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गुरुवार, 31 मार्च 2022

वजन कैसे बढायें|how to gain weight in hindi.


 वजन कैसे बढायें|how to gain weight|Weight gain kaise kare| Vajan Badhane ke upaye

#Dr_Virender_Madhan.


वजन कैसे बढायें|how to gain weight|Weight gain kaise kare?

- जब हम सूखे शरीर से बीमार से दिखते हैं। सब कुछ खाने के बाद भी आपका वजन नही बढ़ता है, कपड़े फिट नही आते है और किसी के सामने आने में शर्म आती है,Confidence low हो जाता है।तब सवाल उठता है कि वजन कैसे बढायें।

सभी कृश व्यक्तियों के सवाल होते है जैसे..

-आयुर्वेद के अनुसार वजन कैसे बढायें?आयुर्वेदिक दवा।

-वजन बढाने के घरेलू उपाय क्या है?

-वजन बढाने के लिए क्या खायें?

-वजन बढाने की कौन सी दवा है।

-1 महिने मे 10 किलो वजन कैसे बढायें?

-दुबले पतले मोटे कैसे हो?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इस लेख मे मिल जायेगा।

#वजन न बढ़ने के कारण क्या है?Why Weight Not Gain Reasons

कुछ लोग बहुत खाना खाते है लेकिन उनकी Body का वजन बढ़ता ही नही है। इसके तीन ही कारण हो सकते है ।

*तनाव में रहना।

* किसी बीमारी से ग्रस्त रहना।

* हार्मोन्स विकार होना।

* मेटाबॉलिज्म बहुत तेज होना। 

वात दोष– वात की वृद्धि के कारण जठराग्नि तेज हो जाती है जिस कारण व्यक्ति को और भूख लगती है और वह और अधिक भोजन करता है, लेकिन वजन नहीं बढ़ता है।

जिससे इनका खाना बहुत जल्दी Digest हो जाता है।

* ठीक से भोजन न करना।

*अत्यधिक श्रम करना।

*व्रत करना।

* पोष्टिक आहार न करना।


#1 महीने में वजन कैसे बढ़ाए, वजन बढ़ाने के तरीके| How to Gain Weight at Home in hindi.

- वजन कम करने के लिए कम कैलोरी खाने की जरूरत होती है। उसी तरह वजन बढ़ाने के लिए भी high कैलोरी और fat युक्त भोजन की जरूरी होती है।

यदि आप 500 से ऊपर कैलोरी की मात्रा लेंगे, तो मात्र 45 दिनों में ही अपने वजन को बढ़ा सकते है।

#खूब खायें, खूब सोयें।

 अपनी Body को rest देना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि rest देने से आपके Muscles Grow करते है। जिससे आपका वजन बढ़ता है।

#तेजी से वजन कैसे बढायें ?

आप मक्खन, दही, दूध, पालक आदि से भी आप अपना वजन बढ़ा सकते है। अगर आप भोजन में सही मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा को शामिल करेंगे तो आप 1 महीने में स्वास्थ्य वजन बढ़ा सकते हैं।

* 1 गिलास गर्म दूध

50 ग्राम Oats

10 भीगे हुए बादाम

1 केला

स्वाद के अनुसार शहद।

दो Boil अंडे

सबसे पहले एक गिलास दूध में Oats , बादाम , केला और शहद को अच्छे से mix करके पी लें।

उसके कुछ time बाद अंडे खा ले।

Weight gain diet take eggs for protein

– आप बादाम को रात में पानी मे भिगोकर सुबह इन बादाम के छिलके छीलकर दूध में mix करे।

- 100 gram दूध वाला दलिया ,

स्वाद के अनुसार शहद

2 चम्मच Peanut Butter या 5 Boil अंडे

इन सबको अच्छे से mix करके लीजिए।

- 100 gram भुने चने

1 मुट्ठी भर Unsalted Peanuts ( बिना नमक वाली मूँगफली )

इससे आपको भरपूर मात्रा में Fiber और Protin मिलेगा।

–  आप हरी मूँग दाल खाये। उसकी जगह कोई दूसरी दाल या कोई भी सब्ज़ी खा सकते है।

– मूँग दाल में पोटेशियम , मैग्नीशियम , फाइबर और आयरन पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिये बहुत ही लाभदायक होता है।

– पनीर में प्रोटीन , कैल्शियम , विटामिन पाया जाता है जो हमारे हड्डियों को मजबूत और हमारी प्रतिरोधक क्षमता ( Immunity ) को बढ़ाता है।

– चावल में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो हमे तुरन्त energy देता है।

- Exercise करें।

- Apple या Banana या फिर शकरकंदी भी खा सकते है।

- दो Banana या 200 gram आलू खायें।

– Banana और आलू में कार्बोहाइड्रेट होता है। जो आपके वजन को बढ़ाने में मदद करता है ।

#वजन बढाने के लिए आयुर्वेदिक दवाईयां?

अश्वगंधा,

शतावरी,

धातुपौष्टिक चूर्ण,

कामदेव घृत,

लोकनाथ रस,

मृगांक पोटली रस,

कुटजावलेह,

पिप्पल्यासव

कैप्सूल पुष्टि (गुरू फार्मास्यूटिकलस)

ग्रविटा सीरप (गुरू फार्मास्यूटिकलस)

# सावधानी:-

1 – Junk Food

कुछ लोग वजन बढ़ाने के लिए जंक food खाते है। इससे आपका वजन तो बढेगा, लेकिन यह आपके लिए बिल्कुल भी healthy नही है। इससे आपको कई सारी बीमारियाँ हो सकती है।

2 – सन्तुलित भोजन

 पानी जरूर पीएं।

3 – पर्याप्त नींद लें।

4 – तनाव से दूर

धन्यवाद!

Dr_Virender_Madhan.

 











मंगलवार, 29 मार्च 2022

वजन कैसे घटाएं |how to lose weight|वजन घटाने के लिए क्या खायें?

 #वजन कैसे घटाएं |how to lose weight|वजन घटाने के लिए क्या खायें?



#Dr_Virender_Madhan.

* हाइट के हिसाब से वजन कितना रहना चाहिए?

*लंबाई और वजन का अनुपात

 अगर हमारी लंबाई पांच फीट है तो हमारा सामान्य वजन 44 से 55.7 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। अगर हमारी लंबाई पांच फीट दो इंच है तो हमारा वजन 49 से 63 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। अगर हमारी लंबाई पांच फीट चार इंच है तो हमारा वजन 49 से 63 किलोग्राम के बीच होना चाहिए।

उम्र के हिसाब से वेट कितना होना चाहिए?

नवजात शिशु का वजन प्राय: 5.5 – 9.5 पौंड (2.5-4.3 किग्रा.)

* 9 से 11 महीने के लड़के का वजन 9.2 किलोग्राम और लड़की का वजन 8.6 किलोग्राम होना ही चाहिए।

* 1 साल के लड़के का वजन 10.2 किलोग्राम और लड़की का 9.5 किलोग्राम होना चाहिए।

#क्यों घटाऐ वजन?

* वजन ज्यादा बढ़ने से होने वाले नुकसान और बीमारियां - 

अनहेल्दी खानपान, काम का बोझ, तनाव और खराब लाइफस्टाइल के कारण लोग बढ़ते वजन का शिकार हो जाते हैं. 

* सांस लेने में तकलीफ

 न केवल सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि दैनिक कार्यों को करने में भी सांस फूल जाता है. बढ़े हुए वजन के कारण 

* अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के लक्षण भी मिलते है।

* फैटी लिवर

 जब लिवर पर अतिरिक्त फैट इकट्ठा हो जाता है तो इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है. 

* पीठ में दर्द

अधिक वजन, फैट के कारण कमर पर अधिक दबाव पड़ता है, जिसके कारण पीठ दर्द की समस्या होती है.

* ऑस्टियोअर्थराइटिस (वाय)

जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं, उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी गठिया की बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 

* टाइप 2 डायबिटीज

अधिक वजन के कारण टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 

* हाई ब्लड प्रेशर

मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है. क्योंकि बढ़े हुए वजन के कारण हृदय खून को तेजी से पंप करता है,तो यह हाई बीपी का कारण बनता है.

* दिल से जुड़ी बीमारियां

अत्यधिक फैट हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य अंगों पर दबाव डालता है, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है.

* जोड़ों का दर्द, गुर्दे संबंधित समस्याएं, नींद ना आने की समस्या और गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं से जूझने जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं

# वजन कैसे घटाएं how to lose weight? In hindi.

- शक्कर नहीं- 

सबसे पहले आपको वजन कम करने के लिए मीठी चीजें छोड़नी होंगी।

- प्रोटीन ज्यादा- 

आपको मोटापा घटाने के लिए पूरे दिन प्रोटीन अच्छी मात्रा में लेना जरूरी है।

- ग्रीन टी पिएं- 

अगर आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा है तो आपका वजन नहीं बढ़ेगा।

- रोज एक्सरसाइज- 

वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है.

# वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

- रात के खाने के दौरान आप कम से कम कैलोरी का सेवन करें. 

- पेट की चर्बी कम करने के लिए आप रिफाइंड तेल और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम से कम करें.

- आपको मीठे ड्रिंक्स, मिठाई, पास्ता, ब्रेड, बिस्कुट और तेल से भरपूर फूड्स से दूरी बनानी होगी.

 - आप मेथी के चूर्ण लें और सुबह उठकर खाली पेट पानी के साथ सेवन करें.


#1महीने में वजन कैसे कम करें।

सप्ताह में लगभग 0.5 किलो वजन कम करना आदर्श है। जिससे आप एक महीने में लगभग 2 किलो वजन आसानी से कम कर लेंगे। ऐसा करने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम और स्वस्थ भोजन के साथ कम कैलोरी वाले आहार का सेवन करना चाहिए। एक महीने में लगभग 1.5 से 2.5 किलो वजन घटाना सुरक्षित माना जाता है।

# शीघ्र वजन घटाने वाले टिप्स :-

* सवेरे रोजाना एक कप हल्का गर्म पानी पिएं। लगातार एक माह पीने से आपका कम से कम 2 किलो वजन कम हो जाएगा।

* रोजाना कपालभाति करें। 

*चीनी का सेवन बहुत कम कर दें।

* रोज खाने के बाद वज्रासन करें।

* सप्ताहिक व्रत रखें और व्रत के समय फलों का सेवन करें।

# स्वस्थ आहार कैसा होता है?

स्वस्थ आहार में निम्नलिखित शामिल हैं:

वसा रहित और कम वसा युक्त दुग्ध उत्पाद, जैसे कि कम वसा वाला दही, पनीर, और दूध।

प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि कम चिकनाई वाला मांस, मछली, पोल्ट्री (मुर्गी) छिलकेदार फलियां और मटर।

साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि गेहूं की रोटी, दलिया और भूरा चावल (ब्राउन राइज़)।

आयुर्वेद अनुसार 

* ​त्रिफला का सेवन करें

 *  आप गर्म पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर रोजाना पीएं। जीवनशैली में बदलाव के साथ आयुर्वेद के इन उपायों का नियमित पालन करने से वजन कम कर सकते है।

-पैदल चलने से, रात्रि जागरण से, जौ की रोटी खाने फैट कम होकर वजन कम होता है।

- गुग्गल, त्रिकुटा , लौह भस्म, ईलायची , पत्तों का साग, गर्म पानी, शिलाजीत खाने से वजन संतुलन मे रहता है।

# वजन कम करने के लिये क्या परहेज करें?

- गन्ने के उत्पादन ,उडद ,तली चीचों को छोड़ दें।

- दिन मे सोना मना है।

#वजन कम रखने की आयुर्वेदिक दवा क्या लें?

* त्रिफला योग

* अमृतागुग्गुल

* नवक गुग्गल

* लौह रसायन

आदि का प्रयोग करें।

धन्यवाद!

Dr_Virender_Madhan.


सोमवार, 28 मार्च 2022

त्रिफला क्या है।Triphla ke fayde|त्रिफला किन रोगों में काम आता है?In hindi.


 #त्रिफला क्या है।Triphla ke fayde|त्रिफला किन रोगों में काम आता है?In hindi.

#त्रिफला के क्या क्या फायदे हैं?

त्रिफला क्या है?

 त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक  योग है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"।

आयुर्वेद में इन तीनों फलो को सुखने के बाद सम मात्रा मे मिलने का भी विधान है।

गुण व उपयोग

* त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है और ये तीनों ही फल पेट के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। इसके सेवन से भूख और पाचन शक्ति बढ़ती है।

*त्रिफला कमजोरी दूर करें शारीरिक दुर्बल व्यक्ति के लिए त्रिफला का सेवन रामबाण साबित होता है।

*त्रिफला रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

त्रिफला चूर्ण का सेवन मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. 

*हाई ब्लड प्रेशर में,मधुमेह मे राहत देता है।

* Constipation(कब्ज) से राहत दिलाता है त्रिफला।

* नेत्र रोगों मे त्रिफला बहुत लाभकारी है।

*रक्त को शुद्ध करके चर्म रोग दूर करता है।

* त्रिफला, त्रिकटु के साथ लेने से मोटापे से राहत दिलाता है।

#त्रिफला कब खाना चाहिए?

त्रिफला चूर्ण को खाने का सबसे सही समय रात को सोने से पहले होता है जब आप रात में इसे पानी के साथ या फिर दूध के साथ खाते हैं तो यह आपकी आंतों को रात भर में साफ कर देता है और सुबह आपका पेट पूरी तरह से साफ हो जाता है और आपके पेट और आंतों का सारा कचरा बाहर हो जाता है 

*कब्ज दूर करने के लिए इसबगोल दो चम्मच के साथ त्रिफला चूर्ण मिलाकर गुनगुने पानी से लेना अच्छा रहता है। त्रिफला को रात भर पानी से भिगोकर रखें। सुबह मंजन के बाद इस पानी को मुंह में 1 से 2 मिनट तक भरकर रखें।मुखरोग मे भी लाभ मिलता है।

* त्रिफला चूर्ण के नुकसान 

गर्भ के समय महिला को त्रिफला चूर्ण के सेवन के लिए मना किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह बच्चे के विकास पर विपरीत प्रभाव डालता है। त्रिफला चूर्ण के सेवन से गर्भस्राव की संभावना बढ़ जाती है अतः गर्भवती महिला को इसके सेवन से पूर्णतः बचना चाहिए।

त्रिफला को कई रूप मे लिया जा सकता है

त्रिफला चूर्ण

त्रिफला रस

त्रिफला क्वाथ

त्रिफला टेब

त्रिफला चाय आदि।


धन्यवाद!

#Dr_Virender_Madhan.

शनिवार, 26 मार्च 2022

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi

 #प्याज खाने से पहले यह जान ले..In hindi.

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi



Dr.VirenderMadhan.

 प्याज “ऐमारलीडेसी” परिवार का सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियस सेपा है। अंग्रेजी में इसे ओनियन कहा जाता है।

#प्याज (Pyaj) को संस्कृत में क्या कहते हैं?

(A) प्रसूनम्

(B) पलाण्डुः

(C) बिडाल:

(D) अनडुह आदि नाम से जानते है।

प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। 

प्याज खाने से क्या फायदे होते है?

क्वेरसेटिन के अलावा, प्याज में विटामिन सी, बी विटामिन और पोटेशियम होता है. पोटेशियम की उपस्थिति प्याज को ब्लड प्रेशर कम करने की कोशिश करने वालों के लिए फायदेमंद बनाती है. उच्च एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी प्याज को दिल के अनुकूल जड़ वाली सब्जी बनाते हैं. प्याज आपको एंटी-बैक्टीरियल गुण भी प्रदान कर सकता है.

#क्या प्याज खाने से रोग प्रति रोधक शक्ति बढती है?

बेहतर रोग प्रतिरोधक प्रणाली

स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए विटामिन-सी की जरूरत होती है और प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन-सी को बढ़ाने का काम करते हैं। प्याज में सेलेनियम भी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर सकता है। प्याज का सेवन करने से शरीर में विटामिन-सी की मात्रा बढ़ती है।

#कुछ लोग प्याज को खाने से मना करते हैं क्यों ?

धार्मिक लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है, क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

प्याज की तासीर गर्म होती है. अगर आपको सर्दी-जुकाम की परेशानी रहती है तो प्याज आपके लिए दवा का काम करेगी. इसे खाने से आपके शरीर को गर्माहट मिलेगी और सर्दी के इंफेक्शन से आपका बचाव भी होगा. अगर आपको स्टोन की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए बहुत उपयोगी है।

#क्या प्याज गर्मी के दिनों में खा सकते हैं?

गर्मी के दिनों में प्याज किसी अमृत से कम नहीं है। प्रतिदिन भोजन में प्याज को शा‍मिल करें और कहीं बाहर जाने पर अपने साथ एक छोटा प्याज रखकर आप गर्मी के प्रकोप से बच सकते हैं। यह लू लगने से आपको बचाएगा। 

- लू लग जाने पर या फिर गर्मी के कारण होने वाली अन्य समस्याओं में प्याज का प्रयोग लाभदायक होता है।

कुछ अन्य प्याज खाने के लाभ:-

1. हाई टेंपरेचर

प्याज आपको गर्मी के मौसम में ठंडा रख सकती है, क्योंकि इसमें ठंडक देने के गुण होते हैं। इसमें वोलेटाइल ऑयल होता है, जो शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करता है। गर्मियों में प्याज को सलाद के रूप में कच्चा खाया जा सकता है। 

2. अपच और कब्‍ज

प्याज में फाइबर और प्रीबायोटिक्स की अच्छी मात्रा मे होता है।। पाचन को आप दुरुस्‍त रख सकती हैं। प्याज कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे सकती है।

3. हीट स्ट्रोक

लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने से हीट स्ट्रोक हो सकता है। ऐसे में कच्चा प्याज खाने से शरीर को अंदर से ठंडक मिलती है। हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए प्याज का पेस्ट बहुत प्रभावी होता है, क्योंकि इसमें उत्कृष्ट अवशोषक गुण होते हैं। इस पेस्ट को माथे, कान के पिछले हिस्से और छाती पर लगाने से हीट स्ट्रोक का इलाज होता है।

4. असंतुलित रक्‍त शर्करा

मधुमेह रोगियों को भी अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए। प्याज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है, जो इसे मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। 

5. हाई ब्लड प्रेशर

प्याज आपके रक्तचाप के लिए भी अच्छा है। इसमें पोटेशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है। 

6. सनबर्न

प्याज गर्मियों में न सिर्फ आपके शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आपकी त्वचा के लिए भी मददगार साबित हो सकती है। प्याज के रस को बाहरी रूप से धूप से झुलसी त्वचा पर एक बेहतरीन इलाज के रूप में लगाया जा सकता है। साथ ही, यह बालों के लिए भी फायदेमंद है।

7अनिंद्रा मे लाभ:-

प्याज में कुछ खास तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो अच्छी नींद के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसलिए अगर आप रात में प्याज का सेवन करते हैं तो इससे आपको अच्छी नींद आएगी. इतना ही नहीं अगर प्याज को काटकर अपने बिस्तर के पास रख लेंगे तो इसका भी फायदा मिलेगा. प्याज में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इंफेक्शन से लड़ते हैं.



प्याज के बारे मे और भी:-

* कच्चे प्याज के इस्तेमाल से बाल लंबे होते हैं।

* प्याज में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में भी सहायक होते हैं.


#प्याज खाने से क्या नुकसान हो सकते है?

अधिक प्याज के सेवन से पेट गैस, जलन और उल्टी की समस्या हो सकती है. अगर आपको ऐसी कोई भी समस्या नजर आए तो प्याज का सेवन ज्यादा न करें.

 – कच्चा प्याज खाने के बाद आपके मुंह से इसकी दुर्गंध आ सकती है, जिससे आप शर्मिंदगी का शिकार हो सकते हैं.

#प्याज -पलाण्डू के विशिष्ट प्रयोग:-

* नपुंसकता [ED] और स्तंभन दोष जैसी समस्याओं को दूर करने की अदभुद क्षमता प्‍याज में होती है। यदि प्‍याज के रस में शहद को मिला कर सेवन किया जाए तो यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है। जो लोग नपुंसकता या यौन कमजोरी से ग्रसित है उनके लिए प्‍याज का उपयोग फायदेमंद हो सकता है।

* सफेद प्याज को खाली पेट शहद से खाने से वीर्य बर्ध्दि करता है

* अस्‍थमा में लाल प्‍याज बहुत लाभकारी होती है। लाल प्‍याज में कई ऐसे गुण होते हैं जो अस्‍थमा की बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि अस्‍थमा में लाल प्‍याज का सेवन कैसे कर सकते हैं। अस्‍थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें सांस नली में सिकुड़न और सूजन आ जाती है।


कोई प्रश्न होतो कोमेंट मे पूछें!

धन्यवाद!


वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi

#Ayurvedictreatment. #Healthtips.

 Vireya ka rokna health ke liye hani karke hota hain ?In hindi.

वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi.

How harmful is the retention of semen to health?in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

वीर्य से ही वीरता बढ़ती है। वीर्य की कमजोरी से घर वीरान हो जाता है। ज्यादा दिनों तक वीर्य को रोकने से मानसिक या दिमागी रोग पनपने लगते हैं।

अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ के अनुसार 14 तरह के वेग होते हैं, इनको रोकने से शरीर अनेक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। जैसे-मल-मूत्र, छींक, जम्हाई, वीर्य आदि।

#Virya ke rokne se hani?

वीर्य को रोकने के कारण ही बुढ़ापे में प्रोस्टेट में पानी भर जाता है। सूजन आदि समस्या आने लगती है। नपुंसकता की वजह भी वीर्य रोक ही है।

अगर कोई व्यक्ति अपने वीर्य वेग को रोकने की कोशिश करता है तो इससे उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वीर्य को रोकने से लिंग में दर्द, मूत्राशय में दर्द और किडनी में सूजन जैसी समस्या आ सकती है।शुक्राणुओं की कमी हो सकती है।

#अष्टाङ्ग हृदय मे अधारणीय वेग और उनसे होने वाली परेशानी?In hindi.

अष्टाङ्ग हृदय के चतुर्थ अध्याय के भाषा टीका में उल्लेख है 

 “वेगान्नधारयेद्वात वीर्यमूत्रक्षवतृटक्षुधाम्!

निद्राकास श्रम श्वांसजंरुभाश्रुच्छअर्दीरेतसाम्!!”

(चरक सहिंता)

अर्थात- अधो वायु यानि पाद, गैस आदि,

मल यानि पखानाधधं न रोकें।

मूत्र- पेशाब, लघुशंका

छींक, प्यास, भूख, निद्रा (नींद), खांसी,

श्रमश्वास यानि मेहनत से चढ़ हुआ श्वांस जिसे हांफनी भी कहते हैं।

जम्भाई आना, आंखों के आंसू,  वीर्य, वमन यानि उल्टी होना और मासिक धर्म/माहवारी आदि इन वेगों को रोकने से शरीर में अनेक उपद्रव, विकार पनपने लगते हैं।


“अधोवातस्यरोधेन गुल्मोदावर्त रुक्क्लमा:!

वात मूत्र श कृत्संगद्दष्टयग्निवधह्रद्गगदा:!!”

अर्थात-अधोवायु यानी गैस को रोकने से गुल्म, उदावर्त, नाभि आदि स्थानों पर वेदना, दर्द या Pain, ग्लानि, वातविकार, मूत्र एवं मल की रुकावट, दृष्टिनाश, जठराग्नि नाश यानी भूख न लगने के साथ भोजन भी न पचना तथा ह्रदय रोग आदि परेशानियां पैदा होने लगती हैं।

- मल या लैट्रिन को रोकना हो सकता है खतरनाक -

 मल को रोकने से बवासीर, अर्श या पाइल्स, मांस में ऐंठन, प्रतिश्याय (जुकाम) हिचकी, डकार आदि का ऊपर को जाना। परिकर्त यानि गुदा मलद्वार में कैंची से काटने जैसी पीड़ा होना, हृदयोंपरोध अर्थात छाती में भारीपन, मुख से विष्ठा यानि मल/लैट्रिन का निकलना और ग्रन्थिशोथ (थायराइड) आदि रोग होने लगते हैं।

 - आंसुओं को रोकने से आंख, सिर भारी होकर सिरदर्द, कम दिखना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

- उल्टी वमन, माहवारी रोकने से त्वचा रोग, सफेद दाग, कोढ़, नेत्ररोग, जी मिचलाना, सूजन आदि रोग होते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, काले के निशान, मुहाँसे, व्यंग होने लगते हैं।

- छींक के वेग को रोकने से होने वाला नुकसान-

छींकने के साथ हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं. पर अगर आप छींक रोकते हैं तो ये शरीर में ही बने रहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि छींक रोकने की वजह से आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा गर्दन में भी मोच आ सकती है

इस लेख मे वेगों को रोकने से होने वाली परेशानी संक्षिप्त मे बताई है वैसै यह विषय लम्बा है आपको कैसा लगा कोमेंट मे लिखें।

धन्यवाद!


बुधवार, 23 मार्च 2022

सब रोगों का मूल (कारण) क्या है ?In hindi.

 # सब रोगों का मूल (कारण) क्या  है ?

What is the root cause of all diseases?



“प्रज्ञापराध”

Dr.VirenderMadhan.

«अपने ही जीवन के लिए किया गया अपराध।»

चरक स्थान के शरीर स्थान में आता हैः

“धीधृतिस्मृतिविभ्रष्टः कर्म यत्कुरुते अशुभम्।

प्रज्ञापराधं तं विद्यात् सर्वदोषप्रकोपणम्।।”

'धी, धृति एवं स्मृति यानी बुद्धि, धैर्य और यादशक्ति – इन तीनों को भ्रष्ट करके अर्थात् इनकी अवहेलना करके जो व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक अशुभ कार्यों को करता है, भूलें करता है उसे प्रज्ञापराध या बुद्धि का अपराध (अंतःकरण की अवहेलना) कहा जाता है, जो कि सर्वदोष अर्थात् वायु, पित्त, कफ को कुपित करने वाला है।

प्रज्ञापराधः अधर्मः च॥

प्रज्ञापराध अधर्म है पाप है।

यह 

कायिक । Kayik, 

वाचिक । Vachik and मानसिक । Manasika तीन प्रकार से किया जाता है।


आयुर्वेद की दृष्टि से ये कुपित त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) ही तन-मन के रोगों के कारण हैं।प्रज्ञापराध से दोष बिगड जाते है और रोग उत्पन्न हो जाते है।

उदाहरणार्थः 

* वेगोदीरण । 

वेग (मल,मुत्र, छींक आदि) न होते हुए भी वेगो को बलात् करना जैसे मुत्र का कोई वेग न होते हुए भी मूत्र त्यागने का प्रयास करना।

* वेगावरोधः । 

मल,मूत्रादि का वेग होते हुए बलात् रोकना।

* साहस सेवन । 

दुश्साहस दिखाना, बल से अधिक बल लगाना।

* नारीणाम् अतिसेवनम् । 

* कर्मकालातिपातश्च। 

कालविपरित कर्म करना।

मिथ्यारंभश्च कर्मणाम् । 

* विनयलोपः । 

विनम्रता न होना।(Disappearance of Modesty)

* आचारलोपः । 

दूर्व्यवहार करना


सारांश:- 

जाने या अनजाने में जा कर्म हमें नही करना चाहिए उस कर्म को प्रज्ञापराध कहते है इन कर्मो के कारण ही हम रोगी हो जाते हैं जीवन जो भी दूख आते है वह अधिकतर प्रज्ञापराध के कारण ही आते है।


धन्यवाद


नजर Eyes Sight कमजोर है तो क्या करें |कारण|लक्षण|उपाय"|in hindi.

 #आंखों की दृष्टि कैसे तेज करें?



Dr.VirenderMadhan

#नजर कमजोर होने के क्या लक्षण है?

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*आंखों या सिर में भारीपन 

*आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।

*Irritated eyes,आंखों में खुजली होना,

* रंगों का साफ दिखाई न देना।

* Trouble focusing. धुंधला दिखाई देना।

* Dry or watery eyes आंखों की खुश्की या आंखों से पानी बहते रहना।

*लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।

#आंखों की दृष्टि कमजोर होने के कारण?

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हमारी दैनिक चर्या की छोटी-छोटी गलतियों से हमारी आंखें खराब हो सकती हैं. आंखों को सही रखने के लिए हमें इन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

* आंखों की सफाई न करना:  

* बाइक ड्राइव के दौरान सनग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को आराम नहीं देना: 

* आई ग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को मसलना: 

* कॉन्‍टैक्‍ट लेंस लगाकर सोना और दूसरे का चश्‍मा या सनग्‍लास यूज करना: 

* लेपटॉप और मोबाइल पर अधिक काम करते रहना।

* तेज रोशनी,तेज हवाओं के

कारण।

* कम लाईट मे पढाई करना।

* चिंता करना,रोते रहने के कारण ।

* मधुमेह, रक्तचाप बृद्धि जैसे रोग से भी आंखों की नजर कमजोर हो जाती है।

* आंखों की रोशनी कम होने का कारण कुछ खास पोषक तत्वों जैसे- जिंक, कॉपर, विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटीन का शरीर में कम होना होता है।

#आंखों की ज्योति बढाने के घरेलू उपाय.?

Eyesight Home Remedies : आंखों की रोशनी हो रही है कमजोर, तो आजमाएं ये 10 घरेलू उपाय

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* भीगे हुए बादाम का सेवन करें

* किशमिश और अंजीर का सेवन करें

* बादाम, सौंफ और मिश्री का मिश्रण

* आंवला का प्रयोग करें।

*मछली

 आंखों की रोशनी तेज करने के लिए तैलीय मछलियों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें खाने से ओमेगा-3 मिलता है। इसका सबसे अच्छा स्त्रोत टूना, सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन और छोटी समुद्री मछलियां हैं।

नट्स

काजू, बादाम और अखरोट जैसे नट्स में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। नट्स में उच्च स्तर का विटामिन ई भी होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है।

बीज

नट और फलियों की तरह कुछ खास बीज भी ओमेगा -3 से भरपूर होते हैं। ये विटामिन ई का भी समृद्ध स्रोत होते हैं। ऐसे में कमजोर नजर वालों को चिया सीड, फ्लैक्स सीड खाने चाहिए।

खट्टे फल

आप अपने मेन्यू में नींबू और संतरे जैसे फलों को शामिल करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां

 इनमें विटामिन सी भी पाया जाता है। इसलिए पालक, पत्तागोभी, बथुआ आदि सब्जियों के सेवन से आंखों की रौशनी बढ़ती है।

गाजर

 गाजर में बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसमें रोडोप्सिन नामक प्रोटीन भी मिलता है जो रेटिना को प्रकाश को अवशोषित करने में मदद करता है।

#कमजोर दृष्टि की आयुर्वेदिक चिकित्सा?

» आंखों के लिए त्रिफला:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाती है।

त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।

» सत्यानाशी की जड को नींबू के रस धीसकर आंखों में आंजने से फछला,जाला ,धुंधलापन दूर होता है।

»सौफ को गाजर के रस मे भिगोकर रख दे सुखने पर 6-6 ग्राम खाने से आराम मिलता है।

»सौफ,खाण्ड मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।

»शतावरी के चूर्ण को 3 महिने तक खाने से दृष्टि बढ जाती है।

»गोरखमुंडी का अर्क 25-30 ग्राम रोज पीने से नेत्रज्योति बढती है।

अश्वगंधा, आंवला और मुलहठी सम मात्रा मे मिलाकर 5-6ग्राम रोज खाने से नेत्रज्योति बढ जाती है।

धन्यवाद!

सोमवार, 21 मार्च 2022

पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.

 पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.



#गाय का गव्य क्या है?In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

What is gaveya of cow?

जो गाय से प्राप्त हो । जैसे—दूध, दहीं, घी, गोबर, गोमूत्र आदि ।

#पंचगव्य किसे कहते हैं?

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है।

#पंच गव्य कैसे बनता है?

गोबर व 1.5 लीटर गोमूत्र में 250 ग्राम गाय का घी अच्छी तरह मिलाकर मटके या प्लास्टिक की टंकी में डाल दें। अगले तीन दिन तक इसे रोज हाथ से हिलायें। अब चौथे दिन सारी सामग्री को आपस में मिलाकर मटके में डाल दें व फिर से ढक्कन बंद कर दें। इसके बाद जब इसका खमीर बन जाय और खुशबू आने लगे तो समझ लें कि पंचगव्य तैयार है।

#पंचगव्य पीने से क्या होता है?

- यह बच्चों व बड़ों में पाचनक्रिया को मजबूत करने और भूख बढ़ाने का काम करता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन-ए, डी व ई पाए जाते हैं। यह दिमाग व शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है और मिर्गी, लकवा, कमजोरी, जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस व याददाश्त में सुधार होता है।

{पंचगव्य प्राशनम्‌ महापातक नाशनम्‌’}

पंचगव्य को सर्वरोगहारी माना गया है। अलग-अलग रूपों में प्रत्येक गव्य त्रिदोष नाशक नहीं हैं। परन्तु पंचगव्य के रूप में एकात्मक होने पर यह त्रिदोषनाशक हो जाता है। अत: त्रिदोष से उत्पन्न सभी रोगों की चिकित्सा ‘पंचगव्य’ से सम्भव है।

पंचगव्य एक अच्छा प्रोबायोटिक है। प्रोबायोटिक रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य को उपयोगी किस्म का फ्लोरा उपलब्ध कराते हैं। प्रोबायोटिक शरीर की व्याधियों को कम करके प्राणी की उत्पादन क्षमता, प्रजनन क्षमता ओज और रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। पंचगव्य एक अच्छा एन्टीआक्सीडेन्ट तथा एक अच्छा विषशोधक है। पंचगव्य में मौजूद घी विष शोधक का कार्य करता है। उपर्युक्त गुणों के अतिरिक्त पंचगव्य का प्रयोग रक्तचाप, शुगर, मिर्गी तथा अन्य बहुत से रोगों में भी लाभकारी हैं इस प्रकार से सर्वविदित है कि कैंसर जैसे रोगों के अलावा अन्य कई रोगों में भी ‘पंचगव्य’ की भूमिका महत्वपूर्ण है।

पंचगव्य चिकित्सा क्या है?

पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। गोमूत्र में प्रति ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है।

पंचगव्य घृत कैसे बनाया जाता है?

इसको बनाने के लिए 5 तरह के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है :

1  भाग गाय का घी,1 भाग गोमूत्र, 2 भाग गाय के दूध का दही, 3 भाग गाय का दूध, 1/2 भाग गाय का गोबर

इन सभी को धीमी आंच पर लकड़ी के पात्र में तब तक पकाया जाता है जब तक कि वे सभी वाष्प रूप में परिवर्तित ना हो जाएँ, तब पात्र में सबसे अंत में जो पदार्थ प्राप्त होता है, वही यह घी है।

इस घी को 2 तरह से उपयोग किया जाता है, 

(1) नाक में डालने के लिए और 

(2) खाने के लिए।

#नाक के ड्राप के लिए पंचगव्य घी के उपयोग

दिमाग, आँखें और हड्डी के मज़्ज़ा से सम्बंधित रोगो और डिसऑर्डर को दूर करता है

शरीर में वात पित्त और कफ को संतुलित करता है

सर्दी-ज़ुकाम, माइग्रेन और साइनस से सम्बंधित रोगो को दूर करता है

अवसाद या डिप्रेशन, नींद काम आना आदि में काफी लाभकारी है। दिमाग को ठंडक देता है और मेमोरी को तेज़ करता है

नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनता है

#पंचगव्य घी के फायदे:-

वात और पित्त वाले शरीर में यह घी अत्यंत फायदेमंद है

शरीर के कमज़ोरी, कमज़ोर इम्युनिटी और तनाव भरे दिमाग की अवस्था को स्वस्थ रखता है

शारीरिक कमज़ोरी और थकान को दूर करता है

वात शरीर वालों के लिए यह वज़न बढ़ाता है

जोड़ो में दर्द, जोड़ो के समस्याओं और अर्थिरिटिस में बहुत फायदा करता है

सूखी त्वचा, सूखा गाला और सोरिसिस में फायदा करता है

अन्य दूसरे लाभ

चूँकि इस घी में गोमूत्र का भाग भी होता है जो शरीर के अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकलता है जो किसी लत या ख़राब खाने की वजह से अंदर जमा हो जाते हैं

खून को शुद्ध करता है और लीवर के फंक्शन को मज़बूत बनता है

जिनको दिमागी रूप से कोई बीमारी या डिसऑर्डर है वे निसंकोच इस घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रामबाण है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर वे डिप्रेस्शन दूर करने वाली टेबलेट से भी छुटकारा पा सकते हैं

हड्डी के रोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी है

मात्रा:-

पंचगव्य घी को 10 -20 ग्राम रोज़ सुबह गुनगुने पानी के साथ लें या शुद्ध गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं

पंचगव्य घी नाक की ड्राप : सोने के पहले नाक के दोनों भागो में 2 बूंद डालें

पंचगव्य से साबुन भी बनता है जो त्वचा रोगों मे उपयोगी साबित हुआ है।


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धन्यवाद!



शरीर की 7 धातु क्या है? In hindi.

 #शरीर की 7 धातु क्या है?

Dr.Virender Madhan.



हमारे शरीर की पूरी संरचना इन्हीं सातों धातुओं से मिलकर हुई है।तीनों दोषों (वात,पित्त, और कफ) की ही तरह इन सातों धातुओं का निर्माण भी पांच तत्वों (पंच महाभूत) से मिलकर होता है। हर एक धातु में किसी एक तत्व की अधिकता होती है।

#7धातु कौन सी है?

सात धातुओं के नाम

1- रस :  प्लाज्मा

2- रक्त : खून (ब्लड)

3- मांस : मांसपेशियां

4- मेद : वसा (फैट)

5- अस्थि : हड्डियाँ

6- मज्जा :  बोनमैरो

7- शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक (रिप्रोडक्टिव टिश्यू )


#धातुओं का निर्माण कैसे होता है?

हम जो भी खाना खाते हैं वो पाचक अग्नि द्वारा पचने के बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए इन धातुओं में बदल जाती है। आपके द्वारा खाया गया खाना आगे जाकर दो भागों में बंट जाता है : 

सार और मल। 

सार का मतलब है भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व और उर्जा, जिससे हमारा शरीर ठीक ढंग से काम कर सके। 

- मल से तात्पर्य है कि भोजन को पचाने के बाद जो अपशिष्ट बनता है जिसका शरीर में कोई योगदान नहीं वो मल के रुप में शरीर से बाहर निकल जाता है। 

ये सारी धातुएं एक क्रम में हैं और प्रत्येक धातु अग्नि द्वारा पचने के बाद अगली धातु में परिवर्तित हो जाती है। 

भोजन से रस

रस से रक्त

रक्त से मांस

मांस से मेद

मेद से अस्थि

अस्थि से मज्जा

मज्जा से शुक्र

इसी तरह यह क्रम चलता रहता है। 

#धातुओं के कार्य,और विकृति.

1- रस धातु

तीनों दोषों, सात धातुएं, पांच तत्व, शरीर, इन्द्रियां और मन के सारे कार्य इसी रस धातु से ही होते हैं। रस धातु का निर्माण पाचन तंत्र में होता है और फिर यह रस रक्त द्वारा पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। दोषों में गड़बड़ी होने पर धातुओं के स्तर में भी बदलाव होने लगता है। रोग की उत्पत्ति होती है। जिस धातु के दूषित होने से रोग की उत्पप्ति होती है वह रोग उसी धातु के नाम से जोड़कर बोला जाता है। जैसे रस धातु के दूषित होने से “रसज रोग”कहते है।

* रस धातु के कार्य

इस रस का मुख्य काम तृप्ति करना है। यह संतुष्टि और प्रसन्नता प्रदान करता है और अपने से अगली धातु (रक्त) का पोषण करता है।

* रस धातु बढ़ने के लक्षण:-

रस धातु की वृद्धि होने पर कफ प्रकोप के सामान लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे पाचन शक्ति की कमी, जी मिचलाना, ज्यादा लार बनना, उल्टी साँसों से जुड़े रोग और खांसी आदि।

* रस धातु में कमी के लक्षण:-

- मुंह सूखना, थकान, रूखापन, दिल में दर्द और धड़कन तेज होना, तेज साँसे चलना आदि रस धातु में कमी के लक्षण हैं।


रस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग

- भूख ना लगना,

- कुछ भी अच्छा ना लगना

- मुंह का बुरा स्वाद

- बुखार

-- बेहोशी

- नपुंसकता

- पाचन शक्ति में कमी

- त्वचा पर झुर्रियां पड़ना

उपचार:-

रसज रोगों के इलाज के लिए रसायन और ताकत देने वाली औषधियों का उपयोग करना फायदेमंद माना जाता है।

2- रक्त धातु ( खून या ब्लड) :

रक्त धातु के कार्य :

रक्त हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसकी मदद से बाकी सभी अंगों को पोषण मिलता है। यह धातु रंग को निखारता है और बाकी इन्द्रियों से जो ज्ञान मिलता है वह भी रक्त के कारण ही संभव है। रक्त से आगे चलकर मांस धातु बनती है। रक्त में ही सभी धातुओं के पोषक तत्व मिले हुए होते हैं।

* रक्त धातु बढ़ने के लक्षण

रक्त धातु में बृद्धि होने पर त्वचा और आंखों में लालिमा दिखाई देती है।

* रक्त धातु में कमी के लक्षण :

रक्त धातु में कमी होने पर रक्त वाहिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। इसकी कमी होने पर त्वचा की चमक फीकी पड़ जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है। रक्त धातु की कमी होने पर रोगी को अम्लीय और ठंडी चीजें ज्यादा अच्छी लगती हैं।

* रक्त धातु के असतुलन से होने वाले रोग :-

- कुष्ठ रोग

- ब्लड कैंसर

- महिलाओं के जननांगो से 

- रक्तस्राव

- मुंह में छाले

- लिंग का पकना

- प्लीहा (स्प्लीन) के आकार में वृद्धि

- पेट में गाँठ

- काले तिल और मुंह पर झाइयाँ

- दाद

- सफेद दाग

- पीलिया

- जोड़ों का रोग

उपचार:-

रक्त धातु से होने वाले रोगों के लिए रक्त को शुद्ध करना, पोषण और विरेचन सबसे अच्छे उपाय है।

3- मांस धातु

मांस धातु के कार्य

मांस धातु का मुख्य कार्य है लेपन अर्थात हमारी मांसपेशियों का निर्माण। जैसे किसी मकान को बनाने में सीमेंट या मिट्टी से लेप किया जाता है वैसे ही शरीर के निर्माण में मांसपेशियों का लेपन होता है। मांसपेशियों से शरीर को शक्ति मिलती है। ये शरीर के पूरे ढांचे को सुरक्षा प्रदान करता है।

* मांस धातु बढ़ने के लक्षण

शरीर में मांस धातु के बढ़ने से गर्दन, हिप्स, गालों, जांघों, टांगों, पेट, छाती आदि अंगों में मांस बढ़ने से मोटापा बढ़ जाता है। इससे शरीर में भारीपन आता है।७

* मांस धातु की कमी के लक्षण

मांस धातु की कमी से अंगों में दुबलापन, शरीर में रूखापन, शरीर में कुछ चुभने जैसा दर्द और रक्त वाहिकाओं के कमजोर होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।

* मांस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- जांघों के मांस में वृद्धि

- गले की ग्रंथियों के आकार में वृद्धि

- जीभ, तलवे और गले में गांठे होना

4- मेद धातु

मेद धातु- वसा (फैट) । 

* मेद धातु के कार्य

इस धातु का मुख्य काम शरीर में चिकनाहट और गर्मी लाना है। यह शरीर को शक्ति, सुरक्षा, दृढ़ता और स्थिरता देता है 

* मेद धातु के वृद्धि के लक्षण:-

शरीर में मेद धातु बढ़ जाने से गले की ग्रंथियों में बढ़ोतरी, पेट का आकार बढ़ने जैसे लक्षण नज़र आते हैं। 

- थोड़ी सी मेहनत करने पर थक जाना, 

- स्तनों और पेट का लटकना,

 - शरीर से दुर्गंध आना मेद धातु के मुख्य लक्षण हैं।

* मेद धातु में कमी के लक्षण:-

- आखें मुरझाना, 

- बालों और कानों में रूखापन,  - प्लीहा में वृद्धि आदि मेद धातु की कमी के मुख्य लक्षण है। 

* मेद धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- हाथ-पैर में जलन

- बालों का उलझना या जटाएं बन जाना

- मुंह, गला और तलवे सूखना

- आलस,बहुत अधिक प्यास लगना

- ज्यादा पसीना निकलना

- शरीर सुन्न पड़ना

उपचार:-

मेद धातु बढ़ने का सीधा मतलब है शरीर का मोटापा बढ़ना। 

5- अस्थि धातु

हमारे शरीर का ढांचा हड्डियों से ही निर्मित होता है। 

* अस्थि धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग

- बालों और नाखूनों में तेजी से वृद्धि, दांतों का आकार सामान्य से ज्यादा होना, हड्डियों व दांतों में दर्द, दाढ़ी-मूंछ के रोग होना 

* अस्थि धातु में कमी के लक्षण:-

शरीर में अस्थि धातु की कमी होने पर हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों और जोड़ों में दर्द, दांतों व नाखूनों का टूटना और रुखापन, बालों और दाढ़ी के बालों का झड़ना आदि अस्थि धातु में कमी के लक्षण हैं।

उपचार:-

अस्थि धातु बढ़ जाने पर तिक्त द्रव्यों से तैयार बस्ति देनी चाहिए। अस्थि धातु कमजोर होने पर कैल्शियम युक्त आहार, दूध, मट्ठा, पनीर, छाछ, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसके अलावा हड्डियों में कमजोरी होने पर ताजे फल, हरी सब्जियां, चना आदि दालों का सेवन करें। हड्डियों की मजबूती के लिए आप मुक्ताशुक्ति व शंखभस्म आदि भी ले सकते हैं।

6- मज्जा धातु (बोनमैरो)

  बोनमैरो हड्डियों के जोड़ों के बीच चिकनाई का काम करती है और उन्हें मजबूत बनाती है।

* मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग:-

पूरे शरीर और खासतौर पर आंखों में भारीपन और हड्डियों के जोड़ों में बड़े बड़े फोड़े फुंसियाँ होना मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण हैं।

* मज्जा धातु के बढ़ने से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं।

- ब्लड कैंसर

- उंगलियों के जोड़ों में दर्द और उनके अंदर फोड़े होना

- चक्कर आना

- बेहोशी

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना

* मज्जा धातु में कमी के लक्षण:-

- हड्डियों में खोखलापन

आस्टियोपीनिया

- ऑस्टियोपोरोसिस

- रुमेटाइड आर्थराइटिस

- हड्डियों और जोड़ों का टूटना

- चक्कर आना

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना 

7- शुक्र धातु

इसे सबसे अंतिम, शक्तिशाली और महत्वपूर्ण धातु है।इससें ओज की प्राप्ति होती है।

रविवार, 20 मार्च 2022

बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.

 #बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.



Dr.Virender madhan.

*बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। 

- बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

#बवासीर के लक्षण क्या होते है?

 - शौच के बाद पेट साफ ना होने का एहसास होना, 

- शौच के वक्त काफी ज्यादा दर्द होना, 

- गुदा के आसपास सूजन रहना, 

-खुजली रहना और लालीपन आना, 

- बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना और गुदा के आसपास कठोर गांठ जैसा महसूस होना एवं उसमें दर्द होना आदि।

» बवासीर के कारण क्या हैं? 

- कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से पाइल्स की शिकायत हो जाती है। 

-  ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

#अर्श की सरल चिकित्सा

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- 'बवासीर रोग' मे सबसे पहले रोगी का पेट साफ करना चाहिए ।

- पकी हुई नीम की निबौलियों पुराने गुड के साथ मिला कर सेवन करें ।

- नीम की निबौली और रसोंत समान मात्रा में मिला करके गाय के घी मे पीसकर मस्सों पर लेप करें ।

- रसौंत को घिसकर बवासीर पर लेप करें।

- आक के पत्तों का लेप बनाकर गुदा पर लेप लगायें।

- पंचकोल( पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, और सौंठ ) का काढा सेवन करने से कफज बवासीर ठीक हो जाती है ।

- अदरक का काढा बनाकर पीने से कफज बवासीर ठीक हो जाते है।

- दारुहल्दी, खस, नीम की छाल का काढा पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

- नागकेसर को मिश्री के साथ धी मे मिलाकर सेवन करने से *खूनी बवासीर* में आराम मिलता है।

- बिना छिलका के तिल 10 ग्राम मक्खन 10 ग्राम मे मिलाकर सेवन करने से रक्त स्राव बन्द हो जाते है।

- मट्ठा मे पीपल चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर ठीक होती है।

- बकरी का दूध प्रातः पीने से बवासीर के रक्तस्त्राव मे आराम मिलता है।

- गैंदे के फूलों 10 ग्राम मे 3-4 काली मिर्च पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से खूनी बवासीर- Piles- में आराम मिलता है।

-करेले या करेलो के पत्तों का रस मिश्री मिलाकर पीने से खूनी "बवासीर" नष्ट हो जाती है।

-प्याज के रस मे धी और मिश्री मिला कर पीने से बवासीर नष्ट हो जाती है ।

- बडी हरड को धी मे भूनकर बराबर का बिड्नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें उस मे से। तीन ग्राम पानी से सोते लें बवासीर भी ठीक होती है और कब्ज भी दूर होती है।

- गिलोय के सत्व को मक्खन के साथ मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।

-छाछ मे भुना जीरा ,हींग, पुदीना, सैंधवनमक मिलाकर पीयें।

#बवासीर है तो क्या करें क्या न करें ?

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पुराने चावल,  मूंग, 

चने की दाल,  कुलथी की.दाल,

बथुआ , सौफ, सौंठ, परवल,

करेला, तोरई, जमीकन्द, गुड छाछ , छोटी मूली ,

कच्चा पपीता, दूध , धी , मिश्री , जौ , लहसुन , चूक 

आंवला, सरसौ का तैल , हरड, गौ मूत्र ये सब पथ्य है ।

खाने के योग्य है।

* अपथ्य ( परहेज )

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- उडद, पिठ्ठी, दही, सेम, 

-गरिष्ठ भोजन, तले भुने पदार्थ, 

- धूप में रहना, मल मूत्र आदि वेगो को रोकना, कठोर सीट पर बैठना, मांस मछली, मैदे के पदार्थ लेना , 

- उकडू बैठना बवासीर के रोगी को मना है ।

[खूनी बवासीर में ]

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लहसुन, सेम , विरुध आहार, दाहक पदार्थ ,खट्टे पदार्थ लेना मना है। अधिक मेहनत करना भी मना है।

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शनिवार, 19 मार्च 2022

#हृदय सुरक्षा के प्रश्न-उत्तर।in hindi.

 #हृदयरोग #घरेलूउपाय #Ayurvedictreatment,

#हृदय सुरक्षा के प्रश्न-उत्तर।in hindi.

Dr.Virender Madhan.

प्रश्‍न:  सामान्‍य व्‍यक्‍ति के लिए अपने हृदय की सुरक्षा के लिए क्‍या उपाय हैं?

उत्‍तर : 

* धूम्रपान न करें ,

* वर्क-आउट/व्यायाम करें ,

* स्वस्थ-आहार ग्रहण करें।

* ऐल्कोहॉल का सेवन न करें ,

* तनाव कम करें' 

*रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी करना'

*अपने वजन को नियन्त्रित रखें ,

प्रश्‍न : क्‍या नॉनवेज फूड (मछली) हृदय के लिए अच्‍छा है?

उत्‍तर: नहीं

प्रश्‍न : क्‍या हृदय रोग वंशानुगत होते हैं?

उत्‍तर: जी हां,हो सकता है।

प्रश्‍न : हृदय पर तनाव क्यों

बढ़ जाता है? क्‍या उपाय करना चाहिए?

उत्‍तर: अपने विचारों को बदलें। जीवन में स‍ब कुछ आपके अनुसार होगा ऐसा न सोचें। कर्म करते जाये बस फल ईश्वर के ऊपर छोड दें।

प्रश्‍न : क्‍या कम ब्‍लडप्रेशर वाले लोग हृदय संबंधी रोगों से ग्रसित हो सकते हैं?

उत्‍तर: बेहद ही कम।

प्रश्‍न : क्‍या कोलेस्‍ट्रोल कम आयु मे भी संचित होना शुरु हो जाता है 

उत्‍तर: कोलेस्‍ट्रोल का स्‍तर बचपन से ही बढ़ना शुरु हो जाता है।

और अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/oFPpgu02Gng

प्रश्‍न : खानपान की अनियमित आदतें किस तरह आपके हृदय को प्रभावित कर सकती हैं ?

उत्‍तर: खानपान की आदतें अनियमित होने के दौरान आप जंक फूड खाते हैं जिससे आपका पाचन तंत्र गड़बड़ हो जाता है। और अधिक कोलेस्‍ट्रोल संचित करता है।


प्रश्‍न :  क्या बिना दवा के मैं कोलेस्‍ट्रोल को कैसे नियमित रख सकता हूं?

उत्‍तर: खानपान की आदतों को नियमित करें, टहलें और अखरोट का सेवन करें।

अर्जुन की छाल का काढा भी सहायक हो सकता है।


प्रश्‍न : हृदय के लिए सबसे अच्‍छा और सबसे नुकसानदेह भोजन क्‍या है?

उत्‍तर: फल और सब्‍जियां सबसे बेहतर हैं और तेल सबसे अधिक नुकसानदेह है।

प्रश्‍न : हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले क्‍या कदम उठाए जाएं?

उत्‍तर: व्‍यक्‍ति को लेटने में सहायता करें, रोगी में मुंह में कोई एस्‍प्रिन टेबलेट रखें या कोई सोब्रिट्रेट गोली दें (यदि उपलब्‍ध हो), और जल्‍द से जल्‍द उसे किसी कोरोनरी केयर यूनिट में ले जाएं, क्‍योंकि पहले एक घंटे में ही हार्ट अटैक की अधिकतम रोकथाम संबंधी उपाय किए जाते हैं।

प्रश्‍न : युवाओं में तेज़ी से बढ़ती हृदय समस्‍याओं का कारण क्‍या है? 

उत्‍तर: बढ़ते तनाव ने इस समस्‍या को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान, जंक फूड और व्‍यायाम की कमी इस समस्‍या को बढ़ावा देते हैं। भारतीयों में हृदय रोगों का खतरा यूरोप या अमेरिका की तुलना में तीन गुना अधिक होता है।

प्रश्‍न : क्‍या कॉफी/चाय के अधिक सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है?

उत्‍तर : नहीं।

प्रश्‍न: जंक फूड की परिभाषा आप क्‍या देंगे?

उत्‍तर : तला भोजन जैसे केंटकी, मैकडॉनल्‍ड, समोसे और यहां तक कि मसाला डोसा।

प्रश्‍न: कभी-कभी व्‍यस्‍त दिनचर्या के कारण हमें व्‍यायाम का समय नहीं मिल पाता है, तो क्‍या रोज़ाना के काम-काज के दौरान टहलना, सीढि़यों पर चढ़ना आदि क्‍या व्‍यायाम का विकल्‍प बन सकता है?

उत्‍तर : बेशक। लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने से बचने और बार-बार घूमने या टहलने से भी आपके हृदय को खतरे से बचाया जा सकता है।

प्रश्‍न: क्‍या हृदय समस्‍याओं और ब्‍लड शुगर में कोई संबंध है?

उत्‍तर: जी हां। अधिक डायबिटीज़ से पीडि़त व्‍यक्‍ति को हृदय समस्‍याओं का अधिक खतरा होता है।

प्रश्न:-हृदय को मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय बताये?

- अलसी हार्ट के लिए फायदेमंद। सेब का जूस और आंवला से हार्ट मजबूत होता है। बादाम खाने से हार्ट मजबूत होता है। जामुन, सेब का सिरका भी फायदेमंद है।

बीन्स, मटर, चना, दाल, जामुन, ब्रोकोली

, चिया और अलसी के बीज,नट्स, टमाटर,हरी पत्तेदार सब्जियां खुब खायें।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें-

https://youtu.be/oFPpgu02Gng

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धन्यवाद!


शुक्रवार, 18 मार्च 2022

हल्दी वाले दूध का कमाल।in hindi.


 #हल्दी वाले दूध का कमाल।in hindi.

#Dr;Virender_Madhan

हल्दी का दूध:-

एक गिलास दूध मे आधा चम्मच हल्दी मिलाकर 10 मिनट उबालने से “हल्दी का दूध” तैयार हो जाता है।

#रात को हल्दी वाला दूध पीने के क्या फायदे हैं?

हल्दी वाला दूध पीने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है। हल्दी वाला दूध पीने से बॉडी में गर्माहट आती है ।

हल्दी वाला दूध पीने से कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों का दर्द, कब्ज, खून साफ होने के साथ खांसी-जुकाम और बुखार जैसी बीमारी नही होती है. 

यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता। 

* शारीरिक दर्द - शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है। हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।

#किसे हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए।

एलर्जी की समस्या वाले लोगों को और जिसने किसी गर्म चीज या गर्म मसाले,मछली, मूली, दही, पनीर आदि खायें है तो ऐसे में आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए। 

#कितने दिन हल्दी वाले दूध को पी सकते है?

जिससे दिनभर आपके शरीर में एनर्जी बनी रहती है. कैल्शियम शरीर की एक बड़ी जरूरत होती है. ऐसे में अगर आप हर दिन एक गिलास हल्दी वाले दूध का सेवन करते हैं तो इससे आपको कैल्शियम की कमी महसूस नहीं होती है. इसके अलावा काम करने के लिए अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की जरूरत है तो वो एनर्जी है.

#दूध, हल्दी चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से स्किन की सेल्स रिजनरेट होती हैं और कलर फेयर होता है। यह कॉम्बिनेशन स्किन की इलास्टिसिटी बढ़ाता है। इससे स्किन टाइट होती है और रिंकल्स से बचाव होता है। इस कॉम्बिनेशन से कोलेजन प्रोडक्शन बढ़ता है जिससे बढ़ती उम्र का असर चेहरे पर नजर नहीं आता।

नोट:-इसके प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

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धन्यवाद!

गुरुवार, 17 मार्च 2022

बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?In hindi.

 #Life style in doing|बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?

By:- #Dr_Virender_Madhan.


#ऋतु चर्या, वसन्त (Spring)

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ऋतु    हिन्दू मास, वसन्त (Spring)   चैत्र से वैशाख (वैदिक मधु और माधव)   मार्च से अप्रैल तक होता है।


#बसंत ऋतु कब होती है?

Basant Panchami से यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है. इस अवसर पर प्रकृति के सौन्दर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है. वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत में उनमें नई कोपलें आने लगती है जो हल्के गुलाबी रंग की होती हैं


#वसंत ऋतु आने पर क्या क्या परिवर्तन होते हैं?

- इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है और इसे ऋतुराज कहा गया है।

#वसंत ऋतु के कौन से दो महीने होते हैं?

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं।

#बसंत ऋतु में कौन से फल और सब्जियों की है?

- इस मौसम में मौसमी सब्जियों का सेवन लाभदायक होता है जैसे - 

- करेला, लोकी, पालक आदि। ऐसे में कच्ची सब्जिया जैसे गाजर, मूली, शलगम, अदरक आदि का भी खूब सेवन करना चाहिए। 

* मौसमी फल जैसे - 

संतरा, चीकू, आम, अमरूद, पपीता भी बहुत लाभदायक होते है।

#बसंत के मौसम क्या पहनें?

* बसंत के मौसम में कॉटन के ही कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इस तरह के कपड़े पहनने से इस मौसम में आप आराम महसूस करेंगे। इस मौसम में हमेशा शर्ट, टी-शर्ट, कुर्ता पहनना अच्छा माना जाता है। आपके लिए सिल्क और ऊनी कपड़ों के बजाय ट्राउजर और कुर्ते पहनें। बसंत में अकसर लोग आरामदेह कपड़े पहनना पसंद करते हैं।

#बसन्त ऋतु में होने वाले रोग?

बसन्त ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय सूर्य की तेज किरणों के कारण शरीर में संचित कफ दोष प्रकुपित हो जाते हैं जिससे शरीर की अग्नि मंद होने के कारण शरीर में अनेक रोग जैसे

मौसम बदलते हुए कुछ खास बीमारियों व संक्रमणों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जो कि खासतौर से बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होती हैं. जैसे-

अस्थमा,फ्लू, पेट में दर्द, खांसी, गले में दर्द, आंख आना, कीड़े-मकोड़े की एलर्जी, पेट में अल्सर, नाक बंद होना, छाती में जकड़न,सिरदर्द, पेट में गैस बनना, भूख कम लगना, सर्दी, जुकाम, पाचन शक्ति कम होना, एलर्जी, आदि हो सकते है।

यह भी देखे - 

https://youtu.be/WSJWSO3DfNI


#बसंत ऋतु (मार्च से मई) मे क्या खायें क्यान खायें?

इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूँ, चावल, मूँग, अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियाँ, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी आँवला आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें।

* गन्ना, आलू, भैंस का दूध, उड़द, सिंघाड़ा, खिचड़ी व बहुत ठंडे पदार्थ, खट्टे, मीठे, चिकने, पदार्थों का सेवन हानिकारक है। ये कफ में वृद्धि करते हैं।

आगामी बसंत ऋतु में दही का सेवन न करें क्योंकि बसंत ऋतु में कफ का स्वाभाविक प्रकोप होता है एवं दही कफ को बढ़ाता है। अतः कफ रोग से व्यक्ति ग्रसित हो जाते हैं।

नियमित ये काम करें

* रूखा, कड़वा, तीखा और कसैले रस वाली चीजों का खूब प्रयोग करें।

* सुबह खाली पेट बड़ी हरड़ का 3-4 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लें।

* एक साल पुराना जौ, गेहूं, चावल का प्रयोग करें। इससे सुपाच्यता बढ़ेगी।

* सूर्योदय से पूर्व दैनिक क्रिया से निवृत होकर व्यायाम, योगासन करें।

* सुबह के समय तेल से मालिश कर 20-30 मिनट तक धूप में रहें।

* ठंडी, चिकनाई युक्त, गरिष्ठ, खट्टे एवं मीठे द्रव्य का प्रयोग नहीं करें।

* सक्रिय दिनचर्या अपनाएं। एक जगह पर देर तक बैठना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

* ठंडे पेय, आइसक्रीम, मैदे से बनी चीजें, खमीरवाली चीजों का प्रयोग बिल्कुल न करें।

चावल खाने से बचें। 

यहां क्लिक करें-
https://youtu.be/WSJWSO3DfNI

बुधवार, 16 मार्च 2022

यकृतशोथ [Hepatitis]|कारण|लक्षण|उपाय।in hindi.

 #घरेलूउपाय #लीवरकीसुजन #आयुर्वेदिकउपाय 

#यकृतशोथ [Hepatitis]|कारण|लक्षण|उपाय।in hindi.



#Hepatitis लीवर बढ़ना क्या है?In hindi.

By- Dr.Virender Madhan.


लीवर का सामान्य से ज़्यादा बड़ा आकार हो जाना लीवर बढ़ने की समस्या है। 

- लीवर बढ़ना कोई बीमारी नहीं है। परन्तु ये किसी होने वाली बीमारी का कारण हो सकता है जैसे, लीवर खराब होना,

 लिवर कैंसर या

 कंजेस्टिव हार्ट फेल होना (congestive heart failure​: हृदय का ढंग से शरीर में खून न भेज पाना जिससे सांस लेने में परेशानी, थकान, टांगों में दर्द आदि हो सकता है)। 

*लिवर बढ़ने [ यकृतशोथ]के लक्षण - Enlarged Liver Symptoms in Hindi


#लिवर बढ़ने के लक्षण क्या हैं?


अगर आपका लिवर किसी अन्य लिवर की बीमारी के कारण बढ़ रहा है तो उससे निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं :


- पेट में दर्द 

- थकान 

- उलटी आना 

-.त्वचा और आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला पड़ना (पीलिया होना)


* लीवर बढ़ने के कारण और जोखिम कारक - Enlarged Liver Causes and risk factors in Hindi

[लीवर बढ़ने के कारण क्या हैं?]


लीवर एक बड़े के आकार का अंग है। ये हमारे शरीर में पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में होता है। लिवर का आकार आपकी उम्र, लिंग और शरीर के आकार पर निर्भर करता है। ये निम्नलिखित वजहों से बढ़ सकता है :

लीवर की बीमारियां :


1-सिरोसिस 

वायरस के कारण हेपेटाइटिस होना - हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी - या फिर ये संक्रमित मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis) के कारण भी हो सकता है।  

फैटी लिवर की बीमारी होना 

- लीवर में असामान्य रूप से अधिक मात्रा में प्रोटीन एकत्रित होना (अमीलॉइडोसिस)

- लीवर में अधिक मात्रा में कॉपर इकठ्ठा होना (विलसन्स डिसीज)

 - लीवर में अधिक मात्रा में आयरन इकठ्ठा होना (हेमाक्रोमैटोसिस)

-लिवर में वसा इकठ्ठा होना (गोचरस डिसीज)

- लिवर में तरल पदार्थ से भरे खाने होना (लिवर सिस्ट)

- लिवर ट्यूमर जिससे कैंसर होने का जोखिम ना हो

- पित्त की थैली या बाईल डक्ट में रूकावट होना ।

-टॉक्सिक हेपेटाइटिस (Toxic hepatitis)


2. कैंसर :

कैंसर जो किसी अन्य अंग में शुरू हो कर लीवर तक फैल जाए 

ल्युकेमिया 

लीवर कैंसर 

लिंफोमा 


3. हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोग :


* लिवर बढ़ने के क्या कारण होते हैं?


- अगर आपको लीवर की बीमारी है तो आपका लिवर आकार में बढ़ सकता है। 


 - बहुत ज़्यादा शराब पीना -

अत्यधिक शराब पीने से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 

- संक्रमण -

वायरस, बैक्टीरिया या अन्य जीवाणुों के कारण होने वाली बिमारियों से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 


- हेपेटाइटिस वायरस -

हेपेटाइटिस ए, बी या सी से लिवर खराब हो सकता है। 

ढंग से खाना न खाना -

ज़्यादा वजन होने से आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है,

-  पौष्टिक खाना न खाने से और ज़्यादा वसा या चीनी वाला खाना खाने से भी आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा है। 


- लीवर बढ़ने से बचाव उपाय। 

#लीवर बढ़ने से कैसे बचें?


-परहेज:-

-----------

- कोई भी दवाई, विटामिन या शरीर में कमी की पूर्ति करने वाली दवाइयां लेते समय ध्यान रखें - आपको जितनी दवाई लेने के लिए कहा गया है उतनी ही लें। 

 - केमिकल से दूर रहें - सफाई करने वाले स्प्रे, कीटनाशक और अन्य केमिकल का इस्तेमाल हवादार इलाकों में करें। केमिकल का इस्तेमाल करते समय पूरी बाजू के कपड़े, दस्ताने और मास्क पहने। 

 

 -जिन खाद्य पदार्थों में ज़्यादा चीनी या वसा होती है उन्हें ना खाएं। 

-चिकनाई वाले पदार्थ न लें ।

-गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, अण्डा न लें .

-शराब छोड दें.

 -धूम्रपान न करें - 

 -कुछ दवाइयां आपके लिवर को हानि पहुंचाती हैं।


* जीवनशैली

--------------

-सवेरे उठकर घूमने की आदत डालें।

-शराब पीना छोड़ दें

- स्वास्थ्य आहार खाएं 

-नियमित रूप से एक्सरसाइज करें 

-अगर आपका वजन ज्यादा है तो वजन कम करें .

- भुख लगने ही खाये

-अत्यधिक मात्रा में भोजन न करें.

-जल्दी सोना व जल्दी उठने की आदत बनाए.


#Ayurvedic treatment of Hepatitis#

*यकृतशोथ का आयुर्वेदिक चिकित्सा*

-मुकोलिव सीरप की 2-2 चम्मच दिन में 2-3 बार देने से लीवर के रोग शीध्र शांत हो जाते है।

-त्रिफला कषाय -रात्रि मे त्रिफला पानी मे डालकर छोड़ दें सवेरे छानकर पीलायें.

-भूमिआमला का 2-2 चम्मच रस सवेरे शाम पीलायें.

-ऊटनी का दूध मे यवक्षार मिलाकर पीने से यकृतशोथ मे आराम मिलता है।

-पीपल चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन देने से लीवर के रोग ठीक होते है.

 शास्त्रीय योग:-


- रोहितकारिष्ट

Rohitakarishta

-पुनर्नवारिष्ट

Punarnavarishtha  

- द्राक्षादि लेह

Drakshadi Leha

-Sri Sri Tattva Sudarshan Vati Tablet

- कासीसभस्म

Kasis Bhasma

-पुनर्वादिमण्डूर

Punarnavadi Mandoor

-आरोग्यबर्ध्दिनी बटी

 Arogyavardhini Bati  


< अपनी चिकित्सा खुद न करें किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।>


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धन्यवाद!

 


 


 





मंगलवार, 15 मार्च 2022

विरोधी आहार| विरूद्ध आहार।Incompatible Foods.in hindi.


 #Health tips

#विरोधी आहार| विरूद्ध आहार।Incompatible Foods.in hindi.

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By:- #Dr_Virender_Madhan.

बिषय:-

# विरुद्ध आहार क्या है

# विरुद्ध आहार कौन-कौन से हैं

# एक साथ क्या नहीं खाना चाहिए।

# विरुद्ध आहार से हानि।


</> विरूद्ध आहार क्या है (What is Incompatible Foods) :

जबकि कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो अकेले तो बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य-वर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए तो ये फायदे की बजाय सेहत को नुकसान पहुँचाते हैं। ये ही विरुद्धाहार कहलाते हैं।इन्हें एक साथ कभी ना खाएं 

विरुद्ध आहार’ के नियमों के अनुसार, कुछ चीज़ों का सेवन एकसाथ कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि, इन चीज़ों को बार-बार एकसाथ खाने से कई बीमारियां हो सकती हैं। कभी कभी मृत्यु भी हो सकती है।


#विरूद्ध आहार करने से क्या होता है?

विरूद्ध आहार करने से होने वाले रोग

नपुंसकता, अन्धापन, विसर्प, जलोदर, विस्फोट, उन्माद, भगन्दर, मूर्च्छा, मद नशा, आध्यान ,गले के रोग, पान्डुरोग , अलसक, विसूचिका, श्वेत कुष्ठ, ग्रहणी रोग ,रक्तपित्त, ज्वर, प्रतिश्याय, गर्भपात, मृत्यु ये सब ऋषि वांड्भट् जी ने अपने शास्त्रो मे बताई है।


» मुख्य विरुद्ध भोजन कौन कौन से है?

--खट्टाई ,करेला के साथ दूध।

--कुलथी, कंगनी, मठर, बैंगन, तुरई , दही,मोंठ के साथ दूध नही ले।

-दही के साथ दूध, पनीर, खीर, और खारा विरुद्ध है।

- मछली और दूध:

 यह बात सब जानते हैं कि सी-फूड और दूध एकसाथ नहीं खाना चाहिए। 

--खट्टे फल, मांस, उडद,मधू, दूध, अंकुरित धान्य आपस मे विरुद्ध है

- गर्म दूध के साथ शहद,नही लेते है।

--मूली,गुड विरुद्ध है।

--खीर,खोया, मलाई के साथ 

खिचडी न ले,न ही शराब ले।

- अंकुरित धान्यों के सार पका भोजन न ले।

--तैल,या तली चीज के साथ जल न ले।

-चाय और लहसुन: 

कूमारिन चाय में मिलने वाले एंटीकोएग्युलेंट (anticoagulants) हैं, जिनकी अधिक मात्रा से ब्लीडिंग का ख़तरा बढ़ जाता है। लहसुन में एंटीकोएग्युलेंट भी होते हैं, इसलिए 2 चीज़ों का साथ ख़तरनाक साबित हो सकता है। 

- अनार और चकोतरा का रस: 

ये दोनों फल आंतों के कुछ एंजाइम्स सिस्टम को ब्लॉक कर सकते हैं, जिसकी वजह से आपके रक्त में कुछ दवाओं की मात्रा बढ़ सकती है। अगर इन दोनों के जूस को मिलाकर या कॉकटेल के तौर पर पिया जाए, तो यह ख़तरनाक साबित हो सकता है। 

- कच्चे टमाटर, आलू और अल्कोहल: 

टमाटर और आलू खतरनाक नाइटशेड परिवार की सब्ज़ियां हैं, जिनमें सॉलनिन नाम का एक ग्लाइकोलकोलॉयड (glycoalkaloid) विष काफी अधिक होता है। यह केमिकल शराब के साथ मिलकर नशे या बेहोशी की स्थिति बनाता है

- दूध और नमक: 

क्या आपने कभी सोचा है कि हमेशा दूध में चीनी मिलायी जाती है,नमक क्यों नहीं? दरअसल आयुर्वेद के अनुसार नमक और दूध पारस्परिक रूप से असंगत हैं। 

- दूध के साथ फलों का मिल्कशेक पीना कई लोगों को पसंद आता है। लेकिन, पके हुए आम जैसे कुछ चुनिंदा फलों के अलावा किसी अन्य फल के साथ दूध का सेवन वर्जित माना जाता है। इससे पेट की समस्याएं हो सकती हैं। 

- शहद और घी- 

आयुर्वेद में कहा गया है कि घी (Ghee) और शहद (Honey) का समान मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है।  

आयुर्वेद अनुसार इनको असमान मात्रा में लेना चाहिए ।


विरुध्द फल और सब्जियां

-संतरे के साथ गाजर नही ,

- अमरूद के साथ केला नही,

-पपीता और नींबू साथ नही,

अनार और खुबानी साथ नही खानी चाहिए।

-आम के साथ खीरा नही,


» बेमेल यानि विरूद्ध भोजन

*खाने के साथ साथ फल न खायें।

*खाने के साथ साथ पानी या जूस न पीयें।

* भोजन के बीच कोल्डड्रिंक न पीयें।

*कोल्डड्रिंक क बाल मिंट च्युंइगम या मिंट वाली चीचों का प्रयोग न करें अन्यथा मृत्यु हो सकती है क्योंकि इससे साइनाइड बनता है।(किसी विशेषज्ञ से सलाह जरुर ले यह लेख केवल जानकारी के लिए है )

विशेष जानकारी के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से भी सलाह ले।

लेख आपके लिए उपयोगी है या नही कोमेंट मे जरूर बतायें।

धन्यवाद!




#पेट की गैस|कारण|उपाय।आयुर्वेदिक चिकित्सा in hindi.

 #पेट की गैस|कारण|उपाय।आयुर्वेदिक चिकित्सा in hindi.



By:- Dr.VirenderMadhan.

पेट की गैस

आजकल आहार और जीवनशैली  खराब होने के कारण पेट की गैस की समस्या होना आम बात हो गई है। 

* गैस की बीमारी  कोई स्वतंत्र रोग न होकर पाचनतंत्र की कमजोरी से उत्पन्न होने वाली एक लक्षण मात्र है।पाचनतंत्र मे विकार या विकृत पाचकरस के कारण पेट मे गैस बन जाती है।

पेट मे गैस बनने से पेट या आँतों की गैस भर कर फूलने लगता है। 

#गैस बनने के लक्षण क्या है?

पेट मे दर्द होना।

एसिडिटी होना।

सिरशूल होना।

पेट का फूलना।

वोमिटिगं टैंडंसी (उल्टी जैसा होना।

आलस्य मे रहना।

डकारें आना।

हृदय की धडकन बढ जाना।

भोजन के बाद पेट भारी होना 

बार बार मुहं मे पानी आना आदि गैस बनने के लक्षण होते हैं।

< अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/ZPVyzcf8N98

#गैस बनने के कारण क्या क्या है?

-अत्यधिक भोजन करना।गरिष्ठ भोजन करने से।

-बैक्टीरिया का पेट में ज्यादा उत्पादन होना।आंतों में सुजन होने के कारण।

-भोजन करते समय बातें करना और भोजन को ठीक तरह से चबाकर न खाना।

- पेट में अम्ल का निर्माण होना।

- किसी-किसी दूध के सेवन से भी गैस की समस्या हो सकती है।

- अधिक शराब पीना

- मानसिक चिंता या स्ट्रेस

एसिडिटी, बदहजमी, विषाक्त खाना खाने से,  

-सुबह नाश्ता न करना या लम्बे समय तक खाली पेट रहना।

- जंक फूड या तली-भुनी चीजें खाना।

- बासी भोजन करना।

- अपनी दिनचर्या में योग और व्यायाम को शामिल न करना।

- बीन्स, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल का अधिक सेवन करना।

- कुछ खाद्य पदार्थों से कुछ लोगों को गैस बन जाता है जबकि कुछ लोगों को उससे कोई गैस नहीं बनता है जैसे; सेम, गोभी, प्याज, नाशपाती, सेब, आडू, दूध और दूध उत्पादों से अधिकांश लोगों को गैस बनती है।

- खाद्य पदार्थ जिनमें वसा या प्रोटीन के बजाय कार्बोहाइड्रेट का प्रतिशत ज्यादा होता है, के खाने से ज्यादा गैस बनती है।

- उम्र बढ़ती है, कुछ एंजाइमों का उत्पादन कम होने लगता है अधिक गैस भी बनने लगती है।

 - निठल्ला रहने से भी गैस का कारण बनता है।


#गैस बनने पर जीवनशैली -

 इसको रोकने के लिए अपने आहार योजना और जीवन शैली में बदलाव लाना चाहिए।

-  उदरवायु वात दोष के कारण होने वाली समस्या है अत वातशामक आहार एवं उचित जीवनशैली के द्वारा गैस की समस्या से राहत मिलती है।

- सुबह उठकर प्राणायाम एवं योगासन करें।

-भोजन को चबा-चबा कर खाएं, जल्दी-जल्दी भोजन न खाएं।

- पवनमुक्तासन, वज्रासन तथा उष्ट्रासन करें।

- वज्रासन, खाने के बाद करने से गैस होने से रोका जा सकता है। इसको करने के लिए घुटने मोड़कर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। 5 से 15 मिनट तक करें। गैस पाचन शक्ति कमजोर होने से होती है। यदि पाचन शक्ति बढ़ा दें तो गैस नहीं बनेगी। योग की अग्निसार क्रिया से आंतों की ताकत बढ़कर पाचन सुधरेगा।

वज्रासन करने से पेट में गैस नहीं बनती। योग की अग्निसार क्रिया से आँतों की ताकत बढ़कर पाचन में सुधार होता है।

#गैस रोगी क्या खायें क्या न खायें?

० तले भोजन न खायें।

० सोडा और प्रीजरवेटिव युक्त जूस न पिएं।

० पानी अधिक पिएं।

० जंक फूड, बासी भोजन तथा दूषित पानी से जितना हो सके बचें।

०भोजन करने से पहले और बाद मे 1धण्टे तक पानी न पीयें।

०कोल्डड्रिंक न पीयें।

०वातबर्द्धक आहार जैसे मठर चना, गोभी आदि न लें।

०मैदे से बनी हुई चीचों को न खायें।

०साप्ताहिक व्रत भी करे।

०समय पर ही भोजन करें।

#गैस की आयुर्वेदिक दवा।

*हिंग्वाष्टक चूर्ण

*शिवाक्षार पाचन चूर्ण

*लवणभास्कर चूर्ण

स्वादिष्ट पाचन चूर्ण

मुकोलिव सिरप

मुकोजाईम सिरप

मुकोलिव टेब 

एलासिड टेब

#गैस के लिए घरेलू उपाय।

-सौठ और हरड को सम मात्रा में लेकर चूर्ण बनालें उसमे से 1-1 चम्मच सवेरे साय पानी से लें।

-भोजन के एक घण्टे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानों को 1/2 चम्मच लेकर चूर्ण बना कर 1/2 से 1चम्मच पानी के साथ मिला कर पिएं।

-करेले का रस या करेले की सब्जी खाने से गैस मे राहत मिलती है।

-1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटकी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कफ गरम पानी में डाल कर पीएं। 

- एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।

- हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।

- अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें।

 बड़ों के लिए 2 से 6 ग्राम, खाने के तुरन्त बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।

- अदरक 

अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हल्का होगा और भूख खुलकर लगेगी। 

- भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर  काला नमक डालकर खायें ।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/ZPVyzcf8N98


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सोमवार, 14 मार्च 2022

रूसी|दारूणक|Dandruff का आयुर्वेदिक इलाज in hindi.

 रूसी|दारूणक|Dandruff का आयुर्वेदिक इलाज in hindi.

#Dr_Virender_Madhan.



Dandruff | रूसी |दारूणक।

Dandruff Cure:लोग रूसी से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के शैम्पू का इस्तेमाल करते है, फिर भी डैंड्रफ जाने का नाम नहीं लेता। तो आयुर्वेदिक चीजों के इस्तेमाल करें।

#क्यों होती है डैंड्रफ की समस्या ?

सिर में तेल के रहने से बालों में गंदगी जमा हो जाती है और पपडी सी बन जाती है ।ये गंदगी ही डेंड्रफ को बुलावा देती है. इस गंदगी की वजह से बाल भी टूटने लगते हैं. इतना ही नहीं सही खानपान न होने के कारण भी बाल ऑयली हो जाते हैं, जिसके कारण सिर में रूसी की समस्या हो जाती है

रूसी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे शुष्क त्वचा, अक्सर पर्याप्त सफाई नही रखना, शैंपू का ज़्यादातर उपयोग, सोरायसिस, एक्जिमा, बालों की देखभाल के उत्पादों के प्रति संवेदनशीलता, या एक खमीर की तरह कवक, सूखी त्वचा रूसी का सबसे आम कारण है।

 ग्रंथियों के अधिक सक्रिय होने से डैंड्रफ होता है. युवाओं में अधिक मात्रा में हॉर्मोन्स रिलीज होने से भी डैंड्रफ हो सकती है

गंजापन की जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/c8fztYUNu5w

  #डैंड्रफ हटाने का घरेलू इलाज।

 आयुर्वेदिक चीजों के इस्तेमाल से रूसी भी दूर होगी (Ayurvedic Treatment of Dandruff) और बालों को कोई नुकसान भी नहीं होगा।  

#रूसी काआयुर्वेदिक उपाय?

* रीठा

रीठा का इस्तेमाल से बालों को जड़ से पोषण और मजबूती मिलती है। रीठा को शिकाकाई के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से अधिक फायदा करता है। 

रूसी यानी डैंड्रफ {रूसी } के लिए घरेलू उपाय-

 रीठा से तैयार पेस्ट बालों में लगाएं। इसके लिए रात भर पानी में रीठा को भिगाकर रख दें। सुबह उबाल कर पेस्ट बना लें। आप इसमें आंवला जूस भी मिला सकते हैं। इस पेस्ट को सिर पर लगाकर एक घंटा के लिए छोड़ दें। फिर किसी अच्छी क्वालिटी वाले शैंपू से बालों को साफ कर लें।  

* मेथी

मेथी से भी रूसी के साथ ही बालों का टूटना-गिरना भी कम किया जा सकता है। मेथी में एंटीफंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं ।

- रातभर मेथी को पानी में डालकर छोड़ दें। सुबह पेस्ट बनाकर इसमें ऐप्पल साइडर वेनेगर डाल दें। इसे सिर पर लगाएं और आधे घंटे के बाद बालों को शैंपू से साफ कर लें।  

* ऐलोवेरा जेल

ऐलोवेरा में भी एंटीफंगल तत्व मौजूद होते हैं, जो खुजली, दाने, रूसी आदि को कम करते हैं। 

* नीम

नीम से बना हेयरपैक लगाने से भी रूसी की समस्या कम होती है। इसके लिए ¼ कप नीम का जूस, चुकंदर का जूस और नारियल का दूध लें। तीनों को मिला लें। इसमें एक चम्मच नारियल तेल भी डाल दें। इस पैक को सिर पर लगाकर लगभग 30 मिनट तक रखें, उसके बाद बालों को धो लें।

शैंपू

 - हफ्ते में दो या तीन बार हर्बल शैंपू से बालों को धोना चाहिए और अच्छी तरह कण्डीशनिंग करनी चाहिए.

- बालों की जड़ो में लगाएं सरसों तेल।

- रात को बालों की जड़ो में सरसों की तेल से मालिश करनी चाहिए. 

विटामिन ई

- विटामिन ई ऑयल और गुलाब जल बालों की जड़ों में लगाने से समस्या दूर हो सकती है. 

जैतून का तैल

- जैतून के तेल में अदरक के रस की कुछ बूंदे मिलाकर इसे बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें और फिर शैंपू से धो दें।

अंडे

- अंडे के पीले भाग को खट्टे दही को मिला कर बालों में कम से कम आधे घंटे तक लगाने से डैंड्रफ दूर किया जा सकता है।

नींबू

- नीबू का रस और काली मिर्च पाउडर मिलकर बालों की जड़ों में लगाना काफी फायदेमंद है. 

नारियल तेल

- नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से भी डैंड्रफ दूर होता है.

#रुसी की आयुर्वेदिक शास्त्रीय चिकित्सा।

त्रिफलादि तैल:- 

इस तैल की मालिस करने से अरूंसिका,दारुणक (रुसी) सिर की फुंसियां ,पीला पीला चिपचिपा पूय ठीक हो जाता है।

निलिकादि तैल:- 

अकालपलित ,दारुणक(रुसी) की चिकित्सा के लिए इस तैल की मालिस करनी चाहिए।

भृंगराज तैल:- 

यह आयुर्वेद की सुप्रसिद्ध औषधी है।यह बालों और सिर की त्वचा के अनेक रोगो मे उपयोगी है।

गंजापन की जानकारी के लिये यहां क्लिक करें-

https://youtu.be/c8fztYUNu5w

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रविवार, 13 मार्च 2022

Health |हेल्थ |Fitness|निरोगता।in hindi.

 #Health |हेल्थ |Fitness|निरोगता।in hindi.



Dr.VirenderMadhan.

> Health Meaning in Hindi - हेल्थ का मतलब हिंदी में।

 [संज्ञा पुल्लिंग] स्वास्थ्य ; सेहत ; तंदुरुस्ती।

#फिटनेस क्या है ?

नीरोग या स्वस्थ होने की अवस्था । निरोगता । आरोग्य । तंदुरुस्ती ।

शारीरिक फिटनेस को काम और अवकाश की गतिविधियों के समय दक्षतापूर्वक और प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए ‘शरीर की क्षमता’ के माप के रूप में माना जाता है।

#शारीरिक फिटनेस के प्रकार (पहचान)

- चपलता या फुर्ती

- संतुलन

- ऊर्जा

- गति

- प्रतिक्रिया समय

#शारीरिक फिटनेस के घटक क्या है?

- स्वास्थ्य से संबंधित शारीरिक फिटनेस घटक में :-

* कार्डियोरेस्परेटरी सहनशक्ति, * शारीरिक संरचना, 

* मांसपेशी क्षमता, 

* मांसपेशी सहनशक्ति और  

* लचीलापन है। 

#आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा

जिन कारकों के आधार पर व्यक्ति को स्वस्थ कहा जाता है, वे हैं।

 - दोषों का संतुलन (3 प्रमुख शारीरिक कारक), 

- अग्नि (चयापचय स्वास्थ्य),

 - धातु (ऊतक स्वास्थ्य), 

- मल (उत्सर्जक कार्य), 

* साथ ही साथ एक खुशहाल (सुख) अवस्था जिसमे आत्मा, इंद्रिया (इंद्रिय अंग) और मानस (मन) का संतुलन हो।

* आहार, विहार और निद्रा - स्वास्थ्य, आरोग्यता, और सुखी जीवन का आधार है।

उचित मात्रा में आहार एवं निद्रा का सेवन उत्तम एवं स्वास्थ्य प्रद होता है, अधिक मात्रा में आहार तथा निद्रा का सेवन स्थूलताकारक होता है और अल्पमात्रा में इनका सेवन कृशता का कारण देखा गया है क्योंकि शरीर को धारण करने के लिए जो तीन उपस्तम्भ कहे गये है। उनमें आहार, निद्रा और स्वप्न का प्रमुख स्थान है।

#आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स -

- अंग्रेजी में एक कहावत है 

‘हेल्थ इज वेल्थ’

 अर्थात सेहत ही पूंजी है,

- काम की व्यस्तता के कारण तनाव और कई तरह की शारीरिक परेशानियों से लोग घिरे रहते हैं। ऐसे में लोग स्वास्‍थ्य को ही नजरअंदाज करते हैं। नतीजा, सब कुछ पाकर भी लोग खुश नहीं हैं। रहन-सहन, खानपान और साफ-सफाई के तौर-तरीकों पर ध्यान देकर तंदुरुस्ती और फिटनेस को अपनी जिंदगी में शामिल कर सकते हैं।

- बेहतर सेहत, स्वच्छता और फिटनेस हमें बीमारियों से दूर रखते हैं। हेल्दी लाइफ जीना चाहते हैं, तो शारीरिक रूप से स्वस्‍थ रहने के लिए सक्रिय रहना जरूरी है। मेहनत करते हुए शरीर का ध्यान रखना ही अपने आप में योग है। 


{उत्तम जीवनशैली हेल्दी फिटनेस के लिए उत्तम पथ है।}

इसलिए अपनी जीवनशैली को सरल बनाएं, साथ ही मानसिक तौर पर भी आप स्वस्‍थ रहेंगे।

 - संयमित खानपान लें।

  - पर्याप्त नींद लें। 

- यदि प्रतिदिन नियमित रूप से कुछ मिनट दौड़ते हैं, उनमें हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों के होने का खतरा कम रहता है। 

- स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ रोगमुक्त होना नहीं है, बल्कि पूरी तरह से फिट होना भी है। फिट रहने के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है। संतुलित आहार यानी आपके खानपान में सुपाच्य सब्जी, दालें, दूध, दही उचित मात्रा में शामिल हों।   - सूर्योदय के समय उठें। 

- योग करें। प्रतिदिन 10 से 20 मिनट प्रणायाम करें।

- काम के साथ-साथ शरीर को आराम भी देना भी जरूरी है। 

*स्वच्छता से मिले सेहत।

- स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है। हैजा, पेचिश, टायफॉइड जैसी बीमारियां हाइजीन का ख्याल नहीं रखने के कारण होती हैं,

 - बाल और नाखूनों की सफाई करें। अपने शरीर की और घर की साफ-सफाई रखकर स्वस्‍थ रह सकते हैं।

*जल्दी उठे जल्दी सो जाये।

* ऋतुकाल, आयु, स्थान, बल के अनुसार ही कार्य ,आहार, विहार ,और निद्रा सेवन करें।


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धन्यवाद !

शनिवार, 12 मार्च 2022

Kidney pain |गुर्दे का दर्द in hindi.

 {#Health_care #kidney_diseased #गुर्दों_का_आयुर्वेदिक_इलाज}

{Kidney pain |गुर्दे का दर्द}

#गुर्दे का दर्द कहाँ होता है?

Dr.VirenderMadhan.

वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। 

> गुर्दे का दर्द-

पेल्विक एरिया में दर्द

यानी आपकी नाभि के नीचे  -किडनी इंफेक्शन होने की स्थिति में व्यक्ति को पेल्विक एरिया में दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है तेज भी।

- पथरी होने की दशा में गुर्दे के आसपास कमर में पीछे की तरह दर्द होता है। इस दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

- मितली या उल्टी हो सकती है।

- पेशाब नली में गंभीर संक्रमण होने पर भी गुर्दे में दर्द की शिकायत हो सकती है।


#Kidney Failure: किडनी खराब होने के पूर्वरुप,5शुरुआती लक्षण?

- काम करना मुश्किल हो जाता है ।

- ​भूख में कमी आना शरीर में विषाक्त पदार्थों और वेस्ट का संचय भी आपकी भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन घटने लगता है। 

- ​टखने और पैरों में सूजन हो सकती है

- ​त्वचा में सूखापन और खुजली होने लगती है।

-​कमजोरी और थकान महसूस होना ।

- ​बार-बार पेशाब आना।

#किडनी खराब होने पर लक्षण?

-  बगल में एक तरफ दर्द

आपके पीठ के निचले हिस्से में और जननांगों के आस-पास दर्द और असुविधा होती है।

-कंपकंपी,ठंड लगना

- बहुत कमजोर या थका हुआ महसूस करना

-भूख में कमी

- मचली महसूस करना

#गुर्दे में दर्द होने का क्या कारण है?

इसका कारण यह होता है कि लाल रक्त कणों के निर्माण के चलते गुर्दे ठीक तरह से काम नहीं कर पाते। किसी भी कारण से गुर्दे में चोट लगने पर किडनी टिश्यू में खून रिसने लगता है। खून आने से गुर्दे के अंदरूनी हिस्सों पर दबाव बढ़ जाता है और हाइपरटेंशन भी हो सकता है। इसके अलावा कमर के आसपास के हिस्से में तेज दर्द भी हो सकता है।

मुख्य कारण:-

1. चोट के कारण : 

2. पथरी के कारण : 

3. सूजन के कारण : 

4. मूत्र पथ संक्रमण के कारण : 

5. थक्के जमने के कारण :  

6. किडनी से खून बहने से :  

अधिक जानकारी के लिए:-

https://youtu.be/o67_IoIQFtU

#किडनी में दर्द का इलाज-(Kidney Pain Treatment In Hindi)

1. त्रिफला के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

- त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए। आप त्रिफला चूर्ण को एक बड़ी चम्मच की मात्रा में रात के समय सोने से पहले हल्के गर्म पानी के साथ लें। 

2. अंगूर की बेल के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

-  आप थोड़ी सी अंगूर के बेल के पत्ते लेकर उन्हें पीस लें और छान लें। अब इसमें थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें इससे आपकी किडनी में दर्द की समस्या ठीक हो जाएगी।

3. तुलसी के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

- तुलसी की पत्तियां, अजवाइन को समान मात्रा में लें और सेंधा नमक अजवाइन की आधी मात्रा में लेकर इन सभी को छाया में सुखा लें।

अब इन सभी को पीसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण का सेवन दिन में दो बार करें। 

4. खीरे के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

- खीरे का नियमित रूप से सेवन करने के लिए दे सकते हैं क्योंकि खीरा में लीवर और किडनी को ठीक रखने के गुण पाए जाते हैं।

5. तरबूज के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

-तरबूज का सेवन कर सकते हैं। आप तरबूज और आलू का रस मिला लें और इसका सेवन दिन में दो बार करें इससे आपकी किडनी की समस्या भी ठीक हो जाएगी।

6. लौकी के सेवन से किडनी के दर्द का इलाज :

 आप लौकी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि लौकी में पोटैशियम श्रेष्ठ मात्रा में पाया जाता है जो किडनी के दर्द में बहुत फायदेमंद होता है और पेशाब के खुलकर आने में भी मदद करता है।


#किडनी में दर्द पर क्या खाएं-(Eat In Kidney Pain In Hindi) :

जिन्हें किडनी में दर्द की समस्या हो जाती है उन्हें त्रिफला, पुनर्नवा, अंगूर की बेल, सेंधा नमक, तुलसी, अजवाइन, जौ, करेला, परवल, नारियल पानी, लौकी, खीरा, तरबूज, आंवला, गन्ने का रस, जामुन, तरबूज आदि का सेवन करना चाहिए।

#किडनी में दर्द पर क्या न खाएं-(Do Not Eat In Kidney Pain In Hindi)

- नमक, मांस, मछली, अंडा, तंबाकू, बीडी-सिगरेट, शराब, दही, टमाटर, नींबू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

धन्यवाद!


 


शुक्रवार, 11 मार्च 2022

आप ब्रकफास्ट नही करते तो...क्या होगा?Dr.Virender Madham.in hindi.






 #Health care #lifestyle #Ayurvedictreatment #घरेलू_उपाय

#ब्रेकफास्ट in hindi.

#Dr_Virender_Madhan.



ब्रेकफास्ट को हिंदी में 'सुबह का जलपान' और 'सुबह का नाश्ता' कहते हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में इसे 'कलेवा' भी कहा जाता है।

#ब्रेकफास्ट क्यों जरूरी है?

* रातभर से खाली पेट रहने के कारण Breakfast दिनभर का सबसे जरूरी आहार है। यह आपको दिनभर energy और शक्ति देता है। Breakfast body के लिए fuel की तरह काम करता है। Body के लिए जरूरी energy और nutrition का लगभग 25 प्रतिशत भाग केवल breakfast से ही मिलता है।

- दिन का सबसे जरूरी भोजन

यह मेटाबॉलिज्म को काम शुरू करने में मदद करता है और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है जिससे आप दिनभर कैलोरी बर्न करते हैं। डिनर और ब्रेकफास्ट में बहुत अधिक अंतर हो जाता है जिससे बॉडी को एनर्जी के लिए फ्यूल की जरूरत होती है जो ब्रेकफास्ट से मिलता है। सुबह का नाश्ता आपको दिन भर ऊर्जा देता रहता है

#सबसे अच्छा नाश्ता कौन सा है?

दलिया 

दलिया एक हल्का व स्वस्थ पकवान है जो इसे सबसे बेहतर नाश्ता बनाता है। ... 

मूंग दाल का चीला

 मूंग दाल को सभी हेल्दी दालों में से एक माना जाता है। ... 

- ढोकला 

-मिक्स वेज पराठा 

- इडली सांभर 

- उपमा

-अंडा 

- बादाम - सुबह खाली पेट भिगाए हुए बादाम लेना चाहिए, इसके पोषक तत्व शरीर को मजबूत करने में सहायक होती है

#खाली पेट क्या क्या नही खायें?

- सुबह खाली पेट में ज्यादा मसालेदार नाश्ता नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पेट में जलन के साथ ही पेट में दर्द, ऐंठन भी पैदा करती है 

- खाली पेट कभी भी खट्टे फल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह एसिड बनाता है ।

- खाली पेट कच्ची सब्जी लेने से बचना चाहिए, क्योंकि कच्ची सब्जी मे फाइबर ज्यादा होता है, यह पेट दर्द एवं ऐंठन का कारण बनता है। 

- सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने लगते हैं, जो गैस का कारण बनता है, इसलिए कुछ खाने के बाद ही चाय या कॉफी लेनी चाहिए। 

- सुबह खाली पेट में कभी भी ठंडी ड्रिंक्स नहीं पीना चाहिए। 

- खाली पेट कभी भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह सीधे आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

#सुबह खाली पेट कौनसे फल खाएं?

फल:-

- पपीता, तरबूज, बादाम, कीवी खाएं

 कीवी आपके लिए एक सुपर फूड है। इसमें फाइबर होता है और यह आपकी स्किन के लिए भी बहुत अच्छा होता है।

- सेब खाएं,

सेब फाइबर का भी बहुत अच्छा स्रोत होती है। सेब का छिलका आपको कैंसर से बचाने में मदद करता है और आपको हृदय बीमारियों से भी दूर रखता है।

धन्यवाद!