न खायें पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति।



अलसी एक बेशकीमती सुपर फूड है. इतना ही नहीं अलसी के बीज वजन घटाने में भी बहुत मदद करता है. 

#अलसी के नाम?

इसे अतसी ,नीलपुष्पी, क्षुमा,अलसी ,Flex,नाम से भी जानते है।

इसके बीजों मे तैल,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन-ए, विटामिन ई विटामिन बी, होता है।बीजों मे कु विषाक्त एल्कलॉइड होता है।

- ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर से भरपूर है।

- अलसी पाचन में सुधार, कैंसर जैसी बीमारियों में फायदेमंद होता है. इतना ही नहीं, अलसी से बीज वजन घटाने में भी बहुत मदद करता है. लेकिन इन बीजों का ज्यादा लाभ लेने के लिए इनका सही तरह से सेवन करने की जरूरत है.

#अलसी के प्रकार:-

अलसी दो तरह की होती है पीली और भूरी. दोनों ही तरह की अलसी पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. 

अलसी खाने के तरीक़े-

#अलसी का कैसे करें सेवन?

चाहे तो इसे पीसकर इसका पाउडर बना लें और फिर इसका सेवन करें. सुबह-सुबह एक चम्मच गर्म पानी के साथ इसे लें. यह आपको वजन कम करने में भी मदद करेगा. इसके साथ ही आप इसे सब्जी, दाल, ओटमील में डालकर भी पकाकर भी यूज कर सकते हैं.

* आप इसे भूनकर इसे पीसकर पाउडर बना सकते हैं. वहीं इसका सेवन करने के लिए सबसे पहले एक पैन में पानी भरें. इसमें पिसी हुई अलसी का पाउडर डालें. इसके बाद इस पानी को उबालें और गैस बंद कर दें. वहीं स्वाद बढाने के लिए एक मिश्रण में नींबू का रस और गुड़ डालें और पी जाएं.

#कैसे वजन करती है अलसी के बीज?

वजन कम करने के लिए अलसी से बेहतर कुछ नहीं हैं.  - 100 ग्राम अलसी में 18 ग्राम प्रोटीन होता है क्योंकि इसमें म्यूसिलेज नाम का फाइबर होता है. जिसकी वजह से भूख में कमी आती है और इस फिबर से सेवन से क्रेविंग को भी रोका जा सकता है. ऐसे में अगर आप रोजाना एक चम्मच अलसी पाउडर को डाइट में शामिल करने से मोटापा घटाने में आसानी होती है.

#अलसी खाने से और क्या क्या लाभ होते हैं?

1-1 चम्मच अलसी का रोज सेवन करने से-

हृदय रोग कम करने में मदद मिलती है ।

- ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में हेल्पफुल होते है अलसी के बीज ।

- पाचन शक्ति बेहतर होती है आप अलसी का नियमित सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं.

- त्वचा के लिए फायदेमंद होते है।

- अलसी के बीज को लेप करने से व्रणशोथ शांत हो जाता है।

#अलसी का सेवन किसे नहीं करना चाहिए?

-लो ब्लड शुगर लेवल, कब्ज, डायरिया से पीड़ित लोगों को अलसी का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.

#क्या गर्मियों में अलसी का सेवन करना चाहिए? 

- अलसी की तासीर गर्म होती है। इसलिए गर्मियों में अलसी का सेवन अपनी प्रकृति को देखकर करना चाहिए। अगर आपकी प्रकृति पित्त प्रकृति की है तो आपको इसे करने से बचना चाहिए।

#अलसी के बीज खाने से क्या नुकसान होता है?

- ज्यादा अलसी के बीज का सेवन यदि आप अधिक मात्रा में कर रहे हैं तो आपको इससे एलर्जी भी हो सकती है। 

- लूज मोशन और कब्ज हो सकते है।

-गर्भावस्था में अलसी के बीज हानिकारक हो सकता है

#अलसी कब खानी चाहिए?

अलसी खाने का सही समय

 चूंकि अलसी फाइबर (Fiber) का अच्छा सोर्स है इसलिए अगर इसे भोजन से पहले खाया जाए तो आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है और आप कम खाना खाते हैं जिससे कम कैलोरी का सेवन होता है. इसके अलावा रात में सोने से पहले भी अलसी का सेवन किया जा सकता है क्योंकि यह अच्छी नींद लाने में भी मदद करती है.

धन्यवाद!



गुरुवार, 12 मई 2022

पागलपन की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? In hindi

 पागलपन की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? In hindi.



मानसिक विकृति:-

By- Dr.Virender Madhan.

यह एक मानसिक रोग है। चीखना- चिल्लाना, कपड़े फाड़ना, बकवास करना, खुद-ब-खुद बातें करना, हंसना अथवा रोना, मारने अथवा काटने को दौड़ना, अपने बाल आदि नोंचना ही इसके प्रमुख लक्षण हैं।

 यह रोग कई प्रकार की विकृतियों के कारण हो सकता है। जैसे - अत्याधिक प्रसन्न होना, कर्जदार अथवा दिवालिया हो जाना, अत्यधिक चिन्तित रहना, भय, शोक, मोह, क्रोध, हर्ष मैथुन में असफलता, काम-वासना की अतृविप्त अथवा मादक पदार्थों का अत्याधिक सेवन करना। अतः पागलपन के मूल कारण को जानकर ही औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

#पागलपन के घरेलू उपाय?

- खिरेंटी ( सफेद फूलों वाली ) का चूर्ण साढ़े तीन तोला 10 ग्राम पुनर्नबा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर - पाक की विधि से दूध मे पकाकर तथा ठण्डा कर नित्य प्रातः काल पीने से घोर उन्माद भी नष्ट हो जाता है।

- पीपल, दारूहल्दी, मंजीठ, सरसों, सिरम के बीज, हींग, सोंठ, काली मिर्च, इन सबको 10-10 ग्राम लेकर कुंट- पीसकर छान लें। इस चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसका नस्य देने तथा आंखों में आजमाने से उन्माद, ग्रह तथा मिर्गी रोग नष्ट होते हैं।

- सरसों के तेल की नस्य देने तथा सरसों का तेल आंखों में आंजने से पागलपन का रोग दूर होता है। ऐसे रोगी के सारे शरीर पर सरसों का तेल लगाकर और उसे बांधकर धूप में चित्त सुला देने से भी इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।

#मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा क्या है?

- ब्राह्मी, मंडूक पुष्पि, स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।   -आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है।

* ब्रह्मी का स्वरस और शहद

- पेठे का स्वरस और शहद,

- वच का स्वरस और शहद,

- शंखाहूली का स्वरस और शहद, का सेवन करने से मानसिक रोग ठीक हो जाता है।

ब्रह्मी का रस 30 से40 ग्राम मे कुठ का चूर्ण 50 मि०ग्राम मिलाकर शहद के साथ सेवन करें।

पेठे के चूर्ण मे एक चौथाई भाग में कूठ का चूर्ण मिलाकर रखे उसमे से 2-3ग्राम चूर्ण शहद मे मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।

#आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियों ?

उन्माद भंजन रस,

ब्रह्मी चूर्ण,

चतुभुर्ज रस,

महावातविध्दवनसन रस,

सारस्वतादि चूर्ण,

सारस्वतारिष्ट

सारस्वत घृत,

बलारिष्ट आदि का आयुर्वेद में मानसिक रोगो मे प्रयोग किया जाता है।

#ब्रेन टॉनिक क्या है?

“ब्रेनिका सिरप”

मन शक्ति अतिरिक्त मस्तिष्क टॉनिक सिरप एक आराम और सुखदायक सिरप है।

 हमारे जीवन तनाव से भरे हुए हैं। चाहे वह अध्ययन तनाव, कार्यालय तनाव या रिश्ते तनाव हो यह सिरप तनाव जारी करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। 

इस टॉनिक ने वच, शंखपुष्पी, ब्रह्मी,जठामांसी जैसे प्राकृतिक अवयवों से निष्कर्षण प्राप्त किए हैं।